भक्ति गणपति, शक्ति गणपति
सिद्दी गणपति, लक्ष्मी गणपति
महा गणपति, देवो में श्रेष्ठ मेरे गणपति
भगवान श्री गणेश की कृपा,
बनी रहे आप हर दम.
हर कार्य में सफलता मिले,
जीवन में न आये कोई गम।
एक बार फिर से आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🌹
मित्रों क्षमा चाहते हैं देरी के लिए मौसम और तबियत दोनों में जरा हरारत है इसलिए आज की पोस्ट करने में देरी हुयी है ,
मित्रों गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा यह एक ऐसा त्यौहार है जो कि पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है,पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है. इस बार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 को है. इस दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है., शुरू वाले दिन गणपति बाबा की मूर्ति स्थापना करते हैं और लास्ट वाले दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं ऐसा माना जाता है कि इन दिनों गणपति बप्पा की पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है इस चतुर्थी का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है और दसवे दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है अनंत चतुर्दशी के दिन श्रद्धा जन बड़े ही धूमधाम से यात्रा निकालते हैं यात्रा निकालते हुए भगवान गणेश समुंद्र झील नदी आदि में विसर्जित किया जाता है ,
गणेश चतुर्थी के दिन गुड़ की छोटी -छोटी 21 गोलियां बना लें. इन गोलियों को दूर्वा के साथ गणेश के चरणों में अर्पित करें. गणेश जी की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण होगी.
गणेश चतुर्थी के दिन स्नान आदि करके भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और गुड़ में शुद्ध घी मिलाकर भोग लगाएं. इसके बाद इसे किसी गाय को खिला दें. भगवान की कृपा से अपार धन की प्राप्ति हो सकती है.,,।।
इन तीन (3)राशियों पर रहेगी भगवान गणेश जी विशेष कृपा,
कर्क राशि: भगवान गणेश की कर्क राशि के जातकों पर विशेष कृपा रहेगी. इनकी कृपा से इनकी नौकरी में तरक्की और व्यापार में मुनाफा होगा.
वृश्चिक राशि: इन्हें नए जॉब के लिए ऑफर मिल सकता है. जो लोग नौकरी कर रहें हैं उन्हें प्रमोशन मिल सकता है. व्यापार में वृद्धि होगी.
तुला राशि: इन्हें व्यापार और करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है. सारे काम बिना किसी रूकावट के होंगे.।।
भगवान गणेश जी के 5 प्रिय फल
केला - गणेश जी को केला बहुत प्रिय है. गणेश जी की पूजा में कभी एक केला अर्पित न करें. केला हमेशा जोड़े से चढ़ाना चाहिए.
काला जामुन - गणपति जी बुद्धि के दाता है. गणेश चतुर्थी पर बप्पा की पूजा में काला जामुन का भोग जरूर अर्पित करें. मान्यता है इससे गणेश जी प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं.
बेल - भगवान भोलेनाथ की तरह गणपति जी को भी बेल का फल बहुत पसंद है. मान्यता है गणेश चतुर्थी पर बेल का फल बप्पा को अर्पित करने से उनका विशेष वरदान प्राप्त होता है.
सीताफल - सीताफल को शरीफा भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी पर सीताफल विघ्यहर्ता को अर्पित करने से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं.
