Wednesday, January 20, 2021

शाकंभरी नवरात्रि पर करे ये मंत्र साधना

🌹🌹 *।। शाकंभरी नवरात्रि 2021* 🌹🌹
आठ दिन होगी इन देवी मां जी की साधना, 
28 जनवरी 2021  को मनेगी शाकंभरी जयंती ।।


शाकंभरी नवरात्रि पौष माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी से पूर्णिमा तक मानी जाती है। मकर संक्रांति से माता शाकंभरी का पावन समय आरंभ हो गया है। यह नवरात्र पर्व  पौष शुक्ल अष्टमी 21 जनवरी 2021 से शुरू होकर  पौष पूर्णिमा 28 जनवरी 2021 तक मनाया जाएगा ।
*पूर्णिमा को गुरुवार एवं पुष्य नक्षत्र एवं सर्वार्द्ध सिद्धि* के साथ अमृत सिद्धि योग  होने से पूजन , तीर्थ अथवा संगम स्थल स्न्नान , दान का अक्षय फल लाभ प्राप्त होता है । 

 धार्मिक शास्त्रों के अनुसार गुप्त नवरात्रि की भांति शाकंभरी नवरात्रि का भी बड़ा महत्व है। माता शाकंभरी (शाकम्भरी) देवी दुर्गा के अवतारों में एक हैं। नवरात्रि के इन दिनों में पौराणिक कर्म किए जाते हैं, विशेषकर माता अन्नपूर्णा की साधना की जाती है। तंत्र-मंत्र के साधकों को अपनी सिद्धि के लिए खास माने जाने वाली शाकंभरी नवरात्रि के इन दिनों में साधक वनस्पति की देवी मां शाकंभरी की आराधना करेंगे।
शाकंभरी नवरात्रि पर जपें यह मंत्र, मिलेगी अन्नपूर्णा की कृपा
 
शाकंभरी नवरात्रि के ८ दिनों में नीचे लिखे मंत्रों का जाप करके मां दुर्गा की आराधना करके कोई भी साधक पूरा जीवन सुख से बिता सकता है। जीवन में धन और धान्य से परिपूर्ण रहने के लिए नवरात्रि के दिनों में इन मंत्रों का प्रयोग अवश्‍य करना चाहिए।

शाकम्भरी लक्ष्मी और उनके मूल बीज मंत्र इस प्रकार है-

श्री शाकम्भरी धान्य लक्ष्मी – ये जीवन में धन और धान्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है –
- ॐ श्रीं क्लीं।।

3. श्री शाकम्भरी धैर्य लक्ष्मी – ये जीवन में आत्मबल और धैर्य को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – 
-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

4. श्री शाकम्भरी गज लक्ष्मी – ये जीवन में स्वास्थ और बल को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – 
-ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं।।

5. श्री शाकम्भरी संतान लक्ष्मी – ये जीवन में परिवार और संतान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – 
-ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं।।

6. श्री शाकम्भरी विजय लक्ष्मी यां वीर लक्ष्मी – ये जीवन में जीत और वर्चस्व को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – 
-ॐ क्लीं ॐ।।

7. श्री शाकम्भरी विद्या लक्ष्मी – ये जीवन में बुद्धि और ज्ञान को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – 
-ॐ ऐं ॐ।।

8. श्री शाकम्भरी ऐश्वर्य लक्ष्मी – ये जीवन में प्रणय और भोग को संबोधित करती है तथा इनका मूल मंत्र है – 
-ॐ श्रीं श्रीं।।
अष्ट शाकम्भरी लक्ष्मी साधना का उद्देश जीवन में धन के अभाव को मिटा देना है। इस साधना से भक्त कर्जे के चक्रव्यूह से बहार आ जाता है। आयु में वृद्धि होती है। बुद्धि कुशाग्र होती है। परिवार में खुशाली आती है। समाज में सम्मान प्राप्त होता है। प्रणय और भोग का सुख मिलता है। व्यक्ति का स्वास्थ्य अच्छा होता है और जीवन में वैभव आता है।
अष्ट शाकम्भरी लक्ष्मी साधना विधि: गुरूवार की रात तकरीबन 09:00 बजे से 10:30 बजे के बीच गुलाबी कपड़े पहने और गुलाबी आसान का प्रयोग करें। गुलाबी कपड़े पर श्रीयंत्र और शाकम्भरी का चित्र स्थापित करें। (माँ शाकंभरी का चित्र ना हो तो माँ नवदुर्गा का चित्र रख सकते है गुलाबी आसान ना हो तो लाल, या कुशा आसान काम मे ले सकते है ) किसी भी थाली में गाय के घी के 8 दीपक जलाएं। गुलाब की अगरबत्ती जलाएं। आठ प्रकार के फल-सब्जियों की माला एवं लाल फूलो की माला चढ़ाएं। हरी सब्जियों का प्रसाद लगाये ।
हरी सब्जियां का गरीबो को दान दे ओर किसी भी माँ के मंदिर मे वनस्पतियो या सब्जियों को अर्पण करे । अष्टगंध से श्रीयंत्र और अष्ट लक्ष्मी के चित्र पर तिलक करें और कमलगट्टे हाथ में लेकर इस मंत्र का यथासंभव जाप करें।
मंत्र: ऐं ह्रीं श्रीं अष्टलक्ष्मीयै ह्रीं सिद्धये मम गृहे आगच्छागच्छ नमः स्वाहा।।

