Saturday, November 11, 2023

दीपावाली मुर्हुत उपाय और सावधानियां

आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएं और हार्दिक बधाई, मित्रों क्षमा चाहते हैं पोस्ट देर से करने के लिए ,,, मित्रों इस बार दीपावली 12 नवंबर को है ,,




दीपावाली की पूजा के लिए लक्ष्मी जी की चौकी स्थापित करें. इस पर एक लाल वस्त्र बिछाएं. फिर कुछ चावल चौकी के मध्य में रखें. इसके बाद कलशा स्थापित करें. चावलों के बीचों-बीच तांबा या पीतल या फिर चांदी का कलश भी रख सकते हैं. इसके बाद कलश में जल भरें और उसमे फूल, चावल के कुछ दाने, एक धातु का सिक्का और एक सुपारी रखें. कलश का मुख पांच आम के पत्तों से ढक दें. अब लक्ष्मी-गणेश जी की मूर्ति चौकी के मध्य रखें. मूर्ति को कलश के दक्षिण-पश्चिम दिशा में रखना अच्छा माना गया है. इसके बाद पूजा प्रारंभ करनी चाहिए. भोग लगाने के लिए फल, मिष्ठान आदि रखें. पूजा के लिए नोट या सिक्के आदि भी रख सकते हैं ,,
समय और मुर्हुत,,
इसका शुभारंभ 12 नवंबर दोपहर 02 बजकर 44 मिनट पर हो रहा है,,
और इसका समापन 13 नवम्बर दोपहर 02 बजकर 56 मिनट पर होगा,,
ऐसे में दीपावली का पर्व 12 नवंबर, रविवार के दिन मनाया जाएगा ,
साथ ही इस दिन धन की देवी मां लक्ष्मी की पूजा के लिए प्रदोष काल सबसे उत्तम माना जाता है,

छोटी दिवाली 11 नवंबर 2023 शनिवार 5:39 PM - 8:16 PM

दिवाली 12 नवंबर 2023 रविवार 05:39 PM - 07:35 PM

रात्रि 11:39- 13 नवंबर 2023 से प्रात: 12:32 तक रहेगा.
अवधि- 52 मिनट
महानिशीथ काल- 11:39  से 12:31 तक
सिंह काल- 12:12 से 02:30 तक
गोवर्धन पूजा 13 नवंबर 2023 सोमवार सोमवार 6:14 AM- 8:35 AM

भाई दूज 14 नवंबर 2023 मंगलवार 1:10 PM- 3:22 PM
समाग्री,,
मां लक्ष्मी के पूजन की सामग्री अपने सामर्थ्य यानि यथाशक्ति के अनुसार होना चाहिए  मां लक्ष्मी को पुष्प में कमल व गुलाब, फल में श्रीफल, सीताफल, बेर, अनार व सिंघाड़े, सुगंध में केवड़ा, गुलाब, चंदन के इत्र,  वस्त्र में लाल-गुलाबी या पीले रंग का रेशमी वस्त्र, अनाज में चावल तथा मिठाई में घर में बनी शुद्धता पूर्ण केसर की मिठाई विशेष प्रिय हैं इनका उपयोग करने से वे शीघ्र प्रसन्न होती हैं  प्रकाश के लिए गाय का घी, मूंगफली या तिल्ली का तेल तथा अन्य सामग्री में गन्ना, कमल गट्टा, खड़ी हल्दी, बिल्वपत्र, पंचामृत, गंगाजल, ऊन का आसन, रत्न आभूषण, गाय का गोबर, सिंदूर, भोजपत्र का पूजन में उपयोग करना चाहिए बाकी जो आपके पास उपलब्ध हो जरुरी नहीं कि सभी समाग्री हो जैसी यथाशक्ति सामर्थ्य अनुसार,,
#अब मित्रों सविस्तार विधान कहते हैं ,,
#मित्रों पहले चौकी पर मां लक्ष्मी  व प्रभु गणेशजी की मूर्तियां इस प्रकार रखें कि उनका मुख पूर्व या पश्चिम में रहे,,
 मां लक्ष्मीजी, गणेशजी की दाहिनी ओर रहें  पूजनकर्ता मूर्तियों के सामने की तरफ बैठें कलश को लक्ष्मीजी के पास चावलों पर रखें नारियल को लाल वस्त्र में इस प्रकार लपेटें कि नारियल का अग्रभाग दिखाई देता रहे व इसे कलश पर रखें। यह कलश वरुण का प्रतीक है,
दो बड़े दीपक रखें। एक में घी भरें व दूसरे में तेल। एक दीपक चौकी के दाईं ओर रखें व दूसरा मूर्तियों या तस्वीर के चरणों में इसके अतिरिक्त एक दीपक गणेशजी के पास रखें,,
मूर्तियों वाली चौकी के सामने छोटी चौकी रखकर उस पर लाल वस्त्र बिछाएं। कलश की ओर एक मुट्ठी चावल से लाल वस्त्र पर नवग्रह की प्रतीक नौ ढेरियां बनाएं अगर आती हो और बना सकते हैं तो गणेशजी की ओर चावल की सोलह ढेरियां बनाएं ये सोलह मातृका की प्रतीक हैं नवग्रह व षोडश मातृका के बीच स्वस्तिक का चिह्न बनाएं,,,
इसके बीच में सुपारी रखें व चारों कोनों पर चावल की ढेरी। सबसे ऊपर बीचोंबीच ॐ लिखें। छोटी चौकी के सामने तीन थाली व जल भरकर कलश रखें थालियों की निम्नानुसार व्यवस्था करें-
एक थाली में ग्यारह दीपक, 
दूसरी में खील, बताशे, मिठाई, वस्त्र, आभूषण, चन्दन का लेप, सिन्दूर, कुंकुम, सुपारी, पान,
तीसरी में फूल, दुर्वा, चावल, लौंग, इलायची, केसर-कपूर, हल्दी-चूने का लेप, सुगंधित पदार्थ, धूप, अगरबत्ती, एक दीपक,
इन थालियों के सामने यजमान बैठे। आपके परिवार के सदस्य आपकी बाईं ओर बैठें कोई आगंतुक हो तो वह आपके या आपके परिवार के सदस्यों के पीछे बैठे,,,
दीपक: दिवाली के दिन सबसे महत्वपूर्ण दीपक होते हैं और इस दिन मिट्टी के दीपक खरीदना शुभ माना जाता है. मान्यता है कि मिट्टी पंचतत्वों में से एक है और इसलिए दिवाली के दिन इनको अधिक महत्वपूर्ण माना गया है. दिवाली के दिन कम से कम एक चौमुखा दीपक जरूर लेकर आएं और उसे मां लक्ष्मी के समक्ष लगाएं.
कौड़ी: मां लक्ष्मी की पूजा में कौड़ी का भी विशेष महत्व है और ज्योतिष शास्त्र में कौड़ी को मां लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है. इसलिए पूजा करते समय चांदी के सिक्के के सासथ ही कौड़ी भी अवश्य रखें. मान्यता है कि इससे घर में सुख-समृद्धि का वास होता है,,
कलश: दिवाली के दिन कलश की पूजा करने का भी विधान है और शास्त्रों के अनुसार पूजा स्थल पर मंगल कलश रखकर उसकी पूजा अवश्य करनी चाहिए. इसके लिए आप कांसा, तांबा, चांदी या सोने के कलश का उपयोग कर सकते हैं. ध्यान रखें कलश पर नारियल अवश्य रखा जाता है,,
श्रीयंत्र: धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीयंत्र को धन-वैभव का प्रतीक कहा गया है और मान्यता है कि लक्ष्मी जी का पूजन करते समय श्रीयंत्र का भी पूजन अवश्य करना चाहिए. इससे मां लक्ष्मी प्रसन्न होती होती है,,

