Friday, December 15, 2017

सोमवार 18/12/2017,को है सोमवती अमावस्या क्या करे क्या ना करे

18/12/2017 को है सोमवती अमावस्या क्या करे क्या ना करे देखे एक कथा ओर एक विधान,

सोमवती अमावस्या की प्रचलित कथा

एक गरीब ब्राह्मण परिवार था। उस परिवार में पति-पत्नी के अलावा एक पुत्री भी थी। वह पुत्री धीरे-धीरे बड़ी होने लगी। उस पुत्री में समय और बढ़ती उम्र के साथ सभी स्त्रियोचित गुणों का विकास हो रहा था। वह लड़की सुंदर, संस्कारवान एवं गुणवान थी। किंतु गरीब होने के कारण उसका विवाह नहीं हो पा रहा था।
एक दिन उस ब्राह्मण के घर एक साधु महाराज पधारें। वो उस कन्या के सेवाभाव से काफी प्रसन्न हुए। कन्या को लंबी आयु का आशीर्वाद देते हुए साधु ने कहा कि इस कन्या के हथेली में विवाह योग्य रेखा नहीं है।
तब ब्राह्मण दम्पति ने साधु से उपाय पूछा, कि कन्या ऐसा क्या करें कि उसके हाथ में विवाह योग बन जाए। साधु ने कुछ देर विचार करने के बाद अपनी अंतर्दृष्टि से ध्यान करके बताया कि कुछ दूरी पर एक गांव में सोना नाम की धोबिन जाति की एक महिला अपने बेटे और बहू के साथ रहती है, जो बहुत ही आचार-विचार और संस्कार संपन्न तथा पति परायण है।
यदि यह कन्या उसकी सेवा करे और वह महिला इसकी शादी में अपने मांग का सिंदूर लगा दें, उसके बाद इस कन्या का विवाह हो तो इस कन्या का वैधव्य योग मिट सकता है। साधु ने यह भी बताया कि वह महिला कहीं आती-जाती नहीं है।
यह बात सुनकर ब्राह्मणी ने अपनी बेटी से धोबिन की सेवा करने की बात कही। अगल दिन कन्या प्रात: काल ही उठ कर सोना धोबिन के घर जाकर, साफ-सफाई और अन्य सारे करके अपने घर वापस आ जाती।
एक दिन सोना धोबिन अपनी बहू से पूछती है कि- तुम तो सुबह ही उठकर सारे काम कर लेती हो और पता भी नहीं चलता।
बहू ने कहा- मां जी, मैंने तो सोचा कि आप ही सुबह उठकर सारे काम खुद ही खत्म कर लेती हैं। मैं तो देर से उठती हूं। इस पर दोनों सास-बहू निगरानी करने लगी कि कौन है जो सुबह ही घर का सारा काम करके चला जाता है।
कई दिनों के बाद धोबिन ने देखा कि एक कन्या मुंह अंधेरे घर में आती है और सारे काम करने के बाद चली जाती है। जब वह जाने लगी तो सोना धोबिन उसके पैरों पर गिर पड़ी, पूछने लगी कि आप कौन है और इस तरह छुपकर मेरे घर की चाकरी क्यों करती हैं?
तब कन्या ने साधु द्बारा कही गई सारी बात बताई। सोना धोबिन पति परायण थी, उसमें तेज था। वह तैयार हो गई। सोना धोबिन के पति थोड़ा अस्वस्थ थे। उसने अपनी बहू से अपने लौट आने तक घर पर ही रहने को कहा।
सोना धोबिन ने जैसे ही अपने मांग का सिन्दूर उस कन्या की मांग में लगाया, उसका पति मर गया। उसे इस बात का पता चल गया। वह घर से निराजल ही चली थी, यह सोचकर की रास्ते में कहीं पीपल का पेड़ मिलेगा तो उसे भंवरी देकर और उसकी परिक्रमा करके ही जल ग्रहण करेगी।
उस दिन सोमवती अमावस्या थी। ब्राह्मण के घर मिले पूए-पकवान की जगह उसने ईंट के टुकडों से 108 बार भंवरी देकर 108 बार पीपल के पेड़ की परिक्रमा की और उसके बाद जल ग्रहण किया। ऐसा करते ही उसके पति के मुर्दा शरीर में वापस जान आ गई। धोबिन का पति वापस जीवित हो उठा।
इसीलिए सोमवती अमावस्या के दिन से शुरू करके जो व्यक्ति हर अमावस्या के दिन भंवरी देता है, उसके सुख और सौभाग्य में वृद्धि होती है। पीपल के पेड़ में सभी देवों का वास होता है। अतः जो व्यक्ति हर अमावस्या को न कर सके, वह सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या के दिन 108 वस्तुओं कि भंवरी देकर सोना धोबिन और गौरी-गणेश का पूजन करता है, उसे अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
ऐसी प्रचलित परंपरा है कि पहली सोमवती अमावस्या के दिन धान, पान, हल्दी, सिंदूर और सुपाड़ी की भंवरी दी जाती है। उसके बाद की सोमवती अमावस्या को अपने सामर्थ्य के हिसाब से फल, मिठाई, सुहाग सामग्री, खाने की सामग्री इत्यादि की भंवरी दी जाती है और फिर भंवरी पर चढाया गया सामान किसी सुपात्र ब्राह्मण, ननंद या भांजे को दिया जा सकता है।

