Thursday, September 29, 2016

स्वकार्य निवारण मंत्र



 ॐ नमो आदेश गुरु गौरखनाथ का आदेश ॐ ह्रीं कात्यानी महामाये महायोगनयधीश्वरी ,कपाल राखे कुमारिका भवनेश्वरी त्रिपुरा बाला कामराजा पार्वती प्राणनाथ छत्रपति नवकोटी कात्यायनी त्रिपुरसुन्दरी ज्वालामुखी तारा तोमरी देवी कलिका भवानी देवी कामक्षा पंच्चौं बैठे ललाट चंदन केरा तिलक । वीरी हमारी लात बाऊ वीर हनुमन्त जे तज्यो मन चिन्त्यो सो साजे हिवाऊं तेहि मोकू गुरु की सगत ।चौसट योगिनी बाऊन भैरव की हाक चले,रक्षा करे वर दहि महामाये नमस्ते शंकर प्रिय ।मम सिद्धिं देहि देवि कालि ब्रह्ममयी सदा।
सर्व कार्य सवारनी सर्व दिशाऔ रक्षणी कहे पुखराज जैसे सवारा था काम राधाकृष्ण का ।
वैसे सवारो काज हमारा गणेश की माई करो रक्षा हमारी सर्वदिशाऔ से शेरो वाली माई ।नही तो काली कामक्षा की दूहाई दुहाई महायगिनी कृष्ण काली की। मेरी भक्ति गुरु की शक्ति मंत्र सांचा फुरो मंत्र ईश्वर वाचा।।                      
 इस मंत्र का जपने से पहले गोरख गायत्री का पाठ करे ।।                      
फिर इस मंत्र को जाग्रत करने के लिये इस मंत्र का पाठ जरूर करे।।                      
 गुरु सठ गुरु सठ गुरु है वीर गुरु साहब सुमरेरौं बडी भातं सिंगी टोरों बन कहां मन नाऊँ करतार सकल गुरु की हर भजे घट्रटा पाकर उठ जाग चेत सम्हार श्री परमहंस।।                      
: विधी सामग्री ।।जपने का समय ।।रात्रि नौ से बारह ।।एक से चार बजे तक जौ आप का अनुकूल समय लेगे वो ।।                      
माला रूद्राक्ष या स्पेटिक ।।आसन ऊनी या कुशा ।।मिठाई मे मक्खन और कुछ मावे की मीठाई इंत्र की शीशी इक्कीस माला रोज इकतालीस दिन रोज जप पुरे होते ही माँ को भौग लगाये और राधा कृष्ण का मक्खन का भोग लगाये ।।                      
: जिनके कोई गुरु नही है आसन पर बैठने से पहले अपने इष्ठदेव का नाम पढते हूये अपने चारो और कार लगा दे और जिनके गुरु है और गुरु मंत्र है तो वो गुरु मंत्र का जाप जरूर कर ले और सुरक्षा मंत्र से कार जरूर लगा और जिनके गुरु नही है वो अपनी जन्म देने वाली माँ को गुरु माना के जप कर सकते है बिना मन मे मैल रखते हुये। ।                      
: इक्कीस माला पुरी होते अपने शरीर पर फुक मारे इससे आपके शरीर के साथ आत्म की भी रक्षा होगी ।।इक्तीलीस दिन बाद मंत्र सिद्ध हो जायेगा जिससे आप अपने घर पर इससे अभिमत्रित जल या कीलो से अपने या अपने परिवार दूकान घर या खुद की सुरक्षा कर सकते है                      
 ये मंत्र अपने आप मे कोई रहस्य लिये हुये जैसे जैसे सिद्ध होगा आपको अपने अन्दर शक्ति का संचार महसुस. होगा पुणे श्रद्धा के साथ करे पुणे फलदायी होगा मंत्र के साथ कोई छेड़ छाड ना करे वरना अहित भी हो सकता है..

Wednesday, September 28, 2016

क्या है कामया सिंदूर


आज कल कुछ गुर्पो  मे और ब्लोगों मे कामया सिन्दूर के बारे बताया जा रहा है कि यहां मिलता है जबकि उसका प्रयोग का उनको पता नही कामया सिन्दूर के नाम से सिम्पल सिन्दूर बेचा जा रहा है ना समझ लोग पता ऐसे ढोंगीयो के चक्कर मे कैसे आ जाते है कामया सिंदूर सिद्ध किया जाता है पर वो कैसे सिद्ध होगा क्या उनको पता है अगर वो खुद कामया सिद्ध कर लेते तो वो उसको बेचते नही यु इस तरह भीख नही मागते इसको बेचने के लिये इसलिए आप सभी से निवेदन है कि ऐसे लोगो के चक्कर मे ना पडे बस आप सावधान रहे हमारा तो यही कहना है,,, धन्यवाद.....

