दीपावली की तरह होली भी बहुत महत्वपूर्ण है इस मौके पर भी तंत्र-मंत्र ,वैदिक सिद्धि और टोने-टोटके की सिद्धियां की जातीं है जो कि आम व्यक्ति नहीं जानते हैं इस अवसर पर की जाने वाली साधनाएं बहुत कम लोग ही जानते हैं। अधिकांश लोग जब होली के हुडदंग में डूबे होते हैं और चारो तरफ मस्ती का आलम होता है, तब गुमनाम और सुनसान जगहों पर तंत्र-मंत्र से टोटकों की होली खेली जा रही होती है। इस होली में लाल, हरे, नीले, पीले रंग नहीं बल्कि देशी पान के पत्ते, काले तिल, सिंदूर, कपूर, नारियल, नीबू, लाल मिर्च और भी बहुत सारी पूजा सामग्री होती हैं। तांत्रिकों की दुनिया में होली पर भी टोने-टोटके की परंपरा चल पडी है। होलिका दहन के अवसर के समय को तांत्रिक सिद्धि का उचित समय मानते हैं।
तंत्र के आदि गुरु भगवान् शिव माने जाते है और वे वास्तव में देवों के देव महादेव है। तंत्र शास्त्र का आधार यही है की व्यक्ति का ब्रह्म से साक्षात्कार हो जाये और उसका कुण्डलिनी जागरण हो तथा तृतीय नेत्र (Third Eye) एवं सहस्रार जागृत हो।
भगवान् शिव ने प्रथम बार अपना तीसरा नेत्र फाल्गुन पूर्णिमा होली के दिन ही खोला था और कामदेव को भस्म किया था। इसलिए यह दिवस तृतीय नेत्र जागरण दिवस है और तांत्रिक इस दिन विशेष साधना संपन्न करते है जिससे उन्हें भगवान् शिव के तीसरे नेत्र से निकली हुई ज्वाला का आनंद मिल सके और वे उस अग्नि ऊर्जा को ग्रहण कर अपने भीतर छाये हुए राग, द्वेष, काम, क्रोध, मोह-माया के बीज को पूर्ण रूप से समाप्त कर सकें।
होली का पर्व पूर्णिमा के दिन आता है और इस रात्रि से ही जिस काम महोस्तव का प्रारम्भ होता है उसका भी पूरे संसार में विशेष महत्त्व है क्योंकि काम शिव के तृतीय नेत्र से भस्म होकर पुरे संसार में अदृश्य रूप में व्याप्त हो गया। इस कारण उसे अपने भीतर स्थापित कर देने की क्रिया साधना इसी दिन से प्रारम्भ की जाती है। सौन्दर्य, आकर्षण, वशीकरण, सम्मोहन, उच्चाटन आदि से संबन्धित विशेष साधनाएं इसी दिन संपन्न की जाती है। शत्रु बाधा निवारण के लिए, शत्रु को पूर्ण रूप से भस्म कर उसे राख बना देना अर्थात अपने जीवन की बाधाओं को पूर्ण रूप से नष्ट कर देने की तीव्र साधनाएं महाकाली, चामुण्डा, भैरवी, बगलामुखी धूमावती, प्रत्यंगिरा इत्यादि साधनाएं भी प्रारम्भ की जा सकती हैं तथा इन साधनाओं में विशेष सफलता शीघ्र प्राप्त होती है।
काम जीवन का शत्रु नहीं है क्योंकि संसार में जन्म लिया है तो मोह-माया, इच्छा, आकांक्षा यह सभी स्थितियां सदैव विद्यमान रहेंगी ही और इन सब का स्वरुप काम ही हैं। लेकिन यह काम इतना ही जाग्रत रहना चाहिए कि मनुष्य के भीतर स्थापित शिव, अपने सहस्रार को जाग्रत कर अपनी बुद्धि से इन्हें भस्म करने की क्षमता रखता हो।
