रावण शाप के डर से मौत से भयभीत होने के कारण माँ भगवती
सीता का स्पर्श नही करता था
जैसा
1- तुलसीदास द्वारा श्रीरामचरित मानस जोकि सम्पादित हे में
वर्णन नही है
जबकि वाल्मीकि द्वारा रचित रामायण में
वर्णन है
✖➕✖ विश्व विजय करने के लिए जब रावण स्वर्ग लोक पहुंचा तो उसे
वहां रंभा नाम की अप्सरा दिखाई दी।
अपनी वासना पूरी करने के लिए रावण ने
उसे पकड़ लिया। तब उस अप्सरा ने कहा कि आप मुझे इस तरह
से स्पर्श न करें, मैं आपके बड़े भाई कुबेर के बेटे नलकुबेर के
लिए आरक्षित हूं।
इसलिए मैं आपकी पुत्रवधू के समान हूं, लेकिन रावण
नहीं माना और उसने रंभा से दुराचार किया। यह बात जब
नलकुबेर को पता चली तो उसने रावण को श्राप दिया कि
आज के बाद रावण बिना किसी स्त्री
की इच्छा के उसे स्पर्श करेगा तो उसका मस्तक सौ
टुकड़ों में बंट जाएगा।
रावण ने अपने बहनोई का वध किया ये बात सभी जानते हैं कि लक्ष्मण द्वारा शूर्पणखा
के नाक-कान काटे जाने से क्रोधित होकर ही रावण ने
सीता का हरण किया था, लेकिन स्वयं शूर्पणखा ने
भी रावण का सर्वनाश होने का श्राप दिया था। क्योंकि
रावण की बहन शूर्पणखा के पति का नाम विद्युतजिव्ह
था।
वो कालकेय नाम के राजा का सेनापति था। रावण जब विश्वयुद्ध पर
निकला तो कालकेय से उसका युद्ध हुआ। उस युद्ध में रावण ने
विद्युतजिव्ह का वध कर दिया। तब शूर्पणखा ने मन
ही मन रावण को श्राप दिया कि मेरे ही
कारण तेरा सर्वनाश होगा।
- श्रीरामचरित मानस के अनुसार सीता
स्वयंवर के समय भगवान परशुराम वहां आए थे, जबकि रामायण
के अनुसार सीता से विवाह के बाद जब
श्रीराम पुन: अयोध्या लौट रहे थे, तब परशुराम वहां
आए और उन्होंने श्रीराम से अपने धनुष पर बाण
चढ़ाने के लिए कहा। श्रीराम के द्वारा बाण चढ़ा देने पर
परशुराम वहां से चले गए थे।
बलात्कारी रावण - वाल्मीकि रामायण के अनुसार एक बार रावण अपने
पुष्पक विमान से कहीं जा रहा था, तभी
उसे एक सुंदर स्त्री दिखाई दी, उसका नाम
वेदवती था। वह भगवान विष्णु को पति रूप में पाने के
लिए तपस्या कर रही थी। रावण ने उसके
बाल पकड़े और अपने साथ चलने को कहा। उस
तपस्विनी ने उसी क्षण
अपनी देह त्याग दी और रावण को श्राप
दिया कि एक स्त्री के कारण ही
तेरी मृत्यु होगी। उसी
स्त्री ने दूसरे जन्म में सीता के रूप में
जन्म लिया।
- जिस समय भगवान श्रीराम वनवास गए, उस समय
उनकी आयु लगभग 27 वर्ष की
थी। राजा दशरथ श्रीराम को वनवास
नहीं भेजना चाहते थे, लेकिन वे वचनबद्ध थे। जब
श्रीराम को रोकने का कोई उपाय नहीं सूझा
तो उन्होंने श्रीराम से यह भी कह दिया कि
तुम मुझे बंदी बनाकर स्वयं राजा बन जाओ।
- अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु का आभास भरत
को पहले ही एक स्वप्न के माध्यम से हो गया था।
सपने में भरत ने राजा दशरथ को काले वस्त्र पहने हुए देखा था।
उनके ऊपर पीले रंग की स्त्रियां प्रहार
कर रही थीं। सपने में राजा दशरथ लाल
रंग के फूलों की माला पहने और लाल चंदन लगाए गधे
जुते हुए रथ पर बैठकर तेजी से दक्षिण (यम
की दिशा) की ओर जा रहे थे।
- हिंदू धर्म में तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं
की मान्यता है, जबकि रामायण के अरण्यकांड के
चौदहवे सर्ग के चौदहवे श्लोक में सिर्फ तैंतीस देवता
ही बताए गए हैं। उसके अनुसार बारह आदित्य, आठ
वसु, ग्यारह रुद्र और दो अश्विनी कुमार, ये
ही कुल तैंतीस देवता हैं।
रघुवंश में एक परम प्रतापी राजा हुए थे, जिनका
नाम अनरण्य था। जब रावण विश्वविजय करने निकला तो राजा
अनरण्य से उसका भयंकर युद्ध हुआ। उस युद्ध में राजा
अनरण्य की मृत्यु हो गई, लेकिन मरने से पहले
उन्होंने रावण को श्राप दिया कि मेरे ही वंश में उत्पन्न
एक युवक तेरी मृत्यु का कारण बनेगा।
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- रावण जब विश्व विजय पर निकला तो वह यमलोक
भी जा पहुंचा। वहां यमराज और रावण के
बीच भयंकर युद्ध हुआ। जब यमराज ने रावण के
प्राण लेने के लिए कालदण्ड का प्रयोग करना चाहा तो ब्रह्मा ने
