Sunday, April 25, 2021

बाबा हनुमान जी का जन्मोत्सव कब है और कुछ चमत्कारी उपाय

मंगलवार 27/4/2021को बाबा लाल लंगोटी वाले बाबा यानी बाबा हनुमान जी का जन्मदिन है तो हम सभी आपको एक उपाय दे रहे रहे जो हमने पिछले साल ओर उसके पिछले साल भी दिया था ओर जो शत्रु पंडित है

उनके लिए भी एक मंत्र विधी विधान सहित कहाँ गया है और उसके साथ कुछ उपाय दिए हैं जो आप रोज कर सकते हैं समझ में नहीं आये तो पुंछ सकते हैं ,आप चारों करो तो बहुत अच्छा है मंगलवार सुबह जल्दी समय मिल जाये तो बहुत अच्छा है अपने घर मे पुजा के लिए बाबा की पुजा करे उनके साथ जो आपके इष्ट आदि देवता है उनकी भी पुजा करे तो बहुत अच्छा है फिर किसी भी बाबा के मंदिर जाये उनको सिंदूर पीले वाला (माँग भरने वाली कुमकुम नही ) ओर चमेली का तेल जाये दोनो को मिलाकर उनसे बाबा की मालिस करे ओर आपके जो हाथो मे जो सिंदूर लगा रह जाये उसको एक पात्र मे एक्कट्ठा कर लिजिये ओर अपने घर के हर दरवाजे के ऊपर स्वास्तिक बना दिजिये ओर अपनी छत के ऊपर भी दक्षिणी दिशा मे स्वास्तिक बना कर बाबा के नाम का पीला भगवा झण्डा लगा दिजिये अगर उस पर बाबा का चित्र बना हो तो सबसे अच्छा ओर बाबा हनुमान जी के मंदिर मे बाबा को चोला चढाने जाओ तो रक्त पुष्पो की माला लेते जाओ गुड़हल ओर कनेर के फुल,इत्र की शीशी ओर मीठे पान पान पर लोंग का बंध लगाना है, ओर एक नारियल ले जाना है उसको अपने सिर के ऊपर सात बार वार कर उनको यही कहना है कि , *हम आपकी शरण मे है यही हमारे गुरदेव का कहना है* यही बोलना है ओर आक के एक सौ आठ पतो की माला बनानी है कलवा के साथ ओर जो चोला नही चढा सके वो उनके चरणो से सिंदूर लाकर घर पर ऊपर वाली क्रिया कर सकती है। ओर वो आक के पतो की माला जो बाबा को चढी हुयी आप अगर सुबह अपने घर पर ला सको रविवार को लाकर उससे हवन कर लिजिये माला को चंदन लगाकर बाबा को पहनानी है घर मे हवन करने से रोग दोषो का विनाश होगा ओर सिंदूर से स्वास्तिक बनाने से आपके घर पर कोई अघात नही कर सकेगा कल जब भी बाबा के मंदिर जाओ तो मीठे के रूप मे मावे के पडे ओर पाँच तरह के फल भी लेकर जाये ओर कल बाबा के नाम से जो दान पुण्य हो करे केवल खाने की वस्तू का ध्यान रहे बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही पोस्ट को सभी मे फोरवड करे ओर पोस्ट के साथ छेड़ छाड़ करने पर दोष तो माना ही जाता है फलीभूत हो वो कोई जरूरी नही ये सब हमारे गुरू ओर इष्ट की देने है उसी पर क्रिया ओर ये सब उनकी देने बाकी आपकी इच्छा,,, 
इसके लाथ एक मंत्र विधान,, 
सर्व शत्रु निवारण मंत्र ये मंत्र हमने पंचमुखी हनुमान कवचम् से लिया है ओर भी काफी मंत्र है इस कवच मे जिसको कोई तोड नहीं है... 

ॐ पूर्वकपिमुखाय पच्चंमुखहनुमते टं, टं, टं, टं, टं, सकलशत्रुसंहरणाय स्वाहा.. 

