Sunday, August 6, 2017

आपका आध्यात्मिक स्तर कहाँ तक है

आजकल पश्चिम शिक्षा का स्तर इतना ऊचा हो चुका है कि शिक्षित लोगो का आध्यात्मिक नाम से विश्वास उठ चुका है कुछ दिनो पहले कही पढा था की नीचे के स्तर वाले लोगो पर मंत्र ओर तंत्र का ही इतना प्रभाव क्यू रहता है तो ये बात वैसी ही है जैसे उच्च शिक्षा प्राप्त करते कोई किसान नही बनना चाहता तो खाने के लिए अन्न कोन उगायेगा क्या नौकरी करने से या आफिस मे बैठने से या उच्च शिक्षा ग्रहण करने से गेहू स्वयंम उग जायेगे या उनका बीजारोपण हो जायेगा नही होगा ना उसके लिये भी उन खेतो पर भी फसल उगाने वाले किसान का जरुरत होती है उसी तरह आध्यात्मिक पर विश्वास ओर धैर्य होना जरुरी है जैसा धैर्य महापण्डित लंकापति भक्तशिरोमिणी रावण या प्रभु राजा भागीरथ या अन्य किसी तपस्वी द्वारा गया जप तप जिससे भगवान भी मजबूर हुये थे धरती पर आने के लिये मंत्र ,तीर्थ,देवता ,ओषधि, ब्राह्मण, ओर गुरु, गुरु मे जाति या उसका शिक्षा स्तर नही देखा जाता ओर जैसी इनमे जैसी भावना होती है वैसे ही मंत्र तंत्र जप, सिद्धि देते है ओर जब तीर्थ यात्रा करने पर भी भगवान भी फल देते है तो मंत्रो का स्तर जाति पर आकलन नही करना चाहिए चाहे उनका जप वैदिक हो तांत्रिक हो या साबरी सभी की अपनी पद्धति होती है ये सब अपनी अपनी पद्धति के अनुसार पुणे श्रद्धापूर्वक जपने से ओर उन मंत्रो को उपयोग करने से सभी कार्य पुणे होते है. पहले जिस देवता की उपासना भक्ति या साधना करनी है उसके अधिकारी बनना चाहिए फिर चाहे वैष्णव, शैव, शाक्त, आदि जिस देवता का मंत्र जप करना है करे, वैसे ही गुरु से श्रेष्ठ मुर्हूत मे दीक्षा लेनी चाहिए बाद मे मंत्रो को सिद्ध करना चाहिए गुरु आग्या लेकर, वैसे भी जप तप मंत्र पर किसी का पुणे अधिकार नही होता वो सभी है ओर भगवान भी तो पश्चिम शिक्षा का स्तर बढाने के अलावा अपने धर्म ओर संस्कृति पर भी पुणे जानकारी रखे अच्छी बात है अपने धर्म को नजदीक से जानना चाहिए ओर मंत्रो मे तंत्रो मे जाति का स्तर भी कोई म्याने नही रखते चाहे वो देव हो या देवी.. बस हमे इतना ही कहना है कि ग्यान बच्चे से भी प्राप्त होतो है ओर बुड्ढे से ग्यान की कोई सीमा नही अनन्त है जितना जाना उतना कम है कुछ ज्यादा कहाँ हो तो माफी आज के लिए इतना ही नादान बालक की कलम से..


जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश..

