Monday, January 13, 2025

मकर संक्रांति को कौन सा मुहुर्त है और क्या दान करें ??

आप सभी सम्मानित धर्म प्रेमियों और देशवासियों को
        पावनपर्व मकरसंक्रांति- १४ जनवरी २०२५
                 की असीम एवं हार्दिक शुभकामनाएं....... !


मकर संक्रांति का पर्व सनातनी हिन्दुओं का प्रमुख एवं प्रसिद्ध त्यौहार है जो भारत के कई हिस्सों में मनाया जाता है। यह पर्व मुख्य रूप से भगवान सूर्य को समर्पित होता है। मकर संक्रांति के दिन दान-पुण्य करने का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार, यदि इस संक्रांति के शुरूआती छह घंटे के भीतर दान-पुण्य किया जाए तो वो फलदायी होता है। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में वर्णित है कि दान सदैव अपनी कमाई से ही करना चाहिए, क्योंकि ऐसी मान्यता है कि दूसरों को सताकर या दुख देकर कमाए गए धन से दान करने पर कभी भी फल की प्राप्ति नहीं होती है। मकर संक्रांति का त्यौहार किसानों के लिए भी विशेष होता है। 

मकर संक्रांति 2025 शुभ मुहूर्त नक्षत्र मंत्र इत्यादि,,
ब्रह्म मुहूर्त: 05:27 ए एम से 06:21 ए एम
अभिजीत मुहूर्त: 12:09 पी एम से 12:51 पी एम
अमृत काल: 07:55 ए एम से 09:29 ए एम
विजय मुहूर्त: 02:15 पी एम से 02:57 पी एम

नया साल आने में अब कुछ ही दिन बाकी हैं। नए साल के साथ लोगों को आने वाले त्योहारों का भी बेसब्री से इंतजार रहता है। ऐसे में मकर संक्रांति के त्योहार को लोग खूब हर्षोल्लास के साथ मनाते हैं। इसे हिंदू धर्म के खास त्योहार में से एक माना जाता है, जो नए साल का पहला पर्व होता है। सूर्यदेव जब शनि की राशि मकर में गोचर करते हैं, उसी दिन मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

यूं तो हर महीने में संक्रांति तिथि आती है, लेकिन मकर संक्रांति को सबसे ज्यादा विशेषता दी जाती है। यह पर्व देशभर में अलग- अलग अंदाज में मनाया जाता है। मकर संक्रांति के दिन गंगा स्नान और दान का विशेष महत्व बताया गया है। इस दिन दान करने से उत्तम फल की प्राप्ति होती है। साल २०२५ में मकर संक्रांति की तिथि को लेकर लोगों के मन में दुविधा है। आइए जानते हैं कि साल २०२५ में मकर संक्रांति १४ जनवरी को मनाई जायेगी या १५ जनवरी को-

मकर संक्रांति २०२५ गंगा स्नान शुभ मुहूर्त-
आमतौर पर मकर संक्रांति का त्योहार १४ जनवरी को ही मनाया जाता है, लेकिन कई बार १४ या १५ तारीख को लेकर दुविधा हो जाती है। हालांकि इस साल यानी २०२५ में मकर संक्रांति का पर्व १४ जनवरी २०२५ को ही मनाया जाएगा।

इस दिन गंगा स्नान और दान का शुभ मुहूर्त सुबह ०९:०३ बजे से लेकर शाम ०५:४६ बजे तक रहने वाला है। इस शुभ मुहूर्त में गंगा स्नान और दान करने से विशेष लाभ मिलते हैं। इस पुण्य काल की अवधि ०८ घंटे ४२ मिनट रहने वाली है।

मकर संक्रांति २०२५ का महा पुण्य काल-
साल २०२५ में मकर संक्रांति के दिन १४ जनवरी को सुबह ०९:०३ बजे से लेकर सुबह १०:४८ बजे तक महा पुण्य काल रहेगा। इस मुहूर्त में पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

मकर संक्रांति का महत्व-
हिंदू धर्म में मकर संक्रांति का त्योहार खास महत्व रखता है। धार्मिक मान्यता के अनुसार इस दिन ग्रहों के राजकुमार सूर्य देव शनि की राशि मकर में प्रवेश करते हैं और इस दिन सूर्य उत्तरायण होते हैं। मकर संक्रांति के दिन तिल का दान करना बहुत ही शुभ माना जाता है।

श्रीमद्भगवद्गीता में उत्तरायण के समय को सकारात्मकता का प्रतीक बताया गया है। जिन लोगों का देह त्याग उत्तरायण के समय में होता है उनको ब्रह्म गति की प्राप्ति होती है।

मकर संक्रांति का धार्मिक महत्व-
धार्मिक दृष्टि से भी मकर संक्रांति का अत्यधिक महत्व है। हिन्दू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस दिन भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। जैसाकि शनि ग्रह मकर और कुंभ राशि के स्वामी है इसलिए मकर संक्रांति का पर्व पिता-पुत्र के मिलन से भी सम्बंधित है। मकर संक्रांति के दिन तीर्थ स्थानों पर पवित्र स्नान करने का काफी महत्व होता है।