इस मंत्र को इक्कीस हजार बार यानी २१००० बार जप हवन (जप के साथ हवन करना है )कर के सिद्ध कर ले इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद शत्रु भी आपसे मित्रवत व्यवहार करने लगेगे ओर शत्रु भय समाप्त हो जायेगा बाबा हनुमानजी को कोई भी मंत्र सिद्ध करो जाप पुणे होने पर उस मंत्र को भोजपत्र पर लाल चंदन से या लाल स्याही से उतार ले फिर उसको अभिमंत्रित करके फिर उसको ताबीज मे धारण करे ये हमारा अनुभव है की फल तुरंत मिलेगा पर बात आस्था ओर विश्वास की है 
बाकी छेड़ छाड़ किसी को फलित हो या ना हो ये कोई जरूरी नही आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।
नोट, महिलाओं के लिये भी एक पुजा विधान है कल के लिए कल वो बाबा हनुमान जी के मंदिर जाकर उनको परिक्रमा करके उनको प्रणाम करके फिर माँ पार्वती ओर बाबा भोले नाथ को की पुजा कर सकती है बाबा के नाम की बाबा भोलेनाथ को बिलपत्र चढा सकती है पर बिलपत्र पर ॐ श्री राम लिखा होना चाहिए चंदन से इससे उनके घर कलह मे ओर बाहरी रूकावटो से आराम मिल जायेगा बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा मानो तो अच्छा नही मानो तो बहुत अच्छा ।।।।
जो मंत्र नही कर सकते उनके लिये रामायण, रामचरित्र मानस, सुंदरकाण्ड, हनुमान चालीसा, बजरंग बाण, संकटमोचन, हनुमान जंजीरा ओर भी बहुत कुछ है,,,, 
और इसके साथ ही कुछ उपाय यह भी कर लीजिए घर में रोजमर्रा की जिंदगी में कुछ चमत्कारी उपाय,
सिंदूर को सुख, ,,सौभाग्य और संपन्नता का प्रतीक माना जाता है। खास तरीके से इसका इस्तेमाल किया जाए, तो इसके जादूई प्रभाव मिल सकते हैं। सिंदूर से केवल पति की उम्र ही लंबी नहीं होती बल्कि रातों रात बदल सकती है किस्मत, घर में भी आपको स्वर्ग से शांति महसूस होगी, इस लेख में बताए जा रहे उपाय को अगर आप जीवन भर करेंगे तो आपके घर-परिवार पर धन सदा बरसता रहेगा और जीवन की सभी बाधाओं को शांत करेगा। सिंदूर और कुमकुम से हो सकते हैं आपके सभी सपने पूरे आईए जानें कैसे,,
प्रतिदिन घर के पुरूष बाबा हनुमान जी को सिंदूर लगाएं और महिलाएं देवी मां भगवती दुर्गा को कुमकुम, ध्यान रहे पुरूष देवी मां भगवती दुर्गा को सिंदूर न लगाएं और महिलाएं बाबा हनुमान जी को,
घर के मुख्य द्वार पर सरसो का तेल और और बाबा हनुमान जी के चरणों का सिंदूर का टीका लगाने से कोई भी बुरी शक्ति घर में प्रवेश नहीं कर सकती, वास्तुदोष समाप्त होते हैं ,,देवी मां लक्ष्मी अपना स्थाई बसेरा बना लेती हैं और बाबा शनिदेव  नजर दोष से रक्षा करते हैं,
मंगलवार को बाबा हनुमान जी के चरणों का सिंदूर लेकर उससे सफेद कागज पर स्वास्तिक बनाएं, उस कागज को मोड़े नहीं सदा इस कागज को अपने पास रखें। प्रतिदिन इस कागज को प्रणाम करें। नौकरी से संबंधित कोई भी समस्याओं का हल होगा तुरंत,
महिलाएं सुबह स्नान करके देवी मां गौरी को सिंदूर लगाएं फिर स्वंय की मांग भरें। पति-पत्नी के बीच प्यार की कमी और छोटे-मोटे विवादों का सामना नहीं करना पड़ेगा। इस उपाय से आप अपनी लाइफ को रोमांटिक और खुशहाल बना सकते हैं,,,
प्रणाम आप सभी पुजनीयो को,,,
ऐसी की ऐसी ही शेयर करे सभी मे अगर नाम कमाने का शोक है तो आपकी इच्छा नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी जय मां बाबा की 🙏🏻🌹
आप सभी को बाबा के जन्मोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं 
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधेकृष्णा अंलख आदेश 

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भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव कब है,

आप सभी को भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई

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भगवान महावीर के जन्मदिवस को  जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना गया है. इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था. भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था. तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए. इस बार भगवान महावीर का जन्मोत्सव  25 अप्रैल को मनाई जा रहां है.
अब भगवान महावीर जन्मोत्सव का महत्व- कहते हैं कि 12 साल की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई. इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे. जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर जन्मोत्सव तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है.
क्या है पंचशील सिद्धांत- जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है. तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया. उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य. महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया. भगवान महावीर ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है. उन्होंने मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकौड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है.
भगवान महावीर जी के पांच सिद्धांत क्या है जानते हैं,
मोक्ष पाने के बाद, भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत दर्शाएं जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं| जिनमें शामिल हैं - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अंतिम पांचवा सिद्धांत अपरिग्रह |
पहला सिद्धांत है अहिंसा,  इस सिद्धांत के अनुसार जैनों को किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए| भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाना है|
दूसरा सिद्धांत है सत्य, भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ| जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है|लोगों को हमेशा सत्य बोलना चाहिए|
तीसरा सिद्धांत है अस्तेय, अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं ये लोग संयम से रहते हैं और केवल वही लेते हैं जो उन्हें दिया जाता है|
चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य, इस सिद्धांत के लिए जैनों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है; जिसके कारण वे कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते|
पांचवा अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह, यह शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है| अपरिग्रह का पालन करके, जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं|
#आप सभी से निवेदन है कि #जयंती केवल महापुरुषों की मनाई जाती है भगवान का केवल #जन्मोत्सव मनाया जाता है इसलिए निवेदन है कि #जयंती नहीं #जन्मोत्सव मनाये 🙏🏻🌹
आप सभी को भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई,,🙏🏻🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻🌹

Sunday, April 11, 2021

सनातन हिंदू धर्म नव वर्ष कब आता है जानिए आप सभी

मित्रों जय मां बाबा की आप सभी को सनातन हिंदू धर्म के *नववर्ष* की और *नवरात्रि* की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई,

मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं सनातन धर्म का नववर्ष आरंभ होने वाला है वैसे भी सनातन हिंदू धर्म में या हिंदुस्तान में नववर्ष से आरंभ होता है तो इसके साथ ही पश्चिम राज्य महाराष्ट्र गोवा और कई जगह कोकण क्षेत्र में गुड़ी पड़वा के रूप में हिंदू नव वर्ष मनाया जाता है और पुरवा तो राज्य मणिपुर मैं इसे चौरोबा के रूप में मनाया जाता है जम्मू कश्मीर में नव वर्ष को नवरहे के रूप में मनाया जाता है इस दिन चैत्र नवरात्रि का भी पहला दिन होता है मां आदिशक्ति जगत जननी जगदंबा की उपासना का पर्व होता है जिसमें 9 दिन देवी मां मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा अर्चना की जाती है मां के भक्तों नवरात्रि का व्रत रखकर उनकी उपासना भी करते हैं साधना करते हैं साधक तपस्वी साधु संत तांत्रिक अघोरी तंत्रोक्त साधना करते हैं इसमें मां से हो उनकी कृपा पात्र बनने की या उनके चरण सेवक बनने की शक्ति मंत्र आदि इत्यादि को साधने का प्रयास सिद्धि पाने का प्रयास कृपा पाने का प्रयास करते हैं इन सब की जानकारी केवल अपने गुरु और शिष्य में ही प्रदान करते हैं भक्त और भवानी के बीच में केवल प्रेम वात्सल्य रूपी साधना होती है चैत्र शुक्ल प्रतिपदा हिन्दू वर्ष की प्रथम तिथि है यह तिथि धार्मिक रूप से बेहद ही महत्वपूर्ण तिथि मानी जाती है इस साल 13 अप्रैल को यह तिथि पड़ रही है और इसी दिन सनातन हिन्दू धर्म नववर्ष 2078 प्रारंभ हो रहा है और चेत्र नवरात्रि का भी आरंभ इसी दिन होता है, सनातनी हिन्दू *नववर्ष* को विक्रम संवत के नाम से जाना जाता है आप सभी को सनातनी हिंदू *नववर्ष* की और *नवरात्रि* की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई इसके साथ ही वैदिक शास्त्र और पुराणों के अनुसार इसी दिन ब्रह्मा जी ने सृष्टि की रचना की थी इसीलिए इस पावन तिथि को *नव* *संवत्सर* कहते हैं और इसी रूप में भी मनाया जाता है आप सभी पर देवी मां आदिशक्ति जगत जननी जगदंबा अपनी कृपा बनाए रखें नव वर्ष में आप सभी को खुशहाली प्रदान करें यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है यह साल अत्यदित कष्टदायक भी हो सकता है इसलिए पुणे सावधानी रखें नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आप सभी से निवेदन है कल भी अमावस्या हैं और सोमवार को भी अमावस्या हैं तो जितना हो सके गुरुमंत्र ओर इष्टमंत्र का जाप करें ताकि आपके सभी संकटो का निवारण हो सके, आप सभी को एक बार फिर से सनातनी हिंदू *नववर्ष* की और *नवरात्रि* की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलग आदेश

Friday, April 9, 2021

सोमवती अमावस्या के कुछ उपाय और टोटके भाग 2

#सोमवती #अमावस्या के कुछ उपाय और टोटके भाग 2
साल 2021 में केवल एक ही अमावस्या ऐसी पड़ रही है जो सोमवती अमावस्या है इसलिए 12 अप्रैल वाली सोमवती अमावस्या का महत्व काफी अधिक माना जा रहा है. ऐसी मान्यता है


