Monday, November 19, 2018

जहरीले जानवर दुर रहे ओर नजर से बचाये ये पौधा

घर मे जहरीले जानवर साँप बिच्छू  या अन्य रेंगने वाले जीव अगर बार बार आते है या घर मे बच्चो को बार बार नजर लगती है या आई प्रोबल्म हो तो एक पौधा आता है जिसको मरवा का पौधा बोलते है गमले मे या आंगन मे लगा दिजिये आप को इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जायेगा याद रहे मरवे ,या मरवा का पौधा जिसकी पत्तियों का रस आँखो मे डालने से सदा आँखे साफ रहती है ऋ आँखो की कई तरह की बीमारियां कट जाती है ।।

अगर पौधा समझ मे नही आता हो तो गूगल गुरू है उस पर पोधे का फोटो मिल जायेगा, ओर भी कई बीमारियां का तोड है ये पौधा पर जानकारी के अभाव मे ये पौधा आज कल लुप्त हो रहा है जैसी मौसमी बीमारियां खांसी जूकाम बलगम आदि मे,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ओर अगर घर मे बार बार देवी तुलसी माता का पौधा जल रहा है या ग्रोथ नही कर पा रहा है तो उसके लिए भी पौधा लाभदायक है फिर भी देवी तुलसी माता का पौधा घर मे चल नही पाता है तो अच्छे ज्योतिष का सहारा लिजिये या किसी तंत्र गुरू से बात करये बाकी जैसी आप सभी की इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻

Wednesday, November 7, 2018

कैसे पुजा करे दीपावली की ओर कोन सा तंत्र प्रयोग देगा सफलता

दीपावली सनातन धर्म में मनाया जाने वाला बड़ा त्योहार है, कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दीपावली यानी दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह 7 नवंबर 2018 को मनाई जाएगी  मान्यता है कि प्रभु श्रीरामजी चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे ,तब अयोध्यावासियों ने घर में घी के दिए जलाए थे ओर एक मान्यता मे यह भी कहाँ जाता है कि इसी अमावस्या को दीप दान की परम्परा को बाबा शिवभक्त प्रभु सहस्त्रार्जुन ने इसकी शुरूआत की थी ओर देवी माँ काली ने दुष्टो का विनाश भी किया था इसी वजह से अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी, इसलिए दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है दिवाली के दिन देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं,
इस बार अमावस्या छोटी दिवाली यानी 6 नवंबर से रात 10:27 से शुरू होकर 7 नवंबर रात 9:31 तक रहेगी वहीं, अंग्रेजी या ग्रिगेरियन कैलन्डर के मुताबिक दिवाली हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है,
शुभ मुहूर्त,
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम 05:57 से 07:53 तक,
प्रदोष काल: शाम 05:27 बजे से 08:06 बजे तक,
वृषभ काल: 05:57 बजे से 07:57 बजे से तक,
ओर अलग अलग मतो के हिसाब से पुजा करे तो घरो मे पुजा करने का समय इस साल दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 1 घंटा 58 मिनट तक रहेगा,इसी दौरान सभी घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा सम्पन्न की जाएगी,
लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 06:12 से 08:10 तक,बाकी सिंगलग्न 12:38 से शुरू है जो 02:57 तक है बाकी चौघडियो के हिसाब से आप पुजा कर सकते है ब्राह्मण देवता पुजा कराये तो ठीक है अगर उनको टाइम नही है तो फिर साधारणतः आप स्वयंम पुजा कर सकते है,
दीपावली पूजा विधि विधान सभी का अपना अपना होता है,
दीपावली पूजन में सबसे पहले प्रभु श्री गणेश जी का ध्यान करें, इसके बाद बाबा गणपति जी को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें,
इसके बाद देवी माँ लक्ष्मीजी का पूजन शुरू करें देवी मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा या तस्वीर को पूजा स्थान पर रखें मूर्ति में देवी मां लक्ष्मी जी का आवाहन करें जो भी मंत्र आपको आता हो या जो मंत्र हम दे रहे उनमे से किसी एक का या भाव अनुरूप हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं,
अब देवी माँ लक्ष्मी जी को स्नान कराएं स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं ,उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं,
इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं, अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करे , इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें। 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें,आरती के बाद परिक्रमा करें, अब उन्हें भोग लगाएं,ये हो गयी साधारण पुजा अगर पुणे विधी विधान से करना है तो,,दीपावली की पुणे विधी विधान की पूजा की ऐसे करें तैयारी
