करुना कर भक्तो के राम,
जय सिया राम जय जय सिया राम,
हनुमान के स्वामी राम,
दीनन के दुःख हारी राम,।
आदि राम अनंत है राम,
सत चित और अनंत है राम,
जय रघुनन्दन जय सिया राम,
भज मन प्यारे जय सिया राम,
सत्ये सनातन मंगल कारन,
सगुण निरंजन सीता राम,
दशरत नंदन सुर मुनि वंदन,
परेय्पप वंदन सीता राम,
मर्यादा पुर्शोतम राम,
पुरान ब्रम्ह सनातन राम,
राम ही पावन अति मन भावन,
नर नारायण सीता राम,
बोलो राम जय जय राम,
मुनिमन रंजन भव भये भंजन,
असुर निकंदन सीता राम,
पतित उद्धारण जग जन तारण,
नित्ये निरंजन सीता राम,,,
पुरान ब्रम्ह सनातन राम,
तुलसी सुत तुलसी के राम,,
बोलो प्रभु श्री रामभक्त बाबा हनुमान जी जय हो जय हो जय हो.....
जय जय बजरंगी महावीर
तुम बिन को जन की हरे पीर
अतुलित बलशाली तव काया
गति पिता पवन का अपनाया
शंकर से दैवी गुण पाया
शिव पवन पूत हे धीर वीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
दुःख भंजन सब दुःख हरते हो
आरत की सेवा करते हो
पल भर विलम्ब ना करते हो
जब भी भक्तों पर पड़े भीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
जब जामवंत ने ज्ञान दिया
झट सिय खोजन स्वीकार किया
शत जोजन सागर पर किया
निज प्रभु को जब देखा अधीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
शठ रावण त्रासदिया सिय को
भयभीत भई मैया जिय सो
माँगत कर जोर अगन तरु सों
दें मुन्देरी वा को दियो धीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
जब लगा लखन को शक्ति बाण
चिंतित हो विलखे बन्धु राम
कपि तुम सांचे सेवक समान
लाये बूटी संग द्रोण गीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीरा,
कुछ विशेष विधान बाबा की पुजा के लिये...
बाबा हनुमानजी की पूजा-अर्चना और व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
पूजा में चरणामृत का उपयोग न करें। शास्त्रों में इसका विधान नहीं है।
बाबा हनुमान जी को लाल फूल (रक्तपुष्प )प्रिय हैं। यानी लाल गुलाब कनेर ओर गुडहल, अत: पूजा में लाल फूल ही चढ़ाएं।
मूर्ति को जल व पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिंदूर में तिल का तेल या चमेली का तेल ओर रुद्रअभिषेक के लिए सरसो का तेल मिलाकर उनको लगाना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश..
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻
जय सिया राम जय जय सिया राम,
हनुमान के स्वामी राम,
दीनन के दुःख हारी राम,।
आदि राम अनंत है राम,
सत चित और अनंत है राम,
जय रघुनन्दन जय सिया राम,
भज मन प्यारे जय सिया राम,
सत्ये सनातन मंगल कारन,
सगुण निरंजन सीता राम,
दशरत नंदन सुर मुनि वंदन,
परेय्पप वंदन सीता राम,
मर्यादा पुर्शोतम राम,
पुरान ब्रम्ह सनातन राम,
राम ही पावन अति मन भावन,
नर नारायण सीता राम,
बोलो राम जय जय राम,
मुनिमन रंजन भव भये भंजन,
असुर निकंदन सीता राम,
पतित उद्धारण जग जन तारण,
नित्ये निरंजन सीता राम,,,
पुरान ब्रम्ह सनातन राम,
तुलसी सुत तुलसी के राम,,
बोलो प्रभु श्री रामभक्त बाबा हनुमान जी जय हो जय हो जय हो.....
जय जय बजरंगी महावीर
तुम बिन को जन की हरे पीर
अतुलित बलशाली तव काया
गति पिता पवन का अपनाया
शंकर से दैवी गुण पाया
शिव पवन पूत हे धीर वीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
दुःख भंजन सब दुःख हरते हो
आरत की सेवा करते हो
पल भर विलम्ब ना करते हो
जब भी भक्तों पर पड़े भीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
जब जामवंत ने ज्ञान दिया
झट सिय खोजन स्वीकार किया
शत जोजन सागर पर किया
निज प्रभु को जब देखा अधीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
शठ रावण त्रासदिया सिय को
भयभीत भई मैया जिय सो
माँगत कर जोर अगन तरु सों
दें मुन्देरी वा को दियो धीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीर
जब लगा लखन को शक्ति बाण
चिंतित हो विलखे बन्धु राम
कपि तुम सांचे सेवक समान
लाये बूटी संग द्रोण गीर
जय जय बजरंगी महावीर , तुम बिन को जन की हरे पीरा,
कुछ विशेष विधान बाबा की पुजा के लिये...
बाबा हनुमानजी की पूजा-अर्चना और व्रत में ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए।
पूजा में चरणामृत का उपयोग न करें। शास्त्रों में इसका विधान नहीं है।
बाबा हनुमान जी को लाल फूल (रक्तपुष्प )प्रिय हैं। यानी लाल गुलाब कनेर ओर गुडहल, अत: पूजा में लाल फूल ही चढ़ाएं।
मूर्ति को जल व पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिंदूर में तिल का तेल या चमेली का तेल ओर रुद्रअभिषेक के लिए सरसो का तेल मिलाकर उनको लगाना चाहिए। इससे वे प्रसन्न होते हैं।
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