Saturday, October 22, 2022

धनतेरस और दीपावली का मुर्हुत और उपाय??

जय मां बाबा के मित्रों देरी से आप सभी को जानकारी देने के लिए क्षमा चाहते हैं किसी कारणवश बिजी होने की वजह से आपको आज ही पोस्ट दे रहे हैं आज इस पोस्ट में जानते हैं

दीपावली और धनतेरस को क्या करें और उनके शुभ मुहूर्त नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आइए जानते हैं पहले धनतेरस के बारे में
धनतेरस शुभ मुहूर्त
ज्योतिष पंचाग के अनुसार धनतेरस का शुभ मुहूर्त 23 अक्टूबर की शाम 05:44 से शुरू होकर  06:05:50 तक होगा. 
कुल अवधि :  21 मिनट
प्रदोष काल- शाम को 05:44 मिनट से 08:16 मिनट तक 
वृषभ काल- 06:58 मिनट से 08:54 मिनट तक
दरअसल इस साल शनिवार 22 अक्टूबर को शाम में 6 बजकर 3 मिनट से कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि लग रही है जिसे धनतेरस कहा जाता है. इसी दिन यमदीप भी निकाला जाएगा, कार्तिक कृष्ण त्रयोदशी तिथि 23 अक्टूबर को शाम 6 बजकर 4 मिनट तक रहेगी. इसलिए धनत्रयोदशी यानी धनतेरस 22 अक्टूबर की शाम से अगले दिन 23 अक्टूबर की शाम तक मनाया जा सकेगा. यमदीप का मतलब एक दीपक जलाने की विधि को कहते हैं. जो अपने प्रवेश द्वार पर चार मुखी दीपक लगाने की विधि को यमदीप कहते हैं दीपावली से पहले ऐसा किया जाता है. 
धनतेरस के दिन मिट्टी के दीये खरीदना भी शुभ माना जाता है. मान्यता है कि धनतेरस के दिन घर में मिट्टी के दीये लाने से सुख समृद्धि बनी रहती है और माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. 
धनतेरस के दिन धनिए का बीज खरीदना सुख समृद्धि का प्रतीक माना जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार दिवाली की पूजा के दौरान माता लक्ष्मी को धनिया के बीज अर्पित करने के बाद उसे अपनी तिजोरी में रखने से घर में धन धान्य का भंडार आता है. 
इस दिन स्टील या फिर तांबे के बर्तन खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है, लोहे या फिर कांच के बर्तनों को अशुभ माना जाता है. इसलिए लोग इस दिन घर पर नए बर्तन जरूर खरीदकर लाते हैं. पीतल के बर्तनों को भी बहुत ही शुभ कहते हैं, मां लक्ष्मी प्रिय हैं. कहा जाता है कि जब समुद्र मंथन से धन्वंतरि देव प्रकट हुए थे, तब उनके हाथों में अमृत कलश था, धार्मिक मान्यता है कि ये कलश पीतल की धातु का था,इसलिए पीतल धन्वंतरि देव की धातु मानी गई है
गोमती चक्र 
गोमती चक्र मां लक्ष्मी को बहुत ही ज्यादा प्रिय है, बता दें धनतेरस के दिन यदि आप सोना-चांदी नहीं खरीद पा रहे हैं तो आप गोमती चक्र खरीद सकते हैं, ऐसा कहा जाता है की शाम को मां लक्ष्मी की पूजा करते समय गोमती चक्र की भी पूजा करें, ऐसा करने से कभी आपको धन की कमी नहीं होगी. इससे स्वास्थ्य लाभ मिलता है. 
झाड़ू
कई लोग झाड़ू खरीदकर लाते हैं, कहते हैं इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा चली जाती है. मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं. मां लक्ष्मी को झाड़ू बहुत प्रिय है, लेकिन कुछ नियमों का पालन करना जरूरी है. 
दीपावली पूजन और मुर्हुत
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारंभ 24 अक्टूबर को शाम 06:03 बजे से
कार्तिक अमावस्या तिथि समापन 25 अक्टूबर 2022 को शाम 04:19 बजे
अभिजीत मुहूर्त 24 अक्टूबर सुबह 11:19 से दोपहर 12:05 तक
विजय मुहूर्त 24 अक्टूबर दोपहर 01:36 से 02:21 तक
लक्ष्मी पूजन मुहूर्त 24 अक्टूबर शाम 06:53 से रात 8:16 तक
पूजन अवधि 1 घंटे 21 मिनट

धनिया धन को आकर्षित करने वाली वनस्पति माना जाता है। भगवती लक्ष्मी को दीपावली के दिन धनिया के बीज और गुड़ अर्पित करना शुभ माना जाता है।
शुभ मुहूर्त 
इस साल अमावस्या तिथि 24 और 25 दोनों दिन है, लेकिन 25 को तिथि समाप्त हो रही है, इसलिए 24 को ही दिवाली का त्योहार मनाया जा रहा है. 
कार्तिक अमावस्या तिथि शुरू- 24 अक्टूबर 2022, शाम 05.27
कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्त- 25 अक्टूबर 2022, शाम 04.18
लक्ष्मी पूजा प्रदोष काल मुहूर्त - रात 07.02 - रात 08.23
लक्ष्मी पूजा निशिता काल मुहूर्त - रात 11.46 - प्रात: 12.37 रात्रि मुहूर्त (लाभ) - रात 10:36 - प्रात: 12
इस साल दिवाली पर खास संयोग बन रहा है. रविवार के दिन त्रयोदशी तिथि शाम 6 बजकर 04 मिनट तक रहेगी, उसके बाद चतुर्दशी तिथि लग जाएगी. 24 को शाम 5 बजकर 28 मिनट पर चतुर्दशी तिथि समाप्त होगी और अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी. अमावस्या तिथि 25 को शाम 4 बजकर 19 मिनट तक रहेगी
दिवाली लक्ष्मी पूजन विधि:
-दिवाली वाले दिन शाम के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, गणेश जी, माता सरस्वती की पूजा का विझान है।
-दिवाली वाले दिन लक्ष्मी पूजन से पहले घर की अच्छे से सफाई कर लेनी चाहिए।
-इस दिन धन के देवता कुबेर की भी पूजा होती है।
-माता लक्ष्मी की पूजा के लिए एक चौकी लें। उस पर लाल कपड़ा बिछाएं। अब इस चौकी पर माता लक्ष्मी और भगवान गणेश की मूर्ति स्थापित करें।
-चौकी के पास एक जल से भरा कलश भी रख लें।
-मां लक्ष्मी और भगवान गणेश को तिलक लगाएं और घी का दीपक जलाएं।
-भोग स्वरूप उनके समक्ष फल, खील-बताशे और मिठाई रखें।
-माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, देवी सरस्वती, मां काली, कुबेर देवता और भगवान विष्णु की विधि विधान पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी के मंत्रों का जाप करें।
-मां लक्ष्मी की स्तुति करें।
-तिजोरी और बहीखाते की पूजा करें।
-देवी लक्ष्मी की आरती उतारकर पूजा संपन्न करें।
-प्रसाद सभी में बांट दें और जरूरतमंदों को कुछ न कुछ दान जरूर करें

आरती 

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

ॐ जय लक्ष्मी माता, मैया जय लक्ष्मी माता

तुमको निशदिन सेवत, मैया जी को निशदिन * सेवत हरि विष्णु विधाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

उमा, रमा, ब्रह्माणी, तुम ही जग-माता

सूर्य-चन्द्रमा ध्यावत, नारद ऋषि गाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

दुर्गा रूप निरंजनी, सुख सम्पत्ति दाता

जो कोई तुमको ध्यावत, ऋद्धि-सिद्धि धन पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम पाताल-निवासिनि, तुम ही शुभदाता

कर्म-प्रभाव-प्रकाशिनी, भवनिधि की त्राता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

जिस घर में तुम रहतीं, सब सद्गुण आता

सब सम्भव हो जाता, मन नहीं घबराता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2

तुम बिन यज्ञ न होते, वस्त्र न कोई पाता

खान-पान का वैभव, सब तुमसे आता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2d

शुभ-गुण मन्दिर सुन्दर, क्षीरोदधि-जाता

रत्न चतुर्दश तुम बिन, कोई नहीं पाता

ॐ जय लक्ष्मी माता-2,,,,

दीपावली के दिन एक बिना कटा या फटा पीपल का पत्ता तोड़कर घर में ले आएं और इस पत्ते पर 'ॐ महालक्ष्म्यै नमः' लिखकर पूजा स्थल पर रख दें। महालक्ष्मी प्रसन्न होगी।
दीवाली पर महालक्ष्मी के ऐसे चित्र का पूजन करें, जिसमें लक्ष्मी अपने स्वामी भगवान विष्णु के पैरों के पास बैठी हो। ऐसे चित्र का पूजन करने देवी लक्ष्मी बहुत जल्द प्रसन्न होती हैं।
दिवाली की रात लक्ष्मी पूजन से पहले लौंग और इलायची का मिश्रण बना लें, फिर इसको सभी देवी-देवताओं को तिलक लगाएं। इस प्रयोग से आपको लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होगी।
इस दिन किन्नरों को मिठाइयां और पैसे देकर बदले में किन्नर से एक रूपये का सिक्का मांग कर अपनी तिजोरी में रख लें, गरीबी दूर करने के लिए इससे कारगर उपाय कोई नहीं होगा।
इस साल रविवार के दिन दीवाली है इसलिए हो सके तो सफेद रंग की वस्तुओं का दान करें। घर में सुख- समृद्धि बनी रहेगी।
बरगद के पत्ते पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर तिजोरी में रखें इससे आपकी तिजोरी में धन बढ़ता जाएगा।
दीपावली की रात अपने घर में श्रीयंत्र स्थापित करें और रात को कनकधारा स्त्रोत का पाठ करें। धन वृद्धि में यह उपाय बड़ा शुभ और सफल माना जाता है।
लक्ष्मी पूजन के बाद घर के सभी कमरों में शंख और घंटी बजाना चाहिए, इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा और दरिद्रता बाहर चली जाती है।
जो व्यक्ति दिवाली के दिन सुबह जल्दी ब्रह्रा मुहूर्त में जागते हुए पूजा और घर की साफ-सफाई करता है उसके ऊपर मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं।
दिवाली की रात मां लक्ष्मी की पूजा करने के बाद अगर आरती करते हुए घर के हर एक कोनों में उसकी लौ को फैलाया जाता है तो उस व्यक्ति के जीवन में कभी भी आर्थिक संकट नहीं आता है।
जो लोग दिवाली की रात को अपने घर के आपपास मौजूद पीपल के पेड़ के नीचे तेल का घी जलाता है उसके जीवन में कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होती है।
धन संबंधी परेशानियों से निजात पाने के लिए दिवाली के दिन पूजा के समय मां को चने की दाल अर्पित करें।
घर से दरिद्रता दूर करने के लिए कार्तिक अमावस्या तिथि पर घर के हर एक कोनों में तेल का दीपक जलाना चाहिए नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🌹

सुर्य ग्रहण कब से है और किस राशि पर क्या प्रभाव पड़ने वाला है????

मित्रों जय मां बाबा की सबसे पहले मित्रों क्षमा चाहते हैं देरी से पोस्ट देने के लिए किसी कारणवश किसी कार्य में बिजी थे अरे पोस्ट को जल्दी दे नहीं पाए मित्रों सनातन धर्म में दीपावली सबसे प्रमुख त्योहार में एक है इस दिन मां लक्ष्मी भगवान कुबेर और बप्पा गणेश जी की पूजा होती है इसके अलावा अपने आराध्य देवता और देवी की पूजा की जा सकती है सबसे पहले मित्रों इस दिन जो ग्रहण लगने वाला है उसके बारे में जानकारी 25 अक्टूबर को सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है जो आंशिक सूर्य ग्रहण होगा जो 25 अक्टूबर 2022 को यानी दीपावली के अगले दिन ग्रहण होने से इस बार महापर्व के दौरान सूर्य ग्रहण का साया रहेगा दीपावली के अगले दिन होने से गोवर्धन पूजा भी दीपावली के तीसरे दिन होगी यह स्थिति पहले भी 27 साल पहले हुई है अब 27 साल बाद ग्रहण के कारण दीपावली के तीसरे दिन गोवर्धन पूजा होगी ग्रहण हमेशा अमावस्या तिथि को पड़ता है और दीपावली की अमावस्या तिथि को मनाई जाती है वही ग्रहण शुरू होने से पहले 12 घंटे से पहले सूतक काल चालू हो जाता है आइए जानते हैं इस बारे में समय और तिथि सूतक काल और किस राशि पर क्या प्रभाव रहेगा मित्रों इस साल का यह सूर्य ग्रहण आखरी होगा और इसी साल 8 नवंबर को चंद्र ग्रहण का प्रभाव देखने को भी मिलेगा

सूतक काल का समय
सूर्य ग्रहण का सूतक काल 12 घंटा पहले शुरू हो जाता है इस हिसाब से 24 अक्टूबर को मध्य रात्रि से ही सूतक काल शुरू हो जाएगा करीबन 2:30 बजे सूतक शुरू होगा समय अनुसार थोड़ा आगे पीछे हो सकता है जगह काल दिशा पर निर्भर करता है जो अगले दिन 4:30 बजे तक समाप्त होगा
सूर्य ग्रहण 25 अक्टूबर को दोपहर 2: 29 मिनट से शुरू होगा और सायं 6:32 पर समाप्त होगा सूर्य ग्रहण की अवधि 4 घंटे 3 मिनट रहेगी जो समय काल दिशा पर थोड़ा अलग अलग हो सकता है

मित्रों धर्म के नजरिए से ग्रहण को अशुभ माना गया है ग्रैंड में कोई भी शुभ कार्य नहीं होता है पूजा पूजा पाठ भी वर्जित मानी गई है लेकिन ग्रहण में भी कई तंत्रोक्ति के साधना होती है गुरु मंत्र या कोई मानसिक जाप हवन इत्यादि साधकों के लिए मान्य है
बाकी मित्रों सूतक से पहले अपना पूजन पाठ कर ले सुबह सुतक के के समय घर में पूजा पाठ अथवा किसी भी देव प्रतिमाओं को स्पर्श नहीं करना चाहिए रात्रि में दीपावली पूजन के बाद सूतक लगने से पहले पूजा घर में रखे गए जेवर रूपयों को उठा ले और अपनी तिजोरी में रख ले और पूजा घर को पर्दा लगा दीजिए ध्यान रहे सूतक काल में किसी देवी-देवताओं की मूर्तियों को स्पर्श ना करें नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
ग्रहण का मोक्ष होने के बाद स्नान करें अपना जनेव और कलाई में बंधी मोली कलावा बदल कर पुजाघर की साफ सफाई करके पूजन आरती करें ग्रहण काल में भोजन या किसी अन्य का अन्न का सेवन ना करें केवल वृद्ध व्यक्ति गर्भवती स्त्री बीमार बच्चा उनके लिए भोजन की छूट है बाकी ग्रहण काल के दौरान यह सब भोजन ना करें तो भी अच्छा है
सूर्य ग्रहण 2022 राशियों पर प्रभाव
मेष राशि: स्त्री पीड़ा
वृष राशि: सौख्य
मिथुन राशि: चिन्ता
कर्क राशि: व्यथा
सिंह राशि: श्री
कन्या राशि: क्षति
तुला राशि: घात
वृश्चिक राशि: हानि
धनु राशि: लाभ
मकर राशि: सुख
कुंभ राशि: मान नाश
मीन राशि: मृत्युतुल्य कष्ट का योग
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

Friday, September 23, 2022

इस नवरात्रि में क्या उपाय करें और क्या है मुर्हुत घट स्थापना का,

मित्रों जैसा की आप सभी जानते हैं कि 26 तारीख से शारदीय नवरात्रि का आरंभ होने वाला है नवरात्री के बारे में लिखने को तो बहुत है पर जो आम नागरिक बिना गुरू के साधारण आमजन कर सके हम वो ही उपाय यहां देते हैं तो आईये जानते हैं इस नवरात्रि का विधान क्या कहता है और हमारी दुसरी पोस्ट भी आज ही होगी जिसमें बाबा हनुमानजी की नवरात्रि साधना विशेष या उपाय भी कह सकते हैं जो आप सभी कर सकते हैं,,

घट स्थापना मुहूर्त और समय दिन,,
ज्योतिष पंचांग के अनुसार नवरात्रि का आरंभ 
26 सितंबर को सुबह 03.24 मिनट से होगा,
प्रतिपदा तिथि की समाप्ति 27 सितंबर, 
सुबह 03.08 मिनट पर होगी, 
घटस्थापना के लिए शुभ मुहूर्त सुबह 06.20 मिनट से 10.19 मिनट तक रहेगा, 
अभिजित मुहूर्त सुबह 11.54 मिनट से दोपहर 12.42 मिनट तक है,
इनमें से जो आपको उचित लगे उसी हिसाब से कर सकते हैं 🌹
मित्रों नवरात्रि में किस दिन किन देवी की पूजा
26 सितंबर 2022 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
27 सितंबर 2022- मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीय तिथि
28 सितंबर 2022- मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
29 सितंबर 2022- मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
30 सितंबर 2022- मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
1 अक्टूबर 2022- मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
2 अक्टूबर 2022- मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
3 अक्टूबर 2022- मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी           
4 अक्टूबर 2022- महानवमी, तो (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
5 अक्टूब 2022- मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, दशमी तिथि (दशहरा ,इस भैरव पुजा का विधान भी है )🌹
मित्रों इन सभी की पुजा का क्या फल प्राप्त होता है अब आगे का विधान कहते हैं,🌹
नवरात्रि में माँ दुर्गा के नौ रूपों की पूजा का विधान
●  दिन 1 - माँ शैलपुत्री पूजा - यह देवी दुर्गा के नौ रूपों में से प्रथम रूप है। मां शैलपुत्री चंद्रमा को दर्शाती हैं और इनकी पूजा से चंद्रमा से संबंधित दोष समाप्त हो जाते हैं।
●  दिन 2 - माँ ब्रह्मचारिणी पूजा - ज्योतिषीय मान्यता के अनुसार देवी ब्रह्मचारिणी मंगल ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से मंगल ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 3 - माँ चंद्रघंटा पूजा - देवी चंद्रघण्टा शुक्र ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शुक्र ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 4 - माँ कूष्मांडा पूजा - माँ कूष्माण्डा सूर्य का मार्गदर्शन करती हैं अतः इनकी पूजा से सूर्य के कुप्रभावों से बचा जा सकता है।
●  दिन 5 - माँ स्कंदमाता पूजा - देवी स्कंदमाता बुध ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बुध ग्रह के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 6 - माँ कात्यायनी पूजा - देवी कात्यायनी बृहस्पति ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से बृहस्पति के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 7 - माँ कालरात्रि पूजा - देवी कालरात्रि शनि ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से शनि के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 8 - माँ महागौरी पूजा - देवी महागौरी राहु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से राहु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
●  दिन 9 - माँ सिद्धिदात्री पूजा - देवी सिद्धिदात्री केतु ग्रह को नियंत्रित करती हैं। देवी की पूजा से केतु के बुरे प्रभाव कम होते हैं।
दसवें दिन साधकों के लिए बाबा भैरव जी की पुजा विधान है ,🌹
नवरात्रि के समय हर दिन का एक रंग तय होता है  तो जानते है सौभाग्य दाय रंगों के बारे में 🌹
  प्रतिपदा- पीला
  द्वितीया- हरा
  तृतीया- भूरा
  चतुर्थी- नारंगी
  पंचमी- सफेद
  षष्टी- लाल
  सप्तमी- नीला
  अष्टमी- गुलाबी
  नवमी- बैंगनी
•तो मित्रो अब जानते हैं उपाय मंत्र और साधना विधान के बारे में,🌹


