जैसी की सभी पुजा मे बीज मंत्रो का कही ना कही संपुट लगता ही लगता है तो क्या उनका दोष जाने बिना जाप किया जा सकता है केवल दोष मुक्त उनको बाकी गुरू आदेश सर्वोपरि होता है जहाँ गुरू आदेश लगता है वहाँ गुरू क्रिया कार्य करती है यही सत्य है ।।बीज मंत्रो के बारे मे जितना हो सके कल लिखते है
जिस तरह हर उपासना, साधना,भक्ति, मे भेद होते है चाहे वो वैदिक हो बोधिक या बीजमंत्रोक्ति ,या तंत्रोक्ति उसी तरह हर बीज मंत्र को आवश्यकता अनुसार जपा जा सकता है
जैसे अपने गुरू को पकड कर उसमे श्रद्धा व्याप्त करना यानि यही अपना सर्वोसर्वा है तो वो आपको बिना जप तप किये आपको सब कुछ दे सकता है यह भी परमात्मा का एक ही रूप है वो बोले जो आपके लिये बह्मवाक्य बन जाये तो वो ही आपके लिए महाबीज मंत्र है यही सत्य है जैसे सर्य ,गुरू ,या भगवान के किसी भी अवतारी पुरष हो या उनका ही रूप मे मानना वो ही एक प्रकार से श्रद्धा या आस्था का भाव हो तो वो भी उनके लिए भगवान से मिलने का एक जरिया है
जिस तरह हम सभी धरो मे तस्वीर या मंदिरो मे मुर्तियो को पुजा करते है या उनके सामने साधना या मंत्र जप हवन इत्यादि करते है तो क्या वो हमारी पुजा जप तप ग्रहण करते है क्या है ।।
कभी सोचा है कि वो मूर्तियाँ या ये तस्वीरे है क्या, क्या इनके भगवान है जी नही भगवान आपकी आस्था ओर श्रद्धा से ही उनमे पाण प्रतिष्ठा होती है फिर यही आपका विश्वास ही उनमे उनका प्रतिरूप लाने मे कामयाब होता है वो ही आपको फिर ईश्वर से मिलाने मे या साक्षात्कार करवाने मे कामयाब रहती है यही सत्य है बाकी भेजो पुजो कुछ भी करो कुछ नही होने वाला
गुरू अवमानना ही आध्यात्मिक का सबसे बडा रोडा या बाधा है पर गुरू की निंदा महा दोष है मंत्रो मे हेर फेर महादोषी बाकी जैसी जिसकी सोच ओर भाग्य ।।
ओर माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा
गुरू के बिना कोई साधना या सिद्धि नही हो सकती गुरू वो जीवआत्मा है जो आपको परमात्मा से मिलवाती है इसलिए गुरू किसी का भी हो या गुरू कोई भी आदर अनादर आपके ऊपर है निन्दा या कटु वचन वो सब आपके ऊपर है किसी का भी गुरू हो वो गुरू तूल्य होता है ईश्वर से मिलने का एक मात्र माध्यम ही गुरू है वो अपने श्री वाणी से ही आपको कुछ दे उस पर शंका या सवाल ना हो यही सत्य है बाकी जिसको शंका ओर सवाल हो वो ही रूक सकते है गुरू जो क्रिया या मंत्र देता है तो पुणे विश्वास ओर आस्था के साथ करये निश्चित रूप से उसका फल जरूर मिलेगा बाकी आध्यात्मिक ओर भौतिक जीवन की सबसे बडी दुश्मन है पर नारी ये आपको किसी भी शेत्र मे सफलता हासिल नही करने देगी घर की नारी देवी स्वरूपा ओर शक्ति पूरा होती है इसलिए उनसे दोनो जगह आपको सफलता ओर साधना निश्चित रूप से मिलेगी बाकी जो संन्यासी है उनके लिये तो गति गुरू ही प्रदान करते है यह भी सत्य है गुरू क्रिया ओर मंत्र देता है उनको गति शिष्य को देनी होती है
किसी भी जगह सूक्ष्म, स्थूल, प्रतिमा, या निरांकार को पुजा जाता है पुणे भक्ति भाव से तो वहाँ आस्था ओर श्रद्धा आपको आगे ले जाती है ,मान हो पर अभिमान ना हो ,गर्व हो पर घमण्ड ना हो, गुरू हो पर गरूर ना हो यही आध्यात्मिक की पहली सीडी है ।।
