*#गुप्तनवरात्रि_बाइस_जून_दो_हजार_बीस,*
*#22/06/2020*
*#गुप्तनवरात्रि,,*
*#घटस्थापना 22जून ,* #सोमवार
देवी माँ नवदुर्गा ओर दसमहाविधा स्तुति,,
*#पहला दिन 22जून*
#सोमवार
*देवी माँ #शैलपुत्री स्तुति*
जगत्पजये जगद्वन्द्ये सर्वशक्तिस्वरूपिणि। सर्वात्मिकेशि कौमारि जगन्मातर्नमोsस्तु ते॥
*#दुसरा दिन 23 जून*
#मंगलवार
*देवी माँ #ब्रह्मचारिणी स्तुति*
त्रिपुरां त्रिर्गुणाधारां मार्गज्ञानस्वरूपिणीम् । त्रैलोक्यवन्दितां देवीं त्रिमूर्ति प्रणमाम्यहम् ॥
*#तीसरा दिन 24 जून*
#बुधवार
*देवी माँ #चन्द्रघण्डा स्तुति*
कालिकां तु कलातीतां कल्याणहृदयां शिवाम् । कल्याणजननीं नित्यं कल्याणीं प्रणमाम्यहम् ॥
*#चौथा दिन 25जून*
#गुरूवार
देवी माँ कूष्माण्डा स्तुति
अणिमाहिदगुणौदारां मकराकारचक्षुषम् । अनन्तशक्तिभेदां तां कामाक्षीं प्रणमाम्यहम् ॥
*#पांचवां दिन 26 जून*
#शुक्रवार
देवी माँ स्कन्दमाता स्तुति
चण्डवीरां चण्डमायां चण्डमुण्डप्रभञ्जनीम् । तां नमामि च देवेशीं चण्डिकां चण्डविक्रमाम् ॥
*#पांचवा ओर छठा दिन 26जून*
#शुक्रवार
देवी माँ कात्यायनी स्तुति
सुखानन्दकरीं शान्तां सर्वदेवैर्नमस्कृताम् । सर्वभूतात्मिकां देवीं शाम्भवीं प्रणमाम्यहम् ॥
*#सातवा दिन 27 जून*
#शनिवार
देवी माँ कालरात्रि स्तुति
चण्डवीरां चण्डमायां रक्तबीज-प्रभञ्जनीम् । तां नमामि च देवेशीं कालरात्रीं गुणशालिनीम् ॥
*#आठवा दिन 28 जून,,*
#रविवार
देवी माँ महागौरी स्तुति
सुन्दरीं स्वर्णसर्वाङ्गीं सुखसौभाग्यदायिनिम् । सन्तोषजननीं देवीं महागौरी प्रणमाम्यम् ॥
*#नवां दिन 29जून*
#सोमवार
देवी माँ सिद्धिदात्री स्तुति
दुर्गमे दुस्तरे कार्ये भयदुर्गविनाशिनि । प्रणमामि सदा भक्तया दुर्गा दुर्गतिनाशिनीम् ॥
*#दसवा दिन 30जून,*
मंगलवार पारणा या भैरवदशमी भैरव पुजा ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आगे माँ महा सिद्धविधा की पुजा ओर स्तुति इस तरह कर सकते है,,
*#देवी माँ दसमहासिद्धविद्या स्तुति,,*
देवी माँ काली स्तुति
रक्ताsब्धिपोतारूणपद्मसंस्थां पाशांकुशेष्वासशराsसिबाणान् । शूलं कपालं दधतीं कराsब्जै रक्तां त्रिनेत्रां प्रणमामि देवीम् ॥
देवी माँ तारा स्तुति
मातर्तीलसरस्वती प्रणमतां सौभाग्य-सम्पत्प्रदे प्रत्यालीढ –पदस्थिते शवह्यदि स्मेराननाम्भारुदे ।
फुल्लेन्दीवरलोचने त्रिनयने कर्त्रो कपालोत्पले खड्गञ्चादधती त्वमेव शरणं त्वामीश्वरीमाश्रये ॥
देवी माँ षोडशी स्तुति
बालव्यक्तविभाकरामितनिभां भव्यप्रदां भारतीम् ईषत्फल्लमुखाम्बुजस्मितकरैराशाभवान्धापहाम् ।
पाशं साभयमङ्कुशं च वरदं संविभ्रतीं भूतिदा ।
भ्राजन्तीं चतुरम्बजाकृतिकरैभक्त्या भजे षोडशीम् ॥
देवी माँ छिन्नमस्ता स्तुति
नाभौ शुद्धसरोजवक्त्रविलसद्बांधुकपुष्पारुणं भास्वद्भास्करमणडलं तदुदरे तद्योनिचक्रं महत् ।
तन्मध्ये विपरीतमैथुनरतप्रद्युम्नसत्कामिनी पृष्ठस्थां तरुणार्ककोटिविलसत्तेज: स्वरुपां भजे ॥
देवी माँ त्रिपुरभैरवी स्तुति
उद्यद्भानुसहस्रकान्तिमरुणक्षौमां शिरोमालिकां रक्तालिप्तपयोधरां जपपटीं विद्यामभीतिं वरम् ।
हस्ताब्जैर्दधतीं त्रिनेत्रविलसद्वक्त्रारविन्दश्रियं देवीं बद्धहिमांशुरत्नमुकुटां वन्दे समन्दस्मिताम् ॥
देवी माँ धूमावती स्तुति
प्रातर्यास्यात्कमारी कुसुमकलिकया जापमाला जयन्ती मध्याह्रेप्रौढरूपा विकसितवदना चारुनेत्रा निशायाम् ।
