Saturday, February 24, 2018
शाबर मंत्र है क्या
शाबर मंत्रो मे कुछ ऐसे भाषाये भी लिखी होती है जो साधक को विचलित कर सकती है पर मंत्रो के साथ छेडछाड हो वो महादोष होता है हर शाबर मंत्र अपना कार्य बेखुबी से करता है हर मंत्र जाग्रातृ होता है बस उनको जाग्रातृ करने वाला चाहिए अगर आप उन शाबर मंत्रो को गुरू देखरेख मे जाग्रातृ करना सीख जाये तो आपको शाबर की टंकार ओर शाबर की बोली समझ मे आ जायेगी शाबर अपने आप मे हट योग का महाग्रंथ है इसको समझने वाला चाहिए शाबर जीवनदायी तो है ही पर कुछ मुर्ख पोपगंढे धारीयो ने इसको अपनी दुकान बना लिया है ओर लोगो को इसके नाम से सर्वदा के लिये डरा दिया है आप सभी इसका अध्ययन करे अच्छा है पर शाबर गुरू निर्देश पर चलने वाले मंत्र है इसलिए शाबर मे गुरूओ की आन दुहाई दी जाती है मंत्रो की बोली पर ना जाईये क्योंकि शाबर मंत्र मे उल्टी वाणी का बोल बाला होता है इसलिए शाबर गलत नही है उनको समझे ओर ओर गुरू निर्देशानुसार कार्य मे ले बाकी शाबरी हर किसी के बस की बात नही है कई जगह इसके दुषपरिणाम भी देखने को मिलते है इसलिए इनको शंका की दृष्टि से नही आदर की दृष्टि से देखा जाये तो अच्छा है ये जनहित के लिए बने है तो इनका सोच समझकर ही उपयोग किया जाये तो अच्छा है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी तंत्र का कार्य होता है काम करना पर मंत्रो द्वारा ही उनको तेजी मिलती है बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा।।
प्रणाम आप सभी को ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🌹🙏🏻🌹
मा ललिता चालीसा
आज यहाँ ललिते चालीसा पोस्ट करते है किसी देवी जी मांगने पर उनके इनबाँक्स मे देकर यहाँ भी पोस्ट कर रहे है ।।
छेड छाड ना करे किसी भी पोस्ट के साथ उसको एक बार रोज पढने से दरिद्रता दुर होती है रोज सात बार पढने से शुत्र दुर होते है रोज २४ बार पढने से सारी सुख सम्पति मिलती है ओर शुत्र भय दुर होता है जय माँ त्रिपुरप्यारी ।।।
।।श्री ललितायैः नमः।।
।।अथ श्री ललिता चालीसा प्रारम्भ ।।
जयति जयति जय ललिते माता ,तब गुण महिमा है विख्याता, १,
तू सुन्दरि , त्रिपुश्वरी देवी , सुर नर मुनि तेरे पद सेवी,, २,
तू कल्याणी कष्ट निवारणी, तू सुख दायिनी, विपदा हारिणी, ३,
मोह विनाशिनी दैत्य नाशिनी, भक्त भाविनी ज्योति प्रकाशिनी, ४,
आदि शक्ति श्री विधा रूपा, चक्र स्वामिनी देह अनूपा, ५,
हृदय निवासिनी भक्त तारिणी, नाना कष्ट विपति दल हारिणी, ६,
दश विधा है रूप तुम्हारा, श्री चन्द्रेश्वरि नैमिष प्यारा, ७,
धूमा, बगला, भैरवी, तारा, भुवनेश्वरी, कमला, विस्तारा, ८,
षोडशी, छिन्नमस्ता, मातंगी, ललिते! शक्ति तुम्हारी संगी, ९,
ललिते तुम हो ज्योतित भाला, भक्त जनो का काम संभाला, १०,
