Monday, November 19, 2018

जहरीले जानवर दुर रहे ओर नजर से बचाये ये पौधा

घर मे जहरीले जानवर साँप बिच्छू  या अन्य रेंगने वाले जीव अगर बार बार आते है या घर मे बच्चो को बार बार नजर लगती है या आई प्रोबल्म हो तो एक पौधा आता है जिसको मरवा का पौधा बोलते है गमले मे या आंगन मे लगा दिजिये आप को इन सभी समस्याओं से छुटकारा मिल जायेगा याद रहे मरवे ,या मरवा का पौधा जिसकी पत्तियों का रस आँखो मे डालने से सदा आँखे साफ रहती है ऋ आँखो की कई तरह की बीमारियां कट जाती है ।।

अगर पौधा समझ मे नही आता हो तो गूगल गुरू है उस पर पोधे का फोटो मिल जायेगा, ओर भी कई बीमारियां का तोड है ये पौधा पर जानकारी के अभाव मे ये पौधा आज कल लुप्त हो रहा है जैसी मौसमी बीमारियां खांसी जूकाम बलगम आदि मे,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ओर अगर घर मे बार बार देवी तुलसी माता का पौधा जल रहा है या ग्रोथ नही कर पा रहा है तो उसके लिए भी पौधा लाभदायक है फिर भी देवी तुलसी माता का पौधा घर मे चल नही पाता है तो अच्छे ज्योतिष का सहारा लिजिये या किसी तंत्र गुरू से बात करये बाकी जैसी आप सभी की इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
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Wednesday, November 7, 2018