और फिर होली का पर्व ... दो महापर्वों के ठीक मध्य घटित होने वाला पर्व! होली के पंद्रह दिन पूर्व ही संपन्न होता है, महाशिवरात्रि का पर्व और पंद्रह दिन बाद चैत्र नवरात्री का। शिव और शक्ति के ठीक मध्य का पर्व और एक प्रकार से कहा जाएं तो शिवत्व के शक्ति से संपर्क के अवसर पर ही यह पर्व आता है। जहां शिव और शक्ति का मिलन है वहीं ऊर्जा की लहरियां का विस्फोट है और तंत्र का प्रादुर्भाव है, क्योंकि तंत्र की उत्पत्ति ही शिव और शक्ति के मिलन से हुई। यह विशेषता तो किसी भी अन्य पर्व में सम्भव ही नहीं है और इसी से होली का पर्व का श्रेष्ठ पर्व, साधना का सिद्ध मुहूर्त, तांत्रिकों के सौभाग्य की घड़ी कहा गया है।
प्रकृति मैं हो रहे कम्पनों का अनुभव सामान्य रूप से न किया जा लेकिन महाशिवरात्रि के बाद और चैत्र नवरात्रि के पहले - क्या वर्ष के सबसे अधिक मादक और स्वप्निल दिन नहीं होतें? ... क्या इन्हीं दिनों में ऐसा नहीं लगता है कि दिन एक गुनगुनाहट का स्पर्श देकर चुपके से चला गया है और सारी की सारी रात आखों ही आखों में बिता दें ... क्योंकि यह प्रकृति का रंग है, प्रकृति की मादकता, उसके द्वारा छिड़की गई यौवन की गुलाल है और रातरानी के खिले फूलों का नाशिलापन है। पुरे साल भर में यौवन और अठखेलियां के ऐसे मदमाते दिन और ऐसी अंगडाइयों से भरी रातें फिर कभी होती ही नहीं है और हो भी कैसे सकती हैं ।
तंत्र भी जीवन की एक मस्ती ही है, जिससे सुरूर से आंखों में गुलाबी डोरें उतर आते हैं, क्योंकि तंत्र का जानने वाला ही सही अर्थ में जीवन जीने की कला जानता है। वह उन रहस्यों को जानता हैं जिनसे जीवन की बागडोर उसके ही हाथ में रहती है और उसका जीवन घटनाओं या संयोगों पर आधारित न होकर उसके ही वश में होता है, उसके द्वारा ही गतिशील होता है। तंत्र का साधक ही अपने भीतर उफनती शक्ति की मादकता का सही मेल होली के मुहूर्त से बैठा सकता है और उन साधनाओं को संपन्न कर सकता है, जो न केवल उसके जीवन को संवार दे बल्कि इससे भी आगे बढ़कर उस उंचे और उंचे उठाने में सहायक हो।
इस साल यह होली पर्व मार्च में संपन्न हो रहा है। जो भी अपने जीवन को और अपने जीवन से भी आगे बढ़कर समाज व् देश को संवारने की इच्छा रखते है, लाखों-लाख लोगों का हित करने, उन्हें प्रभावित करने की शैली अपनाना चाहते है, उनके लिए तो यही एक सही अवसर है। इस दिन कोई भी साधना संपन्न की जा सकती है। तान्त्रोक्त साधनाएं ही नहीं दस महाविद्या साधनाएं, अप्सरा या यक्षिणी साधना या फिर वीर-वेताल, भैरवी जैसी उग्र साधनाएं भी संपन्न की जाएं तो सफलता एक प्रकार से सामने हाथ बाँध खड़ी हो जाती है। जिन साधनाओं में पुरे वर्ष भर सफलता न मिल पाई हो, उन्हें भी एक एक बार फिर इसी अवसर पर दोहरा लेना ही चाहिए।
इस प्रकार होली लौकिक व्यवहार में एक त्यौहार तो है लेकिन साधना की दृष्टी से यह विशेष तंत्रोक्त-मान्त्रोक्त पर्व है जिसकी किसी भी दृष्टी से उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। साधक को इस दिन किसी न किसी साधना का संकल्प अवश्य ही लेना चाहिए। और यदि सम्भव हो होली से प्रारम्भ कर नवरात्री तक साधना को पूर्ण कर लेना चाहिए
