आपके इष्ट देव : भाग्योदयकारी रत्न :आपके आराघ्य देव : जन्म का पाया :चमकती रहेगी आपकी किस्मत : :
- आपके इष्ट देव
* प्रार्थनाएं हमें मनुष्यता सिखाती हैं।
प्रार्थना करने के फायदे
हमें अपने अनुभवों को बांटने का मौका देती हैं प्रार्थना। प्रार्थना हमारे आंतरिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि प्रार्थना हमारे महत्वपूर्ण वैयक्तिक बदलाव का बुनियादी केंद्र होती है। जब हम प्रार्थना करते हैं तो स्वीकार करते हैं कि कोई तो है, जो हम सबको रोशन किए हुए है। कोई तो है जिसके पास इस समूचे ब्रह्माण्ड का बटन है।
* जब हम प्रार्थना करते हैं तो अपने अहम का दमन करते हैं।
* जब प्रार्थना करते हैं तो हमारे मन से कलुषित विचार दूर होते चले जाते हैं। प्रार्थनाएं हीलिंग टच का काम करती हैं। प्रार्थनाएं हमें बल देती हैं, संबल देती हैं, क्योंकि प्रार्थनाएं हमें पवित्र बनाती हैं।
* हमारे शरीर को डिटॉक्सीफिकेशन करती हैं यानी उसे निर्विषीकरण की प्रक्रिया से गुजारती हैं। इससे हमारा शरीर स्वस्थ, पवित्र, प्रफुल्लित और तरोताजा होता है। प्रार्थनाएं हमें सिखाती हैं कि हम ऊर्जा कैसे हासिल करें।
* जो लोग प्रार्थना नहीं करते वे मौन में विलुप्त हो जाने का लुत्फ नहीं उठा पाते।
* प्रार्थना उस शक्ति को हासिल करने का उपक्रम है, जो शक्ति हमें अपने पराक्रम से हासिल होती है।
* प्रार्थनाएं हमें मनुष्यता सिखाती हैं।
* प्रार्थनाएं हमें संगठित करती हैं।
* प्रार्थनाएं हमें मिल-जुलकर कुछ भी कर सकने की शक्ति देती हैं। इसीलिए सामूहिक प्रार्थनाए महज धार्मिक क्रियाकलाप या अनुष्ठान भर नहीं होतीं, वे एक सामाजिक आंदोलन, एक वसुधैव कुटुम्बकम् का आह्वान भी होती हैं।
* प्रार्थनाएं हमें दूसरों पर भरोसा करना सिखाती हैं।
इष्ट देव की उपासना
नीचे सभी राशियों के देवता दिए जा रहे हैं। अपनी राशि के अनुसार देवता की आराधना करे
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं। जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च , अगस्त व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें।
वृष: गणेशजी।
मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कर्क: हनुमानजी।
सिंह: शिवजी।
कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली।
तुला: भैरव, हनुमानजी, काली।
वृश्चिक: शिवजी।
धनु: हनुमानजी।
मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कुंभ: गणेशजी।
मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।
इष्ट देव की उपासना
नीचे सभी राशियों के देवता दिए जा रहे हैं। अपनी राशि के अनुसार देवता की आराधना करे
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)
प्रतिनिधि ग्रह-- इष्ट देव---- रत्न दान -----सामग्री
गुरु--------------- विष्णु-----पुखराज- ---पीली वस्तुएँ
शुक्र------------- देवी के रूप--- हीरा -----सफेद मिठाई
शनि------------- शिव जी----- नीलम ----काली वस्तुएँ
सूर्य--------- गायत्री, विष्णु---- माणिक--- सफेद वस्तुएँ, नारंगी
बुध------------- गणेश-------- पन्ना-------- हरी वस्तु
मंगल ---------हनुमानजी ------मूँगा------- लाल वस्तुएँ
चंद्र------------- शिवजी-------- मोती------- सफेद वस्तु
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु सोमवार- शिवजी। मंगलवार- हनुमानजी बुधवार- गणेशजी गुरूवार- शिवजी शुक्रवार- देवी
शनिवार- भैरवजी।
विशेष : संबंधित राशि के रत्न पहनने से और जप दान करने से अनुकूल फल प्राप्त होते हैं।
अगर आप किसी तीर्थ-स्थल पर जाकर पूजा-पाठ या दान-दक्षिणा करते हुए पुण्य कमाना चाहते हैं,
इष्ट देव की उपासना
ग्रह-- इष्ट देव
प्रतिनिधि ग्रह-- इष्ट देव---- रत्न दान -----सामग्री
गुरु--------------- विष्णु-----पुखराज- ---पीली वस्तुएँ
शुक्र------------- देवी के रूप--- हीरा -----सफेद मिठाई
शनि------------- शिव जी----- नीलम ----काली वस्तुएँ
सूर्य--------- गायत्री, विष्णु---- माणिक--- सफेद वस्तुएँ, नारंगी
बुध------------- गणेश-------- पन्ना-------- हरी वस्तु
मंगल ---------हनुमानजी ------मूँगा------- लाल वस्तुएँ
चंद्र------------- शिवजी-------- मोती------- सफेद वस्तु
