Saturday, October 22, 2022

धनतेरस और दीपावली का मुर्हुत और उपाय??

जय मां बाबा के मित्रों देरी से आप सभी को जानकारी देने के लिए क्षमा चाहते हैं किसी कारणवश बिजी होने की वजह से आपको आज ही पोस्ट दे रहे हैं आज इस पोस्ट में जानते हैं

दीपावली और धनतेरस को क्या करें और उनके शुभ मुहूर्त नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आइए जानते हैं पहले धनतेरस के बारे में
धनतेरस शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पंचाग के अनुसार धनतेरस का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर की शाम 05:44 से शुरू होकर  06:05:50 तक होगा. 
कुल अवधि :  21 मिनट
प्रदोष काल- शाम को 05:44 मिनट से 08:16 मिनट तक 
वृषभ काल- 06:58 मिनट से 08:54 मिनट तक
दरअसल इस साल शनिवार 22 अक्टूबर को शाम में 6 बजकर 3 मिनट से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि लग रही है जिसे धनतेरस कहा जाता है. इसी दिन यमदीप भी निकाला जाएगा, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगी. इसलिए धनत्रयोदशी यानी धनतेरस 22 अक्टूबर की शाम से अगले दिन 23 अक्टूबर की शाम तक मनाया जा सकेगा. यमदीप का मतलब एक दीपक जलाने की विधि को कहते हैं. जो अपने प्रवेश द्वार पर चार मुखी दीपक लगाने की विधि को यमदीप कहते हैं दीपावली से पहले ऐसा किया जाता है. 
धनतेरस के दिन मिट्टी के दीये खरीदना भी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन घर में मिट्टी के दीये लाने से सुख समृद्धि बनी रहती है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. 
धनतेरस के दिन धनिए का बीज खरीदना सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को धनिया के बीज अर्पित करने के बाद उसे अपनी तिजोरी में रखने से घर में धन धान्य का भंडार आता है. 
इस दिन स्टील या फिर तांबे के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है, लोहे या फिर कांच के बर्तनों को अशुभ माना जाता है. इसलिए लोग इस दिन घर पर नए बर्तन जरूर खरीदकर लाते हैं. पीतल के बर्तनों को भी बहुत ही शुभ कहते हैं, मां लक्ष्मी प्रिय हैं. कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन से धन्वंतरि देव प्रकट हुए थे, तब उनके हाथों में अमृत कलश था, धार्मिक मान्यता है कि ये कलश पीतल की धातु का था,इसलिए पीतल धन्वंतरि देव की धातु मानी गई है
गोमती चक्र 
गोमती चक्र मां लक्ष्मी को बहुत ही ज्यादा प्रिय है, बता दें धनतेरस के दिन यदि आप सोना-चांदी नहीं खरीद पा रहे हैं तो आप गोमती चक्र खरीद सकते हैं, ऐसा कहा जाता है की शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करते समय गोमती चक्र की भी पूजा करें, ऐसा करने से कभी आपको धन की कमी नहीं होगी. इससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है. 
झाड़ू
कई लोग झाड़ू खरीदकर लाते हैं, कहते हैं इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा चली जाती है. मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मां लक्ष्मी को झाड़ू बहुत प्रिय है, लेकिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है. 
दीपावली पूजन और मुर्हुत
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ 24 अक्टूबर को शाम 06:03 बजे से
कार्तिक अमावस्या तिथि समापन 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04:19 बजे
अभिजीत मुहूर्त 24 अक्टूबर सुबह 11:19 से दोपहर 12:05 तक
विजय मुहूर्त 24 अक्टूबर दोपहर 01:36 से 02:21 तक
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 8:16 तक
पूजन अवधि 1 घंटे 21 मिनट

धनिया धन को आकर्षित करने वाली वनस्पति माना जाता है। भगवती लक्ष्मी को दीपावली के दिन धनिया के बीज और गुड़ अर्पित करना शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त 
इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 दोनों दिन है, लेकिन 25 को तिथि समाप्त हो रही है, इसलिए 24 को ही दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. 
कार्तिक अमावस्या तिथि शुरू- 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2022, शाम 04.18
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त - रात 07.02 - रात 08.23
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त - रात 11.46 - प्रात: 12.37 रात्रि मुहूर्त (लाभ) - रात 10:36 - प्रात: 12
इस साल दिवाली पर खास संयोग बन रहा है. रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. 24 को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी और अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. अमावस्या तिथि 25 को शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
-दिवाली वाले दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती की पूजा का विझान है।
-दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे से सफाई कर लेनी चाहिए।
-इस दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती है।
-माता लक्ष्मी की पूजा के लिए एक चौकी लें। उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
-चौकी के पास एक जल से भरा कलश भी रख लें।
-मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
-भोग स्वरूप उनके समक्ष फल, खील-बताशे और मिठाई रखें।
-माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, मां काली, कुबेर देवता और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
-मां लक्ष्मी की स्तुति करें।
-तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।
-प्रसाद सभी में बांट दें और जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान जरूर करें

