****************भूत-प्रेत ,वायव्य बाधाएं और तांत्रिक अभिचार *************
भूत-प्रेतों ,वायव्य बाधाओं और तांत्रिक अभिचार पर बहुत लोगों को विश्वास होता है बहुतों को नहीं ,जब तक व्यक्ति का अनहोनियों से सामना नहीं होता ,जब तक अनचाही-असामान्य घटनाएं नहीं होती ,अदृश्य शक्ति का अहसास नहीं होता व्यक्ति मानता नहीं की ऐसा कुछ होता है ,,समय अच्छा रहते ,सामान्य स्थिति में तार्किक बुद्धि विश्वास नहीं करती ,पर परेशान होता है तब ज्योतिषियों-तांत्रिको-पंडितों-साधकों-मंदिरों-मस्जिदों -मजारों पर दौड़ने लगता है ,,कभी हल मिलता है कभी नहीं ,इसके बहुत से कारण होते हैं .
भूत-प्रेत तब बनते हैं जब किसी व्यक्ति की असामान्य मृत्यु हो जाए और उसका शरीर अचानक काम करना बंद कर दे ,ऐसी स्थिति में उसकी कोशिकाओं की संरक्षित ऊर्जा से सम्बंधित विद्युत् ऊर्जा जो सूक्ष्म शरीर से जुडी होती है ,क्षरित नहीं हो पाती और सूक्ष्म शरीर के माध्यम से आत्मा को जोड़े रखती है ,आत्मा मुक्त नहीं हो पाती ,,व्यक्ति की ईच्छाएं ,आकांक्षाएं उसके मन में जीवित रहती हैं किन्तु उन्हें पूरा करने के लिए शरीर नहीं होता ,,ऐसी स्थिति में वे अपनी अतृप्त आकांक्षाएं पूरी करने के लिए अन्य व्यक्ति के शरीर को माध्यम बनाते हैं ,कभी यह सीधे किसी व्यक्ति के शरीर पर अधिकार कर लेते है ,कभी उन्हें डराकर उनमे प्रवेश कर जाते हैं ,,कभी-कभी ये सदैव साथ न रहकर अपनी आवश्यकतानुसार व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करते हैं ,यह सब इनके शक्ति पर निर्भर करता है ,आवश्यक नहीं की कमजोर ही इनके शिकार हों किन्तु अक्सर बच्चे-महिलायें-नव विवाहिताएं-गर्भावस्था वाली महिलायें-सुन्दर कन्याएं-कमजोर मनोबल वाले पुरुष-ठंडी प्रकृति के व्यक्ति इनके आसान शिकार होते हैं ,यद्यपि यह किसी को भी प्रभावित कर सकते है अगर शक्तिशाली हैं तो ,चाहे परोक्ष करें या अपरोक्ष ,,
इनकी कई श्रेणियां होती है ,जो इनके शक्ति के अनुसार होती है ,,भूत-चुड़ैल कम शक्ति रखते हैं ,प्रेत उनसे अधिक शक्ति रखते हैं ,बीर-शहीद आदि प्रेतों से भी शक्तिशाली होते हैं ,जिन्न-ब्रह्म राक्षस इनसे भी अधिक शक्तिशाली होते हैं, डाकिनी-शाकिनी-पिशाच-भैरव आदि और शक्तिशाली नकारात्मक शक्तियां हैं ,
,, जिन स्थानों पर पहले कभी बहुत मारकाट हुई हो ,युद्ध हुए हों वहां इनकी संख्या अधिक होती है ,अपने मरने के स्थान से भी इनका लगाव होता है यद्यपि ये कहीं भी आ जा सकते हैं ,श्मशानों -कब्रिस्तानों आदि अंत्येष्टि के स्थानों पर ये अधिकता में पाए जाते है ,,ऐसी जगहों जहां अन्धेरा रहता हो ,नकारात्मक ऊर्जा हो ,गन्दगी हो ,सीलन हो ,प्रकाश की पहुँच न हो वहां और कुछ वृक्षों -वनस्पतियों के पास इन्हें शांति मिलती है और इन्हें अच्छा लगता है अतः ये वहां रहना पसंद करते है ,यद्यपि कुछ शक्तिशाली आत्माएं मंदिरों -मजारों-मस्जिदों तक में जा सकती है ,राजधानियों में ,खँडहर महलों में,पहले के युद्ध मैदानों के आसपास ,सडकों के आसपास के वृक्षों पर ,चौराहों आदि पर जहां अधिक दुर्घटनाएं हुई हों ये अधिकता में पाए जाते हैं |
