Thursday, July 30, 2015

मानो तो आप मर्जी ना मानो तो आपकी इच्छा

जय माँ जय बाबा महाकाल की आप सभी को  ,,,
मानो तो आपकी मर्जी ना मानो तो आपकी मर्ज़ी

दोस्तों आज कल वाटसअप पर कई तरह के आध्यात्मिक ग्रपु चल रहे है..

उनमे ज्यादातर फर्जी ओर फेंक जानकारियाँ  आपको दी जाती है, जिनको पुजा कैसे करते है मंत्र जप कैसे होता है उनको ये नही पता होता है कि मोक्ष कैसे प्राप्त करे...
पता नही वो अपने किसी निजी स्वार्थ के चलते आपको राह भटका देते है पता नही वो ऐसा क्यु करते है.
दोस्तों हमारा तो यही कहना है कि ऐसे लोगों से सावधान रहे ओर अपने इष्टदेव ओर गुरुदेव पर पुणे आस्था ओर विश्वास रखे..

ना की ऐसे फर्जी ओर ढोंगी बाबा ओर ऐसे योगीयो या ऐसे फर्जी ऐस्ट्रो के चक्कर मे आये उनको देखे परखे ओर उनकी असलियत को समझे.. बाकी आप सभी समझदार है आप सभी को क्या कहे...

हमारे ब्लॉग मे जो सामग्री है आप उसका उपयोग किसी को डराने के लिये नही उसकी पीडा कम करने के लिये करे तभी हमारे ब्लाँग का उद्देश्य पुणे होगा...

आप सभी को जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

पुखराज मेवाड़ा आसीन्द
मोबाइल नं 9829026579

Tuesday, July 14, 2015

21 प्राचीन उपाय: ये दूर करेंगे शनि दोष और चमका देंगे आपकी किस्मत

21 प्राचीन उपाय: ये दूर करेंगे शनि दोष और चमका देंगे आपकी किस्मत

1- काली गाय की सेवा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। उसके शीश पर रोली लगाकर सींगों में कलावा बांधकर धूप-आरती करनी चाहिए। फिर परिक्रमा करके गाय को बूंदी के चार लड्डू खिला दें।

2- हर शनिवार उपवास रखें। सूर्यास्त के बाद हनुमानजी का पूजन करें। पूजन में सिंदूर, काली तिल्ली का तेल, इस तेल का दीपक एवं नीले रंग के फूल का प्रयोग करें।

3- शनिवार के दिन बंदरों और काले कुत्तों को लड्डू खिलाने से भी शनि का कुप्रभाव कम हो जाता है अथवा काले घोड़े की नाल या नाव में लगी कील से बना छल्ला धारण करें।

4- शुक्रवार की रात काले चने पानी में भिगो दे। शनिवार को ये चने, कच्चा कोयला, हल्की लोहे की पत्ती एक काले कपड़े में बांधकर मछलियों के तालाब में डाल दें। यह टोटका पूरा एक साल करें। इस दौरान भूल से भी मछली का सेवन न करें।

5- शनिवार के दिन अपने दाहिने हाथ के नाप का उन्नीस हाथ लंबा काला धागा लेकर उसको बंटकर माला की भांति गले में पहनें। इस प्रयोग से भी शनि का प्रकोप कम होता है।

6- चोकरयुक्त आटे की 2 रोटी लेकर एक तेल और दूसरी घी से चुपड़ दें। तेल वाली रोटी पर थोड़ा मिष्ठान रखकर काली गाय को खिला दें इसके बाद दूसरी रोटी भी खिला दें और शनिदेव का स्मरण करें।

7- शनिवार के दिन एक कांसे की कटोरी में तिल का तेल भर कर उसमें अपना मुख देख कर और काले कपड़े में काले उड़द, सवा किलो अनाज, दो लड्डू, फल, काला कोयला और लोहे की कील रख कर डाकोत(शनि का दान लेने वाला) को दान कर दें।

8- शनिवार के दिन किसी हनुमान मंदिर में जाकर हनुमान चालीसा का पाठ करें और शनि दोष की शांति के लिए हनुमानजी से प्रार्थना करें। बूंदी के लड्डू का भोग भी लगाएं।

9- शनिवार के दिन ग्यारह साबूत नारियल बहते हुए जल में प्रवाहित करें और शनिदेव से जीवन को सुखमय बनाने के लिए प्रार्थना करें।

10- प्रत्येक शनिवार को शाम के समय बड़(बरगद) और पीपल के पेड़ के नीचे सूर्योदय से पहले स्नान आदि करने के बाद कड़वे तेल का दीपक लगाएं और दूध एवं धूप आदि अर्पित करें।

11- यदि शनि की साढ़े साती, ढैय्या या महादशा चल रही हो तो इस दौरान मांस, मदिरा का सेवन भूलकर भी न करें। इससे भी शनिदेव अति प्रसन्न हो जाते हैं।

12- लाल चंदन की माला को अभिमंत्रित कर शनिवार या शनि जयंती के दिन पहनने से शनि के अशुभ प्रभाव कम हो जाते हैं।.

13- शमी वृक्ष की जड़ को विधि-विधान पूर्वक घर लेकर आएं। शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के दिन किसी योग्य विद्वान से अभिमंत्रित करवा कर काले धागे में बांधकर गले या बाजू में धारण करें। शनिदेव प्रसन्न होंगे तथा शनि के कारण जितनी भी समस्याएं हैं, उनका निदान होगा।

14- काले धागे में बिच्छू घास की जड़ को अभिमंत्रित करवा कर शनिवार के दिन श्रवण नक्षत्र में या शनि जयंती के शुभ मुहूर्त में धारण करने से भी शनि संबंधी सभी कार्यों में सफलता मिलती है।

15- शनिवार के दिन इन10 नामों से शनिदेव का पूजन करें-
कोणस्थ पिंगलो बभ्रु: कृष्णो रौद्रोन्तको यम:।
सौरि: शनैश्चरो मंद: पिप्पलादेन संस्तुत:।।
अर्थात: 1- कोणस्थ, 2- पिंगल, 3- बभ्रु, 4- कृष्ण, 5- रौद्रान्तक, 6- यम, 7, सौरि, 8- शनैश्चर, 9- मंद व 10- पिप्पलाद। इन दस नामों से शनिदेव का स्मरण करने से सभी शनि दोष दूर हो जाते हैं।

16- शनिवार या शनि जयंती के दिन शनि यंत्र की स्थापना व पूजन करें। इसके बाद प्रतिदिन इस यंत्र की विधि-विधान पूर्वक पूजा करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं। प्रतिदिन यंत्र के सामने सरसों के तेल का दीप जलाएं। नीला या काला पुष्प चढ़ाएं ऐसा करने से लाभ होगा।

17- शनिवार या शनि जयंती के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि से निवृत्त होकर कुश (एक प्रकार की घास) के आसन पर बैठ जाएं। सामने शनिदेव की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें व उसकी पंचोपचार से विधिवत पूजन करें। इसके बाद रूद्राक्ष की माला से नीचे लिखे किसी एक मंत्र की कम से कम पांच माला जप करें तथा शनिदेव से सुख-संपत्ति के लिए प्रार्थना करें। यदि प्रत्येक शनिवार को इस मंत्र का इसी विधि से जप करेंगे तो शीघ्र लाभ होगा।

वैदिक मंत्र
ऊँ शन्नोदेवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये शन्योरभिस्त्रवन्तु न:।

लघु मंत्र
ऊँ ऐं ह्लीं श्रीशनैश्चराय नम:।

18- शनिवार के दिन सवा-सवा किलो काले चने अलग-अलग तीन बर्तनों में भिगो दें। इसके बाद नहाकर, साफ वस्त्र पहनकर शनिदेव का पूजन करें और चनों को सरसौं के तेल में छौंककर इनका भोग शनिदेव को लगाएं और अपनी समस्याओं के निवारण के लिए प्रार्थना करें। इसके बाद पहला सवा किलो चना भैंसे को खिला दें। दूसरा सवा किलो चना कुष्ट रोगियों में बांट दें और तीसरा सवा किलो चना अपने ऊपर से ऊतारकर किसी सुनसान स्थान पर रख आएं। इस टोटके को करने से शनिदेव के प्रकोप में अवश्य कमी होगी।

19- सवा किलो काला कोयला, एक लोहे की कील एक काले कपड़े में बांधकर अपने सिर पर से घुमाकर बहते हुए जल में प्रवाहित कर दें।

20- शनिवार के दिन हनुमानजी को चोला चढ़ाएं। चोले में सरसौं या चमेली के तेल का उपायोग करें और इन तेलों से ही दीपक भी जलाएं।

21- शनिवार के दिन भैरवजी की उपासना करें और शाम के समय कड़वे तेल का दीपक लगाकर शनि दोष से मुक्ति के लिए प्रार्थना करें।

पुजन प्रकार

पुजन प्रकार
१ : बटुक भैरव स्त्रोत्र : इस स्त्रोत्र के पाठ करने मात्र से महामारी राजभय अग्निभय चोरभय उत्पात दुह्स्वप्न के भय में घोर बंधन में इस बटुक भैरव का पाठ अति लाभदाई है | तथा हर प्रकार की सिद्धी हो जाती है | इस प्रयोग का कम से कम १०८ पाठ करना चाहिए |
२ : श्री सूक्त प्रयोग : श्री सूक्त प्रयोग एक ऐसा प्रयोग है जिससे लक्ष्मी जी प्रसन्न होकर घर में स्थिर रूप से निवास करती है | इसके ११०० आवृति [ पाठ ] कराने पर विशेष लाभ होता है |
३ : श्री कनकधारा स्तोत्र : यह स्तोत्र आद्य शंकराचार्य जी द्वारा रचित है जिसके पाठ से स्वर्ण वर्षा हुई थी | कनकधारा स्तोत्र के पाठ करवाने से घर ऑफिस व्यापार स्थल में उतरोत्तर वृद्धि होती रहती है कनकधारा में कमला प्रयोग से अत्यधिक लाभ प्राप्त होता है |
३ : श्री मद भागवत गीता : यह महाभारत के भीष्म पर्व से लिया गया है | इसमें भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को आत्मज्ञान दिया तथा कर्म में लगे रहने के विषय में बतलाया है | इस के पाठ करवाने से घर में शांति सुख व् समृद्धि आती है , तथा सभी दोष पाठ मात्र से नष्ट होते है यह अत्यंत लाभकारी है |
४ : श्री अखंड रामचरित मानस पाठ : यह तुलसीदास द्वारा रचित है | इस मानसमें सात कांड जिसका पारायण [पाठ] अनवरत है | इसलिए इसे अखंड पाठ कहते है | यह २० से २५ घंटे में पूर्ण होता है | मानस पाठ से घर मे काफी शांती तथा यश व कीर्ती बढती हे तथा मनुष्य सही नीती से चलता है |
५ : सुंदर कांड पाठ : सुंदर कांड पाठ तुलसीदास द्वारा रचित रामचरित मानस से लिया गया है इस पाठ से हनुमान जी को प्रसन्न किया जाता है विशेषतः शनी के प्रकोप को शांत करणे के लिये सुंदरकांड का पाठ लाभदायक होता है , वैसे कम से कम १०८ पाठ ब्राह्मण के द्वारा करवाया जाता है |
६ : हनुमान चालीसा : हनुमान चालीसा कलियुग मे मनुष्य के जीवन का आधार है इसका पाठ प्रायः प्रतिदिन किया जाता है | परंतु विशेष रूप से ४१ दिन मे प्रतिदिन १०० पाठ कराने से कोई भी महत्वपूर्ण कार्य के लिए किये गया सभी अनुष्ठान पूर्ण होता है |
७ : बजरंग बाण : बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य स्वयं सुरक्षित रहता है | बजरंग बाण के पाठ से मनुष्य सुरक्षित राहता है इसका कम से कम ५२ पाठ करके हवन करने पर विशेष लाभ प्राप्त होता है |
८ : हरि किर्तन [ हरे राम हरे कृष्ण ] : प्रभू कि कृपा प्राप्ती तथा घर मे आनंद एवं सुख के लिये तथा सन्मार्ग प्राप्ती के लिये हरि किर्तन करवाया जाता है |
९ : श्री सुंदर कांड [ वाल्मिकी रामायण ] : वाल्मिकी रामायण के सुंदर कांड का पाठ करने से संतान बाधा दूर होती है तथा इसके प्रयोग से सारी कठिनाइय समाप्त हो जाती है | वाल्मिकी द्वारा रचित सुंदर कांड एक याज्ञिक प्रयोग है | इस पाठ का १०८ पाठ विशेषतः हवनात्मक रूप से लाभ दायक है |
१० : श्री ललिता सहस्त्र नामावली : ललिता सहस्त्र नाम अर्थात दुर्गा माताकि प्रतिमूर्ती है | इस सहस्त्र नाम के पाठ से अर्चन व अभिषेक तथा हवन करने से विशेषतः रोग बाधा दूर होता है |
११ : श्री शिव सहस्त्र नामावली : शिव सहस्त्र नामावली के कई प्रयोग है | इस प्रयोग से कई लाभ मिळते है | सहस्त्र नामावली के द्वारा अर्चन व अभिषेक तथा हवन प्रयोग से अपारशांती मिळती है |
१२ : श्री हनुमत सहस्त्र नामावली : श्री हनुमत सहस्त्र नामावली के प्रयोग से विशेषतः शनी शांती होती है |
१३ : श्री शनी सहस्त्र नामावली : शनी के प्रकोप या शनी कि साढे साती या अढ्या चाल रही हो तो शनी सहस्त्रनाम का प्रयोग किया जाता है |
१४ : श्री कात्यायनी देवी जप : जिस किसी भी कन्या के विवाह मे बाधा आ रही हो या विलंब हो रहा हो तो कात्यायनी देवी का ४१००० मंत्र का जप केले के पत्ते पर ब्राह्मण पान खाकर जप करता है , तो उस कन्या के विवाह मे आने वाली सभी बाधाये दूर हो जाती है | यह अनुष्ठान २१ दिन मे पूर्ण हो जाता है | यह प्रयोग अनुभव सिद्ध है |
१५ : श्री गोपाल सहस्त्र नाम : जब किसी भी दंपती को पुत्र या संतान कि प्राप्ती न हो रही हो तो ,वह सदाचार तथा धार्मिक पुत्र कि प्राप्ती के लिये गोपाल सहस्त्रनाम का पाठ करावे |गोपाल मंत्र का सवा लाख जप पुत्र प्राप्ती मे अत्यंत लाभदायक है | यह प्रयोग अनुभूत है |
१६ : श्री हरिवंश पुराण : श्री हरिवंश पुराण कथा का श्रवण अत्यंत प्रभावी होता है | जिस किसी भी परिवार मे संतान न उत्पन्न हो रहा हो तो इस पुराण के पारायण [ पाठ ] से घर मे संतान उत्पत्ती होती है |यह अनुभूत है तथा , यह ७ दिन का कार्यक्रम होता है |
१७ : श्री शिव पुराण : श्री शिव पुराण मे शिव जी के महिमा का हि विशेष वर्णन है तथा उनके सभी अवतरो का वर्णन किया गया है | यह श्रावण मास या पुरुषोत्तम मास मे विशेष रूप से पाठ बैठाया जाता है |
१८ : श्री देवी भागवत : श्री देवी भागवत मे भी १८००० श्लोक है तथा यह माता जी के प्रसन्नता के लिये किया जाता है ,यह प्रयोग नवरात्र या विशेष पर्व पर किया जाता है |
१९ : श्री गणपती पूजन एवं अभिषेक : किसी भी शुभ अवसर पर यह पूजन किया जा सकता है | इससे सभी बाधाये दूर हो जाती है तथा कार्य मे उत्तरोत्तर वृद्धि होती है |
२० : भूमी पूजन ,आफिस एवं दुकान उदघाटन : भूमि पूजन एवं दुकान उदघाटन उस भूमि पर कार्य शुरू करने के पूर्व वहा का भूमि पूजन सम्पन्न किया जाता है | जिससे वहा किसी प्रकार की बाधा उत्पन्न न हो और कार्य आसानी से सम्पन्न हो जाय|
क : आफिस एवं दुकान उदघाटन : के समय उस स्थान पर प्रथम पूजनीय श्री गणेश ,वरुण देव ,नवग्रह पूजन किया जाता है |जिससे व्यवसाय में उतरोत्तर वृद्धि होती रहे | तथा लक्ष्मी जी का आगमन बना रहे | विशेष रूप से कृपा प्राप्ति के लिए कनकधारा या श्री सूक्त का ब्राह्मणों से पाठ करवाने से लाभ प्राप्त होते है |
२१ : श्री नवग्रह
१ : सूर्य : सूर्य की शांति के लिए सूर्य के ७००० मन्त्र संख्या का जप करना अनिवार्य है | साथ में गेहू या गुण दान करे लाल चन्दन लगाये तथा सूर्य को अर्घ्य दें | माणिक्य सोना या तम्बा में धारण करे लाभ प्राप्त होगा |
२ : चन्द्र शांति : चन्द्र ग्रह बहुत ही निर्मल है इसकी शांति के लिए ११००० मन्त्र जप करवाने से चन्द्र शांति होती है |
३ : मंगल शांति : मंगल शांति के लिए मंगल के १०००० मन्त्र का जप कराया जाता है |
४ : बुध शांति : बुध के ९००० मंत्रो के जप कराने से तथा दान करने से बुध ग्रह शांत होता है |
५ : गुरु शांति : गुरु की जप संख्या १९००० का जप करवाने से तथा पीले वस्त्रो का दान देने से गुरु की शांति होती है |
६ : शुक्र शांति : शुक्र की जप संख्या १६००० का जप ब्रह्मण द्वारा कराए तथा सफेद वस्तुओ का दान करे शुक्र प्रसन्न होगे |
७ : शनि शांति : २३००० शनि मंत्रो का जप कराए तथा काले वस्त्रो का दान करे तो शनि शीघ्र लाभकारी होगा |
८ : राहू शांति : राहू की शांति के लिए १८००० जप ब्राह्मण द्वरा कराए तथा यथोचित दान करे आप को लाभ प्राप्त होगा |
९ : केतु शांति : केतु शांति के लिए १७००० मंत्रो का जप कराए , और उचित दान देने पर विशेष लाभ प्राप्त होगा 