पूजन शुरू करने से पहले बाबा गणेश जी देवी माँ लक्ष्मीजी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं,नवग्रह स्थापित करे जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं इसके बाद प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर बाबा गणेश जी और देवी माँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा या तस्वीर को विराजमान करें,इस दिन देवी माँ लक्ष्मी जी बाबा श्री गणेशजी के साथ प्रभु कुबेर, देवी माँ सरस्वतीजी एवं देवी माँ काली जी माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति या तस्वीर हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें ,ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्री हरि विष्णु जी की पूजा के बिना देवी माँ लक्ष्मीजी की पूजा अधूरी रहती है,इसलिए प्रभु श्री हरि विष्ण जी के बांयी ओर रखकर देवी माँ लक्ष्मीजी की पूजा करे,
दीपावली पूजन की सम्पूर्ण विधि विधान और मंत्र,
दीपावली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र सेः
“ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं। आचमन करें – ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं। इस मंत्र से आसन शुद्ध करें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
अब चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।
दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्र
बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें। पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2075, तमेऽब्दे विरोधकृत नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ बुधवासरे स्वाति नक्षत्रे आयुष्मान योगे चतुष्पाद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।
कलश की पूजा करें,
कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें,हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें ,ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:,अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:,(अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)
दीपावली बाबा श्री गणेश जी पूजा मंत्र विधि
नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, हाथ में फूल लेकर बाबा श्री गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्, उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्, आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें,
पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र – एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:, इस मंत्र से चंदन लगाएं: इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं,अब सिन्दूर लगाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:,दूर्वा और विल्बपत्र भी बाबा श्री गणेश जी को चढ़ाएं बाबा श्री गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं, इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि,
बाबा श्री गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं: इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:, मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: -इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:,अब आचमन कराएं, इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद पान सुपारी दें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:, अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:,
कलश पूजन के बाद सभी प्रभु कुबेर और प्रभु इंद्र सहित सभी देवी देवता की पूजा बाबा श्री गणेश जी पूजन की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें।
दीपावली देवी मां लक्ष्मी जी पूजन विधि मंत्र
सबसे पहले देवी माँ पद्मासन्था लक्ष्मी जी का ध्यान करें,
 ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’
इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं,अब देवी माँ लक्ष्मी जी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।
देवी माँ लक्ष्मी जी की अंग पूजा
बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं— ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि,
अष्टसिद्धि पूजन मंत्र और विधि
अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें,
 ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:,
अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और विधि
अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:,
प्रसाद अर्पित करने का मंत्र
“इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं:- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:,