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार होलिकाष्टक का काल होली से पहले अष्टमी तिथि से प्रारंभ होता है। ज्योतिषीय दृष्टिकोण से होली समस्त काम्य अनुष्ठानो हेतु श्रेष्ठ है। अष्टमी तिथि को चंद्र, नवमी तिथि को सूर्य, दशमी तिथि को शनि, एकादशी तिथि को शुक्र, द्वादशी तिथि को गुरू, त्रयोदशी तिथि को बुध, चतुर्दशी को मंगल व पूर्णीमा तिथि को राहु उग्र हो जाते है जो व्यक्ति के शारिरीक व मानसिक क्षमता को प्रभावित करते हैं साथ ही निर्णय व कार्य क्षमता को कमजोर करते हैं।
होलिका दहन के पश्चात रात्रि से सुबह तक तांत्रिक विभिन्न प्रकार के तंत्र और मंत्रों को सिद्ध करके अपना और जातकों का कल्याण करते हैं। होली के दिन तांत्रिक तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने के लिए पूरे दिन पूजा, पाठ, हवन आदि करते हैं। पीडितों की मांग पर टोटके आदि किए जाते हैं। तांत्रिक प्रक्रिया में दीपावली की तरह पशु-पक्षियों अथवा उनके अंगों का उपयोग नहीं किया जाता, बल्कि वनस्पति और अन्य सामग्री से उतारा आदि किए जाते हैं। होली और श्मशान की राख होली पूर्णिमा की रात को अनिष्टकारी कार्यो के लिए उपयुक्त माना जाता है।तंत्र-मंत्र की दुनिया से जुडे लोग कहते हैं कि समाज में आज भी ईष्र्यालु लोगों की कमी नहीं है। व्यावसायिक प्रतिस्पर्धा वाले कुछ लोग एक-दूसरे के पतन के लिए टोने-टोटके करवाते हैं। इसमें होली और श्मशान की राख का खास तौर पर उपयोग किया जाता है। दिशाएं बताती हैं, इसी क्रम में दशा मान्यता है कि होलिका दहन के समय उसकी उठती हुई लौ से कई संकेत मिलते हैं।
पूरब की ओर लौ उठना कल्याणकारी होता है, दक्षिण की ओर पशु पी़डा, पश्चिम की ओर सामान्य और उत्तर की ओर लौ उठने से बारिश होने की संभावना होती है ।
आप होली पर अपनी राशि अनुसार भी मंत्र जप कर सकते है,,
मेष राशि के लिए
ऊं ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:। इस मंत्र का जप होलिका दहन के समय करने से मां की विशेष कृपा मिलेगी। साथ में होलिका में दुर्वा विश्ेाष रुप से चढ़ाएं। इस मंत्र से धन की सभी परेशानी दूर होगी।
वृषभ राशि के लिए
इस राशि वालों को ऊं गौपालाये उत्तर ध्वजाए:, इस मंत्र का जप करना चाहिए। इस मंत्र के जप से पे्रम की बाधा तो दूर होगी, साथ ही धन का मार्ग भी बनेगा।
मिथुन राशि के लिए
इस राशि वाले ऊं क्लीं कृष्णाये नम:, मंत्र का जाप करें। ऐसा करने से किस्मत के बंद दरवाजे खुलेंगे। जिस दिशा में जाएंगे, वहां से धन मिलेगा।
कर्क राशि वालों के लिए
ये राशि वाले ऊं हिरण्यगर्भाये अव्यक्त रूपिणे नम:, मंत्र का जप करे। ऐसा करने से संतान सुख की प्राप्ति होगी। इसके अलावा धन की समस्या का समाधान होगा।
सिंह राशि वालों के लिए
इस राशि वाले ऊं क्लीं ब्रह्मणे जगदाधाराये नम:, मंत्र का जाप करें ऐसा करने से स्वास्थ तो बेहतर रहता ही है, इसके अलावा धन की समस्या हल होगी।
कन्या राशि वालों के लिए
