Sunday, December 12, 2021

मां कालिका रूद्रयामल तन्त्रोक्तं कवच

यह मां कालिका तन्त्रोक्तं कवच है जो रूद्रयामल तंत्र से लिया गया है


विनियोग
ॐ अस्य श्री कालिका कवचस्य भैरव ऋषिः,

अनुष्टुप छंदः, श्री कालिका देवता,

शत्रुसंहारार्थ जपे विनियोगः ।

ध्यानम्

ध्यायेत् कालीं महामायां त्रिनेत्रां बहुरूपिणीं।

चतुर्भुजां ललज्जिह्वां पूर्णचन्द्रनिभाननां।।

नीलोत्पलदलश्यामां शत्रुसंघविदारिणीं।

नरमुण्डं तथा खड्गं कमलं च वरं तथा।।

निर्भयां रक्तवदनां दंष्ट्रालीघोररूपिणीं।

साट्टहासाननां देवी सर्वदा च दिगम्बरीम्।।

शवासनस्थितां कालीं मुण्डमालाविभूषिताम्।

इति ध्यात्वा महाकालीं ततस्तु कवचं पठेत्।।

कवच पाठ प्रारम्भ

ऊँ कालिका घोररूपा सर्वकामप्रदा शुभा ।

सर्वदेवस्तुता देवी शत्रुनाशं करोतु मे ।।

ॐ ह्रीं ह्रीं रूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रां रूपिणीं तथा ।

ह्रां ह्रीं क्षों क्षौं स्वरूपा सा सदा शत्रून विदारयेत् ।।

श्रीं ह्रीं ऐंरूपिणी देवी भवबन्धविमोचिनी।

हुँरूपिणी महाकाली रक्षास्मान् देवि सर्वदा ।।

यया शुम्भो हतो दैत्यो निशुम्भश्च महासुरः।

वैरिनाशाय वंदे तां कालिकां शंकरप्रियाम ।।

ब्राह्मी शैवी वैष्णवी च वाराही नारसिंहिका।

कौमार्यैर्न्द्री च चामुण्डा खादन्तु मम विदिवषः।।

सुरेश्वरी घोर रूपा चण्ड मुण्ड विनाशिनी।

मुण्डमालावृतांगी च सर्वतः पातु मां सदा।।

ह्रीं ह्रीं ह्रीं कालिके घोरे दंष्ट्र व रुधिरप्रिये ।

रुधिरापूर्णवक्त्रे च रुधिरेणावृतस्तनी ।।

“ मम शत्रून् खादय खादय हिंस हिंस मारय मारय

भिन्धि भिन्धि छिन्धि छिन्धि उच्चाटय उच्चाटय

द्रावय द्रावय शोषय शोषय स्वाहा ।

ह्रां ह्रीं कालीकायै मदीय शत्रून् समर्पयामि स्वाहा ।

ऊँ जय जय किरि किरि किटी किटी कट कट मदं

मदं मोहयय मोहय हर हर मम रिपून् ध्वंस ध्वंस भक्षय

भक्षय त्रोटय त्रोटय यातुधानान् चामुण्डे सर्वजनान् राज्ञो

राजपुरुषान् स्त्रियो मम वश्यान् कुरु कुरु तनु तनु धान्यं

धनं मेsश्वान गजान् रत्नानि दिव्यकामिनी: पुत्रान्

राजश्रियं देहि यच्छ क्षां क्षीं क्षूं क्षैं क्षौं क्षः स्वाहा ।”