#मित्रों कुछ सावधानियां भी रखे ,,
मित्रों पूजा करते समय प्रसन्न रहें, किसी भी तरह के गलत विचार मन में न लाएं. परिवार के साथ बैठकर पूजा करें,
पूजा के दौरान शुद्ध घी का एक बड़ा दीपक भी जरूर लगाएं, जो अगले दिन तक जलते रहना चाहिए. अगले दिन इसे शुभ मुहूर्त देखकर थोड़ा सा खिसका दें,
पूजा के दौरान उपयोग की गई पूजन सामग्री को सम्मान पूर्वक किसी नदी में प्रवाहित करें. भूलकर भी उसका अपमान न होने पाए,,
पूजा स्थल पर देवी लक्ष्मी की दो मूर्तियां  या तस्वीर ना रखें. ऐसा होना वास्तु शास्त्र की दृष्टि से शुभ नहीं माना जाता ,,
स्थापित की गई मूर्ति या चित्र कहीं से खंडित यानी कटा-फटा नहीं होना चाहिए. ऐसी प्रतिमा या चित्र की पूजा करना शुभ नहीं होता,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

Wednesday, November 1, 2023

भगवान आदि गणपति गणेश जी बिना सुंड वाले

विश्व में सूंड के बिना एकमात्र गणेश जी की पूजा तमिलनाडु में होती है । वैसे शायद आपको यह पता भी नही होगा कि भारत में गणेश जी की बिना सूंड वाली भी प्रतिमा का पूजन होता है।
 गजमुख के साथ गणेश जी का सिर दुनिया भर में गणपति की हर मूर्ति में देखा जा सकता है।
 कोई भी भगवान गणेश के किसी अन्य रूप की कल्पना नहीं कर सकता है।

 हालांकि,दक्षिण भारत में, गणेश जी के सिर को रखने से पहले मानव सिर के रूप में भगवान गणेश की मूर्ति वाला एक मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि यह मानव सिर के साथ दुनिया में एकमात्र गणेश मूर्ति है।  यह मंदिर तमिलनाडु में कुथनूर के पास तिलतरपनपुरी के पास स्थित है।
 इस मंदिर का नाम आदि विनायक है।
 गजमुखी अवतार से पहले मानव रूप में भगवान गणेश की मूर्ति होने के कारण इसे आदि गणपति कहा जाता है।

गणपति बप्पा मोरया🚩🚩
#सनातनधर्म_ही_श्रेष्ठ_है🙏🚩🚩
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

Friday, October 13, 2023

कब है नवरात्रि और क्या मंत्र विधान साधना करे?????

मित्रों आप सभी को जय मां बाबा की आप सभी को ज्ञात है कि 15 अक्टूबर से शारदीय नवरात्रि शुरू हो रही है उससे एक दिन पहले सुर्य ग्रहण है जिसका कोई प्रभाव भारत में मान्य नहीं होंगा