कैसे पुजा करे दीपावली की ओर कोन सा तंत्र प्रयोग देगा सफलता

दीपावली सनातन धर्म में मनाया जाने वाला बड़ा त्योहार है, कार्तिक महीने की अमावस्या के दिन दीपावली यानी दीपावली का त्योहार मनाया जाता है। इस बार यह 7 नवंबर 2018 को मनाई जाएगी  मान्यता है कि प्रभु श्रीरामजी चौदह साल के वनवास के बाद अयोध्या लौटे थे ,तब अयोध्यावासियों ने घर में घी के दिए जलाए थे ओर एक मान्यता मे यह भी कहाँ जाता है कि इसी अमावस्या को दीप दान की परम्परा को बाबा शिवभक्त प्रभु सहस्त्रार्जुन ने इसकी शुरूआत की थी ओर देवी माँ काली ने दुष्टो का विनाश भी किया था इसी वजह से अमावस्या की काली रात भी रोशन हो गई थी, इसलिए दिवाली को प्रकाशोत्सव भी कहा जाता है दिवाली के दिन देवी मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। दीपदान, धनतेरस, गोवर्धन पूजा, भैया दूज आदि त्यौहार दिवाली के साथ-साथ ही मनाए जाते हैं,
इस बार अमावस्या छोटी दिवाली यानी 6 नवंबर से रात 10:27 से शुरू होकर 7 नवंबर रात 9:31 तक रहेगी वहीं, अंग्रेजी या ग्रिगेरियन कैलन्डर के मुताबिक दिवाली हर साल अक्टूबर या नवंबर महीने में आती है,
शुभ मुहूर्त,
लक्ष्मी पूजा का मुहूर्त: शाम 05:57 से 07:53 तक,
प्रदोष काल: शाम 05:27 बजे से 08:06 बजे तक,
वृषभ काल: 05:57 बजे से 07:57 बजे से तक,
ओर अलग अलग मतो के हिसाब से पुजा करे तो घरो मे पुजा करने का समय इस साल दिवाली के दिन लक्ष्मी पूजन का शुभ मुहूर्त 1 घंटा 58 मिनट तक रहेगा,इसी दौरान सभी घरों में लक्ष्मी-गणेश की पूजा सम्पन्न की जाएगी,
लक्ष्मी-गणेश पूजा का शुभ मुहूर्त - शाम 06:12 से 08:10 तक,बाकी सिंगलग्न 12:38 से शुरू है जो 02:57 तक है बाकी चौघडियो के हिसाब से आप पुजा कर सकते है ब्राह्मण देवता पुजा कराये तो ठीक है अगर उनको टाइम नही है तो फिर साधारणतः आप स्वयंम पुजा कर सकते है,
दीपावली पूजा विधि विधान सभी का अपना अपना होता है,
दीपावली पूजन में सबसे पहले प्रभु श्री गणेश जी का ध्यान करें, इसके बाद बाबा गणपति जी को स्नान कराएं और नए वस्त्र और फूल अर्पित करें,
इसके बाद देवी माँ लक्ष्मीजी का पूजन शुरू करें देवी मां लक्ष्मी जी की प्रतिमा या तस्वीर को पूजा स्थान पर रखें मूर्ति में देवी मां लक्ष्मी जी का आवाहन करें जो भी मंत्र आपको आता हो या जो मंत्र हम दे रहे उनमे से किसी एक का या भाव अनुरूप हाथ जोड़कर उनसे प्रार्थना करें कि वे आपके घर आएं,
अब देवी माँ लक्ष्मी जी को स्नान कराएं स्नान पहले जल फिर पंचामृत और फिर वापिस जल से स्नान कराएं ,उन्हें वस्त्र अर्पित करें। वस्त्रों के बाद आभूषण और माला पहनाएं,
इत्र अर्पित कर कुमकुम का तिलक लगाएं, अब धूप व दीप जलाएं और माता के पैरों में गुलाब के फूल अर्पित करे , इसके बाद बेल पत्थर और उसके पत्ते भी उनके पैरों के पास रखें। 11 या 21 चावल अर्पित कर आरती करें,आरती के बाद परिक्रमा करें, अब उन्हें भोग लगाएं,ये हो गयी साधारण पुजा अगर पुणे विधी विधान से करना है तो,,दीपावली की पुणे विधी विधान की पूजा की ऐसे करें तैयारी
पूजन शुरू करने से पहले बाबा गणेश जी देवी माँ लक्ष्मीजी के विराजने के स्थान पर रंगोली बनाएं,नवग्रह स्थापित करे जिस चौकी पर पूजन कर रहे हैं उसके चारों कोने पर एक-एक दीपक जलाएं इसके बाद प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करने वाले स्थान पर कच्चे चावल रखें फिर बाबा गणेश जी और देवी माँ लक्ष्मी जी की प्रतिमा या तस्वीर को विराजमान करें,इस दिन देवी माँ लक्ष्मी जी बाबा श्री गणेशजी के साथ प्रभु कुबेर, देवी माँ सरस्वतीजी एवं देवी माँ काली जी माता की पूजा का भी विधान है अगर इनकी मूर्ति या तस्वीर हो तो उन्हें भी पूजन स्थल पर विराजमान करें ,ऐसी मान्यता है कि प्रभु श्री हरि विष्णु जी की पूजा के बिना देवी माँ लक्ष्मीजी की पूजा अधूरी रहती है,इसलिए प्रभु श्री हरि विष्ण जी के बांयी ओर रखकर देवी माँ लक्ष्मीजी की पूजा करे,
दीपावली पूजन की सम्पूर्ण विधि विधान और मंत्र,
दीपावली पूजन आरंभ करें पवित्री मंत्र सेः
“ऊं अपवित्र : पवित्रोवा सर्वावस्थां गतोऽपिवा। य: स्मरेत् पुण्डरीकाक्षं स बाह्याभ्यन्तर: शुचि :॥” इन मंत्रों से अपने ऊपर तथा आसन पर 3-3 बार कुशा या पुष्पादि से छींटें लगाएं। आचमन करें – ऊं केशवाय नम: ऊं माधवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, फिर हाथ धोएं। इस मंत्र से आसन शुद्ध करें- ऊं पृथ्वी त्वयाधृता लोका देवि त्यवं विष्णुनाधृता। त्वं च धारयमां देवि पवित्रं कुरु चासनम्॥
अब चंदन लगाएं। अनामिका उंगली से श्रीखंड चंदन लगाते हुए मंत्र बोलें चन्दनस्य महत्पुण्यम् पवित्रं पापनाशनम्, आपदां हरते नित्यम् लक्ष्मी तिष्ठ सर्वदा।
दीपावली पूजन के लिए संकल्प मंत्र
बिना संकल्प के पूजन पूर्ण नहीं होता इसलिए संकल्प करें। पुष्प, फल, सुपारी, पान, चांदी का सिक्का, नारियल (पानी वाला), मिठाई, मेवा, आदि सभी सामग्री थोड़ी-थोड़ी मात्रा में लेकर संकल्प मंत्र बोलें- ऊं विष्णुर्विष्णुर्विष्णु:, ऊं तत्सदद्य श्री पुराणपुरुषोत्तमस्य विष्णोराज्ञया प्रवर्तमानस्य ब्रह्मणोऽह्नि द्वितीय पराद्र्धे श्री श्वेतवाराहकल्पे सप्तमे वैवस्वतमन्वन्तरे, अष्टाविंशतितमे कलियुगे, कलिप्रथम चरणे जम्बुद्वीपे भरतखण्डे आर्यावर्तान्तर्गत ब्रह्मवर्तैकदेशे पुण्य (अपने नगर/गांव का नाम लें) क्षेत्रे बौद्धावतारे वीर विक्रमादित्यनृपते : 2075, तमेऽब्दे विरोधकृत नाम संवत्सरे दक्षिणायने हेमंत ऋतो महामंगल्यप्रदे मासानां मासोत्तमे कार्तिक मासे कृष्ण पक्षे अमावस तिथौ बुधवासरे स्वाति नक्षत्रे आयुष्मान योगे चतुष्पाद करणादिसत्सुशुभे योग (गोत्र का नाम लें) गोत्रोत्पन्नोऽहं अमुकनामा (अपना नाम लें) सकलपापक्षयपूर्वकं सर्वारिष्ट शांतिनिमित्तं सर्वमंगलकामनया– श्रुतिस्मृत्यो- क्तफलप्राप्तर्थं— निमित्त महागणपति नवग्रहप्रणव सहितं कुलदेवतानां पूजनसहितं स्थिर लक्ष्मी महालक्ष्मी देवी पूजन निमित्तं एतत्सर्वं शुभ-पूजोपचारविधि सम्पादयिष्ये।
कलश की पूजा करें,
कलश पर मौली बांधकर ऊपर आम का पल्लव रखें कलश में सुपारी, दूर्वा, अक्षत, सिक्का रखें नारियल पर वस्त्र लपेटकर कलश पर रखें,हाथ में अक्षत और पुष्प लेकर वरुण देवता का कलश में आह्वान करें ,ओ३म् त्तत्वायामि ब्रह्मणा वन्दमानस्तदाशास्ते यजमानो हविभि:,अहेडमानो वरुणेह बोध्युरुशंस मान आयु: प्रमोषी:,(अस्मिन कलशे वरुणं सांग सपरिवारं सायुध सशक्तिकमावाहयामि, ओ३म्भूर्भुव: स्व:भो वरुण इहागच्छ इहतिष्ठ। स्थापयामि पूजयामि॥)
दीपावली बाबा श्री गणेश जी पूजा मंत्र विधि
नियमानुसार सबसे पहले गणेश जी की पूजा करें, हाथ में फूल लेकर बाबा श्री गणेश जी का ध्यान करें। मंत्र बोलें- गजाननम्भूतगणादिसेवितं कपित्थ जम्बू फलचारुभक्षणम्, उमासुतं शोक विनाशकारकं नमामि विघ्नेश्वरपादपंकजम्, आवाहन मंत्र- हाथ में अक्षत लेकर बोलें -ऊं गं गणपतये इहागच्छ इह तिष्ठ।। अक्षत पात्र में अक्षत छोड़ें,
पद्य, आर्घ्य, स्नान, आचमन मंत्र – एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम् ऊं गं गणपतये नम:, इस मंत्र से चंदन लगाएं: इदम् रक्त चंदनम् लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद- इदम् श्रीखंड चंदनम् बोलकर श्रीखंड चंदन लगाएं,अब सिन्दूर लगाएं “इदं सिन्दूराभरणं लेपनम् ऊं गं गणपतये नम:,दूर्वा और विल्बपत्र भी बाबा श्री गणेश जी को चढ़ाएं बाबा श्री गणेश जी को लाल वस्त्र पहनाएं, इदं रक्त वस्त्रं ऊं गं गणपतये समर्पयामि,
बाबा श्री गणेश जी को प्रसाद चढ़ाएं: इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं गं गणपतये समर्पयामि:, मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: -इदं शर्करा घृत युक्त नैवेद्यं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:,अब आचमन कराएं, इदं आचमनयं ऊं गं गणपतये नम:, इसके बाद पान सुपारी दें: इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं गं गणपतये समर्पयामि:, अब एक फूल लेकर गणपति पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं गं गणपतये नम:,
कलश पूजन के बाद सभी प्रभु कुबेर और प्रभु इंद्र सहित सभी देवी देवता की पूजा बाबा श्री गणेश जी पूजन की तरह करें। बस गणेश जी के स्थान पर संबंधित देवी-देवताओं के नाम लें।
दीपावली देवी मां लक्ष्मी जी पूजन विधि मंत्र
सबसे पहले देवी माँ पद्मासन्था लक्ष्मी जी का ध्यान करें,
 ॐ या सा पद्मासनस्था, विपुल-कटि-तटी, पद्म-दलायताक्षी। गम्भीरावर्त-नाभिः, स्तन-भर-नमिता, शुभ्र-वस्त्रोत्तरीया।। लक्ष्मी दिव्यैर्गजेन्द्रैः। ज-खचितैः, स्नापिता हेम-कुम्भैः। नित्यं सा पद्म-हस्ता, मम वसतु गृहे, सर्व-मांगल्य-युक्ता।।
अब हाथ में अक्षत लेकर बोलें “ॐ भूर्भुवः स्वः महालक्ष्मी, इहागच्छ इह तिष्ठ, एतानि पाद्याद्याचमनीय-स्नानीयं, पुनराचमनीयम्।” प्रतिष्ठा के बाद स्नान कराएं: ॐ मन्दाकिन्या समानीतैः, हेमाम्भोरुह-वासितैः स्नानं कुरुष्व देवेशि, सलिलं च सुगन्धिभिः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः।। इदं रक्त चंदनम् लेपनम् से रक्त चंदन लगाएं। इदं सिन्दूराभरणं से सिन्दूर लगाएं। ‘ॐ मन्दार-पारिजाताद्यैः, अनेकैः कुसुमैः शुभैः। पूजयामि शिवे, भक्तया, कमलायै नमो नमः।। ॐ लक्ष्म्यै नमः, पुष्पाणि समर्पयामि।’
इस मंत्र से पुष्प चढ़ाएं फिर माला पहनाएं,अब देवी माँ लक्ष्मी जी को इदं रक्त वस्त्र समर्पयामि कहकर लाल वस्त्र पहनाएं।
देवी माँ लक्ष्मी जी की अंग पूजा
बाएं हाथ में अक्षत लेकर दाएं हाथ से थोड़ा-थोड़ा अक्षत छोड़ते जाएं— ऊं चपलायै नम: पादौ पूजयामि ऊं चंचलायै नम: जानूं पूजयामि, ऊं कमलायै नम: कटि पूजयामि, ऊं कात्यायिन्यै नम: नाभि पूजयामि, ऊं जगन्मातरे नम: जठरं पूजयामि, ऊं विश्ववल्लभायै नम: वक्षस्थल पूजयामि, ऊं कमलवासिन्यै नम: भुजौ पूजयामि, ऊं कमल पत्राक्ष्य नम: नेत्रत्रयं पूजयामि, ऊं श्रियै नम: शिरं: पूजयामि,
अष्टसिद्धि पूजन मंत्र और विधि
अंग पूजन की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्र बोलें,
 ऊं अणिम्ने नम:, ओं महिम्ने नम:, ऊं गरिम्णे नम:, ओं लघिम्ने नम:, ऊं प्राप्त्यै नम: ऊं प्राकाम्यै नम:, ऊं ईशितायै नम: ओं वशितायै नम:,
अष्टलक्ष्मी पूजन मंत्र और विधि
अंग पूजन एवं अष्टसिद्धि पूजा की भांति हाथ में अक्षत लेकर मंत्रोच्चारण करें। ऊं आद्ये लक्ष्म्यै नम:, ओं विद्यालक्ष्म्यै नम:, ऊं सौभाग्य लक्ष्म्यै नम:, ओं अमृत लक्ष्म्यै नम:, ऊं लक्ष्म्यै नम:, ऊं सत्य लक्ष्म्यै नम:, ऊं भोगलक्ष्म्यै नम:, ऊं योग लक्ष्म्यै नम:,
प्रसाद अर्पित करने का मंत्र
“इदं नानाविधि नैवेद्यानि ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” मंत्र से नैवैद्य अर्पित करें। मिठाई अर्पित करने के लिए मंत्र: “इदं शर्करा घृत समायुक्तं नैवेद्यं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि” बालें। प्रसाद अर्पित करने के बाद आचमन करायें। इदं आचमनयं ऊं महालक्ष्मियै नम:। इसके बाद पान सुपारी चढ़ाएं:- इदं ताम्बूल पुगीफल समायुक्तं ऊं महालक्ष्मियै समर्पयामि। अब एक फूल लेकर लक्ष्मी देवी पर चढ़ाएं और बोलें: एष: पुष्पान्जलि ऊं महालक्ष्मियै नम:,
देवी माँ लक्ष्मी जी की पूजा के बाद प्रभु श्री हरि विष्णु जी ओर बाबा भोलेनाथ जी की पूजा करने का विधान है पर पुजा सबकी अलग अलग होती है ये सब पुजा करने ओर करवाने वाले पर निर्भर है ओर मित्रो माँ बाबा से नही कहते कि हम हाई फाई पुजा करनी चाहिए जैसी शक्ति वैसी भक्ति होती है घर फूंक कर तमाशा नही देखा जाता यही हकीकत है, व्यापारी लोग गल्ले की पूजा करें,पूजन के बाद अल्प पुजा विधान के लिये या त्रुटि पुणे या किसी कमी के लिए क्षमा याचना प्रार्थना करे ओर संकल्प तोडे ओर और आरती करें इसके अलावा ओर तंत्र पुजा भी है जो आप जिस मंत्र का चाहो इसके बाद जप हवन कर सकते है,
धन प्राप्ति के लिए कुछ मंत्र विधान यहाँ दे रहे आप जो चाहे कर सकते है जो आपको अच्छा लगे हमने पहले भी कहाँ है कि जैसी शक्ति वैसी भक्ति इनमें से किसी भी एक मंत्र का चयन करके सुबह, दोपहर और रात्रि को सोते समय पांच-पांच बार नियम से उसका जप के साथ हवन भी कर सकते है जिससे मंत्रो को गति मिलती है देवी माँ लक्ष्मीजी आप पर परम कृपालु बनी रहेंगी,
ओम धनाय नम:                    ओम नारायण नमो नम:
ओम धनाय नमो नम:             ओम नारायण नम:
ओम लक्ष्मी नम:                   ओम प्राप्ताय नम:
ओम लक्ष्मी नमो नम:            ओम प्राप्ताय नमो नम:
ओम लक्ष्मी नारायण नम:      ओम लक्ष्मी नारायण नमो नम: ,,,
धन प्राप्ति हेतु तावीज,
यहां चार आसान यंत्र है ,इनमें से किसी भी एक को कागज पर स्याही से अथवा भोजपत्र पर अष्टगंध से अंकित करके धूप-दीप से पूजा करें। चांदी के तावीज में यंत्र रखकर माँ का ध्यान करते हुए इसे गले में धारण करें और ऊपर दिए गए किसी मंत्र का नियम से जाप भी करते रहें,
संसार में सभी व्यक्ति भरपूर धन चाहते हैं और यही कारण है कि माँ बाबा की कृपाएं प्राप्त करने के लिए बडे-बडे अनुष्ठान करते ही रहते हैं बडे भाग्य से मिलती हैं देवी माँ लक्ष्मीजी की कृपाएं यही कारण है कि इन सामान्य मंत्रो ओर यंत्रों के पश्चात् आगे परम शक्तिशाली मंत्र, यंत्र और तांत्रिक प्रयोग इस पोस्ट में आपको दिए जा रहे हैं जरूरी नही कि आप सभी करे,
धनप्राप्ति के कुछ सरल मंत्र
 ओं लक्ष्मी वं, श्री कमला धरं स्वाहा,,,
इस मंत्र की सिद्धि एक लाख बीस हजार मंत्र जप से होती है। इसका शुभारम्भ वैशास मास में स्वाति नक्षत्र में करें तो उत्तम रहेगा। जप के बाद हवन भी करें,,,
,, ओं ह्रीं ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं क्रीं क्री क्रीं स्थिरां स्थिरां ओं,,
इसकी सिद्धि 110 मंत्र नित्य जपन से 41 दिनों में संपन्न होती है। माला मोती की और आसन काले मृग का होना चाहिए साधना कांचनी वृक्ष के नीचे करनी चाहिए,
,,ओम नमो ह्नीं श्रीं क्रीं श्रीं क्लीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी ममगृहे धनं चिंता दूरं करोति स्वाहा,
प्रात: स्नानादि से निवृत्त होकर एक माला (108 मंत्र) का नित्य जप करें तो लक्ष्मी की सिद्धि होती है,
,,ओम नमो पद्मावती पद्मनेत्र बज्र बज्रांकुश प्रत्यक्ष भवति।
इस मंत्र की सिद्धि के लिए लगातार 21 दिन तक साधना करनी होती है। इस साधना को आधी रात के समय करना आवश्यक है,साधना के समय मिट्टी का दीपक बनाकर जलाएं, जप के लिए मिट्टी के मनकों की माला बनाएं और नित्यप्रति एक माला अर्थात् 108 मंत्र का श्रद्धापूर्वक जप किया जाए तो लक्ष्मी देवी प्रसन्न होकर आशीर्वाद देती है,
,,ओम नम: भगवते पद्मद्मात्य ओम पूर्वाय दक्षिणाय पश्चिमाय उत्तराय अन्नपूर्ण स्थ सर्व जन वश्यं करोति स्वाहा,
प्रात: काल स्नानादि सभी कार्यो से निवृत्त होकर 108 मंत्र का जप करें और अपनी दुकान अथवा कारखाने में चारों कोनों में 10-10 बार मंत्र का उच्चारण करने हुए फूंक मारें, इससे व्यापार की परिस्थितियां अनुकूल हो जाएंगी और हानि के स्थान पर लाभ की दृष्टि होने लगेगी,
,,,ओम नम: काली कंकाली महाकाली मुख सुन्दर जिये व्याली चार बीर भैरों चौरासी बात तो पूजूं मानए मिठाई अब बोली कामी की दुहाई,
वैस तो इसके पंच बाण आते है पर यह एक ही लाभदायक है इस मंत्र को सिद्ध करने के बाद प्रात: काल स्नान, पूजन, अर्जन आदि से निवृत्त होकर पूर्व की ओर मुख करके बैठें और सुविधा अनुसार 7, 14, 21, 28, 35, 42 अथवा 49 मंत्रों का जप करें,इस प्रक्रिया से थोडे दिनों नौकरी अथवा व्यापार के शुभारम्भ की व्यवस्था हो जाएगी,
,,,ओम नम: भगवती पद्मावती सर्वजन मोहिनी सर्वकार्य वरदायिनी मम विकट संकटहारिणीय मम मनोरथ पूरणी मम शोक विनाशिनी नम: पद्मावत्यै नम:,
इस मंत्र की सिद्धि करने के बाद मंत्र का प्रयोग किया जाए तो नौकरी अथवा व्यापार की व्यवस्था हो जाएगी। उसमें आने वाले विध्न दूर हो जाएंगे,धूप-दीप जप हवन आदि से पूजन करके प्रात: दोपहर और सायंकाल तीनों संख्याओं मे एक-एक माला का मंत्र जप करें,
कुछ उपाय टोटके धन प्राप्ति के लिए,
 दीपावली के दिन प्रात: व्यक्ति बिना स्नान किए, बिना दातुन किए, एक नारियल को पत्थर से बांधकर नदी या तालाब के जल में डुबो दे और डुबोते समय प्रार्थना करे कि शाम को मैं आपको लक्ष्मी के साथ लेने आऊंगा, सूर्यास्त के बाद उस नारियल को जल से निकालकर ले आवें और लक्ष्मीपूजन के साथ उसकी भी पूजा कर भण्डारगृह या संदूक में रख दें तो पूरे वर्ष असाधारण रूप से धन प्राप्त होता रहता है,
तीन मास में ही धनप्राप्ति के लिए कुबेर मंत्र मंत्र- यक्षाम कुबेराय वैश्रवणाय, धन-धान्याधिपतये धन-धान्य समृद्धि में देहि दापय स्वाहा,
विधि- इस मंत्र को 108 बार जपने से तीन मास में ही लाभ होता है,अक्षय भंडार हेतु महालक्ष्मी मंत्र ओम श्रीं ह्रीं क्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:,विधि-शुभ तिथि व शुभ दिन प्रात: जप करना प्रारम्भ कर दें। कम से कम 1100 जप तो अवश्य ही करें,
महालक्ष्मी सिद्ध मंत्र मंत्र-
श्री शुक्ले महाशुक्ले कमल दल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नम:। लक्ष्मी माई सबकी सवाई आवो चेतो करो भलाई न करो तो सात समुद्रो की दुहाई, ऋद्धि-सिद्धि न करे तो नौ नाथ चौरासी सिखों की दुहाई।000 विधि- दुकानदार दुकानें खोले तब महादेव का थडा अर्थात् दुकान की गद्दी पर बैठकर इस मंत्र को प्रथम माला जप लें, धूप-दीप के पश्चात् फिर लेन-देन करें और न्याय-नीति से कारोबार करे, दशांश दान-पुण्य में लगाएं तो सभी प्रकार के सुख-शांति की प्राप्ति हेाती है यदि पहले इस मंत्र का 41 दिन में सवा लाख जप दीप-धूप-पुष्प-फल-नैवेद्यादि विधान से करके फिर एक माला का नित्य जप करे तो लक्षाधिपति बनकर वैभवपूर्ण जीवन का अक्षय सुख प्राप्त करता है,
सिद्ध करने का तरीका रविवार के दिन एक किलो काले उडद अपने सामने रखकर सूर्योदय से सूर्यास्त तक इस मंत्र का नियमित रूप से जप करने पर यह मंत्र सिद्ध हो जाता है। जब यह मंत्र सिद्ध हो जाए तब उन काले उडदों को लेकर 21 दिन मंत्र पढकर दुकान में बिखेर देवें, इस प्रकार तीन रविवार तक करने पर दुकान की बिक्री दुगुनी-तिगुनी हो जाती है। यह निश्चित है। जैसा कि बताया गया है, शाबर मंत्र सरल भाषा में होते है और आज के अनास्था तथा वैज्ञानिक युग में विश्वास नहीं होता कि ये मंत्र इतने शक्तिशाली है और इन मंत्रों से कार्य सिद्ध किए जा सकते है। परंतु साधकों ने इन मंत्रों को सिद्ध किया है और पूरी तरह से लाभ उठाया है। आप भी चाहें तो इन सत्य को परख सकते है,
धन प्राप्ति हेतु तांत्रिक मंत्र
यह मंत्र महत्वपूर्ण है, इस मंत्र का जप अर्द्धरात्रि को किया जाता है। यह साधना 22 दिन की है और नित्य एक माला जप होना चाहिए। यदि शनिवार या रविवार में इस प्रयोग को प्रारम्भ किया जाए तो ज्यादा उचित रहता है। इसमें व्यक्ति को लाल वस्त्र पहनने चाहिए और पूजा में प्रयुक्त सभी समान को रंग लेना चाहिए,
दीपावली के दिन भी इस मंत्र का प्रयोग किया जा सकता है और कहते हैं कि यदि दीपावली की रात्रि को इस मंत्र को 21 माला फेरें तो उसके व्यापार में उन्नति एवं आर्थिक सफलता प्राप्त होती है।
मंत्र- ओम नमो पदमावती एद्मालये लक्ष्मीदायिनी वांछाभूत प्रेत बिन्ध्यवासिनी सर्व शत्रु संहारिणी दुर्जन मोहिनी ऋद्धि-सिद्ध वृद्धि कुरू कुरू स्वाहा, ओम क्लीं श्रीं पद्मावत्यै नम:,
जब अनुष्ठान पूरा हो जाए तो साधक को चाहिए कि वह नित्य इसकी एक माला फेरे ऎसा करने पर उसके आगे के जीवन में निरन्तर उन्नति होती रहती है
धन प्राप्ति का शाबर मंत्र नित्य प्रात: काल दन्त धावन करने के बाद इस मंत्र का 108 बार पाठ करने से व्यापार या किसी अनुकूल तरीके से धन प्राप्ति होती है
मंत्र- ओम ह्रीं श्रीं क्रीं क्लीं श्रीं लक्ष्मी मामगृहे धन पूरय चिन्ताम्तूरय स्वाहा।
नीचे दिये गये यंत्रों में से किसी भी एक मंत्र को कागज अथवा भोजपत्र पर अष्टगंध अथवा केसर के घोल से लिखकर प्राण-प्रतिष्ठा और पूजा करने के बाद रूपए-पैसे रखने की तिजोरी अथवा जेवरों के डिब्बे में रखें,,नादान बालक की कलम से बाकी फिर कभी देवी माँ लक्ष्मी जी की कृपा आप पर बनी रहेगी व्यापारी और उद्योगपति दीवाली पूजन के बाद दुकान या कार्यालय की दीवार पर सिन्दूर से और बही खातों के प्रथम पृष्ठ पर स्याही से कोई भी एक यंत्र बनाएं और फिर देखें इसका प्रताप,
धन सम्पत्तिवर्द्धक यंत्र रवि पुष्य अथवा गुरू पुष्य के दिन भोजपत्र पर केसर की स्याही और अनार की कलम से निम्नांकित यंत्र लिखकर स्वर्ण के तावीज में रखें और गंगाजल आदि से पवित्र करके दाहिनी बाजू पर बांध लें। इसके प्रभाव से शारीरिक तथा आर्थिक क्षीणता समाप्त होकर, धन और स्वास्थ्य दोनों की वृद्धि होती है। इस तावीज को गले में धारण किया जा सकता है,
धन सम्पदा प्रदायक दूसरा तावीज इस तांत्रिक यंत्र को अनार की कलम द्वारा अष्टगंध स्याही से भोजपत्र पर लिखें और चंदन, पुष्प, धूप-दीप से इसकी पूजा करें पूजनोपरांत एक हजार बार मंत्र का जप करें हवन-सामग्री में घी, चीनी, शहद, खीर और बेलपत्र आवश्यक हैं यह प्रक्रिया किसी शुभ मुहूर्त की शुक्ल द्वितीय को की जानी चाहिए जप के साथ हवन आदि करने से यंत्र की शक्ति बढती है तत्पश्चात् यंत्र को स्वर्ण या चांदी के तावीज में भरकर, लाल या काले धागे की सहायता से दाहिने बाजू या गले में धारण करें ,इस तावीज का प्रभाव अचूक और चिरस्थायी होता है,
धन प्रदायक लक्ष्मी बीसा तावीज
इस यंत्र तावीज को रवि पुष्य नक्षत्र में अनार की कलम के द्वारा भोजपत्र पर अष्टगंध से लिखें, पीला वस्त्र, पीला आसान एवं पीली माला का प्रयोग करें, पूरब की ओर मुंह रखें, धूप, दीप, फल-फूल और नैवेद्य से यंत्र की नित्य पूजा करें और निम्न मंत्र की एक माला जप करें,ओम श्रीं ह्रीं क्लीं महालक्ष्मै नम:,यह क्रम सवा दो महीने तक चालू रखें,फिर तिरसठवें दिन चांदी के एक पत्र पर यंत्र को बनाकर, उन बासठ यंत्रों को चांदी के पत्र वाले यंत्र के नीचे रखकर पूजा करें, अब बासठ यंत्रों में से एक यंत्र अपने पास रखें बाकी यंत्रों को आटे की गोलियों में रखकर नदी में बहा दें, जिस यंत्र को पास में रखा था, उसे सोने या चांदी के तावीज में डालकर गले में डालें या फिर बाजू मे धारण करे ओर चमत्कार देखे जहाँ विश्वास ओर आस्था है वहाँ चमत्कार जरूर होते है मित्रो पतीक्षा करे सफलता आपके हाथ मे होगी यही सत्य है ,,,
मित्रो हमारी बातो से कोई सहमत हो या ना हो पुजा विधान पुणे निष्काम ओर पुणे भाव पुणे हो बाकी जैसी आपकी इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा,,
आप सभी को ओर आपके परिवार वालो को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं ओर हार्दिक बधाई माँ बाबा करे आपके दुखो का नाश हो ओर आपके घरो मे लक्ष्मी का वास हो यही माँ बाबा से हमारी प्रार्थना ओर कामना है,,