जय माँ जय महाकाल

क्यू नही होता कष्टो का निवारण

 कई बार ऐसा देखा गया है कि कई बार उपाय करने पर भी आदमी के कष्टौ का निवारण नही होता या किसी पर प्रेतबाधा से ग्रासित होना जौ आसनी से पीछा नही छोडती या उसको पीडा से मुक्ति नही मिलती घबराये नही  इन सभी मे पूर्वजन्म के संस्कार या आप के कर्मा का फल भी हो सकता है                      
: इनसे छुटकारा आप अपने आप पा सकते है ।।प्रेत बाधा से ग्रसित व्यक्ति खुद देवी माँ और भैरव उपासना करे ।।तो उनसे छूटकारा पाया जा सकता है।।                      
 अगर कोई आत्मा ज्यादा उग्र है या वो दीर्घायु है तो वो ताकतवर होगी ही यही सच है                      
 और ऐसी बलवान आत्माये उस व्यक्ति का जीवन दुख से भर देती है।।                      
 ऐसे आपको कुछ इंतजार करना पड सकता है पर इनसे छूटकारा संभव है।।                      
 प्रेतबाधा के लिये आप कालविकाल वान प्रयोग कर सकते है                         :
अगर आपके कष्टो का अंत नही हो रहा है लाख जतन करने पर भी हो सकता है ये आपके पर्वजन्म के संस्कार हो। अगर माँ और भैरव के प्रयोग करने पर भी आपके कष्टो का अंत नही हो रहा है तो आप साथ मे बाबा हनुमान जी और प्रभु गणेश का प्रयोग भी साथ मे करे या स्वामी कार्तिक दुर्गा पाठ और रूद्रपाठ 100,या 50 की सूख्या मे किसी योग्ये ब्राह्मण से करा सकते है आप की श्रद्धा अनुसार ।।तो आपको कष्टो से मुक्ति मिल सकती है ।।कई पूजनीये इससे सहमत हो कोई जरूरी नही ये हमारा अनुभव है आप मानो या ना मानो ये आपके ऊपर है ।।

: काल विकाल बाण प्रयोग है क्या ।।
इस काल विकाल बाण प्रयोग स्तोत्र मे पहले सभी दिशाओं का बंधन होता इसमे आन है शिव शक्ति की इसमे सभी जीव जन्तऔ का बंधन और सभी देवताओं की माया का बंधन है सभी देवी देवताओं की माया और उनका स्वय का बंधन है इसका प्रयोग उचित गुरु की देख रेख मे होता है इसमे ब्रह्मास्त्र विधी का प्रयोग होता है इसके प्रयोग के साथ साथ एक अन्य विद्वान  रूद्री  , कार्तिक और प्रभु गणेश जी के जप करे और कोई अन्य विद्वान माँ दुर्गा पाठ करे ।                      
: पर ये स्तोत्र एल साईज के बीस पेज जितना बडा है इसलिए लिखने मे वक्त लगेगा ।।पर देगे जरूर ।।

