आजकल सबकी एक शिकायत होती है कि हम पुजा पाठ कर रहे है साधना कर रहे है तो भी दुखी है क्यू आखिर कहाँ अटकी है आप की पुजा पाठ क्यू प्रसन्न नही होता फिर सब इसको तंत्र से जोड देते है हम पर किसी ने कुछ कर रखा है या किसी देवता का प्रकोप है पर अपने कर्म कोई नही देखता कि क्यूँ ऐसी है आपकी जिंदगी हर बार आपकी अपने इष्ट से शिकायत रहती है कि हम इतना करते है तो भी आप हमे दुखी कर रहे हो क्यू आप उनकी पुजा करते हो क्या उन्होने कहाँ क्या आपका कोई स्वार्थ नही है बिना स्वार्थ तो कोई मंदिर नही जाता... फिर पुजा क्यू.. गिनती के मंत्र बोलो हो गयी पुजा अपना आज सब देखना चाहते है बीता हुआ कल क्यू भूल जाते है आज अच्छा है हो सकता है जो अभी संजा मिल रही है बीते हुये कल की उसी पुजा पूण्य से आपके कर्म कट रहे हो आज की दुनिया मे कोई दुख से अछूता नही है.. कोई तन से दुखी कोई मन से दुखी कोई धन से दुखी ओर तो ओर कोई अपनी बीवी से दुखी तो कोई बच्चो से दुखी तो एक तो ओर कोई अपने स्वार्थ के चलते अपने पडोसी से दुखी ओर कोई अपने पितरो से तो कोई कुलदेवी से दुखी कोई अपनी पुरानी जो याद ना रही उन मन्नतो से दुखी यह सब आपके प्रारम्भ होते है तो उनका भी कटना जरुरी होता है.. ओर आप ये क्यू भूल जाते है की इस दुनिया मे कई ऐसे है जिनके रहने को घर नही पहनने को कपडे नही.. उनके सामने अपना दुख कुछ नही होता ओर कोई आपको रास्ता दिखाया है तो आपको उस पर चलना होता है अगर आप एक दो दिन या पाँच दस दिन मे किसी चमत्कार की आशा करते है तो वो आपकी सोच है भगवान की नही कई बार आप के आज के साथ पुर्नजन्म के कर्म भी जूडे रहते है आप ये क्यू भूल जाते है कि कष्ट तो भगवान को भी उठाने पडे थे.. अरे जब एक पत्थर पवित्र नदीयों ज्यादा दिन रहने से ओर आपस मे घीसते रहने बाबा शिव बन सकता है तो घरो मे पुजा मे स्थान पा सकता है तो इष्ट का ज्यादा प्रिये उनके चरण मे स्थान क्यु नही पा सकता..
फिर भी किसी की सोच पर हम काबू नही पा सकते आप उसको अधिक प्रिये थे इसीलिए इंसानी जिस्म मे हो जिस्म तो जानवरो को भी मिला है अब देखना आपको है उसको नही सोचना आपको है उसको नही...
आगे आपकी इच्छा आप कहाँ फेल होते हो जो भोगते है वो पाते भी है पर जो हार जाते है उनमे से कुछ वापस कोशिश करते है तो कुछ मैदान छोड़ देते है ओर जिनको शक हो उनका हम कुछ नही कर सकते कोई हमारी गलतियां निकालता है तो हमें खुश होना चाहिए.
क्योंकि कोई तो है जो हमें पूर्ण दोष रहित बनाने के लिए अपना दिमाग और समय दे रहा है ।पर इस बात को कोई मानता नही है जय हो संत की ये बात पर यहाँ समझता कोन है इस बात को फुटपाथ पर रो रहा है भगवान ओर भक्त महलो मे है आजकल
बचपन मे माता पिता से कुछ चाहिए होता तो उनको कैसे मांगते थे ओर अपनी मांग मनवाने के लिये क्या क्या करते थे जिस तरह आपको अपने माता पिता पर पुणे विश्वास था उसी तरह अपने माँ बाबा को समझो वो आपको रुला सकते है पर कभी आपका बुरा नही चाहेंगे वो आपकी एक परीक्षक की भांति परीक्षा भी तो ले सकते है अब फेल होना है या पास ये आप के ऊपर है अगर आपको विश्वास है तो सबकुछ मिलेगा बाकी आपकी सोच ओर उसको हमारीओर से इक्कीस तोपो की सालमी भक्ति ओर भक्त भी अबोध ओर नादान बालक की तरह ही होनी चाहिए..
