Friday, November 6, 2015

भूत -प्रेत ,वायव्य बाधाओं और तांत्रिक अभिचार से बचाव के उपाय

भूत -प्रेत ,वायव्य बाधाओं और तांत्रिक अभिचार से बचाव के उपाय
भूत-प्रेत ,वायव्य बाधाएं अथवा तांत्रिक अभिचार व्यक्ति की शारीरिक क्षमता के साथ ही आर्थिक क्षमता पर भी प्रभाव डालते हैं ,इनके कारण पारिवारिक ,दाम्पत्य सम्बन्धी और संतान सम्बन्धी समस्याएं भी हो सकती हैं ,कभी कभी ये गंभीर रोग भी उत्पन्न करते है और मृत्यु का कारण बन जाते है अथवा दुर्घटनाएं करा कर व्यक्ति की मृत्यु के कारण बनते हैं ,कभी कभी इनके कारण शरीर की स्थिति में परिवर्तन हो जाता है और व्यक्ति विकलांग हो सकता है ,मूक-बधिर जैसा हो सकता है ,दौरे आ सकते हैं ,गूम-सुम हो सकता है ,सोचने -समझने अथवा चलने-फिरने में अक्षम हो सकता है ,कुछ शक्तियां व्यक्ति को गलत कार्यों के लिए प्रेरित करती हैं ,अथवा सीधे व्यक्ति के साथ गलत कार्य करती हैं ,कभी-कभी कोई आत्मा किसी महिला के साथ जुड़कर उसका शारीरिक शोषण कर सकती है ,यह व्यक्ति में मांस-मदिरा की और रूचि उत्पन्न कर सकते हैं ,गलत कार्य करवा सकते हैं ,जबकि व्यक्ति ऐसा नहीं चाहता पर उसके शरीर पर उसका नियंत्रण नहीं रहता .इनके प्रभाव से व्यक्ति गलत निर्णय ले सकता है ,लड़ाई-झगडे कर सकता है ,आदि आदि
यदि लगे की व्यक्ति पर किसी आत्मा आदि का प्रभाव है अथवा किसी अभिचार की आशंका हो ,घर में घुसने पर सर भारी हो जाए ,तनाव लगे ,मानसिक विक्षुब्धता हो ,कलह अनावश्यक हो ,हर काम बिगड़ने लगे ,उन्नति रुक जाए ,व्यक्ति विशेष के पसीने से दुर्गन्धयुक्त पसीना आये ,सर चकराए,सर गर्म रहे ,बडबडाये ,आँखे तिरछी हों ,आवेश आये ,उछले-कूड़े-गिरे,आकास की और मुह करके बातें करे ,अचानक इतना बल आ जाए की कई लोगो से मुकाबला कर सके ,शरीर पीला होता जाए ,दिन प्रतिदिन दुर्बल होता जाए ,स्त्री जातक कपडे फाड़ने लगे ,बहुत सात्विक हो जाए या तामसिक हो उग्र रहने लगे अचानक से ,किसी प्रकार का आवेश आने लगे ,बाल बिखेरे झूमे ,व्यक्ति को बुरे सपने आये ,अचानक भय लगे ,छ्या आदि दिखे ,लगे कोई साथ है ,बुरे शकुन दिखे ,बीमारी हो पर कारण पता न लगे ,दुर्घटनाये हो ,बार बार गलतियाँ होने लगें ,तामसिक व्यवहार हो जाए ,उग्रता बढ़ जाए ,कहीं मन न लगे ,एकांत पसंद होने लगे ,अधिक सफाई या गन्दगी अचानक पसंद आने लगे ,कार्य-व्यवहार अस्त-व्यस्त हो जाए ,अचानक व्यवसाय में हानि हो या व्यवसाय रुक जाए ,परिवार में बीमारियाँ बढ़ जाएँ तो यह समस्या हो सकती है ,बच्चे का बहुत रोना ,नोचना ,दांत किटकिटाना,,घर पर पत्थर या हड्डी आदि बरसना ,अचानक आग लग्न जबकि कारण पता न चले तो भी ऐसा हो सकता है ,,यद्यपि इनमे से कुछ ग्रह स्थितियों के कारण भी हो सकता है ,पर लगे की ऐसा है तो किसी योग्य व्यक्ति से संपर्क करना बेहतर होता है |
भूत-प्रेत-चुड़ैल जैसी समस्याओं से व्यक्ति अथवा परिवार के सहयोग से मुक्ति पायी जा सकती है ,किन्तु उच्च स्तर की शक्तियां सक्षम व्यक्ति ही हटा सकता है ,कुछ शक्तियां ऐसी होती हैं की अच्छे अच्छे साधक के छक्के छुडा देती हैं और उनके तक के लिए जान के खतरे बन जाती है ,ऐसे में केवल श्मशान साधक अथवा बेहद उच्च स्तर का साधक ही उन्हें हटा या मना सकता है ,किन्तु यहाँ समस्या यह आती है की इस स्तर का साधक सब जगह मिलता नहीं ,उसे सांसारिक लोगों से मतलब नहीं होता या सांसारिक कार्यों में रूचि नहीं होती ,पैसे आदि का उसके लिए महत्व नहीं होता या यदि वह सात्विक है तो इन आत्माओं के चक्कर में पना नहीं चाहता ,क्योकि इसमें उसकी उस शक्ति का खर्च होता है जो वह अपनी मुक्ति के लिए अर्जन कर रहा होता है .