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,,
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Tuesday, November 6, 2018

क्या है नरक (काली) चतुर्दशी ओर रूप चतुर्दशी

आज नरक चतुर्दशी है या रूप चतुर्दशी,,
मित्रो आज के दिन ओर रात्रि मे होती है कई साधनाये ओर पुजा ओर आज के बारे मे कई मान्यताएँ ओर कथाये है पोस्ट काफी लम्बी होनी वाली है शायद दो पार्ट मे करनी पडे सुबह सुबह दे रहे है तो उबटन का टाइम तो निकल जायेगा आप अगली बार तैयारी कर सकते है बाकी आज के पोस्ट मे कुछ प्रचालित कथाये ओर कुछ प्रचालित टोटके है जिनको आप कर सकते है,, ओर जो कार्य आपको नही करने है वो भी,
रूप चौदस पर व्रत रखने का भी अपना महत्व है. मान्यता है कि रूप चौदस पर व्रत रखने से भगवान श्रीकृष्ण व्यक्ति को सौंदर्य प्रदान करते हैं. इसमे भी एक कथा है प्राचीन काल में एक नरकासुर नाम का राजा था, जिसने देवताओं की माता अदिति के आभूषण छीन लिए थे, वरुण देवता को छत्र से वंचित कर दिया था, मंदराचल के मणिपर्वत शिखर पर अपना कब्ज़ा कर लिया था,तथा देवताओं, सिद्ध पुरुषों और राजाओं की 16100 कन्याओं का अपहरण कर उन्हें बंदी बना लिया था,कहा जाता हैं कि दुष्ट नरकासुर के अत्याचारों व पापों का नाश करने के लिए श्री कृष्ण जी ने नरक चतुर्दशी के दिन ही नरकासुर का वध किया था, और उसके बंदी ग्रह में से कन्याओं को छुड़ा लिया,प्रभु कृष्ण जी ने कन्याओं को नरकासुर के बंधन से तो मुक्त कर दिया ,लेकिन देवताओं का कहना था कि समाज इन्हें स्वीकार नहीं करेगा, इसलिए आप ही इस समस्या का हल बताये ,यह सब सुनकर प्रभु श्री कृष्ण जी ने कन्याओं को समाज में सम्मान दिलाने के लिए सत्यभामा की सहायता से सभी कन्याओं से विवाह कर लिया, इसलिए वो उद्धार दाता है समझे,ओर इसी दिन यानि रुप चतुदर्शी के दिन सूर्योदय से पहले उठकर हल्दी का उबटन लगाना चाहिए ओर तिल के तेल की मालिश और पानी में चिरचिरी के पत्ते डालकर नहाना चाहिए. इसके बाद भगवान विष्णु और भगवान कृष्ण के दर्शन करने चाहिए. ऐसा करने से पापों का नाश होता है और सौंदर्य हासिल होता है.
साथ ही रूप चौदस की रात मान्यतानुसार ,,ध्यान देने लायक बात आज के दिन,, घर का सबसे बुजुर्ग पूरे घर में एक दिया जलाकर घुमाता है और फिर उसे घर से बाहर कहीं दूर जाकर रख देता है. इस दिए को यम दीया कहा जाता है ,इस दौरान घर के बाकी सदस्य अपने घर में ही रहते हैं घर का सदस्य कोई उस दीपक को जलता हुआ ना देखे कुछ दुर रख सकते है, ऐसा माना जाता है कि इस दिए को पूरे घर में घुमाकर बाहर ले जाने से सभी बुरी शक्तियां घर से बाहर चली जाती है, यम देवता से दक्षिण दिशा मे मुंह करके अपने ओर अपने परिवार वालो रे लिये पाप मुक्ति के लिए प्रार्थना भी की जा सकती है, ओर माना जाता है कि पापो से मुक्ति मिलती है,
दुसरी कथा के अनुसार कुबेर के संबंध में लोकमानस में एक जनश्रुति प्रचलित है,कहा जाता है कि पूर्वजन्म में कुबेर चोर थे,चोर भी ऐसे कि देव मंदिरों में चोरी करने से भी बाज न आते थे,एक बार चोरी करने के लिए एक बाबा भोलेनाथ के मंदिर में घुसे, तब मंदिरों में बहुत माल-खजाना रहता था, उसे ढूंढने पाने के लिए कुबेर ने दीपक जलाया लेकिन हवा के झोंके से दीपक बुझ गया,
कुबेर ने फिर दीपक जलाया, फिर वह बुझ गया, जब यह क्रम कई बार चला, तो अपने बाबा यानी भोले बाबा भोले भाले है और बाबा औघड़दानी शंकर जी ने इसे अपनी दीपाराधना समझ लिया और प्रसन्न होकर अगले जन्म में कुबेरको धनपति होने का आशीष दे डाला,
तीसरी कथा देवी माँ लक्ष्मी इस रात अपनी बहन देवी माँ दरिद्रा के साथ भू-लोक की सैर पर आती हैं, जिस घर में साफ-सफाई और स्वच्छता रहती है, वहां देवी माँ लक्ष्मी अपने कदम रखती हैं और जिस घर में ऐसा नहीं होता वहां दरिद्रा अपना डेरा जमा लेती है,ओर ओर ऐसा भी माना जाता है देवी माँ लक्ष्मी के वाहन उल्लू को दीपावली की रात‍ पान खिलाने से देवी माँ लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर आपको संपूर्ण सुखों का आशीर्वाद देती है,
 चौथी कथा इस प्रकार है, राजा बलि सबसे उदार राजाओं में से एक था,और इस कारण उसने बहुत अधिक प्रसिद्घि हासिल की। लेकिन ये प्रसिद्घि उसके सिर चढ़ कर बोलने लगी आैर वो अभिमानी बन गया, जो भी उसके पास भिक्षा मांगने आता उसका राजा बलि अपमान करने लगे, राजा बलि की इन हरकतों से क्रुद्ध होकर प्रभु श्री हरि विष्णु जी ने उसे सबक सीखाने का निर्णय लिया आैर अपने वामन अवतार में भिक्षा लेने के लिए उस समय राजा के द्वार पहुंचे, जब वो अश्वमेघ यज्ञ का समापन कर रहा था,जब बलि ने उससे उसकी मनचार्इ वस्तु के बारे में पूछा तो उसने तीन पग भूमि दान में मांगी, पहले पग में वामनरूप धारी भगवान ने पूरी पृथ्वी आैर दूसरे पग में स्वर्ग को नाप लिया। शेष दान के लिए बलि ने विनम्रतापूर्वक अपना मस्तक आगे रखते हुए प्रभु से अपना सर रखने की प्रार्थना की,राजा बलि के इस कृत्य के कारण उसे मोक्ष की प्राप्ति हुयी या पाताल भेज दिया यही कथा प्रचलित है बाकी माँ बाबा जाने की वो कहाँ है तभी से काली चौदस के दिन को लालच को दूर करने के रूप में भी मनाया जाने लगा,
पांचवी कथा इस प्रकार है, रंतिदेव नामक एक धर्मात्मा राजा थे,रंतिदेव धर्म के कार्य में सदैव आगे रहते थे उन्होंने अपने जीवन काल में कोई भी पाप नहीं किया था जब उनकी मृत्यु का समय निकट आया तो उनके समक्ष यमदूत आ खड़े हुए. यमदूत को सामने देख राजा रंतिदेव अचंभित हो गए और उन्होंने धर्मराज से कहा कि मैंने तो जीवन में कोई भी पाप नहीं किया है फिर आप मुझे लेने क्यों आए हैं जब भी धर्मराज हम किसी को लेने आते हैं तो इसका मतलब उस व्यक्ति को नर्क में जाना पड़ता है , राजा रंतिदेव ने कहा कि आपके यहां आने का मतलब मुझे नर्क में जाना होगा आप बताएं कि मेरे किस अपराध के कारण मुझे यह सजा मिल रही है,यमराज ने राजा रंतिदेव से कहा कि हे राजन एक बार आपके द्वार से एक ब्राह्मण भूखा लौट गया था यह उसी कर्म का फल है इसके बाद राजा ने यमदूत से 1 वर्ष का समय मांगा  धर्मराज ने राजा रंतिदेव को 1 वर्ष का समय दिया राजा रंतिदेव अपनी समस्या को लेकर ऋषियों के पास पहुंचे और उन्होंने अपनी सारी व्यथा बताई और अपनी समस्या का समाधान पूछा तब ऋषि ने उन्हें बताया कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन आप व्रत करें और ब्राह्मणों को भोजन करवाकर उनके प्रति अपने द्वारा हुए अनचाहे अपराधों के लिए क्षमा याचना करें ऋषियों द्वारा बताए गए उपाय को राजा ने अक्षरशः पालन किया. इस प्रकार राजा अपने पाप से मुक्त हुए और उन्हें नर्क की जगह विष्णु लोक में स्थान प्राप्त हुआ ,इसलिए नर्क से मुक्ति हेतु कार्तिक चतुर्दशी या नरक चतुर्दशी के दिन लोग व्रत करते हैं,
छठी कथा इस प्रकार है ,हिरण्यगर्भ नामक राजा ने अपना राज पाठ छोड़कर साधना करने का निश्चय किया और कई वर्षों तक तपस्या की ,परंतु तपस्या के दौरान उनके शरीर पर कीड़े लग गए और उनका शरीर सड़ गया था  हिरण्यगर्भ इस बात से बहुत दुखी हुए और उन्होंने अपनी इस व्यथा को देव ऋषि नारद के समक्ष व्यक्त किया तब देव ऋषि नारद ने उनसे कहा कि आपने साधना के दौरान शरीर की स्थिति सही नहीं रखी थी इसलिए यह आपके ही कर्मों का फल है. तब हिरण्यगर्भ ने इस समस्या का समाधान पूछा तो देव ऋषि नारद ने उनसे कहा कि कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष में त्रयोदशी तिथि के दिन अपने शरीर पर उबटन का लेप लगाकर सूर्योदय के पूर्व स्नान करना. स्नान के पश्चात भगवान सूर्य को अर्ध्य देकर सौंदर्य के देवता श्री कृष्ण की पूजा कर उनके आरती करना. आपको पुनः आपका सौंदर्य प्राप्त हो जाएगा, हिरण्यगभ ने ऐसा ही किया और अपने शरीर को स्वस्थ किया. इसी कारण इस दिन को रूप चतुर्दशी भी कहा जाता है,
सातवी कथा इस प्रकार है, एक प्राचीन मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि के दिन बाबा हनुमान जी ने देवी माँ अंजनी के गर्भ से जन्म लिया था, इसलिए सभी दुखों एवं कष्टों से मुक्ति प्राप्त करने के लिए बल और बुद्धि के बाबा हनुमान जी की पूजा की जाती है ,यह उल्लेख महर्षि वाल्मीकि जी की रामायण में मिलता है, इस प्रकार भारतवर्ष में 2 बार बाबा हनुमान जी अवतरण दिवस का अवसर आता है, हिंदू वर्ष के अनुसार चेत्र माह की पूर्णिमा और कार्तिक मास की चतुर्दशी के दिन बाबा हनुमान जी के जन्मदिन के रुप मे  मनाई जाती है, ओर इसी के साथ एक कथा ओर भी प्रचालित है,
प्रभु श्रीराम जी के परम भक्त बाबा हनुमान जी को हर कोर्इ जानता है,जब बाबा हनुमान छोटे यानी बालक थे, तो एक बार उन्होंने प्रभु सूर्यदेव को अद्भुत फल समझकर निगल लिया जिससे पूरे विश्व में अंधेरा छा गया था। सभी देवी आैर देवताओं ने बाबा हनुमान जी से सूर्य को मुक्त करने की प्रार्थना की, लेकिन बाबा बाल हनुमान जी नहीं माने, इस पर देवताओं के राजा इंद्र ने क्रोधित होकर अपने वज्र से हनुमान जी  पर वार किया, जो बाबा हनुमान जी के मुंह पर जाकर लगा आैर इससे प्रभु सूर्यदेव बाहर आ पाए,प्रभु सूर्यदेव के बाहर निकलने के बाद विश्व में एक बार फिर से प्रकाश दिखार्इ देने लगा,लेकिन वज्र के प्रहार से बाबा हनुमान जी मुर्छित भी हो गये थे इसलिए प्रभुपवन देव को गुस्सा भी आ गया था तो उन्होने प्राण वायू समेट ली थी देवताओ ने प्रार्थना की ओर बाबा हनुमान जी को आज के ही दिन नवनिधि ओर अष्टसिद्धि के वरदान मिले थे एक दुनिया का पुन नवजीवन शुरू हुआ था,आज के दिन बजरंग बाण संकट मोचन बाबा की चालीसा सुंदरकांण्ड ओर भी मंत्र है जिनका आप जप कर सकते है संयोग वंश आज मंगलवार भी है,
मित्रो इन दिनों में अंधकार में उजाला किया जाता है, हे मनुष्य ! अपने जीवन में चाहे अंधकार दिखता हो, चाहे जितना नरकासुर अर्थात वासना और अहं का प्रभाव दिखता हो, आप अपने आत्मक़ृष्ण को पुकारना,बाकी आप समझदार है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ओर काली चाैदस का दिन उन लोगाें के लिए भी अधिक महत्व रखता है ,जो तंत्र-मंत्र के क्षेत्र से जुड़े हैं या एेसे गूढ़ विषयों में विशेष रूचि रखते हैं,इस दिन तांत्रिकों आैर अघोरियों को अपनी तांत्रिक क्रियाओं आैर साधना का विशेष फल मिलता है, साथ ही बुरी अात्माओं को दूर भगाने के लिए यह दिन अत्यंत प्रभावकारी माना जाता है,नरक चतुर्दशी की शाम को सभी देवताओं की पूजा करने के बाद तेल के दीपक जलाकर घर के दरवाजे की चोखट के दोनों ओर, सड़क पर तथा अपने कार्यस्थल के प्रवेश द्वारा पर रख दें ऐसा माना जाता हैं कि इस दिन दीपक जलाने से पूरे वर्ष भर लक्ष्मी माता का घर में स्थाई निवास होता हैं,यदि आपके व्यवसाय में निरन्तर गिरावट आ रही है, तो आज रात्रि में पीले कपड़े में काली हल्दी, 11 अभिमंत्रित गोमती चक्र, चांदी का सिक्का व 11 अभिमंत्रित धनदायक कौड़ियां बांधकर 108 बार श्रीं लक्ष्मी-नारायणाय नमः का जाप कर धन रखने के स्थान पर रखने से व्यवसाय में प्रगतिशीलता आ जाती है,यदि कोई व्यक्ति मिर्गी या पागलपन से पीड़ित हो तो आज रात में काली हल्दी को कटोरी में रखकर लोबान की धूप दिखाकर शुद्ध करें तत्पश्चात एक टुकड़ें में छेद कर काले धागे में पिरोकर उसके गले में पहना दें और नियमित रूप से कटोरी की थोड़ी सी हल्दी का चूर्ण ताजे पानी से सेवन कराते रहें। अवश्य लाभ मिलेगा,काली मिर्च के पांच दाने सिर पर से 7 बार वारकर किसी सुनसान चौराहे पर जाकर चारों दिशाओं में एक-एक दाना फेंक दे व पांचवे बचे काली मिर्च के दाने को आसमान की तरफ फेंक दें व बिना पीछे देखे या किसी से बात घर वापिस आ जाए ,जल्दी ही पैसा मिलेगा,निरन्तर अस्वस्थ्य रहने पर आटे के दो पेड़े बनाकर उसमें गीली चीने की दाल के साथ गुड़ व पिसी काली हल्दी को दबाकर खुद पर से 7 बार उतार कर गाय को खिला दें,आज रात के सामी काली मिर्च के 7-8 दाने लेकर उसे घर के किसी कोने में दिए में रखकर जला दे ,घर की समस्त नकारात्मक ऊर्जा समाप्त हो जाएगी,अगर आपके बच्चे को नजर लग गयी है या बार बार नजर लगती है, तो काले कपड़े में हल्दी (हल्दी की गांठ)को बांधकर 7 बार ऊपर से उतार कर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें,तिल की वस्तुओं, ल आैर घी व शक्कर मिश्रित चावल का प्रसाद अर्पण करें,पूरे दिन माँ काली को समर्पित भक्ति गीत गाए, पूजा के मुहूर्त के दौरान तो खास,स्नान करते समय अपने बालों को भी धोएं आैर आंखों में काजल लगाएं, जिससे कि नकारात्मकता आैर बुरी आत्माएं आपके शरीर से दूर जा सकें, याद रखने लायक बाते, चौराहे पर रखे हुए लाल कपड़े से बंधे मटके, फलाें आैर काली गुड़ियां पर पैर रखने या उसे लांघने से विशेषरूप से बचें, हमारी पोस्ट किसी अंधविश्वास  का समर्थन नही करती है आज कल अंधविश्वासो ओर ढोंगीयो की वजह से हमारे त्योहारो का रंग फीका पडने लगा है इसलिए मित्रो जो भी करे या ये सब करे पुणे विश्वास ओर आस्था के साथ करे सफलता मिलेगी जरूर,,