देवी माँ लक्ष्मी जी की पूजा के बाद प्रभु श्री हरि विष्णु जी ओर बाबा भोलेनाथ जी की पूजा करने का विधान है पर पुजा सबकी अलग अलग होती है ये सब पुजा करने ओर करवाने वाले पर निर्भर है ओर मित्रो माँ बाबा से नही कहते कि हम हाई फाई पुजा करनी चाहिए जैसी शक्ति वैसी भक्ति होती है घर फूंक कर तमाशा नही देखा जाता यही हकीकत है, व्यापारी लोग गल्ले की पूजा करें,पूजन के बाद अल्प पुजा विधान के लिये या त्रुटि पुणे या किसी कमी के लिए क्षमा याचना प्रार्थना करे ओर संकल्प तोडे ओर और आरती करें इसके अलावा ओर तंत्र पुजा भी है जो आप जिस मंत्र का चाहो इसके बाद जप हवन कर सकते है,
धन प्राप्ति के लिए कुछ मंत्र विधान यहाँ दे रहे आप जो चाहे कर सकते है जो आपको अच्छा लगे हमने पहले भी कहाँ है कि जैसी शक्ति वैसी भक्ति इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात्रि को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका जप के साथ हवन भी कर सकते है जिससे मंत्रो को गति मिलती है देवी माँ लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी,
ओम धनाय नम:                    ओम नारायण नमो नम:
ओम धनाय नमो नम:             ओम नारायण नम:
ओम लक्ष्मी नम:                   ओम प्राप्ताय नम:
ओम लक्ष्मी नमो नम:            ओम प्राप्ताय नमो नम:
ओम लक्ष्मी नारायण नम:      ओम लक्ष्मी नारायण नमो नम: ,,,
धन प्राप्ति हेतु तावीज,
यहां चार आसान यंत्र है ,इनमें से किसी भी एक को कागज पर स्याही से अथवा भोजपत्र पर अष्टगंध से अंकित करके धूप-दीप से पूजा करें। चांदी के तावीज में यंत्र रखकर माँ का ध्यान करते हुए इसे गले में धारण करें और ऊपर दिए गए किसी मंत्र का नियम से जाप भी करते रहें,
संसार में सभी व्यक्ति भरपूर धन चाहते हैं और यही कारण है कि माँ बाबा की कृपाएं प्राप्त करने के लिए बडे-बडे अनुष्ठान करते ही रहते हैं बडे भाग्य से मिलती हैं देवी माँ लक्ष्मीजी की कृपाएं यही कारण है कि इन सामान्य मंत्रो ओर यंत्रों के पश्चात् आगे परम शक्तिशाली मंत्र, यंत्र और तांत्रिक प्रयोग इस पोस्ट में आपको दिए जा रहे हैं जरूरी नही कि आप सभी करे,
धनप्राप्ति के कुछ सरल मंत्र
 ओं लक्ष्मी वं, श्री कमला धरं स्वाहा,,,
इस मंत्र की सिद्धि एक लाख बीस हजार मंत्र जप से होती है। इसका शुभारम्भ वैशास मास में स्वाति नक्षत्र में करें तो उत्तम रहेगा। जप के बाद हवन भी करें,,,
,, ओं ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं क्रीं क्री क्रीं स्थिरां स्थिरां ओं,,
इसकी सिद्धि 110 मंत्र नित्य जपन से 41 दिनों में संपन्न होती है। माला मोती की और आसन काले मृग का होना चाहिए साधना कांचनी वृक्ष के नीचे करनी चाहिए,
,,ओम नमो ह्नीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिंता दूरं करोति स्वाहा,
प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर एक माला (108 मंत्र) का नित्य जप करें तो लक्ष्मी की सिद्धि होती है,
,,ओम नमो पद्मावती पद्मनेत्र बज्र बज्रांकुश प्रत्यक्ष भवति।
इस मंत्र की सिद्धि के लिए लगातार 21 दिन तक साधना करनी होती है। इस साधना को आधी रात के समय करना आवश्यक है,साधना के समय मिट्टी का दीपक बनाकर जलाएं, जप के लिए मिट्टी के मनकों की माला बनाएं और नित्यप्रति एक माला अर्थात् 108 मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप किया जाए तो लक्ष्मी देवी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है,
,,ओम नम: भगवते पद्मद्मात्य ओम पूर्वाय दक्षिणाय पश्चिमाय उत्तराय अन्नपूर्ण स्थ सर्व जन वश्यं करोति स्वाहा,
प्रात: काल स्नानादि सभी कार्यो से निवृत्त होकर 108 मंत्र का जप करें और अपनी दुकान अथवा कारखाने में चारों कोनों में 10-10 बार मंत्र का उच्चारण करने हुए फूंक मारें, इससे व्यापार की परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी और हानि के स्थान पर लाभ की दृष्टि होने लगेगी,
,,,ओम नम: काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिये व्याली चार बीर भैरों चौरासी बात तो पूजूं मानए मिठाई अब बोली कामी की दुहाई,
वैस तो इसके पंच बाण आते है पर यह एक ही लाभदायक है इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद प्रात: काल स्नान, पूजन, अर्जन आदि से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें और सुविधा अनुसार 7, 14, 21, 28, 35, 42 अथवा 49 मंत्रों का जप करें,इस प्रक्रिया से थोडे दिनों नौकरी अथवा व्यापार के शुभारम्भ की व्यवस्था हो जाएगी,
,,,ओम नम: भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्वकार्य वरदायिनी मम विकट संकटहारिणीय मम मनोरथ पूरणी मम शोक विनाशिनी नम: पद्मावत्यै नम:,