इस राशि के व्यक्ति होली की रात को ऊं नमो प्रीं पीताम्बरायै नम:, मंत्र का जाप करने से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है। साथ में हालिका में पीले रंग की मिठाई चढ़ाए तो लक्ष्मी वर्षभर प्रसन्न रहेगी।
तुला राशि वालों के लिए
इस राशि वालों को ऊँ तत्व निरंजनाय तारक रामाये नम:, का जाप करने से जीवन की हर प्रकार की समस्या से समाधन मिलता है। होलिका दहन में सफेद फूल जरूर चढ़ाएं, इससे लक्ष्मी विशेष प्रसन्न होगी।
वृश्चिक राशि वालों के लिए
इस राशि वाले अगर ऊँ नारायणाय सुरसिंहाये नम:, मंत्र का जप करे तो ये मान लिजिए की लक्ष्मी आपके दरवाजे पर सफलता व धन लेकर खड़ी रहेगी।
धनु राशि वालो के लिए
इस राशि वाले ऊँ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊर्ध्वषंताये नम:, मंत्र का जप करे। होलिका दहन के समय इस मंत्र को जप करने से हर बाधा का समाधान होगा।
मकर राशि वालों के लिए
इस राशि वालों को ऊँ श्रीं वत्सलाये नम: मंत्र से होलिका की पूजन करना चाहिए। इसके साथ ही नीले रंग के फूल चढ़ाने से लक्ष्मी प्रसन्न होगी।
कुंभ राशि वालों के लिए
इस राशि वालों को श्रीं उपेन्द्रायै अच्युताय नम: मंत्र का जप करने के साथ पीेले रंग के फूल होलिका में चढ़ाने चाहिए। इससे धन का प्रचुर लाभ होगा।
मीन राशि वालों के लिए
इस राशि वालों को ऊं क्लीं उद्धृाताय उद्धारिणे नम: मंत्र का जप करते हुए सरसों होलिका में चढ़ानी चाहिए। इससे बाहरी दुश्मन समाप्त होंगे। इसके अलावा लक्ष्मी की विशेष कृपा होगी।
तांत्रिक मंत्र सिद्धि के लिए होलिका दहन से पूर्व अर्थात भद्रा काल को सर्वाधिक उपयुक्त मानते हैं। यद्यपि पूर्णिमा को प्रात: से मध्य रात्रि तक तात्रिक तंत्र-मंत्र सिद्ध करने का अनुष्ठान करते हैं। किंतु अंतिम तांत्रिक कृत्य रात्रि 12 बजे ही किया जाता है। मंत्र सिद्ध कर तांत्रिक अपना और जातकों का कल्याण करते हैं।
फाल्गुन पूर्णिमा की रात्रि तंत्र साधना के लिए काफी महत्वपूर्ण होती है। तंत्र-मंत्र को सिद्ध करने के लिए पूरे दिन पूजा, पाठ, हवन आदि करते हैं। पीड़ितों की माग पर टोटके भी किए जाते हैं।
सावधानी
होलिका दहन वाले दिन टोने-टोटके के लिए सफेद खाद्य पदार्थों का
उपयोग किया जाता है। इसलिए
*इस दिन सफेद खाद्य पदार्थों के सेवन से बचना चाहिये।
*उतार और टोटके का प्रयोग सिर पर जल्दी होता है,
इसलिए सिर को पगडी रूमाल आदि से ढके रहें।
*टोने-टोटके में व्यक्ति के कपड़ों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए
अपने कपड़ों का ध्यान रखें।
*होली पर पूरे दिन अपनी जेब में काले
कपड़े में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती
होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही
कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
होली के दिन करें ये ख़ास उपाय
स्वास्थय लाभ के लिए
अगर परिवार में कोई लंबे समय से बीमार हो
होली की रात में सफेद कपड़े में 11
गोमती चक्र, नागकेसर के 21 जोड़े तथा 11 धनकारक
कौड़ियां बांधकर कपड़े पर हरसिंगार तथा चन्दन का इत्र लगाकर