नवरात्रि में अगर कुछ नहीं कर सकते तो जितना हो सके अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र ‘
ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै स्वाहा, 
का जाप अवश्य करें आप स्वयं मजबूत बने,
मित्रों नवरात्रि के दिनों में हर नौ दिन हनुमान जी को पान का बीड़ा अर्पित करें इसके साथ पान वाले एक दो उपाय और है जो इसी पोस्ट में आगे कहे जायेंगे,
मित्रों इन नौ दिनों में अगर अखंड दीपक नहीं जला पा रहे हैं तो सुबह शाम घी या तेल का दीप जलाना न भूलें
पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर माता रानी को अर्पित करें
देवी के मंदिर जाकर उन्हें लाल चुनरी चढ़ाएं और लाल रंग की ध्वजा चढ़ाएं 
मां दुर्गा को मिश्री और इलायची का भोग लगाएं 
अष्टमी, नवमी को छोटी कन्याओं को भोजन और दक्षिणा यानी (पैसे) देकर उनके पैर छूएं 
नवरात्रि के दौरान घर के लिए कोई शुभ सामग्री जैसे, चांदी या सोने या फिर तांबे का कोई बर्तन लें और उसे मां को भेंट करें और फिर उसका प्रयोग करें 
मखाने के साथ सिक्के मिलाकर देवी को अर्पित करें और फिर गरीबों में बांट दें,
नवरात्रि में करें दुर्गा सप्तशती का पाठ

मान्यताओं के अनुसार नवरात्रि पर दुर्गा का सप्तशती का पाठ करना चाहिए। शास्त्रों के अनुसार दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से माता प्रसन्न होती हैं और सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। मान्यताओं के अनुसार दुर्गा शप्तसती का पाठ बिना किसी त्रुटि के होना चाहिए इसलिए पाठ की समाप्ति पर माता रानी से अपनी भूल-चूक की माफी भी मांग लेनी चाहिए,
भयंकर संकट, असाध्य रोग, वंशनाश या धन नाश की नौबत आये तो सौ बार सत्पशती का पाठ करायें। सौ बार पाठ को ही शतचण्डी पाठ कहते हैं,
शरीर में कोई घाव-फोड़ा आदि हो गया हो या आपरेशन कराने की नौबत आ गयी हो तो तीस बार पाठ कराने से फायदा होता है,
सनातन हिन्दू धर्म में स्वास्तिक के चिन्ह का बहुत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार नवरात्रि के पहले दिन मंदिर में और घर के बाहर स्वास्तिक बनाना से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। ऐसा करने से मां दुर्गा का आशीर्वाद प्राप्त होता है और घर में सुख-शांति बनी रहती है,
नवरात्रि के दौरान घर में तुलसी का पौधा लगाना शुभ माना जाता है. अगर पहले से ही घर में तुलसी का पौधा मौजूद हो तो एक सिक्का लेकर अपनी मन्नत मांगें और इस सिक्के को तुलसी के नीचे मिट्टी में दबा दें. ऐसा करने से उन्नति के नए रास्ते बनने लगेंगे और जीवन में सफलता जरूर मिलेगी,
यदि आप नौकरी की तलाश में है और आप चाहते हैं कि आपको एक बेहतर नौकरी मिले तो आपको नवरात्रि के 9 दिन सुबह उठकर स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करने चाहिए। उसके बाद माता का पूजन करें और आप अपनी मनोकामना माता से कहें साथ ही स्फटिक की माला लेकरॐ ह्रीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा मंत्र का 9 दिन तक 108 बार प्रतिदिन जप करें। इस उपाय को करने से आपका काम अवश्य बनेगा,
नियमित रूप से दुर्गा सप्तशती अर्गला स्तोत्र का जाप करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। इस उपाय से घर में धन की वर्षा होगी। नवरात्रि में दुर्गा मंत्र का जाप भी विशेष होता है। इन दिनों में यदि आप इस मंत्र का जाप करेंगी तो लाभदायक होगा,
नवरात्रि में कलश (कलश पर नारियल क्यों रखा जाता है)या घट की पूजा की भी विशेष मान्यता है। इस दौरान यदि आप घर में किसी वजह से घट स्थापित नहीं कर पा रही हैं, तो नियमित रूप से घट की पूजा मंदिर जाकर करें,
नवरात्रि के प्रथम दिन से नौ दिन तक लगातार हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें पान का बीड़ा चढ़ाएं। यह बीड़ा आप स्वयं बनाएं। नौ दिन किए गए ये कार्य आप जिस भी मंशा के साथ करेंगे वह जरूर पूरी होगी। वहीं अगर आपको लगता हो क‍ि आपके ऊपर क‍िसी ने कोई टोटका कर द‍िया है तो आपको अखंड ज्‍योत‍ जरूर जलानी चाह‍िए। अगर ऐसा न कर सकें तो नौ दिन सुबह-शाम देवी के समक्ष घी का दीया जलाएं और उस दीपक में 4 लौंग डाल दें, 
अगर आप चाहते हैं क‍ि आपकी मनोकामना पूरी हो जाए। या देवी से क‍िसी मन्‍नत के पूरी होने की प्रार्थना कर रहे हैं, तो नवरात्रि के 9 द‍िनों में से कभी भी देवी के मंदिर में लाल पताका जरूर चढ़ाएं। ऐसा आप घर के मंद‍िर में भी कर सकते हैं और देवी मां के मंद‍िर में भी। वहीं मन की कोई आस पूरी न हो पा रही हो तो नवरात्रि में पूरे नौ दिन पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर देवी को भोग लगाएं और बाद में इस भोग का सेवन सिर्फ आप करें,
देवी मां से सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद चाहिए तो देवी को नौ दिन लगातार 7 इलायची और मिश्री का भोग लगाएं। इस भोग का सेवन दंपति को ही करना चाहिए। इसके अलावा धन प्राप्ति के लिए नवरात्रि में पूरे नौ दिन रोज एक समय पर देवी को ताजे पान के पत्ते पर सुपारी और सिक्के रखकर समर्पित करें। मान्‍यता है क‍ि ऐसा करने से जीवन में कभी भी धन की कमी नहीं होती है,
नवरात्र में घर में सोने या चांदी की कोई भी शुभ सामग्री जैसे, स्वास्तिक, ऊं, श्री, हाथी, कलश,दीपक, गरुड़ घंटी, पात्र, कमल, श्रीयंत्र,आचमनी, मुकुट, त्रिशूल आदि खरीद लें और इसे देवी के चरणों मे समर्पित कर दें और नवरात्रि के अंतिम दिन उस सामग्री को गुलाबी कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। यह उपाय जीवन में कभी भी धन संबंधी समस्‍याएं नहीं आने देता,🌹
नवरात्रि के पहले दिन से अंतिम दिन कर रोजाना घर के मुख्य द्वार पर दोनों तरफ सिंदूर से स्वास्तिक का चिह्न बनाएं और हल्दी मिला हुआ जल अर्पित करें. 
नवरात्रि के पहले दिन मां दुर्गा के कदमों के निशान घर के अंदर की तरफ जाते हुए लगाएं. आजकल मार्केट में मां दुर्गा के कदमों के निशान वाले स्टीकर आसानी से मिल जाते हैं. आप चाहे तो इन्हें खुद भी लाल पेंट से बना सकते हैं. 
नवरात्र के दौरान माता लक्ष्मी के मंदिर में जाएं. इसके बाद एक लाल कपड़े में थोड़ा सा केसर, हल्दी और चावल को बांधकर माता लक्ष्मी को अर्पित करें और छोड़ा सा चावल लेकर अपने घर को वापस आ जाएं. इन चावलों को उस जगह पर छिड़क दें जहां पर आपका पैसा रहता है. इससे आपको आर्थिक तंगी का सामना नहीं करना पड़ेगा. 
नवरात्र के दौरान पूरे नौ दिन एक तांबे के लोटे में जल भरकर उसमें गुलाब की पत्तियां और इत्र डालकर घर के मुख्य द्वार पर रखें. इससे घर में माता लक्ष्मी का प्रवेश होता है और नकारात्मकता भी दूर होती है.,,,,,
नवरात्रि के पहले दिन पूजा आदि शुरू करने से पहले घर के मख्य द्वार पर आम या अशोक के पत्तों का बंदनवार लगाना  ना भूलें. ऐसा करने से घर में मौजूद नकारात्मकता दूर होती है. 
नवरात्रि के दौरान आप किसी भी एक दिन पानी में दही मिलाकर नहाएं। यदि आपके हाथ में पैसा लंबे समय तक नहीं टिकता है तो इस उपाय से घर में बरकत होगी और धन की वृद्धि होगी,
मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान दुर्गा के 9 रूपों का हम स्मरण करते हैं। ऐसा माना जाता है कि वह हमारे लिए धन के योग बना सकती हैं। यदि आप नवरात्रि के किसी भी दिन पानी में हरी इलायची डालकर स्नान करेंगी तो आपको अपार धन मिलेगा,
नवरात्रि के दौरान आप धन लाभ के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करें। इस दिन आप श्री सूक्तम का पाठ करें इससे आपको लाभ होगा,,,
दुर्गा जी की नियमित रूप से पूजा अर्चना करें और अगर सामर्थ्य या यथाशक्ति सभी दिन ना हो सके तो उन्हें अष्टमी तिथि के दिन श्रृंगार की सामग्री चढ़ाएं। ऐसा करने से आपके लिए धन के योग तो बनेंगे ही और पति पत्नी के बीच संबंध भी मजबूत होंगे,
नवरात्रि के पांचवे दिन सफेद कौड़ी, कमल गट्टे, साबुत सुपारी, हरी इलाइची, मखाने सभी चीजें 5 की संख्या में लें और मुट्ठी भर हवन सामग्री के साथ मिश्रित करके 108 बार माला जा जाप करते हुए हवन करें,
नवरात्रि की पूजा के दौरान आप हनुमान जी के मंदिर जाएं और उन्हें पान का बीड़ा अर्पित करें। इस उपाय से आपके लिए धन के मार्ग खुलेंगे।
यदि आप नौकरी और व्यापार में उन्नति चाहते हैं तो पान के पत्ते का इस्तेमाल नवरात्रि के नौ दिनों में करें। इन दिनों में आप पान का पत्ता लेकर इसमें कुछ गुलाब की पंखुड़ियां रखें और माता दुर्गा को चढ़ाएं। इस उपाय से आपका रुका हुआ धन भी वापस मिल जाएगा,
नवरात्रि में मंगलवार के दिन हनुमान जी के सामने पान के पत्ते पर सिंदूर से श्री राम लिखकर उन्हें अर्पित करें। अर्पित करते समय एक चीज ध्यान रखें कि ये हनुमान जी के चरण में ना रखें। यह उपाय आपके कार्यों में आ रही सभी अड़चनें दूर कर देगा और आपकी जिंदगी में सुख-शांति और समृद्धि लाएगा।
गृह क्लेश हो रहा हो या कोई परेशानी घर में हो तो नवरात्रि में नौं दिनों तक लगातार पान के पत्ते पर केसर रखकर दुर्गा स्त्रोत और दुर्गा जी की नामावली का पाठ करें। घर में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होने लगेगा,
नवरात्रि में सुबह ब्रह्म मुहूर्त में 4 से 6 बजे के बीच में मां भुवनेश्वरी और सौभाग्यसुंदरी का ध्यान करें और पान के पत्ते की जड़ को घिसकर उसका तिलक करें। इस उपाय को करने से आपकी वाणी और खूबसूरती में वृद्धि होगी और आकर्षण शक्ति में बढ़ोतरी होगी,
नवरात्रि के शुरुआती 5 दिनों में 1 पान के पत्ते पर ह्रीं लिखकर मां दुर्गा को अर्पित करें, इसके बाद महानवमी के बाद उन 5 पान के पत्तों को अपने पैसे रखने वाली जगह पर रख दें। इस उपाय को करने से दरिद्रता और घोर आर्थिक तंगी से छुटकारा मिलेगा,
धन संबंधित कोई भी परेशानियां आ रही हों तो नवरात्रि में एक पान के पत्ते पर गुलाब की पंखुड़ियां रखकर मां दुर्गा को अर्पित करें। इससे धन के आगमन में सरलता आएगी,
नवरात्रि के मंगलवार के दिन एक साबूत पत्ता लेकर उसमें लौंग और इलायची रखें। उसका बीड़ा बना लें। हनुमान मंदिर में जाकर यह बीड़ा अर्पित कर दें। कर्ज की समस्या से छुटकारा पाने का यह अचूक उपाय है,
कई सालों से आपकी कोई ख्वाहिश अधूरी है और आप उसे पूरा करना चाह रहे हैं तो यह उपाय आपके लिये कारगार साबित होगा। पान के पत्ते पर दो लौंग रखकर दोनों हाथों से जल में प्रवाहित कर दें। जितनी भी पुरानी इच्छा होगी वो जल्द पूरी हो जाएगी,
नौकरी में प्रमोशन या फिर व्यापार में बढ़ोतरी में अड़चने आ रही है तो नवरात्रि में ये उपाय जरुर करें- पान के पत्ते के दोनों तरफ सरसों का तेल लगाएं और इसे मां दुर्गा को अर्पित कर दें, इसके बाद पान के पत्ते को अपने सिर के पास रखकर सो जाएं। अगले दिन सुबह उठकर पान के पत्ते को किसी दुर्गा मंदिर के पीछे रख आएं। सभी बाधाएं दूर होंगी व कार्य में प्रगति आएगी,,
व्यापार में सफलता प्राप्त करने के लिये नवरात्रि में नौं दिनों तक एक ही समय पर पान का बीड़ा मां दुर्गा के मंदिर में जाकर चढ़ाएं। आपको व्यापार में जरुर ही लाभ होगा। ध्यान रहे की हर दिन एक निश्चित समय पर ही जाएं, वरना लाभ नहीं होगा
नौ दिन पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर देवी को भोग लगाएं नवरात्रि में किसी एक दिन देवी मंदिर में लाल पताका जरूर चढ़ाएं नौ दिन तक लगातार हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें पान का बीड़ा चढ़ाएं और अगर हो सके तो राम नाम की पताका जरुर लगाये,
बस मित्रों एक बात का हमेशा ध्यान रखें कि जो भी उपाय आप कर रहे हों उससे कल्याण होना होना चाहिए। किसी के नुकसान या अहित के लिए किया गया उपाय या टोटका आपके ऊपर भारी पड़ सकता है। हमेशा सच्चे मन और शुद्ध कर्म के साथ होने चाहिए क्योंकि ये सभी उपाय स्वास्थ्य से लेकर धन, आपसी संबंध, शत्रुता आदि से जुड़ी हर समस्या को दूर किया जा सकता है,
नवरात्रि के प्रथम दिन से नौ दिन तक लगातार हनुमान जी के मंदिर में जाकर उन्हें पान का बीड़ा चढ़ाएं। यह बीड़ा आप स्वयं बनाएं। नौ दिन किए गए ये कार्य आप जिस भी मंशा के साथ करेंगे वह जरूर पूरी होगी,
यदि आप पर किसी ने कोई टोटका किया हो या आप किसी रोग से ग्रसित हों तो आपको देवी का नौ दिन अखंड ज्योत जरूर जलाना चाहिए और यदि ऐसा न कर सकें तो नौ दिन सुबह-शाम देवी के समक्ष घी का दीया जलाएं और उस दीपक में 4 लौंग डाल दें,
यदि मन की कोई आस पूरी न हो पा रही हो तो नवरात्रि में पूरे नौ दिन पांच प्रकार के सूखे मेवे लाल चुनरी में रखकर देवी को भोग लगाएं और बाद में इस भोग का सेवन सिर्फ आप करें,
देवी से यदि किसी मनोकामना को पूरा कराना चाहते हैं तो नवरात्रि में किसी एक दिन देवी मंदिर में लाल पताका जरूर चढ़ाएं,
धन प्राप्ति के लिए नवरात्रि में पूरे नौ दिन रोज एक समय पर देवी को ताजे पान के पत्ते पर सुपारी और सिक्के रखकर समर्पित करें,
देवी मां से सुख और ऐश्वर्य का आशीर्वाद चाहिए तो देवी को नौ दिन लगातार 7 इलायची और मिश्री का भोग लगाएं। इस भोग का सेवन दंपति को ही करना चाहिए,
यदि आर्थिक संकट या कर्ज के बोझ से दबे हों तो नवरात्रि में मखाने के साथ सिक्के मिलाकर देवी को अर्पित करें और फिर उसे गरीबों में बांट दें,
नवरात्रि में पहले एक, दूसरे दिन दो ऐस करते हुए क्रमश : नौ कन्याओं को हर दिन भोजन कराएं या जैसा हमने पहले लिखा है अष्टमी या नवमी को उनकी पूजा कर उन्हें दक्षिणा भेंट करें। ये उपाय आपके घर-परिवार पर आने वाले हर सकंट को हर लेगा और आपके घर में सुख-शांति का वास होगा,
नवरात्र में घर में सोने या चांदी की कोई भी शुभ सामग्री जैसे, स्वास्तिक, ॐ, श्री, हाथी, कलश,दीपक, गरूड़ घंटी, पात्र, कमल, श्रीयंत्र,आचमनी, मुकुट, त्रिशूल आदि खरीद लें और इसे देवी के चरणों मे समर्पित कर दें और नवरात्रि के अंतिम दिन उस सामग्री को गुलाबी कपड़े में बांधकर तिजोरी में रख दें। यह उपाय आपके घर में धन वर्षा करा देगा,,,,,
वैसे तो मित्रों मां के 9 दिन अखंड दीपक जलता है लेकिन अगर आप अखंड दिया नहीं जला सकते हैं तो सुबह-शाम घी या तेल का दीपक जरूर जलाएं. इस दीपक में अगर आप 4 लौंग डालेंगे तो आपका घर हर तरह की बुरी नजर से बचा रहेगा. ,,
पूजा-पाठ से जुड़ी चीजें अक्सर चांदी की खरीदने की सलाह दी जाती है. इसलिए नवरात्रि में चांदी का स्‍वास्तिक, हाथी, दीपक, कलश, श्रीयंत्र, या मुकुट आदि में से कोई एक चीज चांदी की खरीद लें. नौ दिन तक इसे देवी के चरणों में रखें. नवरात्रि के आखिरी दिन इस चीज को गुलाबी कपड़े में बांधकर अपनी तिजोरी या पैसे रखने की जगह पर रख दें,
ऐसा करने से आपके घर में हमेशा सुख-समृद्धि बनी रहेगी. 