रूप चतुर्दशी की आपको बहुत बहुत शुभकामनाएं ओर हार्दिक बधाई,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,
🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻

Monday, October 8, 2018

कब है नवरात्रि ओर मुर्हत जानये कोनसा कलर है शुभ

इस साल शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से शुरू हो रहा है। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री  और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक  दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है।   पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।

नाव पर आएंगी शेरोवाली
शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। बंगला पंचांग के अनुसार, देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और डोली पर विदा होंगी।

नवरात्र पर्व प्रथम तिथि को कलश स्थापना (घट या छोटा मटका) से आरंभ होता है. साथ ही नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति भी जलाई जाती है. घट स्थापना करते समय यदि कुछ नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है. इन नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं.

नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना

अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें. कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें. इसमें अक्षत भी डालें.

कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए.

नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें.

इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं.

इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें.

कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए.

अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें.

इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें.

दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें.

तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें.

अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें.

इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें.

अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें.

कलश स्थापना की सही दिशा-

1. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा माना गया है. इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है.

2. माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं तो उसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें. पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें.

3. घट स्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होता है. पूजा स्थल के आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए.

4. कई लोग नवरात्रि में ध्वजा भी बदलते हैं. ध्वजा की स्थापना घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में करें.

5. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान व पाठ आदि किया जा सके.

6. घट स्थापना स्थल के आस-पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए. पूजा स्थल के ऊपर यदि टांड हो तो उसे साफ़-सुथरी रखें.
-एक घड़ा या पात्र
-घड़े में गंगाजल मिश्रित जल ( जल आधा न हो, केवल तीन उंगली नीचे तक जल होना चाहिए)
-घड़े या पात्र पर रोली से ऊं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे लिखें या ऊं ह्रीं श्रीं ऊं लिखें
-घड़े पर कलावा बांधें। यह पांच, सात या नौ बार लपटें
-घड़े पर कलावा में गांठ न बांधें
-कलावा यदि लाल और पीला मिलाजुला हो तो बहुत अच्छा
-जौं
-काले तिल
-पीली सरसो
-एक सुपारी
-तीन लौंग के जोड़े ( यानी 6 लोंग)
-एक सिक्का
-आम के पत्ते (नौ)
-नारियल ( नारियल पर चुन्नी लपेटे)
-एक पान
घट स्थापना की विधि

-अपने आसन के नीचे थोड़ा सा जल और चावल डालकर शुद्ध कर लें
-इसके बाद भगवान गणपति का ध्यान करें। फिर शंकर जी का, विष्णु जी का, वरुण जी का और नवग्रह का
-आह्वान के बाद मां दुर्गा की स्तुति करें। यदि कोई मंत्र याद नहीं है तो दुर्गा चालीसा पढ़ें। यदि वह भी याद नहीं है तो ऊं दुर्गायै नम: का जाप करते रहें
-ध्यान रहे, कलश स्थापना में पूरा परिवार सम्मिलित हो। ऊं दुर्गायै नम: ऊं नवरात्रि नमो नम: का जोर से उच्चारण करते हुए कलश स्थापित करें
-जिस स्थान पर कलश स्थापित करें, वहां थोड़े से साबुत चावल डाल दें। जगह साफ हो
-घड़े या पात्र पर आम के पत्ते सजा दें
-पहले जल में चावल, फिर काले तिल, लोंग, फिर पीली सरसो, फिर जौं, फिर सुपारी, फिर सिक्का डालें
-अब नारियल लें। उस पर चुनरी बांधें, पान लगाएं और कलावा पांच या सात बार लपेट लें।
-नारियल को हाथ में लेकर माथे पर लगाएं और माता की जयकारा लगाते हुए नारियल को कलश पर स्थापित कर दें
कलश स्थापना के लिए मंत्र इस प्रकार है....

नमस्तेsतु महारौद्रे महाघोर पराक्रमे।।
महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी
या
ऊं श्रीं ऊं

-कलश स्थापना पर ध्यान रखें

-प्रतिदिन कलश की पूजा करें। हर नवरात्रि की एक बिंदी कलश पर लगाते रहें
-यदि किसी दिन दो नवरात्रि हैं तो दो बिंदी (रोली की) लगाते रहें
-कलश की पूजा हर दिन करते रहें और आरती भी
घट स्थापना: सिर्फ एक घंटा दो मिनट
इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए बहुतही कम समय प्राप्त हो रहा है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। पहली बार नवरात्र की घट स्थापना के लिए काफी कम समय मिल रहा है। यदि प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे। सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी। पिछले नवरात्र पर घट स्थापना के लिए मुहूर्त काफी थे , लेकिन कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।


10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)

मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट

ब्रह्म मुहूर्त-  प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है।  7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा।


एक और मुहूर्त

यदि किन्हीं कारणों से प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।


प्रतिपदा तिथि का आरंभ :
9 अक्टूबर 2018, मंगलवार 09:16 बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2018, बुधवार 07:25 बजे

शारदीय नवरात्रि की तिथियां ओर जाने की कोन सा रंग किस दिन है  कोनसे रंग के कपडे पहनना चाहिए जो शुभ रहे,, 
10 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन ओर रंग पीला,,,
11 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारकिणी पूजन ओर रंग हरा,,,,,
12 अक्‍टूबर 2018:  नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन ओर रंग ग्रे यानी स्लेटी कलर,,,,,,
13 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन इस दिन पहने नारंगी कलर जो शुभ रहता है,,,,,,
14 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन ओर रंग सफेद,,,,,
15 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, माँ सरस्वती रंग सफेद ओर माँ कात्यायनी ओर रंग लाल
16 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, माँ कालरात्रि पूजन ओर रंग नीला चाहिए,,
17 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन ओर गुलाबी रंग के होने चाहिए,,,
18 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, सिद्धिदात्री पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण ओर रंग बैगनी होना चाहिए,,,

गणपति वाहन मूषक राज का अद्भुत एवं दर्शनीय कारनामा

गणपति वाहन मूषक राज का अद्भुत एवं दर्शनीय कारनामा

Wednesday, September 19, 2018

वीर तेजा दशमी की आप सभी को बहुत बहुत शुभकामनाएं

आप सभी को वीर तेजा दशमी की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ ओर बधाई,,
आज तेजा दश्मी है वीर तेजाजी के बारे मे जितना लिखा जाये उतना कम है लेकिन जितना हमे जानकारी है या सुना है पता है वो ही लिख सकते है जिससे कोई सहमत हो या ना हो कोई बाध्य नही नही पसंद आये तो शेयर करे नही आये तो नजर अंदाज करे
तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजा जी कि माँ थाकण जाट कि बेटी थी।
तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में ओर राजस्थान के प्रत्येक वर्ग ओर जातियो मे महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं।

लोक देवता तेजाजी का जन्म तेजाजी का जन्म एक जाट घराने में हुआ जो धोलिया वंशी थे। नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे। यह कथा है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ ही समय बाद उनके पिता और पेमल के मामा में कहासुनी हो गयी और तलवार चल गई जिसमें पेमल के मामा की मौत हो गई। इस कारण उनके विवाह की बात को उन्हें बताया नहीं गया था। एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी 'लीलण' पर सवार होकर अपनी ससुराल पनेर गए। रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई। नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भेंट उसकी सहेली लाछा गूजरी के यहाँ हुई। उसी रात लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए। लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध हो कर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गाएं छुड़ाई। इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए। वापस आने पर वचन की पालना में साँप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण जीभ पर साँप से कटवाया। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 हो गई तथा पेमल ने भी उनके साथ जान दे दी। उस साँप ने उनकी वचनबद्धता से प्रसन्न हो कर उन्हें वरदान दिया। इसी वरदान के कारण तेजाजी भी साँपों के देवता के रूप में पूज्य हुए। गाँव गाँव में तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है। इन देवरो में साँप के काटने पर जहर चूस कर निकाला जाता है तथा तेजाजी की तांत बाँधी जाती है। तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है। तेजाजी का जन्म धौलिया गौत्र के जाट परिवार में हुआ। धैालिया शासकों की वंशावली इस प्रकार है:- 1.महारावल 2.भौमसेन 3.पीलपंजर 4.सारंगदेव 5.शक्तिपाल 6.रायपाल 7.धवलपाल 8.नयनपाल 9.घर्षणपाल 10.तक्कपाल 11.मूलसेन 12.रतनसेन 13.शुण्डल 14.कुण्डल 15.पिप्पल 16.उदयराज 17.नरपाल 18.कामराज 19.बोहितराव 20.ताहड़देव 21.तेजाजी

तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी का जन्म खड़नाल के धौल्या गौत्र के जाट कुलपति ताहड़देव के घर में चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ सहस्र एक सौ तीस को हुआ। तेजाजी के जन्म के बारे में मत है-

जाट वीर धौलिया वंश गांव खरनाल के मांय।
आज दिन सुभस भंसे बस्ती फूलां छाय।।
शुभ दिन चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ पहचान।
सहस्र एक सौ तीस में प्रकटे अवतारी ज्ञान।।
जेठ के महिने के अंत में तेज बारिश होगई। तेजाजी की माँ कहती है जा बेटा हळसौतिया तुम्हारे हाथ से कर-

गाज्यौ-गाज्यौ जेठ'र आषाढ़ कँवर तेजा रॅ
लगतो ही गाज्यौ रॅ सावण-भादवो
सूतो-सूतो सुख भर नींद कँवर तेजा रॅ
थारोड़ा साथिड़ा बीजँ बाजरो।
सूर्योदय से पहले ही तेजाजी बैल, हल, बीजणा, पिराणी लेकर खेत जाते हैं और स्यावड़ माता का नाम लेकर बाजरा बीजना शुरू किया -

उठ्यो-उठ्यो पौर के तड़कॅ कुँवर तेजा रॅ
माथॅ तो बांध्यो हो धौळो पोतियो
हाथ लियो हळियो पिराणी कँवर तेजा रॅ
बॅल्यां तो समदायर घर सूं नीसर्यो
काँकड़ धरती जाय निवारी कुँवर तेजा रॅ
स्यावड़ नॅ मनावॅ बेटो जाटको।
भरी-भरी बीस हळायां कुँवर तेजा रॅ
धोळी रॅ दुपहरी हळियो ढाबियो
धोरां-धोरां जाय निवार्यो कुँवर तेजा रॅ
बारह रॅ कोसां री बा'ई आवड़ी।।
नियत समय के उपरांत तेजाजी की भाभी छाक (रोटियां) लेकरआई। तेजाजी बोले-

बैल्या भूखा रात का बिना कलेवे तेज।
भावज थासूं विनती कठै लगाई जेज।।
देवर तेजाजी के गुस्से को भावज झेल नहीं पाई और काम से भी पीड़ित थी, उसने चिढने के लहजे में कहा-