Monday, July 13, 2015

धन प्राप्ति के सामान्य टोटके

आज के युग में सबसे महवपूर्ण कार्य धनप्राप्ति है|कई लोग ऐसे हैं की अज्ञात कारणों से उनके धन प्राप्ति में कोई न कोई रोड़ा अटकता ही रहता है|नीचे कुछ टोटके बताये जा रहें हैं जो धन प्राप्ति में महतवपूर्ण है|जिस स्थान पर इन टोटकों का पालन होता हैं उस स्थान पर माँ लक्ष्मी अपना स्थाई वास बनाती है|
जिस घर में नियमित रूप से अथवा प्रत्येक शुक्रवार को श्रीसूक्त अथवा श्री लक्ष्मी सूक्त का पाठ होता है वहां माँ लक्ष्मी का स्थाई वास होता है|
पर्त्येक सप्ताह घर में फर्श पर पोचा लगते समय थोडा सा समुंदरी नमक मिला लिया करें ऐसा करने से घर में होने वाले झगरे कम होते हैं|इसके अतिरिक्त यह भी लाभ मिलता है आपको नहीं मालूम की आपके घर में आने वाला अतिथि n कहाँ से आया है,तथा उसके मन में आपके प्रति क्या विचार है,नमक मिले पानी से पोचा लगाने से सारी नकारात्मक उर्जा समाप्त हो जाती है|
प्रात: उठ कर गृह लक्ष्मी यदि मुख्य द्वार पर एक गिलास अथवा लोटा जल डाले तो माँ लक्ष्मी के आने का मार्ग प्रशस्त होता है|
यदि आप चाहतें हैंकि घर में सुख शांति बनी रहे तथा आप आर्थिक रूप से समर्थ रहें तो प्रत्येक अमावस्या को अपने घर की पूर्ण सफाई करवा दें|जितना भी फ़ालतू सामान इकठा हुआ हो उसे क्बारी को बेच दें अथवा बाहर फेंक दें ,सफाई के बाद पांच अगरबती घर के मंदिर में लगायें|
यदि आप प्रत्येक पूर्णिमा हवन कर सकें तो बहुत ही शुभ है |इसके लिए यदि आपको कोई मन्त्र नहीं आता है तो सिर्फ इतना करें की किसी कंडे(गोहा)अथवा उपले पर अग्नि प्रजव्लित कर ॐ के उच्चारण से १०८ आहुति दें|यह आपकी धार्मिक भावना को जताता है|
महीने में दो बार किसी भी दिन उपले पर थोड़ी सी लोबान रख कर उसके धुएं को पूरे घर में घुमाएं|
यदि आप के पूजा काल में कोई मेहमान आता है तो यह बहुत शुभ है,इस समय उस मेहमान को जल पान अवश्य करवाएं|यदि संध्या काल की पूजा में कोई सुहागिन स्त्री आती है तो आपका बहुत ही सोभाग्य है|आप यह समझें की आपके घर माँ लक्ष्मी का परवेश हो चूका है|
आप जब भी घर वापिस आयें तो कभी खली हाथ न आयें|यदि आप बाज़ार से कुछ लेने की स्थिति में नही हैं तो रास्ते से एक कागज़ का टुकड़ा उठा लायें |
आपकी साधना अर्थात पूजा काल में कोई बच्चा रोता है तो यह आपके लिए शुभ नही है|इसके लिए आप ज्ञानी व्यक्ति से संपर्क कर पता लगायें की क्या वजह है|इसका सामान्य कारन यह हो सकता है की आपके घर में कोई नकारात्मक शक्ति अवश्य है|
आप के निवास में अग्नेकोण(पूर्व वह दक्षिण का होना)में यदि गलती से कोई पानी की वयवस्था हो गयी है तो यह वास्तु शास्त्र के अनुसार बहुत बड़ा दोष है|इसके लिए आप उस स्थान पर चोबीस घंटे एक लाल बल्ब जलता रहने दें|शाम को उस स्थान पर एक दीपक अवश्य रखें|
घर में कभी नमक किसी खुले डीबे में न रखें|
घर के जितने भी दरवाजे हों उनमें समय समय पर तेल अवश्य डालते रहना चाहिए|उनमें से किसी भी प्रकार की आवाज़ नही आनी चाहिए|
घर में अगर किसी दिन कोई बच्चा सुबह उठते ही कुछ खाने को मांगे अथवा बिना कारन के रोने लगे तो उस दिन घर प्रत्येक सदस्य को सावधान रहने की आवश्यकता है,क्यूंकि यह बात कुछ असुविधा को जताती है|
कभी भी किसी को दान दें तो उसे घर की देहली में अन्दर न आने दें,दान घर की देहली के अन्दर से ही करें|
यदि नियमित रूप से घर की प्रथम रोटी गाय को तथा अंतिम रोटी कुते को दें तो आपके भाग्य के द्वार खोलने से कोई नही रोक सकता|
आप अपने निवास में कुछ कच्चा स्थान अवश्य रखें|यदि संभव हो तो यह घर के मध्य स्थान में रखें|यदि यहाँ तुलसी का पौधा लगा है तो फिर आपके कार्यों में कोई भी रूकावट नही आ सकती|
आप यदि अपने व्यस्त जीवन में गुरूवार को केले के वृक्ष पर सदा जल अर्पित कर घी का दीपक तथा शनिवार को पीपल के वृक्ष में गुड,दूध मिर्षित जल वह सरसों के तेल का दीपक अर्पित करें तो कभी भी आर्थिक रूप से परेशान नही होंगे|
आर्थिक सम्पनता के लिए आप नियम बना लें की नित्य ही किसी भी पीपल के दरखत में जल अवश्य दें|



कुछ उपयोगी टोटके
छोटे छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं,पर उनकी विधिवत जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं |यहाँ कुछ उपयोगी टोटकों कि विधिवत जानकारी दी जा र्ही है |
परीक्षा में पास होने के लिए:
जेहि पर कृपा करहीं जनु जानी |
कवि उर अजिर नवावहिं बानी |
मोरी सुधारिहि सो सब भांति
जासु कृपा  नहीं कृपा अघाती ||
आकर्षण के लिए :
जेहि के जेहिं पर सत्य सनेहू |
सो तेहि मिलइ न कछु संदेहू ||
खोई हुई वस्तु पुन:प्राप्त करने के लिए :
गयी बहोर गरीब नेबाजू |
सरल सबल साहिब रघुराजू ||
जीविका प्राप्त करने के लिए :
विस्व भरन पोषण कर जोई |
ताकर नाम भरत अस होई ||
दरिद्रता दूर करने के लिए :
अतिथि पूज्य प्रियतम पुरारी के |
कामद धन दारिद द्वारिके ||
लक्ष्मी प्राप्त करने के लिए:
जिमी सरिता सागद महूँ नाहीं |
जघपि ताहि कामना नाहीं |
तिमी सुख सम्पति विनहि बोलाए |
धर्मसील फिन जाहीं सुभाएँ ||
पुत्र प्राप्ति के लिए :
प्रेम मगन कौसल्या निसदिन जात न जान |
सूत स्नेह बस माता बाल चरित कर गान ||
सम्पति प्राप्त के लिए:
जे सकाम न सुनहिं जे गावहीं
सुख सम्पति नाना विधि पावहिं ||
सर्वसुख प्राप्त  करने के लिए:
सुनहिं विमुक्त विरत अरु विषई |
चहहीं भगती  गति संपति नई ||
मनोरथ सिद्धि  के लिए:
भव  भेषज रघुनाथ जसु सुनहिं जे नर और नारी |
तिन कर सकल मनोरथ सिद्ध करही त्रिसिरारि ||
मुकदमा जीतने के लिए :
पवन तनय बल पवन समाना |
बुद्धि विवेक विज्ञान निधाना ||
शत्रुता नाश के लिए :
बयरु न कर काहू सन कोई |
राम प्रताप विषमता खोई ||
विवाह के लिए :
तब जनक  पाई बसिष्ठ आयसु व्याह साज संवारिके |
माडवी श्रुतकीर्ति उर्मिला कुअरी   लई हवनाती के ||

वास्तु दोष निवारण के सरल उपाय...




पूजा घर पूर्व-उत्तर में होना चाहिए तथा पूजा यथासंभव प्रात: ६ से ८ बजे के बीच भूमि पर उनी आसन पर पूर्व उतर को और मुंह कर बैठकर ही करनी चाहिए |
ईशान कोण में सदैव जल का एक कलश भरकर रखना चाहिए |इससे घर में सम्पनता आती है |मकान के उतर-पूर्व कोने को हमेशा खाली रखना चाहिए |
घर में कहीं भी झाड़ू को खड़ा करके नहीं रखना चाहिए |उसे पैर नहीं लगाना चाहिए |न ही लांघा  जाना चाहिए |अन्यथा घर में बरकत और धनागम के स्रोतों में वृद्धि नहीं होगी |
पूजाघर में तीन गणेशों कि  पूजा नही होनी चाहिए |अन्यथा घर में शांति नही होगी |तीन मातायों तथा दो शंखों का एक साथ पूजन भी वर्जित है |धुप,आरती,दीप पूजा अग्नि आदि को मुंह से फूंक मारकर नहीं बुझायें |पूजा कक्ष में हवन कुंड तथा धुप अगरबती हमेशा दक्षिण पूर्व में रखें |
घर में दरवाजे अपने आप खुलने व बंद होने वाले नहीं होने चाहिए |ऐसे दरवाजे अज्ञात भय पैदा करते हैं|
दरवाजे खोलते तथा बंद करते समय सावधानी बरते ताकि  कर्कश आवाज न हो |इससे घर में कलह होता है |इससे बचने के लिए दरवाजों पर स्टॉपर लगाएं |
खिड़कियाँ खोल कर रखें  ताकि घर में रौशनी आती रहे |
घर में जुते-चप्पल इधर उधर बिखरे हुए या उलटे पड़े हुए नहीं हों अन्यथा घर में अशांति होगी |सामान्य स्थिति में संध्या के समय नहीं सोना चाहिए |रात को सोने से पूर्व कुछ समय अपने इष्टदेव का ध्यान जरूर करना चाहिए |
घर के मंध्य भाग में जूठे बर्तन साफ़ करने का स्थान नहीं बनाना चाहिए |
उतार-पूर्वी कोने को वायु प्रवेश के लिए खुला रखें |इससे मन और शरीर में उर्जा का संचार होगा |
अचल संपति कि सुरक्षा तथा परिवार कि समृधि के लिए शौचालय,स्नानगार आदि दक्षिण-पशिचम के कोने में बनाएँ |
रोटी बनाते समय पहली रोटी अग्निदेव को अर्पित करें या गाय को खिलाएं,धनागम के स्रोत ब्देंगे |
पूजा स्थान में रोज सुबह श्री सूक्त,पुरुष सूक्त एवं हनुमान चालीसा का पाठ करें  |घर में शांति बनी रहेगी |
भवन के चारों और जल या गंगा जल छिडकें |
कहीं जाने के लिए घर से रात्री या दिन में के ठीक १२ बजे न निकले |
किसी महत्वपूर्ण काम के लिए दहीं  खाकर या मछली का दर्शन कर घर से निकले |
घर में या घर के बाहर नाली में पानी जमा नहीं रहने दें|
घर में मकड़ी का जाल नहीं लगने दें |अन्यथा धन कि हानि होगी |
शयनकक्ष में कभी झूठे बर्तन नहीं रखें,अन्यथा परिवार में क्लेश और धन कि हानि हो सकती है |
भोजन यथासम्भव आग्न्य कोण में पूर्व कि और मुंह कर बनाना और पूर्व कि और ही मुंह करके खाना चाहिए |


वास्तु के अनुसार सीढियाँ...
यदि घर  कि सीढियाँ वास्तु नियमों के अनुरूप बनाई जाएँ तों हमारे घर कि सीढियाँ हमारे लिए सदैव ही कामयाबी एवं सफलता कि सीढियाँ बन सकती हैं |बस आवश्यकता है सीढियाँ बनवाते समय वास्तु के कुछ नियमों का पालन करने कि |फिर हम भी जीवन में सुख समृधि,खुशहाली सभी कुछ एक साथ पा सकते हैं |सीढियाँ संबंधी वास्तु नियम इस परकार है |


मकान कि सीढियाँ पूर्व  से पश्चिम या उत्तर से दक्षिण कि और पश्चिम या उत्तर से दक्षिण कि और जाने वाली होनी चाहिए |
इस बात का ध्यान रखें सीढियाँ जब पहली मंजिल कि और निकलती हों तों हमारा मुख उत्तर-पश्चिम या दक्षिण पूर्व में होना चाहिए |
सीढियों के लिए भवन के पश्चिम,दक्षिण या नैर्त्ग्य का क्षेत्र सर्वाधिक उपयुक्त होता हैं |
सीढियाँ कभी भी उत्तरी या पूर्वी दीवार से जुडी हुई नहीं होनी चाहिए |उत्तरी या पूर्वी दीवार एवं सीढियों के बीच कम से कम ३"कि दूरी अवश्य होनी चाहिए |
घर के उत्तर-पूर्व या ईशान कोण में सीढियों का निर्माण कभी नहीं करवाना चाहिए |इस क्षेत्र में सीढियाँ बनवाने से आर्थिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है |व्यवसाय में नुक्सान एवं स्वास्थ्य कि हानि भी होती है तथा ग्रह स्वामी के दिवालिया होने कि संभावना भी निरंतर बनी रहती है |
घर के आग्नेय कोण अर्थात दक्षिण-पूर्व में सीढियाँ बनवाने से संतान के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव पड़ता है |
सीढियाँ यदि गोलाई में या सदैव पूर्व से दक्षिण से पश्चिम से उत्तर तथा उत्तर से पूर्व दिशा में होना चाहिए |
सीढियाँ  के आरंभ एवं अंत द्वार अवश्य बनवाना चाहिए |
सीढियों का द्वारा पूर्ण अथवा दक्षिण दिशा में ही होना चाहिए |
सीडियों के दोनों और रेलिंग लगी होनी चाहिए |
सीढियों का प्रारंभ त्रिकोणात्मक रूप में नही होना चाहिए |
सीढियों संबंधी वास्तु दोधों को दूर करने के उपाय:
यदि घर बनवाते समय सीढियों से संबंधित कोई वास्तु दोष रह गया है हो उस स्थान पर बारिश का पानी मिटटी के कलश में भरकर तथा तथा मिटटी के ढक्कन से ढककर जमीन के नीचे दबा दें |ऐसा करने से सीढियों संबंधी वास्तु दोषों  का नाश होता है |
यदि यह उपाय करने भी संभव न हो तों घर में प्रत्येक प्रकार के वास्तु दोधों को दूर करने के लिए घर कि छत पर एक मिटटी के बर्तन में सतनाजा तथा दुसरे बर्तन में जल भरकर पक्षियों के लिए रखें |

लाल किताब,शनि एवं वास्तु विचार...
लाल किताब में वास्तु अर्थात भवन या मकान का कारण ग्रह शनि है |किसी कि जन्कुंडली में शनि उच्च का हो तों उसे भवन सुख मिलता है |इसके विपरीत शनि,नीच,अस्त या श्रीण शत्रु ग्रहों से युक्त हो तों जातक को मकान सुख से वंचित रखता है |किसी भी जन्कुंडली में भारतीय ज्योतिषानुसार चतुर्थ स्थान मकान कारक माना  गया है |लेकिन लाल किताब में मकान का कारक द्रितीय स्थान या दूसरे घर को माना  गया है |सांतवे भाव से भवन के सुख दुःख का विचार किया जाता है |
मनुष्य पर ग्रहों का शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है और लाल किताब में ग्रहों को जजों कि संज्ञा दी गयी है |इसमें भी शनि को मुख्य न्यायाधीश माना गया है |अत शनि का भावानुसार शुभाशुभ फल प्रथम बतलाय जा रहे हैं |किसी भी व्यक्ति द्वारा जब स्वयम का मकान बनाया जाता है तों मकान बनाने के प्रारंभिक ३ से १८ वर्षों के दौरान शनि का उस भवन पर शुभाशुभ प्रभाव पड़ता है,जिससे व्यक्ति का जीवन भी प्रभावित होता है |

मकान में रसोई व्यवस्था...


रसोईघर को पूजाघर,शौचालय अथवा शयनकक्ष के नीचे थ्व ऊपर नहीं बनाना चाहिए |रसोईघर मुख्य भवन अथवा फ़्लैट के दक्षिण पूर्व कोने में होना चाहिए |
रसोईघर का मुख्य चबूतरा पूर्व और दक्षिण-पूर्व में होना चाहिए |
स्टोव अथवा गैस बर्नर दक्षिण पूर्व कोने में दीवार से कुछ इंच दूर हों चाहिए |
रसोईघर के चबूतरे के निकट 'एल 'आकार का एक एनी चबूतरा दक्षिणी दीवार के निकट माइक्रोवेव,ओवे,मिक्सर,ग्राइंडर आदि रखने के लिए बहुत उपयोगी होगा|
जहां तक संभव हो,सिंक चबूतरे के उत्तर पूर्व में होनी चाहिए|जल पात्र और बर्तन आदि उत्तर पूर्व कि और रखने चाहिए |
गैस बर्नर रसोईघर के मुख्यद्वार के सामने नहीं होना चाहिए |
रसोईघर कि पूर्व और पश्चिम दिशा में हवा के लिए एक या दो खिडकी अथवा वायु-छिद्र होने चाहिए |वायु छिद्र में एग्जास्ट पंखा लगाना उपयोगी है |
रसोईघर में रखी भोजन्मेज उत्तर-पश्चिम /पश्चिम कि और हो |
हल्का सामन पूर्व अथवा उत्तर में रखा जा सकता है |
खाना पकाते समय मुंह पूर्व कि और होना चाहिए |
रसोईघर के दीवारों और फर्श का रंग पीला,नारंगी,गुलाबी,चिक्लेती,अथवा लाल होना चाहिए |जहां तक संभव हो काला नही होना चाहिए |
यदि रसोईघर में फ्रिज हो तों उसे दक्षिण-पूर्व,दक्षिण,पश्चिम अथवा उत्तर दिशा में रखना,कोने से एक फुट दूर |वरना यह हमेशा खराब रहेगा |
उत्तर-पूर्व में स्थित रसोईघर मानसिक परेशानियां बदाता है |और इसके कारण बड़ी हनी हो सकती है |
यदि रसोईघर उत्तर पश्चिम में होता है तों खात्च बढता है |उत्तर दिशा में रसोईघर सबसे खतरनाक होता है |यह कुबेर का स्थान है,यहाँ रसोई होने पर खर्च आशा से अधिक होने लगता है |
रसोईघर में जो पकाएं सबसे पहले उसे अग्नि को अम्र्पित करें |इससे घर में शान्ति और सम्पन्नता बनी रहती है |