कि अगर सोमवती अमावस्या पर कोई उपवास करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती हैं. इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है. ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है. इसके अलावा सनातनी नववर्ष 2077 की समाप्ति ओर नववर्ष के आगमन का अंतिम दिन है 
 सोमवती अमावस्या शुभ मुहूर्त
अमावस्या प्रारम्भ- 11 अप्रैल 2021 सुबह 06:03 बजे से
अमावस्या समाप्त- 12 अप्रैल  2021 सुबह 08:00 बजे तक
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। संभव हो तो इस दिन पवित्र नदियों में स्ना करें
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत करें। सोमवती अमावस्या के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है
भगवान शिव की अराधना कर उन्हें भोग लगाएं
भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की आरती करें
इस दिन आप दिनभर ऊॅं नम: शिवाय का जप भी कर सकते हैं
सनातन धर्म में अमावस्या तिथि का बहुत अधिक महत्व होता है सोमवार के दिन अमावस्या पड़ने से इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है सोमवार को पड़ने वाली अमावस्या को सोमवती अमावस्या के नाम से जाना जाता है ,2021 में पड़ने वाली ये पहली और अंतिम सोमवती अमावस्या है  इस पावन दिन पवित्र नदियों, तालाबों में स्नान करने का विशेष महत्व होता है, सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है,
इस दिन सुहागिन महिलाएं अपनी पति की लंबी उम्र के लिए व्रत भी रखती हैं  विवाहित महिलाएं इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा करती हैं और पीपल पर दूध, पुष्प, अक्षत और चंदन अर्पित करती हैं अमावस्या के दिन पितरों से संबंधित कार्य करना भी शुभ होता है। इस दिन दान करने का भी विशेष महत्व होता है इस दिन दान करने का कई गुना फल मिलता है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,
भूखे लोगों को भोजन कराएं अमावस्या के दिन भूखे लोगों को भोजना कराने का विशेष महत्व होता है
मछलियों को शक्कर मिश्रित आटे की गोलियां खिलाए
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन किसी जरूरतमंद व्यक्ति को तिल के लड्डू, तेल, कंबल और वस्त्र जैसी जरूरी चीजों का दान करना चाहिए
इस दिन पशु- पक्षियों को भोजना कराना भी शुभ रहता है
अब मित्रों कुछ विस्तार से जैसा हमने पिछले पोस्ट में बताया था कि इस साल सोमवती अमावस्या 12 अप्रैल को पड़ रही है सनातन धर्म के अनुसार, अमावस्या के दिन पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए दान-पुण्य और पिंडदान किए जाते हैं सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के वृक्ष की फेरी लगाना भी बेहद शुभ माना जाता है  जानिए पीपल की सोमवती अमावस्या के दिन क्यों लगाते हैं फेरी, महत्व और पूजा विधि-
पीपल के पेड़ की पूजा करें इसके साथ ही तुलसी का भी पौधा रखें  पीपल पर दूध, दही, रोली, चंदन, अक्षत, फूल, हल्दी, माला, काला तिल आदि चढ़ाएं वहीं तुलसी में पान, फूल, हल्दी की गांठ और धान चढ़ाएं इसके बाद पीपल की कम से कम 108 बार परिक्रमा करें घर आकर पितरों का तर्पण दें इसके साथ ही गरीबों को र दान-दक्षिणा देना शुभ माना जाता है सनातनी धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, सुहागिन स्त्रियों को सोमवती अमावस्या के दिन स्नान आदि करने के बाद पीपल के पेड़ की विधि-विधान के साथ पूजा करनी चाहिए सोमवती अमावस्या के दिन पीपल के पेड़ की परिक्रमा करने का भी विशेष महत्व होता है मान्यता है कि ऐसा करने से वैवाहिक जीवन सुखी होता है इसके साथ ही जिन जातकों के विवाह में विलंब हो रहा हो तो इस व्रत के प्रभाव से शीघ्र विवाह होने के योग बनते हैं
सनातन धर्म में पूजा-अर्चना के लिए अमावस्या व पूर्णिमा तिथि को बेहद शुभ माना जाता है कहते हैं कि इस दिन पूजा करने से देवी-देवता आसानी से प्रसन्न होते हैं और भक्तों पर कृपा बरसाते हैं मान्यता है कि अमावस्या के दिन गंगा व अन्य पवित्र नदियों में स्नान करने से कई यज्ञों के बराबर पुण्य की प्राप्ति होती है
इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें संभव हो तो इस दिन पवित्र नदियों में स्ना करें अगर नदियों में स्नान नहीं कर सके तो आप अपने नहाने के पानी में पवित्र नदियों का पानी मिलाकर स्नान कर सकते हैं
घर के मंदिर में दीप प्रज्वलित कर भगवान का ध्यान करें
अगर संभव हो तो इस दिन व्रत करें सोमवती अमावस्या के व्रत का बहुत अधिक महत्व होता है
भगवान शिव की अराधना कर उन्हें भोग लगाएं
भगवान शिव के साथ ही माता पार्वती की आरती करें
इस दिन आप दिनभर ऊॅं नम: शिवाय का जप भी कर सकते हैं 
कुछ उपाय विस्तार से,
चैत्र अमावस्या विक्रम संवंत वर्ष का अंतिम दिन होता है विक्रम संवंत को आम भाषा में सनातनी हिन्दू कैलेंडर के नाम से भी जाना जाता है चैत्र अमावस्या तिथि की समाप्ति के बाद चैत्र शुक्ल प्रतिपदा तिथि आती है जो सनातन हिन्दू धर्म नववर्ष का पहला दिन होता है जैसा हम पहले ही बता चूके है  मान्यता अनुसार चैत्र शुक्ल प्रतिपदा के दिन ही ब्रह्मा जी ने इस सृष्टि की रचना की थी नवरात्र भी हिन्दू नवर्ष की पहली तिथि से प्रारंभ होता है इस दिन कई लोग व्रत भी रखते हैं  आप चाहे तो मौन व्रत भी रख सकते हैं ,सोमवती अमावस्‍या के दिन अगर पीपल के सूत को 108 बार कच्‍चे सूत से लपेटना चाहिए इसके अलावा गिनती के 108 फल अर्पित करके उन्‍हें अलग रख लें पूजा संपन्‍न होने के बाद फल ब्राह्मणों या बच्‍चों में वितरित कर दें ऐसा करने से व्‍यक्ति के जीवन में धन-धान्‍य की पूर्ति तो होती ही है, मान्यता अनुसार सोमवती अमावस्‍या के द‍िन ॐकार मंत्र का जप करना अत्‍यंत फलदायी होता है इसके जप से मनोवांछित सभी कामनाओं की पूर्ति होती है इसके अलावा अगर इस दिन रात्रि काल में रोटी पर सरसों का तेल लगाकर काले कुत्‍ते को