बाबा हनुमान जी को खुश करने के लिए बहुत से भक्तजन पान हर रोज मंदिर जाकर पान का बीड़ा चढ़ाते हैं. अगर आप हर रोज यह नहीं कर सकते हैं तो नवरात्रि के 9 दिन यह काम करें. ऐसा करने से आपकी हर इच्‍छा पूरी होगी. यह बीड़ा अपने हाथों से पूरे भक्ति-भाव से बनाएं और हनुमान जी को अर्पण करें,,, 
मित्रों बहुत बार पूरी मेहनत के बावजूद हमारे काम नहीं बनते हैं. अगर आपका कोई काम या इच्‍छा अटकी हुई है तो इसे पूरा करने का नवरात्रों से अच्छा कोई मौका नहीं. इसके लिए आप 5 तरह के मेवे लाल चुनरी में रखें और हर दिन मां दुर्गा को चढ़ाएं,,
मित्रों किस राशि वाले को क्या करना चाहिए,, 
मित्रों नवरात्रि में किसी भी दिन अपने घर में आप नागकेसर का पौधा जरूर लगाएं। ये ऐसा पौधा है जो देवी लक्ष्मी को बहुत आकर्षित करता है। देवी इस पौधे के लगते ही आपके घर में आ जाएंगी और आपको धन पाने के नए रास्ते मिलेंगे,,,,
यदि धन आते ही चला जाता है तो नवरात्रि पर गुलर के दो फल लेकर आएं और देवी के चरणों में इसे रख कर फिर अपनी तिजोरी में लाल कपड़े में लपेट कर रख दें। धन आने का जरिया बना रहेगा,,,,
पीपल के पत्ते पर सिंदूर से ‘श्रीं’ लिखें और देवी को चढ़ाकर बाद में अष्टमी के दिन अपनी तिजोरी में रख दें। ऐसा करने से धन की बढ़ोत्तरी होगी,,
गुलाब के फूल में कपूर रखकर माता लक्ष्मी के सामने रखे। फिर माता महालक्ष्मी के मन्त्र का 6 माला जप करें। शाम के समय फूल में से कपूर लेकर जला दें और फूल देवी को चढ़ा दें,,
नवरात्र के चौथे दिन पान के पत्ते में गुलाब की सात पंखुड़िया रखें और महालक्ष्मी का मूल मन्त्र पढ़ते हुये पान को देवी मां को चढ़ा दें,,
नवरात्र के दौरान घर में मोर पंख लाकर उसे मंदिर में स्थापित करने से कई फायदे होते हैं। मोर पंख को भगवान का अंश माना जाता है। मां लक्ष्मी की ए‍क सवारी में से मोर भी होता है। नवरात्र में मोर पंख घर में लाने से आपके घर में मां लक्ष्मी का वास होता है और सुख समृद्धि भी बढ़ती है,
नवरात्रि में 9 सफेद कौड़ियों को लाल रूमाल या लाल कपड़े में बांधकर घर की तिजोरी में रखने से धन में वृद्धि होती है,,
नवरात्री में नवमी के दिन किसी निर्धन बालिका को वस्त्र और उपहार देकर आशीर्वाद लें,,,
यदि आपके बनते काम बिगड़ जाते हैं तो आपको नवरात्रि की नवमी को लोहे के पात्र में जल भरे और इसमें चीनी, दूध और घी मिला कर पीपल के की जड़ में चढ़ना चाहिए। इससे आपकी समस्या दूर हो जाएगी,,,,
नवरात्र में किसी पूराने अशोक वृक्ष की जड़ का पूजन करने से मांदुर्गा की कृपा से धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है,,,
नवरात्रि में पीपल के पेड़ पर सफेद रंग की ध्वजा चढ़ाने से आकास्मिक धन की प्राप्ति का योग बनता है,,
नवरात्रि की अष्टमी पर देवी दुर्गा को कमल का फूल चढ़ाएं और फिर इसे लाल वस्त्र में लपेट कर उनके चरणों में रखें। इसके बाद इस पर सिंदूर लगा कर उसे अपनी तिजोरी में रख दें। धन की आपको कभी कमी नहीं होगी,,,
दुर्गाष्टमी के दिन श्री यंत्र की स्थापना करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है,,,
नवरात्रि में किसी भी दिन प्रातःकाल गाय को गन्ना या गुड़ खिलाने से जीवन की समस्याएं दूर हो जाती हैं,,
नवरात्रि के मौके पर नौ कन्याओं को भोजन कराने और उन्हें श्रृंगार के साथ उपहार देने से धन की कमी दूर होती है,,
अगर शुक्रवार के दिन लक्ष्मी जी के मंदिर में शंख, कोड़ी, कमल का फूल, मखाने, बताशे, खीर और गुलाब का इत्र चढ़ाया जाए तो मां लक्ष्मी जल्दी प्रसन्न हो जाती हैं,,,,,
यदि नौकरी चली गई है या नौकरी मिल नहीं रही तो नवरात्रि में रोज पीपल के पेड़ की जड़ में कच्चा दूध चढ़ाएं। साथ ही शाम के समय देवी मां के सामने घी का दीपक जलाएं। ये उपाय आपकी समस्या दूर कर देगा,,,
घर में मौजूद नकारात्मक शक्तियों को दूर कर आप अपने धन संकट से बच सकते हैं। इसके लिए नवरात्रि में किसी भी दिन मुख्य द्वार पर नींबू और मिर्च टांग दें और जब ये सूखने लगे नया लगा दें,,,,
नवरात्रि में किसी भिखारी या गरीब को कुछ अनाज का दान करने से लक्ष्मी की प्राप्ति होती है,,,
बाबा हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि में उन्हें बूंदी के लड्डू चढ़ाना अच्छा माना जाता है। इससे आपकी मनोकामनाएं पूरी होंगी,,
नवरात्रि में इन मन्त्रों का जाप करने से भी मां लक्ष्मी की प्राप्ति होती है,,,,

दुर्गे स्मृता हरसिभीतिम शेष जन्तो:।

स्वस्थै: स्मृता मतिमतीव शुभां ददासि।।

दारिद्रयदु:ख हारिणी का त्वदन्या।

सर्वोपकारणाय सदाऽर्द्रचित्ता।।

या

ते सम्मता जनपदेषु तेषां।

तेषां यशांसि न च प्रसीदति धर्म वर्ग:।।

धन्यास्त एव निभृतात्मज भृत्यदारा।

येषां सदाभ्युदयदा भगवती प्रसन्ना।।

श्री दुर्गा सप्तशती से इन सम्पुट मंत्रों में से किसी एक मन्त्र का सम्पुट लगाकर अनुष्ठान करें या करवाएं। कठिन हो तो सिर्फ मंत्र की 11 या 21 माला रोज करें। यह भी कठिन लगे तो नित्य एक माला का जाप करें। हवन-पूजन नित्य करें। निश्चित लाभ होगा,,,,

माता महालक्ष्मी मन्त्र-

ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद प्रसीद

श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नमः

इस मन्त्र का 108 बार जप करने से आपको अथाह धन की प्राप्ति होगी नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,,
अब राशि विधान कहते हैं,
नवरात्रि पर देवी पूजा के समय आपको अपनी राशि के अनुसार कौन सा पुष्प प्रसाद और आसान माला भोग होना चाहिए,

मेष राशि —
चूंकि मेष राशि के जातकों का संबंध मंगल ग्रह से होता है। इसलिए आपको देवी मां पूजन में आपको गुड़हल, लाल गुलाब या फिर कोई अन्य लाल रंग का फूल का उपयोग पूजन में किया जाना चाहिए। इस राशि के लोगों को मां के भवनी स्वरूप की आराधना करनी चाहिए माता को लाल फूल चढ़ाएं लाल वस्त्र पहन कर पूजा करें लाल चंदन की माला से मां के मंत्रों का जाप करें भोग में गुड लाल रंग की कोई भी मिठाई चढ़ा सकते हैं हो सके तो निर्वाण मंत्र का जाप करें अति फलदाई है 

वृष राशि —
वृष राशि का स्वामी शुक्र ग्रह है। ऐसे में इस राशि के जातकों को सफेद कमल, सफेद गुड़हल, सदाबहार, बेला, हरसिंगार आदि सफेद फूल का उपयोग किया जाना चाहिए। इससे आपको शुभ फलों की प्राप्ति होती है। इस राशि वालों को मां सरस्वती की आराधना करनी चाहिए सफेद वस्त्र पहने सफेद फूल चढ़ाएं सफेद चंदन स्फटिक की माला से कोई भी मां दुर्गा का जो मंत्र याद हो उसी का जाप करें प्रसाद में सफेद बर्फी या मिश्री का भोग लगा सकते हैं,,,

मिथुन राशि —
मिथुन राशि के जातकों का संबध बुध ग्रह से होता है। इसलिए इस राशि के जातकों को देवी दुर्गा को पीला कनेर, गुड़हल, गेंदा आदि का पुष्प अर्पित करने चाहिए। इस राशि के लोग मां भुवनेश्वरी की आराधना करें हरे वस्त्र पहन कर हरे आसन पर बैठकर हरे पुष्प शक्ति युक्त अर्पण करें तुलसी की माला से जाप करें मां गायत्री या किसी भी दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं खीर का भोग लगाएं

कर्क राशि —
चंद्र ग्रह से संबंधित कर्क राशि के जातक को गुप्त नवरात्रि पर देवी दुर्गा की पूजा करते समय चमेली, रातरानी, सदाबहार पुष्प को विशेष रूप से अर्पित करना चाहिए। इन फूलों के न मिलने की कंडीशन में आप गेंदा और गुड़हल के फूलों का भी उपयोग किया जा सकता है इस राशि के लोग मां भैरवी देवी की आराधना करें चावल और दही चढ़ाएं मिश्री का भोग लगाएं स्फटिक की माला से जाप करें या चंदन की माला से कर सकते हैं सफेद उससे अपने किसी भी मिठाई का भोग लगा सकते,,,,

सिंह राशि —
चूंकि सिंह राशि का संबंध सूर्य से है। इसलिए इस राशि के जातकों को शुभ फल की प्राप्ति के लिए गुप्त नवरात्रि पर कमल, गुलाब, कनेर या फिर गुड़हल का फूल मां दुर्गा को अर्पित करना चाहिए। इस राशि के लोग देवी मां के जया स्वरूप की आराधना करें गुलाबी वे हल्के लाल रंग के पुष्प आदि से पूजन करें गुलाबी आसन हो माला गुलाबी हकीक की हो प्रसाद में आप कोई भी मिठाई अर्पण कर सकते,,,

कन्या राशि —
कन्या राशि का संबंध बुध ग्रह से है। ऐसे में इस राशि के जातकों को गुलाब, गेंदा, हरसिंगार आदि जैसे सुगंधित फूलों का उपयोग करना आपको शुभ फल की प्राप्ति करा सकता है। इस राशि के लोग मां चंद्रघंटा स्वरूप की आराधना करें हरा वस्त्र पहन कर अरे आसन पर बैठकर पत्ती युक्त पुष्प अर्पित करें तुलसी की माला से जाप करें मां गायत्री दुर्गा मंत्रों का जाप कर सकते हैं प्रसाद में खीर का भोग लगाएं,,,

तुला राशि —
तुला राशि का स्वामी शुक्र होने से मां दुर्गा की कृपा के लिए इन्हें सफेद कमल, सफेद कनेर, गेंदा, जूही और हरसिंगार के फूल पूजन में उपयोग करना चाहिए। अगर आपकी तुला राशि है तो ऐसे में जातकों को शुक्र ग्रह की शुभता भी प्राप्त होगी। इस राशि के लोग मां महालक्ष्मी की आराधना करें सफेद वस्त्र धारण करें सफेद फूल अर्पित करें और सफेद चंदन या स्फटिक की माला कोई भी मां दुर्गा का मंत्र जो आपको याद हो वह जाप और हवन कर सकते हैं प्रसाद में सफेद बर्फी या मिश्री का भोग लगा सकते हैं

वृश्चिक राशि —
ज्योतिष के अनुसार वृश्चिक राशि का स्वामी ग्रह मंगल देव हैं. ऐसे में शक्ति की साधना करते समय वृश्चिक राशि के जातकों को लाल रंग के पुष्प जैसे गुलाब, गुड़हल, लाल गेंदा आदि का विशेष रूप से प्रयोग करना चाहिए. इस उपाय को करने पर देवी के साथ मंगल ग्रह की शुभता भी प्राप्त होगी. इस राशि के लोग देवी मां कालरात्रि की आराधना करें माता को लाल फूल चढ़ाएं लाल वस्त्र पहन कर पूजा करें लाल चंदन की माला से देवी मंत्रों का जाप करें वह मैं आप लाल रंग की मिठाई भी ले सकते हैं,,

धनु राशि —

ज्योतिष के अनुसार धनु राशि के स्वामी देवगुरु बृहस्पति होने के कारण धनु राशि वालों को पूजा में कमल, कनेर, गुड़हल, गुलाब आदि का पुष्प चढ़ना चाहिए । इस राशि वाले लोग मां मातंगी स्वरूप की आराधना करें पीले वस्त्र धारण करें पीले पुष्पों से पूजा करें माता को हल्दी चढ़ाई हल्दी की माला से बगलामुखी या मां दुर्गा का कोई भी मंत्र हो जो आपको याद हो उसका आप जप हवन कर सकते हैं इसका लाभ पा सकते हैं पीली मिठाई केले का भोग लगाएं,,,

मकर राशि —

मकर राशि का स्वामी शनिदेव होने के कारण इस राशि के जातकों को विष्णुकांता जिसे अपराजिता भी कहते हैं का उपयोग करना चाहिए। साथ ही कमल का फूल चढ़ाना भी इन्हें शुभता दिलाता है। अगर ये फूल न मिलें तो गेंदा, गुलाब, गुड़हल का फूल चढ़कार पूजा की जा सकती है इस राशि के लोग मां शारदा देवी की आराधना करें आसमानी रंग के आसन पर बैठकर नीले फूलों से पूजा करें नीलमणि की माला से जाप करें प्रसाद में पुणे से बनी मिठाई यह हलवे का भोग लगाएं

कुंभ राशि —

कुंभ राशि का स्वामी शनिदेव होने के कारण इस राशि के जातकों को जातकों को विष्णुकांता, अपराजिता के फूल चढ़ाना शुभ होता है। इसके अलावा आप चाहें तो कमल, गेंदा, गुलाब, गुड़हल आदि का भी पुष्प अर्पित कर सकते हैं और इस राशि के लोग मां कालका की प्रार्थना करें नीले रंग के आसन का प्रयोग करें नीलम या नीले रंग की हकीक की माला से जाप करें प्रसाद में उड़द की बनाई मिठाई यह हलवा चढ़ाये,

मीन राशि —

ज्योतिष में धनु राशि की तरह मीन राशि के भी स्वामी देवगुरु बृहस्पति हैं। अत: मीन राशि वालों को कमल, कनेर, गुड़हल, गुलाब आदि के पुष्प चढ़ाकर मां को प्रसन्न करना चाहिए मित्रों इस राशि के लोग देवी गौरी की आराधना करें। पीले वस्त्र धारण करें, पीले फूल चढ़ाएं। हल्दी की माला से बगुलामुखी या दुर्गा जी का कोई भी मंत्र का जप ध्यान कर लाभ पा सकते है। नैवेद्य हेतु पीली मिठाई व केले चढ़ाएं,🌹
आईये जानते हैं देवी दुर्गा के दिव्य हथियार क्या हैं?
देवी दुर्गा ने अपने दिव्य शस्त्रों से भूमि (पृथ्वी) पर अत्याचार करने वाले सभी राक्षसों का वध किया है। वह सृष्टि और जीवन की अग्नि ऊर्जा है, और भगवान शिव की शक्ति है। देवी दुर्गा के पास दिव्य हथियार हैं जो विशेष अर्थ रखते हैं। 
1. शंख - शंख से निकली ध्वनि को ब्रह्मांड की सभी ध्वनियों में सबसे शुद्ध और पवित्र माना जाता है। शंख ब्रह्मांड की मूल ध्वनि "ओम" का उत्सर्जन करता है। इसलिए, शंख इस बात का प्रतीक है कि इस ब्रह्मांड की सभी ध्वनियों में ईश्वर की ध्वनि प्रमुख है।
2. धनुष और बाण - धनुष और बाण ऊर्जा के प्रतीक हैं। जबकि धनुष संभावित ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है, तीर गतिज ऊर्जा का प्रतिनिधित्व करता है। जैसा कि देवी दुर्गा अपने हाथों में धनुष और तीर दोनों रखती हैं, यह दर्शाता है कि वह ब्रह्मांड में ऊर्जा के सभी स्रोतों को नियंत्रित करती हैं।
3. वज्र - देवी के हाथों में वज्र दृढ़ता का प्रतीक है। देवी अपने भक्त को अदम्य आत्मविश्वास और इच्छाशक्ति के साथ सशक्त बनाती है।
4. आधा फूला हुआ कमल - देवी दुर्गा के हाथ में आधा फूला हुआ कमल इस बात का प्रतीक है कि हालांकि सफलता निश्चित है, फिर भी यह अंतिम नहीं है। यह भी प्रतीक है कि जैसे-जैसे कमल कीचड़ के बीच बढ़ता है, मनुष्य को ब्रह्मांड के भौतिकवादी सुखों के कीचड़ में भी अपने मन को आध्यात्मिक रूप से विकसित करना सीखना होगा।
5. तलवार - तलवार ज्ञान और गहरी बुद्धि का प्रतीक है। तलवार की चमक और चमकने वाली शक्ति ज्ञान का प्रतिनिधित्व करती है जो मानव अस्तित्व का सबसे शक्तिशाली हिस्सा है और यह तथ्य कि ज्ञान को कभी जंग नहीं लगती है। आप ज्ञान नामक तलवार से ब्रह्मांड की सारी लड़ाई जीत सकते हैं।
6. सुदर्शन चक्र - सुंदर सुदर्शन चक्र (डिस्क) जो देवी की तर्जनी पर घूमता है वह धार्मिकता या धर्म का प्रतीक है। यह माना जाता है कि देवी दुर्गा द्वारा दुनिया को नियंत्रित किया जाता है और वह बुराई को नष्ट करने और धार्मिकता की रक्षा करने के लिए इस अमोघ अस्त्र का उपयोग करती है।
7. त्रिशूल (त्रिशूल) - 'त्रिशूल' या त्रिशूल तीन गुणों का प्रतीक है - सत्व (मोक्ष), राजस (शांति) और तमस (शांति)। शांति और मोक्ष प्राप्त करने के लिए सभी में तीनों गुणों का एक सही संतुलन होना चाहिए। 
8. अभय मुद्रा - अभय मुद्रा का मतलब है कि देवी दुर्गा के दस हाथों में से एक हमेशा अपने भक्तों को आशीर्वाद देने की स्थिति में होता है। यह इस तथ्य पर जोर देता है कि वह हमेशा अपने भक्तों पर कृपा बरसाएंगी और उन्हें मुसीबत से हमेशा बचाकर रखेंगी। 
9. गदा - यह प्रतीक है कि मनुष्यों को देवी दुर्गा की भक्ति के प्रति निष्ठावान होना चाहिए और उन्हें अपने जीवन में प्रेम, निष्ठा और भक्ति को छूना चाहिए। हम अपने जीवन में जो कुछ भी करते हैं, उसमें हमें प्रेम और भक्ति रखनी चाहिए और परिणाम को सर्वशक्तिमान की इच्छा के अनुसार छोड़ना चाहिए।
10. साँप - साँप आनंद की अनुभूति के आग्रह के साथ चेतना की निचली अवस्था से उच्च अवस्था में जाने का प्रतीक है।

मित्रों नवरात्रि पर कई तरह की पूजाएं होती हैं। #सात्विक और #तंत्रोक्ति तामसिक, या अन्य विभिन्न प्रकार पर मुख्यात ,#तामसिक #स्धाविक। यदि आपकी कोई मन की इच्छा पूरी न हो पा रही हो तो नवरात्रि में इन उपायों को अजामा कर देंखें। मान्यता है कि नवरात्रि में किसी भी प्रकार के उपाय अपनाने से वह जरूर फलीभूत होते हैं बस बात शुद्ध अंतःकरण की होती है। मित्रों यहां अगर कुछ मंत्र विधान नहीं दिये गये है तो जो आपको मंत्र याद हो उनका ही पुनशृचरण कर सकते हैं बस जो भी करें उनको सार्वजनिक ना करे, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ,,,🌹🌹🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻

Wednesday, August 31, 2022

क्यूं है इस चतुर्थी का इतना महत्त्व और क्या करें?