अमरूद - गणेश स्थापन के समय पंच फल में अमरूद का भी विशेष स्थान है. मान्यता है कि अमरूद अर्पित करने गणेश जी भक्त के समस्त कष्ट हर लेते हैं.,।
गणेश चतुर्थी वाले दिन से लेकर दस दिन तक करें ये काम यह कार्य आप भगवान गणेश जी दिन बुधवार और नवरात्रि में भी कर सकते हैं जिनके आराध्य भगवान गणेश जी हो या ना हो सभी इन सभी कार्य को कर सकते हैं ,,।
1. भगवान गणेश जी विघ्नहर्ता व समृद्धि के देवता माने जाते है। घर में गणेश जी की मूर्ति अवश्य रखनी चाहिए भूलकर भी गणेश जी की तीन मूर्तियों को एक साथ नहर में नहीं रखना चाहिए और कभी भी खंडित मूर्ति की स्थापना नहीं करनी चाहिए यह शुभ माना जाता है।
2. भगवान गणेश जल तत्व के देवता माने जाते हैं और यह दक्षिणामूर्ति देवता भी हो सकते हैं भगवान के जी काला हनुमान जी भैरव जी उमा देवी का मुख दक्षिण ना की तरफ हो सकती है 4 देवताओं के अलावा मैं किसी देवता ने किसी देवी-देवताओं का मुख दक्षिण दिशा में नहीं करना करना।
3. भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापना करने से पहले इस बात पर जरूर गौर के की मूर्ति में उनका सूंड किस ओर है वास्तु के अनुसार दाहिनी तरफ साउंड वाले भगवान को सिद्धिविनायक तथा भाई तरफ सूंड वाले गणेश जी को वक्रतुंड कहा जाता है ऐसे में अगर आपको गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापना करना चाहते हैं तो वक्रतुंड वक्रतुंड गणेश जी वाली मूर्ति ज्यादा शुभ होगी क्योंकि वक्रतुंड गणेश जी के नियम आसान और कम होते हैं
4. गणेशजी की पूजा उपासना में ऊँ गं गणपतयै शुभ मुहूर्त नम: या श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
5. गणेश चतुर्थी को गणेश जी के 108 नामों का करें जाप पूरी होगी मनोकामनाएं
भगवान गणेश जी भक्तों को केवल सुख और सौभाग्य ही नहीं प्रदान करते बल्कि वे अपने भक्तों के संकटों और दुखों को भी दूर करते हैं. कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन इनके 108 नामों का जाप करने से हर कामना पूर्ण होती है. यह भी मान्यता है कि गणेश जी ने देवों के दुखों को भी दूर करने के लिए कई अवतार लिए हैं.।
6. मित्रों यदि कोई काम बिगड़ गया हो या फिर काफी दिनों से रुका पड़ा हो तो आज गणेश चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप करें. लाभ होगा.
मंत्र: त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।
नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
7. जिनकी कुंडली में ग्रह दोष है. उन्हें आज गणेश चतुर्थी पर इन मंत्रों का जाप करना उत्तम लाभ पहुंचाएगा.
मंत्र: गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
8. गणेश मनोकामना पूर्ति मंत्र
ॐ गं गणपतये नमः
ग्रह दोष निवारण गणेश मंत्र
गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
9. गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
10. गणेश गायत्री मंत्र
ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात्।
गणपति षडाक्षर मंत्र: आर्थिक तरक्की के लिए
ओम वक्रतुंडाय हुम्
11. सुख समृद्धि के लिए गणेश मंत्र
ऊं हस्ति पिशाचिनी लिखे स्वाहा।
12. मित्रों कुंडली में मंगल दोष होने पर काफी परेशानी आती है. शादी-विवाह में भी बाधा आती है. ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है, तो वह आज गणेश जी के मंगल मंत्र ॐ अं अंगारकाय नम: का जाप कर सकता है. इससे मंगल ग्रह शांत होता है और मांगलिक दोष दूर होता है. इस मंत्र के जाप करने से भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीर्वाद देते हैं।
13. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को अर्पित करने वाली दूब साफ जगह यानी कि मंदिर, बगीचे से तोड़ें. इसे स्वस्छ जल से जरूर धो लें. गणेश जी को हमेशा जोड़े से दूर्वा चढ़ाई जाती है. 11 या 21 दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेश चतुर्थी पर बप्पा को अर्पित करें. दूर्वा चढ़ात वक्त ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँएकदन्ताय नमः मंत्र का जाप करें.
14. गणेश चतुर्थी पर 11 गांठ दूर्वा और एक गांठ हल्दी को लेकर साफ पीले कपड़े में बांधकर एक पोटली बनालें. अब गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिनों तक इस पोटली की विधि-विधान से पूजा करें. 10वें दिन पूजा करने के बाद इसे तिजोरी में रखें. कभी पैसों की कमी नहीं होगी.।
15. आज गणेश चतुर्थी पर चंद्रदर्शन नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से कलंक लगता है.।
मित्रों वैसे इस बार गणेश चतुर्थी पर ग्रहों की स्थिति एक विशेष संयोग बन रही है. इस गणेश चतुर्थी पर चार प्रमुख ग्रह अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे. पंचांग के मुताबिक, सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में और शनि मकर राशि में विराजमान रहेंगे. गणेश चतुर्थी पर ग्रहों का ऐसा संयोग 300 साल बाद बना है. ऐसे में गणेश पूजा का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है ,,।
भगवान गणेश जी की दो पत्नियां हैं,,
उनकी शादियां के बारे में भी दो कथाये है ,,
1. ब्रह्मा जी ने गणपति के सामने अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा. गणेश जी ने इसे स्वीकार कर लिया. इस तरह गणपति की दो पत्नियां रिद्धि-सिद्धि हुई. इनकी दो संतान जिनका नाम शुभ और लाभ था.,।
2. पौराणकि कथा के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी से इनकार कर दिया. इस पर तुलसी जी अति क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारी दो शादियां होगी.,।
भगवान श्री गणेश जी की जन्म कथा ,, शोर्ट शब्दों में पोस्ट कुछ ज्यादा लम्बी हो जायेगी विस्तार से बताने पर,,
गणेश जी की जन्म कथा,,।।
शिवपुराण के अनुसार गणेश जी का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ था. देवी माता एक बार हल्दी का उबटन लगा रही थीं. कुछ देर के बाद उन्होंने उबटन को उतार कर एक पुतला बनाया. उसके बाद उस पुतले में प्राण डाले. इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ. माता पार्वती ने लंबोदर को द्वार पर बैठा दिया और बोली कि किसी को भी अंदर मत आने देना. कुछ देर के बाद महादेव आए और घर जाने लगे. इस पर गणेश भगवान ने उन्हें रोक दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणपति की गर्दन काट दी.