शास्त्रों में दक्षिणायन को नकारात्मकता और उत्तरायण को सकारात्मकता का प्रतीक माना गया है। श्रीभगवद्गीता के अध्याय ८ में भगवान कृष्ण ने कहा हैं कि उत्तरायण के छह माह के दौरान देह त्यागने से ब्रह्मगति प्राप्त होती हैं जबकि दक्षिणायन के छह महीने में देह त्यागने वाले मनुष्य को संसार में पुनः जन्म-मृत्यु के चक्र की प्राप्ति होती हैं।

मकर संक्रांति का ज्योतिषीय महत्व-
मकर संक्रांति का पर्व सामान्यतः १४ जनवरी को मनाया जाता है। इस दिन जब पौष माह में सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है या दक्षिणायन से उत्तरायण होता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाते है। सूर्य का एक राशि से दूसरी राशि मे प्रवेश करने को संक्रांति कहते है। भारतीय ज्योतिष के अनुसार, जनवरी महीने में प्रायः १४ तारीख को जब सूर्य धनु राशि से (दक्षिणायन) मकर राशि में प्रवेश कर उत्तरायण होता है तो मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है।

हिंदू त्यौहारों की गणना अधिकतर चंद्र आधारित पंचांग के आधार पर होती है लेकिन मकर संक्रांति को सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना द्वारा मनाया जाता है। इस दिन से ही ऋतु में परिवर्तन होना शुरू हो जाता है। शरद ऋतु धीरे-धीरे कम होने लगती है और बसंत ऋतु का आरम्भ हो जाता है। इसके परिणामस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।

देश के विभिन्न प्रांतों में मकर संक्रांति का त्यौहार मनाने का प्रकार- 
मकर संक्रांति के त्यौहार को नई ऋतु और नई फसल के आगमन के रूप में भी किसानों द्वारा उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन देश के कई राज्यों जैसे यूपी, पंजाब, बिहार सहित तमिलनाडु में नई फसल की कटाई की जाती है, इसलिए किसान द्वारा मकर संक्रांति के पर्व को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं। 

खेतों में धान की लहलहाती फसल किसानों को उनकी मेहनत के परिणामस्वरूप प्राप्त होती है जो ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से ही संभव होता है। मकर संक्रांति पंजाब और जम्मू-कश्मीर में ’लोहड़ी’ के नाम से प्रसिद्ध है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति को ’पोंगल’ के रूप में मनाया जाता है, वहीं यह पर्व उत्तर प्रदेश और बिहार में ’खिचड़ी’ के नाम से जाना जाता है। इस दिन मकर संक्रांति पर कहीं-कहीं खिचड़ी बनाते है तो कहीं दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाये जाते हैं।

लोहड़ी-
मकर संक्रांति के दिन सहित उत्तर भारत पंजाब में लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है जो फसलों की कटाई करने के बाद १३ जनवरी को मनाई जाती है। संध्याकाल पर अलाव जलाकर अग्नि को तिल, गुड़ और मक्का का भोग लगाया जाता है।

पोंगल-
दक्षिण भारत का प्रमुख हिन्दू त्यौहार है पोंगल जो मुख्य रूप से केरल, तमिलनाडु और आंध्रप्रदेश में मनाया जाता है। यह पर्व विशेष रूप से किसानों का होता है। इस अवसर पर धान की कटाई करने के बाद लोग अपनी खुशी प्रकट करने के लिए पोंगल मनाते हैं। पोंगल को ’तइ’ नामक तमिल माह की पहली तारीख अर्थात जनवरी की १४ तारीख को मनाया जाता है। तीन दिनों तक निरंतर चलने वाला पर्व सूर्य देव और इंद्र देव को समर्पित होता है। पोंगल के त्यौहार द्वारा समस्त किसान उपजाऊ भूमि, अच्छी बारिश एवं फसल के लिए ईश्वर का धन्यवाद प्रकट करते हैं। 

उत्तरायण-
गुजरात में उत्तरायण को विशेष रूप से मनाया जाता है। नई फसल और ऋतु के आगमन की ख़ुशी में इस पर्व को १४ और १५ जनवरी को मनाया जाता है। मकर संक्रांति के अवसर पर गुजरात में पतंग उड़ाने की परंपरा है और इस दिन यहाँ पर पतंग महोत्सव का आयोजन भी होता है। उत्तरायण के दिन व्रत भी किया जाता है और तिल व मूंगफली दाने की चक्की बनाने की परंपरा है।