जाप पूरा होने के बाद आठों दीपक घर की आठ दिशाओं में लगा दें तथा कमलगट्टे घर की तिजोरी में स्थापित करें। एवं चढ़ाये गए सब्जियों को बनाकर पुरे घर वाले सेवन करे इस उपाय से जीवन के आठों वर्गों में सफलता प्राप्त होगी।

पढ़ें देवी माँ के यह मंत्र- 
अगर समय नही मिल पाये तो आठ दिन तक इन मंत्रो का जाप कर सकते है ओर पुणिमा को सप्तशती का पाठ करे या रोज पाठ कर सकते है ।
 
* 'ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति माहेश्वरि अन्नपूर्णे स्वाहा।।'

ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं भगवति अन्नपूर्णे नम:।।'

ॐ सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य: सुतान्वित:।
मनुष्यो मत्प्रसादेन भविष्यति न संशय:।।'
 
इन मंत्रों को बतौर अनुष्ठान 10 हजार, 1.25 लाख जप कर दशांस हवन, तर्पण, मार्जन व ब्राह्मण भोजन कराएं या बच्चो को यथाशक्ति भोजन करा सकते है पर जितना हो उतना जाप करे यथाशक्ति वैसी ही भक्ति होनी चाहिए आगे जैसी माँ बाबा की कृपा ओर इच्छा, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ।
या फिर नित्य 1 माला जपें। हवन सामग्री में तिल, जौ, अक्षत, घृत, मधु, ईख, बिल्वपत्र, शकर, पंचमेवा, इलायची आदि लें। समिधा, आम, बेल या जो उपलब्ध हो, उनसे हवन पूर्ण करके आप सुखदायी जीवन का लाभ उठा सकते हैं।
 मां शाकंभरी ने अपने शरीर से उत्पन्न शाक-सब्जियों, फल-मूल आदि से संसार का भरण-पोषण किया था। इसी कारण माता 'शाकंभरी' नाम से विख्यात हुईं। तंत्र-मंत्र के जानकारों की नजर में इस नवरात्रि को तंत्र-मंत्र की साधना के लिए अतिउपयुक्त माना गया है। इस नवरात्रि का समापन 28 जनवरी, बृहस्पतिवार को पौष शुक्ल पूर्णिमा के दिन होगा। इसी दिन मां शाकंभरी प्रकाटय दिवस या अवतरण दिवस के रुप मे मनाई जाएगी।
पुराणों में यह उल्लेख है कि देवी ने यह अवतार तब लिया, जब दानवों के उत्पात से सृष्टि में अकाल पड़ गया। तब देवी शाकंभरी रूप में प्रकट हुईं। इस रूप में उनकी 1,000 आंखें थीं। जब उन्होंने अपने भक्तों का बहुत ही दयनीय रूप देखा तो लगातार 9 दिनों तक वे रोती रहीं। रोते समय उनकी आंखों से जो आंसू निकले उससे अकाल दूर हुआ और चारों ओर हरियाली छा गई। देवी दुर्गा का रूप हैं 'शाकंभरी', जिनकी हजार आंखें थीं इसलिए माता को 'शताक्षी' भी कहते हैं।
मान्यता है कि इस दिनों गरीबों को अन्न-शाक यानी कच्ची सब्जी, भाजी, फल व जल का दान करने से अत्यधिक पुण्य की प्राप्ति होती है एवं मां उन पर प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद प्रदान करती हैं। शाकंभरी नवरात्रि का आरंभ पौष मास के शुक्ल पक्ष की अष्टमी से होता है, जो पौष पूर्णिमा पर समाप्त होता है।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।🙏🏻🌹🙏🏻

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