इस मंत्र की सिद्धि करने के बाद मंत्र का प्रयोग किया जाए तो नौकरी अथवा व्यापार की व्यवस्था हो जाएगी। उसमें आने वाले विध्न दूर हो जाएंगे,धूप-दीप जप हवन आदि से पूजन करके प्रात: दोपहर और सायंकाल तीनों संख्याओं मे एक-एक माला का मंत्र जप करें,
कुछ उपाय टोटके धन प्राप्ति के लिए,
 दीपावली के दिन प्रात: व्यक्ति बिना स्नान किए, बिना दातुन किए, एक नारियल को पत्थर से बांधकर नदी या तालाब के जल में डुबो दे और डुबोते समय प्रार्थना करे कि शाम को मैं आपको लक्ष्मी के साथ लेने आऊंगा, सूर्यास्त के बाद उस नारियल को जल से निकालकर ले आवें और लक्ष्मीपूजन के साथ उसकी भी पूजा कर भण्डारगृह या संदूक में रख दें तो पूरे वर्ष असाधारण रूप से धन प्राप्त होता रहता है,
तीन मास में ही धनप्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र मंत्र- यक्षाम कुबेराय वैश्रवणाय, धन-धान्याधिपतये धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा,
विधि- इस मंत्र को 108 बार जपने से तीन मास में ही लाभ होता है,अक्षय भंडार हेतु महालक्ष्मी मंत्र ओम श्रीं ह्रीं क्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:,विधि-शुभ तिथि व शुभ दिन प्रात: जप करना प्रारम्भ कर दें। कम से कम 1100 जप तो अवश्य ही करें,
महालक्ष्मी सिद्ध मंत्र मंत्र-
श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी माई सबकी सवाई आवो चेतो करो भलाई न करो तो सात समुद्रो की दुहाई, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासी सिखों की दुहाई।000 विधि- दुकानदार दुकानें खोले तब महादेव का थडा अर्थात् दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र को प्रथम माला जप लें, धूप-दीप के पश्चात् फिर लेन-देन करें और न्याय-नीति से कारोबार करे, दशांश दान-पुण्य में लगाएं तो सभी प्रकार के सुख-शांति की प्राप्ति हेाती है यदि पहले इस मंत्र का 41 दिन में सवा लाख जप दीप-धूप-पुष्प-फल-नैवेद्यादि विधान से करके फिर एक माला का नित्य जप करे तो लक्षाधिपति बनकर वैभवपूर्ण जीवन का अक्षय सुख प्राप्त करता है,
सिद्ध करने का तरीका रविवार के दिन एक किलो काले उडद अपने सामने रखकर सूर्योदय से सूर्यास्त तक इस मंत्र का नियमित रूप से जप करने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। जब यह मंत्र सिद्ध हो जाए तब उन काले उडदों को लेकर 21 दिन मंत्र पढकर दुकान में बिखेर देवें, इस प्रकार तीन रविवार तक करने पर दुकान की बिक्री दुगुनी-तिगुनी हो जाती है। यह निश्चित है। जैसा कि बताया गया है, शाबर मंत्र सरल भाषा में होते है और आज के अनास्था तथा वैज्ञानिक युग में विश्वास नहीं होता कि ये मंत्र इतने शक्तिशाली है और इन मंत्रों से कार्य सिद्ध किए जा सकते है। परंतु साधकों ने इन मंत्रों को सिद्ध किया है और पूरी तरह से लाभ उठाया है। आप भी चाहें तो इन सत्य को परख सकते है,
धन प्राप्ति हेतु तांत्रिक मंत्र
यह मंत्र महत्वपूर्ण है, इस मंत्र का जप अर्द्धरात्रि को किया जाता है। यह साधना 22 दिन की है और नित्य एक माला जप होना चाहिए। यदि शनिवार या रविवार में इस प्रयोग को प्रारम्भ किया जाए तो ज्यादा उचित रहता है। इसमें व्यक्ति को लाल वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा में प्रयुक्त सभी समान को रंग लेना चाहिए,
दीपावली के दिन भी इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है और कहते हैं कि यदि दीपावली की रात्रि को इस मंत्र को 21 माला फेरें तो उसके व्यापार में उन्नति एवं आर्थिक सफलता प्राप्त होती है।
मंत्र- ओम नमो पदमावती एद्मालये लक्ष्मीदायिनी वांछाभूत प्रेत बिन्ध्यवासिनी सर्व शत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी ऋद्धि-सिद्ध वृद्धि कुरू कुरू स्वाहा, ओम क्लीं श्रीं पद्मावत्यै नम:,
जब अनुष्ठान पूरा हो जाए तो साधक को चाहिए कि वह नित्य इसकी एक माला फेरे ऎसा करने पर उसके आगे के जीवन में निरन्तर उन्नति होती रहती है
धन प्राप्ति का शाबर मंत्र नित्य प्रात: काल दन्त धावन करने के बाद इस मंत्र का 108 बार पाठ करने से व्यापार या किसी अनुकूल तरीके से धन प्राप्ति होती है
मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मामगृहे धन पूरय चिन्ताम्तूरय स्वाहा।
नीचे दिये गये यंत्रों में से किसी भी एक मंत्र को कागज अथवा भोजपत्र पर अष्टगंध अथवा केसर के घोल से लिखकर प्राण-प्रतिष्ठा और पूजा करने के बाद रूपए-पैसे रखने की तिजोरी अथवा जेवरों के डिब्बे में रखें,,नादान बालक की कलम से बाकी फिर कभी देवी माँ लक्ष्मी जी की कृपा आप पर बनी रहेगी व्यापारी और उद्योगपति दीवाली पूजन के बाद दुकान या कार्यालय की दीवार पर सिन्दूर से और बही खातों के प्रथम पृष्ठ पर स्याही से कोई भी एक यंत्र बनाएं और फिर देखें इसका प्रताप,