लाल किताब के अनुसार जन्कुंडली में यदि शनि पहले घर में हो और सांत्व व दसवां घर खाली हो तों शुभ फलों कि प्राप्ति होती है |वरना वः लोगों का ॠणी हो जाता है |
यदि शनि दूसरे स्थान में हो तों व्यक्ति मकान का निर्माण मध्य में न रोकें |ऐसा करने से वो सुखी रहेगा वरना उप परिणाम भुगतने पढ सकते हैं |
यदि शनि तीसरे घर में हो तों व्यक्ति मकान बना लेने के बाद तीन कुत्ते पाले |ऐसा करने से व्यक्ति सुखी रहेगा वरना दुःख भोगने होंगे |
यदि शनि चौथे घर में हो तों व्यक्ति किराए के मकान में रह ले,व्ही अच्छा है|क्यूंकि निजी मकान बनवाने से सास,माँ,मामा,दादी आदि को कष्ट उठाने होंगे |
यदि शनि पांचवे घर में हो और व्यक्ति निजी मकान बनवाय तों संतान को पीड़ा रहेगी |इसके विपरीत यदि संतान्द्वारा निर्मित मकान में रहे तों ठीक रहेगा |व्यक्ति स्वयम का मकान यदि बनवाय तों ४८ कि उम्र पार करके ही बनवाए |मकान बनवाने से पहले खुदाई के समय या उससे पहले पूजन करके छोड़ दे इसे अशुभ फल नष्ट हो जायेंगे |
यदि शनि छठे घर में हो तों व्यक्ति ३६ से ३९ कि उम्र होने पर ही मकान बनवाए अन्यथा बेटी कि ससुराल में परेशानी उत्पन्न हो जायेगी |
यदि शनि सांतवे घर में हो तों व्यक्ति मकान बनवाने पर सुखी रहता है |तथा वह एक के बाद एक मकान बनाता रहता है |या बना हुआ ही खरीदता रहता है |ऐसा तभी होता है जब शनि शुभ हो |वरना अपना भी मकान बेचना पड़ता है |
यदि शनि आठवे घर में हो व्यक्ति मकान बनाने लगे तों उसे कई समस्यायों का सामना करना पड़ता है|वह कष्ट में रहता है |लेकिन अगर राहू-केतु शुभ हों तों अच्छे फल भी मिलते है |
यदि शनि नवें घर में हो तों व्यक्ति मकान बनाना तब प्रारंभ करे जब घर में कोई स्त्री गर्भ से हो|ऐसा व्यक्ति मकान निर्माण में अपना पैसा लगायेगा तों पिता कि मौत देखेगा |इसका हल है कि अपना पैसा ॠण चुकाने में ही प्रयोग करे |मकान एक या दो ही बनाए |
यदि शनि दसवें घर में हो और उसे अपना मकान बनाकर रहे तों उसे सुख प्राप्त नहीं होता |अपने मकान में जाते ही वह दरिद्र हो जाता है|इससे अच्छा यही है कि वह किराए के मकान में रहे |
यदि शनि ग्यारहवें घर में हों तों व्यक्ति बुदापे में मकान बनवाता है |
यदि शनि बारहवें घर में हो तों व्यक्ति को आयातकार मकान बनवाना शुभ रहेगा |मकान बनवाते समय अनेक दीक्क्तों का सामना करना पड़ता है |अत:धीरे-धीरे बनवाने में ही फायदा है |लें बनवाता रहे |निर्माण कार्य रोके नहीं |
मकान के दरवाजे का फल:
पूर्व दिशा :यदि मकान का दरवाजा पूर्व दिशा में हो तों शुभ रहता है |ऐसे घर में विशवास पात्रों का आगमन होता रहता है |पश्चिम दिशा में ठीक सामने दरवाजा रखें |
उत्तर दिशा:यदि मकान का दरवाजा उत्तर दिशा में है तों यात्राएं लंबी होती है और फलदायी होती है |वचार भी आध्यात्मिक व पवित्र होते है |
पश्चिम दिशा:यदि मकान का दरवाजा पश्चिम दिशा में है तों भी शुभफल देने वाला होता है व्यक्ति धीरे धीरे आगे बड़ता है |परन्तु खतरा नही रहता है |
दक्षिण दिशा :यदि मकान का दरवाजा दक्षिण दिशा में हो तों यह अशुभ होता है |उस घर का मालिक खुद भी दुखी रहता है और उस घर में रहने वाली औरतें भी दुखी रहती हैं |दक्षिण दिशा के दरवाजे वाले मकान में कायदे क़ानून के विरुद्ध कार्यों का दब दबा रहता है |ऐसे मकान के अशुभ प्रभाव को खतम कर शुभ में बदलने के लिए दान में बकरी देनी चाहिए |और बुध ग्रह कि चीज़े और साबुत मुंग,मुंग छिलका,टोपी,बक्सा,मिटटी के बर्तन भी दान में देने चाहिए |
कुछ महत्वपूर्ण बातें:
लाल किताबअनुसार जो मकान पुष्य नक्षत्र से बनना शुरू होकर पूरा भी इसी नक्षत्र में हो तों अति शुभ होता है |लेकिन शुभ समय में वास्तु पूजन अवश्य करवाना चाहिए|
मकान के दायीं और अंधी कोठरी बनवाएं अर्थात प्रकाश कि व्यवस्था वहाँ न करें|दरवाजे का प्रकाश व हवा ही ठीक है |इससे ज्यादा प्रकाश तबाही का कारण होता है |
लाल किताब के अनुसार उत्तर-पूर्व दिशा में चाँद  का स्थान होता है|अत:वहाँ भारी सामान रखने से अहुभ फल मिलता है |
किसी भी मकानमें दक्षिण कि दीवार कि और एक कटोरी में दिन,कपूर व घी रखें जिससे धन व स्त्री धन महत्वपूर्ण रहेगा |

लाल किताब के सिद्ध टोटके और उपाय

लाल किताब के सिद्ध टोटके और उपाय

1.  आर्थिक समस्या के छुटकारे के लिए :
यदि आप हमेशा आर्थिक समस्या से परेशान हैं तो इसके लिए आप 21 शुक्रवार 9 वर्ष से कम आयु की 5 कन्यायों को खीर व मिश्री का प्रसाद बांटें !

2.  घर और कार्यस्थल में धन वर्षा के लिए :
इसके लिए आप अपने घर, दुकान या शोरूम में एक अलंकारिक फव्वारा रखें ! या एक मछलीघर जिसमें 8 सुनहरी व एक काली मछ्ली हो रखें ! इसको उत्तर या उत्तरपूर्व की ओर रखें ! यदि कोई मछ्ली मर जाय तो उसको निकाल कर नई मछ्ली लाकर उसमें डाल दें !

3.  परेशानी से मुक्ति के लिए :
आज कल हर आदमी किसी न किसी कारण से परेशान है ! कारण कोई भी हो आप एक तांबे के पात्र में जल भर कर उसमें थोडा सा लाल चंदन मिला दें ! उस पात्र को सिरहाने रख कर रात को सो जांय ! प्रातः उस जल को तुलसी के पौधे पर चढा दें ! धीरे-धीरे परेशानी दूर होगी !

4.  कुंवारी कन्या के विवाह हेतु :
१.       यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !
२.      प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी

5.  व्यापार बढाने के लिए :
१.       शुक्ल पक्ष में किसी भी दिन अपनी फैक्ट्री या दुकान के दरवाजे के दोनों तरफ बाहर की ओर थोडा सा गेहूं का आटा रख दें ! ध्यान रहे ऐसा करते हुए आपको कोई देखे नही !
२.      पूजा घर में अभिमंत्रित श्र्री यंत्र रखें !
३.      शुक्र्वार की रात को सवा किलो काले चने भिगो दें ! दूसरे दिन शनिवार को उन्हें सरसों के तेल में बना लें ! उसके तीन हिस्से कर लें ! उसमें से एक हिस्सा घोडे या भैंसे को खिला दें ! दूसरा हिस्सा कुष्ठ रोगी को दे दें और तीसरा हिस्सा अपने सिर से घडी की सूई से उल्टे तरफ तीन बार वार कर किसी चौराहे पर रख दें ! यह प्रयोग 40 दिन तक करें ! कारोबार में लाभ होगा !

6.   लगातार बुखार आने पर :
१.       यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा !
२.      इतवार या गुरूवार को चीनी, दूध, चावल और पेठा (कद्दू-पेठा, सब्जी बनाने वाला) अपनी इच्छा अनुसार लें और उसको रोगी के सिर पर से वार कर किसी भी धार्मिक स्थान पर, जहां पर लंगर बनता हो, दान कर दें !
३.      यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा !

7.   नौकरी जाने का खतरा हो या ट्रांसफर रूकवाने के लिए :
पांच ग्राम डली वाला सुरमा लें ! उसे किसी वीरान जगह पर गाड दें ! ख्याल रहे कि जिस औजार से आपने जमीन खोदी है उस औजार को वापिस न लायें ! उसे वहीं फेंक दें दूसरी बात जो ध्यान रखने वाली है वो यह है कि सुरमा डली वाला हो और एक ही डली लगभग 5 ग्राम की हो ! एक से ज्यादा डलियां नहीं होनी चाहिए !

8.  कारोबार में नुकसान हो रहा हो या कार्यक्षेत्र में झगडा हो रहा हो तो :
यदि उपरोक्त स्थिति का सामना हो तो आप अपने वज़न के बराबर कच्चा कोयला लेकर जल प्रवाह कर दें ! अवश्य लाभ होगा !

9.  मुकदमें में विजय पाने के लिए :
यदि आपका किसी के साथ मुकदमा चल रहा हो और आप उसमें विजय पाना चाहते हैं तो थोडे से चावल लेकर कोर्ट/कचहरी में जांय और उन चावलों को कचहरी में कहीं पर फेंक दें ! जिस कमरे में आपका मुकदमा चल रहा हो उसके बाहर फेंकें तो ज्यादा अच्छा है ! परंतु याद रहे आपको चावल ले जाते या कोर्ट में फेंकते समय कोई देखे नहीं वरना लाभ नहीं होगा ! यह उपाय आपको बिना किसी को पता लगे करना होगा !

10.  धन के ठहराव के लिए :
आप जो भी धन मेहनत से कमाते हैं उससे ज्यादा खर्च हो रहा हो अर्थात घर में धन का ठहराव न हो तो ध्यान रखें को आपके घर में कोई नल लीक न करता हो ! अर्थात पानी टप–टप टपकता न हो ! और आग पर रखा दूध या चाय उबलनी नहीं चाहिये ! वरना आमदनी से ज्यादा खर्च होने की सम्भावना रह्ती है !

11.  मानसिक परेशानी दूर करने के लिए :
रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !

12.  बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :
१.       एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !
२.      प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !

13.  किसी रोग से ग्रसित होने पर :
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !

14.   प्रेम विवाह में सफल होने के लिए :
यदि आपको प्रेम विवाह में अडचने आ रही हैं तो :
शुक्ल पक्ष के गुरूवार से शुरू करके विष्णु और लक्ष्मी मां की मूर्ती या फोटो के आगे “ऊं लक्ष्मी नारायणाय नमः” मंत्र का रोज़ तीन माला जाप स्फटिक माला पर करें ! इसे शुक्ल पक्ष के गुरूवार से ही शुरू करें ! तीन महीने तक हर गुरूवार को मंदिर में प्रशाद चढांए और विवाह की सफलता के लिए प्रार्थना करें !

15.  नौकर न टिके या परेशान करे तो :
हर मंगलवार को बदाना (मीठी बूंदी) का प्रशाद लेकर मंदिर में चढा कर लडकियों में बांट दें ! ऐसा आप चार मंगलवार करें !

16.  बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :
हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !

17.  यदि आपको सही नौकरी मिलने में दिक्कत आ रही हो तो :
१.       कुएं में दूध डालें! उस कुएं में पानी होना चहिए !
२.      काला कम्बल किसी गरीब को दान दें !
३.      6 मुखी रूद्राक्ष की माला 108 मनकों वाली माला धारण करें जिसमें हर मनके के बाद चांदी के टुकडे पिरोये हों !

18.  अगर आपका प्रमोशन नहीं हो रहा तो :
१.       गुरूवार को किसी मंदिर में पीली वस्तुये जैसे खाद्य पदार्थ, फल, कपडे इत्यादि का दान करें !
२.      हर सुबह नंगे पैर घास पर चलें !

19.  पति को वश में करने के लिए :
यह प्रयोग शुक्ल  पक्ष में करना चाहिए ! एक पान का पत्ता लें ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें ! फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें ! और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय ! यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें ! 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें ! शीघ्र समस्या का समाधान होगा !

20.  यदि आपको धन की परेशानी है, नौकरी मे दिक्कत आ रही है, प्रमोशन नहीं हो रहा है या आप अच्छे करियर की तलाश में है तो यह उपाय कीजिए :
किसी दुकान में जाकर किसी भी शुक्रवार को कोई भी एक स्टील का ताला खरीद लीजिए ! लेकिन ताला खरीदते वक्त न तो उस ताले को आप खुद खोलें और न ही दुकानदार को खोलने दें ताले को जांचने के लिए भी न खोलें ! उसी तरह से डिब्बी में बन्द का बन्द ताला दुकान से खरीद लें ! इस ताले को आप शुक्रवार की रात अपने सोने के कमरे में रख दें ! शनिवार सुबह उठकर नहा-धो कर ताले को बिना खोले किसी मन्दिर, गुरुद्वारे या किसी भी धार्मिक स्थान पर रख दें ! जब भी कोई उस ताले को खोलेगा आपकी किस्मत का ताला खुल जायगा !

21. यदि आप अपना मकान, दुकान या कोई अन्य प्रापर्टी बेचना चाहते हैं और वो बिक न रही हो तो यह उपाय करें :
बाजार से 86 (छियासी) साबुत बादाम (छिलके सहित) ले आईए ! सुबह नहा-धो कर, बिना कुछ खाये, दो बादाम लेकर मन्दिर जाईए ! दोनो बादाम मन्दिर में शिव-लिंग या शिव जी के आगे रख दीजिए ! हाथ जोड कर भगवान से प्रापर्टी को बेचने की प्रार्थना कीजिए और उन दो बादामों में से एक बादाम वापिस ले आईए ! उस बादाम को लाकर घर में कहीं अलग रख दीजिए ! ऐसा आपको 43 दिन तक लगातार करना है ! रोज़ दो बादाम लेजाकर एक वापिस लाना है ! 43 दिन के बाद जो बादाम आपने घर में इकट्ठा किए हैं उन्हें जल-प्रवाह (बहते जल, नदी आदि में) कर दें ! आपका मनोरथ अवश्य पूरा होगा ! यदि 43 दिन से पहले ही आपका सौदा हो जाय तो भी उपाय को अधूरा नही छोडना चाहिए ! पूरा उपाय करके 43 बादाम जल-प्रवाह करने चाहिए ! अन्यथा कार्य में रूकावट आ सकती है !

22. यदि आप ब्लड प्रेशर या डिप्रेशन से परेशान हैं तो :
इतवार की रात को सोते समय अपने सिरहाने की तरफ 325 ग्राम दूध रख कर सोंए ! सोमवार को सुबह उठ कर सबसे पहले इस दूध को किसी कीकर या पीपल के पेड को अर्पित कर दें ! यह उपाय 5 इतवार तक लगातार करें ! लाभ होगा !

23. माईग्रेन या आधा सीसी का दर्द का उपाय :
सुबह सूरज उगने के समय एक गुड का डला लेकर किसी चौराहे पर जाकर दक्षिण की ओर मुंह करके खडे हो जांय ! गुड को अपने दांतों से दो हिस्सों में काट दीजिए ! गुड के दोनो हिस्सों को वहीं चौराहे पर फेंक दें और वापिस आ जांय ! यह उपाय किसी भी मंगलवार से शुरू करें तथा 5 मंगलवार लगातार करें ! लेकिन….लेकिन ध्यान रहे यह उपाय करते समय आप किसी से भी बात न करें और न ही कोई आपको पुकारे न ही आप से कोई बात करे ! अवश्य लाभ होगा !

24. फंसा हुआ धन वापिस लेने के लिए :
यदि आपकी रकम कहीं फंस गई है और पैसे वापिस नहीं मिल रहे तो आप रोज़ सुबह नहाने के पश्चात सूरज को जल अर्पण करें ! उस जल में 11 बीज लाल मिर्च के डाल दें तथा सूर्य भगवान से पैसे वापिसी की प्रार्थना करें ! इसके साथ ही “ओम आदित्याय नमः “ का जाप करें !

नोट :
1. लाल किताब के सभी उपाय दिन में ही करने चाहिए ! अर्थात सूरज उगने के बाद व सूरज डूबने से पहले !
2. सच्चाई व शुद्ध भोजन पर विशेष ध्यान देना चाहिए !
3. किसी भी उपाय के बीच मांस, मदिरा, झूठे वचन, परस्त्री गमन की विशेष मनाही है !
4. सभी उपाय पूरे विश्वास व श्रद्धा से करें, लाभ अवश्य होगा !
5. एक दिन में एक ही उपाय करना चाहिए ! यदि एक से ज्यादा उपाय करने हों तो छोटा उपाय पहले करें !    एक उपाय के दौरान दूसरे उपाय का कोई सामान भी घर में न रखें !
6. जो भी उपाय शुरू करें तो उसे पूरा अवश्य करें ! अधूरा न छोडें !