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Saturday, August 5, 2017

क्या आप सही मे आध्यात्मिक मे हो

भक्ति, साधना, आराधना, उपासना,,
ये सब अंहकार या घमण्ड अभिमान से परे होते है जब तक आप अपने आपको उनके चरणो मे नही झुका देते या अपने आपको उनके हवाले नही कर देते जब तक सफलता आप से कोसो दुर है या आप आध्यात्मिक का हिस्सा नही बन सकते जब तक ये आपके अंदर विराजमान है जब तक आप स्वयंम चैतन्य नही होते तब तक ग्यान ओर अग्यान का परिचय खत्म नही होगा वहाँ हमेशा भेदभाव रहता है ग्यान ओर अग्यान मे भेद करने से ही आप आध्यात्मिक रहित बन जाना है जब तक फल प्राप्ति के लिये आप अपने आपको उनके हवाले नही कर देते या कर्म ओर धर्म दोनो का साथ नही होता आप किसी मे उन्नति नही कर सकते उसी तरह प्रार्थना करने का भी सही तरीका होना चाहिए जैसे एक व्यक्ति प्रार्थना करता है, मुझे सुखी करो, दुसरो व्यक्ति प्रार्थना करता है कि मेरे परिवार को सुखी करो.. तो इस प्रार्थना मे उसके सेमते पुरा परिवार आ जाता है तीसरा व्यक्ति ये प्रार्थना करता है कि है प्रभु सारे जग का कल्याण करो या सबको सुखी करो तो वो अपने आपके साथ सबको सुखी कर सकता है ये होता है उसका आध्यात्मिक मे होने का चैतन्य गुण अब आप आध्यात्मिक की किसी सीडी पर हो या कहाँ ये आप पर निर्भर है किसी ओर पर नही सुख ओर दुःख इंसान की सोच पर निर्भर है कि वो क्या चाहते है बाकी कर्म प्रधान होते है यही सत्य है जो किया है या जो कर रहे हो उसका फल आज नही तो निश्चित ही कल जरूर मिलेगा हम ये नही कहते की आप गलत हो क्योंकि हमे ही नही पता कि हम सही है या नही तो हम किसी को गलत कहने के अधिकारी नही है पर कहने वाले से हमेशा सुनने वाले को ध्यान लगाने का जरुरत है कि वो सही है या नही खुद को सुधारने की जरुरत है दुनिया को नही आत्मा से आत्मा सम्बन्ध होता है बचपन मे कही पढ़ा था जो हमे आज लगता है वो सही था अच्छी सोच होगी तो अच्छा ही मिलेगा यही पुणे सत्य है ओर आध्यात्मिक की राह सत्य ही मांगती है आडम्बरहीन ही सच्चा आध्यात्मिक है चाहे किसी को भजो चाहे कुछ भी जपो वो आपका होना चाहिए पुणे श्रद्धा ओर पुणे विश्वास ही आपको उनसे मिलाता है कोन अच्छा कोन बुरा वो सब उस पर छोड दिजिये उसका फैसला वो ही करेगा आप नही पर धैर्य ओर विश्वास आपको होना चाहिए आज इतना ही नादान बालक की कलम से कुछ गलत लिखा हो तो माफी...



जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ....