मित्रों आप सभी को गणेश च दो

तुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई 🌹🌹🙏🌹🌹
भक्ति गणपति, शक्ति गणपति
सिद्दी गणपति, लक्ष्मी गणपति
महा गणपति, देवो में श्रेष्ठ मेरे गणपति
भगवान श्री गणेश की कृपा,
बनी रहे आप हर दम.
हर कार्य में सफलता मिले,
जीवन में न आये कोई गम।
एक बार फिर से आप सभी को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई 🌹

मित्रों क्षमा चाहते हैं देरी के लिए मौसम और तबियत दोनों में जरा हरारत है इसलिए आज की पोस्ट करने में देरी हुयी है ,
मित्रों गणेश चतुर्थी का त्योहार 31 अगस्त को मनाया जाएगा यह एक ऐसा त्यौहार है जो कि पूरे 10 दिन तक मनाया जाता है,पंचांग के अनुसार गणेश चतुर्थी का पर्व हर साल भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि से प्रारंभ होता है और अनंत चतुर्दशी पर समाप्त होता है. इस बार अनंत चतुर्दशी 9 सितंबर 2022 को है. इस दिन बप्पा का विसर्जन किया जाता है., शुरू वाले दिन गणपति बाबा की मूर्ति स्थापना करते हैं और लास्ट वाले दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं ऐसा माना जाता है कि इन दिनों गणपति बप्पा की पूजा करने से मनोवांछित फल मिलता है इस चतुर्थी का त्योहार 10 दिनों तक मनाया जाता है और दसवे दिन गणपति बप्पा की मूर्ति का विसर्जन किया जाता है अनंत चतुर्दशी के दिन श्रद्धा जन बड़े ही धूमधाम से यात्रा निकालते हैं यात्रा निकालते हुए भगवान गणेश समुंद्र झील नदी  आदि में विसर्जित किया जाता है ,
गणेश चतुर्थी के दिन गुड़ की छोटी -छोटी 21 गोलियां बना लें. इन गोलियों को दूर्वा के साथ गणेश के चरणों में अर्पित करें. गणेश जी की कृपा से हर मनोकामना पूर्ण होगी.
गणेश चतुर्थी के दिन स्नान आदि करके भगवान गणेश की विधिवत पूजा करें और गुड़ में शुद्ध घी मिलाकर भोग लगाएं. इसके बाद इसे किसी गाय को खिला दें. भगवान की कृपा से अपार धन की प्राप्ति हो सकती है.,,।।
इन तीन (3)राशियों पर रहेगी भगवान गणेश जी विशेष कृपा,
कर्क राशि: भगवान गणेश की कर्क राशि के जातकों पर विशेष कृपा रहेगी. इनकी कृपा से इनकी नौकरी में तरक्की और व्यापार में मुनाफा होगा.
वृश्चिक राशि: इन्हें नए जॉब के लिए ऑफर मिल सकता है. जो लोग नौकरी कर रहें हैं उन्हें प्रमोशन मिल सकता है. व्यापार में वृद्धि होगी.
तुला राशि: इन्हें व्यापार और करियर में अच्छी सफलता मिल सकती है. सारे काम बिना किसी रूकावट के होंगे.।।
भगवान गणेश जी के 5 प्रिय फल
केला - गणेश जी को केला बहुत प्रिय है. गणेश जी की पूजा में कभी एक केला अर्पित न करें. केला हमेशा जोड़े से चढ़ाना चाहिए.
काला जामुन - गणपति जी बुद्धि के दाता है. गणेश चतुर्थी पर बप्पा की पूजा में काला जामुन का भोग जरूर अर्पित करें. मान्यता है इससे गणेश जी प्रसन्न होकर शुभ फल प्रदान करते हैं.
बेल - भगवान भोलेनाथ की तरह गणपति जी को भी बेल का फल बहुत पसंद है. मान्यता है गणेश चतुर्थी पर बेल का फल बप्पा को अर्पित करने से उनका विशेष वरदान प्राप्त होता है.
सीताफल - सीताफल को शरीफा भी कहा जाता है. गणेश चतुर्थी पर सीताफल विघ्यहर्ता को अर्पित करने से सारे बिगड़े काम बन जाते हैं.
अमरूद - गणेश स्थापन के समय पंच फल में अमरूद का भी विशेष स्थान है. मान्यता है कि अमरूद अर्पित करने गणेश जी भक्त के समस्त कष्ट हर लेते हैं.,।
गणेश चतुर्थी वाले दिन से लेकर दस दिन तक करें ये काम यह कार्य आप भगवान गणेश जी दिन बुधवार और नवरात्रि में भी कर सकते हैं जिनके आराध्य भगवान गणेश जी हो या ना हो सभी इन सभी कार्य को कर सकते हैं ,,।
1. भगवान गणेश जी विघ्नहर्ता व समृद्धि के देवता माने जाते है। घर में गणेश जी की मूर्ति अवश्य रखनी चाहिए भूलकर भी गणेश जी की तीन मूर्तियों को एक साथ नहर में नहीं रखना चाहिए और कभी भी खंडित मूर्ति की स्थापना नहीं करनी चाहिए यह शुभ माना जाता है।
2. भगवान गणेश जल तत्व के देवता माने जाते हैं और यह दक्षिणामूर्ति देवता भी हो सकते हैं भगवान के जी काला हनुमान जी भैरव जी उमा देवी का मुख दक्षिण ना की तरफ हो सकती है 4 देवताओं के अलावा मैं किसी देवता ने किसी देवी-देवताओं का मुख दक्षिण दिशा में नहीं करना करना।
3. भगवान गणेश जी की मूर्ति स्थापना करने से पहले इस बात पर जरूर गौर के की मूर्ति में उनका सूंड किस ओर है वास्तु के अनुसार दाहिनी तरफ साउंड वाले भगवान को सिद्धिविनायक तथा भाई तरफ सूंड वाले गणेश जी को वक्रतुंड   कहा जाता है ऐसे में अगर आपको गणेश चतुर्थी पर गणेश जी की मूर्ति स्थापना करना चाहते हैं तो वक्रतुंड वक्रतुंड गणेश जी वाली मूर्ति ज्यादा शुभ होगी क्योंकि वक्रतुंड गणेश जी के नियम आसान और कम होते हैं 
4. गणेशजी की पूजा उपासना में ऊँ गं गणपतयै  शुभ मुहूर्त नम:  या श्री गणेशाय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए।
5. गणेश चतुर्थी को गणेश जी के 108 नामों का करें जाप पूरी होगी मनोकामनाएं
भगवान गणेश जी भक्तों को केवल सुख और सौभाग्य ही नहीं प्रदान करते बल्कि वे अपने भक्तों के संकटों और दुखों को भी दूर करते हैं.  कहा जाता है कि गणेश चतुर्थी के दिन इनके 108 नामों का जाप करने से हर कामना पूर्ण होती है. यह भी मान्यता है कि गणेश जी ने देवों के दुखों को भी दूर करने के लिए कई अवतार लिए हैं.।
6.  मित्रों यदि कोई काम बिगड़ गया हो या फिर काफी दिनों से रुका पड़ा हो तो आज गणेश चतुर्थी के दिन इन मंत्रों का जाप करें. लाभ होगा.
मंत्र: त्रयीमयायाखिलबुद्धिदात्रे बुद्धिप्रदीपाय सुराधिपाय।

नित्याय सत्याय च नित्यबुद्धि नित्यं निरीहाय नमोस्तु नित्यम्।
7. जिनकी कुंडली में ग्रह दोष है. उन्हें आज गणेश चतुर्थी पर इन मंत्रों का जाप करना उत्तम लाभ पहुंचाएगा.

मंत्र: गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:। नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।

धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:। गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
8. गणेश मनोकामना पूर्ति मंत्र

ॐ गं गणपतये नमः

ग्रह दोष निवारण गणेश मंत्र

गणपूज्यो वक्रतुण्ड एकदंष्ट्री त्रियम्बक:।
नीलग्रीवो लम्बोदरो विकटो विघ्रराजक:।।
धूम्रवर्णों भालचन्द्रो दशमस्तु विनायक:।
गणपर्तिहस्तिमुखो द्वादशारे यजेद्गणम।।
9. गणेश जी को प्रसन्न करने का मंत्र
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
10. गणेश गायत्री मंत्र

ॐ एकदन्ताय विद्महे वक्रतुंडाय धीमहि तन्नो बुदि्ध प्रचोदयात्।

गणपति षडाक्षर मंत्र: आर्थिक तरक्की के लिए

ओम वक्रतुंडाय हुम्

11. सुख समृद्धि के लिए गणेश मंत्र

ऊं हस्ति पिशाचिनी लिखे स्वाहा।
12. मित्रों कुंडली में मंगल दोष होने पर काफी परेशानी आती है. शादी-विवाह में भी बाधा आती है. ऐसे में अगर किसी जातक की कुंडली में मंगल दोष है, तो वह आज गणेश जी के मंगल मंत्र ॐ अं अंगारकाय नम: का जाप कर सकता है. इससे मंगल ग्रह शांत होता है और मांगलिक दोष दूर होता है. इस मंत्र के जाप करने से भगवान श्रीगणेश प्रसन्न होते हैं और भक्त को आशीर्वाद देते हैं।
13. गणेश चतुर्थी पर भगवान गणेश को अर्पित करने वाली दूब साफ जगह यानी कि मंदिर, बगीचे से तोड़ें. इसे स्वस्छ जल से जरूर धो लें. गणेश जी को हमेशा जोड़े से दूर्वा चढ़ाई जाती है. 11 या 21 दूर्वा का जोड़ा बनाकर गणेश चतुर्थी पर बप्पा को अर्पित करें. दूर्वा चढ़ात वक्त ऊँ उमापुत्राय नमः, ऊँएकदन्ताय नमः मंत्र का जाप करें.
14. गणेश चतुर्थी पर 11 गांठ दूर्वा और एक गांठ हल्दी को लेकर साफ पीले कपड़े में बांधकर एक पोटली बनालें. अब गणेश चतुर्थी से लेकर अगले 10 दिनों तक इस पोटली की विधि-विधान से पूजा करें. 10वें दिन पूजा करने के बाद इसे तिजोरी में रखें. कभी पैसों की कमी नहीं होगी.।
15. आज गणेश चतुर्थी पर चंद्रदर्शन नहीं करना चाहिए. मान्यता है कि गणेश चतुर्थी के दिन चंद्र दर्शन करने से कलंक लगता है.।
मित्रों वैसे इस बार गणेश चतुर्थी पर ग्रहों की स्थिति एक विशेष संयोग बन रही है. इस गणेश चतुर्थी पर  चार  प्रमुख ग्रह अपनी-अपनी राशि में मौजूद रहेंगे. पंचांग के मुताबिक, सूर्य सिंह राशि में, बुध कन्या राशि में, गुरु मीन राशि में और शनि मकर राशि में विराजमान रहेंगे. गणेश चतुर्थी पर ग्रहों का ऐसा संयोग 300 साल बाद बना है. ऐसे में गणेश पूजा का महत्त्व बहुत अधिक बढ़ जाता है ,,।
भगवान गणेश जी की दो पत्नियां हैं,,
उनकी शादियां के बारे में भी दो कथाये है ,,
1. ब्रह्मा जी ने गणपति के सामने अपनी दो मानस पुत्रियां रिद्धि-सिद्धि से विवाह का प्रस्ताव रखा. गणेश जी ने इसे स्वीकार कर लिया. इस तरह गणपति की दो पत्नियां रिद्धि-सिद्धि हुई. इनकी दो संतान जिनका नाम शुभ और लाभ था.,।
2. पौराणकि कथा के अनुसार एक बार गणेश जी को तपस्या में लीन देखकर तुलसी जी उन पर मोहित हो गईं. तुलसी जी ने गणपति के सामने शादी का प्रस्ताव रखा लेकिन गणेश जी ने खुद को ब्रह्मचारी बताते हुए शादी  से इनकार कर दिया. इस पर तुलसी जी अति क्रोधित हो गईं और उन्होंने गजानन को श्राप दे दिया कि तुम्हारी दो शादियां होगी.,।
भगवान श्री गणेश जी की जन्म कथा ,, शोर्ट शब्दों में पोस्ट कुछ ज्यादा लम्बी हो जायेगी विस्तार से बताने पर,,
गणेश जी की जन्म कथा,,।।
शिवपुराण के अनुसार गणेश जी का जन्म माता पार्वती के उबटन से हुआ था. देवी माता एक बार हल्दी का उबटन लगा रही थीं. कुछ देर के बाद उन्होंने उबटन को उतार कर एक पुतला बनाया. उसके बाद उस पुतले में प्राण डाले. इस तरह भगवान गणेश का जन्म हुआ. माता पार्वती ने लंबोदर को द्वार पर बैठा दिया और बोली कि किसी को भी अंदर मत आने देना. कुछ देर के बाद महादेव आए और घर जाने लगे. इस पर गणेश भगवान ने उन्हें रोक दिया. इससे क्रोधित होकर भगवान शिव ने अपने त्रिशूल से गणपति की गर्दन काट दी.
जब मां पार्वती ने गणपति की हालत देखा तो वह विलाप करने लगी और महादेव से बोली कि आपने मेरे पुत्र का सिर क्यों काट दिया. भोलेनाथ के पूंछने पर माता पार्वती ने सारी बात बताई और बेटे का सिर वापस लाने को कहा. तब भोलेनाथ ने कहा कि इसमें मैं प्राण तो डाल दूंगा परंतु सिर की जरूरत होगी. तभी भोलेनाथ ने कहा कि हे गरुड़ तुम उत्तर दिशा की ओर जाओ और जो मां अपने बेटे की तरफ पीठ करके लेटी हो, उस बच्चे का सिर ले आओ. गरुड़ काफी समय तक भटकते रहे. आखिरी समय में एक हथिनी मिली जो अपने बच्चे की तरफ पीठ करके सो रही थी. गरुड़ उस बच्चे का सिर ले आए. भगवान भोलेनाथ ने वह सिर गणेश के शरीर से जोड़ दिया और उसमें प्राण डाल दिए. नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,।।
क्यू है गणेश चतुर्थी का महत्व,,।।
पौराणिक कथा के अनुसार एक बार भगवान शिव और माता पार्वती नर्मदा नदी के किनारे बैठे थे। माता पार्वती ने वहां भगवान शिव से चौपड़ खेलने को कहा। भगवान शिव भी इस खेल को खेलने के लिए तैयार हो गए। लेकिन इस खेल में होने वाले हार-जीत का निर्णय कौन लेगा यह समझ नहीं आ रहा था, इसलिए भगवान शिव ने कुछ तीनके को इकट्ठा करके एक पुतला बनाया और उसमें जान डाल दी। जान डालते ही वह पुतला एक बालक बन गया। उसी बालक को इस खेल का निर्णय लेना था। अब भगवान शिव और माता पार्वती चौपड़ का खेल शुरू कर दिए। तीन बार चौपड़ का खेल खेला गया। हर बार माता पार्वती जीती, लेकिन भगवान शिव द्वारा निर्मित उस बालक ने भगवान शिव को ही विजय बताया। इस बात को सुनकर माता पार्वती बेहद क्रोधित हो गई और उन्होनें क्रोध में आकर उस बालक को लंगड़ा होने और कीचड़ में कीचड़ में पड़े रहने का श्राप दे दिया। बालक ने माता पार्वती से बहुत माफी मांगी। बालक के बार-बार क्षमा मांगने पर माता पार्वती ने उस बालक से कहा, कि यहां गणेश पूजन के लिए नागकन्या आएंगी उनके कहें अनुसार तुम भगवान श्री गणेश का व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक रखना। इस व्रत के प्रभाव से तुम इस श्राप से मुक्त हो जाओगें।एक वर्ष के बाद उस स्थान पर नागकन्या आई। तब उस बालक ने नागकन्याओं से गणपति बप्पा के व्रत का विधि-विधान पूछा। उनके बताए अनुसार उस बालक ने 21 चतुर्थी तक बप्पा का व्रत किया। बालक की भक्ति को देखकर गणपति बप्पा बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने उस बालक को मनोवांछित वर मांगने को कहा। तब उस बालक नें सिद्धिविनायक से कहां 'हे प्रभु' मुझे इतनी शक्ति दीजिए कि मैं अपने पैरों से चलकर अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पर जा सकूं। तब बप्पा ने तथास्तु कहा।
भगवान श्री गणेश के तथास्तु कहने के बाद वह बालक अपने माता-पिता के साथ कैलाश पर्वत पहुंचा। वहां उसने भगवान शिव को अपने ठीक होने की पूरी बात बताई। बालक की बात सुनकर भगवान शिव ने भी माता पार्वती को प्रसन्न करने के लिए 21 चतुर्थी का व्रत रखा। व्रत के प्रभाव से माता पार्वती भी प्रसन्न हो गई। इसके बाद भगवान शिव ने माता पार्वती को इस व्रत की पूरी महिमा बताई। इस बात को सुनकर माता पार्वती की मन में अपने बड़े पुत्र कार्तिक से मिलने की प्रबल इच्छा जाग उठी।तब माता पार्वती ने भी 21 चतुर्थी का व्रत रखा। इस व्रत के प्रभाव से भगवान कार्तिकेय माता पार्वती से मिलने स्वयं आ गए। तभी से यह व्रत संसार में विख्यात हो गया और इसे हर मनोकामना को पूर्ण करने वाला व्रत माना जाने लगा। ऐसा कहा जाता है, कि यदि कोई व्यक्ति 21 चतुर्थी का व्रत पूरी श्रद्धा पूर्वक करें, तो बप्पा उसकी हर मनोकामना अवश्य पूर्ण कर देते हैं , नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,।।
एक बार फिर से आप सभी को गणेश चतुर्थी की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई 🌹🙏🌹
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🌹🙏

Monday, June 27, 2022

गुप्त नवरात्रि कब से है और क्या उपाय करें???

