Monday, June 27, 2022

गुप्त नवरात्रि कब से है और क्या उपाय करें???

मित्रों आप सभी को जय मां बाबा की आशा है कि मां बाबा की कृपा आप सभी पर बरस रही होगी , मित्रों वेसै तो नवरात्रि साल में चार  बार आती है दो सार्वजनिक दो गुप्त और एक नवरात्रि खरमास यानि मल मास में आती वो पांचवीं नवरात्रि होती है जो शाकंभरी नवरात्रि कहलाती है ये जानकारी संभवता हम नवरात्रि में कहते हैं मित्रों इस नवरात्रि में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं ,, मित्रों गुप्त नवरात्रि में साधक सिद्ध तांत्रिक, मांत्रिक सभी गुप्त सिद्धियां पाने की कोशिश करते हैं और कई विशेष साधना करने का समय होता है वैसे विशेष बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है बाकी काशी के श्मशान भी अपना विशेष महत्व रखते हैं,, बाकी मित्रों गुप्त नवरात्रि में मां महाकाली की गुप्त रुपों की ज्यादा साधनाएं और महत्वपूर्ण बताया गया है कि काली कुल और श्री कुल की साधनाएं अति फलदाई है  जैसे कि आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि का तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना के लिए विशेष महत्व होता है.ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है. इस नवरात्रि में माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022 के पहले दिन यानी 30 जून को गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, आडल योग और विडाल योग बन रहे हैं। इस दिन ध्रुव योग सुबह 09 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र 01:07 ए एम, जुलाई 01 तक रहेगा। इसके अलावा पुष्य नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी योगों को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा में सबसे पहले प्रातः काल स्नान करके घट स्थापना की जाती है. उसके बाद पूजा प्रारंभ की जाती है. गुप्त नवरात्रि में सुबह और शाम की पूजा में मां दुर्गा को बताशे का भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान माता को श्रृंगार के सारे सामान अर्पित किये जाते हैं. दोनों वक्त की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. माता की पूजा के दौरान ओम् दुं दुर्गायै नमः का जाप करें. गुप्त नवरात्रि के दौरान बिना किसी को बताए मां की आराधना की जाती है नादान बालक की कलम से अभी बस इतना ही बाकी फिर कभी  मित्रों सुबह और शाम दोनों वक्त मां की पूजा करना अनिवार्य होता है।
लेकिन मित्रों इस नवरात्रि की साधना संत और साधु समाज खास तौर पर करता है। इस दिन अघोरी और तांत्रिक समाज 9 दिन तक तंत्र शक्ति को जागृत करने के लिए देवी की 10 महाविद्याओं का आह्वान करते हैं। इस नवरात्रि में मां काली के रुपों की पूजा का विधान है। जबकि शारदीय और चैत नवरात्रि में मां दुर्गा के रुप की पूजा की जाती है। इसे गृहस्थ वर्ग भी धूमधाम से करते हैं।

मित्रों विशेष रूप से देवी मां के मंत्रों का जाप करें। यदि आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं। देवी मां के पूजन में साफ-सफाई और पवित्रता का बहुत ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, मंत्र जप में उच्चारण भी एकदम सही होना चाहिए। यदि आप मंत्रों का उच्चारण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं तो किसी ब्राह्मण से मंत्र जप करवा सकते हैं।
 सबसे पहले समय विधान जानते हैं,,
 #गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहूर्त,,
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 29 जून सुबह 8 बजकर 22 मिनट में शुरू
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि समाप्त- 30 जून सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- 30 जून दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त- 30 जून सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
#गुप्त नवरात्रि की तिथियां,,

