हम साई को देवता नही मानते पर समुदाय विशेष के गुरु होने के नाते गुरु या संत होने के नाते नाम का आदर हम करते है...
जी हम साई को नही मानते पर हमारी ओर से प्रभु राजाओ के राजा शनिमहाराज जी के रास्ते मे शिर्डी के साई बाबा का मंदिर भी आता है हम तीन दोस्त ही थे उनमे से एक दोस्त बोला मे दर्शन करना चाहता हूँ
हमने भी कह दिया चलो कर लो हम यही बैठे है उसने कहाँ आपको भी चलना पड़ेगा हमे भी क्या सुझा हम भी चल दिया वहाँ डिजिटल टोकन दिये जाते है फ्री दर्शन ओर पेड दर्शन दोनो.. हमे भी गेट नं दो की टोकन मिला हम गये. वहाँ काफी भारी तादाद मे भीड़ थी .बाहर कुछ भी लो रेट फिक्स है ५००रु प्रसाद कम का नही है दलालो की भीड लगी हुयी है दर्शन करवाने के लिए ओर प्रसाद दिलावाने के लिये. अंदर हाल मे पहचे वातावरण खुशनुमा लगा फिर आस पास नजर दोडाई तो ८०ं/. नवविवाहित जोडे थे या युवक युवतीयाँ थे जो हंसी ठिठोली कर रहे थे लगता नही था की वो दर्शन को आये है..या पिकनिक को आये है या....
वहाँ जो गाने चल रहे थे.. वो सारे गाने किसी देवता के थे जैस बाबा हनुमानजी की चालीसा मे से बाबा का नाम काटकर साई की नाम चिपका दिया गया ओर नारायण भगवान की जगह भी वोही नाम है.. वैसे कई गाने वहाँ मंदिर प्रगाण मे बज रहे थे दर्शन के दौरान. वहाँ से बाहर गुरुस्थान है. फिर गेट नं तीन से हम बाहर आये वापस आये वहाँ निकले तो शनि महाराज की ओर निकले तो रास्ते लोग खडे थे कि आप यहाँ भी दर्शन करो मतलब जबरदस्ती दर्शन करवाने की वहाँ शायद परम्परा रही हो पर वहाँ से हम दर्शन नही करके निकल गये ..
घर आकर सोचते है की क्या सनातन धर्म इतना कमजोर हो गया है कि एक मंजार सभी देवताओ पर भारी पड गयी जो सब वेदो मे हिन्दु देवताओ के ऊपर लिखे गये श्लोको मे साई भक्तो ने उनका नाम जोडा दिया ओर सनातनी चुप है पर क्यु ये हमारी समझ मे नही आया.. राधा का श्याम भी उसको बना दिया ओर सिया का राम भी.. भोलेनाथ की पदवी भी उसको देदी क्या ये सही है हमारी समझ के पेर है यह सब हम आप सभी से जानने के इच्छुक है... की आप सभी क्या चाहते है.. किसी को बुरा लगा हो तो माफी चाहते है पर यही सत्य है कि जो जिसकी पुजा करेगा वो उसी को पायेगा..... नादान बालक की कलम से एक यात्रा ऐसी भी....
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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