चलये आगे बढ़ते हैं और नवरात्रि विधान कहते हैं,,
नवरात्रि घट स्थापना और मुर्हुत,,,,
मित्रों शारदीय नवरात्रि के पहले दिन कलश स्थापना की जाती है और 9 दिनों तक विधि-विधान से पूजन किया जाता है सनातन धर्म पंचांग के अनुसार इस बार कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त 15 अक्टूबर को सुबह 11 बजकर 44 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 30 मिनट तक रहेगा. यानि केवल 46 मिनट के लिए ही कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त है  इसलिए कलश स्थापना से पहले ही सारी तैयारियां कर लें ताकि शुभ मुहूर्त में पुरा विधान सही से सम्पन्न हो सके,,
अब जानते हैं कौन से दिन किसकी पुजा की जाती है ,,
1, 15 अक्टूबर 2023 - मां शैलपुत्री (पहला दिन) प्रतिपदा तिथि
2, 16 अक्टूबर 2023 - मां ब्रह्मचारिणी (दूसरा दिन) द्वितीया तिथि
3, 17 अक्टूबर 2023 - मां चंद्रघंटा (तीसरा दिन) तृतीया तिथि
4, 18 अक्टूबर 2023 - मां कुष्मांडा (चौथा दिन) चतुर्थी तिथि
5, 19 अक्टूबर 2023 - मां स्कंदमाता (पांचवा दिन) पंचमी तिथि
6, 20 अक्टूबर 2023 - मां कात्यायनी (छठा दिन) षष्ठी तिथि
7, 21 अक्टूबर 2023 - मां कालरात्रि (सातवां दिन) सप्तमी तिथि
8, 22 अक्टूबर 2023 - मां महागौरी (आठवां दिन) दुर्गा अष्टमी          
9, 23 अक्टूबर 2023 - महानवमी, (नौवां दिन) शरद नवरात्र व्रत पारण
10, 24 अक्टूबर 2023 - मां दुर्गा प्रतिमा विसर्जन, और भैरव पुजा तिथि दशमी तिथि (दशहरा पुजन)
मित्रौ इन दिनों मां दुर्गा की अलग अलग रूपो में पुजा जप साधना विधान भी होते हैं और अन्य देवी देवताओं की भी जप तप किया जाता है हम यहां कुछ जप मंत्र हम यहां प्रषित कर रहे हैं ,,,,,,
आप नौ दिन में क्या क्या कर सकते हैं वो यहां हम दे रहे हैं,,
1. ललितासहस्रनामम्
2. राज राजेश्वरी अष्टकम
3. दुर्गा स्तोत्रम्
4. महालक्ष्मी अष्टकम
5. सरस्वती अष्टकम
6. महिषासुर मर्दिनी स्तोत्रम्
7. श्री ललिता पंचरत्नम
8. श्री नवदुर्गा रक्षा स्तुति।
9. देवी सूक्तम
इन 9 दिनों में आप किसी भी देवी मंत्र का जाप कर सकते हैं।
देवी दुर्गा के लिए पहले तीन दिन
देवी लक्ष्मी के लिए अगले 3 दिन
देवी सरस्वती के लिए अंतिम 3 दिन 
इनके अलावा आप अपने इष्ट देवी देवताओं की भी पुजा जप तप किये जा सकते हैं,,,,
आईये अब जानते हैं कुछ मंत्र विधान,,,
नवरात्रि में इन मंत्रों से ऊर्जा आती है और ये सभी शक्तिशाली नवरात्रि मंत्र नीचे सूचीबद्ध हैं:
"ॐ दम दुर्गायै नमः": यह मंत्र देवी दुर्गा को नमस्कार है, उनकी दिव्य ऊर्जा और सुरक्षा का आह्वान करता है।
"ॐ ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडायै विच्चे": यह मंत्र देवी चामुंडा, जो कि दुर्गा का एक रूप है, को समर्पित है। ऐसा माना जाता है कि यह शक्ति और साहस प्रदान करता है।
"ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं महा काली देवी नमः": यह मंत्र देवी काली को समर्पित है, जो दुर्गा के उग्र रूपों में से एक हैं। इसका जाप सुरक्षा और बाधाओं को दूर करने के लिए किया जाता है।
"ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्र्यम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते": यह मंत्र देवी दुर्गा को नमस्कार है, उनसे आशीर्वाद और सुरक्षा की प्रार्थना करता है।
"या देवी सर्व भूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः": यह मंत्र सभी प्राणियों में देवी की उपस्थिति को स्वीकार करता है और उनका आशीर्वाद मांगता है।
"ॐ दम दुर्गायै नमः": यह मंत्र "दम" ध्वनि का दोहराव है, जो ड्रम की ध्वनि का प्रतिनिधित्व करता है, जो देवी दुर्गा से जुड़ा है।
"या देवी सर्वभूतेषु मातृरूपेण संस्थिता नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः": यह मंत्र देवी को दिव्य मां के रूप में सम्मानित करता है और उनकी कृपा चाहता है,,,
आप नवरात्रि के दौरान इन मंत्रों का भी जाप कर सकते हैं,,,
ॐ क्रीं कालिकायै नमः (ॐ क्रीं कालिकायै नमः)
ॐ दम दुर्गायै नमः (ॐ दम दुर्गायै नमः)
ॐ जयंती मंगला काली भद्रकाली कपालिनी, दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा नमोऽस्तुते॥
ॐ सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके शरण्ये त्रयंबके गौरी नारायणी नमोऽस्तुते,,,,
मित्रों सभी मंत्रों का अपना अपना महत्व और क्रिया है इनके अलावा और कुछ मंत्र विधान है जो हम यहां दे रहे हैं,,,
मित्रों सुख और सौंदर्य को बढ़ाने वाला मंत्र
जीवन में हर किसी ख्वाहिश होती कि वह हमेशा सुंदर दिखें और उसका रूप-रंंग और यौवन कायम रहे. यदि आपकी भी कुछ ऐसी ही कामना है और आप चाहते हैं कि आपका सालों-साल तक रूप और यौवन कायम रहे तो आपको देवी दुर्गा के नीचे दिए गये मंत्र का जाप नवरात्रि के 09 दिनों तक प्रतिदिन करना चाहिए.,,,,
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्. रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि॥ 
मित्रों यदि किसी कन्या के विवाह में बाधा आ रही हो या फिर तय होने के बाद भी बात बिगड़ जाती हो तो उसे मनचाहा जीवनसाथी पाने के लिए इस नवरात्रि में विशेष रूप से माता कात्यायनी की पूजा करें और नीचे दिए गये मंत्र का प्रतिदिन श्रद्धा और विश्वास के साथ कम से कम एक माला जप जरूर करें.,,,,,,
ॐ कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नन्दगोपसुते देवि पतिं मे कुरु ते नमः॥
मित्रों जीवन से जुड़े तमाम प्रकार के सुख-साधनों को पूरा करने वाले धन की जरूरत हर किसी को होती है. इसके लिए हर कोई संभव प्रयास भी करता है, लेकिन कई बार दुर्भाग्य के चलते कुछ लोगों के पास धन की देवी मां लक्ष्मी नहीं टिकती हैं. यदि आपके साथ भी कुछ ऐसा ही है और तमाम प्रयास के बाद भी पैसों की किल्लत बनी रहती है तो आपको इस नवरात्रि लगातार 09 दिनों तक नीचे दिए गये मां लक्ष्मी के महामंत्र का जाप पूरी श्रद्धा और विश्वास के साथ करना चाहिए.
या देवि सर्व भूतेषु लक्ष्मी रूपेण संस्थिता, नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥
मित्रों नवरात्रि के 09 दिनों में न सिर्फ देवी पूजा नहीं बल्कि मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की साधना का भी बहुत ज्यादा महत्व है  ऐसे में नवरात्रि के 09 दिन देवी दुर्गा के साथ भगवान राम की पूजा करना बिल्कुल न भूलें. मान्यता है कि यदि नवरात्रि के 09 दिनों तक कोई व्यक्ति देवी की साधना के साथ भगवान राम के नीचे दिए गये महामंत्र का जप करता है तो उसकी सभी बाधाएं दूर और कामनाएं पूरी होती हैं.,,,,,
राम रामेति रामेति रमे रामे मनोरमे।
सहस्त्र नाम तत्तुन्यं राम नाम वरानने॥
मित्रों इनके अलावा आप बाबा हनुमान जी और बाबा कालभैरव की भी साधना विधान होते हैं,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, मित्रों अगर उग्र साधना विधान हो तो बिना गुरु की आज्ञा के नहीं करे यहां जितने मंत्र विधान है वो सभी सौम्य है,,,
मित्रों अगर कुछ नहीं सुझ रहा हो और दिक्कते ज्यादा हो तो मां दुर्गा कवच भी रोज एक माला जरुर करे ताकि सारी बाधाएं दुर हो जाती है यही अटल सत्य है,,,,,
मां बाबा आप सभी की मनोकामनाएं पूर्ण करे यही मां बाबा से हमारी प्रार्थना है 🌹🙏
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