मित्रों आप सभी को जय मां बाबा की आशा है कि मां बाबा की कृपा आप सभी पर बरस रही होगी , मित्रों वेसै तो नवरात्रि साल में चार  बार आती है दो सार्वजनिक दो गुप्त और एक नवरात्रि खरमास यानि मल मास में आती वो पांचवीं नवरात्रि होती है जो शाकंभरी नवरात्रि कहलाती है ये जानकारी संभवता हम नवरात्रि में कहते हैं मित्रों इस नवरात्रि में कई दुर्लभ संयोग बन रहे हैं ,, मित्रों गुप्त नवरात्रि में साधक सिद्ध तांत्रिक, मांत्रिक सभी गुप्त सिद्धियां पाने की कोशिश करते हैं और कई विशेष साधना करने का समय होता है वैसे विशेष बात ये है कि गुप्त नवरात्रि के समय जो पूजा की जाती है वो किसी गुप्त स्थान में या किसी सिद्धस्त श्मसान में ही की जाती है। क्योंकि इस तरह की साधना के समय जिस तरह की शांति की आवश्यक होती है वो सिर्फ श्मसान में ही मिल सकती है। यहां साधक पूरी एकाग्रता के साथ अपनी साधनाएं संपन्न कर पाता है। वैसे कहा जाता है कि भारत में चार ऐसे श्मसान घाट हैं जहां तंत्र क्रियाओं का परिणाम बहुत जल्दी मिलता है। जिसमें असम के कामाख्या पीठ का श्मसान, पश्चिम बंगाल स्थित तारापीठ का श्मसान, नासिक और उज्जैन स्थित चक्रतीर्थ श्मसान का नाम बहुत विशेष है बाकी काशी के श्मशान भी अपना विशेष महत्व रखते हैं,, बाकी मित्रों गुप्त नवरात्रि में मां महाकाली की गुप्त रुपों की ज्यादा साधनाएं और महत्वपूर्ण बताया गया है कि काली कुल और श्री कुल की साधनाएं अति फलदाई है  जैसे कि आषाढ़ की गुप्त नवरात्रि का तंत्र-मंत्र और सिद्धि-साधना के लिए विशेष महत्व होता है.ऐसी मान्यता है कि तंत्र मंत्र की सिद्धि के लिए इस समय की गई साधना शीघ्र फलदायी होती है. इस नवरात्रि में माँ काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, माँ ध्रूमावती, माँ बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा की जाती है।

आषाढ़ गुप्त नवरात्रि 2022 के पहले दिन यानी 30 जून को गुरु पुष्य योग, सर्वार्थ सिद्धि योग, अमृत सिद्धि योग, आडल योग और विडाल योग बन रहे हैं। इस दिन ध्रुव योग सुबह 09 बजकर 52 मिनट तक रहेगा। पुनर्वसु नक्षत्र 01:07 ए एम, जुलाई 01 तक रहेगा। इसके अलावा पुष्य नक्षत्र का भी निर्माण हो रहा है। ज्योतिष शास्त्र में इन सभी योगों को शुभ कार्यों के लिए उत्तम माना गया है।
आषाढ़ गुप्त नवरात्रि पूजा में सबसे पहले प्रातः काल स्नान करके घट स्थापना की जाती है. उसके बाद पूजा प्रारंभ की जाती है. गुप्त नवरात्रि में सुबह और शाम की पूजा में मां दुर्गा को बताशे का भोग लगाया जाता है. पूजा के दौरान माता को श्रृंगार के सारे सामान अर्पित किये जाते हैं. दोनों वक्त की पूजा में दुर्गा सप्तशती का पाठ करें. माता की पूजा के दौरान ओम् दुं दुर्गायै नमः का जाप करें. गुप्त नवरात्रि के दौरान बिना किसी को बताए मां की आराधना की जाती है नादान बालक की कलम से अभी बस इतना ही बाकी फिर कभी  मित्रों सुबह और शाम दोनों वक्त मां की पूजा करना अनिवार्य होता है।
लेकिन मित्रों इस नवरात्रि की साधना संत और साधु समाज खास तौर पर करता है। इस दिन अघोरी और तांत्रिक समाज 9 दिन तक तंत्र शक्ति को जागृत करने के लिए देवी की 10 महाविद्याओं का आह्वान करते हैं। इस नवरात्रि में मां काली के रुपों की पूजा का विधान है। जबकि शारदीय और चैत नवरात्रि में मां दुर्गा के रुप की पूजा की जाती है। इसे गृहस्थ वर्ग भी धूमधाम से करते हैं।

मित्रों विशेष रूप से देवी मां के मंत्रों का जाप करें। यदि आप चाहें तो दुर्गा सप्तशती का पाठ भी कर सकते हैं। देवी मां के पूजन में साफ-सफाई और पवित्रता का बहुत ध्यान रखना चाहिए। साथ ही, मंत्र जप में उच्चारण भी एकदम सही होना चाहिए। यदि आप मंत्रों का उच्चारण ठीक से नहीं कर पा रहे हैं तो किसी ब्राह्मण से मंत्र जप करवा सकते हैं।
 सबसे पहले समय विधान जानते हैं,,
 #गुप्त नवरात्रि का शुभ मुहूर्त,,
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 29 जून सुबह 8 बजकर 22 मिनट में शुरू
आषाढ़ प्रतिपदा तिथि समाप्त- 30 जून सुबह 10 बजकर 49 मिनट तक
अभिजीत मुहूर्त- 30 जून दोपहर 12 बजकर 3 मिनट से 12 बजकर 57 मिनट तक
घटस्थापना मुहूर्त- 30 जून सुबह 5 बजकर 48 मिनट से 10 बजकर 16 मिनट तक
#गुप्त नवरात्रि की तिथियां,,

#पहला दिन : प्रतिपदा तिथि - घटस्थापना और मां शैलपुत्री की  पूजा 

#दूसरा दिन : द्वितीया तिथि - मां ब्रह्मचारिणी पूजा

#तीसरा दिन: तृतीया तिथि - मां चंद्रघंटा की पूजा

#चौथा दिन: चतुर्थी तिथि - मां कूष्मांडा की पूजा

#पांचवा दिन: पंचमी तिथि - मां स्कंदमाता की पूजा

#छठा दिन : षष्ठी तिथि - मां कात्यायनी की पूजा

#सातवां दिन: सप्तमी तिथि - मां कालरात्रि की पूजा

#आठवां दिन: अष्टमी तिथि - मां महागौरी की पूजा

#नौवां दिन: नवमी तिथि - मां सिद्धिदात्री की पूजा

#10 वां दिन- नवरात्रि का पारण हवन जप भैरव पुजा  श्मशान  भैरव जप हवन इत्यादि 
अथवा,,
मां काली
मां तारा
मां त्रिपुर सुंदरी
मां भुवनेश्वरी
मां छिन्नमस्ता
मां त्रिपुर भैरवी
मां धूमावती
मां बगलामुखी
मां मातंगी
मां कमला
इनके निम्न मंत्र है जिनसे आप अपने लिए जो अच्छा लगे उसका जाप और हवन कर सकते हैं,,
ॐ हृीं श्रीं क्रीं परमेश्वरि कालिके स्वाहा।।
ऊँ हृीं स्त्रीं हुम फट्‌ ।।
ऐं हृीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीयै नमः ।।
हृीं भुवनेश्वरीयै हृीं नमः ।।
श्रीं हृीं ऐं वज्र वैरोचानियै हृीं फट स्वाहा।।
ऊँ धूं धूं धूमावती देव्यै स्वाहाः।।
ऊँ हृीं बगुलामुखी देव्यै हृीं ओम नमः।।
ऊँ ह्नीं ऐ भगवती मतंगेश्वरी श्रीं स्वाहा ।।
ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं ॐ महालक्ष्मयै नमः।।
#अब कुछ सावधानियां और सरल मंत्र उपाय जो आम साधक या ग्रहस्थ अपने लिए कर सके ,
#सावधानी,, 
मित्रों गलती से भी देवी माँ को नवरात्रि या गुप्त नवरात्रि में तुलसी, आक, मदार और दूब अर्पित ना करें यह हमेशा ध्यान रखें,
गुप्त नवरात्रि के दौरान मांस-मदिरा, लहसुन और प्याज का बिल्कुल सेवन नहीं करना चाहिए।
- मां दर्गा स्वयं एक नारी हैं, इसलिए नारी का सदैव सम्मान करना चाहिए। जो नारी का सम्मान करते हैं, मां दुर्गा उन पर अपनी कृपा बरसाती हैं।
-नवरात्रि के दिनों में घर में कलेश, द्वेष या अपमान नहीं करना चाहिए। कहते हैं कि ऐसा करने से बरकत नहीं होती है।
-नवरात्रि में स्वच्छता का विशेष ख्याल रखना चाहिए। नौ दिनों तक सूर्योदय से साथ ही स्नान कर साफ वस्त्र धारण करने चाहिए।
- नवरात्रि के दौरान काले रंग के वस्त्र नहीं धारण करने चाहिए और ना ही चमड़े के बेल्ट या जूते पहनने चाहिए।
- मान्यता है कि नवरात्रि के दौरान बाल, दाढ़ी और नाखून नहीं काटने चाहिए।
- नवरात्रि के दौरान बिस्तर पर नहीं बल्कि जमीन पर सोना चाहिए। 
-घर पर आए किसी मेहमान या भिखारी का अपमान नहीं करना चाहिए।
#उपाय विधान,,
गुप्त नवरात्रि जो आमतौर पर जून-जुलाई के बीच आता है। इस 9-दिवसीय धार्मिक क्रिया के दौरान देवी दुर्गा को प्रसन्न करने का मुख्य तरीका तंत्र विद्या के मंत्रों के साथ देवी के शक्तिशाली आह्वान को मंत्रमुग्ध करना है।
गुप्त नवरात्रि के दौरान पूजा की सबसे प्रसिद्ध विधि तांत्रिक विद्या है जिसमें धन, बुद्धि और समृद्धि प्राप्त करने के लिए देवी दुर्गा की आराधना शामिल है।
गुप्त नवरात्रि की पूजा शैतानी ताकतों के प्रभाव को खत्म करने के लिए की जाती है? जिसे भक्तों के दिलों से बुराई के डर को दूर करने के लिए शक्तिशाली माना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि गुप्त नवरात्रि के दौरान देवी दुर्गा को शक्तिशाली मंत्र और गुप्त तंत्र विद्या व तांत्रिक साधनाओं के रूप में गुप्त पूजा की पेशकश की जाती है, जो भक्तों को सभी इच्छाओं और आशाओं को पूरा करने के लिए विशेष शक्तियां प्राप्त करने में मदद करती हैं।
गुप्त नवरात्रि के दौरान, तंत्र मंत्र साधना में विश्वास करने वाले, अपने गुप्त तांत्रिक क्रियाकलापों के साथ-साथ सामान्य नवरात्रि की तरह ही उपवास करते हैं और अन्य अनुष्ठान करते हैं।
9 दिनों तक अखंड ज्योति जलाई जाती है।
कलश स्थापन
देवी दुर्गा के सामने दुर्गा सप्तशती मार्ग और मार्खदेव पुराण का पाठ किया जाता है।
नवरात्रि के सभी दिनों में उपवास या सात्विक आहार का सेवन किया जाता है।
गृहस्‍थ लोगों को गुप्‍त नवरात्र में रोजाना कम से कम 11 बार कुंजिकास्तोत्र का पाठ करना चाहिए। इसके अलावा आप चाहें या फिर आपके पास समय की कमी हो तो 108 बार बीज मंत्र का पाठ करें। इसको करने से आपके घर से सभी प्रकार की नकारात्‍मक शक्तियों का नाश होता है।
यदि आप या आपके परिवार कोई सदस्य हमेशा बीमार रहता हो तो उसे 108 बार ''ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी दुर्गा श्यामा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोस्तुते'' मंत्र का जाप जरूर करना चाहिए। इससे रोग-द्वेश आदि सब दूर हो जाते हैं।
आर्थिक तंगी या गरीबी की मार झेल रहे लोगों को गुप्त नवरात्र‍ि में किसी भी दिन पीपल के पेड़ के पत्ते पर राम का नाम लिख उसे हनुमान मंदिर में चढ़ा देना चाहिए। 11, 21 या 51 पत्तों पर श्रीराम का नाम लिखना चाहिए। इससे आर्थिक संकट दूर हो जाएगा।
कर्ज से दबे लोग दुर्गाष्‍टमी को मां दुर्गा को 9 लौंग चढ़ाएं और फिर मां काली के दर्शन करें. ऐसे करने से कुछ ही दिन में कर्ज से निजात मिल जाएगी.
गुप्‍त नवरात्र में देवी को प्रसन्‍न करने के लिए रोजाना घी या फिर तिल के तेल का दीपक जलाएं। दीप में कौड़ी रखकर दस दिनों तक देवी की उपासना करें। नवरात्र के अंतिम दिन पूजा के बाद कौड़ी को तिजोरी या अलमारी में श्रद्धा पूर्वक रखें। धन समृद्धि में इजाफा होता है।
गुप्त नवरात्रि में भैरव बाबा के मंदिर का दर्शन जरूर करना चाहिए। ऐसे लोग जिनका रोजगार छिन गया हो अथवा जिनकी नौकरी नहीं लग रही वह नवरात्रि में भैरव मंदिर में प्रार्थना करें और अपनी दुख को दूर करने के लिए आशीर्वाद लें। ऐसा करना उनके दुख को दूर कर देगा।
यदि आपके घर या परिवार पर किसी की बुरी नजर लगी हो तो आपको गुप्त नवरात्र‍ि में हनुमान चालीसा का निरंतर जप करते रहना चाहिए। जिस भी व्यक्ति पर नजर लगी है उसके बाएं पैर पर बजरंग बली को चढ़ाया काजल और माथे पर हनुमान जी का सिंदूर लगाना दें। ऐसा करने से बुरी नजर उतर जाएगी।
व्यापार और नौकरी में सफलता के लिए मंत्र
अपने कार्यक्षेत्र में सफलता हासिल करने के लिए ज्योतिष शास्त्र के अनुसार गुप्त नवरात्रि में पूजा के दौरान मां दुर्गा के इस मंत्र का जाप करना शुभ माना जाता है। इस मंत्र से आरोग्य, सुख और मान-सम्मान में वृद्धि की मान्यता है-
देहि सौभाग्यम अरोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषों जहि।।
धन-दौलत प्राप्ति के लिए मंत्र
ज्योतिष अनुसार जीवन में सुख, वैभव और धन-दौलत की प्राप्ति की कामना रखने वाले व्यक्ति को गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की इस मंत्र का जाप करना चाहिए-
ते सम्मता जनपदेषु धनानि तेषां तेषां यशांसि न च सीदति धर्मवर्ग:।
धन्यास्त एव निभृतात्मजभृत्यदारा येषां सदाभ्युदयदा भवती प्रसन्ना।।
मां दुर्गा को प्रसन्न करने जा मंत्र
गुप्त नवरात्रि में 9 दिनों तक मां दुर्गा की सुबह-शाम आराधना की जाती है। ऐसे में देवी मां को प्रसन्न करने के लिए नवरात्रि के नौ दिनों तक सुबह स्नान के बाद दुर्गा माता की विधि-विधान से पूजा करें और फिर इस मंत्र का जाप करें-
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि विपुलां श्रियम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
मित्रों गुप्त नवरात्रि में तंत्र और मंत्र दोनों के माध्यम से शक्ति की साधना की जाती है. तमाम देवी–देवताओं की तरह शक्ति की साधना भी पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुख करके लाल रंग के उनी आसन पर बैठकर करें. देवी की पूजा में किए जाने वाले मंत्र जप के लिए अपनी ही माला का प्रयोग करें और उसके गोमुखी के भीतर छिपाकर ही जपें. देवी के मंत्र को लाल चंदन की माला की मदद से अपने मन में ही जपें बाकी जैसा गुरू कृपा या आदेश पर काला आसान काले कपड़े या कहीं कहीं दिगम्बर रुप में भी मां बाबा की साधना की जाती है ,।
विवाह में अड़चन हो रही तो करें ये उपाय 
नवरात्रि के दिनों में शिव-पार्वती का एक चित्र अपने पूजा स्थल में रखें और उनकी विधिवत पूजा कर बाद में नीचे दिए गए हुए मंत्र का 3, 5 या 10 माला का जप करें। जप के पश्चात भगवान शिव से विवाह में आ रही बाधा को दूर करने की प्रार्थना करें। इस मंत्र के प्रभाव से शीघ्र ही विवाह के योग बन जाते हैं।
ऊँ शं शंकराय सकल-जन्मार्जित-पाप-विध्वंसनाय, पुरुषार्थ-चतुष्टय-लाभाय च पतिं मे देहि कुरु कुरु स्वाहा।।
विद्यार्थियों के लिए मंत्र और उपाय प्रथम नवरात्रि के दिन विद्यार्थी अपनी पुस्तकों को ईशान कोण में रख कर पूजन करें और नवरात्रि के तीसरे तीन दिन विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें। इससे उन्हें विद्या प्राप्ति में अपार सफलता मिलती है। बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें । जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें। तथा उनके मंत्र की एक-दो माला नवरात्रि में अवश्य करें और लाभ लें।
अपनी मनोकामना पूरी करने के लिए
नवरात्रि के दिनों में किसी शिव मंदिर में जाएं पूरे मंदिर में झाड़ू लगाकर उसे साफ करें। वहां शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए अच्छी तरह से अभिषेक करें। तत्पश्चात शुद्ध जल से स्नान करें और शिवजी की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से पूजा-आरती करें। रात में 10 बजे के बाद आम की लकड़ी पर अग्नि प्रज्वलित कर "ऊँ नम: शिवाय" मंत्र का उच्चारण करते हुए 108 आहुति शुद्ध घी से दें। नवरात्रि से आरंभ कर इस विधि को 40 दिनों तक नित्य इसी मंत्र का पांच माला का जप शिव जी के सम्मुख करते रहें। इस क्रिया से आपकी सर्वमनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण होगी।
घर परिवार में रोगादि समस्या के लिए
पति-पत्नी के बीच या घर-परिवार में संबंध अच्छे न हो या रोग घर में बड़ी परेशानी बन गए हों तो नवरात्रि में इस उपाय का प्रयोग करें। नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन स्नान आदि कर नीचे दिए हुए मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें। इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा। इसके बाद प्रतिदिन नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस मंत्र का 21 बार जप नियमित करें। संभव हो तो अपने परिवार के सदस्स्यों से भी इस मंत्र का जपकरने के लिए कहें। इससे जीवन भर परिवार में सभी के आपस में संबंध मधुर रहेंगे और स्वास्थ्य सम्बंधित कष्ट दूर रहेंगे। 
सब नर करहिं परस्पर प्रीति। 
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।
अच्छी नौकरी पाने के लिए
नवरात्रि में सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सफेद रंग का ऊनी आसन बिछाकर उस पर अपना मुख पूर्व दिशा की और कर बैठ जाएं। अब अपने सामने पीला वस्त्र बिछाकर उस पर 108 दानों वाली स्फटिक की माला रख दें तथा इस पर केसर और केवड़े का इत्र छिड़ककर माला की पूजा करें। माला को धूप, दीप और अगरबत्ती दिखाकर इस मन्त्र का जाप करें।
ऊं ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा'
इस मंत्र का 108  बार जाप करें। इस प्रकार निरंतर 9 दिन तक जप करने से वह माला सिद्ध हो जाएगी। इसके बाद आपको जब भी किसी साक्षात्कार (इंटरव्यू) देने जाना हो या किसी विशेष से भेंट करने जाना हो तो इस माला को धारण कर जाएं। ऐसा करने से साक्षात्कार (इंटरव्यू) या अन्य किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त हो जाएगी।
आर्थिक लाभ के लिए
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन आप किसी शांति वाले स्थान पर उत्तर दिशा की ओर अपना मुख कर पीले आसन पर बैठ जाएं। अपने सामने तिल के तेल से 9 दीपक जलाएं और उन दीयों में इतना तेल हो जब तक आप साधना कर रहे हो तब तक दीये जलते रहें। इन 9 दीयों के सामने लाल चावल बिछाकर उस पर श्रीयंत्र रखें। इस श्रीयंत्र की कुमकुम, फूल, धूप तथा दीप से पूजा करें। इस कार्य के बाद एक तांबे की प्लेट पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उसकी पूजा करें। तबश्रीयंत्र को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित कर दें तथा शेष बची पूजा सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से आपको शीघ्र ही आकस्मिक धन लाभ प्राप्त होगा।
धन की प्राप्ति का मंत्र और उपाय नवरात्रि में देवी के विशेष मंत्र का जप करने से धन की प्राप्ति होती है। मंत्र
ॐ श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं कमल-वासिन्ये स्वाह् "