रोटी खिलाएं  इससे जीवन में आने वाले सारे कष्‍ट और करियर में आने वाली बाधाएं दूर होती हैं ,सोमवती अमावस्‍या के दिन अगर मौन रहकर स्नान करने से हजार गौदान का फल मिलता है। इसके अलावा अगर इस दिन पीपल और भगवान विष्णु का पूजन किया जाए तो भी सभी मनोकामनाएं पूरी होती है पूजन के बाद पीपल की 108 बार परिक्रमा करें इसके बाद प्रणाम करके प्रार्थना करें कि जीवन में आने वाली आर्थिक समस्‍याएं खत्‍म करें ,सोमवती अमावस्‍या के दिन अगर पीपल के सूत को 108 बार कच्‍चे सूत से लपेटना चाहिए इसके अलावा गिनती के 108 फल अर्पित करके उन्‍हें अलग रख लें पूजा संपन्‍न होने के बाद फल ब्राह्मणों या बच्‍चों में वितरित कर दें ऐसा करने से व्‍यक्ति के जीवन में धन-धान्‍य की पूर्ति तो होती ही है साथ ही संतान की अकाल मृत्यु नहीं होती मान्यता अनुसार ओर आपके विश्वास और श्रद्धानुसार ओर इस दिन तुलसी मां की पूजा करनी चाहिए इसके लिए सबसे पहले तुलसी को जल,फूल चढ़ाएं इसके बाद धूप-दीप दिखाकर श्रद्धा से ‘श्री हर‍ि श्री हरि श्री हरि’ मंत्र का जाप करते हुए 108 बार परिक्रमा करें तुलसी मां से प्रार्थना करें कि वह आपके जीवन की सारी मुसीबतों और धन समृद्धि में आने वाली बाधाओं को दूर करें इस दिन भूखे जीवों को भोजन कराने का भी महत्व है यदि संभव हो तो कम से कम एक भिखारी अथवा गाय को भोजन करावें या किसी निकट के सरोवर में जाकर मछलियों को शक्कर मिश्रित आटे की गोलियां खिलाएं इससे घर में पैसे की आवक शुरू हो जाती है इस दिन निकट के किसी शिवमंदिर में जाकर शिवलिंग पर जल व बिल्वपत्र चढ़ाए इसके बाद वहीं बैठकर ऊँ नमः शिवाय मंत्र का जाप करें इससे कालसर्पयोग दोष का असर खत्म हो जाता है मान्यता अनुसार और शास्त्रों के हिसाब से और इसी दिन सुबहको स्नान के पश्चात चांदी से बने नाग-नागिन की पूजा करें तथा सफेद फूल के साथ बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें इससे कालसर्पयोग का दोष दूर हो जाता है या दोषमुक्त हो जाता है और किसी को पूजा पाठ या मंत्र में कोई दिक्कत आती है तो ज्योतिष की सलाह ले सकते हैं और अपना जो भी कर्मकांड है ज्योतिषी या पुजारी से पंडित से किसी से भी करवा सकते हैं और उनको उचित मान सम्मान दक्षिणा देकर भोजन करवाकर विदा करवा सकते हैं मंत्र ज्योतिष अनुसार,जिसे कालसर्प दोष हो, उन व्यक्तियों को अमावस्या के दिन किसी अच्छे पंडित से अपने घर में शिवपूजन एवं हवन करवाना चाहिए नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ,इस दिन शराब आदि नशे से भी दूर रहना चाहिए इसके सेवन से आपके शरीर और भविष्य पर भी दुष्परिणाम हो सकते हैं क्योंकि इससे पित्र दोष लगता है और इससे इंसान अपने आराध्य देव देवी दूर हो जाता है उसमें नेगेटिविटी का संचार होता है और देवी देवता पितर कुपित और नाराज होते हैं इसी रात्रि को 5 लाल फूल और 5 जलते हुए दीये बहती नदी के पानी में छोड़ें इस उपाय से धन का लाभ प्राप्त होने के प्रबल योग बनेंगे माल फूलों को रक्त पुष्प भी कहा जाता है जिनमें केवल कनेर और गुड़हल के फूल आते हैं और मित्रों इसी दिन अगर बेरोजगार व्यक्ति रात को ये उपाय करें तो निश्चित ही उसे रोजगार प्राप्त  होगा इसके लिए 1 नींबू को साफ करके सुबह से ही अपने घर के मंदिर में रख दें फिर रात  के समय इसे 7 बार बेरोजगार व्यक्ति के सिर से उतार लें और 4 बराबर भागों में काट लें फिर एक चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में इसको फेंक दें इस उपाय से बेरोजगार व्यक्ति को लाभ की संभावना बनेगी प्रिय मित्रों कोरोना के चलते कई बंधु बेरोजगार हुए हैं तो उनको यह उपाय जरूर करना चाहिए ताकि उनकी समस्याओं का समाधान हो , इसी दिन काली चींटियों को शकर मिला हुआ आटा खिलाएं तवे पर आटे को गर्म करके उसमें शक्कर मिलाएं यानी कच्चे आटे को पकाना या एक गोला ले लीजिए नारियल का गोला अंदर वाला उसमें भर के चीटियों के बिल के पास रख दें या उसको चीटियों के बिल के पास ऊपर थोड़ा सा छेद करके जमीन में कुछ गहराई में डाल दे जहां चीटियां हो ऐसा करने से आपके पाप-कर्मों का क्षय होगा और पुण्य-कर्म उदय होंगे यही पुण्य-कर्म आपकी मनोकामना पूर्ति में सहायक होंगे मित्रों को ज्यादा कुछ नहीं कर सकते हो समय कि आपके पास कमी है तो इसी दिन शाम को पीपल अथवा बरगद के पेड़ की पूजा करें तथा वहां देसी घी का दीपक जलाएं मां बाबा आपकी मनोकामनाएं जरुर पूरी करेंगे यह सब आपकी आस्था और विश्वास पर निर्भर है मित्रों इसी दिन यानी सोमवती अमावस्या के दिन घर के मंदिर अथवा ईशान कोण में गाय के घी का दीपक जलाएं इसमें रूई के स्थान पर लाल रंग के धागे यानी आप लाल रंग का कलावा राजस्थानी भाषा में लच्छा इस्तेमाल कर सकते हैं तथा केसर का उपयोग करें, इससे देवी मां लक्ष्मी कृपा मिलना शुरू हो जाएगी यह हमारा विश्वास है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आप सभी को सनातनी नव वर्ष संमत 2078 और नवरात्रि की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई मां बाबा आपकी सभी मनोकामनाएं पूर्ण करें यही महासभा से हमारी प्रार्थना हैं
एक बार फिर से इस दिन क्या-क्या करना है देख लीजिए सुबह सुबह
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें
इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें
 इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा रें
 दान-दक्षिणा भी करें.
इस दिन स्नान करने के बाद भगवान शिव और पार्वती के साथ तुलसी पूजा का भी महत्व बताया गया है 
पितरों का तर्पण करें  दान दें भूखे को भोजन कराएं पीपल पूजा करें दीपक जलाएं काले कुत्ते को रोटी खिलाएं चींटियों को आटा खिलाएं और जो ऊपर दिए गए उपाय पर आपको विश्वास है श्रद्धा है अपने पितरों में और भगवान में तो जरूर करें सफलता आपके साथ होगी जय मां बाबा की 🙏🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