जानिए कब है ग्रहण अक्टूबर महीने मे दो ग्रहण है क्या करे?????

मित्रों इस महीने में दो ग्रहण पड़ रहे हैं जिसमें एक ग्रहण का प्रभाव भारत में नहीं होगा और एक का भारत में पुणे प्रभाव होगा ,
मित्रों इस साल अक्टूबर महीने में दो ग्रहण लगेंगे जिसमें पहला आश्विन अमावस्या शनिवार 14 अक्टूबर को लगने वाला सूर्य ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा. यह ग्रहण उत्तरी अमेरिका, दक्षिणी अमेरिका, मध्य अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका के पश्चिमी छोर, अटलांटिक और प्रशांत महासागर में दिखाई देगा. वहीं भारत में शनिवार, 28 अक्टूबर को आश्विन पूर्णिमा पर लगने वाला चंद्रग्रहण दिखाई देगा. इसके अलावा यह ग्रहण अटलांटिक महासागर, हिंद महासागर, पश्चिमी और दक्षिणी प्रशांत महासागर, अफ्रीका, यूरोप, एशिया, ऑस्ट्रेलिया, दक्षिण अमेरिका के पूर्वी उत्तरी भाग में दिखाई देगा. यह ग्रहण अश्विनी नक्षत्र मेष राशि पर लगेगा. भारतीय मानक समय के अनुसार ग्रहण का आरंभ 28-29 की रात्रि 1:05 बजे, स्पर्श 1:44 बजे, मध्य और मोक्ष 2:24 बजे होगा,,,,
मित्रों 14अक्टूबर, बृहस्पतिवार को इस साल का दूसरा सूर्य ग्रहण लगने जा रहा है. यह ग्रहण 14 अक्टूबर को रात 08 बजकर 34 मिनट से शुरू होगा और रात 02 बजकर 25 मिनट पर समाप्त हो जाएगा. यह ग्रहण भारत में दिखाई नहीं देगा इसलिए इस ग्रहण का सूतक काल नहीं माना जाएगा. यह ग्रहण कन्या राशि और चित्रा नक्षत्र में होगा,,,
मित्रों भारत में दिखाई देने वाला पहला और आखिरी चंद्र ग्रहण खंडग्रास चंद्र ग्रहण होगा जो 28-29 अक्टूबर, आश्विन शुक्ल पूर्णिमा शनिवार की रात को भारत में दिखाई देगा , और मित्रों 28-29 अक्टूबर को पड़ने वाले खंडग्रास चंद्र ग्रहण का सूतक काल 9 घंटे पहले यानी 28 अक्टूबर की शाम 4:05 बजे से शुरू हो जाएगा धर्म शास्त्रों के अनुसार सूतक काल के दौरान भोजन से परहेज करने के साथ-साथ श्राद्ध आदि धार्मिक कार्य करने चाहिए ग्रहण के दौरान किया गया मंत्र सिद्ध माना जाता है इसमें जो मंत्र सिद्ध किये गये है उनका पउनश्चरण भी किया जाता है और अपने गुरू मंत्र का जाप भी किया जाता है और सभी मंत्रों के साथ हवन जाप किया जाये तो और भी पावरफुल ऊर्जा का संचार होता है, बच्चों, बूढ़ों और रोगियों को छोड़कर सभी को सनातनी का अनुसरण करना चाहिए , चंद्रास्त के समय ग्रहण की शुरुआत ऑस्ट्रेलिया के पूर्वी हिस्से, उत्तरी प्रशांत महासागर और रूस में दिखाई देगी. चंद्रोदय के समय ग्रहण का अंत ब्राजील और कनाडा के पूर्वी भाग और उत्तरी और दक्षिणी अटलांटिक महासागर में दिखाई देगा. भारत में ग्रहण की पूर्ण अवधि एक घंटा 19 मिनट की होगी, , मित्रों इन दोनो ग्रहण से कुछ लाभ तो कुछ हानियों भी होगी जो निम्न प्रकार से है, 14 अक्टूबर से 4 नवंबर तक आकाश मंडल में भारी उथल-पुथल देखने को मिलेगा. नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों जिसमें 14 और 28 अक्टूबर को दो ग्रहण होंगे, 30 अक्टूबर को राहु-केतु का राशि परिवर्तन और 4 नवंबर को शनि का कुंभ राशि पर सीधी चाल यानी 14 अक्टूबर से 4 नवंबर तक ये 20 दिन खगोलीय घटनाओं में खास रहेंगे. जिसका असर पृथ्वी पर प्राकृतिक आपदा, भूकंप, महामारी, सुनामी, बड़े देशों में युद्ध की स्थिति और राजनीतिक परिणाम भारत समेत पूरी दुनिया में देखने को मिलेंगे. ग्रहण का प्रभाव- ग्रहण 15 दिनों तक रहता है , इस बार शरद पूर्णिमा 28 अक्टूबर को होगी ग्रहण का सूतक लगने के कारण सूतक से पहले ही इनकी पूजा कर लेनी चाहिए ,, मित्रों ग्रहण का शुभ प्रभाव इन चार राशियों वालों को मिलेगा. इसमें मिथुन, कर्क, वृश्चिक और कुंभ शामिल हैं. मिथुन राशि को आर्थिक लाभ, कर्क राशि को चतुर्दिक लाभ, वृश्चिक राशि को मनोवांछित लाभ और कुंभ राशि को श्रीवृद्धि का लाभ होगा,,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏

Monday, March 20, 2023

नवरात्रि की घटस्थापना कब है और क्या सिद्धांत है जप तप करने का,?????

मित्रों आप सभी को जय मां बाबा की आप सभी को नवरात्रि और सनातन हिन्दू धर्म नववर्ष आप सभी को बहुत-बहुत शुभकामनाएं जैसा की आप सभी को पता है कि यह नवरात्रि हो यह कोई भी नवरात्रि हो सभी सनातन  धर्म प्रेमियों के लिए पवित्र साधना आस्था भक्ति तपस्या का समय रहता है एक बात का ध्यान हमेशा रखना भक्ति साधना पूजा पाट मंत्र जाप आदि में किसी प्रकार का सिद्धांत होना जरूरी नहीं है इसमें केवल पवित्रता सच्ची आस्था और अपने धर्म के प्रति ईमानदार होना अपने इष्ट के प्रति पूर्ण श्रद्धा रखना और विश्वास करना होता है आपका कोई मंत्र जाप पूजा तपस्या तभी फेल नहीं होगी यह अटल सकते हैं क्योंकि इन सब में आप अपने गुरु ईस्ट माता पिता परिवार के प्रति ईमानदार होना जरूरी है जो बी करो सोच समझ कर करो और पूरी ईमानदारी से करो तो परमात्मा आपकी जरूर सुनेगा यही सत्य है तो आईये मित्रों जानते हैं कि कब है नवरात्रि और समापन कब है 

चैत्र नवरात्रि  तिथियां 2023
पहला दिन - 22 मार्च 2023 (प्रतिपदा तिथि, घटस्थापना): मां शैलपुत्री पूजा