रोगी पर से सात बार उतारकर किसी शिव
मन्दिर में अर्पित करें। व्यक्ति स्वस्थ होने लगेगा। यदि
बीमारी गंभीर हो, तो यह
शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार से आरंभ कर लगातार 7 सोमवार
तक किया जा सकता है।
आर्थिक समस्या के समाधान के लिए :
होली की रात में चंद्रोदय होने के बाद
अपने घर की छत पर या खुली जगह
जहां से चांद नजर आए पर खड़े हो जाएं। फिर चंद्रमा का स्मरण
करते हुए चांदी की प्लेट में सूखे छुहारे
तथा कुछ मखाने रखकर शुद्ध घी के
दीपक के साथ धूप एवं अगरबत्ती अर्पित
करें। अब दूध से अर्घ्य प्रदान करें। अर्घ्य के बाद कोई सफेद
प्रसाद तथा केसर मिश्रित साबूदाने की खीर
अर्पित करें। चंद्रमा से आर्थिक संकट दूर कर समृद्धि प्रदान
करने का निवेदन करें। बाद में प्रसाद और मखानों को बच्चों में बांट
दें।
फिर लगातार आने वाली प्रत्येक पूर्णिमा की
रात चंद्रमा को दूध का अर्घ्य अवश्य दें। कुछ ही दिनों
में आप महसूस करेंगे कि आर्थिक संकट दूर होकर समृद्धि निरंतर
बढ़ रही है।;
दुर्घटना से बचाव के लिए :
अगर आप अक्सर दुर्घटनाग्रस्त
होते रहते हैं तो होलिका दहन से पहले पांच काली
गोप/गुंजा/धागा/डोरा लेकर होली की पांच
परिक्रमा लगाकर अंत में होलिका की ओर
पीठ करके पांचों गुंजाओं को सिर के ऊपर से पांच बार
उतारकर सिर के ऊपर से होली में फेंक दें।
• होलिका दहन तथा उसके दर्शन से शनि-राहु-केतु के दोषों से शांति
मिलती है।
• होली की भस्म का टीका
लगाने से नजर दोष तथा प्रेतबाधा से मुक्ति मिलती है।
• घर में होली की भस्म चांदी की डिब्बी
में रखने से कई बाधाएं स्वत: ही दूर हो
जाती हैं।
• कार्य में बाधाएं आने पर -
आटे का चौमुखा दीपक सरसों
के तेल से भरकर कुछ दाने काले तिल के डालकर एक बताशा,
सिन्दूर और एक तांबे का सिक्का डालें। होली
की अग्नि से जलाकर घर पर से ये पीड़ित
व्यक्ति पर से उतारकर सुनसान चौराहे पर रखकर बगैर
पीछे मुड़े वापस आएं तथा हाथ-पैर धोकर घर में प्रवेश
करें।
• जलती होली में तीन
गोमती चक्र हाथ में लेकर अपने
(अभीष्ट) कार्य को 21 बार मानसिक रूप से कहकर
गोमती चक्र अग्नि में डाल दें तथा प्रणाम कर वापस
आएं।
• विपत्ति नाश के लिए मंत्र-
राजीव नयन धरें धनु सायक।
भगति विपति भंजन सुखदायक।।
इस मंत्र को जलती होलिका स्म्मुख 108 बार पढ कर 11 परिक्रमा करने से समस्त विपत्तियो का नाश हो जाता हैl
•
सुख, समृद्धि और सफलता के लिए :
अहकूटा भयत्रस्तै:कृता त्वं होलि बालिशै:
अतस्वां पूजयिष्यामि भूति-भूति प्रदायिनीम: ||
इस मंत्र का उच्चारण एक माला, तीन माला या फिर पांच
माला विषम संख्या के रूप में करना चाहिए।
ऐसा माना जाता है कि होली की
बची हुई अग्नि और भस्म को अगले दिन प्रात: घर में
लाने से घर को अशुभ शक्तियों से बचाने में सहयोग मिलता है तथा
इस भस्म का शरीर पर लेपन भी किया
जाता है।
भस्म का लेपन करते समय निम्न मंत्र का जाप करना
कल्याणकारी रहता है-
वंदितासि सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शंकरेण च।