सोमवती अमावस्या कब से है और शुभ मुहूर्त कब से है भाग एक,


#सोमवती #अमावस्या कब से है और शुभ मुहूर्त कब से है 

मित्रों जैसे आप सभी जानते हैं कि सनातन नव वर्ष आरंभ होने वाला है इस साल की यह आखरी अमावस्या है और सोमवती अमावस्या भी है इस नववर्ष में यही एक सोमवती अमावस्या आएगी ,धार्मिक मान्यताओं के अनुसार सोमवती अमावस्या का विशेष महत्व होता है। इस पावन दिन पितरों का तर्पण करने से उनका विशेष आर्शीवाद प्राप्त होता है और जीवन में सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है,
इस दिन पवित्र नदियों में स्नान का भी विशेष महत्व होता है
सोमवती अमावस्या के दिन भगवान शिव की पूजा- अर्चना करने से सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं इस पावन दिन माता लक्ष्मी की पूजा करना भी शुभ होता है
इस सनातनी नववर्ष में और साल 2021 में केवल एक ही अमावस्या ऐसी पड़ रही है जो सोमवती अमावस्या है इसलिए 12 अप्रैल वाली सोमवती अमावस्या का महत्व काफी अधिक माना जा रहा है, ऐसी मान्यता है कि अगर सोमवती अमावस्या पर कोई उपवास करता है तो उसकी सभी इच्छाएं पूरी हो सकती है  इस दिन पितरों का तर्पण भी किया जाता है ऐसा करने से व्यक्ति को अपने पितरों का आशीर्वाद प्राप्त होता है 
इस दिन सुबह जल्दी उठकर क्या करना चाहिए वह भी जान ले नादान बालक की कलम से बस इतना ही बाकी फिर कभी,
सोमवती अमावस्या के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और साफ-सुथरे कपड़े पहनें
इसके बाद सबसे पहले सूर्य देव को अर्घ्य दें
इस दिन पीपल के वृक्ष की पूजा रें
दान-दक्षिणा भी करें.
इस दिन स्नान करने के बाद भगवान शिव और पार्वती के साथ तुलसी पूजा का भी महत्व बताया गया है,
मित्रों पुरा विस्तार से बता रहे हैं हो सकता है इस पोस्ट के दो भाग  करने पड़े जिसमें उपाय और मुहूर्त समय सारी चीजें दो भागों में विभाजित हो जाए और आप आसानी से हम को समझ सके,
ब्रह्म मुहूर्त- 04:17 ए एम, अप्रैल 13 से 05:02 ए एम, अप्रैल 13 तक
अभिजित मुहूर्त- 11:44 ए एम से 12:35 पी एम तक
विजय मुहूर्त- 02:17 पी एम से 03:07 पी एम तक
गोधूलि मुहूर्त- 06:18 पी एम से 06:42 पी एम तक
अमृत काल- 08:51 ए एम से 10:37 ए एम तक
निशिता मुहूर्त- 11:46 पी एम से 12:32 ए एम, अप्रैल 13 तक
राहुकाल- 07:23 ए एम से 08:59 ए एम तक
यमगण्ड- 10:34 ए एम से 12:10 पी एम तक
गुलिक काल- 01:45 पी एम से 03:20 पी एम तक
दुर्मुहूर्त- 12:35 पी एम से 01:26 पी एम तक
गण्ड मूल- पूरे दिन
पंचक- 05:48 ए एम से 11:30 ए एम तक
इस साल सोमवती``अमावस्या``` के दिन वैधृति और विष्कंभ योग बन रहा है। खास बात यह है कि पूरे साल में सिर्फ एक ही *सोमवती* अमावस्या पड़ रही है
सोमवती अमावस्या के दिन वैधृति योग दोपहर 2 बजकर 28 मिनट तक रहेगा इसके बाद विष्कुम्भ योग लग जाएगा
#विष्कुम्भ योग : _ज्योतिष_ शास्त्र में इस योग को विष से भरा हुआ घड़ा माना जाता है इसीलिए इसका नाम विष्कुम्भ योग है। जिस तरह से विष का सेवन करने पर सारे शरीर में धीरे-धीरे विष भर जाता है वैसे ही इस योग में किया गया कोई भी कार्य विष के समान होता है। यानी इस योग में किए गए कार्य का फल अशुभ होता है
#वैधृति योग _यह_ योग स्थिर कार्यों हेतु ठीक है परंतु यदि कोई भाग-दौड़ वाला कार्य अथवा यात्रा आदि करनी हो तो इस योग में नहीं करनी चाहिए मित्रों अगले भाग में कुछ उपाय देंगे नादान बालक की _कलम_ से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Tuesday, April 6, 2021

