तिल का महत्व
दोस्तों जानिए अपने शरीर पर तिल, मस्से का प्रभाव ...
मित्रों हमारे शरीर पर कई प्रकार के जन्म से अथवा जीवन काल के दौरान निकले हुए निशान पाए जाते हैं। जिन्हे हम तिल या मस्सा के नाम से जानते हैं। शास्त्रों के अनुसार शरीर पर पाए गए यह निशान हमारे भविष्य और चरित्र के बारे में बहुत कुछ दर्शाते हैं। तिल तथा मस्से का होना दोनों का एक ही प्रभाव होता है। तिल से हमारे शारीरिक, आर्थिक एवं चरित्र के बारे में भी काफी कुछ मालूम पड़ता है । आइये हम यहाँ पर आपको शरीर के विभिन्न हिस्सों पर तिल के प्रभाव के बारे में बताते है .....
शरीर पर तिल होने का फल
माथे पर - बलवान हो ।
माथे के दाहिनी ओर - धन हमेशा बढ़ता रहेगा।
माथे के बायीं ओर जीवन में संकटों की अधिकता रह सकती है ।
ठुड्डी पर - स्त्री से प्रेम न रहे, स्त्री से मनमुटाव रहे ।
दोनों भौहों पर - अधिकांश समय यात्रा में बितेगा ।
दाहिनी आंख - पराई स्त्री से प्रेम होना ,अच्छे प्रेम संबंध होना ।
बायीं आंख पर - स्त्री से कलह होना ,घोर चिंता और दुख मिल सकता है ।
दाहिनी गाल पर - धनवान, किन्तु घमंडी होए ।
बायीं गाल पर - खर्च बढता रहे।
होंठ पर - विषय-वासना में रमा रहे, कामुक हो।
होंठ के नीचे - निर्धनता हो सकती है।
बाएँ कान के सामने की - व्यक्ति रहस्यमयी होता है, ऐसे व्यक्ति का विवाह अधिक उम्र होने के पश्चात् होए।
बाएँ कान के पीछे - व्यक्ति के ग़लत कार्यो के प्रति झुकाव हो।
दाँए कान के सामने - व्यक्ति बहुत कम आयु में ही धनवान हो व्यक्ति का जीवन साथी सुंदर होए ।
दाँए कान के पीछे - कान में किसी भी प्रकार के रोग होने की सम्भावना होए ।
गर्दन पर - ऐशों आराम मिले ।
कंठ पर - सुरीली आवाज़ का सूचक, संगीत में रूचि होए ।
गले पर और कहीं भी - संगीत के शौक़ीन होते हैं परन्तु गले सम्बंधित रोग की भी सम्भावना बनती है ।
गले के पीछे - रीढ़ सम्बंधित रोग हो सकते है ।
दाहिनी भुजा पर - मान-प्रतिष्ठा प्राप्त हो ।
बायीं भुजा पर - झगडालू होना ।
नाक पर - यात्रा बहुत होए ।
नाक के अग्र भाग पर - लक्ष्य बना कर चलने वाला हो, विपरीत लिंग के प्रति आकर्षित होए ।
नाक के नीचे (मूछ वाली जगह )कहीं भी - व्यक्ति विलासी होगा तथा नींद बहुत अधिक पसंद करेगा।
दाहिनी छाती पर - सुन्दर जीवन साथी मिले, दाम्पत्य जीवन सुखमय हो, धन लाभ भी बने ।
दाहिनी वक्ष पर - जातक कामुक हो, इन्द्रियों को वश में रखे वर्ना बदनामी होने की संभावना ।
बायीं छाती पर - हर्दय सम्बन्धी रोगों की सम्भावना, देर से शादी, स्त्री से मनमुटाव की आशंका ।
बाएँ वक्ष पर - जातक कामुक हो, इन्द्रियों को वश में रखे वर्ना बदनामी होने की संभावना। (दोनों वक्षों पर तिल का एक ही प्रभाव है।)
दोनों छाती के बीच - जीवन सुखी रहे ।
पेट पर - उत्तम भोजन का इच्छुक ।
पेट के बीचो बीच - डरपोक होगा ।
पीठ पर - ज्यादातर यात्रा करनी पड़े ।
कमर में - उम्र परेशानी में गुजरे ।
पुरूष के गुप्तांग पर - पुरूष अधिक कामुक एवं एक से अधिक स्त्रियों से संपर्क में रहता है। शिथिल इन्द्रियों के रोग की सम्भावना|
स्त्री के गुप्तांग पर यदि बाएँ तरफ़ - स्त्री अधिक कामुक होए , कम आयु से ही विपरीत लिंग के संपर्क में रहे अथवा इन्द्रियों सम्बंधित रोगों से पीड़ा की सम्भावना ।ऐसी स्त्रियाँ कन्या को अधिक जनम दें ।
स्त्री के गुप्तांग पर यदि दाँए तरफ़ - यह भी अधिक कामुक होए, गुप्तांग में किसी प्रकार के रोग की आशंका । ऐसी स्त्रियाँ कन्या से अधिक पुत्र को जनम देती दें।
दाहिने हथेली पर - बलवान हो ।
बायीं हथेली पर - खूब खर्च करे,लेकिन ज्यादातर धन व्यर्थ जाये ।
दाहिने हाथ की पीठ पर - धनवान हो ।
बाएं हाथ की पीठ पर - कम खर्च करे ।
दाहिने पैर में - बुद्धिमान हो ।
बाएं पैर में - खर्च अधिक हो ।
घुटने पर - जोडो के दर्द, अस्थि रोगों की संभावना ।
कलाई पर - ऐसे व्यक्ति को यश नही मिलता है। व्यक्ति को पुत्र कष्ट भी होता है।
दाँए कांख बगल में - व्यक्ति बहुत धनवान किन्तु कंजूस भी होए।
बाएँ कांख बगल में - खूब धन कमायें लेकिन रोग और भोग में धन की बर्बादी।
बाएँ कूल्हे (हिप्स) पर - व्यक्ति को बवासीर, भगंदर सम्बन्धी रोगों की सम्भावना।
दाँए कूल्हे (हिप्स) पर - व्यक्ति अपने व्यापार में बहुत आगे जाये ।
ध्यान रहे तिल का प्रभाव स्त्री एवं पुरूष दोनों के लिए एक समान ही होता है ।
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