मण पिस्यो मण पोयो कँवर तेजा रॅ
मण को रान्यो खाटो खीचड़ो।
लीलण खातर दल्यो दाणों कँवर तेजा रॅ
साथै तो ल्याई भातो निरणी।
दौड़ी लारॅ की लारॅ आई कँवर तेजा रॅ
म्हारा गीगा न छोड़ आई झूलै रोवतो।
ऐहड़ा कांई भूख भूखा कँवर तेजा रॅ
थारी तो परण्योड़ी बैठी बाप कॅ
भाभी का जवाब तेजाजी के कले जे में चुभ गया। तेजाजी नें रास और पुराणी फैंकदी और ससुराल जाने की कसम खा बैठे-

ऐ सम्हाळो थारी रास पुराणी भाभी म्हारा ओ
अब म्हे तो प्रभात जास्यां सासरॅ
हरिया-हरिया थे घास चरल्यो बैलां म्हारा ओ
पाणिड़ो पीवो नॅ थे गैण तळाव रो।
खेत से तेजाजी सीधे घर आये। तेजाजी नें कहा-माँ मेरी शादी कहाँ और किसके साथ हुई। तेजाजी की माँ को खरनाल और पनेर की दुश्मनी याद आ गई पर अब बताने को मजबूर होकर माँ बोली-

ब्याव होतां ही खाण्डा खड़कग्या बेटा बैर बढ़गो।
थारां बाप कै हाथा सूं छोरी को मामों मरगो।
थारो मामोसा परणाया पीळा-पोतड़ा।
गढ़ पनेर पड़ॅ ससुराल कँवर तेजा रॅ
रायमल जी री पेमल थारी गौरजां।
उस समय के रिवाज के अनुसार तेजाजी का विवाह उनके ताऊ बक्सारामजी ने तय किया। मामा ने शादी की मुहर लगाई। तेजाजी का विवाह रायमल की बेटी के साथ पीले पोतड़ों में होना बताया।
तेजाजी की भाभी ने कहा कि ससुराल जाने से पहले बहिन राजल को लाओ-

पहली थारी बैनड़ नॅ ल्यावो थे कंवर तेजा रॅ।
पाछै तो सिधारो थारॅ सासरॅ।।
उधर तेजा की बहिन राजल को भाई के आने के सगुन होने लगे वह अपनी ननद से बोली-

डांई-डांई आँख फरुखे नणदल बाई ये
डांवों तो बोल्यो है कंवलो कागलो
कॅ तो जामण जायो बीरो आसी बाई वो
कॅ तो बाबो सा आणॅ आवसी
बहिन के ससुराल में तेजाजी की खूब मनुहार हुई। रात्रि विश्राम के पश्चात सुबह तेजाजी बहिन के सास से बोले-

बाईसा नॅ पिहरिये भेजो नी सास बाईरा
मायड़ तो म्हानॅ लेबानॅ भेज्यो
चार दिना की मिजमानी घणा दिनासूं आया
राखी री पूनम नॅ पाछा भेजस्यां
सीख जल्दी घणी देवो सगी म्हारा वो
म्हानॅ तो तीज्यां पर जाणों सासरॅ
भाई-बहिन रवाना होकर अपने गांव खरनाल पहुंचते हैं। सभी को चूरमा व पतासे बांटे जाते हैं। तेजल आयो गांव में ले बैनड नॅ साथ

हरक बधायं बँट रही बड़े प्रेम के साथ !

तेजाजी अपनी मां से पनेर जाने की अनुमती मांगते हैं। वह मना करती है। तेजाजी के दृढ़ निश्चय के आगे मां की एक न चली। भाभी कहती है कि पंडित से शुभ मूहूर्त निकलवा कर ससुराल रवाना होना। पंडित शुभ मूहूर्त के लिये पतड़ा देख कर बताता है कि श्रावण व भादवा के महिने अशुभ हैं-

मूहूर्त पतड़ां मैं कोनी कुंवर तेजा रॅ
धोळी तो दिखॅ तेजा देवली
सावण भादवा थारॅ भार कंवर तेजा रॅ
पाछॅ तो जाज्यो सासरॅ
पंडित की बात तेजाजी ने नहीं मानी। तेजाजी बोले मुझे तीज से पहले पनेर जाना है। शेर को कहीं जाने के लिए मूहूर्त की जरुरत नहीं पड़ती-

गाड़ा भरद्यूं धान सूं रोकड़ रुपया भेंट
तीजां पहल्यां पूगणों नगरी​ पनेरा ठेठ
सिंह नहीं मोहरत समझॅ जब चाहे जठै जाय
तेजल नॅ बठै रुकणुं जद शहर पनेर आय
लीलण पर पलाण मांड सूरज उगने से पहले तेजाजी रवाना हुये। मां ने कलेजे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया-

माता बोली हिवड़ॅ पर हाथ रख
आशीष देवूं कुलदीपक म्हारारै
बेगा तो ल्याज्यो पेमल गोरड़ी
बरसात का मौसम था। रास्ते में कई नाले और बनास नदी पार की। रास्ते में बालू नाग मिला जिसे तेजाजी ने आग से बचाया। तेजाजी को नाग ने कहा-

"शूरा तूने मेरी जिन्दगी बेकार कर दी। मुझे आग में जलने से रोककर तुमने अनर्थ किया है। मैं तुझे डसूंगा तभी मुझे मोक्ष मिलेगा।"
कुंवर तेजाजी ने नाग से कहा-

"नागराज! मैं मेरे ससुराल जा रहा हूँ। मेरी पेमल लम्बे समय से मेरा इन्तजार कर रही है। मैं उसे लेकर आऊंगा और शीघ्र ही बाम्बी पर आऊंगा, मुझे डस लेना।"
कुंवर तेजाजी पत्नी को लेकर मरणासन्न अवस्था में भी वचन पूरा करने के लिये नागराज के पास आये। नागराज ने तेजाजी से पूछा कि ऐसी जगह बताओ जो घायल न हुई हो। तेजाजी की केवल जीभ ही बिना घायल के बची थी। नागराज ने तेजाजी को जीभ पर डस लिया।
नादान बालक की कलम से कोई ना कोई छंद या लाइन हमने कोपी कि है ओर कुछ मन से भी लिखा है वीर तेजा दी तो शेषनाग का अवतार भी माना जाता है इनके कही कही उल्लेख मिलते है आज जहाँ आगरा है वहाँ पहले जाटो का राज था ओर कहाँ जाता है कि वीर तेजाजी को नाम से ही वहाँ तेजामहालय शिवलिंग की स्थापना थी जो आज ताजमहल के नाम से जाना जाता है कोई सहमत नही हो तो इस लेख को नजर अंदाज करे वो ही अच्छा है ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🙏🏻🌹🙏🏻
आप सभी को वीर तेजा दशमी की बहुत बहुत हार्दिक शुभकामनाएँ ओर बधाई,,
आज तेजा दश्मी है वीर तेजाजी के बारे मे जितना लिखा जाये उतना कम है लेकिन जितना हमे जानकारी है या सुना है पता है वो ही लिख सकते है जिससे कोई सहमत हो या ना हो कोई बाध्य नही नही पसंद आये तो शेयर करे नही आये तो नजर अंदाज करे
तेजाजी राजस्थान, मध्यप्रदेश और गुजरात प्रान्तों में लोकदेवता के रूप में पूजे जाते हैं। किसान वर्ग अपनी खेती की खुशहाली के लिये तेजाजी को पूजता है। तेजाजी के वंशज मध्यभारत के खिलचीपुर से आकर मारवाड़ में बसे थे। नागवंश के धवलराव अर्थात धौलाराव के नाम पर धौल्या गौत्र शुरू हुआ। तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजा जी कि माँ थाकण जाट कि बेटी थी।
तेजाजी ने ग्यारवीं शदी में गायों की डाकुओं से रक्षा करने में अपने प्राण दांव पर लगा दिये थे। वे खड़नाल गाँव के निवासी थे। भादो शुक्ला दशमी को तेजाजी का पूजन होता है। तेजाजी का भारत के जाटों में ओर राजस्थान के प्रत्येक वर्ग ओर जातियो मे महत्वपूर्ण स्थान है। तेजाजी सत्यवादी और दिये हुये वचन पर अटल थे। उन्होंने अपने आत्म - बलिदान तथा सदाचारी जीवन से अमरत्व प्राप्त किया था। उन्होंने अपने धार्मिक विचारों से जनसाधारण को सद्मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया और जनसेवा के कारण निष्ठा अर्जित की। जात - पांत की बुराइयों पर रोक लगाई। शुद्रों को मंदिरों में प्रवेश दिलाया। पुरोहितों के आडंबरों का विरोध किया। तेजाजी के मंदिरों में निम्न वर्गों के लोग पुजारी का काम करते हैं। समाज सुधार का इतना पुराना कोई और उदाहरण नहीं है। उन्होंने जनसाधारण के हृदय में सनातन धर्म के प्रति लुप्त विश्वास को पुन: जागृत किया। इस प्रकार तेजाजी ने अपने सद्कार्यों एवं प्रवचनों से जन - साधारण में नवचेतना जागृत की, लोगों की जात - पांत में आस्था कम हो गई। कर्म,शक्ति,भक्ति व् वैराग्य का एक साथ समायोजन दुनियां में सिर्फ वीर तेजाजी के जीवन में ही देखने को मिलता हैं।

लोक देवता तेजाजी का जन्म तेजाजी का जन्म एक जाट घराने में हुआ जो धोलिया वंशी थे। नागौर जिले में खड़नाल गाँव में ताहरजी (थिरराज) और रामकुंवरी के घर माघ शुक्ला, चौदस संवत 1130 यथा 29 जनवरी 1074 में हुआ था। उनके पिता गाँव के मुखिया थे। यह कथा है कि तेजाजी का विवाह बचपन में ही पनेर गाँव में रायमल्जी की पुत्री पेमल के साथ हो गया था किन्तु शादी के कुछ ही समय बाद उनके पिता और पेमल के मामा में कहासुनी हो गयी और तलवार चल गई जिसमें पेमल के मामा की मौत हो गई। इस कारण उनके विवाह की बात को उन्हें बताया नहीं गया था। एक बार तेजाजी को उनकी भाभी ने तानों के रूप में यह बात उनसे कह दी तब तानो से त्रस्त होकर अपनी पत्नी पेमल को लेने के लिए घोड़ी 'लीलण' पर सवार होकर अपनी ससुराल पनेर गए। रास्ते में तेजाजी को एक साँप आग में जलता हुआ मिला तो उन्होंने उस साँप को बचा लिया किन्तु वह साँप जोड़े के बिछुड़ जाने कारण अत्यधिक क्रोधित हुआ और उन्हें डसने लगा तब उन्होंने साँप को लौटते समय डस लेने का वचन दिया और ससुराल की ओर आगे बढ़े। वहाँ किसी अज्ञानता के कारण ससुराल पक्ष से उनकी अवज्ञा हो गई। नाराज तेजाजी वहाँ से वापस लौटने लगे तब पेमल से उनकी प्रथम भेंट उसकी सहेली लाछा गूजरी के यहाँ हुई। उसी रात लाछा गूजरी की गाएं मेर के मीणा चुरा ले गए। लाछा की प्रार्थना पर वचनबद्ध हो कर तेजाजी ने मीणा लुटेरों से संघर्ष कर गाएं छुड़ाई। इस गौरक्षा युद्ध में तेजाजी अत्यधिक घायल हो गए। वापस आने पर वचन की पालना में साँप के बिल पर आए तथा पूरे शरीर पर घाव होने के कारण जीभ पर साँप से कटवाया। किशनगढ़ के पास सुरसरा में सर्पदंश से उनकी मृत्यु भाद्रपद शुक्ल 10 संवत 1160, तदनुसार 28 अगस्त 1103 हो गई तथा पेमल ने भी उनके साथ जान दे दी। उस साँप ने उनकी वचनबद्धता से प्रसन्न हो कर उन्हें वरदान दिया। इसी वरदान के कारण तेजाजी भी साँपों के देवता के रूप में पूज्य हुए। गाँव गाँव में तेजाजी के देवरे या थान में उनकी तलवारधारी अश्वारोही मूर्ति के साथ नाग देवता की मूर्ति भी होती है। इन देवरो में साँप के काटने पर जहर चूस कर निकाला जाता है तथा तेजाजी की तांत बाँधी जाती है। तेजाजी के निर्वाण दिवस भाद्रपद शुक्ल दशमी को प्रतिवर्ष तेजादशमी के रूप में मनाया जाता है। तेजाजी का जन्म धौलिया गौत्र के जाट परिवार में हुआ। धैालिया शासकों की वंशावली इस प्रकार है:- 1.महारावल 2.भौमसेन 3.पीलपंजर 4.सारंगदेव 5.शक्तिपाल 6.रायपाल 7.धवलपाल 8.नयनपाल 9.घर्षणपाल 10.तक्कपाल 11.मूलसेन 12.रतनसेन 13.शुण्डल 14.कुण्डल 15.पिप्पल 16.उदयराज 17.नरपाल 18.कामराज 19.बोहितराव 20.ताहड़देव 21.तेजाजी

तेजाजी के बुजुर्ग उदयराज ने खड़नाल पर कब्जा कर अपनी राजधानी बनाया। खड़नाल परगने में 24 गांव थे। तेजाजी का जन्म खड़नाल के धौल्या गौत्र के जाट कुलपति ताहड़देव के घर में चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ सहस्र एक सौ तीस को हुआ। तेजाजी के जन्म के बारे में मत है-

जाट वीर धौलिया वंश गांव खरनाल के मांय।
आज दिन सुभस भंसे बस्ती फूलां छाय।।
शुभ दिन चौदस वार गुरु, शुक्ल माघ पहचान।
सहस्र एक सौ तीस में प्रकटे अवतारी ज्ञान।।
जेठ के महिने के अंत में तेज बारिश होगई। तेजाजी की माँ कहती है जा बेटा हळसौतिया तुम्हारे हाथ से कर-

गाज्यौ-गाज्यौ जेठ'र आषाढ़ कँवर तेजा रॅ
लगतो ही गाज्यौ रॅ सावण-भादवो
सूतो-सूतो सुख भर नींद कँवर तेजा रॅ
थारोड़ा साथिड़ा बीजँ बाजरो।
सूर्योदय से पहले ही तेजाजी बैल, हल, बीजणा, पिराणी लेकर खेत जाते हैं और स्यावड़ माता का नाम लेकर बाजरा बीजना शुरू किया -

उठ्यो-उठ्यो पौर के तड़कॅ कुँवर तेजा रॅ
माथॅ तो बांध्यो हो धौळो पोतियो
हाथ लियो हळियो पिराणी कँवर तेजा रॅ
बॅल्यां तो समदायर घर सूं नीसर्यो
काँकड़ धरती जाय निवारी कुँवर तेजा रॅ
स्यावड़ नॅ मनावॅ बेटो जाटको।
भरी-भरी बीस हळायां कुँवर तेजा रॅ
धोळी रॅ दुपहरी हळियो ढाबियो
धोरां-धोरां जाय निवार्यो कुँवर तेजा रॅ
बारह रॅ कोसां री बा'ई आवड़ी।।
नियत समय के उपरांत तेजाजी की भाभी छाक (रोटियां) लेकरआई। तेजाजी बोले-