टोना - टोटका, स्वरूप एवं रहस्यमयी शक्ति

श्रेष्ठ वर की प्राप्ति हेतु उपाय :

लड़की के माता-पिता आदि कन्या के विवाह के लिये सुयोग्य वर की प्राप्ति के निमित्त प्रयासरत रहते हैं और कभी-कभी अनेक प्रयास करने पर भी वर की तलाश नहीं कर पाते। यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक विलंब हो रहा हो, बाधायें आ रही हों तो कन्या को स्वयम् 21 दिनों तक निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना चाहिये और पाठ के उपरांत इसी मंत्र के अंत में ''स्वाहा'' शब्द लगाकर 11 आहुतियां (शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से) देना चाहिये। यह दशांश हवन कहलाता है। 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन देना है, इक्कीस दिनों तक। सिर्फ स्थान, समय और आसन निश्चित होना चाहिये। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई कन्या प्रथम दिन प्रातः काल 9.00 बजे पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही पाठ आरंभ करना चाहिये। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन वहीं बैठकर पाठ करना चाहिये। वैसे ही प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पाठ आरंभ किया गया हो, उसी आसन पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। सार यह है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटरे पर बैठकर पाठ करना है न ही पत्थर की शिला पर बैठकर।

विधि : अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्बीर रखें। कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें। यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से करें। 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलायें और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करना चाहिये।

मंत्र :

कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः॥

पाठ समाप्त होने पर इसी मंत्र को पढ़ते हुये ''नमः'' के स्थान पर 'नमस्वाहा' का उच्चारण करते हुये ग्यारह आहुतियां दें।

पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस विधि का पालन करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुयोग्य वर प्रदान करती हैं।

सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति हेतु उपाय

उपाय क्रमांक 1 :

''मन अनुसार चले जो, मन को हरने वाली,
ऐसी पत्नी करो प्रदानम्, लाग रहे चरणम्,
जये दुर्गे नमनम्।''

यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल उपरोक्त पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।

उपाय क्रमांक 2 : दुर्गा सप्तशती की पुस्तक मे से नित्य ''अर्गला- स्तोत्र'' का एक पाठ (पूर्ण रूप में) करने से सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति संभव हो जाती है।

उपाय क्रमांक 3 : यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण रूप में पाठ न कर सकें तो विवाहेच्छुक युवक को अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का मंत्र रूप में 108 बार पाठ या जप करने से पत्नी रूपी गृहलक्ष्मी की प्राप्ति संभव होती है।

उपाय क्रमांक 1 से 3 तक का कोई भी प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से आरंभ कर विवाह संबंध सुनिश्चित हो जाने तक सतत करते रहना चाहिये। पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिये। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिये। प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिये।

मंत्र उपाय क्रमांक 3

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

उपाय क्रमांक 4 :

स देवि नित्यं परितप्यमानस्त्वामेव सीतेत्यभिभाषमाणः ।
धृतव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृतप्रयत्नः॥

यह श्री बाल्मीकी रामायण क े सदुं रकाठं के 36वें सर्ग का 46 वां श्लोक है। विवाह की कामना लेकर श्री हनुमान जी का ध्यान, पूजन, विनय आदि के साथ कोई अविवाहित युवक आदि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः 108 बार पाठ करें तो उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है। पाठ के समय हनुमान जी के चित्र के समक्ष या मूर्ति के समक्ष उत्तराभिमुख घृत-दीप जलते रहना चाहिए। श्री हनुमान जी को प्रतिदिन मधुर फलों का भोग लगाना चाहिए। मंगलवार को सिंदूर और चमेली का तेल चोले के रूप में मंदिर में भेंट करना चाहिए।

बाल्मीकी रामायण, रामचरित मानस सुंदर कांड, मूलरामायण का सम्पुटित पाठ उपरोक्त श्लोक का सम्पुट लगाकर करने से भी उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है।

उपाय क्रमांक 5 : यदि किसी अविवाहित युवक को विवाह होने में बारंबार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो ऐसे युवक को चाहिये कि वह नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजली जलं ''विश्वावसु'' गंधर्व को अर्पित करे और निम्न मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करे। इसे गुप्त रखें। अर्थात् किसी को इस बात का आभास न होने पाये कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाय। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुसम्पन्न कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है।

जपनीय मंत्र :

' ' ऊँ विश्वा वसुर्नामगं धर्वो कन्यानामधिपतिः।
सुरूपां सालंकृतां कन्या देहि में नमस्तस्मै॥
विश्वावसवे स्वाहा॥''

इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र/विद्या का जप करने से एक माह के अंदर अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। कहा भी गया है।

सालंङ्कारा वरां
पानीयस्यान्जलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां जपेत्।
सालंकारां वरां कन्यां, लभते मास मात्रतः॥

यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।


प्रश्न:2= किसी व्यक्ति के जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लिए घरेलू उपचार व टोना टोटका किस हद तक कारगर साबित हो सकता है? सुखी वैवाहिक जीवन, धन प्राप्ति, अच्छे स्वास्थ्य, शत्रु पर विजय, मुकदमे में जीत या नौकरी प्राप्ति हेतु इनका किस प्रकार प्रयोग किया जाता है? विस्तृत रूप से वर्णन करें।

वर्तमान युग में मानव भौतिकवाद व यांत्रिक तथा संचार साधनों में वृद्धि से मशीनों का गुलाम बन कर परेशानियां तथा तनाव से ग्रसित होकर जीवन जीने के अथक प्रयास में लगा हुआ है। मानवता तथा संसार के कल्याणार्थ हमारे पूर्वजों तथा महर्षियों, सिद्ध योगी जनों ने तंत्र में ऐसे सहज और स्वयंसिद्ध प्रभावशाली घरेलू उपचार एवं टोटकांे का सृजन किया जिनका प्रयोग करके मनुष्य शारीरिक, मानसिक, दैविक एवं आर्थिक समस्याओं तथा रोगों से निजात पा सकता है। भगवान शंकर ने गुरु गोरखनाथ के माध्यम से ‘‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’’ के उद्देश्य से तंत्र विद्या का सरलीकरण करके शाबरी तंत्र टोटके बताये जिनका विवेचन निम्नवत है:

धन प्राप्ति के उपाय व टोटके

दीपावली के दिन एक अखंडित पीपल का पत्ता तोड़ लाएं। इसे अपने पूजा के स्थान में रख दें। पुनः शनिवार को एक नया पीपल पत्ता तोड़ लाएं तथा उसे पुराने पत्ते के पास रख दें। इस प्रकार ये क्रम नियमित दोहराते जायें। पुराना पत्ता घर के बाहर किसी पेड़ के नीचे दबा दें। श्री लक्ष्मी की कृपा होने लगेगी।
प्रातः काल उठ कर दोनों हाथों की हथेलियों को कुछ क्षण देखकर 3-4 बार अपने चेहरे पर फेरें।
घर के रसोई में किसी भी दिन काली लूम्बी लाकर टांग दें।
गुरुवार के दिन किसी भी महिला को सुहाग सामग्री दान में देने का क्रम बनाएं।
नए कार्य व्यवसाय, नौकरी, रोजगार आदि शुभ कार्यों पर प्रस्थान करते समय घर की कोई महिला एक मुट्ठी काले उड़द उस व्यक्ति के ऊपर से उतार कर भूमि पर छोड़ दें तो कार्य सिद्ध होगा।
रवि पुष्य योग में प्रातः बहेड़े की जड़ या एक पत्ता तथा शंख पुष्पी की जड़ लाकर घर में रखंे। चांदी की डिब्बी में रखें तो अधिक शुभ।
बरगद (बड़) के ताजे पत्ते साफ करके गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में लाकर उन पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर घर में रख दें।
सूर्य देव को नियमित प्रसन्न करने के लिए लाल फूल, लाल चंदन, गोरोचन, केशर, पावित्री जौ अथवा तिलयुक्त जल समर्पित करें।
प्रातः उठते ही अपनी दोनों हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद तीन बार चूमें। इसके पश्चात मुखमार्जन प्रक्रिया करें। यह प्रक्रिया शनिवार से प्रारंभ करते हुए प्रतिदिन करें। यह धन के साथ सफलता भी देती है।
प्रातः उठते ही चीटियों को चीनी, शक्कर, खोपरा, सूखे मेवों का बूरा मिलाकर प्रतिदिन डालें। इससे धन के साथ सफलता भी मिलेगी।
प्रातः उठते ही पक्षियों को उड़द, बाजरा, ज्वार, मूंग आदि खिलाकर पानी पिलायें। इससे भी धन वृद्धि एवं सफलता प्राप्त होती है।
चांदी की जंजीर (चेन) गले में धारण करें।
शुक्ल पक्ष बुधवार को अलग-अलग दो दुकानों से एक-एक आम खरीदें तथा इन दोनों आमों को एक साथ बहते पानी में प्रवाहित करें।
बृहस्पतिवार को जलकुंभी घर लायें और उसे पीले कपड़े में बांधकर कहीं पर भी लटका दें। परंतु इसे बार-बार छुना नहीं है। प्रत्येक बृहस्पतिवार इसे नयी जलकुंभी से बदल दें। ऐसा 11 बृहस्पतिवार तक करना है।
शनिवार सायंकाल (संध्या समय) रारंभ करते हुये लगातार 7 शनिवार तक पीपल के पेड़ के नीचे जड़ में थोड़ी सी उड़द की दाल के दानों पर थोड़ी सी दही एवं लाल सिंदूर डालकर, पीछे मुड़कर देखे बगैर पुनः घर लौट आयें। धन की प्राप्ति होगी।
पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी की जड़ को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में डालकर उसे घर में स्थित तिजोरी में रखने पर धन की वृद्धि होती है।
खच्चर का दांत अपने पास में रखने पर धन में वृद्धि होती है।
रामायण की निम्न चैपाई से दरिद्रता दूर होकर धन में वृद्धि होती है। अतिथि पूज्नय प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद द्वारिके।
घर में कमाई है लेकिन बरकत नहीं है यानि रूपया-पैसा टिकता नहीं है तो जब भी गेहूं पिसावें तब उसमें पहले तुलसी के 11 और केसर के 2 पत्ते डालें। फिर थोड़े से गेहूं को मंदिर में रात को रखें। सुबह मंदिर में रखे गेहूं को सारे गेहूं में मिलाकर पिसवा दें। घर में बरकत होगी अर्थात् रुपया पैसा टिकने लगेगा।
शुक्रवार को किसी गरीब को खाना खिलायें तथा रविवार को गाय को गुड़ खिलायें। यह प्रयोग लगातार करें। जल्दी ही अचल संपत्ति बढ़ेगी।
पीपल के पेड़ की छाया में खड़े होकर लोहे के बर्तन में पानी, शक्कर, घी एवं दूध मिलाकर उसकी जड़ में डालने पर घर में लंबे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी (धन) का वास घर में हमेशा बना रहता है।
शीघ्र विवाह एवं दांपत्य सुख के लिए टोटके एवं उपाय

सीता राम की तस्वीर या मूर्ति के सामने रामचरित मानस की निम्न चैपाई की प्रतिदिन एक तुलसी माला जाप 41 दिनों तक करनी चाहिये। ‘‘सुनिसिय सत्य असीस हमारी। पूजहिं मन कामना तिहारी।।
पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ करते हुये प्रतिदिन प्रातः या सायं तुलसी पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर लगातार 41 दिनों तक निम्न मंत्र का एक तुलसी माला जप करें। ‘‘तब जनक पाय वशिष्ठ आयसु ब्याह साजी संवारी के। मांडवी श्रुति की रति उर्मिला कुंआरी लई हंकारि के।।’’
प्रतिदिन या प्रत्येक मंगलवार को प्रातः उठते ही कन्या काले कीडे़-मकोड़ां को चीनी, तिल एवं चावल मिलाकर नियमित खिलायें। क्रम टूटना नहीं चाहिये।
प्रतिदिन गाय को हरा पालक या चारा खिलायें।
कच्चा दूध व जल मिलाकर प्रतिदिन : ऊँ’’ नमः शिवाय’’ का जाप करते हुये शिवलिंग पर चढ़ायें। - मंदिर के प्रांगण में अनार का पेड़ लगाकर प्रतिदिन इसे जल से सींचें। सेवा कर बड़ा करें।
किसी आदमी की शादी में परेशानी हो तो उसे शुक्ल पक्ष के प्रत्येक गुरुवार को पानी में एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर नहाना चाहिये तथा साथ ही ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ का जाप करते हुये केसर का तिलक लगाना चाहिये। इसके अलावा पीपल एवं केले के पेड़ में तांबे या पीतल के लोटे में शुद्ध जल लेकर इन्हें सींचना चाहिए तथा धूप-दीप, हल्दी गांठ, चने की दाल से पूजा करनी चाहिए। गुरुवार को केले नहीं खायें। र्साईं राम (शिरडी के बाबा) के दर्शन कर आशीर्वाद लें। विवाह जल्दी होगा।
शुक्ल पक्ष मंगलवार को घर के मंदिर या पूजा स्थल पर ‘नवग्रह मंत्र’ की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर स्थापित करें। एक नई शादी वाले जोड़े को घर पर बुलाकर उन्हें खाना एवं सौंफ-मिश्री खिलाकर, लाल वस्त्र उपहार में देकर सत्कार करें। यह कार्य करते समय शीघ्र विवाह की कामना जरूर करें।
बाल कांड के 234 दोहे के बाद ‘‘जय जय गिरिराज किशोरी से मंजुल मंगल वाम अंग फरकन लगे’’ 236 पृष्ठ तक प्रतिदिन श्रद्धा विश्वास से पढ़ने तथा पार्वती की पूजा करने से शीघ्र विवाह हो जाता है।
हरसिंगार की जड़ तथा पुष्प को पूर्णिमा की रात्रि में विवाह योग्य पुत्र-पुत्री के ऊपर से 21 दिन 3 बार वार कर तुलसी के पौधे के नीचे दबाने से विवाह विलंब, रूकावट से छुटकारा मिल जाएगा।
दांपत्य जीवन की मधुरता के लिए पत्नी नियमित रूप से प्रातः उठते ही मुख्यद्वार पर 1 लोटा जल डाले। स्नानादि से निवृत्ति के बाद पूजा करके मुख्य द्वार पर हल्दी या कुंकुम से स्वास्तिक या ऊँ का चिह्न बनाये। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी तथा पति आर्थिक रूप से मजबूत रहेंगे।
मांगलिक दोष हो तो लहसुन को 108 भौम मंत्र ऊं अंगारकाय नम!’’ से अभिमंत्रित करके लाल धागों में ताबीज कर कमर या बांह में बांधें।
शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को सात केले व 700 ग्राम गुड़ व एक जटा वाला नारियल लेकर कन्या नदी में वस्त्र सहित स्नान कर नारियल को जल में प्रवाहित कर दे। ध्यान रखें कि नारियल कन्या की ओर नहीं आये। सूर्य व चंद्र के नाम एक केला व गुड़ नदी किनारे रख दें। 5 केले गाय को खिला दें। कन्या का विवाह शीघ्र होगा।
पद्मावती देवी के मंदिर में बुधवार को चावल चढ़ाकर 11 बार पद्मावती मंत्र का जाप करें।
व्यवसाय एवं नौकरी में वृद्धि के लिए

शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से प्रारंभ करते हुये सर्वप्रथम व्यापार स्थल के मुख्यद्वार के एक कोने को गंगाजल से धोकर स्वच्छ एवं शुद्ध करें। इसके बाद हल्दी से स्वास्तिक बनायं तथा इस पर थोड़ी सी चने की दाल एवं गुड़ रखें। इसके बाद इसे बार-बार न देखें। इसे कम से कम लगातार 11 गुरुवार करें। दूसरी बार और इसे आगे करने पर पहले चढ़ाये हुए गुड़ एवं दाल को मंदिर में चढ़ा दें।
नौकरी मिलने या व्यवसाय की इच्छा से प्रत्येक गुरुवार को इसकी दिल (हृदय) से प्रार्थना करते हुये एक सूखा एवं बिना छिला नारियल बहते जल या नदी में प्रवाहित करें। साथ में कुत्तों को बिस्किट या अन्य सामान खिलायें। इसके अलावा संतोषी माता जी के 16 शुक्रवार के व्रत कर उद्यापन करें। व्रत के दिन खट्टे पदार्थ नहीं खाने की सावधानी अवश्य रखें। महीने में एक बार एक किलो सात ग्राम शक्कर किसी विधवा को दें।
शुक्रवार की रात्रि में सवा किलो काले चने भिगोयें। शनिवार को पानी निकालकर इन्हंे सरसों तेल में पका लें। इसका पहला एक हिस्सा इसी दिन शनिवार को घोड़े या भैंसे को खिलायें। दूसरा भाग कुष्ठ रोगी को खाने को दें तथा तीसरा भाग स्वयं के ऊपर से वार कर किसी चैराहे पर रख दें। यह प्रयोग लगातार 40 दिनों तक करें। व्यवसाय में वृद्धि, उन्नति एवं लाभ होगा।
व्यापार में उन्नति एवं लाभ की योजना को अपने मन में रखते हुये प्रत्येक शुक्रवार एवं शनिवार को किसी भी मंदिर में क्रमशः अनार एवं मुट्ठी भर साबुत उड़द चढ़ायें।
प्रत्येक मंगल या शनिवार को सीधी डंठल वाली 7 साबुत हरी मिर्ची और एक नीबू लेकर इन्हें काले डोरे में पिरोकर अपने कार्यालय या व्यवसाय स्थल पर बाहर ऊपर टांग दें। यह प्रयोग नियमित करें, लाभ होगा।
व्यापार, व्यवसाय, नौकरी में आने वाली बाधा या समस्या के बचाव के लिये अमावस्या को सायंकाल किसी भी मंदिर में खीर चढावें। सोमवार को चांदी की ठोस गली चांदी की जंजीर (चेन) गले में धारण करें। महीने में एक बार वस्त्र, मिठाई एवं धन निम्न स्तर के व्यक्तियों को दें एवं अच्छा बर्ताव रखें लाभ होगा।
गुरुवार को श्यामा तुलसी के पौधे के चारों ओर लगी खरपतवार को निकालकर किसी पीले वस्त्र में बांधकर व्यवसाय स्थल पर रख दें, व्यापार, व्यवसाय में वृद्धि होगी।
यदि किसी ने आपके व्यवसाय को बांध दिया हो तो इसकी मुक्ति के लिये कार्यालय या व्यवसाय स्थल पर अमृत सिद्धि योग या सिद्ध योग में शुक्ल पक्ष शुक्रवार को ‘‘श्री धनदा’’ एवं ‘‘श्री यंत्र’’ प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित करें तथा प्रतिदिन धूप-दीप करें। व्यवसाय में वृद्धि एवं ग्राहकों का आना बढ़कर लाभ होगा।
शनिवार को पुराने कार्यालय से लोहे की कोई भी चीज नये आॅफिस या संस्थान में लाकर, पहले थोड़े से काले उड़द डालने के बाद रखें तथा इसे बार-बार नहीं हटाने की सावधानी अवश्य रखें। इससे पुराने के साथ-साथ नया उद्योग व्यवसाय भी चलता है।
शुक्ल पक्ष बुधवार को ‘‘संपूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र’’ को प्राण प्रतिष्ठा द्वारा व्यवसाय (व्यापार, नौकरी) स्थल पर उत्तर दिशा में स्थापित करें तथा गले में सोमवार को शिवलिंग पर स्पर्श करवाकर एक या तेरह मुखी रूद्राक्ष धारण करें। व्यवसाय में घाटा दूर होकर लाभ होगा।
11 गोमती चक्र और 3 लघु नारियल की विधि विधान सहित पूजा कर इन्हें पीले कपड़े में बांधकर बुधवार को अपने दरवाजे पर लटकायें तथा प्रत्येक पूनम को धीप दीप भी जलायें। इसे नियमित करें। व्यवसाय का घाटा दूर होकर लाभ होगा तथा ग्राहकी एवं बिक्री बढ़ेगी।
शुक्ल पक्ष बुधवार, मंगलवार या गणेश चतुर्थी या अन्न चतुर्थी (शुक्ल या कृष्ण पक्ष की) के दिन घर में हरिद्रा गणेशजी की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा द्वारा पूजा स्थल पर स्थापित करें तथा निम्न गणेश गायत्री मंत्र का जाप करें।-‘‘एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।’’ इससे व्यावसायिक कार्य में बाधा दूर होकर लाभ होता है।
शुक्ल पक्ष सोमवार को अमृत सिद्धि या सर्वार्थसिद्धि योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधकर इन्हें हर समय अपने साथ रखें। व्यवसाय में लाभ वृद्धि होगी। नौकरी में पदोन्नति होगी। - हर सोमवार को शिव-मंदिर में शिवलिंग पर दूध+जल चढ़ाते हुये मंत्र - ‘‘ऊँ सोमेश्वराय नमः’’ का जाप करें। शिव उपासना के साथ रुद्राक्ष माला से पुनः इसी मंत्र का जाप करें तथा साथ ही पूर्णिमा को जल में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्र को इसका अघ्र्य दें। करबद्ध प्रार्थना से व्यवसाय में वृद्धि होगी।
एक नीबू लेकर उस पर चार लौंग गड और इसे हाथ में रखकर मंत्र-‘‘ऊँ श्री हनुमते नमः’’ का 21 बार जप करें। जप के बाद नीबू को अपनी जेब में या पास में रखें। व्यापार में वृद्धि होगी। इसके अलावा जिनसे काम करवाना हो उनसे मिलें तो कार्य भी पूरा होता है।
जब गायत्री मंत्र से घर या मंदिर में हवन करावें तो हवन की राख को किसी सफेद रंग के कपड़े में रखकर बांध लें तथा इसे घर या व्यापार या कार्यालय स्थल पर रख दें। व्यवसाय में लाभ, वृद्धि होती है।
शनिवार को पीपल का एक पत्ता तोड़कर इसे गंगाजल से धोकर हाॅल में रख दें तथा गायत्री मंत्र का 21 बार जप करें। फिर इसे धूप देकर तिजोरी या कैश बाॅक्स या धन रखने की जगह पर रख दें। यह प्रयोग नये पत्ते के साथ प्रत्येक शनिवार को करना है तथा पहले के पत्ते को हर बार पीपल की जड़ में रख दें। व्यवसाय में वृद्धि होगी।
मंत्र’’ ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं मम् व्यापार वृद्धि कुरू-कुरू स्वाहा’’ का 42 दिनों तक लगातार रुद्राक्ष की एक माला से ‘‘संपूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र’’ के सामने जप करने पर व्यवसाय, व्यापार में वृद्धि होती है।
अच्छा स्वास्थ्य - एक रुपये का सिक्का रात को सिरहाने रखकर सो जायें। सुबह उसे श्मशान की सीमा में फेंक दें। शरीर स्वस्थ रहेगा।
यदि परिवार का कोई सदस्य रोग से ग्रसित है, दवाइयों से लाभ नहीं मिल रहा हो तो चांदी के बर्तन में केसर मिला जल भर कर सिरहाने रखें। फिर सुबह वह जल पौधों में डाल दें। यह क्रिया रोज करें। स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
यह टोटका रोज करें- सुबह उठकर सूर्य की ओर देखते हुये अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर ‘‘ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रौं ऊँ मंत्र का 11 बार जाप करें। पूरा दिन तनावमुक्त और स्वस्थ रहेगा।
शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को शिव मंदिर में जाकर काली राई का दान करें। साथ में रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। रोग दूर होंगे और शरीर स्वस्थ रहेगा।