जय माँ जय महाकाल ।।अलंख आदेश।।

शारदीय नवरात्रि

।।जय माँ जय बाबा महाकाल।।

दुर्गा पूजा,शारदीय नवरात्रे, कलश स्थापना की शुभ मुहूर्त :  1 अक्टूबर 2016 ,,शनिवार  ब्रह्म मुहूर्त , सुबह , 3 :00 से 6:15 तक   शुभ  चोघडिया   अभिजित  मुहूर्त- दोपहर   11:36 से 12 :24,,, शुक्रवार  रात 4:20  से   0 1अक्टूबर ,  शनि    वार रात 5 :52 तक है , हस्ता नक्षत्र शनि  वार रात 11: 31 तक है ,ब्रह्म योग  दिन  3 :42  तक है ,
प्रतिपदाद्य षोडश नाडी निषेध: चित्रा वैधृति योग निषेधश्च उक्तकालाधिरोधेन सति सम्भवे पालनीय : ।।
सूर्योदय से दस घड़ी ( 4 घंटा तक अथवा अभजित मुहूर्त ) तक कलशस्थापन कर सकते है ,
भविष्येपि चित्रा वैधृति सम्पूर्णा: प्रतिपञ्चपँच्चभवेत् नृप: ।। त्याज्याँह्शा स्त्रयस्त्वाद्यास्तुरीयाँशेतु पूजन मिति।। पेज 277।।
वैधृति चित्रा सम्पूर्ण दिवस हो तो तो प्रारम्भिक दो चरणों और अभिजित मुहूर्त मे कलश स्थपन शुभ है ,
इस तरह ब्रह्म मुहूर्त से    दोपहर 12:24 के पहले या अमृत चौघडिया मे कलश स्थापन करना शास्त्रीय शुभ  है ,
 कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त
ब्रह्म मुहूर्त प्रात: 3: 00 से 6 : 15 बजे तक ,
अमृत  सुबह 6:00 से 8 :24 तक ,
प्रथम बेला  :, 8:24 से 10:15 तक
अभिजित , दोपहर ,11:36 से 12:24 तक
पूजा पण्डालो की नवरात्र पूजन कार्यक्रम
शारदीय नवरात्रि 2016  कार्यक्रम 11 दिन का नवरात्रि है।
01अक्टूबर  शनिवार प्रतिपदा  कलश स्थापना  सुबह 6:30  ,  ध्वजारोपन , दिन भर ,  शैल पुत्री पूजन , सुबह आरती  9 :00 //  शाम आरती 8 :00
02 अक्टूबर रविवार  द्वतिया ( ब्रह्म चारिणी पूजन )
3 अक्टूबर सोम  वार द्वितीया  ( सुबह 6:20 तक )चन्द्रघन्टा पूजन  सुबह आरती  9 :00 //  शाम आरती 8 :00
4 अक्टूबर मँगलवार  तृतीया (दिन 09:46 तक )कुष्माण्डा पूजन  सुबह आरती  9 :00 //  शाम आरती 8:00
5-अक्टूबर   बुधवार    गणेश चतुर्थी   स्कन्दमाता    पूजन । सुबह आरती  9 :00 //  शाम आरती 8:00
6  अक्टूबर     गुरूवार   पँचमी दिन 01:50  तक,  कात्यायनी पूजन  ।
7   अक्टूबर   शुक्र  वार   महाषष्ठी (  दिन 03:30 तक  ,कालरात्रि पूजन ।
सुबह आरती  दिन 09:00,।शाम आरती 8:00  बेलवरण शाम    5:30 बजे से
8: अक्टूबर शनि वार  महासप्तमी(  दिन 4 :46 तक , मूल दिन  01:42 तक ),
नवपत्रिका प्रवेश सुबह  7 :00 से ,सभी प्रतिमा का प्राण प्रतिष्ठा होगी
,आरती *पुष्पाजलि शाम 12 :00 /  शाम आरती 8:00 ।सांस्कृतिक कार्यक्रम
09 अक्टूबर  रवि वार महाअष्टमी   (   शनिवार दिन  04 :36  से      रविवार शाम  5 :37  तक ।
सन्धिपूजा  बलि  शाम - 5:37 मे
दोपहर   आरती  पुष्पाँजलि  दोपहर- 11:00   , शाम आरती पुष्पाजलि  8:00
सांस्कृतिक कार्यक्रम
10 अक्टूबर। सोम  वार
महानवमी  ( रविवार शाम  5 :37  से  सोम  वार शाम  5 : 54 तक  उतराषाढ दिन 4:07 तक ) ,
सिद्धिदात्री पूजन ,। आरती *पुष्पाजलि : सुबह  11 :00// आरती *पुष्पाजलि  शाम  8:00 ।।महाभोग वितरण दोपहर 11:00 बजे , साँस्कृतिक कार्यक्रम रात
11 अक्टूबर मँगल  वार
विजयादशमी ( शाम  05 :29 तक   -इसके बाद श्रवण दिन -04: 31 तक ) विसर्जन-हवन  10:00 से 11:30 तक ,पुष्पाजँलि  आरती  सुबह  11:40 //नवरात्रि का पारण । विसर्जन ।
गुरुवार / मँगल वार  के कारण प्रतिमा विसर्जन लोकाचार से  नहीं होता है  ।
नवरात्र बिशेष नव देवीयो कें नाम,, उनकें प्रतिदिन कें भोग,,और तिथियो की पूरी जानकारी,,इस नवरात्र में तिथिया बड़ रही है जो की शास्त्रो कें हिसाब सें शुभ है  माता का आना भी शुभ संकेत है ,,श्रध्दाभाव एवं विस्वास सें माँ की सेवा करें आप की हर मनोकामना पूरी होगी
(1) प्रथम  कलशस्थापन  शैलपुत्री (भोग -खीर)
(2) द्वितीया ब्राह्मचारिणी (भोग खीर,गाय का घी,एवं मिश्री)
(3) त्रतीया  चन्द्रघंटा (भोग  कैला,दूध,माखन,मिश्री )
(4) चतुर्थी कुष्मांडा (भोग पोहा,नारियल,मखाना)
(5) पंचमी  स्कन्दमाता (भोग शहद एवं मालपुआ )खिलोना
(6) षष्टी कात्यायनी(भोग  शहद एवं खजूर)) सुहाग सामान
(7) सप्तमी  कालरात्री (भोग अंकुरीत चना एवं अंकुरित मूँग )
(8) अष्टमी  महागौरी (भोग  नारियल,खिचड़ी,खीर )
(9) नवमी   सिध्दीदात्री (भोग चूड़ा दही,पेड़ा,हलवा,,)
(10 ) दशमी    धान का लावा