धन सम्पत्तिवर्द्धक यंत्र रवि पुष्य अथवा गुरू पुष्य के दिन भोजपत्र पर केसर की स्याही और अनार की कलम से निम्नांकित यंत्र लिखकर स्वर्ण के तावीज में रखें और गंगाजल आदि से पवित्र करके दाहिनी बाजू पर बांध लें। इसके प्रभाव से शारीरिक तथा आर्थिक क्षीणता समाप्त होकर, धन और स्वास्थ्य दोनों की वृद्धि होती है। इस तावीज को गले में धारण किया जा सकता है,
धन सम्पदा प्रदायक दूसरा तावीज इस तांत्रिक यंत्र को अनार की कलम द्वारा अष्टगंध स्याही से भोजपत्र पर लिखें और चंदन, पुष्प, धूप-दीप से इसकी पूजा करें पूजनोपरांत एक हजार बार मंत्र का जप करें हवन-सामग्री में घी, चीनी, शहद, खीर और बेलपत्र आवश्यक हैं यह प्रक्रिया किसी शुभ मुहूर्त की शुक्ल द्वितीय को की जानी चाहिए जप के साथ हवन आदि करने से यंत्र की शक्ति बढती है तत्पश्चात् यंत्र को स्वर्ण या चांदी के तावीज में भरकर, लाल या काले धागे की सहायता से दाहिने बाजू या गले में धारण करें ,इस तावीज का प्रभाव अचूक और चिरस्थायी होता है,
धन प्रदायक लक्ष्मी बीसा तावीज
इस यंत्र तावीज को रवि पुष्य नक्षत्र में अनार की कलम के द्वारा भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखें, पीला वस्त्र, पीला आसान एवं पीली माला का प्रयोग करें, पूरब की ओर मुंह रखें, धूप, दीप, फल-फूल और नैवेद्य से यंत्र की नित्य पूजा करें और निम्न मंत्र की एक माला जप करें,ओम श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नम:,यह क्रम सवा दो महीने तक चालू रखें,फिर तिरसठवें दिन चांदी के एक पत्र पर यंत्र को बनाकर, उन बासठ यंत्रों को चांदी के पत्र वाले यंत्र के नीचे रखकर पूजा करें, अब बासठ यंत्रों में से एक यंत्र अपने पास रखें बाकी यंत्रों को आटे की गोलियों में रखकर नदी में बहा दें, जिस यंत्र को पास में रखा था, उसे सोने या चांदी के तावीज में डालकर गले में डालें या फिर बाजू मे धारण करे ओर चमत्कार देखे जहाँ विश्वास ओर आस्था है वहाँ चमत्कार जरूर होते है मित्रो पतीक्षा करे सफलता आपके हाथ मे होगी यही सत्य है ,,,
मित्रो हमारी बातो से कोई सहमत हो या ना हो पुजा विधान पुणे निष्काम ओर पुणे भाव पुणे हो बाकी जैसी आपकी इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा,,
आप सभी को ओर आपके परिवार वालो को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं ओर हार्दिक बधाई माँ बाबा करे आपके दुखो का नाश हो ओर आपके घरो मे लक्ष्मी का वास हो यही माँ बाबा से हमारी प्रार्थना ओर कामना है,,

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,,
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻

Tuesday, November 6, 2018

क्या है नरक (काली) चतुर्दशी ओर रूप चतुर्दशी

आज नरक चतुर्दशी है या रूप चतुर्दशी,,
मित्रो आज के दिन ओर रात्रि मे होती है कई साधनाये ओर पुजा ओर आज के बारे मे कई मान्यताएँ ओर कथाये है पोस्ट काफी लम्बी होनी वाली है शायद दो पार्ट मे करनी पडे सुबह सुबह दे रहे है तो उबटन का टाइम तो निकल जायेगा आप अगली बार तैयारी कर सकते है बाकी आज के पोस्ट मे कुछ प्रचालित कथाये ओर कुछ प्रचालित टोटके है जिनको आप कर सकते है,, ओर जो कार्य आपको नही करने है वो भी,
रूप चौदस पर व्रत रखने का भी अपना महत्व है. मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं. इसमे भी एक कथा है प्राचीन काल में एक नरकासुर नाम का राजा था, जिसने देवताओं की माता अदिति के आभूषण छीन लिए थे, वरुण देवता को छत्र से वंचित कर दिया था, मंदराचल के मणिपर्वत शिखर पर अपना कब्ज़ा कर लिया था,तथा देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं की 16100 कन्याओं का अपहरण कर उन्हें बंदी बना लिया था,कहा जाता हैं कि दुष्ट नरकासुर के अत्याचारों व पापों का नाश करने के लिए श्री कृष्ण जी ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर का वध किया था, और उसके बंदी ग्रह में से कन्याओं को छुड़ा लिया,प्रभु कृष्ण जी ने कन्याओं को नरकासुर के बंधन से तो मुक्त कर दिया ,लेकिन देवताओं का कहना था कि समाज इन्हें स्वीकार नहीं करेगा, इसलिए आप ही इस समस्या का हल बताये ,यह सब सुनकर प्रभु श्री कृष्ण जी ने कन्याओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा की सहायता से सभी कन्याओं से विवाह कर लिया, इसलिए वो उद्धार दाता है समझे,ओर इसी दिन यानि रुप चतुदर्शी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर हल्दी का उबटन लगाना चाहिए ओर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर नहाना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है.