इनकी शक्ति रात्री में बढ़ जाती है क्योकि इन्हें वातावरण की रिनात्मक ऊर्जा से सहारा मिलता है और इनके नकारात्मकता की क्षति नहीं होती ,अँधेरी रातों में ,गर्मी की दोपहर में यह अधिक क्रियाशील होते हैं ,यद्यपि यह चांदनी रातों में और दिन में भी क्रियाशील हो सकते हैं ,कुछ शक्तिया पूर्णिमा के चन्द्रमा का सहारा लेकर भी कुछ लोगों को अधिक परेशान करती है ,क्योकि पूर्णिमा -अमावस्या को कुछ लोगों को मानसिक तनाव -डिप्रेसन की परेशानी होती है ,ऐसे में यह उन्हें अधिक परेशां करते हैं |
कुछ लोग दुर्भावनावश अथवा दुश्मनी में कुछ लोगों पर तांत्रिक टोटके कर देते हैं या तांत्रिक की सहायता से अभिचार करवा देते हैं ,कभी कभी तांत्रिक इन अभिचारों के साथ आत्माएं भी संयुक्त कर भेज देते हैं ,यद्यपि यह प्रक्रिया सामान्य भूत-प्रेतों के प्रभाव से भिन्न होती है किन्तु यह अधिक परेशान करती है ,और इसका इलाज तांत्रिक ही कर सकता है ,इलाज में भी परस्पर शक्ति संतुलन प्रभावी होता है ,,टोटकों और अभिचारों का उर्जा विज्ञान भिन्न होता है जो वस्तुगत ऊर्जा और अभिचार करने वाले के मानसिक बल पर निर्भर करता है ,इनमे दिन-समय-मुहूर्त-स्थान-वस्तु -सामग्री-पद्धति का विशिष्ट संयोग और शक्ति होता है |यह क्रिया किसी भी रूप में व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है ,मानसिक तनाव ,उन्नति में अवरोध,व्यापार में नुक्सान ,दूकान बंधना ,कार्य क्षेत्र में तनाव ,मन न लगना ,दुर्घटनाएं,मानसिक विचलन-डिप्रेसन,अशुभ शकुन,अनिद्रा ,पतन ,दुर्व्यसन,निर्णय में गलतियां ,कलह,मारपीट आपस में ,मतभिन्नता आदि इसके कारण से उत्पन्न हो सकते हैं .|
भूत-प्रेतों ,वायव्य बाधाओं और तांत्रिक अभिचार पर बहुत लोगों को विश्वास होता है बहुतों को नहीं ,जब तक व्यक्ति का अनहोनियों से सामना नहीं होता ,जब तक अनचाही-असामान्य घटनाएं नहीं होती ,अदृश्य शक्ति का अहसास नहीं होता व्यक्ति मानता नहीं की ऐसा कुछ होता है ,,समय अच्छा रहते ,सामान्य स्थिति में तार्किक बुद्धि विश्वास नहीं करती ,पर परेशान होता है तब ज्योतिषियों-तांत्रिको-पंडितों-साधकों-मंदिरों-मस्जिदों -मजारों पर दौड़ने लगता है ,,कभी हल मिलता है कभी नहीं ,इसके बहुत से कारण होते हैं .
भूत-प्रेत तब बनते हैं जब किसी व्यक्ति की असामान्य मृत्यु हो जाए और उसका शरीर अचानक काम करना बंद कर दे ,ऐसी स्थिति में उसकी कोशिकाओं की संरक्षित ऊर्जा से सम्बंधित विद्युत् ऊर्जा जो सूक्ष्म शरीर से जुडी होती है ,क्षरित नहीं हो पाती और सूक्ष्म शरीर के माध्यम से आत्मा को जोड़े रखती है ,आत्मा मुक्त नहीं हो पाती ,,व्यक्ति की ईच्छाएं ,आकांक्षाएं उसके मन में जीवित रहती हैं किन्तु उन्हें पूरा करने के लिए शरीर नहीं होता ,,ऐसी स्थिति में वे अपनी अतृप्त आकांक्षाएं पूरी करने के लिए अन्य व्यक्ति के शरीर को माध्यम बनाते हैं ,कभी यह सीधे किसी व्यक्ति के शरीर पर अधिकार कर लेते है ,कभी उन्हें डराकर उनमे प्रवेश कर जाते हैं ,,कभी-कभी ये सदैव साथ न रहकर अपनी आवश्यकतानुसार व्यक्ति के शरीर को प्रभावित करते हैं ,यह सब इनके शक्ति पर निर्भर करता है ,आवश्यक नहीं की कमजोर ही इनके शिकार हों किन्तु अक्सर बच्चे-महिलायें-नव विवाहिताएं-गर्भावस्था वाली महिलायें-सुन्दर कन्याएं-कमजोर मनोबल वाले पुरुष-ठंडी प्रकृति के व्यक्ति इनके आसान शिकार होते हैं ,यद्यपि यह किसी को भी प्रभावित कर सकते है अगर शक्तिशाली हैं तो ,चाहे परोक्ष करें या अपरोक्ष ,,