4=लक्ष्मी प्राप्ति मंत्रों में लक्ष्मी प्राप्ति के शाबर मंत्र शीघ्र फलदायी माने जाते हैं। सिद्धिदायक शाबर मंत्रों की रचना गुरु गोरखनाथ आदि योगियों ने की थी। इन मन्त्रों में प्रत्येक देवता तथा हर प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु मंत्र दिये गये हैं। इनमें लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र भी सम्मिलित हैं। आधुनिक परिवेश में इन मंत्रों को सिद्ध करना सरल है तथा इसमें विपरीत प्रभाव होने की सम्भावनाएं भी कम रहती हैं परन्तु इस प्रकार के लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र दुर्लभ हैं। इस लेख में दिये गये लक्ष्मी प्राप्ति शाबर मंत्रों को शुभ मुहूर्त में जपें व मनोवांछित फल की प्राप्ति करें।

उच्चारण की अशुद्धता की संभावना और चरित्र की अपवित्रता के कारण कलियुग में वैदिक मंत्र जल्दी सिद्ध नहीं होते। ऐसे में लोक कल्याण और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सरल तथा सिद्धिदायक शाबर मंत्रों की रचना गुरु गोरखनाथ आदि योगियों ने की थी। शाबर मंत्रों की प्रशंसा करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है-

‘अनमलि आखर अरथ न जापू।
शाबर सिद्ध महेश प्रतापू।।’

लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए ‘जाल शम्बरम्’ से चुने हुए कुछ शाबर मंत्र एवं उनके प्रयोग की विधि यहां प्रस्तुत हैं।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।

प्रयोग विधि- धूप-दीप से पूजन और नैवेद्य अर्पित करके इस मंत्र का सवा लाख जप करें, लक्ष्मी का आगमन व चमत्कार प्रत्यक्ष दिखाई देगा। प्रत्येक कार्य सफल होगा, लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

श्री शुक्ले महाशुक्ले, महाशुक्ले कमलदल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः। लक्ष्मी माई सबकी सवाई, आओ चेतो करो भलाई, ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई, ऋद्धि नाथ देवों नौ नाथ चैरासी सिद्धों की दुहाई।

इस मंत्र का एक माला जप नियमित रूप से करें, कारोबार में उन्नति होगी। जप के बाद दुकान पर चारों दिशाओं को नमस्कार करके धूप-दीप देकर फिर लेन-देन करें, धन लाभ होगा।

ऊँ क्रीं श्रीं चामुंडा सिंहवाहिनी कोई हस्ती भगवती रत्नमंडित सोनन की माल, उत्तर पथ में आप बैठी हाथ सिद्ध वाचा, सिद्धि धन धान्य कुरु-कुरु स्वाहा।

दुर्गा के उपासक लक्ष्मी प्राप्ति के इस मंत्र का सवा लाख जप करें, सभी कार्य सिद्ध होंगे और राजे गार तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।

ऊँ ह्रीं श्रीं ठं ठं ठं नमो भगवते, मम सर्वकार्याणि साधय, मां रक्ष रक्ष शीघ्रं मां धनिनं।

कुरु कुरु फट् श्रीयं देहि, ममापति निवारय निवारय स्वाहा।।

धन प्राप्ति, कार्य सिद्धि या विपत्ति के निवारण के लिए इस मंत्र का जप करते हुए बेल के सात पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाएं और घर अथवा शिव मंदिर में इसका 108 बार जप नियमित रूप से करें, मनोकामना पूर्ण होगी।

ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धिं श्रीं श्रीं श्रीं।

इस मंत्र की सिद्धि के लिए प्रदोष के दिन संध्या के समय शिवजी की पूजा के उपरांत इसका 3 माला जप करें। तत्पश्चात् अगर, तगर, केसर, लाल तथा, श्वेत चंदन, देवदारु, कपूर, गुग्गुल और अश्वगंध के फूल घी में मिलाकर उपर्युक्त मंत्र से 108 आहुतियां दें। लगातार सात प्रदोष यह प्रयोग करने से धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।

ऊँ भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान बिकरा कर मेरा। उठे जो डण्डी बिके जो माल भंवर वीर सो नहीं जाय।।

शनिवार को प्रातःकाल नहा धोकर हाथ में काले उड़द के इक्कीस साबुत दानें लेकर उक्त मंत्र को 21 बार पढ़कर दुकान के भीतर चारों ओर बिखेर देने से दुकान की बिक्री अभूतपूर्व रूप से बढ़ जाती है।

दुकान खोलने के बाद सफाई करके लक्ष्मी की फोटो के सामने ‘ऊँ लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का एक माला जप करें, दुकान की बिक्री और लाभ में वृद्धि होगी। उक्त मंत्रों के अतिरिक्त निम्न मंत्र का भी 108 बार जप करें-
ऊँ श्री शुक्ला महाशुक्ले निवासे।
श्री महाक्ष्मी नमो नमः।।

4=छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है।

दुर्भाग्य से छुटकारा पाना

शनिवार को सरसों के तेल में बने, गेहूं के आटे के गुड़ के सात पूए व आक के फूल तथा सिंदूर एवं आटे से तैयार किया गया दीपक जलाकर अरन्डी के पत्ते पर रखकर रात्रि में किसी चैराहे पर रख दें तथा यह कहें कि हे ! मेरे दुर्भाग्य मैं तुम्हें यहीं पर छोड़कर जा रहा हूं। अब मेरे पास मत रहना, न मुझे कष्ट पहुंचाना। पीछे को मुड़ कर मत देखें।

जिस स्थान पर कीड़े, मकोड़े अधिक मात्रा में निकलते हों उस स्थान पर अपने बाएं पैर का जूता उल्टा करके रख दें। इस क्रिया से जो कीड़े मकोड़े हैं वह पुनः बिल में घुस जायेंगे।

किसान अश्लेषा नक्षत्र में कहीं से बरगद का पत्ता लाकर अपने अनाज के भंडार में रख दे तो अनाज का भंडार सदा भरा रहेगा व वृद्धि होगी।

सुदर्शन की जड़ और अपामार्ग की जड़ या फिर सफेद घुघनी की जड़ को यदि कोई ताबीज में रख कर अपनी पूजा स्थल में बांधकर रखता है तो उसकी शस्त्राघात से सदैव रक्षा रहेगी।

किसानों के लिए टोटका

सफेद सरसों और बालू एक साथ मिलाकर खेत के चारों ओर डालने भरणी नक्षत्र में देशी पान का पत्ता लाकर उसे सुपारी व कत्थे से बीड़ा बनाकर जहां से वस्तु चोरी हुई है वहां पर रखने से चोरी का रहस्य खुल जाता है। सात दिन तक प्रतीक्षा करें।

1- जिसके शरीर में किसी भूत-प्रेत की आत्मा का वास है, यदि लहसुन के रस में हींग को घोलकर उसकी आंख में काजल की मोती लगा दी जाय अथवा नाक में उसे सूंघा दिया जाय तो ऊपरी बाधा तुरंत शरीर से निकल जाती है।

2- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बहेड़े का पचा लकर उसे घर में पूजा के स्थान पर रखने से उसके ऊपर घातक त्रांत्रिक क्रियायें नहीं चलती हैं अथवा मूठ आदि अथवा जो भूत पिशाचनी आदि को छेड़ते हैं वह देखते ही भाग जाती है।

3- पुनर्वसु नक्षत्र में मेहंदी की जड़ को लाकर उसको धूप दीप से पूजन कर अपने पास में रखने से आकर्षण होता है एवं शरीर स्वस्थ रहता है।

4- मघा नक्षत्र में पीपल की जड़ को लाकर उसको पवित्र कर धूप दीप देकर यह मंत्र बोलें ‘‘दुर्गे दुर्गे राक्षिणी स्वाहा।। रात्रि में कोई बुरा स्वप्न व भयानक स्वप्न कभी नहीं दिखाई देगा।


5=छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है

हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं।

विल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।

अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।

नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।

संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे।

आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।

दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।

शंख पुष्पी : पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी लाकर चांदी की डिविया में रखकर तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।

बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा।

धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

बेहड़े का पत्ता : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।

नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।

चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें, बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।

चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे।

काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें, उसे संतान की प्राप्ति होगी।

तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर रखें, अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।


स्वर सुधारक अदरक के साथ पंचकोल के अर्क का सेवन करने से स्वर विकार ठीक होता है।
मधुर सुरीली आवाज के लिए शहद के साथ गाय के दूध का सेवन करने से आवाज सुरीली होती है।
कुलंजन का अर्क, नीबू का अर्क, शहद, काली मिर्च का सेवन करने से स्वर सुरीला होता है।
भूतोन्माद नाशक चीड़े की जड़ या पत्तों के अर्क में कालीमिर्च के अर्क को मिलाकर पिलाने से तथा सुंघाने से अथवा आंखों में लगाने से तुरंत ऊपरी बाधा समाप्त हो जाती है।
संतान प्राप्ति के लिए संतान गोपाल स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करें व साथ ही गणेश के उक्त मंत्र का ‘‘ऊँ गं गणपतये नमः का हर समय जाप करें।
गाय को प्रतिदिन रोटी पर गुड़ रखकर खिलाएं।
बिल्व पत्र अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल पत्र डालकर उस दूध को निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसको अवश्य संतान प्राप्त हो जाती है।
अपामार्ग की जड़ अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड को लाकर इसे ताबीज में भरकर किसी सभा में जायेंगे तो आपको देखने वाले लोग आपकी ओर आकर्षित होंगें व वशीभूत होकर सम्मान की निगाह से देखेंगे।
नागर वेल का पत्ता यदि घर में कभी चोरी हो जाय तथा आप यह पता लगाना चाहें कि वस्तु कहां गई है तो उसके लिए भरणी नक्षत्र में नागर वेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर तथा सुपारी डालकर जहां पर चोरी हुई है उस जगह पर रख दें। चोरी का पता चल जायेगा।
दूधी की जड़ धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ को लाकर पूरे शरीर में लगायें हालात बदल जायेंगे।
आक की जड़ अदालती मामलों में विजय पाने हेतु

टोना टोटका क्या है?

टोना टोटका क्या है?

स्थूल रूप में अगर हम टोने टोटके शब्द के निहितार्थ को समझें तो बात इस तरह से समझ में आ सकती है।

T- Tools to eradicate

O - obstructions &

N – nasty

E - elements of life &

T - Transcendental methods

O - of eliminating

T - trivial issues &

K - knock out

E - evils from life

मनुष्य अपने जीवन काल में कभी न कभी शारीरिक व मानसिक वेदना से गुजरता ही है। तब उसे वे तमाम टोने-टोटके एवं साधनाएं याद आते हैं जो कभी ऋषि-मुनियों ने अपने अनुभवों एवं तपोबल से मानव कल्याण हेतु एक उपहार के रूप में हमको प्रदान किए। ये जादू टोने एवं उपाय चमत्कृत रूप से कार्य करते हैं। व्यक्ति की संबंधित समस्या का हल हो जाता है और वह प्रसन्न महसूस करता है। सुखी एवं शांत वैवाहिक जीवन, व्यावसायिक उन्नति, शीघ्र, विवाह, संतान, नौकरी, मकान जायदाद, उच्च शिक्षा आदि न जाने ऐसे कितने विषयों का समाधान व्यक्ति इन प्रभावकारी उपायों से निकाल लेता है।

कुछ महत्वपूर्ण एवं उपयोगी सुझाव :

1. टोना-टोटका क्रिया को गुप्त रखें। न तो किसी के सामने इसका जिक्र करें न किसी के सामने टोटकों का प्रयोग करें क्योंकि ये क्रियाएं मन की शक्ति, विश्वास एवं श्रद्धा पर आधारित है। किसी के हस्तक्षेप से (वाणी या क्रिया द्वारा) इस शक्ति की धार कमजोर हो जाती है।

2. मन में पूर्ण विश्वास एवं श्रद्धा के साथ प्रयोग को करें।

3. टोना टोटका करने के बाद पीछे मुड़कर न देखें। श्रद्धा एवं विश्वास ही शंकर एवं शक्ति है।

टोने-टोटके परेशानी से जुझ रहे जातकों के लिए हथियार का काम करते हैं। प्रकृति के नियम तो नहीं बदले जा सकते, परंतु यदि जातक की उपाय पर आस्था हो तो उसका सकारात्मक मनोवैज्ञानिक प्रभाव जातक के शरीर की कैमिस्ट्री पर पड़ता है। श्रद्धा, विश्वास तथा आस्था से किए गए कार्यों को ईश्वर शीघ्र पूरा करते हैं। इन उपायों को व्यक्ति अपनी सुविधानुसार करके अपने दुखों एवं समस्याओं से मुक्ति प्राप्त कर लाभ उठा सकता है।

वैज्ञानिक, सैनिक, न्यायाधीश जो दृढ़ मानसिक शक्ति वाले कहे जाते हैं, वे लोग अपने जीवन को सुंदर एवं अर्थपूर्ण बनाने के लिए अपने मन को ही केंद्रित कर ध्यान-योग एवं आत्मचिंतन का सहारा लेते हैं। ये सारी गूढ़ विधाएं भी आध्यात्मिकता की चरम सीमा का ही उदाहरण है।

संसार की अनित्य वस्तुओं की प्राप्ति के लिए सामान्यतः अस्थायी किस्म के उपाय एवं टोने टोटको का सहारा लिया जाता है। इन सबसे भी ऊपर जो सबसे बड़ा समाधान का रास्ता है वह है ध्यान, योग एवं आत्मचिंतन। क्योंकि 'मन एव मनुष्याणाम् कारणम् बन्धमोक्षयोः' अर्थात मन ही मनुष्य के बंधन एवं मोक्ष का कारण है। मन को जीत लेना सफल जीवन की कुंजी है। व्यक्ति का आभामंडल उसकी आंतरिक उपलब्ध्यिों को प्रकट करता है। व्यक्ति ध्यान एवं आत्मचिंतन द्वारा न केवल अपनी नकारात्मक ऊर्जा को सकारात्मक दिशा प्रदान कर सकता है, वरन् पूर्णतः ईश्वर तत्व की प्राप्ति जो सब गुणों, निधियों एवं सिद्धियों का निधान है की प्राप्ति भी कर सकता है। आत्म चिंतन का अर्थ है आत्मा का चिंतन। हमारा मन अवचेतन, अर्द्धचेतन एवं चेतन, तीन स्तरों पर कार्य करता है। जो कुछ भी हम क्षण प्रतिक्षण ग्रहण करते हैं वह हमारे अवचेतन मन में संचित होता रहता है। हमारा अवचेतन मन कंप्यूटर के चिप के समान है जिसमें अनगिनत डाटा स्टोर्ड रहते हैं। हमारा अर्द्धचेतन मन केवल हमारी आत्मा की ऊपरी आवाज को ही सुनता है। अतः कोई भी कार्य यदि हम अवचेतन मन तक जाकर करें तो उसमें अधिक सफलता प्राप्त होती है। इस स्तर पर हमारा संबंध उस पारलौकिक शक्ति के साथ हो जाता है और हम, पुनर्जीवित, क्रियाशील, एवं ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं। हमारे जीवन की सूक्ष्म से सूक्ष्मतर उपलब्धियां हमें बहुत सरल लगने लगती हैं। आत्मचिंतन, ध्यान योग को 'मास्टर ऑफ ऑल रेमिडिज' की संज्ञा भी दी जा सकती हैं। आत्म चिंतन से संबंधित परंतु कुछ ध्यान देने योग्य कुछ बातें इस प्रकार हैं जिनसे मन की शक्ति अपने चरम बिंदु पर पहुंच जाती है।

1. एक शांत जगह का चुनाव कीजिए जहां पर आप 15-30 मिनट तक बिना किसी व्यवधान के एकाग्रचित्त होकर ध्यान कर सकें।

2. कुर्सी, काऊच, बेड को छोड़कर यदि नीचे एक आसन लगाकर ध्यान करेंगे तो ज्यादा अच्छा रहेगा।

3. किसी भी सहज स्थिति में बैठना, श्वासन में लेटना या किसी योग आसन का चुनाव करना जिसमें आप ज्यादा सुविधा महसूस करें तथा मेरूदंड सीधा रहे।

4. टाइमर को 15-30 मिनट तक सेट कर लें।

5. आंखे बंद करके बैठें। लंबी सांस अंदर खीचें एवं अपने मन को शांत रखें एवं अपनी श्वांस को वापिस सामान्य अवस्था में लाएं।

6. कोई एक शब्द का उच्चारण बार-बार करते रहें। जैसे ओम्

टोटके उपाए

टोटके उपाए....