#पहला दिन : प्रतिपदा तिथि - घटस्थापना और मां शैलपुत्री की  पूजा 

#दूसरा दिन : द्वितीया तिथि - मां ब्रह्मचारिणी पूजा

#तीसरा दिन: तृतीया तिथि - मां चंद्रघंटा की पूजा

#चौथा दिन: चतुर्थी तिथि - मां कूष्मांडा की पूजा

#पांचवा दिन: पंचमी तिथि - मां स्कंदमाता की पूजा

#छठा दिन : षष्ठी तिथि - मां कात्यायनी की पूजा

#सातवां दिन: सप्तमी तिथि - मां कालरात्रि की पूजा

#आठवां दिन: अष्टमी तिथि - मां महागौरी की पूजा

#नौवां दिन: नवमी तिथि - मां सिद्धिदात्री की पूजा

#10 वां दिन- नवरात्रि का पारण हवन जप भैरव पुजा  श्मशान  भैरव जप हवन इत्यादि 
अथवा,,
मां काली
मां तारा
मां त्रिपुर सुंदरी
मां भुवनेश्वरी
मां छिन्नमस्ता
मां त्रिपुर भैरवी
मां धूमावती
मां बगलामुखी
मां मातंगी
मां कमला
इनके निम्न मंत्र है जिनसे आप अपने लिए जो अच्छा लगे उसका जाप और हवन कर सकते हैं,,
ॐ हृीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।।
ऊँ हृीं स्त्रीं हुम फट्‌ ।।
ऐं हृीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः ।।
हृीं भुवनेश्वरीयै हृीं नमः ।।
श्रीं हृीं ऐं वज्र वैरोचानियै हृीं फट स्वाहा।।
ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः।।
ऊँ हृीं बगुलामुखी देव्यै हृीं ओम नमः।।
ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।
#अब कुछ सावधानियां और सरल मंत्र उपाय जो आम साधक या ग्रहस्थ अपने लिए कर सके ,
#सावधानी,, 
मित्रों गलती से भी देवी माँ को नवरात्रि या गुप्त नवरात्रि में तुलसी, आक, मदार और दूब अर्पित ना करें यह हमेशा ध्यान रखें,
गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए।
- मां दर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
-नवरात्रि के दिनों में घर में कलेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से बरकत नहीं होती है।
-नवरात्रि में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए।
- मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए।
- नवरात्रि के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए। 
-घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए।
#उपाय विधान,,
गुप्त नवरात्रि जो आमतौर पर जून-जुलाई के बीच आता है। इस 9-दिवसीय धार्मिक क्रिया के दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का मुख्य तरीका तंत्र विद्या के मंत्रों के साथ देवी के शक्तिशाली आह्वान को मंत्रमुग्ध करना है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है जिसमें धन, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की आराधना शामिल है।
गुप्त नवरात्रि की पूजा शैतानी ताकतों के प्रभाव को खत्म करने के लिए की जाती है? जिसे भक्तों के दिलों से बुराई के डर को दूर करने के लिए शक्तिशाली माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को शक्तिशाली मंत्र और गुप्त तंत्र विद्या व तांत्रिक साधनाओं के रूप में गुप्त पूजा की पेशकश की जाती है, जो भक्तों को सभी इच्छाओं और आशाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्तियां प्राप्त करने में मदद करती हैं।
गुप्त नवरात्रि के दौरान, तंत्र मंत्र साधना में विश्वास करने वाले, अपने गुप्त तांत्रिक क्रियाकलापों के साथ-साथ सामान्य नवरात्रि की तरह ही उपवास करते हैं और अन्य अनुष्ठान करते हैं।
9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाई जाती है।
कलश स्थापन
देवी दुर्गा के सामने दुर्गा सप्तशती मार्ग और मार्खदेव पुराण का पाठ किया जाता है।
नवरात्रि के सभी दिनों में उपवास या सात्विक आहार का सेवन किया जाता है।
गृहस्‍थ लोगों को गुप्‍त नवरात्र में रोजाना कम से कम 11 बार कुंजिकास्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा आप चाहें या फिर आपके पास समय की कमी हो तो 108 बार बीज मंत्र का पाठ करें। इसको करने से आपके घर से सभी प्रकार की नकारात्‍मक शक्तियों का नाश होता है।