पूजा पण्डालो के लिऐ दशहरा कार्यक्रम :-2016 आश्विन
आश्विन शुक्ल पक्ष  देवी का आगमन - घोडा पर ( सप्तमी के अनुसार)
फल शुभ नही
देवी प्रस्थान - चरण - फल अशुभ है । दोनों अशुभ है ,
1 अक्टूबर शनि  वार - शारदीय नवरात्रि 2016 कार्यक्रम :-  आश्विन शुक्ल पक्ष -
1 अक्टूबर 2016 शनिवार - प्रतिपदा - कलश स्थापन - (शैल पुत्री पूजन
सुबह: -    7 बजे से 11 बजे तक , 11:30 आरती पुष्पांजलि
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू  :- शाम - 8:00 बजे शुरू ,
2 अक्टूबर - रविवार -   द्वितीय - -ब्रह्मचारिणी पूजन
सुबह  पूजन 7 बजे शुरू ,  आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- शाम - 8:00 बजे
3 अक्टूबर - सोमवार - तृतीय - चन्द्रघण्टा पूजन
सुबह _ पूजन 7 बजे शुरू ,  आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- शाम - 8:00 बजे
4 अक्टूबर - मँगल वार -सुबह   पूजन 7 बजे शुरू ,  आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- शाम - 8:00 बजे
5 अक्टूबर - बुधवार - चतुर्थी -  कूष्माण्डा देवी पूजन , गणेश चतुर्थी
सुबह  पूजन 7 बजे शुरू ,  आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- शाम - 8:00 बजे
6 अक्टूबर - गुरूवार - पँचमी -  स्कन्ध माता पूजन -
सुबह   पूजन 7 बजे शुरू ,  आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- शाम - 8:00 बजे
7 अक्टूबर - शुक्रवार - षष्ठी -     कात्यायनी पूजन -
सुबह   पूजन 7 बजे शुरू , कल्पारम्भ , आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे
शाम 5:50 के करीब - बेल बोधन , देवी आमँत्रण और अधिवास
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- शाम - 8:00 बजे
8  अक्टूबर - शनिवार -महासप्तमी - कालरत्रि पूजन  सुबह मे 7:30 बजे नवपत्रिका प्रवेश , चण्डी पाठ , मूर्ति पूजन , 10:00 भोग  निवेदन , 10:30 बजे - आरती पुष्पांजलि शुरू  सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- 8 :00 बजे ,
9 अक्टूबर - रविवार - महाअष्टमी - महा गौरी पूजन ,
सुबह :- पूजन शुरू , 9:30 बजे कुमारी पूजन , भोग निवेदन , 10:30 बजे आरती पुष्पांजलि
शाम :-  पूजन शुरू :- 5:30 से ,5:54 पर सन्धिपूजन (बलीदान) 108 दीप दान ,
सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू :- 8:00 बजे
10 अक्टूबर - सोमवार - महा नवमी - सिद्धिदात्री पूजन सुबह   पूजन 7 बजे शुरू ,  आरती पुष्पांजलि  9:30 बजे  सन्ध्या आरती पुष्पांजलि शुरू:- 8 :00 शुरू
11 अक्टूबर - मँगल वार- महा दशमी - सरस्वती पूजन  , दुर्गा प्रतिमा विसर्जन , नवरात्रि का पारण ।


                         पुखराज मेवाड़ा आसीन्द

Wednesday, September 14, 2016

गृह बाधा निवारण और रक्षा मंत्र





ॐ ह्रीं चामुण्डेे भ्रकुटि अट्रटहासे भीमदशने रक्ष रक्ष चोरेभ्यः वजुर्वेभ्यः अग्निभयः श्वापदेभ्यः दुष्टजनेभ्यः सर्वेभ्यः सर्वोपद्रवेभ्यः चण्डी ह्रीं ह्रीं ठः ठः ।