दूसरा दिन - 23 मार्च 2023 (द्वितीया तिथि): मां ब्रह्मचारिणी पूजा

तीसरा दिन - 24 मार्च 2023 (तृतीया तिथि): मां चंद्रघण्टा पूजा

चौथा दिन - 25 मार्च 2023 (चतुर्थी तिथि): मां कुष्माण्डा पूजा

पांचवां दिन - 26 मार्च 2023 (पंचमी तिथि): मां स्कंदमाता पूजा

छठा दिन - 27 मार्च 2023 (षष्ठी तिथि): मां कात्यायनी पूजा

सांतवां दिन - 28 मार्च 2023 (सप्तमी तिथि): मां कालरात्रि पूजा

आठवां दिन - 29 मार्च 2023 (अष्टमी तिथि): मां महागौरी पूजा

नौवां दिन - 30 मार्च 2023 (नवमी तिथि): मां सिद्धिदात्री पूजा, राम नवमी
दसवा दिन - भैरव पुजा, श्मशान पुजा और श्रेत्रपाल पुजा और स्थान देवता ,,
चैत्र नवरात्रि में नवमी  30 मार्च 2023 को है. इसे महानवमी कहा जाता है. इस दिन मां सिद्धिदात्री का पूजन होता है. 
चैत्र शुक्ल नवमी तिथि 29 मार्च 2023 को रात 09.07 से शुरू हो रही है जिसका समापन 30 मार्च 2023 को रात 11.30 को होगा. इस दिन 4 शुभ योग का संयोग बन रहा है,, गुरु पुष्य योग - 30 मार्च 2023, 10.59 - 31 मार्च 2023, सुबह 06.13
अमृत सिद्धि योग - 30 मार्च 2023, 10.59 - 31 मार्च 2023, सुबह 06.13
सर्वार्थ सिद्धि योग - पूरे दिन
रवि योग - पूरे दिन
पंचांग के अनुसार, चैत्र शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि 21 मार्च 2023 की रात 10 .52 मिनट से शुरू होगी और 22 मार्च 2023 की रात 8 .20 मिनट पर समाप्‍त होगी। उदया तिथि के अनुसार चैत्र नवरात्रि की शुरुआत 22 मार्च 2023 से होगी। इस दिन घटस्‍थापना का शुभ मुहूर्त केवल 1 घंटा 10 मिनट का रहेगा। घटस्‍थापना का शुभ मुहूर्त 22 मार्च की सुबह 06:29 बजे से सुबह 07:39 बजे तक रहेगा, 
नवरात्रि में लोग मान्यता अनुसार अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इस दिन कुल देवी की पूजा के बाद, 9 कन्याओं का पूजन और उन्हें भोजन कराया जाता है. इन 9 कन्याओं को मां का स्वरूप  मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए. भोजन के बाद उन्हें कुछ उपहार देकर आशीर्वाद लें. मान्यता है कि कन्या पूजन के बिना देवी दुर्गा के 9 दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है.
इस दिन घरों में यज्ञ और हवन भी किए जाते हैं. मान्यता है हवन के बाद ही नवरात्रि के 9 दिन की पूजा सफल होती है.
वहीं कुछ लोग इस दिन शाम की पूजा के बाद नवरात्रि व्रत भी खोलते हैं हल्का भोजन या अल्पाहार लेते हैं 
मित्रों हर नवरात्रि में अष्टमी या नवमी के दिन कन्या पूजन करते हैं. इस दिन कुल देवी की पूजा के बाद, 9 कन्याओं का पूजन और उन्हें भोजन कराया जाता है. इन 9 कन्याओं को मां का स्वरूप  मानकर उनकी पूजा करनी चाहिए. भोजन के बाद उन्हें कुछ उपहार देकर आशीर्वाद लें. मान्यता है कि कन्या पूजन के बिना देवी दुर्गा के 9 दिन की पूजा अधूरी मानी जाती है.
बाकी मित्रों इससे पहले भी हमने नवरात्रि में क्या-क्या उपाय होते हैं क्या क्या चीजे होनी चाहिए क्या-क्या साधना करनी चाहिए पिछली नवरात्रि की पोस्ट में बता चुके हैं हमारी पिछली पोस्ट देख सकते हैं उससे आपको काफी मदद मिलेगी धन्यवाद आप सभी का 🌹🙏
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🌹

Wednesday, January 18, 2023

गुप्त नवरात्रि कब से है और क्या करें

मित्रों जय मां बाबा की आप सभी को आप सभी सनातनधर्म प्रेमियों को ज्ञात तो होगा ही कि वर्ष चार नवरात्रि होती है दो गुप्त नवरात्रि के नाम से और दो उत्सव स्वरूप में मनायी जाती है गुप्त नवरात्रि में सब कुछ गुप्त तरीके से होता है जो अति फलदाई होता है कहने को तो गुप्त नवरात्रि तंत्र साधना के लिए अति उत्तम है पर मां बाबा के भक्तो के लिए तो सब कुछ ये सभी नवरात्रि सम्मान होनी चाहिए आईये पुणे विस्तार से जानते हैं 2023 जनवरी 22  इस माघ महीने की नवरात्रि के बारे में मित्रों माघ महीने के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होती है, जो कि नवमी तक चलती है। इस साल माघ गुप्त नवरात्रि की शुरुआत 22 जनवरी 2023 से होगी। वहीं इसका समापन 30 जनवरी 2023 की होगा।

तांत्रिको के लिए हैं ख़ास
तांत्रिको के लिए तंत्र साधना साथना करने वाले करते हैं गुप्त नवरात्रि का इन्तिज़ार , इस दौरान लोग लंबी साधना कर दुर्लभ शक्तियों की प्राप्ति करने का प्रयास करते हैं। गुप्त नवरात्र के दौरान कई साधक महाविद्या (तंत्र साधना) के लिए मां काली, तारा देवी, त्रिपुर सुंदरी, भुवनेश्वरी, माता छिन्नमस्ता, त्रिपुर भैरवी, मां धूमावती, माता बगलामुखी, मातंगी और कमला देवी की पूजा करते हैं।