विशेष : राहु और केतु पर्वतों के खराब होने पर क्रमश:
सरस्वती और गणेश जी की आराधना करना लाभ देता है।
'ऊँ रां राहवे नम:' और 'ऊँ कें केतवे नम:' के जाप से भी ये ग्रह शांत होते हैं।
;लग्नानुसार करें इष्ट देव की उपासना—-
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईश्वरीय शक्ति की उपासना अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवताओं को उपास्य देव माना गया है व विभिन्न शक्तियों के रूप में उनकी पूजा की जाती है। आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की आराधना, मंत्र जाप एक साथ करते जाते हैं। परिणाम यह होता है कि किसी भी देवता को प्रसन्न नहीं कर पाते- जैसा कि कहा गया है – ‘एकै साधै सब सधै, सब साधै सब जाय’ जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है।
इष्ट देवता का निर्धारण कुंडली में लग्न अर्थात प्रथम भाव को देखकर किया जाता है।
जैसे यदि प्रथम भाव में मेष राशि हो तो (1 अंक) तो लग्न मेष माना जाएगा।
लग्नानुसार इष्ट देव——
लग्न स्वामी ग्रह इष्ट देव मेष, वृश्चिक मंगल हनुमान जी, राम जी वृषभ,
तुला शुक्र दुर्गा जी मिथुन, कन्या बुध गणेश जी, विष्णु
कर्क चंद्र शिव जी सिंह सूर्य गायत्री, हनुमान जी धनु/ मीन गुरु विष्णु जी (सभी रूप), लक्ष्मी जी
मकर, कुंभ शनि हनुमान जी, शिव जी लग्न के अतिरिक्त पंचम व नवम भाव के स्वामी ग्रहों के अनुसार देवी-देवताओं का ध्यान पूजन भी सुख-सौहार्द्र बढ़ाने वाला होता है।
इष्ट देव की पूजा करने के साथ रोज एक या दो माला मंत्र जाप करना चमत्कारिक फल दे सकता है और आपकी संकटों से रक्षा कर सकता है।
देव मंत्र —- हनुमान—- ऊँ हं हनुमंताय नम: शिव—- ऊँ रुद्राय नम: गणेश —ऊँ गंगणपतयै नम: दुर्गा— ऊँ दुं दुर्गाय नम: राम —-ऊँ रां रामाय नम: विष्णु— विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ लक्ष्मी— लक्ष्मी चालीसा,…ऊँ श्रीं श्रीयै नम: विशेष : इष्ट का ध्यान-जप का समय
निश्चित होना चाहिए अर्थात यदि आप सुबह सात बजे जप ध्यान करते हैं, तो रोज उसी समय ध्यान करें। अपनी सुविधानुसार समय न बदलें।
व्यक्ति यदि अपने लग्र के देवता की पूजा करें तो उनको अपने हर काम में सफलता मिलने लगेगी।
मेष लग्र- मेष लग्र में जन्म लेने वाले लोगों को रवि, मंगल, गुरु, ये ग्रह शुभ फल देते हैं। इसलिए इन लोगों को रवि और गणेश जी की आराधना करनी चाहिए।
वृषभ लग्र- इस लग्र वाले को शनि देव की उपासना करनी चाहिए।
मिथुन लग्र- लग्र पर जिनका जन्म होगा उनको शुक्र फल देता है। इसलिए वे कुल देवता की उपासना करें।
कर्क लग्र- कर्क लग्र वाले लोगों को गणेश जी और शंकर भगवान की उपासना करनी चाहिए।
सिंह लग्र- सिंह लग्र में वाले कुलदेवता का पूजन करें।
कन्या लग्र- कन्या लग्र वाले लोगों को शुक्र शुभफल देता है। इसलिए कुलदेवता की आराधना करें।
तुला लग्र- तुला लग्र वाले जातकों को ग्रहों की उपासना करनी चाहिए।
वृश्चिक लग्र- वृश्चिक लग्र वाले लोगों के लिए भी ग्रहों की पूजा शुभ फल देने वाली होती है।
धनु लग्र- इस लग्र पर जिनका जन्म होता है। उन्हे सूर्य और गणेश की आराधना करनी चाहिए।
मकर लग्र- मकर लग्र वाले जातकों को अपनी कुलदेवी और कुबेर की उपासना करनी चाहिए।
कुंभ लग्र- कुंभ लग्र वालों के लिए भी कुल देवी की ही आराधना शुभकारी होती है।
मीन लग्र- इस लग्र वाले शंकर और गणपति जी की भक्ति करें श्री गणेश : मात्र पत्तों से ही खुश होने वाले देवता गणेश जी ही ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा घास-फूस अपितु पेड़-पौधों की पत्तियों से भी करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। श्री विनायक को प्रसन्न करने के लिए इन पर मात्र पत्तों को भी अर्पित किया जा सकता है।
कुंडली से इष्ट देव जानने का सूत्र। किसी जातक की कुंडली से इष्ट देव जानने के अलग अलग सूत्र व सिद्धांत समय समय पर ऋषि मुनियों ने बताये व सम्पादित किये हैं।
जेमिनी सूत्र के रचयिता महर्षि जेमिनी इष्टदेव के निर्धारण में आत्मकारक ग्रह की भूमिका को सबसे अधिक मह्त्व्यपूर्ण बताया है।
कुंडली में लगना, लग्नेश, लग्न नक्षत्र के स्वामी एवं ग्रह जों सबसे अधिक अंश में हो चाहे किसी भी राशि में हो आत्मकारक ग्रह होता है।
इष्ट देव कैसे चुने?