बिहू-
माघ माह की संक्रांति के प्रथम दिन से माघ बिहू अर्थात भोगाली बिहू का त्यौहार मनाया जाता है। यह मुख्य रूप से फसल की कटाई का पर्व है। बिहू के अवसर पर कई तरह के पकवान बनाकर खाये और खिलाये जाते हैं। भोगाली बिहू के दिन अलाव जलाकर तिल और नरियल से बने व्यंजन से अग्नि देवता को भोग लगाए जाते हैं। 

मकर संक्रांति से जुड़ें रीति-रिवाज़-
मकर संक्रांति के दिन आसमान रंग-बिरंगी पतंगों से भर जाता है। इस दिन विशेष रूप से पतंग महोत्सव आयोजित किये जाते है।

अग्नि के आसपास लोक गीत पर नृत्य किया जाता है जिसे आंध्र प्रदेश में "भोगी", पंजाब में "लोहड़ी" और असम में "मेजी" केहते है। इस दिन धान और गन्ना आदि फसलों की कटाई की जाती है।

मकर संक्रांति पर पवित्र नदियों, विशेष रूप से गंगा, यमुना, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी में स्नान करना शुभ होता हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन स्नान से पूर्व जन्मों के पापों का नाश होता है।

इस दिन सफलता और समृद्धि के लिए भगवान सूर्य की आराधना की जाती है जिन्हें ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। मकर संक्रांति पर "कुंभ मेला", "गंगासागर मेला" और "मकर मेला" आदि आयोजित किए जाते हैं।

मकर संक्रांति के दिन किया जाने वाला दान-
मकर संक्रांति के दिन ब्राह्माणों को तिल से बनी चीजों का दान करना पुण्यकारी माना गया है। इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को कंबल का दान करना बेहद शुभ होता है। मकर संक्रांति पर खिचड़ी दान का विशेष महत्व होता है। इस दिन खिचड़ी के दान से शुभ फलों की प्राप्ति होती है।

घी: मकर संक्रांति के दिन शुद्ध घी का दान करने से करियर में लाभ और भौतिक सुखों की प्राप्ति होती है। इस दिन गुड़ के दान से नवग्रह से जुड़ें दोष दूर हो जाते है।

मकर संक्रांति शुभकामनाओं का महत्व-
मकर संक्रांति केवल पतंगबाजी और तिल-गुड़ की मिठास तक सीमित नहीं है। यह दिन सकारात्मकता, धन्यवाद और खुशी फैलाने का है। दिल से दी गई शुभकामनाएं अपनों के साथ संबंधों को और मजबूत करती हैं और त्योहार की असली भावना को दर्शाती हैं।

अंत में भगवान सूरज की किरणें आपके जीवन में शांति, समृद्धि और सकारात्मकता लाएं। यह मकर संक्रांति आपके जीवन को अपार खुशी, प्रेम और सुख से भर दे।
भौम पुष्य योग में मकर संक्रांति 2025

मकर संक्रांति पर 19 साल बाद दुर्लभ भौम पुष्य योग बन रहा है. जिस मंगलवार के दिन पुष्य नक्षत्र होता है, उस दिन भौम पुष्य नक्षत्र होता है. मंगल को भौम भी कहा जाता है. मकर संक्रांति के अवसर पर भौम पुष्य योग सुबह 10 बजकर 17 मिनट से पूरे दिन रहेगा.
मकर संक्रांति 2025 पूजा सामग्री

1. काले तिल, गुड़ या काले तिल के लड्डू2. दान देने के लिए अन्न में चावल, दाल, सब्जी या खिचड़ी, तिल, तिल के लड्डू, गुड़ आदि.3. गाय का घी, सप्तधान्य यानी 7 प्रकार के अनाज या फिर गेहूं4. तांबे का लोटा, लाल चंदन, लाल कपड़ा, लाल फूल और फल5. एक दीप, धूप, कपूर, नैवेद्य, गंध आदि6. सूर्य चालीसा, सूर्य आरती और आदित्य हृदय स्तोत्र की पुस्तक इत्यादि,

मकर संक्रांति 2025 सूर्य पूजा मंत्र
1. ओम ह्रां ह्रीं ह्रौं सः सूर्याय नमः

2. ओम ऐहि सूर्य सहस्त्रांशों तेजो राशे जगत्पते,अनुकंपयेमां भक्त्या, गृहाणार्घय दिवाकर:.

मकर संक्रांति का स्नान और दान कब करें?
14 जनवरी को मकर संक्रांति का स्नान और दान आपको महा पुण्य काल में सुबह 9:03 बजे से सुबह 10:48 बजे के बीच कर लेना चाहिए. यदि किसी कारणवश आप इस समय में स्नान और दान नहीं कर पा रहे हैं तो आप पुण्य काल में सुबह 9:03 बजे से शाम 5:46 बजे के बीच कभी भी कर लें.

।। आप सभी धर्म प्रेमियों और स्नेहीजनों को पावनपर्व मकरसंक्रांति की हार्दिक शुभकामनाएं ।।
🙏🏻आपका दिन मंगलमय हो 🙏🏻
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जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻🌹🙏🏻


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