माताओं बहनों के विशेष कष्ट निवारण का मंत्र और उपाय जिन माताओं बहनों को दुःख और कष्ट ज्यादा सताते हैं, वे महिलाएं नवरात्रि के प्रथम दिन (देवी-स्थापना के दिन) दीया जलायें और कुमकुम से अशोक वृक्ष की पूजा करें ,पूजा करते समय मंत्र का जाप करें।
मंत्र "अशोक शोक शमनो भव सर्वत्र नः कुले " भविष्योत्तर पुराण के अनुसार नवरात्रि के प्रथम दिन इस तरह पूजा करने से माताओ बहनों के कष्टों का जल्दी निवारण होता है। माताओं बहनों के लिए विशेष कष्ट निवारण हेतु माघ मास शुक्ल पक्ष तृतीया के दिन में सिर्फ बिना नमक मिर्च का भोजन करें। तथा मंत्र का जाप करें।
मंत्र " ॐ ह्रीं गौरये नमः " मंत्र का जप करते हुए उत्तर दिशा की ओर मुख करके स्वयं को कुमकुम का तिलक करें। महिलाएं गुप्त नवरात्रि के दौरान गाय को चन्दन का तिलक करके गुड़ ओर रोटी खिलाएं।
शत्रु को मित्र बनाने का मंत्र और उपाय नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने, मनोवांछित सिद्धियां प्राप्त करने के लिए और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है। इसीलिए नवरात्रि में स्नानादि से निवृत्त हो तिलक लगाकर एवं दीपक जलाकर मां भगवती के बीज मंत्र का इक्कीस माला जप करें एवं 'श्री गुरुगीता' का पाठ करें तो शत्रु भी उसके मित्र बन जाएंगे।
हर तरह के धन लाभ के लिए-
- गुप्त नवरात्रि में प्रातः और सायंकाल दोनों वेला मां दुर्गा की पूजा करें.
- प्रातः उन्हें सफ़ेद फूल अर्पित करें और शाम को लाल फूल.
- दोनों वेला एक विशेष मंत्र का 108 बार जप करें.
- मंत्र होगा - ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ज्वल हं सं लं क्षं फट्‍ स्वाहा ॥
- नवमी के दिन किसी निर्धन बालिका को वस्त्र और उपहार देकर आशीर्वाद लें
अगर कर्ज की समस्या से परेशान हों-
- गुप्त नवरात्रि में नित्य प्रातः मां दुर्गा की पूजा करें.
- नित्य प्रातः उनको लाल फूल अर्पित करें.
- इसके बाद उनके सामने सिद्ध कुंजिका स्तोत्र का पाठ करें.
- पाठ के बाद कर्ज मुक्ति की प्रार्थना करें.
- निश्चित रूप से कर्ज से मुक्ति मिलेगी.
अगर कारोबार में धन न आ रहा हो-
- गुप्त नवरात्रि में रोज शाम मां लक्ष्मी की पूजा करें.
- मां लक्ष्मी के सामने घी का दीपक जलाएं.
- उनके सामने श्रीसूक्तम का पाठ करें.
- गुप्त नवरात्रि में किसी भी दिन कच्चा सूत हल्दी से रंगकर पीला कर लें.
- इसे मां लक्ष्मी को समर्पित करके अपने गल्ले में रख लें.
- धन का आगमन ठीक हो जाएगा.
अगर नौकरी में धन न मिल पा रहा हो-
- गुप्त नवरात्रि में लाल आसन पर बैठकर मां की आराधना करें.
- मां को लाल कपडे में रखकर दो लौंग पूरे नौ दिन चढ़ाएं.
- हर दिन कपूर से उनकी आरती करें.
- नवरात्रि समाप्त हो जाने पर सारी लौंग लाल कपडे में बांधकर सुरक्षित रख लें.
- धन की समस्याएं दूर होंगी.
मां दुर्गा को सदैव लाल रंग का पुष्प ही चढ़ाएं ,मां दुर्गा के विशिष्ट मंत्र 'ऊं ऐं ह्रूीं क्लीं चामुंडाय विच्चे' का सुबह-शाम 108 बार जप करें।
गुप्त नवरात्रि में अपनी पूजा के बारे में किसी को न बताएं। ऐसा करने से आपकी पूजा और ज्यादा सफल होगी।
दोनों वक्त की पूजा में लौंग और बताशे का भोग लगाएं
सुबह-शाम दुर्गा चालीसा और दुर्गा सप्‍तशती का पाठ करें।
देवी का अभिषेक इत्र मिले जल से करें। इस उपाय से देवी प्रसन्न होती हैं और भक्तों की मनोकामना पूरी करती हैं।
एक पान पर गुलाब का एक फूल रखकर देवी दुर्गा को चढ़ाएं। इस उपाय से महालक्ष्मी की कृपा भी प्राप्त होती है। ध्यान रखें दुर्गा पूजा लाल आसन पर बैठकर करनी चाहिए।
मित्रों हमेशा ध्यान रहे कभी भी शुक्रवार को देवी पूजा करते समय हार-फूल, प्रसाद, कुमकुम, चंदन, चावल आदि पूजन सामग्री के साथ ही शहद और इत्र अनिवार्य रूप से चढ़ाना चाहिए। शहद और इत्र चढ़ाने से देवी मां की कृपा सदैव बनी रहती है और भक्त का व्यक्तित्व आकर्षक बनता है।
मित्रों गुप्त नवरात्रि का व्रत माँ दुर्गा के भक्तों के लिए बहुत ख़ास होता है। मान्यता के अनुसार गुप्त नवरात्रि का व्रत शक्ति साधना, क्रियाएं, तांत्रिक और मंत्रों को साधने के लिए बहुत महत्वपूर्ण होती है। इस व्रत को रखने से मनुष्य निरोगी होता है। सच्चे मन से देवी दुर्गा की पूजा करने से माँ दुर्गा भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी करती हैं। गुप्त नवरात्रि में ज्योतिष उपाय और वास्तु उपाय भी काफी फायदेमंद माने गए हैं।  इसलिए हमने यहां आपकी जानकारी के सरल रुप में समझाया है पर जो भी करें गुरु इष्ट से भेद नहीं होता दुसरो के सामने सार्वजनिक नहीं होता इसलिए दुसरो से गुप्त ही रखे बाकी निष्फल की प्राप्ति होती है धन्यवाद लेख अच्छा लगा हो तो कमेंट और शेयर करे कुछ समझ में नहीं आता हो तो दिन में बारह बजे से शाम पांच बजे तक कोल कर सकते हैं 8619838103 वाट्सअप पर मैसेज कर सकते हैं 9829026579 नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मां बाबा आपको सर्वदा खुश रखे और सफलता प्रदान करे यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है,, 🌹🙏
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,, 🙏🌹🙏

Tuesday, April 26, 2022

एक बात हमेशा ध्यान रखें समर्पण से ही सभी को साधा जाता है,,

आप सभी मित्रों को जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,
#शाबरमंत्र #वैदिकमंत्र अन्य मंत्र साधनाएं
मित्रों यह ब्लॉग हमने आमजन की तंत्रो की भ्रान्ति

को लेकर शुरू किया था ताकि सरल मंत्रों में जिनमें उग्रता नहीं है केवल अपनी ऊर्जा को विकसित कर सके और आप सभी को हर विधान की जानकारी मिल सके बाकी कोई भी गुप्त और उग्र साधनाएं एक गुरू अपने शिष्यों तक समिति रखता है इस कुछ साधनाओं में हमने पुणे विधी विधान नहीं दिया गया पर कुछ महान विद्वान हैं जो ये कहते हैं कि फिर यहां फलां मंत्र क्यू दिया गया तो उन महानुभाव से निवेदन है कि जिन मंत्रो में यहां पुणे विधी विधान नहीं दिया गया है चाहे वो शाबर मंत्र हो या वैदिक या चाहे अन्य कोई हम केवल हमारे शिष्यों की जिज्ञासा पुणे रूप से शांत करने के लिए बाध्य है बाकी यहां सार्वजनिक जितना जरूरी है उतना ही दिया गया है हमे आप कोल करते हैं तो आपका का भाव क्या रहता है वो जरूरी है आपका मार्गदर्शन कर सकते हैं पर कुछ उग्र साधनाएं इतर योनी साधनाएं आमजन की जानकारी मात्र के लिए है बाकी पुणे जानकारी हम केवल हमारे शिष्यों तक ही सीमित रखते हैं ,, इसलिए फालतू सवाल पुछकर अपना और हमारा समय नष्ट ना करे और अपनी ज्यादा अक्लमंदी का परिचय तो बिल्कुल ना दे ,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,, 🙏🌹

Friday, April 15, 2022

बाबा हनुमानजी के जन्मोत्सव पर क्या करे क्या ना करें

मित्रों जैसा कि आप सभी को पता है कि सोलह अप्रैल को बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव है पिछले कई सालों से हम सभी इस दिन को जयंती की जगह, जन्मदिवस या अवतरण दिवस या जन्मोत्सव के रुप मनाते आ रहे हैं हर बार, हम सभी को कुछ ना कुछ उपाय देते आ ही रहे हैं,,


 बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव 2022 कब है आईये जानते हैं और जानते हैं कुछ मंत्र विधान और जानते हैं तिथि ,,पूजा का शुभ मुहूर्त और महत्व,16 अप्रैल 2022 सनातनी हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव धूमधाम मनाया जाएगा ज
 इस बार बाबा हनुमानजी,का अवतरण दिवस शनिवार को है, सनातन धर्म शास्त्रों के अनुसार आज भी पृथ्वी पर  बाबा हनुमानजी  मौजूद हैं और वो चिरंजीवी है पुरे भारतवर्ष में बाबा हनुमानजी जन्मोत्सव का पर्व बड़े धूमधाम से मनाया जाता है , सनातन धर्म धार्मिक ग्रंथों की मानें तो चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा के दिन बाबा हनुमान जी का प्राकट्य हुआ था यानी अवतरण दिवस है सनातन धर्म के मान्यता है कि बाबा हनुमानजी के जन्मोत्सव के दिन विधि विधान से जो भी बाबा हनुमानजी की पूजा अर्चना करते हैं तो उनके सभी विघ्न बाधाओं का अंत या नाश होता है और मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है,

इस दिन कुछ विशेष उपाय कर आप ग्रहों के नकारात्मक प्रभाव को दूर कर सकते हैं। इतना ही नहीं शिक्षा, व्यापार व नौकरी के क्षेत्र में आने वाली बाधाओं को दूर करने के लिए भी हनुमान जी की पूजा विशेष फलदायी मानी जाती है , इस दिन सभी भक्त साधक संत तपस्वी, संन्यासी पूरे दिन बाबा हनुमानजी की भक्ति में लीन रहते हैं और सुंदरकांड , बंजरग बाणा, हनुमान अष्टक, संकट मोचन, हनुमंत बीसा राम रक्षा स्तोत्र,और अन्य मंत्र विधान का पाठ करते हैं तो आईये नादान बालक की कलम के माध्यम से जानते हैं चैत्र मास 2022 में कब है बाबा हनुमानजी के जन्मोत्सव का, शुभ मुहूर्त और महत्व ,,
सनातन धर्म हिंदू पंचांग के अनुसार चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव मनाया जायेगा इस बार बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव,
16 अप्रैल 2022, शनिवार को है,
पूर्णिमा तिथि 16 अप्रैल 2022, शनिवार को प्रात: 2 बजकर 26 मिनट से शुरू होकर देर रात्रि 12 बजकर 22 मिनट पर समाप्त होगी
इस बार की बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव रवि योग, हस्त एवं चित्रा नक्षत्र में है 16 अप्रैल को हस्त नक्षत्र सुबह 08:40 बजे तक है, उसके बाद से चित्रा नक्षत्र शुरू होगा। इस दिन रवि योग प्रात: 05:55 बजे से शुरू हो रहा है वहीं इसका समापन 08:40 बजे होगा, समझ में आ जाये इसलिए दुबारा लिखा है,
तो मित्रो आइए जानते हैं कि बाबा हनुमानजी का जन्मोत्सव कैसे मनाया जाये नीचे व्रत एवं पूजा विधि का विवरण दिया जा रहा है:
1.  इस दिन तात्कालिक तिथि (राष्ट्रव्यापिनि) को लिया जाता है।
2.  व्रत की पूर्व रात्रि को ज़मीन पर सोने से पहले भगवान राम और माता सीता के साथ-साथ बाबा हनुमान जी का स्मरण करें।
3.  प्रात: जल्दी उठकर दोबार भगवान राम-माता सीता एवं बाबा हनुमान जी को याद करें।
4.  जल्दी सबेरे स्नान ध्यान करें।
5.  अब हाथ में गंगाजल लेकर व्रत का संकल्प करें।
6.  इसके बाद, पूर्व की ओर बाबा हनुमानजी की प्रतिमा को स्थापित करें, या किसी मंदिर में जाये
7.  अब विनम्र भाव से बाबा हनुमानजी की प्रार्थना करें।
8.  आगे षोडशोपाचार की विधि विधान से बाबा हनुमानजी की आराधना करें।
आईये जानते हैं बाबा हनुमानजी को सिन्दूर क्यों पसंद है बाबा हनुमान जी को ओर चोला क्यु चढाया जाता है ओर लाल वस्त्र ही क्यु.. ॽ
भगवान् प्रभु श्री राम के भक्तो में परम प्रतापी श्री बाबा हनुमान जी परम विशेष हैं | कलियुग में उनकी महिमा का गुणगान करने से बड़े से बड़ा कष्ट कट जाता है और मनुष्य को परम शान्ति की प्राप्ति होती है |
रामायण की एक कथा के अनुसार एक बार देवी माता सीता श्रृंगार कर रही थीं की अचानक पवन पुत्र उनके कक्ष में प्रविष्ट हुए | उन्होंने वहाँ देखा की माँ जानकी सारा श्रृंगार करने के उपरान्त मांग में सिन्दूर डालती हैं | इस पर श्री बाबा हनुमान जी से रहा नहीं गया और वह जिज्ञासा वश माता से पूछते हैं, " हे माता! आप सिन्दूर क्यों लगाती हो ? इसको लगाने से क्या होता है ?"
अचानक देवी सीता माता को श्री बाबा हनुमान जी के इस अटपटे सवाल का कोई जवाब नहीं सूझ पडा | थोड़ी देर माता शांत रहीं और फिर वात्सल्य भरे शब्दों में कहा, " हे आंजनेय! यह सिन्दूर है | भगवान प्रभु श्री राम चन्द्र जी को सिन्दूर बहुत ही प्रिय है | इसीलिए मै उनकी प्रसन्नता के लिए सिन्दूर लगाती हूँ और इससे उनकी उम्र बढती है |”
बाबा श्री हनुमान जी कुछ नहीं बोले | चुपचाप वापस अपने निवास पर आये और विचार करने लगे की माता थोडा-सा सिन्दूर लगाती हैं और प्रभु इतना प्रसन्न होते हैं और उनकी आयु भी बढती है... तो यदि मैं ज्यादा सिन्दूर लगाऊं तो प्रभु और भी ज्यादा प्रसन्न होंगे और अमर भी हो जायेंगे| ऐसा विचार कर उन्होंने अपने पूरे शरीर पर ही सिन्दूर का गाढा लेप लगा लिया| फिर वह भगवान प्रभु श्री राम के पास पहुंचे | सब लोग श्री बाबा हनुमान जी को देख कर हंसने लगे | भगवान प्रभु श्री राम ने पूछा, " हनुमान! तुमने यह क्या वेष बना रखा है?” बाबा श्री हनुमान जी ने उत्तर दिया, "माता जी ने बताया है कि आप को सिन्दूर बहुत ही प्रिय है | इसीलिए मैंने अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर लपेट लिया है |”
भगवान प्रभु श्री राम बाबा हनुमान जी क़ी इस सरलता पर बहुत ही प्रसन्न हुए और उन्होंने यह आशीर्वाद दिया," हनुमान ! तुम्हारे जैसा न मेरा भक्त हुआ है और न होगा | जो कोई भी हनुमान के इस सिन्दूर लपेटे रूप का दर्शन एवं पूजन करेगा उसे विद्या, बुद्धि तथा रोग व्याधि से मुक्ति प्राप्त होगी |"
प्रभु के परम भक्त श्री बाबा हनुमान जी की महिमा के बारे में कुछ कहना सूर्य को रौशनी दिखाने के समान है | बाबा श्री हनुमंत पूजन के विशेष दिन शनि और मंगल वार हैं |
लाल देह लाली लसै, अरु धरि लाल लंगूर |
बज्र देह दानव दलन, जय जय जय कपि सूर ||
ॐ आञ्जणेयाय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि | तन्नो हनुमत् प्रचोदयात् ||

ॐ हं हनुमते नमः

संकट मोचन पवन सुत हनुमान की जय हाथ मे सोटा लाल लंगोट वाले की जय हो जय हो जय जयकार हो ,जय माँ जय बाबा की नादान बालक की कलम से अभी बस इतना ही बाकी आगे जारी रहेगा,, मां जानकी ने बाबा हनुमानजी को अमरता का वरदान भी दिया था, इसलिए वो इस पुथ्वी पर कण कण में विधामान है बाकी राम राम जहां बोला जाये वहां भी वो मौजूद हैं, मित्रों एक बात हमेशा ध्यान रखें बाबा हनुमानजी की पूजा करते समय राम दरबार का पूजन अवश्य करें  क्योंकि भगवान  राम जी की पूजा के बिना बाबा हनुमान जी की पूजा अधूरी मानी जाती है, 
वहीं #संतान प्राप्ति के लिए भी हनुमान जयंती का विशेष महत्व है। धार्मिक ग्रंथों की मानें तो इस दिन बजरंगबली की पूजा के साथ सूर्य देव को अर्घ्य देने व पूजन करने से #निसंतान को #संतान की प्राप्ति होती है और संतान संबंधी सभी समस्याओं का निवारण भी होता है,
बजरंगबली के 12 नाम का स्मरण करने से ना सिर्फ उम्र में वृद्धि होती है बल्कि समस्त सांसारिक सुखों की प्राप्ति भी होती है. 12 नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश-पाताल से रक्षा करते हैं.