बैल्या भूखा रात का बिना कलेवे तेज।
भावज थासूं विनती कठै लगाई जेज।।
देवर तेजाजी के गुस्से को भावज झेल नहीं पाई और काम से भी पीड़ित थी, उसने चिढने के लहजे में कहा-

मण पिस्यो मण पोयो कँवर तेजा रॅ
मण को रान्यो खाटो खीचड़ो।
लीलण खातर दल्यो दाणों कँवर तेजा रॅ
साथै तो ल्याई भातो निरणी।
दौड़ी लारॅ की लारॅ आई कँवर तेजा रॅ
म्हारा गीगा न छोड़ आई झूलै रोवतो।
ऐहड़ा कांई भूख भूखा कँवर तेजा रॅ
थारी तो परण्योड़ी बैठी बाप कॅ
भाभी का जवाब तेजाजी के कले जे में चुभ गया। तेजाजी नें रास और पुराणी फैंकदी और ससुराल जाने की कसम खा बैठे-

ऐ सम्हाळो थारी रास पुराणी भाभी म्हारा ओ
अब म्हे तो प्रभात जास्यां सासरॅ
हरिया-हरिया थे घास चरल्यो बैलां म्हारा ओ
पाणिड़ो पीवो नॅ थे गैण तळाव रो।
खेत से तेजाजी सीधे घर आये। तेजाजी नें कहा-माँ मेरी शादी कहाँ और किसके साथ हुई। तेजाजी की माँ को खरनाल और पनेर की दुश्मनी याद आ गई पर अब बताने को मजबूर होकर माँ बोली-

ब्याव होतां ही खाण्डा खड़कग्या बेटा बैर बढ़गो।
थारां बाप कै हाथा सूं छोरी को मामों मरगो।
थारो मामोसा परणाया पीळा-पोतड़ा।
गढ़ पनेर पड़ॅ ससुराल कँवर तेजा रॅ
रायमल जी री पेमल थारी गौरजां।
उस समय के रिवाज के अनुसार तेजाजी का विवाह उनके ताऊ बक्सारामजी ने तय किया। मामा ने शादी की मुहर लगाई। तेजाजी का विवाह रायमल की बेटी के साथ पीले पोतड़ों में होना बताया।
तेजाजी की भाभी ने कहा कि ससुराल जाने से पहले बहिन राजल को लाओ-

पहली थारी बैनड़ नॅ ल्यावो थे कंवर तेजा रॅ।
पाछै तो सिधारो थारॅ सासरॅ।।
उधर तेजा की बहिन राजल को भाई के आने के सगुन होने लगे वह अपनी ननद से बोली-

डांई-डांई आँख फरुखे नणदल बाई ये
डांवों तो बोल्यो है कंवलो कागलो
कॅ तो जामण जायो बीरो आसी बाई वो
कॅ तो बाबो सा आणॅ आवसी
बहिन के ससुराल में तेजाजी की खूब मनुहार हुई। रात्रि विश्राम के पश्चात सुबह तेजाजी बहिन के सास से बोले-

बाईसा नॅ पिहरिये भेजो नी सास बाईरा
मायड़ तो म्हानॅ लेबानॅ भेज्यो
चार दिना की मिजमानी घणा दिनासूं आया
राखी री पूनम नॅ पाछा भेजस्यां
सीख जल्दी घणी देवो सगी म्हारा वो
म्हानॅ तो तीज्यां पर जाणों सासरॅ
भाई-बहिन रवाना होकर अपने गांव खरनाल पहुंचते हैं। सभी को चूरमा व पतासे बांटे जाते हैं। तेजल आयो गांव में ले बैनड नॅ साथ

हरक बधायं बँट रही बड़े प्रेम के साथ !

तेजाजी अपनी मां से पनेर जाने की अनुमती मांगते हैं। वह मना करती है। तेजाजी के दृढ़ निश्चय के आगे मां की एक न चली। भाभी कहती है कि पंडित से शुभ मूहूर्त निकलवा कर ससुराल रवाना होना। पंडित शुभ मूहूर्त के लिये पतड़ा देख कर बताता है कि श्रावण व भादवा के महिने अशुभ हैं-

मूहूर्त पतड़ां मैं कोनी कुंवर तेजा रॅ
धोळी तो दिखॅ तेजा देवली
सावण भादवा थारॅ भार कंवर तेजा रॅ
पाछॅ तो जाज्यो सासरॅ
पंडित की बात तेजाजी ने नहीं मानी। तेजाजी बोले मुझे तीज से पहले पनेर जाना है। शेर को कहीं जाने के लिए मूहूर्त की जरुरत नहीं पड़ती-

गाड़ा भरद्यूं धान सूं रोकड़ रुपया भेंट
तीजां पहल्यां पूगणों नगरी​ पनेरा ठेठ
सिंह नहीं मोहरत समझॅ जब चाहे जठै जाय
तेजल नॅ बठै रुकणुं जद शहर पनेर आय
लीलण पर पलाण मांड सूरज उगने से पहले तेजाजी रवाना हुये। मां ने कलेजे पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया-

माता बोली हिवड़ॅ पर हाथ रख
आशीष देवूं कुलदीपक म्हारारै
बेगा तो ल्याज्यो पेमल गोरड़ी
बरसात का मौसम था। रास्ते में कई नाले और बनास नदी पार की। रास्ते में बालू नाग मिला जिसे तेजाजी ने आग से बचाया। तेजाजी को नाग ने कहा-

"शूरा तूने मेरी जिन्दगी बेकार कर दी। मुझे आग में जलने से रोककर तुमने अनर्थ किया है। मैं तुझे डसूंगा तभी मुझे मोक्ष मिलेगा।"
कुंवर तेजाजी ने नाग से कहा-

"नागराज! मैं मेरे ससुराल जा रहा हूँ। मेरी पेमल लम्बे समय से मेरा इन्तजार कर रही है। मैं उसे लेकर आऊंगा और शीघ्र ही बाम्बी पर आऊंगा, मुझे डस लेना।"
कुंवर तेजाजी पत्नी को लेकर मरणासन्न अवस्था में भी वचन पूरा करने के लिये नागराज के पास आये। नागराज ने तेजाजी से पूछा कि ऐसी जगह बताओ जो घायल न हुई हो। तेजाजी की केवल जीभ ही बिना घायल के बची थी। नागराज ने तेजाजी को जीभ पर डस लिया।
नादान बालक की कलम से कोई ना कोई छंद या लाइन हमने कोपी कि है ओर कुछ मन से भी लिखा है वीर तेजा दी तो शेषनाग का अवतार भी माना जाता है इनके कही कही उल्लेख मिलते है आज जहाँ आगरा है वहाँ पहले जाटो का राज था ओर कहाँ जाता है कि वीर तेजाजी को नाम से ही वहाँ तेजामहालय शिवलिंग की स्थापना थी जो आज ताजमहल के नाम से जाना जाता है कोई सहमत नही हो तो इस लेख को नजर अंदाज करे वो ही अच्छा है ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🙏🏻🌹🙏🏻

Monday, September 3, 2018

भगवान श्री कृष्ण जी के अवतरण दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं




आप सभी को भगवान श्री हरि विष्णु के प्रभु श्री कृष्ण जी के अवतरण दिवस की बहुत बहुत शुभकामनाएं ओर हार्दिक बधाई,,
बाकी नाम अनेक रूप अनेक हरि अनन्त हरि कथा अनन्त,,,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻

Wednesday, July 4, 2018

जिंदगी का असली सच

महापुरुष वो जो दीवार पर टगे रहते है ।
महात्मा वो जो नोटो पर बने रहते है ।।
संत वो तो सत्संग करे, ग्यानी वो जो ग्यान दे।
ॠषि मुनि वो जो जंगलो मे रहे ओर ।।
सभी को प्रकाश वान करे ओर ग्यान प्रदान करे,।
तपस्वी वो जो तप करे,भक्त वो जो भक्ति करे।।
संत वो जो सबके लिये प्रार्थना करे ।
फकीर वो जो सबको दुआ दे ओर खैर मांगे, ।।
इंसान वो जिसके मन मे दया ओर करणा हो,।
मन वो जो भटकता फिरे ध्यान वो जो मन को ,।
भटकने से रोके साधक वो जो साधना करे,।।
नादान वो जो गलतियां करे जैसे हम, ।
समझदार वो जो बैसिरे पैर की बाते करे ।।
जैसे इस देश के नेता जो ख्वाब के अलावा कुछ ना बताते, ।
हम कोई समझदार नही है जो सभी को, ।।
यहाँ नसीहत या राय दे रहे है हम वो, ।
गलतियो का पुतला है जो बार बार गलती, ।।
करके जाना है की संसार क्या है ओर ,।
कौन अपना है ओर कौन पराया है इसलिए, ।।
ऐ मेरे नादान दोस्त पुखराज आज तक मन को, ।
कौन समझा है ओर मन की माया से कोन हटा है,।।
इसलिए समझदारी इसी मे है की मौन साधो, ।
क्योकि मौन एक साधना है मौन भी कभी कभी,।।
तपस्या भक्ति ग्यान साधना से भी ऊंची हो जाती है,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🌹🙏🏻🙏🏻🙏🏻🌹

आप इन्टरनेट से क्य जूडे हुये हो

क्या आपको पता है कि आप वाटसअप फेसबुक या कोई अन्य सोशल साईट क्यू यूज कर रहे है
क्या आपके पास इतना समय है कि आप इनको समझ सके है या आप इनका सही उपयोग कर रहे हो आप रोज फोटो भेजते हो भगवान या सुविचार या कुछ लिखते हो क्या उनका सही उपयोग हो रहा है या आप अपना समय व्यर्थ कर रहे हो या कुछ ऐसा भेज कर अगले आदमी को सजा दे रहे हो ।
वैसे भी कुछ अकलमंदो को अभी भी समझदारी नही आयी की क्या शेयर करना चाहिए बस आया ओर फोरवड कर दिया बिना सोचे समझे की यह गलत है या सही बस आगे भेजना ही उनका काम रह गया की क्योकि उस पोस्ट मे आगे से कुछ ऐसा लिखा होता है जो आदमी को मजबूर करता है की आगे भेजे दे सबसे पहले तो ऐसे बंदो को ब्लाक किजिये जो कसम वाले या अपने माता पिता की कसम देकर आपको पोस्ट करने पर मजबूर करते है ऐसे बंदे बिना सोचे समझे कुछ भी कह सकते है यही बंन्दे आप से ज्यादा समझदार होते है इसलिए इनकी समझदारी की जरूरत हमे नही है ।
ओर जो भगवान के फोटो भेजते है सुबह सुबह रोज उन पर कुछ ना कुछ लिखकर क्या वो फोटो कोई सेव करता है नही वो सारे रिमुव होते है तो वो ना भेजने वाले के काम के है ना पाने वाले के काम के जो ग्रुप जिस ऊदेश्य के लिये बना हो वो उसी उदेश्य के लिय रहे तो अच्छा है बाकी आप सभी समझदार है भेजते रहये ओर भजते रहये आगे जैसी आपकी समझदारी ओर आपका मोबाइल ओर आप का फ्री डाटा जो इच्छा हो भेजते रहये क्या फर्क पडता है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, इसलिए फ्री का डाटा मिला है यह मत सोचिये ओर उसका सही इस्तेमाल किजिये अच्छा है बाकी हमारी ओर आपके अपनो की नजर मे कही आप ज्यादा समझदारी के दायरो मे ना आये तो अच्छा है बाकी जैसी प्रभु इच्छा ।
समय का सदुपयोग किजिये ।।
मन के विचार स्वयंम लिखकर अद्रान प्रदान किजिये उन पर चर्चा किजिये वो अच्छा है ।।
जो भी लिखे सोच समझकर लिखे ताकि कभी आपको अपने किसी शब्द या विचार के लिए शर्मिंदा ना होना पडे शब्दो का चयन हमेशा सोच समझकर करे यही हम सभी के लिए अच्छा है बाकी जैसी आपकी सोच ओर आपका विवेक ।।

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश।।
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आप क्या दे सकते है उनको जो आप से नफरत करते है

माँ बाबा हमेशा सलामत रखे उनको ,जो हमसे नफरत करते है प्यार ना सही,नफरत ही सही कुछ तो है जो वो सिर्फ हमसे करते है , गलती उनकी नही है जिसने हमे धोखा दिया, गलती तो हमारी है कि हमने उनको मौका दिया, यही सत्य है दोस्तो ,डर विश्वास के विपरीत है दोस्तो, जब हम डरते है तो हम माँ बाबा यानि भगवान को यह संदेश देते है, कि हम उस पर विश्वास नही करते, डर कर पुजते है उनको, दोस्तो समय सभी को दो, पर मौका किसी को मत दो की कोई आपके साथ , दगा कर जाये इंसानो मे वो इंसानियत रही कहाँ, जो आप उन पर विश्वास कर लो तोडते है विश्वास, आपका वो ही जिस पर आप ज्यादा भरोसा कर लेते है, नमक खाकर भी नमक हरामी कर लेते है जिनमे, चंद जयचंदो का खुन का असर बाकी है इसलिए, विश्वास ओर भरोसा ईश्वर का करो वो ही तुम्हारा सच्चा दोस्त ओर हितैषी है डर कर नही मन को जीतकर उसको हासिल करो बाकी मरने मारने से कोई समस्या का हल नही बस किसी को दुबारा मोका मत दो बाकी आगे जैसी आपकी मर्जी ओर माँ बाबा की इच्छा आज बस इतना ही नादान बालक की कलम से बाकी फिर कभी,कोई जरूरी नही कि आप हमसे सहमत हो या हम आपसे सहमत हो बाकी सब शब्दो का मायाजाल है यू ही चलता रहेगा दुनिया का मलिक आपको हजारौ लाखो मोके दे सकता है अगर आप उससे अपनी कमजोरी बताते हे तो, पर यहाँ दुनिया मे किसी को अपनी कमजोरी मत बताओ की उनको मौका मिल जाये आपके विश्वास को तोडने का इसलिए सदा अपने गुरू ओर इष्ट की वाणी सुनये ओर मस्त रहये बाकी माँ बाबा सबका भला करे ।।

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
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Saturday, June 2, 2018