जब मां पार्वती ने गणपति की हालत देखा तो वह विलाप करने लगी और महादेव से बोली कि आपने मेरे पुत्र का सिर क्यों काट दिया. भोलेनाथ के पूंछने पर माता पार्वती ने सारी बात बताई और बेटे का सिर वापस लाने को कहा. तब भोलेनाथ ने कहा कि इसमें मैं प्राण तो डाल दूंगा परंतु सिर की जरूरत होगी. तभी भोलेनाथ ने कहा कि हे गरुड़ तुम उत्तर दिशा की ओर जाओ और जो मां अपने बेटे की तरफ पीठ करके लेटी हो, उस बच्चे का सिर ले आओ. गरुड़ काफी समय तक भटकते रहे. आखिरी समय में एक हथिनी मिली जो अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी. गरुड़ उस बच्चे का सिर ले आए. भगवान भोलेनाथ ने वह सिर गणेश के शरीर से जोड़ दिया और उसमें प्राण डाल दिए. नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,।।
क्यू है गणेश चतुर्थी का महत्व,,।।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। माता पार्वती ने वहां भगवान शिव से चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शिव भी इस खेल को खेलने के लिए तैयार हो गए। लेकिन इस खेल में होने वाले हार-जीत का निर्णय कौन लेगा यह समझ नहीं आ रहा था, इसलिए भगवान शिव ने कुछ तीनके को इकट्ठा करके एक पुतला बनाया और उसमें जान डाल दी। जान डालते ही वह पुतला एक बालक बन गया। उसी बालक को इस खेल का निर्णय लेना था। अब भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ का खेल शुरू कर दिए। तीन बार चौपड़ का खेल खेला गया। हर बार माता पार्वती जीती, लेकिन भगवान शिव द्वारा निर्मित उस बालक ने भगवान शिव को ही विजय बताया। इस बात को सुनकर माता पार्वती बेहद क्रोधित हो गई और उन्होनें क्रोध में आकर उस बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से बहुत माफी मांगी। बालक के बार-बार क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने उस बालक से कहा, कि यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्या आएंगी उनके कहें अनुसार तुम भगवान श्री गणेश का व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक रखना। इस व्रत के प्रभाव से तुम इस श्राप से मुक्त हो जाओगें।एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्या आई। तब उस बालक ने नागकन्याओं से गणपति बप्पा के व्रत का विधि-विधान पूछा। उनके बताए अनुसार उस बालक ने 21 चतुर्थी तक बप्पा का व्रत किया। बालक की भक्ति को देखकर गणपति बप्पा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उस बालक को मनोवांछित वर मांगने को कहा। तब उस बालक नें सिद्धिविनायक से कहां 'हे प्रभु' मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जा सकूं। तब बप्पा ने तथास्तु कहा।
भगवान श्री गणेश के तथास्तु कहने के बाद वह बालक अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पहुंचा। वहां उसने भगवान शिव को अपने ठीक होने की पूरी बात बताई। बालक की बात सुनकर भगवान शिव ने भी माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए 21 चतुर्थी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती भी प्रसन्न हो गई। इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को इस व्रत की पूरी महिमा बताई। इस बात को सुनकर माता पार्वती की मन में अपने बड़े पुत्र कार्तिक से मिलने की प्रबल इच्छा जाग उठी।तब माता पार्वती ने भी 21 चतुर्थी का व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से भगवान कार्तिकेय माता पार्वती से मिलने स्वयं आ गए। तभी से यह व्रत संसार में विख्यात हो गया और इसे हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाने लगा। ऐसा कहा जाता है, कि यदि कोई व्यक्ति 21 चतुर्थी का व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक करें, तो बप्पा उसकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण कर देते हैं , नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,।।
एक बार फिर से आप सभी को गणेश चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई 🌹🙏🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🌹🙏
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