अपना इष्ट देव चुनने में निम्न बातों का ध्यान देना चाहिए।
-आत्मकारक ग्रह के अनुसार ही इष्ट देव का निर्धारण व उनकी अराधना करनी चाहिए।
-अन्य मतानुसार पंचम भाव, पंचमेश व पंचम में स्थित बलि ग्रह या ग्रहों के अनुसार ही इष्ट देव का निर्धारण व अराधना करें।
-त्रिकोणेश में सर्वाधिक बलि ग्रह के अनुसार भी इष्टदेव का चयन कर सकते हैं और उसी अनुसार उनकी अराधना करें।
ग्रह अनुसार देवी देवता का ज्ञान
सूर्य-राम व विष्णु
चन्द्र-शिव, पार्वती, कृष्ण
मंगल-हनुमान, कार्तिकेय, स्कन्द, नरसिंग
बुध-गणेश, दुर्गा, भगवान् बुद्ध
वृहस्पति-विष्णु, ब्रह्मा, वामन
शुक्र-परशुराम, लक्ष्मी
शनि-भैरव, यम, कुर्म, हनुमान
राहु-सरस्वती, शेषनाग
केतु-गणेश व मत्स्य
इस प्रकार अपने इष्ट देव का चयन करने के उपरांत किसी भी जातक को उनकी पूजा अराधना करनी चाहिए तथा उसके बाद भी आपको धर्मीं कार्य, अनुष्ठान, जाप, दान आदि निरंतर करते रहना चाहिए। आप इन्हें किसी भी परिस्थिति में ना त्यागें। अपने इष्ट देव का निर्धारण कर यदि आप नियमित पूजा अराधना करते हैं तो आपको आपने पूर्वजन्म कृत पापों से मुक्ति मिलने में सहायता हो जाती है।
आपके इष्ट देव
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं।
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
लग्नानुसार करें इष्ट देव की उपासना
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईश्वरीय शक्ति की उपासना अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवताओं को उपास्य देव माना गया है व विभिन्न शक्तियों के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की आराधना, मंत्र जाप एक साथ करते जाते हैं। परिणाम यह होता है कि किसी भी देवता को प्रसन्न नहीं कर पाते- जैसा कि कहा गया है -
'एकै साधै सब सधै, सब साधै सब जाय'
जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है। इष्ट देवता का निर्धारण कुंडली में लग्न अर्थात प्रथम भाव को देखकर किया जाता है। जैसे यदि प्रथम भाव में मेष राशि हो तो (1 अंक) तो लग्न मेष माना जाएगा।
लग्नानुसार इष्ट देव
लग्न स्वामी ग्रह इष्ट देव
मेष, वृश्चिक मंगल हनुमान जी, राम जी
वृषभ, तुला शुक्र दुर्गा जी
मिथुन, कन्या बुध गणेश जी, विष्णु
कर्क चंद्र शिव जी
सिंह सूर्य गायत्री, हनुमान जी
धनु, मीन गुरु विष्णु जी (सभी रूप), लक्ष्मी जी
मकर, कुंभ शनि हनुमान जी, शिव जी
लग्न के अतिरिक्त पंचम व नवम भाव के स्वामी ग्रहों के अनुसार देवी-देवताओं का ध्यान पूजन भी सुख-सौहार्द्र बढ़ाने वाला होता है। इष्ट देव की पूजा करने के साथ रोज एक या दो माला मंत्र जाप करना चमत्कारिक फल दे सकता है और आपकी संकटों से रक्षा कर सकता है।
देव मंत्र
हनुमान ऊँ हं हनुमंताय नम:
शिव ऊँ रुद्राय नम:
गणेश ऊँ गंगणपतयै नम:
दुर्गा ऊँ दुं दुर्गाय नम:
राम ऊँ रां रामाय नम:
विष्णु विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
लक्ष्मी लक्ष्मी चालीसा
ऊँ श्रीं श्रीयै नम:
विशेष : इष्ट का ध्यान-जप का समय निश्चित होना चाहिए अर्थात यदि आप सुबह सात बजे जप ध्यान करते हैं, तो रोज उसी समय ध्यान करें। अपनी सुविधानुसार समय न बदलें
किसको ईष्ट बनाए & आपके इष्ट देव कौन हैं?