Thursday, December 14, 2017

गुरु कृपा ओर इष्ट कृपा होती है क्या

आध्यात्मिक मे जब तक आप अपने इष्ट ओर गुरु कृपा से पुणे मंत्र विधान ओर क्रिया ना कर लो
मणिकणिका घाट
जब तक किसी का आश्वासन ना दे ना किसी की क्रिया का काट करे क्योंकि गुरु मंत्र आपका बह्मास्त्रा हो सकता है पर परिवार वालो का नही ये शक्तियां अच्छी भी होती है बुरी भी इसलिए आध्यात्मिक या तंत्र मे अगर आप सांसारिक ओर आध्यात्मिक मे जी रहे है तो दो चीजो का आप हमेशा ध्यान रखे पहली अपनी ओर अपनो की सुरक्षा दुसरी अपने घर बार की सुरक्षा अगर गुरु पदाति से कुछ क्रिया या मंत्र मिला हो तो उसका मानसिक जप ओर क्रिया कम से कम महीने मे एक बार अपने घर ओर कारोबारी वाली जगह पर होनी चाहिए या जब तक पहले अपने भौतिक जीवन की सारी सुविधा को पुणे कीजिये फिर आध्यात्मिक मे पुरी तरह से आ जाये ओर जितना सुरक्षा मंत्र ओर गुरु मंत्र का जाप ओर अनुसरण जितना हो सके करे उतना ही अच्छा है बाकी गुगल गुरु कई मिलेगे पर एक से बढकर एक भविष्यवक्ता पर गुरु ग्यान ओर क्रिया कही से नही मिलेगी यही सत्य है,,
भविष्य वाणी जिसकी फेल हो जाये ओर साल दो साल मे जो भविष्यवक्ता हो ,तो कहना ही क्या जो आजकल कई भविष्यवक्ताओ को हम फेसबुक ओर वाटसअप पर देख चूके है कई बंदे ने सौ से ज्यादा भविष्यवाणीयाँ  की होगी पर जिसमे मे से मौसम की जानकारी जी टीवी न्यूज मे होती है वो ही सत्य साबित हुयी इसके अलावा अपनी पोस्ट को जो भविष्यवाणी फेल होते ही खुद रिमुव करते उनका तो कहना ही क्या गुरु कृपा ओर गुरु भक्ति मे रात दिन का फर्क है जो गुरु भक्ति को समझा वो ही शिष्य जो प्रचार मे रहा ओर जो शिष्य नही माने उनको भी गुरु कहे उनका तो क्या कहना बाकी जय हो गूगल ओर वाटसअप गुरुजनो की हम तो आप सभी से इतना ही कहना चाहते है कि बिना सोचे समझे कोई कार्य ना करे अच्छा है वो ही आपके हित मे तंत्र ओर आध्यात्मिक भक्ति उपासना सिद्धि तंत्र क्रिया एक नंगी तलवार है ओर उस पर चलना ना चलना ये आपकी इच्छा है ओर अच्छा करना बुरा करना आपके ऊपर है भुगतान यही करके जाना है भुगत कर या भुगता कर यही सच है नही किया तो कर के देखो साधक पर जिन शक्तियो की कृपा होती है वो शक्तियां उसके ओर उसके परिवार की उसको मानने वालो को जीवन भर रक्षा करती है पर उसमे भी गुरु इष्ट योग क्रिया उतम कार्य करती है यही आध्यात्मिक का पुणे सत्य है गृहस्थ साधक को शाक्त को शक्ति से उर्जा मिलती है अब उस उर्जा का प्रयोग कहाँ करता है ये शाक्त ही अच्छी तरह कर सकता है पर नारी से दुर बुरे विचारो से दुर इन सभी को अपनो से दुर करने यही साधक की निशानी है बाकी जैसा आपको समझ मे आये करे आगे माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा आज बस इतना ही नादान बालक की कलम से ॐ नमो सिद्धाये,,