इनकी कई श्रेणियां होती है ,जो इनके शक्ति के अनुसार होती है ,,भूत-चुड़ैल कम शक्ति रखते हैं ,प्रेत उनसे अधिक शक्ति रखते हैं ,बीर-शहीद आदि प्रेतों से भी शक्तिशाली होते हैं ,जिन्न-ब्रह्म राक्षस इनसे भी अधिक शक्तिशाली होते हैं, डाकिनी-शाकिनी-पिशाच-भैरव आदि और शक्तिशाली नकारात्मक शक्तियां हैं ,
,, जिन स्थानों पर पहले कभी बहुत मारकाट हुई हो ,युद्ध हुए हों वहां इनकी संख्या अधिक होती है ,अपने मरने के स्थान से भी इनका लगाव होता है यद्यपि ये कहीं भी आ जा सकते हैं ,श्मशानों -कब्रिस्तानों आदि अंत्येष्टि के स्थानों पर ये अधिकता में पाए जाते है ,,ऐसी जगहों जहां अन्धेरा रहता हो ,नकारात्मक ऊर्जा हो ,गन्दगी हो ,सीलन हो ,प्रकाश की पहुँच न हो वहां और कुछ वृक्षों -वनस्पतियों के पास इन्हें शांति मिलती है और इन्हें अच्छा लगता है अतः ये वहां रहना पसंद करते है ,यद्यपि कुछ शक्तिशाली आत्माएं मंदिरों -मजारों-मस्जिदों तक में जा सकती है ,राजधानियों में ,खँडहर महलों में,पहले के युद्ध मैदानों के आसपास ,सडकों के आसपास के वृक्षों पर ,चौराहों आदि पर जहां अधिक दुर्घटनाएं हुई हों ये अधिकता में पाए जाते हैं |
इनकी शक्ति रात्री में बढ़ जाती है क्योकि इन्हें वातावरण की रिनात्मक ऊर्जा से सहारा मिलता है और इनके नकारात्मकता की क्षति नहीं होती ,अँधेरी रातों में ,गर्मी की दोपहर में यह अधिक क्रियाशील होते हैं ,यद्यपि यह चांदनी रातों में और दिन में भी क्रियाशील हो सकते हैं ,कुछ शक्तिया पूर्णिमा के चन्द्रमा का सहारा लेकर भी कुछ लोगों को अधिक परेशान करती है ,क्योकि पूर्णिमा -अमावस्या को कुछ लोगों को मानसिक तनाव -डिप्रेसन की परेशानी होती है ,ऐसे में यह उन्हें अधिक परेशां करते हैं |
कुछ लोग दुर्भावनावश अथवा दुश्मनी में कुछ लोगों पर तांत्रिक टोटके कर देते हैं या तांत्रिक की सहायता से अभिचार करवा देते हैं ,कभी कभी तांत्रिक इन अभिचारों के साथ आत्माएं भी संयुक्त कर भेज देते हैं ,यद्यपि यह प्रक्रिया सामान्य भूत-प्रेतों के प्रभाव से भिन्न होती है किन्तु यह अधिक परेशान करती है ,और इसका इलाज तांत्रिक ही कर सकता है ,इलाज में भी परस्पर शक्ति संतुलन प्रभावी होता है ,,टोटकों और अभिचारों का उर्जा विज्ञान भिन्न होता है जो वस्तुगत ऊर्जा और अभिचार करने वाले के मानसिक बल पर निर्भर करता है ,इनमे दिन-समय-मुहूर्त-स्थान-वस्तु -सामग्री-पद्धति का विशिष्ट संयोग और शक्ति होता है |यह क्रिया किसी भी रूप में व्यक्ति को प्रभावित कर सकती है ,मानसिक तनाव ,उन्नति में अवरोध,व्यापार में नुक्सान ,दूकान बंधना ,कार्य क्षेत्र में तनाव ,मन न लगना ,दुर्घटनाएं,मानसिक विचलन-डिप्रेसन,अशुभ शकुन,अनिद्रा ,पतन ,दुर्व्यसन,निर्णय में गलतियां ,कलह,मारपीट आपस में ,मतभिन्नता आदि इसके कारण से उत्पन्न हो सकते हैं .|
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