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं।
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें। फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें। मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें। अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें। मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें। जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु सोमवार- शिवजी। मंगलवार- हनुमानजी बुधवार- गणेशजी गुरूवार- शिवजी शुक्रवार- देवी
शनिवार- भैरवजी।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें। वृष: गणेशजी। मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी। कर्क: हनुमानजी। सिंह: शिवजी। कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली। तुला: भैरव, हनुमानजी, काली। वृश्चिक: शिवजी धनु: हनुमानजी। मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी। कुंभ: GANESH JI मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।बुध- गणेश, विष्णु गुरू- शिव। शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती। शनि- भैरव, काली।
यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है वह मेरी अपनी नहीं है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें।मैं हर इंसान के लिए ज्योतिष के ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ।
आपके इष्ट देव
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं। जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें।
वृष: गणेशजी।
मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कर्क: हनुमानजी।
सिंह: शिवजी।
कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली।
तुला: भैरव, हनुमानजी, काली।
वृश्चिक: शिवजी।
धनु: हनुमानजी।
मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कुंभ: गणेशजी।
मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।
सफल होने के लिए राशि अनुसार करें इष्ट देव की पूजा-आराधना
सफल होने के लिए राशि अनुसार करें इष्ट देव की पूजा-आराधना
अपनी जन्म राशि के अनुसार यदि अपने इष्ट देवी-देवता की पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से आराधना की जाए तो जीवन में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। यहां हम जन्म राशियों के अनुसार इष्ट देवों की आराधना के संबंध में चर्चा कर रहे हैं।
मेष और वृश्चिक राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह मंगल हैं। इन राशि के जातकों को हनुमानजी, महाकाली और तारा देवी की आराधना करने के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती में दिए गए देवीजी के प्रथम चरित्र का पाठ करना शुभ फलदायी होता है।
वृष और तुला राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो रजो गुण प्रधान हैं। इन जातकों को ज्ञान की देवी सरस्वती जी, गणेश जी की आराधना करना शुभ होता है। गणेशजी के व्रत इनके लिए लाभदायक होंगे।
मिथुन और कन्या राशि
इन राशियों के स्वामी ग्रह बुध हैं। बुध भी रजो प्रधान ग्रह हैं। इन जातकों को माता दुर्गा, भुवनेश्वरी देवी और मां काली की आराधना करना शुभ फलदायी माना गया है।
कर्क राशि
इस राशि के स्वामी सतो गुण प्रधान चन्द्र ग्रह हैं। इन जातकों को महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। श्री सूक्त के पाठ और श्री यंत्र का पूजन करना भी इन्हें खासा लाभ देता है।
सिंह राशि
इस राशि के स्वामी सतोगुण प्रधान ग्रह सूर्य है। इस राशि के जातकों को सूर्य भगवान, धन की देवी महालक्ष्मी, बंगला मुखी एवं सिद्धिदात्री देवी की आराधना करनी चाहिए।
धनु और मीन राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह गुरू अर्थात बृहस्पति हैं। ये सतो गुण प्रधान हैं। इन राशियों के जातकों के लिए महालक्ष्मी, कमला और सिद्धिदात्री देवी की आराधना फलदायी है।
मकर और कुंभ राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह शनि हैं जो तमो प्रधान गुण रखते हैं। इन जातकों को शनि देव और महाकाली की उपासना करनी चाहिए।
इष्ट देव के अनुसार मंत्रों का जाप :राशि के अनुसार मंत्र :
राशि के अनुसार ईष्ट देव के मंत्र का प्रतिदिन जाप करना चाहीए।
मंत्रों का जाप किया जाय तो लाभ प्राप्त होता हैं।
मेष राशि
ईष्ट देव : हनुमान जी
मंत्र : हं हनुमतये नम: या ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 21 या 108
कुल जाप संख्या : 1 लाख
वृषभराशि
ईष्ट देव: चन्द्र देव
मंत्र : ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: या ऊँ गौपालायै उत्तर ध्वजाय नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 11 या 108
कुल जाप संख्या : सवा लाख
मिथुनराशि
ईष्ट देव: गणेश जी
मंत्र : गं गणपतये शूर्पकर्णाय नम: या ऊँ क्लीं कृष्णायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 21 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
कर्कराशि
ईष्ट देव : शेषनाग की शैया पर बैठे विष्णु
मंत्र : विष्णवे मंगल मूतर्ये नम: या ऊँ हिरण्यगर्भायै अव्यक्त रूपिणे नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 11 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
सिंहराशि
ईष्ट देव : सूर्यदेव
मंत्र : ह्रीं आदित्याय भास्कराय नम: या ऊँ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
कन्याराशि
ईष्ट देव: गणेश जी
मंत्र : सोमाय श्रीमन महा गणाधिपतये नम: या ऊँ नमो प्रीं पीताम्बरायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : सवा लाख
तुलाराशि
ईष्ट देवी : लक्ष्मी जी
मंत्र : ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: या ऊँ तत्व निरंजनाय तारक रामायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 21,43 या 108
कुल जाप संख्या : 2 लाख 51 हजार
वृश्चिकराशि
ईष्ट देव: शिव जी
मंत्र : चन्द्रधारिणे शिवाय नम: या ऊँ नारायणाय सुरसिंहायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : 1 लाख 51 हजार
धनुराशि
ईष्ट देव: मत्स्य अवतार
मंत्र : शशि वर्णाय श्री विष्णवे नम: या ऊँ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊध्वर्षंतायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
मकरराशि
ईष्ट देवी : भद्र काली
मंत्र : दिव्याम आभां क्रीं काल्यै नम: या ऊँ श्रीं वत्सलायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 27 या 108
कुल जाप संख्या : सवा तीन लाख
कुम्भराशि
ईष्ट देव : शनि देव
मंत्र : ऊँ प्रां प्रां प्रौं स: शनैश्चराय नम: या श्रीं उपेन्द्रायै अच्युताय नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 27 या 108
कुल जाप संख्या : सवा तीन लाख
मीनराशि
ईष्ट देव : विष्णु भगवान
मंत्र : गोवद्धर्नाय श्रीं विष्णवे नम: या ऊँ क्लीं उद्धृताय उद्धारिणे नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : 1 लाख 70 हजार
आराध्य देवता कुल देवता तथा इष्ट देवता को हम कैसे जान सकते है
अपने आराध्य देवता कुल देवता तथा इष्ट देवता को हम कैसे जान सकते है ? कैसे करे हम अपने आराध्य की उपासना ? तथा जानिये किस आराध्य देवता की पूजा कर के हम अपने जीवन को खुशहाल एवं प्रगति के पथ पर ले जा सकते है?...
