महापुरुष वो जो दीवार पर टगे रहते है ।
महात्मा वो जो नोटो पर बने रहते है ।।
संत वो तो सत्संग करे, ग्यानी वो जो ग्यान दे।
ॠषि मुनि वो जो जंगलो मे रहे ओर ।।
सभी को प्रकाश वान करे ओर ग्यान प्रदान करे,।
तपस्वी वो जो तप करे,भक्त वो जो भक्ति करे।।
संत वो जो सबके लिये प्रार्थना करे ।
फकीर वो जो सबको दुआ दे ओर खैर मांगे, ।।
इंसान वो जिसके मन मे दया ओर करणा हो,।
मन वो जो भटकता फिरे ध्यान वो जो मन को ,।
भटकने से रोके साधक वो जो साधना करे,।।
नादान वो जो गलतियां करे जैसे हम, ।
समझदार वो जो बैसिरे पैर की बाते करे ।।
जैसे इस देश के नेता जो ख्वाब के अलावा कुछ ना बताते, ।
हम कोई समझदार नही है जो सभी को, ।।
यहाँ नसीहत या राय दे रहे है हम वो, ।
गलतियो का पुतला है जो बार बार गलती, ।।
करके जाना है की संसार क्या है ओर ,।
कौन अपना है ओर कौन पराया है इसलिए, ।।
ऐ मेरे नादान दोस्त पुखराज आज तक मन को, ।
कौन समझा है ओर मन की माया से कोन हटा है,।।
इसलिए समझदारी इसी मे है की मौन साधो, ।
क्योकि मौन एक साधना है मौन भी कभी कभी,।।
तपस्या भक्ति ग्यान साधना से भी ऊंची हो जाती है,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹
महात्मा वो जो नोटो पर बने रहते है ।।
संत वो तो सत्संग करे, ग्यानी वो जो ग्यान दे।
ॠषि मुनि वो जो जंगलो मे रहे ओर ।।
सभी को प्रकाश वान करे ओर ग्यान प्रदान करे,।
तपस्वी वो जो तप करे,भक्त वो जो भक्ति करे।।
संत वो जो सबके लिये प्रार्थना करे ।
फकीर वो जो सबको दुआ दे ओर खैर मांगे, ।।
इंसान वो जिसके मन मे दया ओर करणा हो,।
मन वो जो भटकता फिरे ध्यान वो जो मन को ,।
भटकने से रोके साधक वो जो साधना करे,।।
नादान वो जो गलतियां करे जैसे हम, ।
समझदार वो जो बैसिरे पैर की बाते करे ।।
जैसे इस देश के नेता जो ख्वाब के अलावा कुछ ना बताते, ।
हम कोई समझदार नही है जो सभी को, ।।
यहाँ नसीहत या राय दे रहे है हम वो, ।
गलतियो का पुतला है जो बार बार गलती, ।।
करके जाना है की संसार क्या है ओर ,।
कौन अपना है ओर कौन पराया है इसलिए, ।।
ऐ मेरे नादान दोस्त पुखराज आज तक मन को, ।
कौन समझा है ओर मन की माया से कोन हटा है,।।
इसलिए समझदारी इसी मे है की मौन साधो, ।
क्योकि मौन एक साधना है मौन भी कभी कभी,।।
तपस्या भक्ति ग्यान साधना से भी ऊंची हो जाती है,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
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