साथ ही रूप चौदस की रात मान्यतानुसार ,,ध्यान देने लायक बात आज के दिन,, घर का सबसे बुजुर्ग पूरे घर में एक दिया जलाकर घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है. इस दिए को यम दीया कहा जाता है ,इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं घर का सदस्य कोई उस दीपक को जलता हुआ ना देखे कुछ दुर रख सकते है, ऐसा माना जाता है कि इस दिए को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती है, यम देवता से दक्षिण दिशा मे मुंह करके अपने ओर अपने परिवार वालो रे लिये पाप मुक्ति के लिए प्रार्थना भी की जा सकती है, ओर माना जाता है कि पापो से मुक्ति मिलती है,
दुसरी कथा के अनुसार कुबेर के संबंध में लोकमानस में एक जनश्रुति प्रचलित है,कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कुबेर चोर थे,चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे,एक बार चोरी करने के लिए एक बाबा भोलेनाथ के मंदिर में घुसे, तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था, उसे ढूंढने पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया,
कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया, जब यह क्रम कई बार चला, तो अपने बाबा यानी भोले बाबा भोले भाले है और बाबा औघड़दानी शंकर जी ने इसे अपनी दीपाराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेरको धनपति होने का आशीष दे डाला,
तीसरी कथा देवी माँ लक्ष्मी इस रात अपनी बहन देवी माँ दरिद्रा के साथ भू-लोक की सैर पर आती हैं, जिस घर में साफ-सफाई और स्वच्छता रहती है, वहां देवी माँ लक्ष्मी अपने कदम रखती हैं और जिस घर में ऐसा नहीं होता वहां दरिद्रा अपना डेरा जमा लेती है,ओर ओर ऐसा भी माना जाता है देवी माँ लक्ष्मी के वाहन उल्लू को दीपावली की रात‍ पान खिलाने से देवी माँ लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर आपको संपूर्ण सुखों का आशीर्वाद देती है,
 चौथी कथा इस प्रकार है, राजा बलि सबसे उदार राजाओं में से एक था,और इस कारण उसने बहुत अधिक प्रसिद्घि हासिल की। लेकिन ये प्रसिद्घि उसके सिर चढ़ कर बोलने लगी आैर वो अभिमानी बन गया, जो भी उसके पास भिक्षा मांगने आता उसका राजा बलि अपमान करने लगे, राजा बलि की इन हरकतों से क्रुद्ध होकर प्रभु श्री हरि विष्णु जी ने उसे सबक सीखाने का निर्णय लिया आैर अपने वामन अवतार में भिक्षा लेने के लिए उस समय राजा के द्वार पहुंचे, जब वो अश्वमेघ यज्ञ का समापन कर रहा था,जब बलि ने उससे उसकी मनचार्इ वस्तु के बारे में पूछा तो उसने तीन पग भूमि दान में मांगी, पहले पग में वामनरूप धारी भगवान ने पूरी पृथ्वी आैर दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया। शेष दान के लिए बलि ने विनम्रतापूर्वक अपना मस्तक आगे रखते हुए प्रभु से अपना सर रखने की प्रार्थना की,राजा बलि के इस कृत्य के कारण उसे मोक्ष की प्राप्ति हुयी या पाताल भेज दिया यही कथा प्रचलित है बाकी माँ बाबा जाने की वो कहाँ है तभी से काली चौदस के दिन को लालच को दूर करने के रूप में भी मनाया जाने लगा,
पांचवी कथा इस प्रकार है, रंतिदेव नामक एक धर्मात्मा राजा थे,रंतिदेव धर्म के कार्य में सदैव आगे रहते थे उन्होंने अपने जीवन काल में कोई भी पाप नहीं किया था जब उनकी मृत्यु का समय निकट आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए. यमदूत को सामने देख राजा रंतिदेव अचंभित हो गए और उन्होंने धर्मराज से कहा कि मैंने तो जीवन में कोई भी पाप नहीं किया है फिर आप मुझे लेने क्यों आए हैं जब भी धर्मराज हम किसी को लेने आते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है , राजा रंतिदेव ने कहा कि आपके यहां आने का मतलब मुझे नर्क में जाना होगा आप बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे यह सजा मिल रही है,यमराज ने राजा रंतिदेव से कहा कि हे राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था यह उसी कर्म का फल है इसके बाद राजा ने यमदूत से 1 वर्ष का समय मांगा  धर्मराज ने राजा रंतिदेव को 1 वर्ष का समय दिया राजा रंतिदेव अपनी समस्या को लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी सारी व्यथा बताई और अपनी समस्या का समाधान पूछा तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन आप व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनके प्रति अपने द्वारा हुए अनचाहे अपराधों के लिए क्षमा याचना करें ऋषियों द्वारा बताए गए उपाय को राजा ने अक्षरशः पालन किया. इस प्रकार राजा अपने पाप से मुक्त हुए और उन्हें नर्क की जगह विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ ,इसलिए नर्क से मुक्ति हेतु कार्तिक चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी के दिन लोग व्रत करते हैं,
छठी कथा इस प्रकार है ,हिरण्यगर्भ नामक राजा ने अपना राज पाठ छोड़कर साधना करने का निश्चय किया और कई वर्षों तक तपस्या की ,परंतु तपस्या के दौरान उनके शरीर पर कीड़े लग गए और उनका शरीर सड़ गया था  हिरण्यगर्भ इस बात से बहुत दुखी हुए और उन्होंने अपनी इस व्यथा को देव ऋषि नारद के समक्ष व्यक्त किया तब देव ऋषि नारद ने उनसे कहा कि आपने साधना के दौरान शरीर की स्थिति सही नहीं रखी थी इसलिए यह आपके ही कर्मों का फल है. तब हिरण्यगर्भ ने इस समस्या का समाधान पूछा तो देव ऋषि नारद ने उनसे कहा कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि के दिन अपने शरीर पर उबटन का लेप लगाकर सूर्योदय के पूर्व स्नान करना. स्नान के पश्चात भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर सौंदर्य के देवता श्री कृष्ण की पूजा कर उनके आरती करना. आपको पुनः आपका सौंदर्य प्राप्त हो जाएगा, हिरण्यगभ ने ऐसा ही किया और अपने शरीर को स्वस्थ किया. इसी कारण इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है,
सातवी कथा इस प्रकार है, एक प्राचीन मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन बाबा हनुमान जी ने देवी माँ अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था, इसलिए सभी दुखों एवं कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए बल और बुद्धि के बाबा हनुमान जी की पूजा की जाती है ,यह उल्लेख महर्षि वाल्मीकि जी की रामायण में मिलता है, इस प्रकार भारतवर्ष में 2 बार बाबा हनुमान जी अवतरण दिवस का अवसर आता है, हिंदू वर्ष के अनुसार चेत्र माह की पूर्णिमा और कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन बाबा हनुमान जी के जन्मदिन के रुप मे  मनाई जाती है, ओर इसी के साथ एक कथा ओर भी प्रचालित है,
प्रभु श्रीराम जी के परम भक्त बाबा हनुमान जी को हर कोर्इ जानता है,जब बाबा हनुमान छोटे यानी बालक थे, तो एक बार उन्होंने प्रभु सूर्यदेव को अद्भुत फल समझकर निगल लिया जिससे पूरे विश्व में अंधेरा छा गया था। सभी देवी आैर देवताओं ने बाबा हनुमान जी से सूर्य को मुक्त करने की प्रार्थना की, लेकिन बाबा बाल हनुमान जी नहीं माने, इस पर देवताओं के राजा इंद्र ने क्रोधित होकर अपने वज्र से हनुमान जी  पर वार किया, जो बाबा हनुमान जी के मुंह पर जाकर लगा आैर इससे प्रभु सूर्यदेव बाहर आ पाए,प्रभु सूर्यदेव के बाहर निकलने के बाद विश्व में एक बार फिर से प्रकाश दिखार्इ देने लगा,लेकिन वज्र के प्रहार से बाबा हनुमान जी मुर्छित भी हो गये थे इसलिए प्रभुपवन देव को गुस्सा भी आ गया था तो उन्होने प्राण वायू समेट ली थी देवताओ ने प्रार्थना की ओर बाबा हनुमान जी को आज के ही दिन नवनिधि ओर अष्टसिद्धि के वरदान मिले थे एक दुनिया का पुन नवजीवन शुरू हुआ था,आज के दिन बजरंग बाण संकट मोचन बाबा की चालीसा सुंदरकांण्ड ओर भी मंत्र है जिनका आप जप कर सकते है संयोग वंश आज मंगलवार भी है,