उन्हें ऐसा करने से रोक दिया क्योंकि किसी देवता द्वारा
रावण का वध संभव नहीं था।
- सीताहरण करते समय जटायु नामक गिद्ध ने
रावण को रोकने का प्रयास किया था। रामायण के अनुसार जटायु के
पिता अरुण बताए गए हैं। ये अरुण ही भगवान सूर्यदेव
के रथ के सारथी हैं।
- जिस दिन रावण सीता का हरण कर
अपनी अशोक वाटिका में लाया। उसी रात को
भगवान ब्रह्मा के कहने पर देवराज इंद्र माता सीता के
लिए खीर लेकर आए, पहले देवराज ने अशोक वाटिका में
उपस्थित सभी राक्षसों को मोहित कर सुला दिया। उसके
बाद माता सीता को खीर अर्पित
की, जिसके खाने से सीता की
भूख-प्यास शांत हो गई।
जब भगवान राम और लक्ष्मण वन में सीता
की खोज कर रहे थे। उस समय कबंध नामक राक्षस
का राम-लक्ष्मण ने वध कर दिया। वास्तव में कबंध एक श्राप के
कारण ऐसा हो गया था। जब श्रीराम ने उसके
शरीर को अग्नि के हवाले किया तो वह श्राप से मुक्त
हो गया। कबंध ने ही श्रीराम को
सुग्रीव से मित्रता करने के लिए कहा था।
- श्रीरामचरितमानस के अनुसार समुद्र ने लंका जाने
के लिए रास्ता नहीं दिया तो लक्ष्मण बहुत क्रोधित हो
गए थे, जबकि वाल्मीकि रामायण में वर्णन है कि
लक्ष्मण नहीं बल्कि भगवान श्रीराम
समुद्र पर क्रोधित हुए थे और उन्होंने समुद्र को सुखा देने वाले
बाण भी छोड़ दिए थे। तब लक्ष्मण व अन्य लोगों ने
भगवान श्रीराम को समझाया था।
- सभी जानते हैं कि समुद्र पर पुल का निर्माण नल
और नील नामक वानरों ने किया था। क्योंकि उसे श्राप
मिला था कि उसके द्वारा पानी में फेंकी गई
वस्तु पानी में डूबेगी नहीं,
जबकि वाल्मीकि रामायण के अनुसार नल देवताओं के
शिल्पी (इंजीनियर) विश्वकर्मा के पुत्र थे
और वह स्वयं भी शिल्पकला में निपुण था।
अपनी इसी कला से उसने समुद्र पर सेतु
का निर्माण किया था।
रामायण के अनुसार समुद्र पर पुल बनाने में पांच दिन का समय
लगा। पहले दिन वानरों ने 14 योजन, दूसरे दिन 20 योजन,
तीसरे दिन 21 योजन, चौथे दिन 22 योजन और पांचवे
दिन 23 योजन पुल बनाया था। इस प्रकार कुल 100 योजन लंबाई
का पुल समुद्र पर बनाया गया। यह पुल 10 योजन चौड़ा था। (एक
योजन लगभग 13-16 किमी होता है)
एक बार रावण जब भगवान शंकर से मिलने कैलाश गया। वहां
उसने नंदीजी को देखकर उनके स्वरूप
की हंसी उड़ाई और उन्हें बंदर के समान
मुख वाला कहा। तब नंदीजी ने रावण को
श्राप दिया कि बंदरों के कारण ही तेरा सर्वनाश होगा।
रामायण के अनुसार जब रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न
करने के लिए कैलाश पर्वत उठा लिया तब माता पार्वती
भयभीत हो गई थी और उन्होंने रावण को
श्राप दिया था कि तेरी मृत्यु किसी
स्त्री के कारण ही होगी।
- जिस समय राम-रावण का अंतिम युद्ध चल रहा था, उस समय
देवराज इंद्र ने अपना दिव्य रथ श्रीराम के लिए भेजा
था। उस रथ में बैठकर ही भगवान श्रीराम
ने रावण का वध किया था।
जब काफी समय तक राम-रावण का युद्ध चलता
रहा तब अगस्त्य मुनि ने श्रीराम से आदित्य ह्रदय
स्त्रोत का पाठ करने को कहा, जिसके प्रभाव से भगवान
श्रीराम ने रावण का वध किया।
भाई का राज्य व् घर छीना
- रामायण के अनुसार रावण जिस सोने की लंका में
रहता था वह लंका पहले रावण के भाई कुबेर की
थी। जब रावण ने विश्व विजय पर निकला तो उसने
अपने भाई कुबेर को हराकर सोने की लंका तथा पुष्पक
विमान पर अपना कब्जा कर लिया।
बलात्कारी रावण ने अपनी पत्नी की
बड़ी बहन माया के साथ भी छल किया था।
माया के पति वैजयंतपुर के शंभर राजा थे। एक दिन रावण शंभर के
यहां गया। वहां रावण ने माया को अपनी बातों में फंसा
लिया। इस बात का पता लगते ही शंभर ने रावण को
बंदी बना लिया।
उसी समय शंभर पर राजा दशरथ ने आक्रमण कर
दिया। उस युद्ध में शंभर की मृत्यु हो गई। जब माया
सती होने लगी तो रावण ने उसे अपने साथ
चलने को कहा। तब माया ने कहा कि तुमने वासनायुक्त मेरा सतित्व
भंग करने का प्रयास किया इसलिए मेरे पति की मृत्यु हो
गई, अत: तुम्हारी मृत्यु भी
इसी कारण होगी।
- वाल्मीकि रामायण में 24 हज़ार श्लोक, 500
उपखण्ड, तथा सात कांड है।
जय श्रीराम ...
By...अशोक लाटा