“आप को अपने भीतर से ही खुद का एवं अपने आराध्य का विकास करना होता है। कोई भी ज्ञान आप को बिना आराध्यदेव की कृपा से आपको कुछ सीखा नहीं सकता, कोई भी शक्ति आपको बिना अपने आराध्य देव के कृपा बिना आध्यात्मिक एवं धनवान नहीं बना सकती। आपको सिखाने वाली और प्रगति की राह पर ले जाने वाली शक्ति और कोई नहीं, सिर्फ आपकी आत्मा एवं उस आत्मा मे बसने वाले हमारे आराध्य(इश्ट) देव ही है।"
नीचे सभी राशियों के आराध्य देवता दिए जा रहे हैं।
अपनी राशि के अनुसार अपने देवता की आराधना कर अपने जीवन को सुखी बनायेl
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम
की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं।
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव
इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च , अगस्त व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के
अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म
कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान,
बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार
व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव
विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव
इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें।
वृष: गणेशजी।.
मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कर्क: हनुमानजी।
सिंह: शिवजी।
कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली।
तुला: भैरव, हनुमानजी, काली।
वृश्चिक: शिवजी।
धनु: हनुमानजी।
मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कुंभ: गणेशजी।
मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह
की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।
राशि और लग्न के हिसाब से सभी राशियों के अलग-अलग इष्ट देव और उपास्य देव होते हैं। जातक को किस देवी-देवता की अराधना करनी चाहिए जिससे की उसे मनोवांछित फल प्राप्त हो सकें। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राशि और लग्न के आधार पर अपने-अपने देवी-देवता की पूजा और भक्ति करने से आशातीत लाभ होता है। इधर-उधर भटकने की बजाय उनकी इबादत को अपनाकर हर कोई अपना कल्याण कर सकता है। अपने इष्ट का सिमरण पाप नाशक और मोक्षदायक माना गया है।
मेष: इस राशी के स्वामी मंगल और उपास्य देव श्री गणपती एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
वृषभ: इस राशी के स्वामी शुक्र और उपास्य देवी कुलस्वामिनी एवं लक्ष्मी माता हैं।
मिथुन: इस राशी के स्वामी बुध और उपास्य देव कुबेर एवं दुर्गा माता हैं।
कर्क: इस राशी के स्वामी चंद्र और उपास्य देव गौरी शंकर हैं।
सिंह: इस राशी के स्वामी रवि और उपास्य देव सूर्य नारायण एवं जगत पिता ब्रह्मा हैं।
कन्या: इस राशी के स्वामी बुध और उपास्य देव कुबेर एवं दुर्गा मां हैं।
तुला: इस राशी के स्वामी शुक्र और उपास्य देवी कुलस्वामिनी हैं।
वृश्चिक: इस राशी के स्वामी मंगल और उपास्य देव श्री गणपती एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
धनु: इस राशी के स्वामी गुरु और उपास्य देव दत्तात्रोय जी हैं।
मकर: इस राशी के स्वामी शनि और उपास्य देव श्री शनिदेव एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
कुंभ: इस राशी के स्वामी शनि और उपास्य देव श्री शनिदेव एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
मीन: इस राशी के स्वामी गुरु और उपास्य देव गुरू बृहस्पती हैं।
- आपके इष्ट देव
* प्रार्थनाएं हमें मनुष्यता सिखाती हैं।
प्रार्थना करने के फायदे
हमें अपने अनुभवों को बांटने का मौका देती हैं प्रार्थना। प्रार्थना हमारे आंतरिक परिवर्तनों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, क्योंकि प्रार्थना हमारे महत्वपूर्ण वैयक्तिक बदलाव का बुनियादी केंद्र होती है। जब हम प्रार्थना करते हैं तो स्वीकार करते हैं कि कोई तो है, जो हम सबको रोशन किए हुए है। कोई तो है जिसके पास इस समूचे ब्रह्माण्ड का बटन है।