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
🌹🙏🏻🌹

Sunday, December 3, 2017

आज गुरु दत्तात्रेय जयंती

गुरु दत्तात्रेय जयंती

गुरु दत्तात्रेय का जन्म दिवस मार्गशीर्ष की पूर्णिमा जो आज है अतः आज मनाया जा रहा है यह उत्सव महाराष्ट्र में खासतौर से मनाया जाता है
हिन्दुधर्म में तीन देव  भगवान ब्रह्मा विष्णु महेश का सबसे उच्च स्थान है भगवान दत्तात्रेय का रूप इन तीनो देवो के रूप में मिलकर बना है
भगवान दत्तात्रेय सप्त ऋषि अत्रि एविम माता अनुसुइया के पुत्र है माता अनुसुईया एक पतिव्रता नारी थी इन्होंने ब्रह्मा विष्णु महेश के समान बल वाले पुत्र के लिए कठिन तपस्या की थी उनकी कठिन साधना के कारण तीनो देव इनकी प्रशंसा करते थे जिस कारण तीनो देवियो को माता अनुसुईया से ईर्ष्या होनी लगी तब तीनो देवियो के कहने पर त्रिदेव माता अनुसुईया की परीक्षा लेने आश्रम पहुंचे । तीनो देव रूप बदल कर अनुसुईया के पास पहुचे और भोजन कराने को कहा माता ने हां बोल दिया लेकिन तीनो ने कहा कि भोजन तभी ग्रहण करेंगे जब वे निर्वस्त्र हो कर शुद्धता से उन्हें भोजन परसेंगी माता ने कुछ विचार कर हामी भर दी

https://pukhrajmewaraasind7.blogspot.in/2017/12/blog-post_57.html?m=0

माता ने मंत्र उच्चारण कर तीनो त्रिदेवो को तीन छोट छोटे बच्चों में परिवर्तित कर दिया और तीनों को बिना वस्त्र के स्तनपान कराया
जब ऋषि अत्रि आश्रम आये तो माता अनुसुईया ने सारी बात विस्तार से रख्खी जिसे ऋषि अत्रि पहले से जानते थे ऋषि अत्रि ने मंत्रो के द्वारा तीनो देवो को एक रूप में परिवर्तित कर एक बालक का रूप दे दिया जिसके तीन मुख एवं छः हाथ थे अपने पति को इस रूप में देख तीनो देवियो पछतावा होता है और ऋषि अत्रि एवं माता अनुसुईया से छमा मांग अपने पतियों को वापस देने का आग्रह करती है ऋषि अत्रि तीनो देवो को उनका मूर्त रूप दे देते है लेकिन तीनो देवो ने अपने आशीर्वाद के द्वारा दत्तात्रेय भगवान को बनाते है जो तीनों देवो का रूप कहलाते है इस प्रकार माता अनुसुईया परीक्षा में सफल हुई और उन्हें तीनो देवो के समान के पुत्र की प्राप्ति हुई

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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