ओर साधना तप पुजा हो पर सत तत्व की अपने कर्म ओर कार्य की पुजा करे उतना ही अच्छा है पर पुणे मनोयोग से ।।
शरीर के साथ रिश्ते बदलते है पर परमात्मा नही बदलता इसलिए जूडना है तो उससे जूडो ताकि हर जन्म मे वो आपके साथ रहे यही आपका सततत्व या राह होनी चाहिए जो हमारे गुरूदेव के अनुसार है वो कहते है हम जो करे अगर अच्छा लगे तो वो तू ग्रहण कर ,नही लगे तो नजर अंदाज कर ।।
एक बात बताते है यहां आप सभी को एक कुम्हार जैस तरह मिट्टी के बर्तन बनाता है उनको पकाता है फिर कुछ समय बाद वापस बर्तन मिट्टा मे तबदील हो जाता है तो वो कुम्हार परमात्मा है ओर जिस आंग मे वो बर्तन पकते है वो गुरू है जो बर्तन सही पकता है वो घरो मे पहुच जाता है ओर जो बर्तन आग की आंच को सहन नही कर पाता वो आग मे ही मिट्टी बन जाते है ये वो है जो गुरू राह से भटक जाते है ।।अब आपको क्या बनना है यह आपके ऊपर है ।।
कितना लिखना है पता नही जैसे जैसे याद आयेगा ओर समय मिलता जायेगा लिखते जायेगे कुल मिलाकर इन पोस्टो का अंत सुखद होगा आप सेल करना चाहे तो कर सकते है अच्छी नही लगे तो नजरअंदाज कर सकते है ।।
प्रणाम आप सभी को ।।
ये विषय बहुत ही लम्बा है इसलिए इसको टूकडो टुकडो मे देना चाहेगे आप सभी चाहे तो इनको सेव कर सकते है पर सेव ओर जो यहाँ प्रयोग क्रिया दिये जाते है अपने गुरू देव पर पुणे श्रद्धा व्याप्त करते हुये ही उनका प्रयोग करे अन्याथा ना करे हानि लाभ के जिम्मेदार हम नही होंगे
नादान बालक की कलम से आगे फिर कभी ।।
आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश।।
जिस तरह हर उपासना, साधना,भक्ति, मे भेद होते है चाहे वो वैदिक हो बोधिक या बीजमंत्रोक्ति ,या तंत्रोक्ति उसी तरह हर बीज मंत्र को आवश्यकता अनुसार जपा जा सकता है
जैसे अपने गुरू को पकड कर उसमे श्रद्धा व्याप्त करना यानि यही अपना सर्वोसर्वा है तो वो आपको बिना जप तप किये आपको सब कुछ दे सकता है यह भी परमात्मा का एक ही रूप है वो बोले जो आपके लिये बह्मवाक्य बन जाये तो वो ही आपके लिए महाबीज मंत्र है यही सत्य है जैसे सर्य ,गुरू ,या भगवान के किसी भी अवतारी पुरष हो या उनका ही रूप मे मानना वो ही एक प्रकार से श्रद्धा या आस्था का भाव हो तो वो भी उनके लिए भगवान से मिलने का एक जरिया है
जिस तरह हम सभी धरो मे तस्वीर या मंदिरो मे मुर्तियो को पुजा करते है या उनके सामने साधना या मंत्र जप हवन इत्यादि करते है तो क्या वो हमारी पुजा जप तप ग्रहण करते है क्या है ।।
कभी सोचा है कि वो मूर्तियाँ या ये तस्वीरे है क्या, क्या इनके भगवान है जी नही भगवान आपकी आस्था ओर श्रद्धा से ही उनमे पाण प्रतिष्ठा होती है फिर यही आपका विश्वास ही उनमे उनका प्रतिरूप लाने मे कामयाब होता है वो ही आपको फिर ईश्वर से मिलाने मे या साक्षात्कार करवाने मे कामयाब रहती है यही सत्य है बाकी भेजो पुजो कुछ भी करो कुछ नही होने वाला
गुरू अवमानना ही आध्यात्मिक का सबसे बडा रोडा या बाधा है पर गुरू की निंदा महा दोष है मंत्रो मे हेर फेर महादोषी बाकी जैसी जिसकी सोच ओर भाग्य ।।