शत्रु शमन के लिए :
साबुत उड़द की काली दाल के 38 और चावल के 40 दाने मिलाकर किसी गड्ढे में दबा दें और ऊपर से नीबू निचोड़ दें। नीबू निचोड़ते समय शत्रु का नाम लेते रहें, उसका शमन होगा और वह आपके विरुद्ध कोई कदमनहींउठाएगा।
अकारण परेशान करने वाले व्यक्ति से शीघ्र छुटकारा पाने के लिए :
यदि कोई व्यक्ति बगैर किसी कारण के परेशान कर रहा हो, तो शौच क्रिया काल में शौचालय में बैठे-बैठे वहीं के पानी से उस व्यक्ति का नाम लिखें और बाहर निकलने से पूर्व जहां पानी से नाम लिखा था, उस स्थान पर अप बाएं पैर से तीन बार ठोकर मारें। ध्यान रहे, यहप्रयोग स्वार्थवश न करें, अन्यथा हानि हो सकती है।
शत्रुओं का नाश करे बगुलामुखी यंत्र
आज लोग अपनी विफलता से दुखी नहीं, बल्कि पड़ोसी की सफलता से दुखी हैं। ऐसे में उन लोगों को सफलता देने के लिए माताओं में माता बगलामुखी (वाल्गामुखी) मानव कल्याण के लिये कलियुग में प्रत्यक्ष फल प्रदान करती रही हैं। आज इन्हीं माता, जो दुष्टों का संहार करती हैं। अशुभ समय का निवारण कर नई चेतना का संचार करती हैं। ऐसी माता के बारे में मैं अपनी अल्प बुद्धि से आपकी प्रसन्नता के लिए इनकी सेवा आराधना पर कुछ कहने का साहस कर रहा हूं। मुझे आशा ही नहीं वरन पूर्ण विश्वास है कि मैं माता वाल्गामुखी (बगलामुखी) की जो बातें आपसे कह रहा हूं अगर आप उसका तनिक भी अनुसरण करते हैं तो माता आप पर कृपा जरूर करेंगी, लेकिन पाठक भाइयों ध्यान रहे। इनकी साधना अथवा प्रार्थना में आपकी श्रद्धा और विश्वास असीम हो तभी मां की शुभ दृष्टि आप पर पड़ेगी। इनकी आराधना करके आप जीवन में जो चाहें जैसा चाहे वैसा कर सकते हैं। सामान्यत: आजकल इनकी सर्वाधिक आराधना राजनेता लोग चुनाव जीतने और अपने शत्रुओं को परास्त करने में अनुष्ठान स्वरूप करवाते हैं। इनकी आराधना करने वाला शत्रु से कभी परास्त नहीं हो सकता, वरन उसे मनमाना कष्टï पहुंच सकता है। वर्ष 2004 के चुनाव में तो कई राजनेताओं जिनका नाम लेना उचित नहीं है ने माता बगलामुखी की आराधना करके (पंडितों द्वारा) चुनाव भी जीते और अच्छे मंत्रालय भी प्राप्त किये। माता की यही आराधना युद्ध, वाद-विवाद मुकदमें में सफलता, शत्रुओं का नाश, मारण, मोहन, उच्चाटन, स्तम्भन, देवस्तम्भन, आकर्षण कलह, शत्रुस्तभन, रोगनाश, कार्यसिद्धि, वशीकरण व्यापार में बाधा निवारण, दुकान बाधना, कोख बाधना, शत्रु वाणी रोधक आदि कार्यों की बाधा दूर करने और बाधा पैदा करने दोनों में की जाती है। साधक अपनी इच्छानुसार माता को प्रसन्न करके इनका आशीर्वाद प्राप्त कर सकता है। जैसा कि पूर्व में उल्लेख किया जा चुका है कि माता श्रद्धा और विश्वास से आराधना (साधना) करने पर अवश्य प्रसन्न होंगी, लेकिन ध्यान रहे इनकी आराधना (अनुष्ठान) करते समय ब्रह्मचर्य परमावश्यक है।

गृहस्थ भाइयों के लिये मैं माता की आराधना का सरल उपाय बता रहा हूं। आप इसे करके शीघ्र फल प्राप्त कर सकते हैं। किसी भी देवी-देवता का अनुष्ठान (साधना) आरम्भ करने बैठे तो सर्वप्रथम शुभ मुर्हूत, शुभ दिन, शुभ स्थान, स्वच्छ वस्त्र, नये ताम्र पूजा पात्र, बिना किसी छल कपट के शांत चित्त, भोले भाव से यथाशक्ति यथा सामग्री, ब्रह्मचर्य के पालन की प्रतिज्ञा कर यह साधना आरम्भ कर सकते हैं। याद रहे अगर आप अति निर्धन हो तो केवल पीले पुष्प, पीले वस्त्र, हल्दी की 108 दाने की माला और दीप जलाकर माता की प्रतिमा, यंत्र आदि रखकर शुद्ध आसन कम्बल, कुशा या मृगचर्य जो भी हो उस पर बैठकर माता की आराधना कर आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। माता बगलामुखी की आराधना के लिये जब सामग्री आदि इकट्ठा करके शुद्ध आसन पर बैठें (उत्तर मुख) तो दो बातों का ध्यान रखें, पहला तो यह कि सिद्धासन या पद्मासन हो, जप करते समय पैर के तलुओं और गुह्य स्थानों को न छुएं शरीर गला और सिर सम स्थित होना चाहिए। इसके पश्चात गंगाजल से छिड़काव कर (स्वयं पर) यह मंत्र पढें-

अपवित्र: पवित्रो वा सर्वावस्थाङ्गतोऽपिवा, य: स्मरेत, पुण्डरी काक्षं स बाह्य अभ्यांतर: शुचि:। उसके बाद इस मंत्र से दाहिने हाथ से आचमन करें-ऊं केशवाय नम:, ऊं नारायणाय नम:, ऊं माधवाय नम:। अन्त में ऊं हृषीकेशाय नम: कहके हाथ धो लेना चाहिये। इसके बाद गायत्री मंत्र पढ़ते हुए तीन बार प्राणायाम करें। चोटी बांधे और तिलक लगायें। अब पूजा दीप प्रज्जवलित करें। फिर विघ्नविनाशक गणपति का ध्यान करें। याद रहे ध्यान अथवा मंत्र सम्बंधित देवी-देवता का टेलीफोन नंबर है।

जैसे ही आप मंत्र का उच्चारण करेंगे, उस देवी-देवता के पास आपकी पुकार तुरंत पहुंच जायेगी। इसलिये मंत्र शुद्ध पढऩा चाहिये। मंत्र का शुद्ध उच्चारण न होने पर कोई फल नहीं मिलेगा, बल्कि नुकसान ही होगा। इसीलिए उच्चारण पर विशेष ध्यान रखें। अब आप गणेश जी के बाद सभी देवी-देवादि कुल, वास्तु, नवग्रह और ईष्ट देवी-देवतादि को प्रणाम कर आशीर्वाद लेते हुए कष्ट का निवारण कर शत्रुओं का संहार करने वाली वाल्गा (बंगलामुखी) का विनियोग मंत्र दाहिने हाथ में जल लेकर पढ़ें-ऊं अस्य श्री बगलामुखी मंत्रस्य नारद ऋषि: त्रिष्टुप्छन्द: बगलामुखी देवता, ह्लींबीजम् स्वाहा शक्ति: ममाभीष्ट सिध्यर्थे जपे विनियोग: (जल नीचे गिरा दें)। अब माता का ध्यान करें, याद रहे सारी पूजा में हल्दी और पीला पुष्प अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
ध्यान-

मध्ये सुधाब्धि मणि मण्डप रत्न वेद्यां,
सिंहासनो परिगतां परिपीत वर्णाम,
पीताम्बरा भरण माल्य विभूषिताड्गीं
देवीं भजामि धृत मुद्गर वैरिजिह्वाम
जिह्वाग्र मादाय करेण देवीं,
वामेन शत्रून परिपीडयन्तीम,
गदाभिघातेन च दक्षिणेन,
पीताम्बराढ्यां द्विभुजां नमामि॥

अपने हाथ में पीले पुष्प लेकर उपरोक्त ध्यान का शुद्ध उच्चारण करते हुए माता का ध्यान करें। उसके बाद यह मंत्र जाप करें। साधक ध्यान दें, अगर पूजा मैं विस्तार से कहूंगा तो आप भ्रमित हो सकते हैं। परंतु श्रद्धा-विश्वास से इतना ही करेंगे जितना कहा जा रहा है तो भी उतना ही लाभ मिलेगा। जैसे विष्णुसहस्र नाम का पाठ करने से जो फल मिलता है वही ऊं नमोऽभगवते वासुदेवाय से, यहां मैं इसलिये इसका जिक्र कर रहा हूं ताकि आपके मन में कोई संशय न रहे। राम कहना भी उतना ही फल देगा। अत: थोड़े मंत्रो के दिये जाने से कोई संशय न करें। अब जिसका आपको इंतजार था उन माता बगलामुखी के मंत्र को आपके समक्ष प्रस्तुत कर रहा हूं। मंत्र है : ऊं ह्लीं बगलामुखि! सर्व दुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय स्तम्भय जिह्वां कीलय कीलय बुद्धिं विनाशय ह्लीं ऊंस्वाहा। इस मंत्र का जाप पीली हल्दी की गांठ की माता से करें। आप चाहें तो इसी मंत्र से माता की षोड्शोपचार विधि से पूजा भी कर सकते हैं। आपको कम से कम पांच बातें पूजा में अवश्य ध्यान रखनी है-1. ब्रह्मचर्य, 2. शुद्घ और स्वच्छ आसन 3. गणेश नमस्कार और घी का दीपक 4. ध्यान और शुद्ध मंत्र का उच्चारण 5. पीले वस्त्र पहनना और पीली हल्दी की माला से जाप करना। आप कहेंगे मैं बार-बार यही सावधानी बता रहा हूं। तो मैं कहूंगा इससे गलती करोगे तो माता शायद ही क्षमा करें। इसलिये जो आपके वश में है, उसमें आप फेल न हों। बाकी का काम मां पर छोड़ दें। इतनी सी बातें आपकी कामयाबी के लिये काफी हैं।

अधिकारियों को वश में करने अथवा शत्रुओं द्वारा अपने पर हो रहे अत्याचार को रोकने के लिए यह अनुष्ठान पर्याप्त है। तिल और चावल में दूध मिलाकर माता का हवन करने से श्री प्राप्ति होती हैै और दरिद्रता दूर भागती है। गूगल और तिल से हवन करने से कारागार से मुक्ति मिलती है। अगर वशीकरण करना हो तो उत्तर की ओर मुख करके और धन प्राप्ति के लिए पश्चिम की ओर मुख करके हवन करना चाहिए। अनुभूत प्रयोग कुछ इस प्रकार है। मधु, शहद, चीनी, दूर्वा, गुरुच और धान के लावा से हवन करने से समस्त रोग शान्त हो जाते हैं। गिद्ध और कौए के पंख को सरसों के तेल में मिलाकर चिता पर हवन करने से शत्रु तबाह हो जाते हैं। भगवान शिव के मन्दिर में बैठकर सवा लाख जाप फिर दशांश हवन करें तो सारे कार्य सिद्ध हो जाते हैं। मधु घी, शक्कर और नमक से हवन आकर्षण (वशीकरण) के लिए प्रयोग कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त भी बड़े प्रयोग हैं किन्तु इसका कहीं गलत प्रयोग न कर दिया जाए जो समाज के लिए हितकारी न हो इसलिये देना उचित नहीं है। अत: आप स्वयं के कल्याण के लिए माता की आराधना कर लाभ उठा सकते हैं। यहां संक्षिप्त विधि इसलिये दी गई है कि सामान्य प्राणी भी माता की आराधना कर लाभान्वित हो सकें। यह गृहस्थ भाइयों के लिए भी पर्याप्त है।

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नजर उतारने के प्राचीन उपाय

1. नमक, राई, राल, लहसुन, प्याज के सूखे छिलके व सूखी मिर्च अंगारे पर डालकर उस आग को रोगी के ऊपर सात बार घुमाने से बुरी नजर का दोष मिटता है।

2. शनिवार के दिन हनुमान मंदिर में जाकर प्रेमपूर्वक हनुमान जी की आराधना कर उनके कंधे पर से सिंदूर लाकर नजर लगे हुए व्यक्ति के माथे पर लगाने से बुरी नजर का प्रभाव कम होता है।

3. खाने के समय भी किसी व्यक्ति को नजर लग जाती है। ऐसे समय इमली की तीन छोटी डालियों को लेकर आग में जलाकर नजर लगे व्यक्ति के माथे पर से सात बार घुमाकर पानी में बुझा देते हैं और उस पानी को रोगी को पिलाने से नजर दोष दूर होता है।

4. कई बार हम देखते हैं, भोजन में नजर लग जाती है। तब तैयार भोजन में से थोड़ा-थोड़ा एक पत्ते पर लेकर उस पर गुलाब छिड़ककर रास्ते में रख दे। फिर बाद में सभी खाना खाएँ। नजर उतर जाएगी।

5. नजर लगे व्यक्ति को पान में गुलाब की सात पंखुड़ियाँ रखकर खिलाए। नजर लगा हुआ व्यक्ति इष्ट देव का नाम लेकर पान खाए। बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाएगा।

6. लाल मिर्च, अजवाइन और पीली सरसों को मिट्‍टी के एक छोटे बर्तन में आग लेकर जलाएँ। ‍िफर उसकी धूप नजर लगे बच्चे को दें। किसी प्रकार की नजर हो ठीक हो जाएगी।



नज़र बाधा

1. आप अपने नए मकान को बुरी नजर से बचाना चाहते हैं तो मुख्य द्वार की चौखट पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधकर लटकाने से समस्त ऊपरी बाधाओं से मुक्ति मिलती है।

2. यदि आपने कोई नया वाहन खरीदा है और आप इस बात से परेशान हैं कि कुछ न कुछ रोज वाहन में गड़बड़ी हो जाती है। यदि गड़बड़ी नहीं होती तो दुर्घटना में चोट-चपेट लग जाती है औरबेकार के खर्च से सारी अर्थ-व्यवस्था चौपट हो जाती है। अपने वाहन पर काले धागे से पीली कौड़ी बांधने से आप इस बुरी नजर से बच सकेंगे, करके परेशानी से मुक्त हो जाएं।



3. यदि आपके घर पर रोज कोई न कोई आपदा आ रही है। आप इस बात को लेकर परेशान हैं कि कहीं किसी ने कुछ कर तो नहीं दिया। ऐसे में आपको चाहिए कि एक नारियल को काले कपड़े मेंसिलकर घर के बाहर लटका दें।

4. मिर्च, राई व नमक को पीड़ित व्यक्ति के सिर से वार कर आग में जला दें। चंद्रमा जब राहु से पीड़ित होता है तब नजर लगती है। मिर्च मंगल का, राई शनि का और नमक राहु का प्रतीक है। इन तीनों को आग (मंगल का प्रतीक) में डालने से नजर दोष दूर हो जाता है। यदि इन तीनों को जलाने पर तीखी गंध न आए तो नजर दोष समझना चाहिए। यदि आए तो अन्य उपाय करने चाहिए।

टोटका तीन-यदि आपके बच्चे को नजर लग गई है और हर वक्त परेशान व बीमार रहता है तो लाल साबुत मिर्च को बच्चे के ऊपर से तीन बार वार कर जलती आग में डालने से नजर उतर जाएगी और मिर्च का धचका भी नहीं लगेगा।



5. यदि कोई व्यक्ति बुरी नजर से परेशान है तो कि शनिवार के दिन कच्चा दूध उसके ऊपर से सात बार वारकर कुत्ते को पिला देने से बुरी नजर का प्रभाव दूर हो जाता है।



6. यदि कोई व्यक्ति बुरी नजर से परेशान है तो कि मंगलवार के दिन हनुमान मंदिर जाकर उनके कन्धे से सिन्दुर लेकर नजर लगे व्यक्ति के माथे पर यह सोचकर तिलक कर दें कि यह नजर दोष से मुक्त हो गया है।



दिमाग से चिन्ता हटाने का टोटका

अधिकतर पारिवारिक कारणों से दिमाग बहुत ही उत्तेजना में आजाता है,परिवार की किसी समस्या से या लेन देन से,अथवा किसी रिस्तेनाते को लेकर दिमाग एक दम उद्वेलित होने लगता है,ऐसा लगने लगता है कि दिमाग फ़ट पडेगा,इसका एक अनुभूत टोटका है कि जैसे ही टेंसन हो एक लोटे में या जग में पानी लेकर उसके अन्दर चार लालमिर्च के बीज डालकर अपने ऊपर सात बार उबारा (उसारा) करने के बाद घर के बाहर सडक पर फ़ेंक दीजिये,फ़ौरन आराम मिल जायेगा।

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7. यदि आपके बच्चे को बार-बार नजर लग जाती है तो आपको चाहिए कि आप उसके गले में रीठे का एक फल काले धागे में उसके गले में पहना दें।



8. यदि आप नजर दोष से मुक्त होना चाहते हैं तो सूती कोरे कपड़े को सात बार वारकर सीधी टांग के नीचे से निकालकर आग में झोंक दें। यदि नजर होगी तो कपड़ा जल जाएगा व जलने की बदबू भी नहीं आएगी। यह प्रयोग बुधवार एवं शनिवार को ही कर सकते हैं।



9. टोटका नौ-यदि कोई बच्चा नजर दोष से बीमार रहता है और उसका समस्त विकास रुक गया है तो फिटकरी एवं सरसों को बच्चे पर से सात बार वारकर चूल्हे पर झोंक देने से नजर उतर जाती है। यदि यह सुबह, दोपहर एवं सायं तीनों समय करें तो एक ही दिन में नजर दोष दूर हो जाता है।





मानसिक परेशानी दूर करने के लिए :



रोज़ हनुमान जी का पूजन करे व हनुमान चालीसा का पाठ करें ! प्रत्येक शनिवार को शनि को तेल चढायें ! अपनी पहनी हुई एक जोडी चप्पल किसी गरीब को एक बार दान करें !



घर से पराशक्तियों को हटाने का टोटका

एक कांच के गिलास में पानी में नमक मिलाकर घर के नैऋत्य के कोने में रख दीजिये,और उस बल्ब के पीछे लाल रंग का एक बल्व लगा दीजिये,जब भी पानी सूख जाये तो उस गिलास को फ़िर से साफ़ करने के बाद नमक मिलाकर पानी भर दीजिये।



व्यक्तिगत बाधा निवारण के लिए

व्यक्तिगत बाधा के लिए एक मुट्ठी पिसा हुआ नमक लेकर शाम को अपने सिर के ऊपर से तीन बार उतार लें और उसे दरवाजे के बाहर फेंकें। ऐसा तीन दिन लगातार करें। यदि आराम न मिले तो नमक को सिर के ऊपर वार कर शौचालय में डालकर फ्लश चला दें। निश्चित रूप से लाभ मिलेगा।

हमारी या हमारे परिवार के किसी भी सदस्य की ग्रह स्थिति थोड़ी सी भी अनुकूल होगी तो हमें निश्चय ही इन उपायों से भरपूर लाभ मिलेगा।



बनता काम बिगडता हो, लाभ न हो रहा हो या कोई भी परेशानी हो तो :

1. हर मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में बदाना (मीठी बूंदी) चढा कर उसी प्रशाद को मंदिर के बाहर गरीबों में बांट दें !