अतस्त्वं पाहि मां देवी! भूति भूतिप्रदा भव।।
स्फटिक श्रीयंत्र को होली से एक दिन पूर्व चतुर्दशी की रात्रि में ‘गुलाबजल’ में रखकर ‘फ्रीजर’ में रख दें। प्रातः जमे हुये ‘श्री यंत्र’ को फ्रीजर से निकाल नहाने वाले जल के बर्तन में डुबोकर जमी हुई बर्फ को घुलने दें, फिर बाहर निकाल लें। स्नान के बाद ‘श्री यंत्र’ पूजन करें, फिर ‘श्रीसूक्त’ के प्रत्येक ऋचा के आरंभ और अंत में इस मंत्र -‘‘ऊँ ओम ह्रीं क्रौं ऐं श्रीं क्लीं ब्लूं सौं रं वं श्रीं’- को लगाकर, इत्र से लिप्त नाग-केशर ‘श्री यंत्र’ पर चढ़ायें। इसके बाद रात में ‘श्री यंत्र, के सम्मुख ही उक्त मंत्र की 1008 आहुतियां - मधु, घी, दूध युक्त हवन-सामग्री से अग्नि में आहुतियां दें या 108 आहुतियां सूखे बिल्व पत्र, मधु, घी, दूध से लिप्त कर ‘जलती होली’ में अर्पित करें। अंत में ‘श्रीयंत्र’ तथा अर्पित ‘नाग केशर’- लाल वस्त्र में बांधकर अपनी तिजोरी में रखें। संपूर्ण वर्ष घर धन-धान्य से परिपूर्ण रहेगा, इसमें संदेह नहीं है।
होली की रात्रि को स्थिर लग्न में पीपल के पांच अखंडित (साबुत) पत्ते लेकर, पत्तल में रखें, प्रत्येक पत्ते पर पनीर का एक टुकड़ा तथा एक रसगुल्ला (सफेद) रखें। आटे का दीपक बनाकर, सरसों का तेल भरकर जलायें। मिट्टी की कुलिया (बहुत छोटा-सा कुल्हड़) में, जल-दूध-शहद और शक्कर मिलाकर, भक्ति-पूर्वक सारा सामान पीपल पर चढ़ाकर, हाथ जोड़कर श्रद्धा से आर्थिक संकट दूर होने की प्रार्थना करें, वापसी में पीछे मुड़कर न देखें। यही प्रयोग आने वाले मंगल तथा शनिवार को पुनः करें।
किंतु फिर से पीपल के पत्तों का प्रयोग न करें। तीनों बार घर लौटकर लाल चंदन की माला पर निम्न मंत्र की 3 माला जपें: मंत्र: ‘‘ ऐं ह्री श्री क्लीं सर्वबाधा विनिर्मुक्तो धन धान्य सुतान्वितः। मनुष्योमत्प्रसादेन भविष्यति न संशयः क्लीं ह्रीं ऐं।।’’
होली की रात्रि में साबुत उड़द और चावल- एक साथ उबाल कर पत्तल पर रखें। 5 प्रकार की मिठाई और सरसों के तेल के दीपक में 1-1 रुपये के 5 सिक्के डालकर, दीपक जलाकर, निम्न मंत्र का 108 बार जप करके, सभी सामान को निर्जन स्थान पर रख आयें, पीछे मुड़कर न देखें। इससे धन का आगमन होता है। मंत्र -‘‘ऊँ ह्री ह्री बटुकाय आपदुद्धारणाय कुरू कुरू बटुकाय ह्री ह्री’’
होली (पूर्णिमा) के दिन प्रातः सूर्योदय से पहले पीपल पर हल्दी मिश्रित गुलाबजल चढ़ायें, देशी घी का दीपक और धूप जलायें, 5 तरह की मिठाई, 5 तरह के फल, 21 किशमिश का भोग लगायें तथा कलावे से 7 परिक्रमा करते हुये पीपल का बंधन करें और निम्न मंत्र का जप करें। इससे घर में धन-समृद्धि आती है। मंत्र - ‘‘ऊँ’’ ह्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं श्रीं लक्ष्मी मम् गृहे धन पूरय चिंता दूरय दूरय स्वाहा।’’
