भगवान महावीर के जन्मदिवस को जैन धर्म का सबसे बड़ा पर्व माना गया है. इसी दिन जैन धर्म के 24वें तीर्थंकर भगवान महावीर का जन्म हुआ था. भगवान महावीर का जन्म करीब ढाई हजार साल पहले (ईसा से 599 वर्ष पूर्व), वैशाली के गणतंत्र राज्य क्षत्रिय कुण्डलपुर में हुआ था. तीस वर्ष की आयु में महावीर ने संसार से विरक्त होकर राज वैभव त्याग दिया और संन्यास धारण कर आत्मकल्याण के पथ पर निकल गए. इस बार भगवान महावीर का जन्मोत्सव 25 अप्रैल को मनाई जा रहां है.
अब भगवान महावीर जन्मोत्सव का महत्व- कहते हैं कि 12 साल की कठिन तपस्या के बाद भगवान महावीर को केवल ज्ञान प्राप्त हुआ और 72 वर्ष की आयु में उन्हें पावापुरी से मोक्ष की प्राप्ति हुई. इस दौरान महावीर स्वामी के कई अनुयायी बने जिसमें उस समय के प्रमुख राजा बिम्बिसार, कुनिक और चेटक भी शामिल थे. जैन समाज द्वारा महावीर स्वामी के जन्मदिवस को महावीर जन्मोत्सव तथा उनके मोक्ष दिवस को दीपावली के रूप में धूम धाम से मनाया जाता है.
क्या है पंचशील सिद्धांत- जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर स्वामी का जीवन ही उनका संदेश है. तीर्थंकर महावीर स्वामी ने अहिंसा को सबसे उच्चतम नैतिक गुण बताया. उन्होंने दुनिया को जैन धर्म के पंचशील सिद्धांत बताए, जो है– अहिंसा, सत्य, अपरिग्रह, अचौर्य (अस्तेय) और ब्रह्मचर्य. महावीर ने अपने उपदेशों और प्रवचनों के माध्यम से दुनिया को सही राह दिखाई और मार्गदर्शन किया. भगवान महावीर ने अहिंसा की जितनी सूक्ष्म व्याख्या की, वह अन्य कहीं दुर्लभ है. उन्होंने मानव को मानव के प्रति ही प्रेम और मित्रता से रहने का संदेश नहीं दिया अपितु मिट्टी, पानी, अग्नि, वायु, वनस्पति से लेकर कीड़े-मकौड़े, पशु-पक्षी आदि के प्रति भी मित्रता और अहिंसक विचार के साथ रहने का उपदेश दिया है.
भगवान महावीर जी के पांच सिद्धांत क्या है जानते हैं,
मोक्ष पाने के बाद, भगवान महावीर ने पांच सिद्धांत दर्शाएं जो समृद्ध जीवन और आंतरिक शांति की ओर ले जाते हैं| जिनमें शामिल हैं - अहिंसा, सत्य, अस्तेय, ब्रह्मचर्य और अंतिम पांचवा सिद्धांत अपरिग्रह |
पहला सिद्धांत है अहिंसा, इस सिद्धांत के अनुसार जैनों को किसी भी परिस्थिति में हिंसा से दूर रहना चाहिए| भूल कर भी किसी को कष्ट नहीं पहुँचाना है|
दूसरा सिद्धांत है सत्य, भगवान महावीर कहते हैं, हे पुरुष! तू सत्य को ही सच्चा तत्व समझ| जो बुद्धिमान सत्य के सानिध्य में रहता है, वह मृत्यु को तैरकर पार कर जाता है|लोगों को हमेशा सत्य बोलना चाहिए|
तीसरा सिद्धांत है अस्तेय, अस्तेय का पालन करने वाले किसी भी रूप में अपने मन के मुताबिक वस्तु ग्रहण नहीं करते हैं ये लोग संयम से रहते हैं और केवल वही लेते हैं जो उन्हें दिया जाता है|
चौथा सिद्धांत है ब्रह्मचर्य, इस सिद्धांत के लिए जैनों को पवित्रता के गुणों का प्रदर्शन करने की आवश्यकता होती है; जिसके कारण वे कामुक गतिविधियों में भाग नहीं लेते|
पांचवा अंतिम सिद्धांत है अपरिग्रह, यह शिक्षा सभी पिछले सिद्धांतों को जोड़ती है| अपरिग्रह का पालन करके, जैनों की चेतना जागती है और वे सांसारिक एवं भोग की वस्तुओं का त्याग कर देते हैं|
#आप सभी से निवेदन है कि #जयंती केवल महापुरुषों की मनाई जाती है भगवान का केवल #जन्मोत्सव मनाया जाता है इसलिए निवेदन है कि #जयंती नहीं #जन्मोत्सव मनाये 🙏🏻🌹
आप सभी को भगवान महावीर स्वामी के जन्मोत्सव की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई,,🙏🏻🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻🌹
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