तांत्रिक अपनी तांत्रिक शक्ति बढ़ाने के लिए कर सकता है यह प्रयोग

केवल साल में दो ही बार कोई भी तांत्रिक अपनी शक्ति बढ़ाने के लिए तांत्रिक साधना में लीन सकता हैं क्योकि साल में दो बार गुप्त नवरात्रि आती है। पहली माघ मास के शुक्ल पक्ष में और दूसरी आषाढ़ शुक्ल पक्ष में। कम ही लोगों को इसका ज्ञान होने के कारण या इसके छिपे हुए होने के कारण इन्हें गुप्त नवरात्र कहते हैं। इनमें विशेष कामनाओं की सिद्धि की जाती हैं पर आजकल आम इंसान भी इन नवरात्रों के बारे में जानने लगे हैं 
गुप्त नवरात्रि को विशेष कामनापूर्ति और सिद्धि के लिए विशेष
गुप्त नवरात्रि को विशेष कामनापूर्ति और सिद्धि के लिए विशेष माना जाता है. मान्यता है कि गुप्त नवरात्रों के साधनाकाल में मां शक्ति का जप, तप, ध्यान करने से जीवन में आ रही सभी बाधाएं नष्ट होने लगती हैं. इस दौरान साधक तंत्र मंत्र और विशेष पाठ गुप्त रूप से करते हैं, तभी उनकी कामना फलित होती है ,अगर कोई साधक साधना में बैठ कर बिना कोई नियम तोड़े साधना पूरी कर लेता हैं और जिस कार्य के लिए वह साधना बैठाता हैं वह कार्य बहुत जल्दी सम्पूर्ण हो जाता है  
पर मित्रों पौराणिक ग्रंथाें के अनुसार चैत्र और शारदीय नवरात्रि में सात्विक और तांत्रिक दोनों प्रकार की पूजा की जाती है, लेकिन गुप्त नवरात्रि में मां दुर्गा की पूजा भी गुप्त तरीके से की जाती है. इसका सीधा मतलब है कि, इस दौरान तांत्रिक क्रिया कलापों पर ही ध्यान दिया जाता है. इसमें मां दुर्गा के भक्त आसपास के लोगों को इसकी भनक नहीं लगने देते कि वे कोई साधना कर रहे हैं. ऐसी मान्यता है कि इस दौरान जितनी गोपनीयता बरती जाए उतनी ही अच्छी सफलता मिलेगी.
मित्रों इस साल 22 जनवरी को माघ गुप्त नवरा​त्रि का प्रारंभ सिद्धि योग में होगा. इस दिन सुबह 10:06 बजे तक वज्र योग है औा उसके बाद से सिद्धि योग है, जो अलगे दिन सुबह 05:41 बजे तक है. ऐसे में माघ गुप्त नवरात्रि का कलश स्थापना सिद्धि योग में होगा. कलश स्थापना के समय अभिजीत मुहूर्त में सिद्धि योग के होने से कार्य की सिद्धि होती है.
घटस्थापना मुहूर्त – 2023 में माघ माह की गुप्त नवरात्री के लिए घटस्थापना का मुहर्त सुबह 10 बजकर 04 मिनट से सुबह 10 बजकर 51 मिनट तक होगा।
घटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – दोपहर 12 बजकर 17 मिनट से दोपहर 01 बजे तक मुहूर्त स्थान दिशा काल के अनुसार समय आगे पीछे हो सकता है,,।
नवरात्रि में माता को पुष्प चढ़ाये, फल चढ़ाये, धुप-दीप जलायें और माँ को भोग लगायें। विधि-विधान से माँ की पूजा-अर्चना करें। नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी मित्रों बात का विशेष ध्यान रखें कि माँ दुर्गा की पूजा में लाल फूल का ही प्रयोग करें,, सावधानी, मित्रों गलती से भी देवी मां को तुलसी, आक, मदार व दूब अर्पित न करें।
गुप्त नवरात्रि में पूजे जाने वाली 10 महाविद्याएं
मां काली
ऐसी कथा प्रचलित है कि महिषासुर से युद्ध के समय माता का क्रोध अपनी चरम सीमा को पार कर गया था। उनका क्रोध उनके मस्तक से 10 भुजाओं वाली काली के रूप में प्रकट हुआ। दुर्गा के क्रोध से जन्मी काया का रंग काला होने के कारण, उन्हें काली नाम दिया गया।
मां काली की पूजा का मंत्र – ॐ क्रीं क्रीं क्रीं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं स्वाहा.
मां काली की पूजा का मंत्र – ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्री हुं हुं दक्षिणे कालिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्री हुं हुं स्वाहा.
तारा देवी
माता तारादेवी को तांत्रिक शक्तियों की देवी माना जाता है। सभी कष्टों से तारने वाली देवी के रूप में देवी तारा की पूजा की जाती है। जब देवी सती के मृतदेह को श्री नारायण ने अपने चक्र से भंग किया था, उनके नेत्र पश्चिम बंगाल के जहां गिरे थे, आज वहां तारापीठ है। तारापीठ को नयनतारा के नाम से भी जाना जाता है और वहां माता की पूजा देवी तारा के रूप में होती है।
मां तारा की पूजा का मंत्र – ॐ ह्रीं स्त्रीं हूं फट.
त्रिपुर सुंदरी
देवासुर संग्राम के समय त्रिपुर सुंदरी ने अपनी सुंदरता से सभी असुरों को अपने वश में कर लिया था। कहते हैं कि इनके आराधना से अलौकिक शक्तियां भक्तों को प्राप्त होती है। त्रिपुर सुंदरी की शक्ति के बारे में देवी पुराण में काफी व्याख्या मिलती है।
मां त्रिपुरसुंदरी की पूजा का मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं श्रीं त्रिपुर सुंदरीये नम:
भुवनेश्वरी
मां भुवनेश्वरी की साधना से शक्ति, लक्ष्मी, वैभव और उत्तम विद्याएं प्राप्त होती हैं। तीनों लोकों को तारने वाली मां भुवनेश्वरी के तीन नेत्र हैं, जिसके तेज से सम्पूर्ण सृष्टि कीर्तिमान है ऐसा माना जाता है। मां भुवनेश्वरी की साधना के लिए कालरात्रि, ग्रहण, होली, दीपावली, महाशिवरात्रि, कृष्ण पक्ष की अष्टमी अथवा चतुर्दशी का समय शुभ माना गया है।
मां भुवनेश्वरी की पूजा का मंत्र – ह्रीं भुवनेश्वरीय ह्रीं नम:.
माता छिन्नमस्ता
दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा शक्तिपीठ झारखण्ड में स्थित देवी छिन्नमस्ता का मंदिर है। देवी ने अपने लोगों की भूख शांत करने के लिए अपनी मस्तक काट दिया था, इसलिए इन्हें माता छिन्नमस्ता के नाम से जाना जाता है।
मां छिन्नमस्ता की पूजा का मंत्र – श्रीं ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैररोचनिए हूं हूं फट स्वाहा.
त्रिपुर भैरवी
माता त्रिपुर भैरवी के चार भुजाएं और तीन नेत्र हैं। इनकी भक्ति से युक्ति और मुक्ति दोनों की प्राप्ति होती है। त्रिपुर भैरवी देवी की साधना से काम, आजीविका, सौभाग्य और आरोग्य की प्राप्ति होती है।
मां त्रिपुर भैरवी पूजा का मंत्र – ॐ ह्रीं भैरवी क्लौं ह्रीं स्वाहा.
मां धूमावती
माता पार्वती ने एक बार क्रोध में भगवान शिव को निगल लिया था। तब से उनका विधवा रूप प्रचलित हुआ जिसका नाम मां धूमावती है। मां धूमावती मानव जाति में बसे इच्छा और कामनाओं का प्रतीक है जो कभी भी खतम नहीं होता है।
मां धूमावती पूजा का मंत्र – धूं धूं धूमावती दैव्ये स्वाहा.
माता बगलामुखी
संस्कृत शब्द वल्गा, जिसका अर्थ दुल्हन होता है को दूसरे शब्दों में बगला कहा गया है। माता के अलौकिक रूप के कारण उन्हें बगलामुखी का नाम प्राप्त हुआ है। इनकी उत्पत्ति गुजरात के सौराष्ट्र में हल्दी के जल से हुई थी। इसलिए इन्हें पीताम्बरा देवी के नाम से भी जाना जाता है।
मां बगलामुखी की पूजा का मंत्र – ॐ ऐं ह्रीं श्रीं बगलामुखी सर्वदृष्टानां मुखं, पदम् स्तम्भय जिव्हा कीलय, शत्रु बुद्धिं विनाशाय ह्रलीं ऊँ स्वाहा.
मातंगी
देवी मातंगी, मातंग तंत्र की देवी मानी जाती हैं। इन्हें जूठन का भोग लगाया जाता है। जब माता पार्वती को कोई स्त्री अपने जूठन का भोग लगा रही थी तब शिवजी और गणों ने माना किया, परन्तु उन स्त्रियों की भक्ति को मान देने के लिए माता ने मातंगी का रूप धारण कर लिया।
मां मतांगी की पूजा का मंत्र – क्रीं ह्रीं मातंगी ह्रीं क्रीं स्वाहा.
कमला देवी
माता कमला देवी, मां लक्ष्मी का ही स्वरुप हैं। जो भक्त सच्चे मन से मां को याद करते हैं उन्हें धन- धान्य, ऐश्वर्य की कोई कमी नहीं होती है। लक्ष्मी हमेशा कमल के पुष्प पर आसीन रहती है। इसी कारण उनका नाम कमला पड़ा।
मां कमला की पूजा का मंत्र – क्रीं ह्रीं कमला ह्रीं क्रीं स्वाहा ।
मित्रों इनके अलावा आप नवदुर्गा रुप में भी इनकी पूजा कर सकते हैं,,
प्रतिपदा तिथि- घटस्थापना और मां शैलपुत्री की पूजा
द्वितीया तिथि - मां ब्रह्मचारिणी पूजा
तृतीया तिथि - मां चंद्रघंटा की पूजा
चतुर्थी तिथि - मां कूष्मांडा की पूजा
पंचमी तिथि - मां स्कंदमाता की पूजा
षष्ठी तिथि - मां कात्यायनी की पूजा
सप्तमी तिथि - मां कालरात्रि की पूजा
अष्टमी तिथि - मां महागौरी की पूजा
नवमी तिथि - मां सिद्धिदात्री की पूजा
दशमी- नवरात्रि का पारण या भैरव पुजा,,
अब इनके भोग और समाधान,,।।
प्रतिपदा- रोगमुक्त रहने के लिए प्रतिपदा तिथि के दिन मां शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफेद चीजों का भोग लगाएं. 