आरती 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2d

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2,,,,

दीपावली के दिन एक बिना कटा या फटा पीपल का पत्ता तोड़कर घर में ले आएं और इस पत्ते पर 'ॐ महालक्ष्म्यै नमः' लिखकर पूजा स्थल पर रख दें। महालक्ष्मी प्रसन्न होगी।
दीवाली पर महालक्ष्मी के ऐसे चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हो। ऐसे चित्र का पूजन करने देवी लक्ष्मी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं।
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन से पहले लौंग और इलायची का मिश्रण बना लें, फिर इसको सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं। इस प्रयोग से आपको लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
इस दिन किन्नरों को मिठाइयां और पैसे देकर बदले में किन्नर से एक रूपये का सिक्का मांग कर अपनी तिजोरी में रख लें, गरीबी दूर करने के लिए इससे कारगर उपाय कोई नहीं होगा।
इस साल रविवार के दिन दीवाली है इसलिए हो सके तो सफेद रंग की वस्तुओं का दान करें। घर में सुख- समृद्धि बनी रहेगी।
बरगद के पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर तिजोरी में रखें इससे आपकी तिजोरी में धन बढ़ता जाएगा।
दीपावली की रात अपने घर में श्रीयंत्र स्थापित करें और रात को कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। धन वृद्धि में यह उपाय बड़ा शुभ और सफल माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है।
जो व्यक्ति दिवाली के दिन सुबह जल्दी ब्रह्रा मुहूर्त में जागते हुए पूजा और घर की साफ-सफाई करता है उसके ऊपर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दिवाली की रात मां लक्ष्मी की पूजा करने के बाद अगर आरती करते हुए घर के हर एक कोनों में उसकी लौ को फैलाया जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन में कभी भी आर्थिक संकट नहीं आता है।
जो लोग दिवाली की रात को अपने घर के आपपास मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे तेल का घी जलाता है उसके जीवन में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होती है।
धन संबंधी परेशानियों से निजात पाने के लिए दिवाली के दिन पूजा के समय मां को चने की दाल अर्पित करें।
घर से दरिद्रता दूर करने के लिए कार्तिक अमावस्या तिथि पर घर के हर एक कोनों में तेल का दीपक जलाना चाहिए नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🌹

सुर्य ग्रहण कब से है और किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है????

मित्रों जय मां बाबा की सबसे पहले मित्रों क्षमा चाहते हैं देरी से पोस्ट देने के लिए किसी कारणवश किसी कार्य में बिजी थे अरे पोस्ट को जल्दी दे नहीं पाए मित्रों सनातन धर्म में दीपावली सबसे प्रमुख त्योहार में एक है इस दिन मां लक्ष्मी भगवान कुबेर और बप्पा गणेश जी की पूजा होती है इसके अलावा अपने आराध्य देवता और देवी की पूजा की जा सकती है सबसे पहले मित्रों इस दिन जो ग्रहण लगने वाला है उसके बारे में जानकारी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है जो आंशिक सूर्य ग्रहण होगा जो 25 अक्टूबर 2022 को यानी दीपावली के अगले दिन ग्रहण होने से इस बार महापर्व के दौरान सूर्य ग्रहण का साया रहेगा दीपावली के अगले दिन होने से गोवर्धन पूजा भी दीपावली के तीसरे दिन होगी यह स्थिति पहले भी 27 साल पहले हुई है अब 27 साल बाद ग्रहण के कारण दीपावली के तीसरे दिन गोवर्धन पूजा होगी ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि को पड़ता है और दीपावली की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है वही ग्रहण शुरू होने से पहले 12 घंटे से पहले सूतक काल चालू हो जाता है आइए जानते हैं इस बारे में समय और तिथि सूतक काल और किस राशि पर क्या प्रभाव रहेगा मित्रों इस साल का यह सूर्य ग्रहण आखरी होगा और इसी साल 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण का प्रभाव देखने को भी मिलेगा

सूतक काल का समय
सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटा पहले शुरू हो जाता है इस हिसाब से 24 अक्टूबर को मध्य रात्रि से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा करीबन 2:30 बजे सूतक शुरू होगा समय अनुसार थोड़ा आगे पीछे हो सकता है जगह काल दिशा पर निर्भर करता है जो अगले दिन 4:30 बजे तक समाप्त होगा
सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को दोपहर 2: 29 मिनट से शुरू होगा और सायं 6:32 पर समाप्त होगा सूर्य ग्रहण की अवधि 4 घंटे 3 मिनट रहेगी जो समय काल दिशा पर थोड़ा अलग अलग हो सकता है

मित्रों धर्म के नजरिए से ग्रहण को अशुभ माना गया है ग्रैंड में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है पूजा पूजा पाठ भी वर्जित मानी गई है लेकिन ग्रहण में भी कई तंत्रोक्ति के साधना होती है गुरु मंत्र या कोई मानसिक जाप हवन इत्यादि साधकों के लिए मान्य है
बाकी मित्रों सूतक से पहले अपना पूजन पाठ कर ले सुबह सुतक के के समय घर में पूजा पाठ अथवा किसी भी देव प्रतिमाओं को स्पर्श नहीं करना चाहिए रात्रि में दीपावली पूजन के बाद सूतक लगने से पहले पूजा घर में रखे गए जेवर रूपयों को उठा ले और अपनी तिजोरी में रख ले और पूजा घर को पर्दा लगा दीजिए ध्यान रहे सूतक काल में किसी देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श ना करें नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
ग्रहण का मोक्ष होने के बाद स्नान करें अपना जनेव और कलाई में बंधी मोली कलावा बदल कर पुजाघर की साफ सफाई करके पूजन आरती करें ग्रहण काल में भोजन या किसी अन्य का अन्न का सेवन ना करें केवल वृद्ध व्यक्ति गर्भवती स्त्री बीमार बच्चा उनके लिए भोजन की छूट है बाकी ग्रहण काल के दौरान यह सब भोजन ना करें तो भी अच्छा है
सूर्य ग्रहण 2022 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि: स्त्री पीड़ा
वृष राशि: सौख्य
मिथुन राशि: चिन्ता
कर्क राशि: व्यथा
सिंह राशि: श्री
कन्या राशि: क्षति
तुला राशि: घात
वृश्चिक राशि: हानि
धनु राशि: लाभ
मकर राशि: सुख
कुंभ राशि: मान नाश
मीन राशि: मृत्युतुल्य कष्ट का योग
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

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