सन्ध्यायां वृद्धरूपा गलितकुचयुगा मुण्डमालां वहन्ती सा देवी देवदेवी त्रिभुवनजननी कालोका पातु युष्मान् ॥
देवी माँ बगलामूखी स्तुति
मध्ये सुधाब्धि – मणि मण्डप – रत्नवेद्यां सिंहासनोपरिगतां परिपीतवर्णाम् ।
पीताम्बराभरण – माल्य – बिभूतिषताङ्गी देवीं स्मरामि धृत-मुद्गर वैरिजिह्वाम् ॥
देवी माँ मातङगी स्तुति
श्यामां शुभ्रांशुभालां त्रिकमलनयनां रत्नसिंहासनस्थां भक्ताभीष्टप्रदात्रीं सुरनिकरकरासेव्यकंजांयुग्माम् ।
निलाम्भोजांशुकान्ति निशिचरनिकारारण्यदावाग्निरूपां पाशं खङ्गं चतुर्भिर्वरकमलकै: खेदकं चाङ्कुशं च ॥
देवी माँ भुवनेश्वरी स्तुति
उद्यद्दिनद्युतिमिन्दुकिरीटां तुंगकुचां नयनवययुक्ताम् ।
स्मेरमुखीं वरदाङ्कुश पाशभीतिकरां प्रभजे भुवनेशीम् ॥
देवी माँ कमला स्तुति
त्रैलोक्यपूजिते देवि कमले विष्णुबल्लभे ।
यथा त्वमचल कृष्णे तथा भव मयि स्थिरा ॥
*#आगे महासिद्धविधा कवच है जो अभेद है, जैसी इच्छा हो वैसी भक्ति करे पुणे शक्ति के साथ कहे नादान बालक माँ बाबा सदेव आप सभी पर अपनी कृपा बनाये रखे ,,जय माँ बाबा की,,,*
*#देवी माँ श्रीमहा-सिद्धविधा-कवच,,*
ॐ प्राच्यां रक्षतु मे तारा, काम-रुप-निवासिनी ।
आग्नेयां षोडशी पातु, याम्यां धुमावती स्वयम ।।१।।
नैर्ॠत्यां भैरवी पातु, वारुण्यां भुवनेश्वरी ।
वायव्यां सततं पातु, छिन्नमस्ता महेश्वरी ।।२।।
कौबेर्यां पातु मे देवी, श्रीविधा बगला-मुखी ।
ऐशान्यां पातु मे नित्यं महा-त्रिपुर-सुन्दरी ।।३।।
उर्ध्वं रक्षतु मे विधा, मातङ्गी पिठ-वासिनी ।
सर्वत: पातु मे नित्यं, कामाख्या कालिका स्वयम ।।४।।
ब्रह्म-रुपा-महा-विधा, सर्व-विधा-मयी स्वयम ।
शिर्षे रक्षतु मे दुर्गा, भालं श्रीभव-गेहिनी ।।५।।
त्रिपुरा भ्रु-युगे पातु, शर्वाणी पातु नासिकाम ।
चक्षुषी चण्डिका पातु, श्रीत्रे निल-सरस्वती ।।६।।
मुखं सौम्य-मुखी पातु, ग्रिवां रक्षतु पार्वती ।
जिह्वां रक्षतु मे देवी, जिह्वा-ललन-भीषणा ।।७।।
वाग्-देवी वदनं पातु वक्ष: पातु महेश्वरी ।
बाहु महा-भुजा पातु, करांगुली: सुरेश्वरी ।।८।।
पृष्ठत: पातु भिमास्या, कट्यां देवी दिगम्बरी ।
उदरं पातु मे नित्यं, महा-विधा महोदरी ।।९।।
उग्र-तारा महा-देवी, जंघोरु परी-रक्षतु ।
गूदं मुष्कं च मेढुं च, नाभीं च सुर-सुन्दरी ।।१०।।
पदांगुली: सदा पातु, भवानी त्रिदशेश्वरी ।
रक्तं-मांसास्थी-मज्जादिन, पातु देवी शवासना ।।११।।
महा-भयेषु घोरेषु, महा-भय-निवारीणी ।
पातु देवी महा-माया, कामाख्या-पिठ-वासिनी ।।१२।।
भस्माचल-गता दिव्य-सिंहासन-कृताश्रया ।
पातु श्रीकालिका-देवी, सर्वोत्पातेषु सर्वदा ।।१३।।
रक्षा-हिनं तु यत स्थानं, कवचेनापी वर्जितम ।
तत्-सर्व सर्वदा पातु, सर्व-रक्षण-कारीणी ।।१४।।
*#ये बाबा शिवजी का मंत्र है,,*
|| ऊं रुद्राय पशुपतये साम्ब सदाशिवाय नमः ||
शिवलिन्ग के सामने 108 बार बेल पत्र चढाते हुए जाप करें ।
अपने जीवन मे पशुवृत्तियों से उठ कर देवत्व प्राप्ति के लिये सहयोगी साधना ।
इस मंत्र में जगदम्बा सहित शिव समाहित हैं.
देखने में सरल मगर अत्यंत प्रभावशाली मंत्र है.
मित्रो नवरात्रि तक इस पोस्ट को संभाल कर रखे फिर ये पोस्ट दुबारा नही होगी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹🌹
Jay maa jay guru dev
ReplyDelete