आपका विश्वास ही आपकी जीत है

बिन बूलाये कोई कही नही जाता ओर बिना आदेश कोई कार्य नही होता चाहे कितना ही जोर लगा दो जब आपका जन्म समय आने पर हुआ है तो मरना भी उसी दिन तय हो जाता है तो फिर कोन किसके यहाँ बिन बूलाये जाता है कोई नही जिसको मिलाना हो है वो ही मिलाता है जो मिलकर भी अपना नही होता वो किसी एक का होकर नही रह सकता किससे शिकायत करे जब वो स्वयंम यही चाहता है कि आप उनसे दुर रहो जो कभी किसी के संगे ना हुये बस आप भी उसकी कृपा समझ कर खुशी खुशी अलग हो जाईये क्योकि विधी का विधान यही है बाकी जो मिले उससे दिल खोलकर मिले चाहे अगले का नज़रिया आपके प्रति गलत हो पर दोस्ती रिश्तेदारी मे प्यार हो विश्वास हो बस दगाबाजी ना हो आप स्वयंम कभी तय नही कर पाते कि जिंदगी के अगले मोड पर क्या होगा कोन किससे मिलेगा पर माँ बाबा को सब पता होता है अगर उन पर आपको विश्वास है तो सब अच्छा होगा ओर उसने आपके लिए भी अच्छा ही सौचा होगा यही सत्य है बाकी जितने मुंह उतनी बाते जहाँ विश्वास ना हो वहाँ से किनारा कर लेना सर्वशेष्ठ है आगे जैसा माँ बाबा की इच्छा ओर आपकी सोच ओर विवेक,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,दोस्तो ये हमारे विचार है कोई इनसे सहमत हो या ना हो हमे कोई फर्क नही पडता पर आप किसी को सही मार्ग दिखा सको यही आपके लिये अच्छा होगा आप किसी रिश्ते को निभा सको तो बहुत अच्छी बात है वो रिश्ता कोई भी हो सकता है जैसे भक्त ओर भगवान का, साधक ओर साधना, अध्यातमिक हो सांसारिक, पति पत्नी का, यारी, दोस्ती का, परिवारिक रिश्तेदारियो का, मायका या ससुराल का मतलब निभा सको तो निभा लो बाकी किनारा कर लो वो ही सर्वशेष्ठ है झुठी मोहब्बत या प्यार दिखाने की जरूरत नही यही सत्य है दोस्तो कोई दुखी आपके पास आता है तो वो आपकी नही माँ बाबा की इच्छा होती है तो उसका मार्गदर्शन करना आपका धर्म है यही शाश्वत सत्य है आगे जैसी आपकी ओर माँ बाबा की मर्जी ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
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Friday, May 25, 2018

बचये ऐसे फर्जी ज्योतिष सम्मेलन चाहे वो राष्ट्रीये हो या अंतरराष्ट्रिय

आजकल एक सीजनल बिजनेस चल निकला है आध्यात्मिक को बदनाम करने का या स्वंयम के नाम चमकाने का दुकान मे कुछ समान नही गुरू का पता नही गुरू गादी का पता नही पर सम्मेलन करवाते है जिनको ज्योतिष आती नही पर वो ज्योतिष बन जाते है ऐसे सम्मेलनों है ना गजब पर कही एक ज्योतिष गुरू कुल या गुरू कृपा से ज्योतिषी या पण्डिताई सीख रहा है तब तो वो सचमुच मुर्ख है ऐसे सम्मेलनों के प्रमाण पत्र प्राप्त कर के कई ज्योतिष ओर तांत्रिक इस हिन्दू सनातन धर्म जिसको आजकल की आम भाषा मे केवल हिन्दू धर्म ही कहाँ जाये तो अच्छा है पर क्या ऐसे सम्मेलनों की आवश्यकता है नही है अगर सक्षम गुरू है तो ऐसे सम्मेलनों की क्या जरूरत पड गयी वो भी चंद पैसो के लिये 😝 आप पावरफुल है तो इतना पैसा तो आप वैसे ही कमा लोगे क्या जरूरत पड गयी सबको बुलाने की ओर फला फला करके फीस लेने की कभी दो शब्द तो आपको कोई कोल करता है उसको बता नही सकते ओर बात आप अंतरराष्ट्रिय स्तर की करते है धन्य है आप ओर धन्य है आपकी  टीम कभी फ्री मे भी कैम्प लगाकर देखये कितने जिग्यासू ओर कितने दुखी आते है सबको जादुगर बनाने की बजाये लोगो की सुन लिजिये बकायदा जो फीस लेनी है खुलेआम लिजिये पर लोगो का काम करये लोगो को मुर्ख बनाने ओर मुर्ख बनाने की मशीन मत बनाई अगर आप सक्ष्म है तो करये उनका दर्द दुर ओर रास्ता दिखाये बाकी फालूत मे अपना प्रचार बंद किजिये ओर ज्योतिष ,तंत्र को बदनाम मत किजिये अगर सही मे आप गुरू मुखी है तो हिन्दू सनातन का मान रखये लोगो को वापस सनातन की ओर मोडये अच्छा रहेगा बाकी आप सभी समझदार है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी सनातन धर्म की नींव को मजबूत करये मजबूर नही जो आस्था टूट गयी है उसको वापस जोडये दान दक्षिणा तक ठीक है पर कुछ पैसो मे अधूरे ज्योतिष ओर तांत्रिक बनाना बंद किजिये आध्यात्मिक को बदनाम मत किजिये हम तो यही कह सकते है मानना ना मानना आपकी मर्जी है बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा जो होना है होगा बाकी बकरे कई है तो कसाई कई घुम रहे है बकरे कटने को तैयार कसाई काटने को तैयार जय हो संत की पैड समोराह की जय जयकार हो ।।

हमारे शब्दो से किसी को ठेस पहुची हो तो क्षमा चाहाते है बाकी कोई भी बात करनी हो तो हमारा इनबाँक्स सर्वदा तैयार है ।।
*एक बात कहना चाहाते है यहाँ पर भगवान भोग से नही भाव से प्रसन्न है इसलिए भगवान को प्रसन्न  किजिये भगवान से जूडये जो सही राह दिखाये उससे जूडये अपना नाता ऊपर वाले के साथ रखये वो ही सर्वशेष्ठ है बाकी आप समझदार ,कोई मारण या वशीकरण करने से तांत्रिक नही बन सकता इसलिए उस भगवान से जूड जाइये कभी आपको तकलीफ नही आयेगी उसकी बनायी हुयी दुनिया से प्यार किजिये कोई आपके सामने भूखा प्यासा ना सोये यह ध्यान रखे बस,,*

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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क्या दिया है फिल्मी दुनिया ने हमे,

आज भी सभ्य औरतो की पहचान साडी ही है बाकी नजरो का क्या है नजर बदलो नाजरे बदल जायेगे पर साडी ओढनी ही ओरत का गहना है मानो तो नही मानो तो आंचल की छाँव आने वाले समय मे देखने को नही मिलेगी, जीन्स पेन्ट का चलन बहुत पहले कैदियों का हुआ करता था पर आजकल सभी का है कैदी तो इस से निजात पा गये है
पर सभ्य समाज इसकी चपेट मे आ गया है इसलिए माँ बनो माँडल नही बाकी आप आजाद देश के नागरिक है जैसा चाहे घुम फिर सकते है कोई मनाही नही पर हर धर्म ये कहता है कि सर पर पल्लू होना जरूरी है चाहे प्रार्थना करो या दुआ या सजदा करो सर पर पल्लू होना जरूरी है जैसे मर्दो के सर पर पगडी, टोपी ओर भी कुछ पर सर का ढकना जरूरी है यही सत्य है बाकी माँ बनो ,पत्नी बनो ,बहन बनो, बेटी बनो, पर हिटलर ना बनो, जहाँ पहले आदिवासी रहते थे जहाँ नंगे घुमते थे वहाँ बलात्कार नही होता था वहाँ बलात्कारी नही थे पर आज के सभ्य समाज मे बहन बेटियाँ घर मे सुरक्षित नही तो बाहर कैसे सुरक्षित रहेगी माँ बहन बेटी सभी के होती है तो सभी को माँ बहन बेटी मानने मे कहाँ तकलीफ है कभी एक बहन बेटी को अपनी माँ की नजर से देखो सारे पर्द हट जायेगे पर ये भारतवर्ष है जहाँ हमेशा नारी को सम्मान की दृष्टि से देखा जाता है यही सही है ओर था पर आजकल की फिल्मी दुनिया या टीवी पर नये नये नाटक ओर क्राइम सीन दिखा दिखा कर युवाओ को उकसाया जाता है चाहे वो नर हो या नारी ,नब्बे प्रतिशत टीवी विडियो मोबाइल फिल्मो से हिंसा की प्रेरणा लेते है पहले संयुक्त परिवार हुआ करते थे फिल्मे देख देख कर एकल परिवार हुये बाद वृद्धाश्रम बने यह सब एकल परिवारो की देने है कोई नही सोचते इन बारे मे की इन सभी की जिम्मेदार कोई ना कोई बेटी होगी हर माँ बाबा अपने दामाद बेटी के अलग घर से खुश होते है पर अपने बेटे के अलग घर से खुश नही होते क्यू भाई जब तुम्हारी बेटी अलग घर मे रहने का अधिकार है तो तुम्हारी बहु को क्यू नही सब पर एक ही नियम लागू क्यू नही होता ये समझ के बाहर है इसलिए दोस्तो सुयक्त परिवार से सुरक्षा प्रदान होती है कपडे से ज्यादा अपने धर्म ओर अपने संस्कारो को अपनाये तो अच्छा है बाकी हमने कहाँ आपने सुना बस ओर कुछ नही बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी दोस्तो जरा मनन किजिये अच्छा लगे तो शेयर करे नही लगे तो नजर अंदाज करे, बाकी घरवाली बाहर वाली भी यह सब टीवी ओर फिल्मो की ही चमत्कार ओर देने है दोस्तो घरवाली ही आपकी लक्ष्मी है यही सत्य है बाहर वाली हमेशा आपके लिए पनोती ओर बदनामी ही लेकर आयेगी यही सत्य है बाकी कहना हमारी आदत है मानना ना मानना आपकी परम्परा  बाकी नारी किसी भी रूप मे हो सम्मान योग्य है आगे जैसी आपकी इच्छा ओर मर्जी ।।
अच्छा लगे शेयर करे बूरा लगे नजरअंदाज करे,,, ।।

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻

Wednesday, May 9, 2018

जब लगे कानून का शिकंजा तो करे यह उपाय

आज यहाँ एक उपाय देते है जो शायद हमने 2013 मे या 2014 मे दिया था उसी उपाय को यहाँ दे रहे है हो सकता है आपके पास पहले आ चूका हो लेकिन ध्यान रहे कोई भी उपाय हो गुरू ओर इष्ट क्रिया पर ही कार्य करता है या उपाय देने वाले के आदेश पर बाकी उपाय विफल भी होते है यह भी सत्य है आजकल की भाग दौड भरी जिंदगी मे कोर्ट केस या पुलिस से सामना हौना आम बात है ये उपाय उतना ही कारागार होगा जितना आपको हम पर विश्वास है ओर हमे अपने गुरूदेव एक इष्टदेव पर है ,उपाय आपको लगता है कि आप कानून के शिकंजे में फंसने या फंसते जा रहे है तो आप किसी भी बुधवार शाम को किसी भी पुलिस स्टेशन के बॉउंड्री के अंंदर का जल लेकर हाथ पैर धो ले और एक गिलाश पानी भी पी ले ,यदि आप किसी मुकदमे में या पुराने कोर्ट केस फंसे हो तो कोर्ट के बॉउंड्री के अंदर का पानी पिए और हाथ पैर को भी धो ले साथ ही एक लोहे कि गोली को लाल रंग से रंग कर अपने पास सदैव रखे पुलिस आप को नहीं परेशान करेगी ओर ये क्रिया करने के बाद आपको कोर्ट केसो मे भी रिलीफ मिल जायेगी पर बुधवार को ये क्रिया करने से पहले बाबा लाल लंगोटी वाले के मंदिर जाकर इसमे से किसी काम के लिए बोलकर एक नारियल अर्पित करे ओर रोज एक रोटी अवारा कुते को खिलाये इन सभी क्रिया से आपका सारे कार्य भी होगे ओर आपको सभी से छुटकारा भी मिलेगा यही सत्य है नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, बाकी हम आजकल उपाय या मंत्र यहाँ इसलिए पोस्ट नही करते की 2015 बाद वाटसअप पर बाबाओ का तूफान सा आया हुआ है कल तक इसी पोस्ट के साथ भी छेडछाड होगी कई जन अपने नाम से पोस्ट करेगे पर ध्यान रहे क्रिया देने से पहले उसको भुगतान करने को भी तैयार रहे ऊपर हमने पहले ही लिखा है कि कोई भी क्रिया गुरू ओर इष्ट द्वारा ही संचालित होती है बाकी आगे जैसी आपकी मर्जी ओर अच्छी लगे तो मुल स्वरूप को ही शेयर करे बाकी आगे जैसी माँ बाबा की कृपा इच्छा,, ।।

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,,।।
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Friday, April 20, 2018

माँ सिद्ध विधा स्तुति

है माँ अब तेरी माया तू ही जाने है, दया मैया पिताम्बरा अब तो,तू ही तू,
है मैया राजराजेश्वरी, त्रिपुरा सुंदरी ललिताम्बके बस तू ही तू बस तू ही तू,
है माँ काली,कंकाली महाकाली भद्रकाली बस,तू ही तू तेरा भेद रहा गुप्त हो या गुह्वा,
जिसको कोई समझ ना पाया चाहे,हो दुर्गा चाहे हो काली कल्याणी,
माँ बस तेरी शक्ति ओर लीला अपरम्पार चाहे, हो,कमला,मातंगी,श्यामंं,तारा या हो,भैरवी, कमला,छिन्नमस्ता,
अरू ओ,धुमावती मैया या हो भुवनेश्वरी मैया,जो भी करे तूम सब मे भेद वो नही,समझ पाये कभी सिद्ध विधा भेट,
ना बीज जपे ना मंत्र जपे फिर भी हो,कृपा तुम्हारी माते कहे नादान बालक,
आपका की जीवन भर दिया है आसरा,आगे भी बनी रहे कृपा तेरी माँ बाबा के रूप मे,
जो गया है वो भी वापस आया है तेरी कृपा से,नादान बालक की बस एक ही कामना ओर, प्रार्थना है,
आये जो तेरे द्वारा खाली ना जाये,ओर जो आये तेर इस दर पर वो भूखा,कभी ना जाये ओर हमारे उसके घर जाने पहले ,
ओ मैया आपको है वहाँ पहुचना खुशी आये हमारे जाने से पहले यही है कामना सर्वदा करे नादान बालक,
आपसे यही कामना है पिताम्बरी सदा दया दृष्टि बनाये रखना है मैया चाहे हो श्री कुल या हो काली कुल या हो,
सहस्त्र दुर्गा तेरी ही छाया तेरे ही रुप है आदिशक्ति जगदजननी जगदंबा सर्वदा तेरी जय हो,
अपने चरणो से दुर ना करना कभी ये जन्म हो या हो कोई ओर जन्म जब आँखे खुले तेरा ही चेहरा ओर चरण नजर आये,
सर्वदा जय हो आदिशक्ति माँ जगत जननी जगदंबा की ,

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻

Tuesday, April 17, 2018

अपने आपको बदलो दुसरो को बदलने की जरूरत नही है

दोस्तो आज एक बात यहाँ कहना चाहाते है आप सभी आजाद देश के नागरिक है आप सभी को कुछ भी कहने का अधिकार है वो बात अलग है कि हिन्दुस्तान मे हिन्दू ही बेगाना हुआ पडा है यहाँ कोन किसको समझा सकता है ,