भारी संकट जब-जब आये, उनसे तुमने भक्त बचाये, ११,
जिसने कृपा तुम्हारी पाई, उसकी सब विधि से बन आई, १२,
संकट दूर करो माँ भारी, भक्त जनों को आस तुम्हारी, १३,
त्रिपुरेश्वरी, शैलजा, भवानी, जय जय जय शिव की महारानी, १४,
योग सिद्धि पावे सब योगी, भोगें भोग ,महा सुख भोगीं, १५,
कृपा तुम्हारी पाके माता, जीवन सुखमय है बन जाता ,१६,
दुखियों को तुमने अपनाया, महामूढ़ जो शरण न आया, १७,
तुमने जिसकी ओर निहारा, मिली उसे सम्पति, सुख सारा, १८,
आदि शक्ति जय त्रिपुर- प्यारी, महाशक्ति जय जय, भयहारी, १९,
कुल योगिनी कुण्डलिनी रूपा, लीला ललिते करें अनुपा, २०,
महा महाश्वरी महा शक्ति दे, त्रिपुर सुंदरी सदा भक्ति दे, २१,
महा महानन्दे कल्याणी, मूको को देती हो वाणी, २२,
इच्छा, ग्यान, क्रिया का भागी, होता तब सेवा अनुरागी, २३ ,
जो ललिते तेरा गुण गावे, उसे न कोई कष्ट सतावे, २४,
सर्व मंगले ज्वाला -मालिनी, तुम हो सर्व शक्ति संचालिनी, २५,
आया माँ जो शरण तुम्हारी,विपदा हरी उसी की सारी, २६,
नामा - कर्षिणी ,चित्ता - कर्षिणी, सर्व मोहिनी सब सुख - वर्षिणी, २७,
महिमा तब सब जग विख्याता, तुम हो दयामयी जगमाता, २८,
सब सौभाग्य -दायिनी ललिता, तुम हो सुखदा करणा कालिता, २९,
आनन्द, सुख सम्पति देती हो, कष्ट भयानक हर लेती हो, ३०,
मन से जो जन तुमको ध्यावे, वह तुरन्त मनवांछित पावे ,३१,
लक्ष्मी, दुर्गा, तुम हो काली, तुम्ही शारदा चक्र - कपाली, ३२,
मूलाधार निवासिनी जय जय, सहस्त्रार गामिनी माँ जय जय, ३३,
छः चक्रो को भेदन वाली, करती हो सबकी रखवाली, ३४,
योगी, भोगी, क्रोधी, कामी, सब हैं सेवक सब अनुगामी, ३५,
सबको पार लगाती हो माँ, सब पर दया दिखाती हो माँ, ३६,
हेमावती, उमा, ब्रह्माणी, भण्डासुर का हृदय विदारिणी, ३७,
सर्व विपति हर सर्वोधारे, तुमने कुटिल कुपंथी तारे ,३८,
चन्द्र -धारणी नैमिषवासिनी, कृपा करो ललिते अघनाशिनी, ३९,
भक्त जनों को दरस दिखाओ, संशय भय सब शीघ्र मिटाओ, ४०,
जो कोई पढे़ ललिता चालीसा, होवे सुख आनन्द अधीसा, ४१,
जिस पर कोई संकट आवे, पाठ करे संकट मिट जावे, ४२,
ध्यान लगा पढे़ इक्कीस बारा, पुणे मनोरथ होवे सारा, ४३,
पुत्र हीन सन्तति सुख पावे, निर्धन धनी बने गुण गावे, ४४,
इस विधि पाठ करे जो कोई, दुःख बन्धन छूटे सुख होई, ४५,
जितेन्द्र चन्द्र भारतीय बतावें, पढे़ चालीसा तो सुख पावें, ४६,
सबसे लघु उपाय यह जानो, सिद्ध होय मन में जो ठानो, ४७,
ललिता करे हृदय में बासा, सिद्धि देते ललिता चालीसा, ४८,
दोहा
ललिते माँ अब कृपा करो, सिद्ध करो सब काम,
श्रद्घा से सिर नाय कर, करते तुम्हें प्रणाम,,
संकलन कर्ता नादान बालक पुखराज मेवाड़ा आसीन्द
ॐ श्रीं क्रीं (क्लीं)श्रीं ॐ
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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