मित्रो इन दिनों में अंधकार में उजाला किया जाता है, हे मनुष्य ! अपने जीवन में चाहे अंधकार दिखता हो, चाहे जितना नरकासुर अर्थात वासना और अहं का प्रभाव दिखता हो, आप अपने आत्मक़ृष्ण को पुकारना,बाकी आप समझदार है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ओर काली चाैदस का दिन उन लोगाें के लिए भी अधिक महत्व रखता है ,जो तंत्र-मंत्र के क्षेत्र से जुड़े हैं या एेसे गूढ़ विषयों में विशेष रूचि रखते हैं,इस दिन तांत्रिकों आैर अघोरियों को अपनी तांत्रिक क्रियाओं आैर साधना का विशेष फल मिलता है, साथ ही बुरी अात्माओं को दूर भगाने के लिए यह दिन अत्यंत प्रभावकारी माना जाता है,नरक चतुर्दशी की शाम को सभी देवताओं की पूजा करने के बाद तेल के दीपक जलाकर घर के दरवाजे की चोखट के दोनों ओर, सड़क पर तथा अपने कार्यस्थल के प्रवेश द्वारा पर रख दें ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर लक्ष्मी माता का घर में स्थाई निवास होता हैं,यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो आज रात्रि में पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी-नारायणाय नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है,यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीड़ित हो तो आज रात में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर काले धागे में पिरोकर उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेवन कराते रहें। अवश्य लाभ मिलेगा,काली मिर्च के पांच दाने सिर पर से 7 बार वारकर किसी सुनसान चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में एक-एक दाना फेंक दे व पांचवे बचे काली मिर्च के दाने को आसमान की तरफ फेंक दें व बिना पीछे देखे या किसी से बात घर वापिस आ जाए ,जल्दी ही पैसा मिलेगा,निरन्तर अस्वस्थ्य रहने पर आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ व पिसी काली हल्दी को दबाकर खुद पर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें,आज रात के सामी काली मिर्च के 7-8 दाने लेकर उसे घर के किसी कोने में दिए में रखकर जला दे ,घर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी,अगर आपके बच्चे को नजर लग गयी है या बार बार नजर लगती है, तो काले कपड़े में हल्दी (हल्दी की गांठ)को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें,तिल की वस्तुओं, ल आैर घी व शक्कर मिश्रित चावल का प्रसाद अर्पण करें,पूरे दिन माँ काली को समर्पित भक्ति गीत गाए, पूजा के मुहूर्त के दौरान तो खास,स्नान करते समय अपने बालों को भी धोएं आैर आंखों में काजल लगाएं, जिससे कि नकारात्मकता आैर बुरी आत्माएं आपके शरीर से दूर जा सकें, याद रखने लायक बाते, चौराहे पर रखे हुए लाल कपड़े से बंधे मटके, फलाें आैर काली गुड़ियां पर पैर रखने या उसे लांघने से विशेषरूप से बचें, हमारी पोस्ट किसी अंधविश्वास  का समर्थन नही करती है आज कल अंधविश्वासो ओर ढोंगीयो की वजह से हमारे त्योहारो का रंग फीका पडने लगा है इसलिए मित्रो जो भी करे या ये सब करे पुणे विश्वास ओर आस्था के साथ करे सफलता मिलेगी जरूर,,


रूप चतुर्दशी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं ओर हार्दिक बधाई,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,
🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻

इस नवरात्रि को क्या करे और क्या है खास

जय मां बाबा की मित्रों आप सभी को  🌷🌷 *घट स्थापना का शुभ मुहूर्त* 🌷🌷 इस बार नवरात्र 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार से  11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार त...

DMCA.com Protection Status