- प्रात: काल सो कर उठते ही जिस अवस्था में भी हो बारह नामों को 11 बार लेनेवाला व्यक्ति दीर्घायु होता है.

-नित्य नियम के समय नाम लेने से इष्ट की प्राप्ति होती है.

- दोपहर में नाम लेनेवाला व्यक्ति धनवान होता है. दोपहर संध्या के समय नाम लेनेवाला व्यक्ति पारिवारिक सुखों से तृप्त होता है.

- रात्रि को सोते समय नाम लेनेवाले व्यक्ति की शत्रु से जीत होती है.

- उपरोक्त समय के अतिरिक्त इन बारह नामों का निरंतर जप करने वाले व्यक्ति की श्री हनुमानजी महाराज दसों दिशाओं एवं आकाश पाताल से रक्षा करते हैं.

-लाल स्याही से मंगलवार को भोजपत्र पर बारह नाम लिखकर मंगलवार के दिन ही ताबीज बांधने से कभी सिरदर्द नहीं होता. गले या बाजू में तांबे का ताबीज ज्यादा उत्तम है. भोजपत्र पर लिखने वाला पेन नया होना चाहिए.

प्रस्तुत है बजरंग बली के 12 चमत्कारी नाम :
1 ॐ हनुमान

2 ॐ अंजनी सुत

3 ॐ वायु पुत्र

4 ॐ महाबल

5 ॐ रामेष्ठ

6 ॐ फाल्गुण सखा

7 ॐ पिंगाक्ष

8 ॐ अमित विक्रम

9 ॐ उदधिक्रमण

10 ॐ सीता शोक विनाशन

11 ॐ लक्ष्मण प्राण दाता

12 ॐ दशग्रीव दर्पहा
नाम तो और भी कई है पर बारह नामों में यही आते हैं,,
और अन्य मंत्र ,,
हनुमान जी का मूल मंत्र:- ओम ह्रां ह्रीं ह्रं ह्रैं ह्रौं ह्रः॥ हं हनुमते रुद्रात्मकाय हुं फट्।
हनुमान जी का कवच मूल मंत्र
श्री हनुमंते नम:

शत्रु, रोग और भय नाश के लिए हनुमान मंत्र
ओम हं हनुमंताय नम:. ओम नमो हनुमते रूद्रावताराय सर्वशत्रुसंहारणाय सर्वरोग हराय सर्ववशीकरणाय रामदूताय स्वाहा.

मनोकामना पूर्ति हनुमान मंत्र
महाबलाय वीराय चिरंजिवीन उद्दते. हारिणे वज्र देहाय चोलंग्घितमहाव्यये.

मंत्र जाप विधि
ये बाबा हनुमान जी के प्रभावशाली मंत्र हैं. बाबा हनुमान जी रुद्रावतार हैं. उनके इन मंत्रों का जाप रुद्राक्ष की माला से करनी चाहिए. मंत्र जाप में तन, मन और वचन की शुद्धता जरूरी है. इसके साथ ही मंत्रों का सही उच्चारण करना चाहिए. इन मंत्रों का जाप एकांत और शांत जगह पर करें ताकि कोई व्यवधान न हो.
ना कोई पूजा, ना कोई तंत्र, जपें बस यह राशि मंत्र
अक्सर कई ज्योतिष उपाय एक साथ पढ़ने पर व्यक्ति असमंजस में पड़ जाता है कि आखिर उसके लिए क्या उचित है और क्या अनुचित।
व्यक्ति अगर अपनी राशि के अनुसार मंत्र जाप करे तो निसंदेह शीघ्र सफलता मिलती है। मंत्र पाठ से व्यक्ति कई प्रकार के संकट से मुक्त रहता है। आर्थिक रूप से संपन्न हो जाता है।
साथ ही जो लोग आपकी राह में बाधा उत्पन्न करते हैं वह भी कमजोर हो जाते हैं। प्रस्तुत है आपकी राशि के अनुसार अचूक दिव्य मं‍त्र, इसे जपने के पश्चात किसी अन्य पूजा या तंत्र की आवश्यकता नहीं है।
किस राशि का कौन-सा मंत्र :
मेष : ॐ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:
वृषभ : ॐ गौपालायै उत्तर ध्वजाय नम:
मिथुन : ॐ क्लीं कृष्णायै नम:
कर्क : ॐ हिरण्यगर्भायै अव्यक्त रूपिणे नम:
सिंह : ॐ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै नम:
कन्या : ॐ नमो प्रीं पीताम्बरायै नम:
तुला : ॐ तत्व निरंजनाय तारक रामायै नम:
वृश्चिक : ॐ नारायणाय सुरसिंहायै नम:
धनु : ॐ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊर्ध्वषंतायै नम:
मकर : ॐ श्रीं वत्सलायै नम:
कुंभ : ॐ श्रीं उपेन्द्रायै अच्युताय नम:
मीन : ॐ क्लीं उद्‍धृताय उद्धारिणे नम:
जो लोग मंगलवार और शनिवार का व्रत रखते हैं, उनको बाबा हनुमान जी के पाठ भी करने चाहिए. ऐसा करने से व्रत का पूरा फल प्राप्त होता है और उस व्रत का महत्व भी पता चलता है. नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी तो मित्रों आप सभी को महाबली वीरो के वीर महावीर बाबा हनुमान जी के अवतरण दिवस यानि जन्मदिवस पर बहुत बहुत शुभकामनाएं ओर हार्दिक बधाई,,
कोई ग़लती या चुक हो गयी हो तो क्षमा चाहते हैं और कोई इनसे अलग क्रिया भी करना चाहते हैं तो वो हमें कभी भी दिन में बारह बजे से शाम पांच बजे तक कोल कर सकते हैं,,mobile number 9829026579 
देरी से पोस्ट के लिए क्षमा चाहते हैं हमारे एक्सीडेंट की वजह से हाथ में प्रोब्लम है,,आप सभी को जय मां बाबा की 🙏🌹🙏
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🌹

Thursday, March 31, 2022

चैत्र नवरात्रि कब से है और क्या उपाय करें और क्या रखे सावधानियों

मित्रों आप सभी को सनातन हिन्दू धर्म के नववर्ष 2079 की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई मां बाबा आप सभी को स्वास्थ्य और निरोगी रखे यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है,, 🌹