द्वितीया- लंबी उम्र के लिए द्वितीया तिथि को मां ब्रह्मचारिणी को मिश्री, चीनी और पंचामृत का भोग लगाएं. 

तृतीया- दुख से मुक्ति के लिए तृतीया तिथि पर मां चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीजों का भोग लगाएं. 

चतुर्थी- तेज बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए चतुर्थी तिथि पर मां कुष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं.

पंचमी- स्वस्थ शरीर के लिए मां स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं.

षष्ठी- आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए षष्ठी तिथि के दिन मां कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं. 

सप्तमी- संकटों से बचने के लिए सप्तमी के दिन मां कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें.

अष्टमी- संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए अष्टमी तिथि पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाएं. 

नवमी- सुख-समृद्धि के लिए नवमी पर मां सिद्धिदात्री को हलवा, चना-पूरी, खीर आदि का भोग लगाएं,
इनके अलावा अगर आप कुछ नहीं कर सकते तो आप गुप्त नवरात्रि में मां दूर्गा की पूजा के साथ -साथ श्री दुर्गा सप्तशती के अर्गला स्तोत्र दुर्गा चालीसा, हनुमान चालीसा का पाठ भी करना चाहिए। इसके पाठ से अनेक प्रकार के लाभ होते हैं 
मंत्र 
1, ‘ॐ दुं दुर्गायै नमः’ 
मंत्र: 
2 ऊं ऐं ह्रीं क्लीं चामुंडाय विच्चे,,
मित्रों ज्यादा कुछ नहीं आता हो तो सुबह शाम नहा धोकर 108 बार इन दोनों मंत्रों का जाप करें ध्यान रहे ऊपर भी जो सिद्ध विधा मंत्र दिए गये है उनका भी जाप रोज सुबह शाम 108 होना चाहिए,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
जय मां जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹 🌹 🙏🌹🌹

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