* जब हम प्रार्थना करते हैं तो अपने अहम का दमन करते हैं।
* जब प्रार्थना करते हैं तो हमारे मन से कलुषित विचार दूर होते चले जाते हैं। प्रार्थनाएं हीलिंग टच का काम करती हैं। प्रार्थनाएं हमें बल देती हैं, संबल देती हैं, क्योंकि प्रार्थनाएं हमें पवित्र बनाती हैं।
* हमारे शरीर को डिटॉक्सीफिकेशन करती हैं यानी उसे निर्विषीकरण की प्रक्रिया से गुजारती हैं। इससे हमारा शरीर स्वस्थ, पवित्र, प्रफुल्लित और तरोताजा होता है। प्रार्थनाएं हमें सिखाती हैं कि हम ऊर्जा कैसे हासिल करें।
* जो लोग प्रार्थना नहीं करते वे मौन में विलुप्त हो जाने का लुत्फ नहीं उठा पाते।
* प्रार्थना उस शक्ति को हासिल करने का उपक्रम है, जो शक्ति हमें अपने पराक्रम से हासिल होती है।
* प्रार्थनाएं हमें मनुष्यता सिखाती हैं।
* प्रार्थनाएं हमें संगठित करती हैं।
* प्रार्थनाएं हमें मिल-जुलकर कुछ भी कर सकने की शक्ति देती हैं। इसीलिए सामूहिक प्रार्थनाए महज धार्मिक क्रियाकलाप या अनुष्ठान भर नहीं होतीं, वे एक सामाजिक आंदोलन, एक वसुधैव कुटुम्बकम् का आह्वान भी होती हैं।
* प्रार्थनाएं हमें दूसरों पर भरोसा करना सिखाती हैं।
इष्ट देव की उपासना
नीचे सभी राशियों के देवता दिए जा रहे हैं। अपनी राशि के अनुसार देवता की आराधना करे
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं। जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च , अगस्त व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें।
वृष: गणेशजी।
मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कर्क: हनुमानजी।
सिंह: शिवजी।
कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली।
तुला: भैरव, हनुमानजी, काली।
वृश्चिक: शिवजी।
धनु: हनुमानजी।
मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कुंभ: गणेशजी।
मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।
इष्ट देव की उपासना
नीचे सभी राशियों के देवता दिए जा रहे हैं। अपनी राशि के अनुसार देवता की आराधना करे
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)
प्रतिनिधि ग्रह-- इष्ट देव---- रत्न दान -----सामग्री
गुरु--------------- विष्णु-----पुखराज- ---पीली वस्तुएँ
शुक्र------------- देवी के रूप--- हीरा -----सफेद मिठाई
शनि------------- शिव जी----- नीलम ----काली वस्तुएँ
सूर्य--------- गायत्री, विष्णु---- माणिक--- सफेद वस्तुएँ, नारंगी
बुध------------- गणेश-------- पन्ना-------- हरी वस्तु
मंगल ---------हनुमानजी ------मूँगा------- लाल वस्तुएँ
चंद्र------------- शिवजी-------- मोती------- सफेद वस्तु
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु सोमवार- शिवजी। मंगलवार- हनुमानजी बुधवार- गणेशजी गुरूवार- शिवजी शुक्रवार- देवी
शनिवार- भैरवजी।
विशेष : संबंधित राशि के रत्न पहनने से और जप दान करने से अनुकूल फल प्राप्त होते हैं।
अगर आप किसी तीर्थ-स्थल पर जाकर पूजा-पाठ या दान-दक्षिणा करते हुए पुण्य कमाना चाहते हैं,
इष्ट देव की उपासना
ग्रह-- इष्ट देव
प्रतिनिधि ग्रह-- इष्ट देव---- रत्न दान -----सामग्री
गुरु--------------- विष्णु-----पुखराज- ---पीली वस्तुएँ
शुक्र------------- देवी के रूप--- हीरा -----सफेद मिठाई
शनि------------- शिव जी----- नीलम ----काली वस्तुएँ
सूर्य--------- गायत्री, विष्णु---- माणिक--- सफेद वस्तुएँ, नारंगी
बुध------------- गणेश-------- पन्ना-------- हरी वस्तु
मंगल ---------हनुमानजी ------मूँगा------- लाल वस्तुएँ
चंद्र------------- शिवजी-------- मोती------- सफेद वस्तु
विशेष : राहु और केतु पर्वतों के खराब होने पर क्रमश:
सरस्वती और गणेश जी की आराधना करना लाभ देता है।
'ऊँ रां राहवे नम:' और 'ऊँ कें केतवे नम:' के जाप से भी ये ग्रह शांत होते हैं।
;लग्नानुसार करें इष्ट देव की उपासना—-