इस साल का पहला चंद्र ग्रहण कब है,,,???

इस साल का पहला चंद्र ग्रहण कब है,,,???

सनातनी नववर्ष पंचांग के अनुसार इस वर्ष का पहला ग्रहण चंद्र ग्रहण 26 मई 2021 को लगेगा, 

इस चंद्र ग्रहण को उपछाया ग्रहण कहा जा रहा है, उपछाया चंद्र ग्रहण की स्थिति में पृथ्वी, चंद और सूर्य एक सीधी लाइन में नहीं होते हैं,  इसीलिए इसे उपछाया चंद्र ग्रहण कहते हैं,  इसलिए 26 मई 2021 को लगने जा रहे चंद्र ग्रहण को उपछाया चंद्र ग्रहण कहा जा रहा है,

क्या इस ग्रहण में सूतक काल की स्थिति रहेगी,,????
मान्यता है कि उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल मान्य नहीं होता है, पूर्ण चंद्र ग्रहण की स्थिति में सूतक काल चंद्र ग्रहण लगने से 9 घंटे पूर्व आरंभ होता है, उपछाया चंद्र ग्रहण के दौरान सूतक काल के नियमों का पालन नहीं किया जाता है, इसलिए 26 मई को लगने जा रहे चंद्र ग्रहण में सूतक काल मान्य नहीं होगा, यही ध्यान रखें नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Saturday, April 3, 2021

नवरात्रि कब से है और मुहूर्त कब से हैं कब से पूजा शुरू करें नवरात्रि नवरात्रि में

मित्रों आप सभी जानते हैं कि चैत्र नवरात्रि आने वाली है और इसी के साथ सनातनी नववर्ष का भी आगमन हो‌ जायेगा 
सनातन धर्म के पवित्र पर्वों में से एक नवरात्रि भी है चैत्र माह की शुरुआत हो चुकी है और कुछ ही दिनों में चैत्र माह की नवरात्रि भी शुरू होने वाली है