होली (पूर्णिमा) की रात्रि को स्थिर लग्न में मां काली की पंचोपचार पूजा कर निम्न मंत्र से 1008 आहुतियां, हवन सामग्री में काली मिर्च, पीली सरसों, भूत केशी मिलाकर- अग्नि में दें। प्रत्येक 108 आहुतियों के बाद पान के पत्ते पर सफेद मक्खन, मिश्री, 2 लौंग, 3 जायफल, 1 नींबू, 1 नारियल (गोला), इत्र लगी रूई, कपूर रखकर मां काली का ध्यान कर अग्नि में अर्पण करें। यह आहुति 10 बार अग्नि में अर्पित करें। यह प्रयोग समस्त नजर दोष, तंत्र एवं रोग बाधाओं को समाप्त कर देता है। मंत्र: ‘‘ऊँ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै बिच्चै, ऊँ ग्लौं हुं क्लीं जूं सः ज्वालय ज्वालय ज्वल ज्वल प्रज्वल प्रज्वल ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै बिच्चै ज्वल हं सं लं क्षं फट् स्वाहा।’’
इस बार होली सोमवार को है। रविवार को ऐसे पे़ड के नीचे जाए जिस पर चमगादड लटकती हो उस पेड की एक डाल को निमंत्रण दें। निमंत्रण के लिए चावल को हल्दी से रंग लें और वंहा पेड़ की जड़ पर चावल रोली एक रुपया रख कर जल चढाएं और बोलें हमें जन कल्याण के लिए एक डाली चाहिए वह डाली हम कल ले जाएंगे। होली वाले दिन सूर्योदय से पूर्व उस डाल को तोडकर ले आए। रात को उस डाल एवं उसके पत्तों का पूजन कर अपनी गद्दी के नीचे रखें। व्यवसाय खूब फलेगा-फूलेगा व्यापार ओर कर्ज से बचने के लिए ओर भी उपाय है जो आगे बता दिये जायेगे,।
ऊँ नमो धनदाय स्वाहा होली की रात इस मंत्र का जाप करने से धन में वृद्धि होती है
रोग नाश करने के लिए नमो भगवते रूद्राय मम शरीर अमृतं कुरू कुरू स्वाहा इस मंत्र का होली की रात जाप करने से कैसा भी रोग हो नाश हो जाता है
शीघ्र विवाह के लिए होली के दिन सुबह एक साबुत पान पर साबुत सुपारी एवं हल्दी की गांठ शिवलिंग पर चढाएं तथा पीछे पलटे बगैर अपने घर आ जाएं यही प्रयोग अगले दिन भी करें। तो इस तरह करने से विवाह में आने वाली रूकावटें दूर होतीं है विवाह के लिए ओर भी उपाय है जो इस पोस्ट मे आगे बताये जायेगे, ।
गोरखमुण्डी का पौधा लाकर उसको धोकर होली की रात उसका पूजन करें फिर उसको होली की अग्नि में सुखा दें तथा पांच दिन सूखने दे पंचमी के दिन उसको पीसकर चूर्ण बना लें।
यह चूर्ण की काम आता है। रोजाना सुबह और शाम इस चूर्ण को शहद से चाटने पर स्मरण एवं भाषण शक्ति बढती है।दूध के साथ इस चूर्ण का सेवन करने से शरीर स्वस्थ और बलिष्ठ होता है। इस चूर्ण के पानी से बाल धोने पर बाल लंबे और काले घने होते हैं। इस चूर्ण के तेल से शरीर की ऎंठन, जकडन दूर होती है।
टोने-टोटके के लिए सफेद खाद्य पदार्थों का उपयोग किया जाता है। होलिका दहन वाले दिन अनजान घरों में सफेद खाद्य पदाथों के सेवन से बचना चाहिये।
उतारा और टोटके का प्रयोग सिर पर जल्दी होता है, इसलिए सिर को टोपी आदि से ढके रहें।
टोने-टोटके में व्यक्ति के कपडों का प्रयोग किया जाता है, इसलिए अपने कपडों का ध्यान रखें। होलीका दहन पर पूरे दिन अपनी जेब में काले कपडे में बांधकर काले तिल रखें। रात को जलती होली में उन्हें डाल दें। यदि पहले से ही कोई टोटका होगा तो वह भी खत्म हो जाएगा।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,