भूत-प्रेत चुड़ैल जैसी समस्याओं को कौवा तंत्र के प्रयोग से हटाया जा सकता है किन्तु यह जानकार साधक ही कर सकता है ,प्रेत अथवा पिशाच-पिशाचिनी साधक भी इन्हें हटा सकता है ,अच्छा तांत्रिक भी इन्हें हटा सकता है ,देवी साधक,हनुमान-भैरव साधक इन्हें हटा सकता है ,किन्तु उच्च शक्तिया केवल उच्च साधक ही हटा सकता है,इन्हें देवी[दुर्गा-काली-बगला आदि महाविद्या ]साधक ,भैरव-हनुमान साधक ,श्मशान साधक ,अघोर साधक ,रूद्र साधक हटा सकता है , .
बजरंग बाण का पाठ ,सुदर्शन कवच ,दुर्गा कवच,काली सहस्त्रनाम ,बगला सहस्त्रनाम ,काली कवच, बगला कवच, आदि के पाठ से इनके प्रभाव पर अंकुश लगता है ,उग्र शक्तियों की आराधना इनके प्रभाव को रोकती है ,,
भूत-प्रेत बाधा,किये कराये को निष्प्रभावी करने के लिए अथवा रोकने के लिए वनस्पति और पशु-पक्षी तंत्र में नीली अपराजिता जी जड़ ,नागदौन की जड़ ,हत्थाजोड़ी,तगर ,मेहंदी ,काली हल्दी ,समुद्रफल ,सियार सिंगी ,श्वेतार्क गणपति ,श्वेतार्क की जड़ ,कौवा ,गोरोचन,लौंग,भालू का नाख़ून ,शेर का नाख़ून ,भालू के बाल ,गैंडे की खाल ,उल्लू के नाख़ून ,सूअर के दांत ,रुद्राक्ष ,गंध्मासी की जड़,जटामांसी की जड़ ,तेलिया कंद ,काली कनेर की जड़ ,वच ,शंखपुष्पी ,संग इ मिक्नातीस ,लाल पलाश की जड़, चिरचिटा की जड़ आदि का भी प्रयोग किया जाता है |
भूत-प्रेत से कुछ सुरक्षात्मक उपाय पर ध्यान देने से बचाव रहता है ,,कभी भी भरी दोपहर में ,काली रात में अथवा रात में सुनसान स्थान पर ,श्मशान-कब्र-चौरी-नदी किनारे ,बड़े वृक्ष ,बांस की कोठी आदि के आसपास अकेले जाने से बचना चाहिए ,गले में कोई ताबीज आदि पहनना चाहिए विशेषकर बच्चों ,गर्भवती महिलाओं और कुँवारी कन्याओं को ,घर में गंगाजल और अभिमंत्रित जल का छिडकाव कभी कभी कर देना चाहिए ,गूगल-लोबान की धूनी देनी चाहिए ,तांत्रिक अभिचार का भय हो तो घर में योग्य व्यक्ति से कील लगवा देनी चाहिए ,,स्थान हो तो घर के दरवाजे पर श्वेतार्क का पौधा लगाना चाहिए ,शमी का पौधा लगाना चाहिए ,पूजा स्थान में शंख रखना चाहिए और संभव हो तो घर में शंख ध्वनि करनी चाहिए ,
अकसर भूत-प्रेत ,वायव्य बाधा या अभिचार आदि का भय उन परिवारों पर अधिक होता है जहां पित्र दोष हो अथवा जहां कुल देवता की पूजा न होती हो अथवा कुलदेवता नाराज हो अथवा ईष्ट मजबूत न हों ,,कुल देवता परिवार की रक्षा इस प्रकार की समस्याओं से करते हैं ,यदि यह नाराज हों तो सुरक्षा नहीं करते अथवा यह कमजोर हों तो सुरक्षा कर नहीं पाते ,परिणामतः कोई भी समस्या बिना रुकावट घर में प्रवेश कर जाती है ,,इसीतरह अगर पित्र दोष है तो वे जो समस्या उत्पन्न करते हैं वह तो होगा ही साथ में जैसे आपमें मित्रता होती है ,इन आत्माओं में भी मित्रता हो सकती है ,अतः पितरों के साथ उनके मित्र भी आपके परिवार के आसपास आ जाते हैं जबकि ये आपके परिवार से सम्बंधित नहीं होते और इनका कोई लगाव परिवार से नहीं होता ,अतः ये अपनी अतृप्त इच्छाओं की पूर्ति परिवार से करने का प्रयास कर सकते हैं ,अर्थात यह परिवार के लिए अधिक कष्टकारक हो जाते हैं ,अतः यथा संभव पित्र दोष से मुक्ति पाने का उपाय करना चाहिए और कुलदेवता आदि की पूजा नियमानुसार जरुर करनी चाहिए ,,इसी प्रकार यदि आपके ईष्ट कमजोर हैं या ईष्ट नहीं हैं या आप नास्तिक हैं तो भी कोई समस्या प्रभावी शीघ्र हो जाती है

1 comment:

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