दोस्तो किसी को समझना या किसी बात पर जोर देने पर भाई ही भाई पर भडक जाता है क्यू पता नही क्या यही आपका सनातन हिन्दू धर्म है कोई हिन्दू भाई देवी देवता को गाली गलोच करता है तो कोई तस्वीरो पर गंदी मानसिकता दिखाता है कोई मूर्ति पुजा का विरोध तो कोई दुध अभिषेक का विरोध तो कोई शृंगार का विरोधी,, भाई लोगो ये कोई बाहर के नही ये अपने ही भाई है हाँ जी ये वो हिन्दू है जो चश्मा लगाये हुये किसी को आप समझाते है वो समझ नही पाते क्यू क्योंकि तुम्हारे शब्द उसकी समझ से बाहर होते है आप अपने आचरण ओर शब्दो को समझ ले उतना ही काफी है क्योंकि किसी को समझाने की बजाय आप अपने शब्दो मे लोगो को वो दिजिये जिससे वो समझ सके वरना आपको सफाई या सुलह करने की कोई जरूरत नही है यही सत्य है क्योंकि आदमी शब्दो को नही समझा सकता शब्द ओर आचरण का ही महत्व है चाहे भौतिक हो या आध्यात्मिक बार बार किसी को समझाना या समझने से अच्छा है स्वयंम समझ लो वो ही आपके लिए अति सुंदर होगा क्योंकि दुसरो को बदलने से अच्छा है स्वयंम बदल लिजिये किसी को आगे करने की बजाये स्वयंम आगे हो जाये धर्म युद्ध हो या जीवन युद्ध किसी को तो आगे बढना ही है, अगर भगवान श्री वासुदेव श्री कृष्ण स्वयम चाहाते तो महाभारत के युद्ध को एक क्षण मे खत्म कर सकते थे पर उन्होने धनुर्धर अर्जुन को ओर पाण्डंवो को आगे किया ओर अन्याय के खिलाफ धर्म को जीत दिलावाई इसलिए वो भगवान तुम्हें प्रेरणा ओर रास्ता बता सकते है जीवन, धर्म युद्ध तो आपको ही लडना पडेगा ही यही सत्य है ओर आप सच्चे है तो किसी को बहस या सफाई देने की जरूरत नही बस आपको अपना रास्ता बदलने की जरूरत है आप अपना रास्ता बदल लो, वो ही आपके लिए ठीक रहेगा ,,इसलिए आपको अपना आचरण ओर व्यवहार किसी के लिए बदलने की जरूरत नही ना ही किसी को समझाने की आप हो क्या ओर आप करना क्या चाहते है ओर आपका उदेश्ये क्या है ओर आपके साथ कोन सी ईश्वरीय शक्ति है किसी को जताने की या जगाने की आवश्यकता नही है जब उसकी आत्मा या उसको सच्चाई ग्यान हो जायेगा तो वो समझ ही जायेगा इसलिए कि समझने की जरूरत स्वयंम को है किसी के समझने या किसी के समझाने से आप पर कोई असर हो या ना हो पर स्वयंम को बदल लो किसी ओर को बदलने की जरूरत नही अपनी इच्छाओ ओर अपनी कामना के लिए आप अपने कर्मा का विस्तार किजिये अपने माता पिता गुरू ओर इष्ट के बताये राह पर चलये यही सत्य है बाकी सच्चाई का कभी सामना करना है कि आप हो क्या तो श्मशान चले जाना वहाँ किसी लाश या चिता को जलते हुये देख लेना आपको भान हो जायेगा की वहाँ आपके शरीर की क्या दुर्दशा होगी इसलिए जो करना है जीवन काल मे कर लिजिये ,एक पल का भरोसा है नही ओर बात सौ साल की होती है कल क्या होगा किसी को पता नही पर आप अपने आज को सुधार लो सामने वाला स्वयंम सुघर जायेगा यही सत्य है बाकी आना जाना रूकना तो चलता ही रहेगा, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा, अपने आपको बदल लो दुनिया को बदलने की जरूरत नही है यही सत्य है यहाँ भेड चाल का बोल बाला है ना कि किसी पर  विश्वास करने का यहाँ गुरू सब बनना चाहते है शिष्य कोई नही बनना चाहता़, बडा सब बनना चाहता है पर सीखना कोई नही चाहाता, यहाँ सभी किसी ना किसी को नीचा दिखाना चाहाते है पर आगे बढाना कोई नही चाहता ,पर हम कोई ग्सानी ध्यानी या संत महात्मा नही है, हो सकता है *निकट भविष्य मे हम अपना मोबाइल बंद कर दे क्योंकि हम अपने आपको बदलना चाहते है* किसी ओर को नही हम अपने हिसाब से जीना चाहाते है किसी को सफाई देने की हमे जरुरत नही है जो आज किसी को नीचा दिखाकर या दुखः देकर ऊपर जा रहे है उनका भी अच्छा वक्त आयेगा ये ध्यान रहे ये ओघंड वाणी है जो सर्वदा उल्टी बहती है बाकी माँ बाबा जाने ओर उनका काम जाने हमे क्या करना है या नही करना है किसी से जानने की आवश्यकता नही है छोटी से जिंदगी है ना स्वर्ग की मोह है ना मोक्ष की आशा ना सौ साल जीने की तमन्ना बस किसी को सही राह दिखा सके वो ही हमारे लिये काफी होगा बाकी आप सभी विद्धवान है समझदार है संत है संन्यासी है ग्यानी है विद्वान है बाकी हम तो नादान बालक है,,
रुप ओर शरीर का महत्व नही है महत्वपूर्ण है आचरण ओर सत्यता जो आपके पास होनी चाहिए सच का साथ देना आपका धर्म है ओर कर्तव्य भी किसी चापलूस से डरने की जरुरत नही है कोई कडवा बोलता है तो इसका ये मतलब कभी नही होगा की वो आपका दुश्मन है, नही वो आपका हितैषी भी हो सकता है कोई मीठा बोलने या चापलूसी करने वाला आपका साथी होगा वो अपना स्वार्थ ही सिद्ध करेगा यही सत्य है अब समझना है तो स्वयंम समझ लो बाकी भगवान समझाने नही आयेगा आपको यहाँ यही सत्य  है,,,
आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,,,,,ं

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
🙏🏻🌹🌹🌹🙏🏻

Wednesday, April 11, 2018

बीज मंत्र ओर गुरू रहस्य भाग 2

जैसी की सभी पुजा मे बीज मंत्रो का कही ना कही संपुट लगता ही लगता है तो क्या उनका दोष जाने बिना जाप किया जा सकता है केवल दोष मुक्त उनको बाकी गुरू आदेश सर्वोपरि होता है जहाँ गुरू आदेश लगता है वहाँ गुरू क्रिया कार्य करती है यही सत्य है ।।बीज मंत्रो के बारे मे जितना हो सके कल लिखते है

जिस तरह हर उपासना, साधना,भक्ति, मे भेद होते है चाहे वो वैदिक हो बोधिक या बीजमंत्रोक्ति ,या तंत्रोक्ति उसी तरह हर बीज मंत्र को आवश्यकता अनुसार जपा जा सकता है
जैसे अपने गुरू को पकड कर उसमे श्रद्धा व्याप्त करना यानि यही अपना सर्वोसर्वा है तो वो आपको बिना जप तप किये आपको सब कुछ दे सकता है यह भी परमात्मा का एक ही रूप है वो बोले जो आपके लिये बह्मवाक्य बन जाये तो वो ही आपके लिए महाबीज मंत्र है यही सत्य है जैसे सर्य ,गुरू ,या भगवान के किसी भी अवतारी पुरष हो या उनका ही रूप मे मानना वो ही एक प्रकार से श्रद्धा या आस्था का भाव हो तो वो भी उनके लिए भगवान से मिलने का एक जरिया है

जिस तरह हम सभी धरो मे तस्वीर या मंदिरो मे मुर्तियो को पुजा करते है या उनके सामने साधना या मंत्र जप हवन इत्यादि करते है तो क्या वो हमारी पुजा जप तप ग्रहण करते है क्या है ।।
कभी सोचा है कि वो मूर्तियाँ या ये तस्वीरे है क्या, क्या इनके भगवान है जी नही भगवान आपकी आस्था ओर श्रद्धा से ही उनमे पाण प्रतिष्ठा होती है फिर यही आपका विश्वास ही उनमे उनका प्रतिरूप लाने मे कामयाब होता है  वो ही आपको फिर ईश्वर से मिलाने मे या साक्षात्कार करवाने मे कामयाब रहती है यही सत्य है बाकी भेजो पुजो कुछ भी करो कुछ नही होने वाला
गुरू अवमानना ही आध्यात्मिक का सबसे बडा रोडा या बाधा है पर गुरू की निंदा महा दोष है मंत्रो मे हेर फेर महादोषी बाकी जैसी जिसकी सोच ओर भाग्य ।।
ओर माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा
गुरू के बिना कोई साधना या सिद्धि नही हो सकती गुरू वो जीवआत्मा है जो आपको परमात्मा से मिलवाती है इसलिए गुरू किसी का भी हो या गुरू कोई भी आदर अनादर आपके ऊपर है निन्दा या कटु वचन वो सब आपके ऊपर है किसी का भी गुरू हो वो गुरू तूल्य होता है ईश्वर से मिलने का एक मात्र माध्यम ही गुरू है वो अपने श्री वाणी से ही आपको कुछ दे उस पर शंका या सवाल ना हो यही सत्य है बाकी जिसको शंका ओर सवाल हो वो ही रूक सकते है गुरू जो क्रिया या मंत्र देता है तो पुणे विश्वास ओर आस्था के साथ करये निश्चित रूप से उसका फल जरूर मिलेगा बाकी आध्यात्मिक ओर भौतिक जीवन की सबसे बडी दुश्मन है पर नारी ये आपको किसी भी शेत्र मे सफलता हासिल नही करने देगी घर की नारी देवी स्वरूपा ओर शक्ति पूरा होती है इसलिए उनसे दोनो जगह आपको सफलता ओर साधना निश्चित रूप से मिलेगी बाकी जो संन्यासी है उनके लिये तो गति गुरू ही प्रदान करते है यह भी सत्य है गुरू क्रिया ओर मंत्र देता है उनको गति शिष्य को देनी होती है
किसी भी जगह सूक्ष्म, स्थूल, प्रतिमा, या निरांकार को पुजा जाता है पुणे भक्ति भाव से तो वहाँ आस्था ओर श्रद्धा आपको आगे ले जाती है ,मान हो पर अभिमान ना हो ,गर्व हो पर घमण्ड ना हो, गुरू हो पर गरूर ना हो यही आध्यात्मिक की पहली सीडी है ।।
ओर साधना तप पुजा हो पर सत तत्व की अपने कर्म ओर कार्य की पुजा करे उतना ही अच्छा है पर पुणे मनोयोग से ।।

शरीर के साथ रिश्ते बदलते है पर परमात्मा नही बदलता इसलिए जूडना है तो उससे जूडो ताकि हर जन्म मे वो आपके साथ रहे यही आपका सततत्व या राह होनी चाहिए जो हमारे गुरूदेव के अनुसार है वो कहते है हम जो करे अगर अच्छा लगे तो वो तू ग्रहण कर ,नही लगे तो नजर अंदाज कर ।।
एक बात बताते है यहां आप सभी को एक कुम्हार जैस तरह मिट्टी के बर्तन बनाता है उनको पकाता है फिर कुछ समय बाद वापस बर्तन मिट्टा मे तबदील हो जाता है तो वो कुम्हार परमात्मा है ओर जिस आंग मे वो बर्तन पकते है वो गुरू है जो बर्तन सही पकता है वो घरो मे पहुच जाता है ओर जो बर्तन आग की आंच को सहन नही कर पाता वो आग मे ही मिट्टी बन जाते है ये वो है जो गुरू राह से भटक जाते है ।।अब आपको क्या बनना है यह आपके ऊपर है ।।
कितना लिखना है पता नही जैसे जैसे याद आयेगा ओर समय मिलता जायेगा लिखते जायेगे कुल मिलाकर इन पोस्टो का अंत सुखद होगा आप सेल करना चाहे तो कर सकते है अच्छी नही लगे तो नजरअंदाज कर सकते है ।।
प्रणाम आप सभी को ।।
ये विषय बहुत ही लम्बा है इसलिए इसको टूकडो टुकडो मे देना चाहेगे आप सभी चाहे तो इनको सेव कर सकते है पर सेव ओर जो यहाँ प्रयोग क्रिया दिये जाते है अपने गुरू देव पर पुणे श्रद्धा व्याप्त करते हुये ही उनका प्रयोग करे अन्याथा ना करे हानि लाभ के जिम्मेदार हम नही होंगे
नादान बालक की कलम से आगे फिर कभी ।।
आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश।।

क्या है बीज मंत्रो का रहस्य,???

जिस भी मंत्र का जाप होता है वो सब मंत्र बीज मंत्र बिना अधूरे है ।

क्या बीज मंत्रो को बिना उनकी अधिपति देवीयो को प्रसन्न किये बिना जपा जा सकता है तो कैसे,,।।

बीज मंत्र कीलत है ओर दोषपुेण भी इनको दोषमुक्त कैसे किया जा सकता है,, ।।

बीज मंत्रो का प्रभाव क्या रहता है ।।
बीज मंत्रो का रहस्य है क्या ओर ये कलित क्यू है ।।

ये अपना कार्य कैसे करते है क्या कोई बता सकते है,, ।।

इनके संस्कार ,शोधन ओर इनको जाग्रत कैसे किया जाता है, जबकि आज की दुनिया मे सबसे ज्यादा मंत्र बीज मंत्रो के प्रभाव मे है इनके बिना अधुरे भी है।।

आप सभी से निवेदन है कि आप सभी अपने अपने हिसाब से विचार रखये तो अच्छा है।।

बाकी हम यहाँ आने वाली पोस्टो मे गुरू ओर बीज मंत्रो के रहस्य पर रोशनी डालेगे बाकी आप सभी के सुझाव भी हमारे लिए अति आवश्यक है

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।
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Monday, April 2, 2018

प्रसाद तो सबको मिलेगा यही अटल सत्य है चाहे काल से चाहे कपाल से





समय चक्र चलेगा तो सब उडेगे,वक्त वक्त की बात है चूहा भी
शेर, बन जाता है कोई ना जब वक्त आयेगा, वो चारो खाने होगा चित जो करेगा, निन्दा ओर मिथ्या बाते गुरू महिमा, कोई समझ नही पाया वो किसी को, क्या समझेगा समय सबका आता है, उसका भी समय आयेगा कान भरने, वाले भी रोयेगे ओर अपनी जूबान, खराब करने वाले भी रोयेगे,ये वचन है नादान बालक के जो रहेगा, वो देखेगा उनकी गति बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा, कई पहले भी आये प्रसाद देन ओर चले गये क्योंकि जहाँ कृपा हो माँ बाबा, वहाँ कोई वापस कर्ज ओर प्रसाद बिना लिये नही जायेगा, ये आने वाला समय तय करेगा कोन गलत कोन सही बाकी नादान है हम क्या जाने माँ बाबा को सौपा है वोही उद्धार करे उन सबका जो बने है आज के राजा ,प्रसाद लेने वाला कोई ओर है तो प्रसाद देने वाला भी कोई ओर ही होगा, नादान बालक तो बेठ के आनन्द लेगा, आयेगा वो इस दर पर वापस क्योंकि उसके रास्ते सारे जहाँ मे बंद मिलेगे, आज हसने वाला कल जरूर रोयेगा यही अटल सत्य है बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा, हमारी तरफ से वो सभी निन्दक मस्त रहे आबाद रहे सारे जहाँ मे रहे, पर हमे भूल जाये माँ बाबा से ऐसी ही प्रार्थना है हमारी,।।,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश।।।।

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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