ओर माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा
गुरू के बिना कोई साधना या सिद्धि नही हो सकती गुरू वो जीवआत्मा है जो आपको परमात्मा से मिलवाती है इसलिए गुरू किसी का भी हो या गुरू कोई भी आदर अनादर आपके ऊपर है निन्दा या कटु वचन वो सब आपके ऊपर है किसी का भी गुरू हो वो गुरू तूल्य होता है ईश्वर से मिलने का एक मात्र माध्यम ही गुरू है वो अपने श्री वाणी से ही आपको कुछ दे उस पर शंका या सवाल ना हो यही सत्य है बाकी जिसको शंका ओर सवाल हो वो ही रूक सकते है गुरू जो क्रिया या मंत्र देता है तो पुणे विश्वास ओर आस्था के साथ करये निश्चित रूप से उसका फल जरूर मिलेगा बाकी आध्यात्मिक ओर भौतिक जीवन की सबसे बडी दुश्मन है पर नारी ये आपको किसी भी शेत्र मे सफलता हासिल नही करने देगी घर की नारी देवी स्वरूपा ओर शक्ति पूरा होती है इसलिए उनसे दोनो जगह आपको सफलता ओर साधना निश्चित रूप से मिलेगी बाकी जो संन्यासी है उनके लिये तो गति गुरू ही प्रदान करते है यह भी सत्य है गुरू क्रिया ओर मंत्र देता है उनको गति शिष्य को देनी होती है
किसी भी जगह सूक्ष्म, स्थूल, प्रतिमा, या निरांकार को पुजा जाता है पुणे भक्ति भाव से तो वहाँ आस्था ओर श्रद्धा आपको आगे ले जाती है ,मान हो पर अभिमान ना हो ,गर्व हो पर घमण्ड ना हो, गुरू हो पर गरूर ना हो यही आध्यात्मिक की पहली सीडी है ।।
ओर साधना तप पुजा हो पर सत तत्व की अपने कर्म ओर कार्य की पुजा करे उतना ही अच्छा है पर पुणे मनोयोग से ।।
शरीर के साथ रिश्ते बदलते है पर परमात्मा नही बदलता इसलिए जूडना है तो उससे जूडो ताकि हर जन्म मे वो आपके साथ रहे यही आपका सततत्व या राह होनी चाहिए जो हमारे गुरूदेव के अनुसार है वो कहते है हम जो करे अगर अच्छा लगे तो वो तू ग्रहण कर ,नही लगे तो नजर अंदाज कर ।।
एक बात बताते है यहां आप सभी को एक कुम्हार जैस तरह मिट्टी के बर्तन बनाता है उनको पकाता है फिर कुछ समय बाद वापस बर्तन मिट्टा मे तबदील हो जाता है तो वो कुम्हार परमात्मा है ओर जिस आंग मे वो बर्तन पकते है वो गुरू है जो बर्तन सही पकता है वो घरो मे पहुच जाता है ओर जो बर्तन आग की आंच को सहन नही कर पाता वो आग मे ही मिट्टी बन जाते है ये वो है जो गुरू राह से भटक जाते है ।।अब आपको क्या बनना है यह आपके ऊपर है ।।
कितना लिखना है पता नही जैसे जैसे याद आयेगा ओर समय मिलता जायेगा लिखते जायेगे कुल मिलाकर इन पोस्टो का अंत सुखद होगा आप सेल करना चाहे तो कर सकते है अच्छी नही लगे तो नजरअंदाज कर सकते है ।।
प्रणाम आप सभी को ।।
ये विषय बहुत ही लम्बा है इसलिए इसको टूकडो टुकडो मे देना चाहेगे आप सभी चाहे तो इनको सेव कर सकते है पर सेव ओर जो यहाँ प्रयोग क्रिया दिये जाते है अपने गुरू देव पर पुणे श्रद्धा व्याप्त करते हुये ही उनका प्रयोग करे अन्याथा ना करे हानि लाभ के जिम्मेदार हम नही होंगे
नादान बालक की कलम से आगे फिर कभी ।।
आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश।।
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