यदि आप या आपके परिवार कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता हो तो उसे 108 बार ''ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा श्यामा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते'' मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इससे रोग-द्वेश आदि सब दूर हो जाते हैं।
आर्थिक तंगी या गरीबी की मार झेल रहे लोगों को गुप्त नवरात्र‍ि में किसी भी दिन पीपल के पेड़ के पत्ते पर राम का नाम लिख उसे हनुमान मंदिर में चढ़ा देना चाहिए। 11, 21 या 51 पत्तों पर श्रीराम का नाम लिखना चाहिए। इससे आर्थिक संकट दूर हो जाएगा।
कर्ज से दबे लोग दुर्गाष्‍टमी को मां दुर्गा को 9 लौंग चढ़ाएं और फिर मां काली के दर्शन करें. ऐसे करने से कुछ ही दिन में कर्ज से निजात मिल जाएगी.
गुप्‍त नवरात्र में देवी को प्रसन्‍न करने के लिए रोजाना घी या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं। दीप में कौड़ी रखकर दस दिनों तक देवी की उपासना करें। नवरात्र के अंतिम दिन पूजा के बाद कौड़ी को तिजोरी या अलमारी में श्रद्धा पूर्वक रखें। धन समृद्धि में इजाफा होता है।
गुप्त नवरात्रि में भैरव बाबा के मंदिर का दर्शन जरूर करना चाहिए। ऐसे लोग जिनका रोजगार छिन गया हो अथवा जिनकी नौकरी नहीं लग रही वह नवरात्रि में भैरव मंदिर में प्रार्थना करें और अपनी दुख को दूर करने के लिए आशीर्वाद लें। ऐसा करना उनके दुख को दूर कर देगा।
यदि आपके घर या परिवार पर किसी की बुरी नजर लगी हो तो आपको गुप्त नवरात्र‍ि में हनुमान चालीसा का निरंतर जप करते रहना चाहिए। जिस भी व्यक्ति पर नजर लगी है उसके बाएं पैर पर बजरंग बली को चढ़ाया काजल और माथे पर हनुमान जी का सिंदूर लगाना दें। ऐसा करने से बुरी नजर उतर जाएगी।
व्यापार और नौकरी में सफलता के लिए मंत्र
अपने कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुप्त नवरात्रि में पूजा के दौरान मां दुर्गा के इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। इस मंत्र से आरोग्य, सुख और मान-सम्मान में वृद्धि की मान्यता है-
देहि सौभाग्यम अरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषों जहि।।
धन-दौलत प्राप्ति के लिए मंत्र
ज्योतिष अनुसार जीवन में सुख, वैभव और धन-दौलत की प्राप्ति की कामना रखने वाले व्यक्ति को गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
ते सम्मता जनपदेषु धनानि तेषां तेषां यशांसि न च सीदति धर्मवर्ग:।
धन्यास्त एव निभृतात्मजभृत्यदारा येषां सदाभ्युदयदा भवती प्रसन्ना।।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने जा मंत्र
गुप्त नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा की सुबह-शाम आराधना की जाती है। ऐसे में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों तक सुबह स्नान के बाद दुर्गा माता की विधि-विधान से पूजा करें और फिर इस मंत्र का जाप करें-
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि विपुलां श्रियम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
मित्रों गुप्त नवरात्रि में तंत्र और मंत्र दोनों के माध्यम से शक्ति की साधना की जाती है. तमाम देवी–देवताओं की तरह शक्ति की साधना भी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके लाल रंग के उनी आसन पर बैठकर करें. देवी की पूजा में किए जाने वाले मंत्र जप के लिए अपनी ही माला का प्रयोग करें और उसके गोमुखी के भीतर छिपाकर ही जपें. देवी के मंत्र को लाल चंदन की माला की मदद से अपने मन में ही जपें बाकी जैसा गुरू कृपा या आदेश पर काला आसान काले कपड़े या कहीं कहीं दिगम्बर रुप में भी मां बाबा की साधना की जाती है ,।
विवाह में अड़चन हो रही तो करें ये उपाय 
नवरात्रि के दिनों में शिव-पार्वती का एक चित्र अपने पूजा स्थल में रखें और उनकी विधिवत पूजा कर बाद में नीचे दिए गए हुए मंत्र का 3, 5 या 10 माला का जप करें। जप के पश्चात भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधा को दूर करने की प्रार्थना करें। इस मंत्र के प्रभाव से शीघ्र ही विवाह के योग बन जाते हैं।