यह त्यौहार पूरे भारत में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है यह नो दिनों तक चलता है और यह नवदुर्गा और सिद्ध महा विधा को समर्पित होता है पर इन नो‌ दिनो के दौरान मां दुर्गा के नौ अलग-अलग रूपों की उपासना की जाती है और सिद्ध महा विधा और अपने अपने इष्ट देव या देवी पुजा साधना की जाती है ओर ‌साथ ही व्रत भी किए जाते हैं एक वर्ष में चार बार नवरात्रि आती हैं इनमें से दो गुप्त नवरात्रि होती हैं तो दो  सार्वजनिक ये तो हम हमारी हर नवरात्रि की पोस्ट बताते ही है इनके अलावा एक पांचवी नवरात्रि भी होती है वो है  शाकंभरी नवरात्रि जो कर मास यानि जनवरी की शुरुआत में आती है तो मित्रों अब आते हैं आने वाली नवरात्रि पर,,,
चैत्र नवरात्र 13 अप्रैल से शुरू होने जा रहे हैं। इनका समापन 22 अप्रैल को होगा तो आइए जानते हैं नवरात्रि के नौ (9) दिनों के बारे में ,
चैत्र नवरात्रि के लिये घटस्थापना चैत्र प्रतिपदा को होती है जो कि हिन्दु कैलेण्डर का पहला दिवस होता है अतः भक्त लोग साल के प्रथम दिन से अगले नौ दिनों तक माता की पूजा कर वर्ष का शुभारम्भ करते हैं चैत्र नवरात्रि को वसन्त नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है  भगवान राम का जन्मदिवस चैत्र नवरात्रि के अन्तिम दिन पड़ता है और इस कारण से चैत्र नवरात्रि को राम नवरात्रि के नाम से भी जाना जाता है 
वहीं इसी दिन से सनातन धर्म का नया साल यानि नवसंवत्सर 2078 शुरु होगा, इस नवसंवत्सर के राजा और मंत्री दोनों ही मंगल रहेंगे तो आप सभी को नववर्ष की बहुत-बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई
चैत्र नवरात्रि 2021 घोड़े पर सवार होकर आएंगी मां दुर्गा,,
इस बार चैत्र नवरात्रि का आरंभ मंगलवार के दिन से होगा जिसकी वजह से मां घोड़े पर सवार होकर आएंगी इससे पहले शारदीय नवरात्रि पर भी मां घोड़े पर सवार होकर आई थीं देवी मां जब भी घोड़े पर आती हैं तो युद्ध की आशंका बढ़ जाती है 
घटस्थापना विधि 
सबसे पहले एक पात्र लें उस पात्र में मिट्टी बिछाएं फिर पात्र में रखी मिट्टी पर जौ के बीज डालकर उसके ऊपर मिट्टी डालें अब इसमें थोड़े-से पानी का छिड़काव करे अब एक कलश लें इस पर स्वस्तिक बनाएं फिर मौली या कलावा बांधें इसके बाद कलश को गंगाजल और शुद्ध जल से भरें इसमें साबुत सुपारी, फूल और दूर्वा डालें साथ ही इत्र, पंचरत्न और सिक्का भी डालें इसके मुंह के चारों ओर आम के पत्ते लगाएं। कलश के ढक्कन पर चावल डाले देवी का ध्यान करते हुए कलश का ढक्कन लगाएं अब एक नारियल लेकर उस पर कलावा बांधें कुमकुम से नारियल पर तिलक लगाकर नारियल को कलश के ऊपर रखें। नारियल को पूर्व दिशा में रखें कलश पर स्वास्तिक का चिह्न जरूर बनाएं,,,
घटस्थापना का शुभ मुहूर्त-

दिन- मंगलवार
तिथि- 13 अप्रैल 2021
शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 28 मिनट से सुबह 10 बजकर 14 मिनट तक।
अवधि- 04 घंटे 15 मिनट
चैत्र नवरात्रि के पहले दिन शुभ योग

- विष्कुम्भ योग 12 अप्रैल की दोपहर 2:27 बजे से 13 अप्रैल की दोपहर 3:16 मिनट तक

- प्रीति योग 13 अप्रैल की दोपहर 3:16 बजे 14 अप्रैल की दोपहर 4:15 मिनट तक
नवरात्र में महानिशा पूजा सप्तमी युक्त अष्टमी या मध्य रात्रि में निशीथ व्यापिनी अष्टमी में की जाती है. इस साल चैत्र नवरात्रि में महानिशा पूजा 20 अप्रैल को की जाएगी, साधक गण दशमी को भैरव पुजा करके नवरात्रि की  पुर्णाआहुति प्रदान कर‌ सकते हैं नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,, कैसे जानते हैं 9 दिन में किस-किस मां की किस किस दिन पूजा होगी,
13 अप्रैल, मंगलवार,  नवरात्रि का पहला दिन मां शैलपुत्री को समर्पित है इस दिन कलश स्थापना यानी घटस्थापना की जाती है मां शैलपुत्री की पूजा करने से व्यक्ति पर मां का आशीर्वाद बना रहता है,
14 अप्रैल, बुधवार,नवरात्रि का दूसरा दिन मां ब्रह्मचारिणी को समर्पित है इनकी पूजा करने से व्यक्ति में तप, त्याग, सदाचार और संयम की भावना जागृत होती है,
15 अप्रैल, गुरुवार, नवरात्रि का तीसरा दिन मां चंद्रघंटा को समर्पित है इनकी पूजा करने से वाणी मधुर होती है,
16 अप्रैल, शुक्रवार,नवरात्रि का चौथा दिन मां कुष्मांडा को समर्पित है इनकी पूजा करने से रोग-शोक दूर होते हैं और आयु और यश में वृद्धि होती है,,
17 अप्रैल, शनिवार, नवरात्रि का पांचवां दिन मां स्कंदमाता को समर्पित है इनकी पूजा करने से मोक्ष के द्वारा खुल जाते हैं,,
18 अप्रैल, रविवार, नवरात्रि का छठा दिन मां कात्यायनी को समर्पित होता है, इनकी पूजा करने से दुश्मन निर्बल हो जाते हैं,
19 अप्रैल, सोमवार, नवरात्रि का सातवां दिन मां कालरात्रि को समर्पित होता है इनकी पूजा करने से व्यक्ति को उसके सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है,
20 अप्रैल, मंगलवार, नवरात्रि का आठवां दिन मां महागौरी को समर्पित होता है इनकी पूजा करने से समस्त पापों का नाश होता है और सुखों में वृद्धि होती है,
21 अप्रैल, बुधवार, नवरात्रि का नौवां दिन मां सिद्धिदात्री को समर्पित है इनकी पूजा करने से व्यक्ति को समस्त नव-निधियों की प्राप्ति होती है
मित्रों जैसा मैंने पहले भी नवरात्रि में राशियों के बारे में मंत्र और कुछ उपाय दिए हैं आप सभी से निवेदन है फिर से एक बार देख लीजिए उपाय मंत्र पहले भी तेरी थी और भी आकर दे देंगे नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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