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईश्वरीय शक्ति की उपासना अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवताओं को उपास्य देव माना गया है व विभिन्न शक्तियों के रूप में उनकी पूजा की जाती है। आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की आराधना, मंत्र जाप एक साथ करते जाते हैं। परिणाम यह होता है कि किसी भी देवता को प्रसन्न नहीं कर पाते- जैसा कि कहा गया है – ‘एकै साधै सब सधै, सब साधै सब जाय’ जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है।
इष्ट देवता का निर्धारण कुंडली में लग्न अर्थात प्रथम भाव को देखकर किया जाता है।
जैसे यदि प्रथम भाव में मेष राशि हो तो (1 अंक) तो लग्न मेष माना जाएगा।
लग्नानुसार इष्ट देव——
लग्न स्वामी ग्रह इष्ट देव मेष, वृश्चिक मंगल हनुमान जी, राम जी वृषभ,
तुला शुक्र दुर्गा जी मिथुन, कन्या बुध गणेश जी, विष्णु
कर्क चंद्र शिव जी सिंह सूर्य गायत्री, हनुमान जी धनु/ मीन गुरु विष्णु जी (सभी रूप), लक्ष्मी जी
मकर, कुंभ शनि हनुमान जी, शिव जी लग्न के अतिरिक्त पंचम व नवम भाव के स्वामी ग्रहों के अनुसार देवी-देवताओं का ध्यान पूजन भी सुख-सौहार्द्र बढ़ाने वाला होता है।
इष्ट देव की पूजा करने के साथ रोज एक या दो माला मंत्र जाप करना चमत्कारिक फल दे सकता है और आपकी संकटों से रक्षा कर सकता है।
देव मंत्र —- हनुमान—- ऊँ हं हनुमंताय नम: शिव—- ऊँ रुद्राय नम: गणेश —ऊँ गंगणपतयै नम: दुर्गा— ऊँ दुं दुर्गाय नम: राम —-ऊँ रां रामाय नम: विष्णु— विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ लक्ष्मी— लक्ष्मी चालीसा,…ऊँ श्रीं श्रीयै नम: विशेष : इष्ट का ध्यान-जप का समय
निश्चित होना चाहिए अर्थात यदि आप सुबह सात बजे जप ध्यान करते हैं, तो रोज उसी समय ध्यान करें। अपनी सुविधानुसार समय न बदलें।
व्यक्ति यदि अपने लग्र के देवता की पूजा करें तो उनको अपने हर काम में सफलता मिलने लगेगी।
मेष लग्र- मेष लग्र में जन्म लेने वाले लोगों को रवि, मंगल, गुरु, ये ग्रह शुभ फल देते हैं। इसलिए इन लोगों को रवि और गणेश जी की आराधना करनी चाहिए।
वृषभ लग्र- इस लग्र वाले को शनि देव की उपासना करनी चाहिए।
मिथुन लग्र- लग्र पर जिनका जन्म होगा उनको शुक्र फल देता है। इसलिए वे कुल देवता की उपासना करें।
कर्क लग्र- कर्क लग्र वाले लोगों को गणेश जी और शंकर भगवान की उपासना करनी चाहिए।
सिंह लग्र- सिंह लग्र में वाले कुलदेवता का पूजन करें।
कन्या लग्र- कन्या लग्र वाले लोगों को शुक्र शुभफल देता है। इसलिए कुलदेवता की आराधना करें।
तुला लग्र- तुला लग्र वाले जातकों को ग्रहों की उपासना करनी चाहिए।
वृश्चिक लग्र- वृश्चिक लग्र वाले लोगों के लिए भी ग्रहों की पूजा शुभ फल देने वाली होती है।
धनु लग्र- इस लग्र पर जिनका जन्म होता है। उन्हे सूर्य और गणेश की आराधना करनी चाहिए।
मकर लग्र- मकर लग्र वाले जातकों को अपनी कुलदेवी और कुबेर की उपासना करनी चाहिए।
कुंभ लग्र- कुंभ लग्र वालों के लिए भी कुल देवी की ही आराधना शुभकारी होती है।
मीन लग्र- इस लग्र वाले शंकर और गणपति जी की भक्ति करें श्री गणेश : मात्र पत्तों से ही खुश होने वाले देवता गणेश जी ही ऐसे देवता हैं, जिनकी पूजा घास-फूस अपितु पेड़-पौधों की पत्तियों से भी करके उनका आशीर्वाद प्राप्त किया जा सकता है। श्री विनायक को प्रसन्न करने के लिए इन पर मात्र पत्तों को भी अर्पित किया जा सकता है।
कुंडली से इष्ट देव जानने का सूत्र। किसी जातक की कुंडली से इष्ट देव जानने के अलग अलग सूत्र व सिद्धांत समय समय पर ऋषि मुनियों ने बताये व सम्पादित किये हैं।
जेमिनी सूत्र के रचयिता महर्षि जेमिनी इष्टदेव के निर्धारण में आत्मकारक ग्रह की भूमिका को सबसे अधिक मह्त्व्यपूर्ण बताया है।
कुंडली में लगना, लग्नेश, लग्न नक्षत्र के स्वामी एवं ग्रह जों सबसे अधिक अंश में हो चाहे किसी भी राशि में हो आत्मकारक ग्रह होता है।
इष्ट देव कैसे चुने?
