Saturday, November 11, 2023

दीपावाली मुर्हुत उपाय और सावधानियां

आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई, मित्रों क्षमा चाहते हैं पोस्ट देर से करने के लिए ,,, मित्रों इस बार दीपावली 12 नवंबर को है ,,




दीपावाली की पूजा के लिए लक्ष्मी जी की चौकी स्थापित करें. इस पर एक लाल वस्त्र बिछाएं. फिर कुछ चावल चौकी के मध्य में रखें. इसके बाद कलशा स्थापित करें. चावलों के बीचों-बीच तांबा या पीतल या फिर चांदी का कलश भी रख सकते हैं. इसके बाद कलश में जल भरें और उसमे फूल, चावल के कुछ दाने, एक धातु का सिक्का और एक सुपारी रखें. कलश का मुख पांच आम के पत्तों से ढक दें. अब लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति चौकी के मध्य रखें. मूर्ति को कलश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा माना गया है. इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. भोग लगाने के लिए फल, मिष्ठान आदि रखें. पूजा के लिए नोट या सिक्के आदि भी रख सकते हैं ,,
समय और मुर्हुत,,
इसका शुभारंभ 12 नवंबर दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर हो रहा है,,
और इसका समापन 13 नवम्बर दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर होगा,,
ऐसे में दीपावली का पर्व 12 नवंबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा ,
साथ ही इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम माना जाता है,

छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023 शनिवार 5:39 PM - 8:16 PM

दिवाली 12 नवंबर 2023 रविवार 05:39 PM - 07:35 PM

रात्रि 11:39- 13 नवंबर 2023 से प्रात: 12:32 तक रहेगा.
अवधि- 52 मिनट
महानिशीथ काल- 11:39  से 12:31 तक
सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक
गोवर्धन पूजा 13 नवंबर 2023 सोमवार सोमवार 6:14 AM- 8:35 AM

भाई दूज 14 नवंबर 2023 मंगलवार 1:10 PM- 3:22 PM
समाग्री,,
मां लक्ष्मी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य यानि यथाशक्ति के अनुसार होना चाहिए  मां लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब, फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े, सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र,  वस्त्र में लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र, अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई विशेष प्रिय हैं इनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं  प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल तथा अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए बाकी जो आपके पास उपलब्ध हो जरुरी नहीं कि सभी समाग्री हो जैसी यथाशक्ति सामर्थ्य अनुसार,,
#अब मित्रों सविस्तार विधान कहते हैं ,,
#मित्रों पहले चौकी पर मां लक्ष्मी  व प्रभु गणेशजी की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे,,
 मां लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें  पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है,
दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों या तस्वीर के चरणों में इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें,,
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं अगर आती हो और बना सकते हैं तो गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं,,,
इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें-
एक थाली में ग्यारह दीपक, 
दूसरी में खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,
तीसरी में फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक,
इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे,,,
दीपक: दिवाली के दिन सबसे महत्वपूर्ण दीपक होते हैं और इस दिन मिट्टी के दीपक खरीदना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि मिट्टी पंचतत्वों में से एक है और इसलिए दिवाली के दिन इनको अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. दिवाली के दिन कम से कम एक चौमुखा दीपक जरूर लेकर आएं और उसे मां लक्ष्मी के समक्ष लगाएं.
कौड़ी: मां लक्ष्मी की पूजा में कौड़ी का भी विशेष महत्व है और ज्योतिष शास्त्र में कौड़ी को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. इसलिए पूजा करते समय चांदी के सिक्के के सासथ ही कौड़ी भी अवश्य रखें. मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है,,
कलश: दिवाली के दिन कलश की पूजा करने का भी विधान है और शास्त्रों के अनुसार पूजा स्थल पर मंगल कलश रखकर उसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए. इसके लिए आप कांसा, तांबा, चांदी या सोने के कलश का उपयोग कर सकते हैं. ध्यान रखें कलश पर नारियल अवश्य रखा जाता है,,
श्रीयंत्र: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीयंत्र को धन-वैभव का प्रतीक कहा गया है और मान्यता है कि लक्ष्मी जी का पूजन करते समय श्रीयंत्र का भी पूजन अवश्य करना चाहिए. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती होती है,,

#मित्रों कुछ सावधानियां भी रखे ,,
मित्रों पूजा करते समय प्रसन्न रहें, किसी भी तरह के गलत विचार मन में न लाएं. परिवार के साथ बैठकर पूजा करें,
पूजा के दौरान शुद्ध घी का एक बड़ा दीपक भी जरूर लगाएं, जो अगले दिन तक जलते रहना चाहिए. अगले दिन इसे शुभ मुहूर्त देखकर थोड़ा सा खिसका दें,
पूजा के दौरान उपयोग की गई पूजन सामग्री को सम्मान पूर्वक किसी नदी में प्रवाहित करें. भूलकर भी उसका अपमान न होने पाए,,
पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी की दो मूर्तियां  या तस्वीर ना रखें. ऐसा होना वास्तु शास्त्र की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता ,,
स्थापित की गई मूर्ति या चित्र कहीं से खंडित यानी कटा-फटा नहीं होना चाहिए. ऐसी प्रतिमा या चित्र की पूजा करना शुभ नहीं होता,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

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