मित्रों इस साल चैत्र नवरात्रि 2 अप्रैल 2022 को शनिवार के दिन से शुरू हो रहे हैं जो 11 अप्रैल 2022 को सोमवार के दिन समाप्त होंगे। वहीं 10 अप्रैल को राम नवमी मनाई जाएगी।
मित्रों सबसे पहले नवरात्रि के पहले दिन घट स्‍थापना की जाती है. याद रखें कि यह कलश स्थापना ईशान कोण यानी कि उत्तर-पूर्व कोण में करें. वास्‍तु शास्‍त्र के में ईशान कोण को पूजा-पाठ के लिए सबसे शुभ और उत्तम माना गया है. इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है.
नवरात्रि के दौरान भक्त माता दुर्गा के 9 रूपों की खास पूजा अर्चना करते हैं। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस बार की चैत्र नवरात्रि बेहद खास और फलदायी साबित होगी क्योंकि इस साल चैत्र नवरात्रि में ग्रहों के योग से विशेष संयोग का निर्माण हो रहा है मित्रों जैसा कि आप सभी जानते हैं कि 2022 चैत्र नवरात्रि शुरू होने वाली है चैत्र नवरात्रि गर्मी के मौसम की शुरुआत करता है नवरात्रि में विभिन्न देवी देवताओं के अनुष्ठान होते हैं पुरा सनातन धर्म समुदाय माता और किसी भी देवी देवताओं को प्रसन्न करने के साधना पुजा, अनुष्ठान करते हैं और देवी देवताओं के विभिन्न रूपों की पूजा की जाती है और साधना ही की जाती है हिंदू पुराण और ग्रंथों के अनुसार चैत्र नवरात्रि सबसे महत्वपूर्ण नवरात्रि हैं और रामायण के अनुसार भगवान राम ने भी इसी चैत्र नवरात्रि में मां दुर्गा की उपासना कर रावण का वध कर विजय प्राप्ति की थी इसी कारण वर्ष चैत्र नवरात्रि पूरे भारत के पूरे विश्व में धूमधाम से मनाई जाती है और इसी चैत्र नवरात्रि के नवमी को रामनवमी भी कहा जाता है जिस दिन सिद्धिदात्री की पूजा आराधना व साधना की जाती है नवरात्रि नवरात्रि 2 अप्रैल से शुरू हो रही है जो 11 अप्रैल तक दसमी तक रहेगी दसवीं के दिन भैरव पूजा पण पूर्णाहुति गिना जाता है इस बार मां की सवारी घोड़े पर आ रही है उससे क्या फर्क पड़ता है पूजा में क्या विशेष करें वैसे तो हम हर बार नवरात्रि की पोस्ट करते हैं  हैं और यहां कुछ उपाय भी बताते हैं यह सभी उपाय और टोटके अति फलदाई होते हैं इसलिए जो करो सोच समझकर करें, आज हम केवल 2 तारीख को घट स्थापना कब करें और क्या क्या उपाय करने चाहिए वह देखने इस दिन घट स्थापना के लिए सूर्योदय काल से लेकर 12:00 बजे 28 मिनट तक कलश स्थापना कर ली जाए अति उत्तम रहेगा यदि शुभ चौघड़िया मैं की जाई तो 7:30 बजे से लेकर 9:00 बजे तक और दोपहर में 12:00 से लेकर 12:28 तक यही सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त है और नवरात्रि का व्रत अगर 11 अप्रैल दिन सोमवार को दशमी तिथि में तोड़ा जाए तो अच्छा है क्योंकि नवरात्रि इस बार खंडित नहीं है और माता के घोड़े पर आगमन का जो मतलब होता है सामाजिक को समाज में अस्थिरता कई दुर्घटनाएं होगी आम जनमानस के सुखों में कमी की वृद्धि होगी असली माता का पूजनीय साधना करके उनसे शमा याचना के लिए प्रार्थना करें अति लाभदायक होगा,
इस साल चैत्र नवरात्रि के दौरान सभी भक्त गण माता दुर्गा के 9 रूपों की और सिद्ध विधा अष्टलक्ष्मी की खास पूजा अर्चना करते हैं  ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक इस बार की चैत्र नवरात्रि बेहद खास और फलदायी साबित होगी क्योंकि इस साल चैत्र नवरात्रि में ग्रहों के योग से विशेष संयोग का निर्माण हो रहा है जिसमें रवि पुष्य, सर्वथसिद्ध योग, यह सब विशेष रहेगे, मित्रों इस दिन, हिंदू देवी दुर्गा की पूजा करते हैं और बुराई पर अच्छाई की जीत का जश्न मनाते हैं भक्तों के लिए चैत्र नवरात्रि का बहुत धार्मिक महत्व है हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यह वह दिन है जब दुनिया अस्तित्व में आई थी। अलग-अलग राज्य इस त्योहार को अलग-अलग नामों से पहचानते हैं महाराष्ट्र में इसे गुड़ी पड़वा के नाम से जाना जाता है जबकि कश्मीर में इसे नवरेह के नाम से जाना जाता है ,इस बार नवरात्र शनिवार से शुरू हो रहे हैं तो माता का वाहन घोड़ा होगा ,वो, मान्यता है कि मां दुर्गा जब घोड़े पर सवार होकर आती है तो युद्ध के हालात बनते हैं बिमारियों में वुर्द्धी होती है  इस बार नवरात्र का समापन सोमवार को हो रहा है तथा इस लिहाज से मां दुर्गा भैंसे की सवारी से प्रस्थान करती हैं, जिससे देश में रोग और कष्ट बढ़ता है। ऐसी मान्यता है।
चैत्र नवरात्रि 2022 घटस्थापना मुहूर्त
सुबह में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: 06 बजकर 10 मिनट से सुबह 08 बजकर 31 मिनट तकदोपहर में घटस्थापना का शुभ मुहूर्त: 12:00 बजे से 12 बजकर 50 मिनट तक
दिन 1: घटस्थापना / प्रतिपदा- रंग- लाल
दिन 2: द्वितीया- रंग- रॉयल ब्लू
दिन 3: तृतीया- रंग- पीला
दिन 4: चतुर्थी- रंग- हरा
दिन 5: पंचमी- रंग- ग्रे
दिन 6: षष्ठी- रंग- नारंगी
दिन 7: सप्तमी- रंग- सफेद
दिन 8: अष्टमी- रंग- गुलाबी
दिन 9: नवमी- रंग- स्काई ब्लू
क्या करे और क्या ना करें मुर्हुत और उपाय जानते हैं 
मित्रों इस बार की नवरात्रि में खास बात यह है कि इस बार चैत्र नवरात्रि के व्रत में किसी भी तिथि का क्षय ना होने से पूरे नौ दिनों तक मां की पूजा अर्चना होगी। वैसे तो पूर नौ दिनों तक चलने वाले नवरात्र में शक्ति की आराधना सभी करते हैं वहीं कई लोग व्रत उपवास रखकर माता को प्रसन्न करते हैं नवरात्रि में आध्यात्मिक शक्तियां और सुख समृद्धि को प्राप्त करने के लिए पूजा-पाठ साधना मंत्र विधान इत्यादि किया जाता है
हर नवरात्रि में माता की आराधना के साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त करने के लिए लोगों में अलग-अलग टोटके क्रिया साधना कराने की भी प्रथा होती है माना जाता है कि नवरात्रि में यदि कुछ अच्छे और विशेष कार्य हेतु कोई टोटके क्रिया किया जाए तो जो समस्या है उसकी पीड़ा शीघ्र समाप्त हो जाती हैं आइए जानते हैं कुछ ऐसे ही टोटकों के और क्रियाओं के बारे में विधान,
मित्रों घर परिवार में रोग आदि समस्या के लिए ,#पति-पत्नी के बीच या घर-परिवार में संबंध अच्छे न हो या रोग घर में बड़ी परेशानी बन गए हों तो नवरात्रि में इस उपाय का प्रयोग करें नवरात्रि के दिनों में प्रतिदिन स्नान आदि कर नीचे दिए हुए मंत्र को पढ़ते हुए 108 बार अग्नि में घी से आहुतियां दें इससे यह मंत्र सिद्ध हो जाएगा  इसके बाद प्रतिदिन नित्य सुबह उठकर पूजा के समय इस मंत्र का 21 बार जप नियमित करें। संभव हो तो अपने परिवार के सदस्स्यों से भी इस मंत्र का जप करने के लिए कहें इससे जीवन भर परिवार में सभी के आपस में संबंध मधुर रहेंगे और स्वास्थ्य सम्बंधित कष्ट दूर रहेंगे ,
सब नर करहिं परस्पर प्रीति। 
चलहिं स्वधर्म निरत श्रुति नीति।।
आर्थिक लाभ के लिए
नवरात्रि में अष्टमी और नवमी के दिन आप किसी शांति वाले स्थान पर उत्तर दिशा की ओर अपना मुख कर पीले आसन पर बैठ जाएं अपने सामने तिल के तेल से 9 दीपक जलाएं और उन दीयों में इतना तेल हो जब तक आप साधना कर रहे हो तब तक दीये जलते रहें। इन 9 दीयों के सामने लाल चावल बिछाकर उस पर श्रीयंत्र रखें इस श्रीयंत्र की कुमकुम, फूल, धूप तथा दीप से पूजा करें। इस कार्य के बाद एक तांबे की प्लेट पर कुमकुम से स्वस्तिक बनाकर उसकी पूजा करें। तब श्रीयंत्र को अपने घर के पूजा स्थल में स्थापित कर दें तथा शेष बची पूजा सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। इस प्रयोग से आपको शीघ्र ही आकस्मिक धन लाभ प्राप्त होगा
अच्छी नौकरी पाने के लिए
नवरात्रि में सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि करने के बाद सफेद रंग का ऊनी आसन बिछाकर उस पर अपना मुख पूर्व दिशा की और कर बैठ जाएं अब अपने सामने पीला वस्त्र बिछाकर उस पर 108 दानों वाली स्फटिक की माला रख दें तथा इस पर केसर और केवड़े का इत्र छिड़ककर माला की पूजा करें। माला को धूप, दीप और अगरबत्ती दिखाकर इस मन्त्र का जाप करें
'ऊं ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा'
इस मंत्र का 108  बार जाप करें। इस प्रकार निरंतर 9 दिन तक जप करने से वह माला सिद्ध हो जाएगी। इसके बाद आपको जब भी किसी साक्षात्कार (इंटरव्यू) देने जाना हो या किसी विशेष से भेंट करने जाना हो तो इस माला को धारण कर जाएं। ऐसा करने से साक्षात्कार (इंटरव्यू) या अन्य किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त हो जाएगी 
नवरात्रि के दौरान व्‍यापारी अपने ऑफिस-दुकान के मैन गेट पर एक बर्तन में पानी भरकर पूर्व या उत्तर दिशा में रख दें. साथ ही पानी में लाल और पीले फूल डाल दें. इससे बिजनेस में तरक्‍की मिलती है. 
चैत्र नवरात्रि के 9 दिन पूरे होने के बाद घर में कन्या पूजन जरूर करें. कन्‍याओं को सम्मानपूर्वक भोजन कराएं और सामर्थ्‍यनुसार दक्षिणा दें. इससे घर के सारे वास्‍तु दोष दूर होते हैं.
नवरात्रि के दिनों में किसी शिव मंदिर में जाएं पूरे मंदिर में झाड़ू लगाकर उसे साफ करें वहां शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और शक्कर चढ़ाते हुए अच्छी तरह से अभिषेक करें तत्पश्चात शुद्ध जल से स्नान करें और शिवजी की चंदन, पुष्प एवं धूप, दीप आदि से पूजा-आरती करें रात में 10 बजे के बाद आम की लकड़ी पर अग्नि प्रज्वलित कर "ऊँ नम: शिवाय" मंत्र का उच्चारण करते हुए 108 आहुति शुद्ध घी से दें नवरात्रि से आरंभ कर इस विधि को 40 दिनों तक नित्य इसी मंत्र का पांच माला का जप शिव जी के सम्मुख करते रहें इस क्रिया से आपकी सर्वमनोकामना बहुत जल्दी पूर्ण होगी,
पूजा के समय एक गुलाब के फूल पर कपूर की एक टिक्की रख कर माता रानी के सामने रख दें फिर महालक्ष्मी मंत्र की 6 माला का जाप करें इसके बाद शाम के समय गुलाब के फूल को तो देवी मां को अर्पित कर दें और कपूर की टिक्की को जलाकर आरती करें  इससे आपके सभी धन संबंधी कष्ट दूर हो जाएंगे,
नवरात्र के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है इस दिन इमली के पेड़ की एक डाल काट कर लाएं और फिर डाल हाथ में रखकर महालक्ष्मी मंत्र का 11 बार जाप करें। जाप करने के बाद इस डाल को अपने धन रखने स्थान अथवा तिजोरी में रख दें इसी मां लक्ष्मी की आप पर खूब कृपा बरसेगी,
जिन लोगों को पैसे की कमी के साथ ही व्यापार या नौकरी में मनमाफिक सफलता नहीं मिल पा रही है उन्हें एक पान के पत्ते की दोनों तरफ सरसों का तेल लगाकर उसे मां दुर्गा के चरणों में अर्पित करना चाहिए फिर रात में सोते समय इस पत्ते को सिरहाने रख कर सो जाएं अगली सुबह देवी के किसी मंदिर के पीछे उस पान के पत्ते को रख आएं इससे आपको व्यापार या नौकरी में सफलता मिलने के साथ ही आर्थिक तंगी भी दूर होगी,
नवरात्रि के दौरान किसी दिन मां दुर्गा की पूजा के दौरान सुबह एक पान के पत्ते पर गुलाब की थोड़ी सी पंखुड़ियां रखकर मां दुर्गा के चढ़ा दें ध्यान रहे कि गुलाब लाल रंग का ही होना चाहिए इस उपाय को करने से आपके घर में सुख-समृद्धि का वास होगा इस उपाय से मां अम्बे ही नहीं लक्ष्मी माता भी प्रसन्न होती हैं,
नवरात्रि के दौरान आप श्रीयंत्र, चांदी का सिक्का और कुबेर यंत्र खरीदना बहुत ही शुभ माना जाता है इनकी पूजा करें। इसके बाद इसे तिजोरी में रख दें ऐसा करने से कभी भी धन-दौलत की कमी नहीं होगी,
नवरात्रि में हनुमान जी को पान का बीड़ा अर्पित करें ऐसा नवरात्रि में हर दिन करें इससे आ​र्थिक संकट दूर होते हैं घर में सुख-समृद्धि आती है नवरात्रि में पूजा करते समय दीपक में चार लौंग, घी और बत्ती डालकर जलाएं नवरात्रि के दौरान हर दिन सुबह और शाम घी का दीपक जलाएं इससे आपको बिजनेस या जॉब में सफलता मिलेगी,
नवरात्रि में शंख की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है ऐसा माना जाता है कि शंख की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी। शंख की पूजा करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं। इससे आप पर मां लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहती है,
मित्रों चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां लक्ष्‍मी को प्रसन्‍न करने के लिए उनका प्रतीक मानी जाने वाली कौड़‍ियों की पूजा करनी होगी ध्‍यान रखें कि भूरी, सफेद, पीली और काली किसी भी कौड़ी को न चुन लें अपनी आर्थिक संबंधी समस्‍या के मुताबिक ही कौड़‍ियों का प्रयोग करें अन्‍यथा इसका लाभ नहीं मिलता,
तमाम मेहनत के बाद भी आपको लाभ मिलते-मिलते रह जाता है इस पर‍िस्थिति में पीली कौड़ी का प्रयोग करें इसके लिए साधक को चैत्र नवरात्र के पहले दिन मां लक्ष्‍मी को प्रणाम करके पीले रंग के कपड़े में पीले रंग की 7  कौड़‍ियां रखें इसके बाद इसे तिजोरी में या जहां-कहीं भी पैसे रखते हों, उस स्‍थान पर रख दें साथ ही मां लक्ष्‍मी को प्रार्थना करें कि वह आपके जीवन में धन-समृद्धि की वर्द्धि होगी,
अगर भक्त के जीवन में किसी तरह की कोई परेशानी चल रही है तो उसे मां दुर्गा के बीज मंत्र- 
'ऊं ह्रीं दुं दुर्गायै नम: "
का जाप करना चाहिए जाप की संख्या 108  या इससे अधिक होनी चाहिए फिर भगवान शिव पर दही अर्पित करनी चाहिए। ऐसा करने से व्यक्ति के जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं ,
नवरात्रि के दौरान अगर घर में तुलसी का पौधा लगाया जाए तो यह बेहद ही शुभ होता है अगर आपके घर में यह पौधा पहले से ही है तो एक सिक्का लेकर अपनी मन्नत मांगे। फिर उस सिक्के को पौधे की मिट्टी में दबा दें अगर आप ऐसा करते हैं तो आपको काम में सफलता हासिल होगी, 
नवरात्रि में कौड़ियों भी देती है अनगिनत लाभ ,,
अपने घर की नकारात्‍मकता उर्जा को भी दूर करती हैं कौड़ियों,इसके लिए घर के मुख्‍य द्वार पर लाल रंग के कपड़े में 11 कौड़‍ियां बांधकर टांग दें ऐसा करने से घर में धन-वैभव तो आएगा ही साथ ही यह बुरी नजर से भी बचाव करती है कहा जाता है कि यह नकारात्‍मकता को दूर करने का भी सार्थक उपाय है इसके अलावा पीले रंग की एक कौड़ी लेकर आप इसे ताबीज के रूप में भी पहन सकते हैं इससे निगेटिव ऊर्जा आपको छू भी नहीं सकती, 
आपके घर में किसी के भी पास कभी भी धन की कमी न हो किसी भी तरह का आर्थिक नुकसान न हो तो इसके लिए आप हरे रंग के कपड़े में पीले रंग की  11 कौड़‍ियां रखकर घर की उत्‍तर दिशा में छिपा दें ऐसा करने से भगवान कुबेर अत्‍यंत प्रसन्‍न होते हैं उनकी कृपा से घर-पर‍िवार में कभी भी धन की कमी नहीं होती लेकिन ध्‍यान रखें कि कौड़‍ियां किसी को दिखाकर या बताकर नहीं रखनी है,
अगर आपको व्‍यवसाय में लगातार नुकसान हो रहा है या फिर नौकरी करते हैं और आय संबंधी परेशान‍ियां झेलनी पड़ रही हैं ऐसे में आपको बस इतना करना है कि चैत्र नवरात्र के पहले दिन सफेद रंग की 11 कौड़‍ियों को पीले रंग के कपड़े में बांधकर रखना है इसे आप जहां भी धन रखते हों उसी स्‍थान पर रखना है मां लक्ष्‍मी को प्रणाम करें और प्रार्थना करें कि वह आपके आय में वृद्धि करें व्‍यवसाय में लाभ द‍िलाएं,
देवी मां को लाल रंग बेहद प्रिय है ऐसे में मां को लाल रंग का कपड़ा पहनाएं साथ ही लाल पुष्प भी अर्पित करें मान्यता है कि अगर ऐसा किया जाए तो व्यक्ति की सभी मनोकामनाएं पूरी हो जाती हैं,
नवरात्रि के पहले दिन घट स्‍थापना की जाती है. याद रखें कि यह कलश स्थापना ईशान कोण यानी कि उत्तर-पूर्व कोण में करें. वास्‍तु शास्‍त्र के में ईशान कोण को पूजा-पाठ के लिए सबसे शुभ और उत्तम माना गया है. इससे घर में सुख-समृद्धि बढ़ती है,
अपने घर के पूजा स्थान में भगवती दुर्गा, भगवती लक्ष्मी और मां सरस्वती के चित्रों की स्थापना करके उनको फूलों से सजाकर पूजन करें,
नवरात्रि में प्रवेश द्वार पर लक्ष्मीजी के पैर का निशान बनाएं ऐसा करने से घर से नकारात्मक ऊर्जा खत्म होती है और घर में सुख-शान्ति और समृद्धि बनी रहती है। इसके साथ ही नवरात्रि के दिनों में आम और अशोक के पत्तों की माला बनाकर मुख्य द्वारा पर बांधने से घर में होने वाली सभी तरह की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है,
नवरात्रि के 9 दिनों में से एक दिन मां लक्ष्मी मंदिर जाएं, पूजा के दौरान केसर के साथ पीले चावल को माता को अर्पित करें, मान्यता है कि ऐसा करने से घर में आ रही बाधा दूर हो जाती है और मां लक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है,
मनचाही इच्छा की प्राप्ति के लिए
नवदुर्गा की पूजा के दौरान माता को शहद और इत्र लगाएं। मां की कृपा हमेशा आप पर बनी रहेगी और आपकी हर इच्छा पूरी होगी,
धन की प्राप्ति के लिए
गुलाब के 7 फूल मां दुर्गा को अर्पित करें और लाल रंग के आसन पर बैठकर मां दुर्गा की आराधना करें,
बांधा दुर करने के लिए,
नवरात्रि के 9 दिनों में से एक दिन मां लक्ष्मी मंदिर जाएं। पूजा के दौरान केसर के साथ पीले चावल को माता को अर्पित करें, मान्यता है कि ऐसा करने से घर में आ रही बाधा दूर हो जाती है और मां लक्ष्मी का आशिर्वाद मिलता है,
रोगों से मुक्ति के लिए
मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं, समस्त रोगों से मुक्ति मिलेगी,
लंबी उम्र की प्राप्ति के लिए,
माता ब्रह्मचारिणी को शक्कर का भोग लगाएं, मां से लंबी उम्र का वरदान मिलेगा,
सुख की प्राप्ति के लिए
देवी चंद्रघंटा की पूजा करने के बाद दूध का भोग लगाएं, सुख और ऐश्वर्य की प्राप्ति होगी और घर से कलह भी दूर होता है,
मनोबल बढ़ाने के लिए,
देवी कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाएं, मनोबल बढ़ा-चढ़ा रहेगा,
बुद्धि और ज्ञान की प्राप्त के लिए
नवदुर्गा को केले का भोग लगाएं, इससे आपकी बुद्धि का विकास होगा,
सौंदर्य की प्राप्ति के लिए,
मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं, इससे सुंदर रंग-रूप की प्राप्ति होती है,
कारोबार में लाभ के लिए,
नवरात्र के शनिवार को सूर्योदय के पहले पीपल के 11 पत्ते लेकर उन पर राम-राम लिखकर इन पत्तों की माला बनाकर इसे हनुमानजी को पहना दें,,, कारोबार में आ रही सारी परेशानियां दूर होंगी,
कर्ज़ मुक्ति के लिए,
मां के श्री चरणों में 108 गुलाब या रक्त पुष्प (लाल कनेर, गुड़हल) के फूल अर्पित करें और घी का दीपक जलाकर मां का ध्यान करें ,पूजा के बाद मसूर को अपने ऊपर से 7 बार वारकर किसी भी सफाई कर्मचारी को दान दें,
मां भगवती की कृपा पाने के लिए,
नौ दिनों तक माता का व्रत रखें अगर शक्ति न हो तो पहले, चौथे और आठवें दिन का उपवास अवश्य करें ,मां भगवती की कृपा जरूर प्राप्त होगी,
आपदा विपदा से छुटकारा पाने के लिए,
नौ दिनों तक घर में मां दुर्गा के नाम की ज्योत अवश्य जलाएं,
और अधिक से अधिक नवार्ण मंत्र ‘ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चै’ का जाप अवश्य करें,
नवरात्रि मेंइन दिनों में दुर्गा सप्तशती का पाठ अवश्य करना चाहिए जिससे मां की कृपा बनी रहे,
ध्यान रहे मित्रों पूजन में हमेशा लाल रंग के आसन का उपयोग करना उत्तम होता है आसन लाल रंग का और ऊनी होना चाहिए बाकी सभी कई तरह की साधनोऔ में आसान और पुजा सामग्री बदल भी जाती है ,
लाल रंग का आसन न होने पर कंबल का आसन इतनी मात्रा में बिछाकर उस पर लाल रंग का दूसरा कपड़ा डालकर उस पर बैठकर पूजन करना चाहिए,
पूजा पूरी होने के पश्चात आसन को प्रणाम करके लपेटकर सुरक्षित जगह पर रख दीजिए,
 पूजा के समय लाल वस्त्र पहनना शुभ होता है लाल रंग का तिलक भी जरूर लगाएं लाल कपड़ों से आपको एक विशेष ऊर्जा की प्राप्ति होती है, बाकी दिशा काल समय पर यह सब चेंज या बदल भी जाती है मां को प्रात: काल के समय शहद मिला दूध अर्पित करें, पूजन के बाद इसे ग्रहण करने से आत्मा व शरीर को बल प्राप्ति होती है यह एक उत्तम उपाय है, आखिरी दिन घर में रखीं पुस्तकें, वाद्य यंत्रों, कलम आदि की पूजा अवश्य करें,
अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन करें,
#श्री दुर्गा सप्तशती विधान,
मित्रों शास्त्रों में कहा गया है कि स्तुतियों में ‘दुर्गा सप्तशती’ सबसे अधिक व तत्काल फल देने वाली है नवरात्रों में दुर्गा सप्तशती की पूजा से कई गुणा फल अधिक मिलता है
पारिवारिक संकट आने पर दुर्गा सप्तशती का तीन बार पाठ करायें या करें,
यदि घर में कोई तकलीफ पा रहा हो तो पांच बार दुर्गा सत्पशती का पाठ करें,
यदि परिवार में कोई भय पैदा करने वाला संकट आया है तो सात बार पाठ करें,
परिवार की सुख समृद्धि के लिये नौ बार पाठ करें,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
धनवान बनने के लिये ग्यारह बार पाठ करें, 
मनचाही वस्तु पाने के लिये बारह बार पाठ करें,
घर में सुख शांति व श्री वृद्धि के लिये पन्द्रह बार पाठ करें,
पुत्र-पौत्र, धन-धान्य व प्रतिष्ठा के लिये सोलह बार पाठ करें,
यदि परिवार में किसी पर राजदंड, शुत्र का संकट या मुकदमें में फंस गये हो तो (18)अठारह बार पाठ करें,
जेल से छुटकारा पाने के (अगर निदोष हैं) लिये(25) पच्चीस बार पाठ का विधान है,
शरीर में कोई घाव-फोड़ा आदि हो गया हो या आपरेशन कराने की नौबत आ गयी हो तो तीस बार पाठ कराने से फायदा होता है,
भयंकर संकट, असाध्य रोग, वंशनाश या धन नाश की नौबत आये तो सौ बार सत्पशती का पाठ करायें सौ बार पाठ को ही शतचण्डी पाठ कहते हैं,
एक हजार पाठ कराने वाले यजमान को मुक्ति मिल जाती है इसे ही सहस्त्रचण्डी पूजा कहते हैं,
अध्याय 1 इसके पाठ से सभी प्रकार की चिंता दूर होती है एवं शक्तिशाली से शक्तिशाली शत्रु का भी भय दूर होता है शत्रुओं का नाश होता है,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
अध्याय 2 इसके पाठ से बलवान शत्रु द्वारा घर एवं भूमि पर अधिकार करने एवं किसी भी प्रकार के वाद विवाद आदि में विजय प्राप्त होती है,
अध्याय 3 तृतीय अध्याय के पाठ से युद्ध एवं मुक़दमे में विजय, शत्रुओं से छुटकारा मिलता है,
अध्याय 4 इस अध्याय के पाठ से धन, सुन्दर जीवन साथी एवं माँ की भक्ति की प्राप्ति होती है,
अध्याय 5 इस अध्याय के पाठ से भक्ति मिलती है, भय, बुरे स्वप्नों और भूत प्रेत बाधाओं का निराकरण होता है,
अध्याय 6 इस अध्याय के पाठ से समस्त बाधाएं दूर होती है और समस्त मनवाँछित फलो की प्राप्ति होती है,
अध्याय 7 इस अध्याय के पाठ से ह्रदय की समस्त कामना अथवा किसी विशेष गुप्त कामना की पूर्ति होती है,
अध्याय 8 इस अध्याय के पाठ से धन लाभ के साथ वशीकरण प्रबल होता है,
अध्याय 9 इस अध्याय के पाठ से खोये हुए की तलाश में सफलता मिलती है, संपत्ति एवं धन का लाभ भी प्राप्त होता है,
अध्याय 10 इस अध्याय के पाठ से गुमशुदा की तलाश होती है, शक्ति और संतान का सुख भी प्राप्त होता है,
अध्याय 11 ग्यारहवें अध्याय के पाठ से किसी भी प्रकार की चिंता, व्यापार में सफलता एवं सुख-संपत्ति की प्राप्ति होती है,
अध्याय 12 इस अध्याय के पाठ से रोगो से छुटकारा, निर्भयता की प्राप्ति होती है एवं समाज में मान-सम्मान मिलता है,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
अध्याय 13 इस अध्याय के पाठ से माता की भक्ति एवं सभी इच्छित वस्तुओं की प्राप्ति होती है,
#नवरात्रि को क्या नहीं करना चाहिए,,
नवरात्रि में देवी के विभिन्न रुपों की पुजा की जा सकती है नवदुर्गा,महासिद्धविधा ,महा अष्टलक्ष्मी,या त्रिदेवों में किसी की भी या इतर योनी साधनाएं आदि की अलग-अलग रूपों की पूजा की जाती है। इन दिनों भक्त व्रत रखकर माता की आराधना करते हैं। नवरात्रि के दौरान मांसाहारी भोजन से दूर रहे,
#लहसुन और प्याज तामसिक भोजन होता है इसके सेवन से मन की एकाग्रता भंग होती है, वह मानसिक थकान होता है,इस लिए नवरात्रि में तामसिक भोजन का सेवन नहीं करना चाहिए,
#बाल कटवाना नहीं चाहिए,
नवरात्रि में बाल कटवाना और सेविंग नहीं करना चाहिए, मान्यता है कि कटिंग से धन होती है, वह लक्ष्मी देवी नाराज होती है,
#नाखून काटना
ज्योतिष शास्त्रों के और सनातनी मान्यता के मुताबिक नवरात्रि में नाखून काटने की मनाह है, मान्यता है कि ऐसा करने से मां दुर्गा क्रोधित हो जाती हैं, उनके क्रोध से जातकों को कष्ट का सामना करना पड़ता है,
#नोट,मां दुर्गा को तुलसी दल और दूर्वा चढ़ाना निषिद्ध है,
मित्रों किसी भी प्रकार की शंका निवारण के लिए दिन में बारह बजे से शाम पांच बजे तक कोल या मेसेज कर सकते हैं 9829026579वाटस अप 861983810 कोलिंग,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🌹

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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