ऊँ शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप-विध्वंसनाय, पुरुषार्थ-चतुष्टय-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।
विद्यार्थियों के लिए मंत्र और उपाय प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें। इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है। बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें । जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें। तथा उनके मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें।
अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए
नवरात्रि के दिनों में किसी शिव मंदिर में जाएं पूरे मंदिर में झाड़ू लगाकर उसे साफ करें। वहां शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए अच्छी तरह से अभिषेक करें। तत्पश्चात शुद्ध जल से स्नान करें और शिवजी की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से पूजा-आरती करें। रात में 10 बजे के बाद आम की लकड़ी पर अग्नि प्रज्वलित कर "ऊँ नम: शिवाय" मंत्र का उच्चारण करते हुए 108 आहुति शुद्ध घी से दें। नवरात्रि से आरंभ कर इस विधि को 40 दिनों तक नित्य इसी मंत्र का पांच माला का जप शिव जी के सम्मुख करते रहें। इस क्रिया से आपकी सर्वमनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण होगी।
घर परिवार में रोगादि समस्या के लिए
पति-पत्नी के बीच या घर-परिवार में संबंध अच्छे न हो या रोग घर में बड़ी परेशानी बन गए हों तो नवरात्रि में इस उपाय का प्रयोग करें। नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन स्नान आदि कर नीचे दिए हुए मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें। इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। इसके बाद प्रतिदिन नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस मंत्र का 21 बार जप नियमित करें। संभव हो तो अपने परिवार के सदस्स्यों से भी इस मंत्र का जपकरने के लिए कहें। इससे जीवन भर परिवार में सभी के आपस में संबंध मधुर रहेंगे और स्वास्थ्य सम्बंधित कष्ट दूर रहेंगे। 
सब नर करहिं परस्पर प्रीति। 
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।
अच्छी नौकरी पाने के लिए
नवरात्रि में सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सफेद रंग का ऊनी आसन बिछाकर उस पर अपना मुख पूर्व दिशा की और कर बैठ जाएं। अब अपने सामने पीला वस्त्र बिछाकर उस पर 108 दानों वाली स्फटिक की माला रख दें तथा इस पर केसर और केवड़े का इत्र छिड़ककर माला की पूजा करें। माला को धूप, दीप और अगरबत्ती दिखाकर इस मन्त्र का जाप करें।
ऊं ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा'
इस मंत्र का 108  बार जाप करें। इस प्रकार निरंतर 9 दिन तक जप करने से वह माला सिद्ध हो जाएगी। इसके बाद आपको जब भी किसी साक्षात्कार (इंटरव्यू) देने जाना हो या किसी विशेष से भेंट करने जाना हो तो इस माला को धारण कर जाएं। ऐसा करने से साक्षात्कार (इंटरव्यू) या अन्य किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त हो जाएगी।
आर्थिक लाभ के लिए
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन आप किसी शांति वाले स्थान पर उत्तर दिशा की ओर अपना मुख कर पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने तिल के तेल से 9 दीपक जलाएं और उन दीयों में इतना तेल हो जब तक आप साधना कर रहे हो तब तक दीये जलते रहें। इन 9 दीयों के सामने लाल चावल बिछाकर उस पर श्रीयंत्र रखें। इस श्रीयंत्र की कुमकुम, फूल, धूप तथा दीप से पूजा करें। इस कार्य के बाद एक तांबे की प्लेट पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उसकी पूजा करें। तबश्रीयंत्र को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित कर दें तथा शेष बची पूजा सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से आपको शीघ्र ही आकस्मिक धन लाभ प्राप्त होगा।
धन की प्राप्ति का मंत्र और उपाय नवरात्रि में देवी के विशेष मंत्र का जप करने से धन की प्राप्ति होती है। मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् "