जो भी करो स्वार्थ रहित करो हजारो हाथ आपकी सहायता के लिये आगे आयेगे बाकी आरोप प्रत्यारोप से कुछ नही होने वाला ओर स्वार्थ वंश चमत्कार की आशा मदारी से की जाये़ तो अच्छा है भगवान ने नही आप भी कोई मट्टी का बर्तन लेते हो तो ठीक बजाकर लेते हो तो वो भी भगवान है उनको भी ठोकना ओर बजाना आता है फिर वो लेते है आगे आपकी इच्छा.. चोरो ओर से दुखी भी हो जाओ तो एक बात ध्यान रखे मानसिक ओर शारिरीक तौर पर आप मजबूत रहे ओर कोई रास्ता बताता है तो उस पर चलते रहये हमारी बातो से कुछ या बहुत विद्धजन सहमत हो या ना हो पर हमारा मनाना यही है कर्म काटने ही पडतेै है चाहे पहले चाहे बाद मे ..नादान बालक की कलम से एक पहल है..
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻
फिर भी किसी की सोच पर हम काबू नही पा सकते आप उसको अधिक प्रिये थे इसीलिए इंसानी जिस्म मे हो जिस्म तो जानवरो को भी मिला है अब देखना आपको है उसको नही सोचना आपको है उसको नही...
आगे आपकी इच्छा आप कहाँ फेल होते हो जो भोगते है वो पाते भी है पर जो हार जाते है उनमे से कुछ वापस कोशिश करते है तो कुछ मैदान छोड़ देते है ओर जिनको शक हो उनका हम कुछ नही कर सकते कोई हमारी गलतियां निकालता है तो हमें खुश होना चाहिए.
क्योंकि कोई तो है जो हमें पूर्ण दोष रहित बनाने के लिए अपना दिमाग और समय दे रहा है ।पर इस बात को कोई मानता नही है जय हो संत की ये बात पर यहाँ समझता कोन है इस बात को फुटपाथ पर रो रहा है भगवान ओर भक्त महलो मे है आजकल
बचपन मे माता पिता से कुछ चाहिए होता तो उनको कैसे मांगते थे ओर अपनी मांग मनवाने के लिये क्या क्या करते थे जिस तरह आपको अपने माता पिता पर पुणे विश्वास था उसी तरह अपने माँ बाबा को समझो वो आपको रुला सकते है पर कभी आपका बुरा नही चाहेंगे वो आपकी एक परीक्षक की भांति परीक्षा भी तो ले सकते है अब फेल होना है या पास ये आप के ऊपर है अगर आपको विश्वास है तो सबकुछ मिलेगा बाकी आपकी सोच ओर उसको हमारीओर से इक्कीस तोपो की सालमी भक्ति ओर भक्त भी अबोध ओर नादान बालक की तरह ही होनी चाहिए..
जो भी करो स्वार्थ रहित करो हजारो हाथ आपकी सहायता के लिये आगे आयेगे बाकी आरोप प्रत्यारोप से कुछ नही होने वाला ओर स्वार्थ वंश चमत्कार की आशा मदारी से की जाये़ तो अच्छा है भगवान ने नही आप भी कोई मट्टी का बर्तन लेते हो तो ठीक बजाकर लेते हो तो वो भी भगवान है उनको भी ठोकना ओर बजाना आता है फिर वो लेते है आगे आपकी इच्छा.. चोरो ओर से दुखी भी हो जाओ तो एक बात ध्यान रखे मानसिक ओर शारिरीक तौर पर आप मजबूत रहे ओर कोई रास्ता बताता है तो उस पर चलते रहये हमारी बातो से कुछ या बहुत विद्धजन सहमत हो या ना हो पर हमारा मनाना यही है कर्म काटने ही पडतेै है चाहे पहले चाहे बाद मे ..नादान बालक की कलम से एक पहल है..
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