Thursday, March 7, 2024

भगवान शिव जी को त्रिशूल चढ़ाने से लाभ ले शिव रात्रि को यह प्रयोग

भगवान शिव जी को त्रिशूल चढ़ाने से लाभ ले शिव रात्रि को यह प्रयोग 


 त्रिशूल भेंट करने का कारण ये हैं कि सभी कोई जीवन के विभिन्न प्रकार को तीन प्रकार के शूलों (दुःख) से संतप्त हैं 
दैहिक, दैविक और भौतिक शूल और इन्हीं शूलों के निवार्णाथ हम त्रिशूल भेंट करते हैं
भगवान शिव को तो बिल्व पत्र भी चढ़ाने पर वो तीन जन्मों के पाप का शमन कर देते हैं
 भारत के ग्रामीण और आदिवासी समाज में लोग महा शिवरात्रि को अपने समस्त कष्ट और दुःख के निवारण हेतु त्रिशूल को अभिमंत्रित कर अर्पित करते हैं
 इस त्रिशूल भेंट करने से तो जीवन के विभिन्न प्रकार के  तीन प्रकार के शूलों (दुःख) से निवारण होती ही है,,,
साथ ही इस प्रयोग से " महा पाशुपात उपासना " भी संपन्न हो जाती है हम यहां महादेव त्रिशूल यंत्र प्रयोग दे रहे हैं,,
 शिवरात्रि के दिन सुबह भोजपत्र पर निम्न वर्णित त्रिशूल यंत्र को बिल्व पत्र की कलम से  त्रिशुल का निर्माण रक्त चंदन का प्रयोग करते हुए यंत्र निर्माण करें
      यंत्र निर्माण के समय उत्तर की तरफ मुख रहें क्योंकि भगवान पशुपतिनाथ का मुख भी उत्तर की ओर है
        यंत्र निर्माण के समय मन ही मन " ऊँ पशुपतये नमः " मंत्र का जाप करते रहें
 १. इसके बाद यंत्र के ऊपर 11, 31, 51 की संख्या में बिल्व पत्र अर्पण करें.
२. फिर रुद्राक्ष माला से " ऊँ श्लीं पशुं  हुँ फट् " मंत्र का 11, 31, 51 या 108 की संख्या में जाप करें
३.इसके बाद यंत्र को शिवलिंग के पास वर्ष भर के लिए स्थापित कर दें
 इससे आपके जीवन के अनेकों विघ्न बाधाएँ खुद ही आपके जीवन से लौट जायेंगी
४. एक साल बाद अगले महा शिवरात्रि से एक दिन पहले इस यंत्र को विसर्जित कर दें
अगर आप पीतल, तांबे का या अन्य किसी धातु का त्रिशूल शिवरात्रि के दिन अभिषेक पुजा मे शामिल कर अभिषेक करके अपने घर के पुजा घर मे स्थापित करे तो बहुत अच्छा होगा 🙏🏻 🌹
 इस प्रकार का ये सबसे आसान प्रयोग संपन्न हुआ
ओर इसके साथ ही दुसरा प्रयोग है,,

भगवान शिव को चढ़ाएं गये डमरू के प्रयोग चढ़ाये,,
 साधना के लाभ,,,
१. नाद ब्रह्म सुनने की तरफ आप अग्रसर हो सकते हो....
२. अघोर साधना को संपन्न करने वाले के लिए ये अद्भूत प्रयोग है......
३. जिन्हें वाक् शक्ति या लेखन शक्ति विकसित करवी है वो इस डमरु यंत्र का प्रयोग करें

४. इस प्रयोग से महादेव की कृपा से साधक के अंदर ललित कलाओं का विकास होता है
 ५. सबसे महत्वपूर्ण ये हैं कि साधक को सदैव रुद्र शक्ति का अनुभव होता है,, इस प्रयोग को संपन्न करने के बाद
महादेव डमरु यंत्र प्रयोग विधि
१. सबसे पहले शिवरात्रि के दिन महादेव के मंदिर में डमरु चढ़ायें....
२. फिर शिवरात्रि के दिन सुबह भोजपत्र पर निम्न वर्णित त्रिशूल यंत्र को बिल्व पत्र की कलम से क्त चंदन, कुंकुंम एवं सिंदूर को शुद्ध घी में घोलकर घोल का प्रयोग करते हुए यंत्र निर्माण करें
      यंत्र निर्माण के समय पूर्व की तरफ मुख रहें 
        यंत्र निर्माण के समय मन ही मन " ऊँ चैतन्याय विमुक्ताय सदाशिवाय नमः " मंत्र का जाप करते रहें
३. इसके बाद यंत्र के ऊपर एक पंचमुखी या एकादश मुखी रुद्राक्ष स्थापित करें, 
४. फिर रुद्राक्ष माला से " ऊँ ऐं  ब्रं  ब्रह्मांड स्वरुपाय बं  ऐं  फट्" मंत्र का 11,000 (110 माला) की संख्या में जाप करें
५. इसके बाद यंत्र को विसर्जित   कर दें.......और रुद्राक्ष को गले में धारण कर लें इससे साधक के अंदर अद्भुत रुद्र तेज का अनुभव होगा,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻 🌹

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