माताओं बहनों के विशेष कष्ट निवारण का मंत्र और उपाय जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे महिलाएं नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दीया जलायें और कुमकुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय मंत्र का जाप करें।
मंत्र "अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले " भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है। माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु माघ मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें। तथा मंत्र का जाप करें।
मंत्र " ॐ ह्रीं गौरये नमः " मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें। महिलाएं गुप्त नवरात्रि के दौरान गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ ओर रोटी खिलाएं।
शत्रु को मित्र बनाने का मंत्र और उपाय नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियां प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है। इसीलिए नवरात्रि में स्नानादि से निवृत्त हो तिलक लगाकर एवं दीपक जलाकर मां भगवती के बीज मंत्र का इक्कीस माला जप करें एवं 'श्री गुरुगीता' का पाठ करें तो शत्रु भी उसके मित्र बन जाएंगे।
हर तरह के धन लाभ के लिए-
- गुप्त नवरात्रि में प्रातः और सायंकाल दोनों वेला मां दुर्गा की पूजा करें.
- प्रातः उन्हें सफ़ेद फूल अर्पित करें और शाम को लाल फूल.
- दोनों वेला एक विशेष मंत्र का 108 बार जप करें.
- मंत्र होगा - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट्‍ स्वाहा ॥
- नवमी के दिन किसी निर्धन बालिका को वस्त्र और उपहार देकर आशीर्वाद लें
अगर कर्ज की समस्या से परेशान हों-
- गुप्त नवरात्रि में नित्य प्रातः मां दुर्गा की पूजा करें.
- नित्य प्रातः उनको लाल फूल अर्पित करें.
- इसके बाद उनके सामने सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें.
- पाठ के बाद कर्ज मुक्ति की प्रार्थना करें.
- निश्चित रूप से कर्ज से मुक्ति मिलेगी.
अगर कारोबार में धन न आ रहा हो-
- गुप्त नवरात्रि में रोज शाम मां लक्ष्मी की पूजा करें.
- मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं.
- उनके सामने श्रीसूक्तम का पाठ करें.
- गुप्त नवरात्रि में किसी भी दिन कच्चा सूत हल्दी से रंगकर पीला कर लें.
- इसे मां लक्ष्मी को समर्पित करके अपने गल्ले में रख लें.
- धन का आगमन ठीक हो जाएगा.
अगर नौकरी में धन न मिल पा रहा हो-
- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें.
- मां को लाल कपडे में रखकर दो लौंग पूरे नौ दिन चढ़ाएं.
- हर दिन कपूर से उनकी आरती करें.
- नवरात्रि समाप्त हो जाने पर सारी लौंग लाल कपडे में बांधकर सुरक्षित रख लें.
- धन की समस्याएं दूर होंगी.
मां दुर्गा को सदैव लाल रंग का पुष्प ही चढ़ाएं ,मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रूीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें।
गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं। ऐसा करने से आपकी पूजा और ज्यादा सफल होगी।
दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं
सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें।
देवी का अभिषेक इत्र मिले जल से करें। इस उपाय से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
एक पान पर गुलाब का एक फूल रखकर देवी दुर्गा को चढ़ाएं। इस उपाय से महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। ध्यान रखें दुर्गा पूजा लाल आसन पर बैठकर करनी चाहिए।
मित्रों हमेशा ध्यान रहे कभी भी शुक्रवार को देवी पूजा करते समय हार-फूल, प्रसाद, कुमकुम, चंदन, चावल आदि पूजन सामग्री के साथ ही शहद और इत्र अनिवार्य रूप से चढ़ाना चाहिए। शहद और इत्र चढ़ाने से देवी मां की कृपा सदैव बनी रहती है और भक्त का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है।
मित्रों गुप्त नवरात्रि का व्रत माँ दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत ख़ास होता है। मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि का व्रत शक्ति साधना, क्रियाएं, तांत्रिक और मंत्रों को साधने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत को रखने से मनुष्य निरोगी होता है। सच्चे मन से देवी दुर्गा की पूजा करने से माँ दुर्गा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गुप्त नवरात्रि में ज्योतिष उपाय और वास्तु उपाय भी काफी फायदेमंद माने गए हैं।  इसलिए हमने यहां आपकी जानकारी के सरल रुप में समझाया है पर जो भी करें गुरु इष्ट से भेद नहीं होता दुसरो के सामने सार्वजनिक नहीं होता इसलिए दुसरो से गुप्त ही रखे बाकी निष्फल की प्राप्ति होती है धन्यवाद लेख अच्छा लगा हो तो कमेंट और शेयर करे कुछ समझ में नहीं आता हो तो दिन में बारह बजे से शाम पांच बजे तक कोल कर सकते हैं 8619838103 वाट्सअप पर मैसेज कर सकते हैं 9829026579 नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मां बाबा आपको सर्वदा खुश रखे और सफलता प्रदान करे यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है,, 🌹🙏
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,, 🙏🌹🙏

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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