आजकल पश्चिम शिक्षा का स्तर इतना ऊचा हो चुका है कि शिक्षित लोगो का आध्यात्मिक नाम से विश्वास उठ चुका है कुछ दिनो पहले कही पढा था की नीचे के स्तर वाले लोगो पर मंत्र ओर तंत्र का ही इतना प्रभाव क्यू रहता है तो ये बात वैसी ही है जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त करते कोई किसान नही बनना चाहता तो खाने के लिए अन्न कोन उगायेगा क्या नौकरी करने से या आफिस मे बैठने से या उच्च शिक्षा ग्रहण करने से गेहू स्वयंम उग जायेगे या उनका बीजारोपण हो जायेगा नही होगा ना उसके लिये भी उन खेतो पर भी फसल उगाने वाले किसान का जरुरत होती है उसी तरह आध्यात्मिक पर विश्वास ओर धैर्य होना जरुरी है जैसा धैर्य महापण्डित लंकापति भक्तशिरोमिणी रावण या प्रभु राजा भागीरथ या अन्य किसी तपस्वी द्वारा गया जप तप जिससे भगवान भी मजबूर हुये थे धरती पर आने के लिये मंत्र ,तीर्थ,देवता ,ओषधि, ब्राह्मण, ओर गुरु, गुरु मे जाति या उसका शिक्षा स्तर नही देखा जाता ओर जैसी इनमे जैसी भावना होती है वैसे ही मंत्र तंत्र जप, सिद्धि देते है ओर जब तीर्थ यात्रा करने पर भी भगवान भी फल देते है तो मंत्रो का स्तर जाति पर आकलन नही करना चाहिए चाहे उनका जप वैदिक हो तांत्रिक हो या साबरी सभी की अपनी पद्धति होती है ये सब अपनी अपनी पद्धति के अनुसार पुणे श्रद्धापूर्वक जपने से ओर उन मंत्रो को उपयोग करने से सभी कार्य पुणे होते है. पहले जिस देवता की उपासना भक्ति या साधना करनी है उसके अधिकारी बनना चाहिए फिर चाहे वैष्णव, शैव, शाक्त, आदि जिस देवता का मंत्र जप करना है करे, वैसे ही गुरु से श्रेष्ठ मुर्हूत मे दीक्षा लेनी चाहिए बाद मे मंत्रो को सिद्ध करना चाहिए गुरु आग्या लेकर, वैसे भी जप तप मंत्र पर किसी का पुणे अधिकार नही होता वो सभी है ओर भगवान भी तो पश्चिम शिक्षा का स्तर बढाने के अलावा अपने धर्म ओर संस्कृति पर भी पुणे जानकारी रखे अच्छी बात है अपने धर्म को नजदीक से जानना चाहिए ओर मंत्रो मे तंत्रो मे जाति का स्तर भी कोई म्याने नही रखते चाहे वो देव हो या देवी.. बस हमे इतना ही कहना है कि ग्यान बच्चे से भी प्राप्त होतो है ओर बुड्ढे से ग्यान की कोई सीमा नही अनन्त है जितना जाना उतना कम है कुछ ज्यादा कहाँ हो तो माफी आज के लिए इतना ही नादान बालक की कलम से..
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश..
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जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश..
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