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Friday, August 4, 2017

क्यू रुक जाती है साधना ओर सिद्धि

आजकल सबकी एक शिकायत होती है कि हम पुजा पाठ कर रहे है साधना कर रहे है तो भी दुखी है क्यू आखिर कहाँ अटकी है आप की पुजा पाठ क्यू प्रसन्न नही होता फिर सब इसको तंत्र से जोड देते है हम पर किसी ने कुछ कर रखा है या किसी देवता का प्रकोप है पर अपने कर्म कोई नही देखता कि क्यूँ ऐसी है आपकी जिंदगी हर बार आपकी अपने इष्ट से शिकायत रहती है कि हम इतना करते है तो भी आप हमे दुखी कर रहे हो क्यू आप उनकी पुजा करते हो क्या उन्होने कहाँ क्या आपका कोई स्वार्थ नही है बिना स्वार्थ तो कोई मंदिर नही जाता... फिर पुजा क्यू.. गिनती के मंत्र बोलो हो गयी पुजा अपना आज सब देखना चाहते है बीता हुआ कल क्यू भूल जाते है आज अच्छा है हो सकता है जो अभी संजा मिल रही है बीते हुये कल की उसी पुजा पूण्य से आपके कर्म कट रहे हो आज की दुनिया मे कोई दुख से अछूता नही है.. कोई तन से दुखी कोई मन से दुखी कोई धन से दुखी ओर तो ओर कोई अपनी बीवी से दुखी तो कोई बच्चो से दुखी तो एक तो ओर कोई अपने स्वार्थ के चलते अपने पडोसी से दुखी ओर कोई अपने पितरो से तो कोई कुलदेवी से दुखी कोई अपनी पुरानी जो याद ना रही उन मन्नतो से दुखी यह सब आपके प्रारम्भ होते है तो उनका भी कटना जरुरी होता है.. ओर आप ये क्यू भूल जाते है की इस दुनिया मे कई ऐसे है जिनके रहने को घर नही पहनने को कपडे नही.. उनके सामने अपना दुख कुछ नही होता ओर कोई आपको रास्ता दिखाया है तो आपको उस पर चलना होता है अगर आप एक दो दिन या पाँच दस दिन मे किसी चमत्कार की आशा करते है तो वो आपकी सोच है भगवान की नही कई बार आप के आज के साथ पुर्नजन्म के कर्म भी जूडे रहते है आप ये क्यू भूल जाते है कि कष्ट तो भगवान को भी उठाने पडे थे.. अरे जब एक पत्थर पवित्र नदीयों ज्यादा दिन रहने से ओर आपस मे घीसते रहने बाबा शिव बन सकता है तो घरो मे पुजा मे स्थान पा सकता है तो इष्ट का ज्यादा प्रिये उनके चरण मे स्थान क्यु नही पा सकता..
फिर भी किसी की सोच पर हम काबू नही पा सकते आप उसको अधिक प्रिये थे इसीलिए इंसानी जिस्म मे हो जिस्म तो जानवरो को भी मिला है अब देखना आपको है उसको नही सोचना आपको है उसको नही...
आगे आपकी इच्छा आप कहाँ फेल होते हो जो भोगते है वो पाते भी है पर जो हार जाते है उनमे से कुछ वापस कोशिश करते है तो कुछ मैदान छोड़ देते है ओर जिनको शक हो उनका हम कुछ नही कर सकते कोई हमारी गलतियां निकालता है तो हमें खुश होना चाहिए.
क्योंकि कोई तो है जो हमें पूर्ण दोष रहित बनाने के लिए अपना दिमाग और समय दे रहा है ।पर इस बात को कोई मानता नही है जय हो संत की ये बात पर यहाँ समझता कोन है इस बात को फुटपाथ पर रो रहा है भगवान ओर भक्त महलो मे है आजकल
बचपन मे माता पिता से कुछ चाहिए होता तो उनको कैसे मांगते थे ओर अपनी मांग मनवाने के लिये क्या क्या करते थे जिस तरह आपको अपने माता पिता पर पुणे विश्वास था उसी तरह अपने माँ बाबा को समझो वो आपको रुला सकते है पर कभी आपका बुरा नही चाहेंगे वो आपकी एक परीक्षक की भांति परीक्षा भी तो ले सकते है अब फेल होना है या पास ये आप के ऊपर है अगर आपको विश्वास है तो सबकुछ मिलेगा बाकी आपकी सोच ओर उसको हमारीओर से इक्कीस तोपो की सालमी भक्ति ओर भक्त भी अबोध ओर नादान बालक की तरह ही होनी चाहिए..
जो भी करो स्वार्थ रहित करो हजारो हाथ आपकी सहायता के लिये आगे आयेगे बाकी आरोप प्रत्यारोप से कुछ नही होने वाला ओर स्वार्थ वंश चमत्कार की आशा मदारी से की जाये़ तो अच्छा है भगवान ने नही आप भी कोई मट्टी का बर्तन लेते हो तो ठीक बजाकर लेते हो तो वो भी भगवान है उनको भी ठोकना ओर बजाना आता है फिर वो लेते है आगे आपकी इच्छा.. चोरो ओर से दुखी भी हो जाओ तो एक बात ध्यान रखे मानसिक ओर शारिरीक तौर पर आप मजबूत रहे ओर कोई रास्ता बताता है तो उस पर चलते रहये हमारी बातो से कुछ या बहुत विद्धजन सहमत हो या ना हो पर हमारा मनाना यही है कर्म काटने ही पडतेै है चाहे पहले चाहे बाद मे ..नादान बालक की कलम से एक पहल है..

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

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आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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