Friday, July 21, 2017

बाबा पंचमुखी हनुमान जी.

सनातनी मान्यता के अनुशार बाबा पंचमुखी हनुमान का अवतार भक्तों का कल्याण करने के लिए
हुआ हैं।
बाबा हनुमान जी के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित हैं।

बाबा पंचमुखी हनुमानजी का अवतार मार्गशीर्ष कृष्णाष्टमी को माना जाता हैं।
बाबा के रुद्र अवतार को बाबा हनुमान जी ऊर्जा के प्रतीक माने जाते हैं।
इसकी आराधना से बल, कीर्ति, आरोग्य और निर्भीकता बढती है।
रामायण के अनुसार बाबा हनुमान जी का विराट स्वरूप पांच मुख पांच दिशाओं में हैं।
हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख बाबा नरसिंह जी बाबा गरुड जी प्रभु अश्वराज जी ओर , लाल लंगोटी वाले वानर रुप मे और वराह रूप है।
बाबा हनुमानजी के पांच मुख क्रमश:पूर्व, पश्चिम, उत्तर, दक्षिण और ऊ‌र्ध्व दिशा में प्रतिष्ठित माने गएं हैं।
बाबा पंचमुख हनुमान के पूर्व की ओर का बाबा का मुख वानर का हैं।
जिसकी प्रभा करोडों सूर्यो के तेज समान हैं। पूर्व मुख वाले बाबा हनुमान जी का पूजन करने से समस्त शत्रुओं का नाश हो जाता है।

पश्चिम दिशा वाला बाबा का मुख गरुड भगवान का हैं।
जो भक्तिप्रद, संकट, विघ्न-बाधा निवारक माने जाते हैं।

गरुड भगवान की तरह बाबा हनुमानजी भी अजर-अमर माने जाते हैं।
कई जगह उल्लेख यही मिलते है,

पर हमारा मानना कुछ अलग है,
प्रत्यक्ष को प्रमाण की आवश्यकता नही होती
माने क्या जाते है वो शाश्वत अटल सत्य है,
जिसके प्रमाण हम स्वयंम है,,

बाबा हनुमानजी का उत्तर की ओर मुख शूकर (वराह)भगवान का है।
इनकी आराधना करने से अपार धन-सम्पत्ति,ऐश्वर्य, यश, दिर्धायु प्रदान करने वाल व उत्तम स्वास्थ्य देने में समर्थ हैं। है।

बाबा हनुमानजी का दक्षिणमुखी स्वरूप भगवान नृसिंह का है।
जो भक्तों के भय, चिंता, परेशानी को दूर करता हैं।

बाबा हनुमान का ऊ‌र्ध्वमुख घोडे के समान हैं।
बाबा हनुमानजी का यह स्वरुप प्रभु श्री ब्रह्मा जी की प्रार्थना पर प्रकट हुआ था।
मान्यता है कि हयग्रीवदैत्य का संहार करने के लिए वे अवतरित हुए।
कष्ट में पडे भक्तों को वे शरण देते हैं। ऐसे पांच मुंह वाले रुद्र रुप कहलाने वाले बाबा हनुमान जी बडे कृपालु और दयालु हैं।

हनुमतमहाकाव्य में

बाबा पंचमुखीहनुमान के बारे में एक कथा हैं।

एक बार पांच मुंह वाला एक भयानक राक्षस प्रकट हुआ। उसने तपस्या करके प्रभु श्री ब्रह्माजीसे वरदान पाया कि मेरे रूप जैसा ही कोई व्यक्ति मुझे मार सके।
ऐसा वरदान प्राप्त करके वह समग्र लोक में भयंकर उत्पात मचाने लगा। सभी देवताओं ने भगवान से इस कष्ट से छुटकारा मिलने की प्रार्थना की। तब प्रभु की आज्ञा पाकर बाबा हनुमानजी ने वानर, नरसिंह, गरुड, अश्व और शूकर(वराह) का पंचमुखी स्वरूप धारण किया।
इस लिये एसी मान्यता है कि बाबा पंचमुखीहनुमान जी की पूजा-अर्चना से सभी देवताओं की उपासना के समान फल मिलता है।
बाबा हनुमान जी के पांचों मुखों में तीन-तीन सुंदर आंखें आध्यात्मिक, आधिदैविक तथा आधिभौतिक तीनों तापों को छुडाने वाली हैं। ये मनुष्य के सभी विकारों को दूर करने वाले माने जाते हैं।

भक्त को शत्रुओं का नाश करने वाले बाबा हनुमानजी का हमेशा स्मरण करना चाहिए।
विद्वानो के मत से बाबा पंचमुखी हनुमानजी की उपासना से जाने-अनजाने किए गए सभी बुरे कर्म एवं चिंतन के दोषों से मुक्ति प्रदान करने वाला हैं।
पांच मुख वाले बाबा हनुमानजी की प्रतिमा धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है,
रात्रि बारह बजे तंत्र पुजा अति उतम मानी गयी है जो इनकी पीठ पीछे होती है.
ओर मैन फल का प्रयोग इनकी तंत्र पुजा मे भी होता है हमारे परम पूज्य गुरुदेव बरदा बा ओघडबाबा के अनुसार रात्रि की पुजा अति उतम मानी गयी है क्योंकि बाबा इस समय प्रभु श्री राम जी की सेवा से बाबा हनुमान जी मुक्त होते है तो अति उतम फलदायी माना गया है..
हे क्षमता वान, हे धैर्यवान, हे वीर बाबा हनुमान
हे सकल गुण निधान, हे हमारे भगवान....
आप का ही गुणगान करूँ, आपकी ही भक्ति करूँ
दिन- रात करूँ , सुबह -श्याम करूँ
ओ हमारे बाबा लाल लंगोटा वाले वो हाथ मे सोटा वाले,
कृपा करो नादान बालक पर हरो सभी से साथ कष्ट हमारे भी,

.....

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधेकृष्णा अलख आदेश...

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