इत्येतत् कवचं दिव्यं कथितं शम्भुना पुरा ।

ये पठन्ति सदा तेषां ध्रुवं नश्यन्ति शत्रव: ।।

वैरणि: प्रलयं यान्ति व्याधिता वा भवन्ति हि ।

बलहीना: पुत्रहीना: शत्रवस्तस्य सर्वदा ।।

सह्रस्त्रपठनात् सिद्धि: कवचस्य भवेत्तदा ।

तत् कार्याणि च सिद्धयन्ति यथा शंकरभाषितम् ।।

श्मशानांग-र्-मादाय चूर्ण कृत्वा प्रयत्नत: ।

पादोदकेन पिष्ट्वा तल्लिखेल्लोहशलाकया ।।

भूमौ शत्रून् हीनरूपानुत्तराशिरसस्तथा ।

हस्तं दत्तवा तु हृदये कवचं तुं स्वयं पठेत् ।।

शत्रो: प्राणप्रतिष्ठां तु कुर्यान् मन्त्रेण मन्त्रवित् ।

हन्यादस्त्रं प्रहारेण शत्रो ! गच्छ यमक्षयम् ।।

ज्वलदंग-र्-तापेन भवन्ति ज्वरिता भृशम् ।

प्रोञ्छनैर्वामपादेन दरिद्रो भवति ध्रुवम् ।।

वैरिनाश करं प्रोक्तं कवचं वश्यकारकम् ।

परमैश्वर्यदं चैव पुत्र-पुत्रादिवृद्धिदम् ।।

प्रभातसमये चैव पूजाकाले च यत्नत: ।

सायंकाले तथा पाठात् सर्वसिद्धिर्भवेद् ध्रुवम् ।।

शत्रूरूच्चाटनं याति देशाद वा विच्यतो भवेत् ।

प्रश्चात् किं-ग्-करतामेति सत्यं-सत्यं न संशय: ।।

शत्रुनाशकरे देवि सर्वसम्पत्करे शुभे ।

सर्वदेवस्तुते देवि कालिके त्वां नमाम्यहम् ।। 

।। रूद्रयामल तन्त्रोक्तं कालिका कवचं समाप्त:।।

Friday, December 3, 2021

कल है सुर्य ग्रहण और बन रहा है दुर्लभ संयोग

मित्रों जैसा आप जानते हैं कि 4 दिसम्बर को सुर्य ग्रहण है लेकिन इस दिन दुर्लभ संयोग शनिचर अमावस्या का बन रहा है यह ग्रहण साल का अंतिम ग्रहण है ,बीते 15 दिनों के भीतर ये दूसरा ग्रहण है इससे पूर्व वृषभ राशि में कार्तिक पूर्णिमा यानि 19 नवंबर 2021 को लगा था. इसके बाद अब 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण लग रहा है, जिसका भारत में कोई प्रभाव नहीं ,सूर्य ग्रहण के दौरान सूतक काल प्रभावी नहीं होगा, 4 दिसंबर 2021 को लगने वाले सूर्य ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा जा सकता है

