Saturday, December 19, 2015

सिद्ध शाबर मंत्र

सम्पूर्ण तन्त्र शास्त्रों के प्रणेता भगवान शंकर ही माने जाते हैं। शाबर तंत्र का उद्भव भी उन्हीं भोले नाथ के मुख से ही हुआ है। ये मंत्र अंचलीय अथवा ग्रामीण भाषा में होते हैं। प्रायः देखने में आता है कि इनका कोई अर्थ उद्भाषित नहीं होता है, लेकिन इनका प्रभाव बहुत सटीक होता है।
वैदिक मंत्रों की भांति इनमें बहुत लम्बा अनुष्ठान करने की आवश्यकता नहीं होती है। इन्हें किसी विशिष्ट काल में थोड़े ही संख्या में जप करने से कार्य पूर्ण हो जाता है। इनकी साधना हेतु साधक को अल्प अवधि में, थोडे़ से परिश्रम से सिद्धि प्राप्त हो जाती है। मंत्रों की सरलता और सुगमता होने के साथ-साथ ही इनमें परम चमत्कारी गुण भी विद्यमान हैं। इनमें विभिन्न प्रांतों के क्षेत्रीय भाषाओं में षट्कर्मो, जैसे- शांतिकरण , वशीकरण, आकर्षण, उच्चाटन, विद्वेषण तथा मारण कर्मों के विधानों का उल्लेख आता है, जो साधकों के लिए वरदान स्वरूप प्रतीत होते हैं।
शाबर मंत्रों की साधना में गुरू का महत्वपूर्ण स्थान होता है। इसके अतिरिक्त इसमें सम्बन्धित साधक अथवा देवी-देवता को सौगंध देकर कार्य पूर्ण कराने का भी विधान है। इसी लिए मंत्रों के अन्त में ‘मेरी भक्ति गुरू की शक्ति अथवा ‘लोनी चमारी की आन’ जैसे वाक्य जुड़े होते हैं।
कुछ साधक पुस्तकों अथवा किन्हीं अन्य श्रोतों से मंत्र प्राप्त करके सीधे जप आरम्भ कर देते हैं, यह उचित नहीं है। कुछ मंत्र इतने प्रभावशाली होते हैं, जो साधक के लिए जी का जंजाल बन जाते हैं। अतः मेरा परामर्श है कि जब भी इन मंत्रों की साधना करें अपने गुरू से परामर्श अवश्य लें और उनके निर्देषानुसार ही साधना आरम्भ करें।


1॰ “ॐनमो रुद्रायकपिलायभैरवायत्रिलोक-नाथाय ह्रीं फट् स्वाहा।

विधिः- -: सर्व-प्रथम किसी रविवार को दीपक, गुग्गुलधूप सहित उपर्युक्त मन्त्र का पन्द्रह हजार  जप कर उसे सिद्ध करे। फिर आवश्यकतानुसार  इस मन्त्र का 108, 108 बार जप कर एक लौंग को अभिमन्त्रित लौंग कोसाध्य को खिलाए


2॰ “ नमो काला गोरा भैरुं वीरपर-नारी सूँ देही सीर। गुड़ परिदीयी गोरख जाणीगुद्दी पकड़ दे भैंरु आणीगुड़रक्त काधरि ग्रासकदे  छोड़े मेरा पाश। जीवत सवै देवरोमूआ सेवै मसाण। पकड़ पलना ल्यावे। काला भैंरु  लावैतो अक्षर देवीकालिका की आण। फुरो मन्त्रईश्वरी वाचा।

विधिः-  21,000 जप। आवश्यकता पड़ने पर 21 बार गुड़ को अभिमन्त्रितकर, जिसे वशीभूत करना होउसे खिलाए
3॰ “ भ्रां भ्रां भूँ भैरवाय स्वाहा।  भं भं भं अमुक-मोहनाय स्वाहा।

विधिः-:- उक्त मन्त्र को सात बार पढ़कर पीपल के पत्ते को अभिमन्त्रित करे। फिर मन्त्र को उस पत्ते  पर लिखकरजिसका वशीकरण करना होघर के पिछवाड़े गाड़ दे। या  उसके घर में फेंक देवे।यही क्रिया फुरहठ’ या  छितवन’ के पत्ते द्वारा भी हो सकती है।

4-: बारा राखौबरैनीमूँह  राखौं कालिका। चण्डी  राखौं मोहिनीभुजा  राखौं जोहनी। आगू राखौं सिलेमानपाछे  राखौं जमादार। जाँघे  राखौं लोहा के झारपिण्डरी  राखौं सोखन वीर। उल्टन कायापुल्टन वीर,हाँक देत हनुमन्ता छुटे। राजा राम के परे दोहाईहनुमान के पीड़ा चौकी। कीर करे बीट बिरा करेमोहिनी-जोहिनी सातोंबहिनी। मोह देबे जोह देबेचलत  परिहारिन मोहों। मोहों बन के हाथीबत्तीस मन्दिर के दरबार मोहों। हाँक परे भिरहामोहिनी के जायचेत सम्हार के। सत गुरु साहेब।

विधियह  मन्त्र स्वयं सिद्ध है तथा एक गुरु के द्वारा अनुभूत प्रयोग में दिया गया है। कभी भी समय में 108 बार जप करने से विशेष फल मिलता है । गुड़, नींबू, , सिन्दूर, अगर-बत्ती और नारियल  का भोग लगाकर 108 बार मन्त्र का जप करो । यहे जप रुद्राक्ष की माला पैर होने से परिणाम और बी अचे आते है ..

फायदे: मुकदमा-विवाद, कोर्ट-कचहरीशत्रु-वशीकरणआपसी कलहइण्टरव्यू,  नौकरीउच्च अधीकारियों सेसम्पर्क करते समय करे। मन्त्र का जप इस प्रकार करते हुए जाय की मन्त्र की पूर्णता ठीक इच्छित व्यक्ति के एक दम सामने हो।

5-सम्भोग सुख वशीकरण
ऐं सहवल्लरी क्लीं कर क्लीं कर पिसाच
अमुकीं काम ग्राहा, स्वपने मम रूपे नखै
विदारय विदारय, द्रावय, द्रावय रद महेन
बन्धय बन्धय श्रीं फट्
विधि : मध्य रात्रि के समय सारे कपडे उतार कर, उत्तर दिशा कि तरफ मुख कर के इस मंत्र का पाठ करना है। जप करते समय अमुकी के स्थान पर अभिलाषित लड़की और स्त्री का नाम लें।

ध्यान रखें: इस जप को जपते समय आपको अपने आप को पूर्ण रूप से कामुक कर लेना है तभी ये सफल होगा। इस क्रिया से आपको जल्दी ही मनचाही स्त्री प्राप्त होगी।


अवधि : इस को कुल 21 दिनों तक करना है। और सूर्यादय से पहले ये करना है। प्रतिदिन 3 माला जपना है। सफलता आपके हाथ में होगी।


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