2. व्यापार, विवाह या किसी भी कार्य के करने में बार-बार असफलता मिल रही हो तो यह टोटका करें- सरसों के तैल में सिके गेहूँ के आटे व पुराने गुड़ से तैयार सात पूये, सात मदार (आक) के पुष्प, सिंदूर, आटे से तैयार सरसों के तैल का रूई की बत्ती से जलता दीपक, पत्तल या अरण्डी के पत्ते पर रखकर शनिवार की रात्रि में किसी चौराहे पर रखें और कहें -“हे मेरे दुर्भाग्य तुझे यहीं छोड़े जा रहा हूँ कृपा करके मेरा पीछा ना करना। सामान रखकर पीछे मुड़कर न देखें।

किसी रोग से ग्रसित होने पर :



सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी में सेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !

एक रुपये का सिक्का रात को सिरहाने में रख कर सोएं और सुबह उठकर उसे श्मशान के आसपास फेंक दें, रोग से मुक्ति मिल जाएगी।


लगातार बुखार आने पर

1. यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आक की जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान से बांध दें ! बुखार उतर जायगा !



के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए :

एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरे में थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !



4. प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्ते को शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !



5. यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछ ही दिनों में आराम हो जायगा !



6॰ सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिर माता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आ जाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।

रोगी को ठीक करने के लिए :- कृष्ण पक्ष में अमावस्या की रात को 12 बजे नहा-धोकर नीले रंग के वस्त्र ग्रहण करें। आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर पूर्व की ओर मुख करके बैठे। इसके पश्चात चौमुखी दीपक (चार मुँह वाला जलाएँ। (निम्न सामग्री पहले से इकट्‍ठी करके रख लें) नीला कपड़ा सवा गज – 4 मीटर चौमुखी दिए 40 नग, मिट्‍टी की गड़वी 1 नग, सफेद कुशासन(कुश का आसन) 1 नग, बत्तियाँ 51 नग, छोटी इलायची 11 दाने, छुहारे (खारक) 5 नग, एक नीले कपड़े का रूमाल, दियासलाई, लौंग 11 दाने, तेल सरसों 1 किलो इत्र व शीशी गुलाब के फूल 5 नग, गेरू का टुकड़ा, 1 लडडू और लड्डू के टुकड़े 11 नग।


विधि - नीले कपड़े के चारों कोने में लड्‍डू, लौंग, इलायची एवं छुहारे बाँध लें, फिर‍ मिट्‍टी के बर्तन में पानी भरकर, गुलाब के फूल भी वहाँ रख लें। फिर नीचे लिखा मंत्र पढ़ें। मंत्र पढ़ते समय लोहे की चीज (दियासलाई) से अपने चारों ओर लकीर खींच लें।

मंत्र इस प्रकार है।
ऊँ अनुरागिनी मैथन प्रिये स्वाहा।
शुक्लपक्षे, जपे धावन्ताव दृश्यते जपेत्।।
यह मंत्र चालीस दिन लगातार पढ़ें, (सवा लाख बार) सुबह उठकर नदी के पानी में अपनी छाया को देखें। जब मंत्र संपूर्ण हो जाएँ तो सारी सामग्री (नीले कपड़े सहित) पानी में बहा दें।

अगर आप किसीको अपने वश में करना चाहते हैं अथवा जिस किसी रोगी का इलाज करना चाहते हैं, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़ें, बस आपका काम हो जाएगा।



· यदि घर के छोटे बच्चे पीड़ित हों, तो मोर पंख को पूरा जलाकर उसकी राख बना लें और उस राख से बच्चे को नियमित रूप से तिलक लगाएं तथा थोड़ी-सी राख चटा दें।

· यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तो सात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबले अनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल कर कीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थल पर चढ़ा दें।

· बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूर का तिलक करें।

· पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं, गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारक है।

1. ससुराल में सुखी रहने के लिए :

1- कन्या अपने हाथ से हल्दी की 7 साबुत गांठें, पीतल का एक टुकड़ा और थोड़ा-सा गुड़ ससुराल की तरफ फेंके, ससुराल में सुरक्षित और सुखी रहेगी।

2- सवा पाव मेहंदी के तीन पैकेट (लगभग सौ ग्राम प्रति पैकेट) बनाएं और तीनों पैकेट लेकर काली मंदिर या शस्त्र धारण किए हुए किसी देवी की मूर्ति वाले मंदिर में जाएं। वहां दक्षिणा, पत्र, पुष्प, फल, मिठाई, सिंदूर तथा वस्त्र के साथ मेहंदी के उक्त तीनों पैकेट चढ़ा दें। फिर भगवती से कष्ट निवारण की प्रार्थना करें और एक फल तथा मेहंदी के दो पैकेट वापस लेकर कुछ धन के साथ किसी भिखारिन या अपने घर के आसपास सफाई करने वाली को दें। फिर उससे मेहंदी का एक पैकेट वापस ले लें और उसे घोलकर पीड़ित महिला के हाथों एवं पैरों में लगा दें। पीड़िता की पीड़ा मेहंदी के रंग उतरने के साथ-साथ धीरे-धीरे समाप्त हो जाएगी।



पति-पत्नी के बीच वैमनस्यता को दूर करने हेतु :

1. रात को सोते समय पत्नी पति के तकिये में सिंदूर की एक पुड़िया और पति पत्नी के तकिये में कपूर की २ टिकियां रख दें। प्रातः होते ही सिंदूर की पुड़िया घर से बाहर फेंक दें तथा कपूर को निकाल कर उस कमरे जला दें।

पति को वश में करने के लिए :

1- यह प्रयोग शुक्ल में पक्ष करना चाहिए ! एक पान का पत्ता लें ! उस पर चंदन और केसर का पाऊडर मिला कर रखें ! फिर दुर्गा माता जी की फोटो के सामने बैठ कर दुर्गा स्तुति में से चँडी स्त्रोत का पाठ 43 दिन तक करें ! पाठ करने के बाद चंदन और केसर जो पान के पत्ते पर रखा था, का तिलक अपने माथे पर लगायें ! और फिर तिलक लगा कर पति के सामने जांय ! यदि पति वहां पर न हों तो उनकी फोटो के सामने जांय ! पान का पता रोज़ नया लें जो कि साबुत हो कहीं से कटा फटा न हो ! रोज़ प्रयोग किए गए पान के पत्ते को अलग किसी स्थान पर रखें ! 43 दिन के बाद उन पान के पत्तों को जल प्रवाह कर दें ! शीघ्र समस्या का समाधान होगा !



2- शनिवार की रात्रि में ७ लौंग लेकर उस पर २१ बार जिस व्यक्ति को वश में करना हो उसका नाम लेकर फूंक मारें और अगले रविवार को इनको आग में जला दें। यह प्रयोग लगातार ७ बार करने से अभीष्ट व्यक्ति का वशीकरण होता है।



3- अगर आपके पति किसी अन्य स्त्री पर आसक्त हैं और आप से लड़ाई-झगड़ा इत्यादि करते हैं। तो यह प्रयोग आपके लिए बहुत कारगर है, प्रत्येक रविवार को अपने घर तथा शयनकक्ष में गूगल की धूनी दें। धूनी करने से पहले उस स्त्री का नाम लें और यह कामना करें कि आपके पति उसके चक्कर से शीघ्र ही छूट जाएं। श्रद्धा-विश्वास के साथ करने से निश्चिय ही आपको लाभ मिलेगा।



4- शुक्ल पक्ष के प्रथम रविवार को प्रातःकाल स्नानादि से निवृत्त होकर अपने पूजन स्थल पर आएं। एक थाली में केसर से स्वस्तिक बनाकर गंगाजल से धुला हुआ मोती शंख स्थापित करें और गंध, अक्षत पुष्पादि से इसका पूजन करें। पूजन के समय गोघृत का दीपक जलाएं और निम्नलिखित मंत्र का 1 माला जप स्फटिक की माला पर करें। श्रद्धा-विश्वास पूर्वक 1 महीने जप करने से किसी भी व्यक्ति विशेष का मोहन-वशीकरण एवं आकर्षण होता है। जिस व्यक्ति का नाम, ध्यान करते हुए जप किया जाए वह व्यक्ति साधक का हर प्रकार से मंगल करता है। यह प्रयोग निश्चय ही कारगर सिद्ध होता है।

मंत्र : ऊँ क्रीं वांछितं मे वशमानय स्वाहा।''



5- जिन स्त्रियों के पति किसी अन्य स्त्री के मोहजाल में फंस गये हों या आपस में प्रेम नहीं रखते हों, लड़ाई-झगड़ा करते हों तो इस टोटके द्वारा पति को अनुकूल बनाया जा सकता है।

गुरुवार अथवा शुक्रवार की रात्रि में १२ बजे पति की चोटी (शिखा) के कुछ बाल काट लें और उसे किसी ऐसे स्थान पर रख दें जहां आपके पति की नजर न पड़े। ऐसा करने से आपके पति की बुद्धि का सुधार होगा और वह आपकी बात मानने लगेंगे। कुछ दिन बाद इन बालों को जलाकर अपने पैरों से कुचलकर बाहर फेंक दें। मासिक धर्म के समय करने से अधिक कारगर सिद्ध होगा।

पति पत्नी में कलेश दूर करने के लिए

1. श्री गणेश जी और शक्ति की उपासना करे |

2. सोते समय पूर्व की और सिरहाना होना चाहिए |

3. चींटियों के वास्ते शक्कर डालनी चाहिए |

4. भोजपत्र पर लाल कलम से पति का नाम लिख कर तथा ” हं हनुमंते नमः ” का 21 बार उच्चारण करे उसे शहद में अच्छी तरह से बंद कर के घर के किसी कोने में रख दे जहाँ पर किसी की दृष्टि न पढ़े |

धीरे धीरे कलहपूर्ण वातावरण दूर होगा |

कुछ परिवारों में सब कुछ होते हुए भी छोटी छोटी बातो में गृह कलेश होता रहता है | निम्न मंत्र का जाप पति या पत्नी में से कोई करे तो किसी एक को बुधि आ जायेगी और घर में शांति का वातावरण बनेगा |

मंत्र -

धं धिं धुम धुर्जते | पत्नी वां वीं बूम वाग्धिश्वरि | क्रं क्रीं क्रूं कालिका देवी | शं षीम शूं में शुभम कुरु |

यदि लड़की यह प्रयोग कर रही है तो पत्नी की जगह पति शब्द का उलेख़ करे | विधि –

प्रातः स्नान कर के काली या माँ दुर्गा के चित्र पर लाल पुष्प चढाये |

घर की कलह को समाप्त करने का उपाय

रोजाना सुबह जागकर अपने स्वर को देखना चाहिये,नाक के बायें स्वर से जागने पर फ़ौरन बिस्तर छोड कर अपने काम में लग जाना चाहिये,अगर नाक से दाहिना स्वर चल रहा है तो दाहिनी तरफ़ बगल के नीचे तकिया लगाकर दुबारा से सो जाना चाहिये,कुछ समय में बायां स्वर चलने लगेगा,सही तरीके से चलने पर बिस्तर छोड देना चाहिये।

परिवार में शांति बनाए रखने के लिए :

बुधवार को मिट्टी के बने एक शेर को उसके गले में लाल चुन्नी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंदिर में रखें और माता को अपने परिवार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांति बनाए रखने की विनती करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, परिवार में शांति कायम होगी।

शादी विवाह में विघ्न न पडने देने के लिये टोटका

शादी वाले दिन से एक दिन पहले एक ईंट के ऊपर कोयले से "बाधायें" लिखकर ईंट को उल्टा करके किसी सुरक्षित स्थान पर रख दीजिये,और शादी के बाद उस ईंट को उठाकर किसी पानी वाले स्थान पर डाल कर ऊपर से कुछ खाने का सामान डाल दीजिये,शादी विवाह के समय में बाधायें नहीं आयेंगी।



5. वैवाहिक सुख के लिए :

कन्या का विवाह हो जाने के बाद उसके घर से विदा होते समय एक लोटे में गंगाजल, थोड़ी सी हल्दी और एक पीला सिक्का डालकर उसके आगे फेंक दें, उसका वैवाहिक जीवन सुखी रहेगा।




शुक्र ग्रह की शान्ति के



ग्रहों में शुक्र को विवाह व वाहन का कारक ग्रह कहा गया है (इसलिये +वाहन दुर्घटना से बचने के लिये भी ये उपाय किये जा सकते है.

शुक्र के उपाय करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है. वाहन से जुडे मामलों में भी यह उपाय लाभकारी रहते है.

शुक्र की वस्तुओं से स्नान
ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है (boil big cardamom in a water and mix in the bathing water). इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है.
यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए. तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है. इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है

शुक्र की वस्तुओं का दान -
शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावन (Ghee and rice are the products of Venus) का दान किया जाता है. इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोग-विलास के कारक ग्रह है. इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है. बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है (cosmetics and luxurious products). दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है. तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए. दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है.

शुक्र मन्त्र का जाप
शुक्र के इस उपाय में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है.

"ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा "


शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में इस श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है. मुंह के अशुद्ध होने पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए. ऎसा करने पर विपरीत फल प्राप्त हो सकते है. वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है  वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है.

शुक्र का यन्त्र
शुक्र के अन्य उपायों में शुक्र यन्त्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है. शुक्र यन्त्र की पहली लाईन के तीन खानों में 11,6,13 ये संख्याये लिखी जाती है. मध्य की लाईन में 12,10, 8 संख्या होनी चाहिए. तथा अन्त की लाईन में 07,14,9 संख्या लिखी जाती है. शुक्र यन्त्र में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी जानकार पण्डित की सलाह ली जा सकती है. यन्त्र पूजा घर में स्थापित करने के बाद उसकी नियमित रुप से साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.


शादी करने का अनुभूत उपाय

पुरुषों को विभिन्न रंगों से स्त्रियों की तस्वीरें और महिलाओं को लाल रंग से पुरुषों की तस्वीर सफ़ेद कागज पर रोजाना तीन महिने तक एक एक बनानी चाहिये।


अगर लड़की की उम्र निकली जा रही है और सुयोग्य लड़का नहीं मिल रहा। रिश्ता बनता है फिर टूट जाता है। या फिर शादी में अनावश्यक देरी हो रही हो तो कुछ छोटे-छोटे सिद्ध टोटकों से इस दोष को दूर किया जा सकता है। ये टोटके अगर पूरे मन से विश्वास करके अपनाए जाएं तो इनका फल बहुत ही कम समय में मिल जाता है। जानिए क्या हैं ये टोटके :-

1. रविवार को पीले रंग के कपड़े में सात सुपारी, हल्दी की सात गांठें, गुड़ की सात डलियां, सात पीले फूल, चने की दाल (करीब 70 ग्राम), एक पीला कपड़ा (70 सेमी), सात पीले सिक्के और एक पंद्रह का यंत्र माता पार्वती का पूजन करके चालीस दिन तक घर में रखें। विवाह के निमित्त मनोकामना करें। इन चालीस दिनों के भीतर ही विवाह के आसार बनने लगेंगे।

2. लड़की को गुरुवार का व्रत करना चाहिए। उस दिन कोई पीली वस्तु का दान करे। दिन में न सोए, पूरे नियम संयम से रहे।

3. सावन के महीने में शिवजी को रोजाना बिल्व पत्र चढ़ाए। बिल्व पत्र की संख्या 108 हो तो सबसे अच्छा परिणाम मिलता है।

4. शिवजी का पूजन कर निर्माल्य का तिलक लगाए तो भी जल्दी विवाह के योग बनते हैं।

विवाह के उपाय

समय पर अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने की इच्छा के कारण माता-पिता व भावी वर-वधू भी चाहते है कि अनुकुल समय पर ही विवाह हो जायें. कुण्डली में विवाह विलम्ब से होने के योग होने पर विवाह की बात बार-बार प्रयास करने पर भी कहीं बनती नहीं है. इस प्रकार की स्थिति होने पर शीघ्र विवाह के उपाय करने हितकारी रहते है. उपाय करने से शीघ्र विवाह के मार्ग बनते है. तथा विवाह के मार्ग की बाधाएं दूर होती है.

उपाय करते समय ध्यान में रखने योग्य बातें

* 1. किसी भी उपाय को करते समय, व्यक्ति के मन में यही विचार होना चाहिए, कि वह जो भी उपाय कर रहा है, वह ईश्वरीय कृ्पा से अवश्य ही शुभ फल देगा.
* 2. सभी उपाय पूर्णत: सात्विक है तथा इनसे किसी के अहित करने का विचार नहीं है.
* 3. उपाय करते समय उपाय पर होने वाले व्ययों को लेकर चिन्तित नहीं होना चाहिए.
* 4. उपाय से संबन्धित गोपनीयता रखना हितकारी होता है.
* 5. यह मान कर चलना चाहिए, कि श्रद्धा व विश्वास से सभी कामनाएं पूर्ण होती है.

आईये शीघ्र विवाह के उपायों को समझने का प्रयास करें

1. हल्दी के प्रयोग से उपाय
विवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए. भोजन में केसर का सेवन करने से विवाह शीघ्र होने की संभावनाएं बनती है.

2. पीला वस्त्र धारण करना
ऎसे व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए.

3. वृ्द्धो का सम्मान करना
उपाय करने वाले व्यक्ति को कभी भी अपने से बडों व वृ्द्धों का अपमान नहीं करना चाहिए.

4. गाय को रोटी देना
जिन व्यक्तियों को शीघ्र विवाह की कामना हों उन्हें गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए. तथा इसके साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल का भोग गाय को लगाना शुभ होता है.

5. शीघ्र विवाह प्रयोग
इसके अलावा शीघ्र विवाह के लिये एक प्रयोग भी किया जा सकता है. यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को किया जाता है. इस प्रयोग में गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये. यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए.

6. केले के वृ्क्ष की पूजा
गुरुवार को केले के वृ्क्ष के सामने गुरु के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए. अथा जल भी अर्पित करना चाहिए.

7. सूखे नारियल से उपाय
एक अन्य उपाय के रुप में सोमवार की रात्रि के 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं किया जाता, इस उपाय के लिये जल भी ग्रहण नहीं किया जाता. इस उपाय को करने के लिये अगले दिन मंगलवार को प्रात: सूर्योदय काल में एक सूखा नारियल लें, सूखे नारियल में चाकू की सहायता से एक इंच लम्बा छेद किया जाता है. अब इस छेद में 300 ग्राम बूरा (चीनी पाऊडर) तथा 11 रुपये का पंचमेवा मिलाकर नारियल को भर दिया जाता है.