या उपछाया ग्रहण ही है ,ये पूर्ण ग्रहण नहीं है, सूतक काल पूर्ण ग्रहण की स्थिति में ही मान्य होता है, पर ग्रहण के दिन शनिवार पड़ रहा है यही दुर्लभ संयोग है, मित्रों मार्गशीर्ष महीने की यह अमावस्या तिथि 3 दिसंबर की दोपहर 04:55 बजे से 4 दिसंबर की दोपहर 01:12 बजे तक रहेगी ,वहीं 4 दिसंबर को लग रहे सूर्य ग्रहण का भारतीय समयानुसार लगभग  सुबह 10:59 से दोपहर के 03:07 बजे तक रहेगा ,और 4 दिसंबर को सूर्य ग्रहण पर शनि अमावस्‍या का दुर्लभ संयोग है , बस मित्रों कुछ बातों का ध्यान रखें  अगर सुतक काल भारत में हो तो सूतक काल ग्रहण से 12 घंटे पूर्व और 12 घंटे बाद के समय को सूतक काल कहा जाता है,जैसे भारत दिखाई नहीं देगा इसलिए यहां पर सूतक काल भी नहीं माना जाएगा, 
हिन्दी पंचांग के मुताबिक मार्गशीर्ष (अगहन) मास कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि का आरंभ 03 दिसंबर की शाम 04 बजकर 55 मिनट से होगा। अमावस्या तिथि 04 दिसंबर 2021 को दोपहर 01 बजकर 12 मिनट तक रहेगी ,
सूर्य ग्रहण के दौरान क्या करें ,
ग्रहण शुरू होने से पहले खुद को शुद्ध कर लें। ग्रहण शुरू होने से पहले स्नान आदि कर लेना शुभ माना जाता है ,
ग्रहण काल में अपने इष्ट देव या देवी की पूजा अर्चना करना शुभ होता है,
सूर्य ग्रहण में दान करना बेहद शुभ माना जाता है। ग्रहण समाप्त होने के बाद घर में गंगा जल का छिड़काव करना चाहिए,
ग्रहण खत्म होने के बाद एक बार फिर स्नान करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा शुभ फलों की प्राप्ति होती है,
ग्रहण काल के दौरान खाने-पीने की चीजों में तुलसी का पत्ता डालना चाहिए,
सनातनी मान्यताओं के अनुसार, ग्रहण के दौरान भोजन या पानी का सेवन नहीं करना चाहिए, कहते हैं कि ऐसा करने से व्यक्ति की पाचन क्षमता कमजोर होती है,जिसके कारण व्यक्ति के बीमार होने की ज्यादा संभावना रहती है, मित्रों कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान कोई भी नया काम या मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से उस काम में असफलता मिलती है, नादान बालक की कलम से आज बस। इतना ही बाकी फिर कभी ग्रहण के दौरान नाखून कांटना, बालों में कंघी करना और दांतों की सफाई करना अशुभ माना जाता है। कहते हैं कि ग्रहण के समय सोना भी नहीं चाहिए,
कहा जाता है कि ग्रहण के दौरान चाकू या धारदार चीजों का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए, कहते हैं कि ऐसा करने से अशुभ फलों की प्राप्ति होती है,
शनि अमावस्या के दिन इस बार सूर्य ग्रहण लग रहा है 4 दिसंबर को शनि अमावस्या है इस दिन शनि देव की विशेष पूजा का संयोग बना है,
जिन लोगों पर शनि की साढ़ेसाती चल रही है उन्हें सरसों के तेल में अपनी परछाईं देखकर दान करना चाहिए, दरवाजे पर काले घोड़े की नाल लगाएं और कुत्ते को रोटी खिलाएं ये आप रोज करे तो अच्छा है (कुत्ते को रोटी खिलाने का कार्य ) और शाम को पश्चिम की ओर तेल का दीपक जलाएं ‘ऊं शं शनैश्चराय नम: मंत्र पढ़ते हुए परिक्रमा करने से लाभ होता है, और मित्रों इस साल 2021 का आखिरी सूर्य ग्रहण अंटार्कटिका, दक्षिण अफ्रीका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अमेरिका में दिखाई पड़ेगा और अगला सुर्य ग्रहण भी यानि साल 2022 का पहला सूर्य ग्रहण भी 30 अप्रैल को लगेगा, ये भी आंशिक ग्रहण होगा, जिसका असर भी  दक्षिणी-पश्चिमी अमेरिका, पेसिफिक अटलांटिक और अंटार्कटिका में देखने को मिलेगा, साल का आखिरी सूर्य ग्रहण वृश्चिक राशि में लग रहा है. इस दौरान वृश्विक राशि वालों को विशेष सावधानी बरतने की जरूरत है चाहे भारत में सुतक हो या ना हो,, मित्रों इस सुर्य ग्रहण से होने वाली पीड़ा , राजनीतिक उथल-पुथल बिमारियों का फैलना कई जगह भुखमरी और प्राकृतिक अपादाओ का आना और कई देशो की सीमाओं पर तनाव और युद्ध की स्थिति हो सकती है इसलिए अपना और अपनो का ख्याल रखे क्योंकि मोसमी बिमारियों के साथ करोना का भी खतरा रहेगा मां बाबा हम सभी को सुरक्षित, निरोगी और और पुणे स्वास्थ्य रखे यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी🙏🏻🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख जगाने🙏🏻🌹

इस नवरात्रि को क्या करे और क्या है खास

जय मां बाबा की मित्रों आप सभी को  🌷🌷 *घट स्थापना का शुभ मुहूर्त* 🌷🌷 इस बार नवरात्र 3 अक्टूबर 2024 गुरुवार से  11 अक्टूबर 2024 शुक्रवार त...

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