21 हजार मंत्र जप कर गुगल से धुप देवे इस मंत्र से कीलन करे या रेखा खीचे तो घर मे सभी तरह से रक्षा होगी ।।किसी भी अष्टमी से शुरू करे आसन कोई भी चलेगा शुरू करने से पहले अपने अपने गुरु देव और इष्टदेव को याद कर ले फिर शुरूआत करे ।।
प्रणाम सभी को ।
 ।।जय माँ जय बाबा महाकाल ।।
।।अलंख आदेश।।🙏🙏🙏🙏🙏

Monday, September 12, 2016

वाद विवाद विजय मंत्र विधी



: वाद विवाद ।।विजय मंत्र                      
1: ॐ क्रां क्रां धूम्रसारी वदाक्षं विजयति जयति ॐ स्वाहा।
                    
: ये माँ धूमावती कि उपविधा माँ धूम्रवारही का मंत्र है जौ अत्यंत प्रभाव शीली है ।इस मंत्र का जप आप त्रयोदशी से त्रियोदसी तक किसी जलाशय या नदी के किनारे लाल मूंगे की माला से एक माला जप करे निश्चय ही आप की जीत होगी आसन सियायर की खाल यानी चर्मासन का आसन या कृष्ण वर्ण  का ऊन का आसन भी काम मे ले सकते है ।और जब आपकी पेशी हो मंत्र पढ़ कर अधिकारी या न्यायधीश के सामने जाये ।।                      

2, ॐ आदेश गुरु जी का आदेश ,आशा मनसा मन में वसे घी सिन्दुर  मस्तक चढ़े
इस मंत्र को हनुमान वीर करे ,भैरों गाजी गज्जे मैनूं लाज लगाए तो माता अंजनी की दुहाई ।
राजा रामचंद्र की आन ।लक्ष्मण जती की आन।।                      

: इस मंत्र के ग्यारह हजार जप करे ।देशी गाय के घी या चमेली के तेल ।।और सिन्दुर चाँदी वर्क से चौला चढाये फिर गूगल और जायफल का धूप करे और लोगं बंद इलायची यक्त मीठा पान अर्पित करे ।।                      
 अधिकारी के पास जाते समय सात बार मंत्र पढ़ कर घी सिन्दुर का टीका लगा के जाये निश्चय ही जीत आप की होगी।।                      
3, ॐ नमो आदेश गुरु जी का आदेश ।ॐ सिन्दूर सिन्दुर महासिन्दुर कहौ सिन्दुर कहां से आया ,गिरिपर्वत से आया ।कहौ सिन्दूर कौन ले आया गौरी का पुत्र गणेश ले आया ।ह्रदय तो हनुमन्त बसे,भैरों बसे कपाल ।माथे बिन्दा सिन्दुर का शत्रु गया पाताल।ॐ सिन्दूर देवाय विधमही महासिन्दूर देवाय धमीहि तन्नो पर्मसिन्दुर देवाय प्रचोदेयात।।                      

: इस मंत्र की भी विधी ऊपर वाले मंत्र की ही है ।।                      

: तिलक लगाने के लिये चौला चढाते वक्त जो सिन्दुर बच जाये वो लास्ट या हाथो के लगा रहे जाये वही सर्वश्रेष्ठ है।।                      
 लास्ट मंत्र का सोच समझकर पयोग करे

Friday, September 9, 2016

आध्यात्मिक जगत मे गुरु होना जरुरी है



आज कल जिसको देखो बाबा महाकाल को अपना गुरु देव मान के साधन शुरू कर देते है अगर भौतिक जीवन मे गुरू की जरूरत नही होती तो भगवान राम और भगवान कृष्ण को भी गुरु की जरूरत नही होती वो भी भगवान थे जब भगवान को भी गुरु चाहिए थे तो आप और हम तो आम आदमी है हम गुरु की जरूरत क्यूँ नही है इसलिए आप सभी से निवेदन है की कोई भी साधना करो भौतिक गूरू यानी आध्यात्मिक गुरु होना उतना जरूरी है जितना इंसान को हवा पानी और भौजन की जरूरत होती है।
 ।।प्रणाम सभी को जय माँ जय महाकाल ।।                      
 ।।अलंख आदेश।।                      
 पुखराज मेवाड़ा आसीन्द
9829026579

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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