यह कार्य करने के बाद इस नारियल को पीपल के पेड के नीचे गड्डा करके दबा देना. इसके बाद गड्डे को मिट्टी से भर देना है. तथा कोई पत्थर भी उसके ऊपर रख देना चाहिए.

यह क्रिया लगातार 7 मंगलवार करने से व्यक्ति को लाभ प्राप्त होता है. यह ध्यान रखना है कि सोमवार की रात 12 बजे के बाद कुछ भी ग्रहण नहीं करना है.

8. मांगलिक योग का उपाय
अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगल वार के दिन चण्डिका स्तोत्र का पाठ मंगलवार के दिन तथा शनिवार के दिन सुन्दर काण्ड का पाठ करना चाहिए. इससे भी विवाह के मार्ग की बाधाओं में कमी होती है.

9. छुआरे सिरहाने रख कर सोना
यह उपाय उन व्यक्तियों को करना चाहिए. जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है. परन्तु विवाह संपन्न होने में बाधा आ रही है. इस उपाय को करने के लिये शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर जल के साथ ही अपने सोने वाले स्थान पर सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें.



कुछ ग्रहों के अशुभ प्रभाव के कारण कन्या के विवाह में विलंब हो तो इस प्रकार के उपाय स्वयं कन्या द्वारा करवाने से विवाह बाधाएं दूर होती है –

किसी भी माह की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी से चांदी की छोटी कटोरी में गाय का दूध लेकर उसमें शक्कर एवंउबलेहुए चांवल मिलाकर चंद्रोदय के समय चंद्रमा को तुलसी की पत्ती डालकर यह नेवैद्य बताएं व प्रदक्षिणा करें, इस प्रकार यह नियम 45 दिनों तक करें ,45 ङ्घह्न दिन पूर्ण होने पर एक कन्या को भोजन करवाकर वस्त्र और मेंहदी दान करें, ऐसाकरने से सुयोग्य वर की प्राप्ति होकर शीघ्र मांगलिक कार्य संपन्न होता है ।

गुरूवार के दिन प्रात:काल नित्यकर्म से निवतृत होकर हल्दीयुक्त रोटियां बनाकर प्रत्येक रोटी पर गुड़ रखें व उसे गाय को खिलाएं ।7 गुरूवार नियमित रूप से यह विधि करने से शीघ्र विवाह होता है ।

मंगलवार केदिन देवी -मंदिर में लाल गुलाब का फूल चढ़ाएं पूजन करें एवं मंगलवार का व्रत रखें । यह कार्य नौ मंगलवार तक करे । अंतिम मंगलवार को9 ख़् वर्ष की नौ कन्याओं को भोजन करवाकर लाल वस्त्र, मेंहदी एवं यथाशक्ति दक्षिण दें, शीघ्र फल की प्राप्ति होगी ।

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि नंद गोपसुतं देविपतिं में कुरू ने नम: । माँ कात्यायनि देवी या पार्वती देवी के फोटो को सामने रखकर जो कन्या पूजन कर इस कात्यायनि मंत्र की 1 माला का जाप प्रतिदिन करती है , उस कन्या की विवाह बधा शीघ्र दूर होती है ।







१. यदि कन्या की शादी में कोई रूकावट आ रही हो तो पूजा वाले 5 नारियल लें ! भगवान शिव की मूर्ती या फोटो के आगे रख कर “ऊं श्रीं वर प्रदाय श्री नामः” मंत्र का पांच माला जाप करें फिर वो पांचों नारियल शिव जी के मंदिर में चढा दें ! विवाह की बाधायें अपने आप दूर होती जांयगी !

२. प्रत्येक सोमवार को कन्या सुबह नहा-धोकर शिवलिंग पर “ऊं सोमेश्वराय नमः” का जाप करते हुए दूध मिले जल को चढाये और वहीं मंदिर में बैठ कर रूद्राक्ष की माला से इसी मंत्र का एक माला जप करे ! विवाह की सम्भावना शीघ्र बनती नज़र आयेगी



विवाह बाधा दूर करने के लिए

कन्या को चाहिए कि वह बृहस्पतिवार को व्रत रखे और बृहस्पति की मंत्र के साथ पूजा करे। इसके अतिरिक्त पुखराज या सुनैला धारण करे। छोटे बच्चे को बृहस्पतिवार को पीले वस्त्र दान करे। लड़के को चाहिए कि वह हीरा या अमेरिकन जर्कन धारण करे और छोटी बच्ची को शुक्रवार को श्वेत वस्त्र दान करे।

किस माह में जन्मी महिला कैसी?



ज्योतिष शास्त्र के अनुसार स्त्रियों का स्वभाव उनके जन्म के मास से भी जाना जा सकता है। यहां हम क्र म से इन हिन्दी मासों मे जन्म लेने वाली महिलाओं के स्वभाव की जानकारी प्रस्तुत कर रहे हैं।

चैत्र मास: चैत्र मास में जन्म लेने वाली स्त्री वक्ता, होशियार, क्रोधी स्वभाव वाली, रतनारे नेत्र वाली, सुंदर रूप- गोरे रंग वाली, धनवान, पुत्रवती और सभी सुखों को पाने वाली होती है।

वैशाख मास: वैशाख मास में जन्म लेने वाली स्त्री श्रेष्ठ पतिव्रता, कोमल स्वभाव वाली, सुंदर हृदय, बड़े नेत्रों वाली, धनवान, क्रोध करने वाली तथा मितव्ययी होती है।

ज्येष्ठ मास: ज्येष्ठ मास में पैदा होने वाली स्त्री बुद्धिमान और धनवान, तीर्थ स्थानों को जाने वाली, कार्यों में कुशल और अपने पति की प्यारी होती है।

आषाढ़ मास: आषाढ़ मास में उत्पन्न स्त्री संतानवान, धन से हीन, सुख भोगने वाली, सरल और पति की दुलारी होती है।

श्रावण मास: श्रावण मास में जन्म लेने वाली पवित्र , मोटे शरीर वाली, क्षमा करने वाली, सुंदर तथा धर्मयुक्त और सुखों को पाने वाली होती है।

भाद्र मास: भाद्र मास में जन्म लेने वाली कोमल, धन पुत्रवाली, सुखी घर की वस्तुओं कि देखभाल करनेवाली, हमेशा प्रसन्न रहने वाली, सुशीला और मीठा बोलने वाली होती है।
आश्विन मास: आश्विन मास में जन्म लेने वाली स्त्री सुखी, धनी, शुद्ध हृदय गुण और रूपवती होती है, कार्यों में कुशल तथा अधिक कार्य करने वाली होती है।
कार्तिक मास: कार्तिक मास में जन्म लेने वाली स्त्री कुटिल स्वभाव कि, चतुर, झुठ बोलने वाली, क्रूर और धन सुख वाली होती है।
मागशीर्ष मास: मागशीर्ष में जन्म लेने वाली पवित्र , मिठे वचनों वाली, दया, दान, धन, धर्म करने वाली, कार्य में कुशल और रक्षा करने वाली होती है।
पौष मास: पौष मास में जन्म लेने वाली स्त्री पुरुष के समान स्वभाव वाली, पति से विमुख, समाज में गर्व तथा क्रोध रखने वाली होती है।
माघ मास: माघ मास में जन्म लेने वाली स्त्री धनी, सौभाग्यवान, बुद्धिमान संतान से युक्त तथा कटु पर सत्य वचन बोलने वाली होती है।
फाल्गुन मास: फाल्गुन मास में जन्म लेने वाली स्त्री सर्वगुणसंपन्न, ऐश्वर्यशाली, सुखी और संताति वाली तीर्थ यात्रापर जाने वाली तथा कल्याणकरने वाली होती है।


संतान होने और नही होने की पहिचान करना

पुरुष और स्त्री के दाहिने हाथ मे साफ़ मिट्टी रख कर उसके अन्दर थोडा दही और पिसी शुद्ध हल्दी रखनी चाहिये,यह काम रात को सोने से पहले करना चाहिये,सुबह अगर दोनो के हाथ में हल्दी का रंग लाल हो गया है तो संतान आने का समय है,स्त्री के हाथ में लाल है और पुरुष के हाथ में पीली है तो स्त्री के अन्दर कामवासना अधिक है,पुरुष के हाथ में लाल हो गयी है और स्त्री के हाथ में नही तो स्त्री रति सम्बन्धी कारणों से ठंडी है,और संतान पैदा करने में असमर्थ है,कुछ समय के लिये रति क्रिया को बंद कर देना चाहिये।

* चार वीरवार को 900 ग्राम जौं चलते जल में बहाए |
* वीरवार का व्रत भी रखना शुभ होगा |
* राधा कृष्णजी के मंदिर में शुक्ल पक्ष के वीरवार या जन्माष्टमी को चान्दी की बांसुरी चढाये |
* लाल या भूरी गायें को आट्टे का पेढा व पानी दे |

उपाय मन से करने से मनोकामना पूरण होगी |



घर में खुशहाली परि तथा दुकान की उन्नति हेतु :

शांति बनाए रखने के लिए :

बुधवार को मिट्टी के बने एक शेर को उसके गले में लाल चुन्नी बांधकर और लाल टीका लगाकर माता के मंदिर में रखें और माता को अपने परिवार की सभी समस्याएं बताकर उनसे शांति बनाए रखने की विनती करें। यह क्रिया निष्ठापूर्वक करें, परिवार में शांति कायम होगी।



घर या व्यापार स्थल के मुख्य द्वार के एक कोने को गंगाजल से धो लें और वहां स्वास्तिक की स्थापना करें और उस पर रोज चने की दाल और गुड़ रखकर उसकी पूजा करें। साथ ही उसे ध्यान रोज से देखें और जिस दिन वह खराब हो जाए उस दिन उस स्थान पर एकत्र सामग्री को जल में प्रवाहित कर दें। यह क्रिया शुक्ल पक्ष के बृहस्पतिवार को आरंभ कर ११ बृहस्पतिवार तक नियमित रूप से करें। फिर गणेश जी को सिंदूर लगाकर उनके सामने लड्डू रखें तथा ÷जय गणेश काटो कलेश' कहकर उनकी प्रार्थना करें, घर में सुख शांति आ जागी।

सफलता प्रा प्ति के लिए :

6. किसी कार्य की सिद्धि के लिए जाते समय घर से निकलने से पूर्व ही अपने हाथ में रोटी ले लें। मार्ग में जहां भी कौए दिखलाई दें, वहां उस रोटी के टुकड़े कर के डाल दें और आगे बढ़ जाएं। इससे सफलता प्राप्त होती है।
23॰ किसी भी आवश्यक कार्य के लिए घर से निकलते समय घर की देहली के बाहर, पूर्व दिशा की ओर, एक मुट्ठी घुघंची को रख कर अपना कार्य बोलते हुए, उस पर बलपूर्वक पैर रख कर, कार्य हेतु निकल जाएं, तो अवश्य ही कार्य में सफलता मिलती है।
24॰ अगर किसी काम से जाना हो, तो एक नींबू लें। उसपर 4 लौंग गाड़ दें तथा इस मंत्र का जाप करें : `ॐ श्री हनुमते नम:´। 21 बार जाप करने के बाद उसको साथ ले कर जाएं। काम में किसी प्रकार की बाधा नहीं आएगी।
25॰ चुटकी भर हींग अपने ऊपर से वार कर उत्तर दिशा में फेंक दें। प्रात:काल तीन हरी इलायची को दाएँ हाथ में रखकर “श्रीं श्रीं´´ बोलें, उसे खा लें, फिर बाहर जाए¡।
प्रातः सोकर उठने के बाद नियमित रूप से अपनी हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखें और तीन बार चूमें। ऐसा करने से हर कार्य में सफलता मिलती है। यह क्रिया शनिवार से शुरू करें।

घर मे धन की बरक्कत के लिये टोटका

सबसे छोटे चलने वाले नोट का एक त्रिकोण पिरामिड बनाकर घर के धन स्थान में रख दीजिये,जब धन की कमी होने लगे तो उस पिरामिड को बायें हाथ में रखकर दाहिने हाथ से उसे ढककर कल्पना कीजिये कि यह पिरामिड घर में धन ला रहा है,कहीं से भी धन का बन्दोबस्त हो जायेगा,लेकिन यह प्रयोग बहुत ही जरूरत में कीजिये।

7.

DHAN KE UPAY

धन एक गौड साधन है,बिना धन के ज्ञानी व्यक्ति भी बेकार लगता है,बिना धन के किसी प्रकार की शक्ति भी आस्तित्वहीन होती है,आज के युग में जिसे देखो धन की तरफ़ भाग रहा है,और धन के लिये कितने ही गलत काम किये जा रहे है,भाई भाई का दुश्मन बना बैठा है,बाप बेटे को धन के लिये छोड देता है,पत्नी धन के लिये पति की हत्या करवा देती है,आदि तरीके लोग धन के लिये अपना रहे है,अगर धन को ईश्वरीय शक्ति से प्राप्त किया जाये,तो वह धन अधिक स्थाई और अच्छे कामों में खर्च होने वाला होता है,और जो भी खर्चा किया जाता है वह मानसिक और शारीरिक दोनो प्रकार के सुख देता है,तामसी कारणों से लोगों को लूट खसोट कर प्राप्त किया जाने वाला धन हमेशा बुरे कामों में ही खर्च होता है,धन तो खर्च होता ही है,लेकिन हमेशा के लिये दुखदायी भी हो जाता है। सही तरीके से और ईमानदारी से धन कमाने के लिये ईश्वरीय शक्ति की जरूरत पडती है,ईश्वरीय शक्ति को प्राप्त करने के लिये ईश्वर में आस्था बनानी पडती है,और आस्था बनाने के लिये नियमित रूप से उपाय करने पडते है,नियमित रूप से उपाय करने के लिये अपने को प्रयासरत रखना पडता है। आइये आपको कुछ सहज में ही ईश्वरीय शक्तियों से धन प्राप्त करने के तरीके बता देता हूँ,इस प्रकार से प्राप्त किये जाने वाले धन को प्रयोग करने के बाद आपको कितनी शांति और समृद्धि मिलती है,आपको खुद को पता चल जायेगा। प्रयास के लिये तीन बातों का ख्याल रखना भी जरूरी है कि इन्सान को तीन तरह का प्रयास सदैव जारी रखना चाहिये,एक तो अपनी मानवीय शक्ति को सहेज कर रखना,दूसरे जो भी भौतिक साधन अपने पास है,उनका प्रयोग करते रहना,और तीसरा प्रयास ईश्वर से दैविक शक्ति को प्राप्त करने के बाद उसका प्रयोग करते रहना।



FIRST UPAY

आप अपने निवास स्थान में उत्तर-पूर्व दिशा में एक साफ़ जगह पर स्थान चुन लीजिये,उस स्थान को गंदगी आदि से मुक्त कर लीजिये,फ़िर एक साफ़ लकडी का पाटा उस स्थान पर रख लीजिये,और एक चमेली के तेल की सीसी,पचास मोमबत्ती सफ़ेद और पचास मोमबत्ती हरी और एक माचिस लाकर रख लीजिये। अपना एक समय चुन लीजिये जिस समय आप जरूर फ़्री रहते हों,उस समय में आप घडी मिलाकर ईश्वर से धन प्राप्त करने के उपाय करना शुरु कर दीजिये। पाटे को पानी और किसी साफ़ कपडे से साफ़ करिये,एक हरी मोमबत्ती और एक सफ़ेद मोमबत्ती दोनो को चमेली के तेल में डुबोकर नहला लीजिये,दोनो को एक माचिस की तीली जलाकर उनके पैंदे को गर्म करने के बाद एक दूसरे से नौ इंच की दूरी पर बायीं (लेफ़्ट) तरफ़ हरी मोमबत्ती और दाहिनी (राइट) तरफ़ सफ़ेद मोमबत्ती पाटे पर चिपका दीजिये। दुबारा से माचिस की तीली जलाकर पहले हरी मोमबत्ती को और फ़िर सफ़ेद मोमबत्ती को जला दीजिये,दोनो मोमबत्तिओं को देखकर मानसिक रूप से प्रार्थना कीजिये "हे धन के देवता कुबेर ! मुझे धन की अमुक (जिस काम के लिये धन की जरूरत हो उसका नाम) काम के लिये जरूरत है,मुझे ईमानदारी से धन को प्राप्त करने में सहायता कीजिये",और प्रार्थना करने के बाद मोमबत्ती को जलता हुआ छोड कर अपने काम में लग जाइये। दूसरे दिन अगर मोमबत्ती पूरी जल गयी है,तो उस जले हुये मोम को वहीं पर लगा रहने दें,और नही जली है तो वैसी ही रहने दें,दूसरी मोमबत्तियों को पहले दिन की तरह से ले लीजिये,और पहले जली हुयी मोमबत्तियों से एक दूसरी के नजदीक लगाकर जलाकर पहले दिन की तरह से वही प्रार्थना करिये,इस तरह से धीरे धीरे मोमबत्तिया एक दूसरे की पास आती चलीं जायेगी,जितनी ही मोमबत्तियां पास आती जायेंगी,धन आने का साधन बनता चला जायेगा,और जैसे ही दोनो मोमबत्तियां आपस में सटकर जलेंगी,धन प्राप्त हो जायेगा। जब धन प्राप्त हो जाये तो पास के किसी धार्मिक स्थान पर या पास की किसी बहती नदी में उस मोमबत्तियों के पिघले मोम को लेजाकर श्रद्धा से रख आइये या बहा दीजिये,जो भी श्रद्धा बने गरीबों को दान कर दीजिये,ध्यान रखिये इस प्रकार से प्राप्त धन को किसी प्रकार के गलत काम में मत प्रयोग करिये,अन्यथा दुबारा से धन नही आयेगा।





SECEND UPAY



दूसरे प्रकार के उपाय में कुछ धन पहले खर्च करना पडता है,इस उपाय के लिये आपको जो भी मुद्रा आपके यहां चलती है आप ले लीजिये जैसे रुपया चलता है तो दस दस के पांच नोट ले लीजिये डालर चलता है तो पांच डालर ले लीजिये आदि। बाजार से पांच नगीने जैसे गोमेद एमेथिस्ट जेड सुनहला गारनेट ले लीजिये,यह नगीने सस्ते ही आते है,साथ ही बाजार से समुद्री नमक भी लेते आइये। यह उपाय गुरुवार से शुरु करना है,अपने घर मे अन्दर एक ऐसी जगह को देखिये जहां पर लगातार सूर्य की रोशनी कम से कम तीन घंटे रहती हो,एक पोलीथिन के ऊपर पहले पांच नोट रखिये,उनके ऊपर एक एक नगीना रख दीजिये,और उन नगीनो तथा नोटों पर समुद्री नमक पीस कर थोडा थोडा छिडक

इस नवरात्रि को क्या करे और क्या है खास

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