अपने आप को उसको समर्पित करना और मे से हम हो जाना ही उसके साथ की निशानी है,
बाकी जैसा आया है वैसे ही जायेगा ओर वापस भी आना पडेगा अपने कर्मो को कोई देखना नही चाहता पर दूसरो के कर्म विधान का जानने का इच्छुक है,
आज की इस दुनिया मे अपने घर मे क्या हो रहा है इसको जानने की किसी को फुरसत नही पर पडोसी के घर मे क्या हो रहा है इसको जानने का शौक है,
पाप निन्दा पर स्त्री आध्यात्मिक की सबसे बडी शुत्र है पर इनको कोई त्यागना नही चाहता क्योंकि उनको इनमे अपना भगवान दिखता है,
कर्म अपने बूरे है दोष भगवान को देते है यहाँ जानना कोई नही चाहाता की हम क्या है पर भगवान तूने ये क्या किया जैसे भगवान ने इनको ही चोट पुहचाये है,
कर्म फल के हिसाब से सभी को दण्ड भोगना पडता है उससे तो भगवान भी अछुते नही रहे थे चाहे प्रभु श्री राम को लेलो या प्रभु श्री हरि कृष्ण को तो फिर आप अकेले दुखी क्यू है,
नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आजकल अपने कर्मो का जानने का सभी इच्छुक है ओर अपने पिछले जन्म मे तक जाना चाहते है पर,,
इस जन्म को कैसे सुधारे ये कोई करना नही चाहते पाप सहना भी गलत है ओर पाप करना भी अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनो ,अपने अंदर जाने की कोशिश करो अपने आपको समझने की कोशिश करो वो आपको आपके सौ जन्मो से मिला देगै बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।
जो उलझता है अपने वचनो मे,
वो ना अपना रहता है ना किसी,
का बनता है जो कहते थे कि हमारे,
बिना दुनिया नही चलती आज ,
वो है कहाँ आज उनकी मिट्टी ,
या राख नही मिलती यही दुनिया है,
माया नूमा है महल देखो लो कि,
आप को रहना कैसे है जो समझा,
इस माया को उसका भवसागर ,
पार है बाकी दुनिया मे आना जाना शेष है,
घणा ग्यानी मर गया उसकी लीला,
किसी समझ मे ना आयी बस,
समझ मे आया तो यही की वो ही,
एक सत्य है बाकी सब नश्वर बाकी,
जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,,
शब्द ही अम्रत शब्द ही जहर,
शब्दो से जो बिगड जाये वो,
वापस कभी नही बनते यही सत्य है,
बाकी बनना बिगाडना तो काम है,
उसका जो शब्दो से खेल लेते है,
उनको लाटी तलवार से जंग नही ,
नही करनी पडती है यही सत्य है,
बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।
बाकी जैसा आया है वैसे ही जायेगा ओर वापस भी आना पडेगा अपने कर्मो को कोई देखना नही चाहता पर दूसरो के कर्म विधान का जानने का इच्छुक है,
आज की इस दुनिया मे अपने घर मे क्या हो रहा है इसको जानने की किसी को फुरसत नही पर पडोसी के घर मे क्या हो रहा है इसको जानने का शौक है,
पाप निन्दा पर स्त्री आध्यात्मिक की सबसे बडी शुत्र है पर इनको कोई त्यागना नही चाहता क्योंकि उनको इनमे अपना भगवान दिखता है,
कर्म अपने बूरे है दोष भगवान को देते है यहाँ जानना कोई नही चाहाता की हम क्या है पर भगवान तूने ये क्या किया जैसे भगवान ने इनको ही चोट पुहचाये है,
कर्म फल के हिसाब से सभी को दण्ड भोगना पडता है उससे तो भगवान भी अछुते नही रहे थे चाहे प्रभु श्री राम को लेलो या प्रभु श्री हरि कृष्ण को तो फिर आप अकेले दुखी क्यू है,
नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी आजकल अपने कर्मो का जानने का सभी इच्छुक है ओर अपने पिछले जन्म मे तक जाना चाहते है पर,,
इस जन्म को कैसे सुधारे ये कोई करना नही चाहते पाप सहना भी गलत है ओर पाप करना भी अपनी अंतरात्मा की आवाज सुनो ,अपने अंदर जाने की कोशिश करो अपने आपको समझने की कोशिश करो वो आपको आपके सौ जन्मो से मिला देगै बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा ।।
जो उलझता है अपने वचनो मे,
वो ना अपना रहता है ना किसी,
का बनता है जो कहते थे कि हमारे,
बिना दुनिया नही चलती आज ,
वो है कहाँ आज उनकी मिट्टी ,
या राख नही मिलती यही दुनिया है,
माया नूमा है महल देखो लो कि,
आप को रहना कैसे है जो समझा,
इस माया को उसका भवसागर ,
पार है बाकी दुनिया मे आना जाना शेष है,
घणा ग्यानी मर गया उसकी लीला,
किसी समझ मे ना आयी बस,
समझ मे आया तो यही की वो ही,
एक सत्य है बाकी सब नश्वर बाकी,
जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,,
शब्द ही अम्रत शब्द ही जहर,
शब्दो से जो बिगड जाये वो,
वापस कभी नही बनते यही सत्य है,
बाकी बनना बिगाडना तो काम है,
उसका जो शब्दो से खेल लेते है,
उनको लाटी तलवार से जंग नही ,
नही करनी पडती है यही सत्य है,
बाकी जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।