बाबा महामृत्युंजय स्वरुप का ध्यान..
ॐ त्रियम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्
त्रयम्बकदेव अष्टभुज{उनकी आठ भुजाएं हैं } हैं ,उनके एक हाथ में अक्षमाला और दुसरे में मृगमुद्रा है ,दों हाथों से दो कलशों में अमृतरस लेकर उससे अपने मस्तक को आप्लावित {गीला कर रहे हैं } कर रहे हैं ,और दो हाथों से उन्ही कलशों को थामे हुए हैं ,शेष दो हाथ उन्होंने अपनी गोद में छोड़े हुए हैं ,और उनमे दो अमृत से भरे हुए घड़े हैं ,वे सफ़ेद कमल पर विराजमान हैं ,मुकुट पर बालचंद्र सुशोभित है ,मुखमंडल पर तीन नेत्र शोभायमान हैं ,इसे देवाधिदेव कैलासपति बाबा महादेव जी की मैं शरण लेता हूँ .
माँ बाबा अर्धनारीश्वर स्वरुप का ध्यान
बाबा शंकर जी का शरीर नीलमणि और प्रवाल के सामान सुन्दर है ,तीन नेत्र हैं ,चारों हाथों में पाश ,लाल कमल ,कपाल और त्रिशूल हैं ,आधे अंग में माँ अम्बिका जी और आधे में बाबा महादेव जी हैं .दोनों अलग अलग श्रृंगारों से सज्जित हैं ललाट पर अर्धचन्द्र है और मस्तक पर मुकुट सुशोभित है ,इसे स्वरुप को नमस्कार है .
जो निर्विकार होते हुए भी अपनी माया से विराट विश्व का आकार लेते हैं ,स्वर्ग और मोक्ष जिनकी कृपा कटाक्ष के वैभव बताये जाते हैं ,तथा योगीजन जिन्हें सदा अपने ह्रदय के भीतर अदितीय आत्मज्ञान आनंदस्वरूप में ही देखते हैं ,उन तेजोमय बाबा महादेव को ,जिनका आधा शरीर शैल राजकुमारी माँ पार्वती जी से सुशोभित है ,निरंतर मेरा नमस्कार है ........
...
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश.....
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻
ॐ त्रियम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनं उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मोक्षिय मामृतात्
त्रयम्बकदेव अष्टभुज{उनकी आठ भुजाएं हैं } हैं ,उनके एक हाथ में अक्षमाला और दुसरे में मृगमुद्रा है ,दों हाथों से दो कलशों में अमृतरस लेकर उससे अपने मस्तक को आप्लावित {गीला कर रहे हैं } कर रहे हैं ,और दो हाथों से उन्ही कलशों को थामे हुए हैं ,शेष दो हाथ उन्होंने अपनी गोद में छोड़े हुए हैं ,और उनमे दो अमृत से भरे हुए घड़े हैं ,वे सफ़ेद कमल पर विराजमान हैं ,मुकुट पर बालचंद्र सुशोभित है ,मुखमंडल पर तीन नेत्र शोभायमान हैं ,इसे देवाधिदेव कैलासपति बाबा महादेव जी की मैं शरण लेता हूँ .
माँ बाबा अर्धनारीश्वर स्वरुप का ध्यान
बाबा शंकर जी का शरीर नीलमणि और प्रवाल के सामान सुन्दर है ,तीन नेत्र हैं ,चारों हाथों में पाश ,लाल कमल ,कपाल और त्रिशूल हैं ,आधे अंग में माँ अम्बिका जी और आधे में बाबा महादेव जी हैं .दोनों अलग अलग श्रृंगारों से सज्जित हैं ललाट पर अर्धचन्द्र है और मस्तक पर मुकुट सुशोभित है ,इसे स्वरुप को नमस्कार है .
जो निर्विकार होते हुए भी अपनी माया से विराट विश्व का आकार लेते हैं ,स्वर्ग और मोक्ष जिनकी कृपा कटाक्ष के वैभव बताये जाते हैं ,तथा योगीजन जिन्हें सदा अपने ह्रदय के भीतर अदितीय आत्मज्ञान आनंदस्वरूप में ही देखते हैं ,उन तेजोमय बाबा महादेव को ,जिनका आधा शरीर शैल राजकुमारी माँ पार्वती जी से सुशोभित है ,निरंतर मेरा नमस्कार है ........
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