अपना इष्ट देव चुनने में निम्न बातों का ध्यान देना चाहिए।
-आत्मकारक ग्रह के अनुसार ही इष्ट देव का निर्धारण व उनकी अराधना करनी चाहिए।
-अन्य मतानुसार पंचम भाव, पंचमेश व पंचम में स्थित बलि ग्रह या ग्रहों के अनुसार ही इष्ट देव का निर्धारण व अराधना करें।
-त्रिकोणेश में सर्वाधिक बलि ग्रह के अनुसार भी इष्टदेव का चयन कर सकते हैं और उसी अनुसार उनकी अराधना करें।
ग्रह अनुसार देवी देवता का ज्ञान
सूर्य-राम व विष्णु
चन्द्र-शिव, पार्वती, कृष्ण
मंगल-हनुमान, कार्तिकेय, स्कन्द, नरसिंग
बुध-गणेश, दुर्गा, भगवान् बुद्ध
वृहस्पति-विष्णु, ब्रह्मा, वामन
शुक्र-परशुराम, लक्ष्मी
शनि-भैरव, यम, कुर्म, हनुमान
राहु-सरस्वती, शेषनाग
केतु-गणेश व मत्स्य
इस प्रकार अपने इष्ट देव का चयन करने के उपरांत किसी भी जातक को उनकी पूजा अराधना करनी चाहिए तथा उसके बाद भी आपको धर्मीं कार्य, अनुष्ठान, जाप, दान आदि निरंतर करते रहना चाहिए। आप इन्हें किसी भी परिस्थिति में ना त्यागें। अपने इष्ट देव का निर्धारण कर यदि आप नियमित पूजा अराधना करते हैं तो आपको आपने पूर्वजन्म कृत पापों से मुक्ति मिलने में सहायता हो जाती है।
आपके इष्ट देव
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं।
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
लग्नानुसार करें इष्ट देव की उपासना
भारतीय धार्मिक मान्यताओं के अनुसार ईश्वरीय शक्ति की उपासना अलग-अलग रूपों में की जाती है। हिन्दू धर्म में तैंतीस करोड़ देवताओं को उपास्य देव माना गया है व विभिन्न शक्तियों के रूप में उनकी पूजा की जाती है।
आजकल परेशानियों, कठिनाइयों के चलते हम ग्रह शांति के उपायों के रूप में कई देवी-देवताओं की आराधना, मंत्र जाप एक साथ करते जाते हैं। परिणाम यह होता है कि किसी भी देवता को प्रसन्न नहीं कर पाते- जैसा कि कहा गया है -
'एकै साधै सब सधै, सब साधै सब जाय'
जन्मकुंडली के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति के इष्ट देवी या देवता निश्चित होते हैं। यदि उन्हें जान लिया जाए तो कितने भी प्रतिकूल ग्रह हो, आसानी से उनके दुष्प्रभावों से रक्षा की जा सकती है। इष्ट देवता का निर्धारण कुंडली में लग्न अर्थात प्रथम भाव को देखकर किया जाता है। जैसे यदि प्रथम भाव में मेष राशि हो तो (1 अंक) तो लग्न मेष माना जाएगा।
लग्नानुसार इष्ट देव
लग्न स्वामी ग्रह इष्ट देव
मेष, वृश्चिक मंगल हनुमान जी, राम जी
वृषभ, तुला शुक्र दुर्गा जी
मिथुन, कन्या बुध गणेश जी, विष्णु
कर्क चंद्र शिव जी
सिंह सूर्य गायत्री, हनुमान जी
धनु, मीन गुरु विष्णु जी (सभी रूप), लक्ष्मी जी
मकर, कुंभ शनि हनुमान जी, शिव जी
लग्न के अतिरिक्त पंचम व नवम भाव के स्वामी ग्रहों के अनुसार देवी-देवताओं का ध्यान पूजन भी सुख-सौहार्द्र बढ़ाने वाला होता है। इष्ट देव की पूजा करने के साथ रोज एक या दो माला मंत्र जाप करना चमत्कारिक फल दे सकता है और आपकी संकटों से रक्षा कर सकता है।
देव मंत्र
हनुमान ऊँ हं हनुमंताय नम:
शिव ऊँ रुद्राय नम:
गणेश ऊँ गंगणपतयै नम:
दुर्गा ऊँ दुं दुर्गाय नम:
राम ऊँ रां रामाय नम:
विष्णु विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ
लक्ष्मी लक्ष्मी चालीसा
ऊँ श्रीं श्रीयै नम:
विशेष : इष्ट का ध्यान-जप का समय निश्चित होना चाहिए अर्थात यदि आप सुबह सात बजे जप ध्यान करते हैं, तो रोज उसी समय ध्यान करें। अपनी सुविधानुसार समय न बदलें
किसको ईष्ट बनाए & आपके इष्ट देव कौन हैं?
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं।
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें। फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें। मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें। अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें। मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें। जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु सोमवार- शिवजी। मंगलवार- हनुमानजी बुधवार- गणेशजी गुरूवार- शिवजी शुक्रवार- देवी
शनिवार- भैरवजी।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें। वृष: गणेशजी। मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी। कर्क: हनुमानजी। सिंह: शिवजी। कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली। तुला: भैरव, हनुमानजी, काली। वृश्चिक: शिवजी धनु: हनुमानजी। मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी। कुंभ: GANESH JI मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।बुध- गणेश, विष्णु गुरू- शिव। शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती। शनि- भैरव, काली।
यह ब्लॉग मैंने अपनी रूची के अनुसार बनाया है इसमें जो भी सामग्री दी जा रही है वह मेरी अपनी नहीं है कहीं न कहीं से ली गई है। अगर किसी के कॉपी राइट का उल्लघन होता है तो मुझे क्षमा करें।मैं हर इंसान के लिए ज्योतिष के ज्ञान के प्रसार के बारे में सोच कर इस ब्लॉग को बनाए रख रहा हूँ।
आपके इष्ट देव
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं। जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान, बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें।
वृष: गणेशजी।
मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कर्क: हनुमानजी।
सिंह: शिवजी।
कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली।
तुला: भैरव, हनुमानजी, काली।
वृश्चिक: शिवजी।
धनु: हनुमानजी।
मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कुंभ: गणेशजी।
मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।
सफल होने के लिए राशि अनुसार करें इष्ट देव की पूजा-आराधना
सफल होने के लिए राशि अनुसार करें इष्ट देव की पूजा-आराधना
अपनी जन्म राशि के अनुसार यदि अपने इष्ट देवी-देवता की पूर्ण श्रद्धा और विश्वास से आराधना की जाए तो जीवन में अच्छे परिणाम मिल सकते हैं। यहां हम जन्म राशियों के अनुसार इष्ट देवों की आराधना के संबंध में चर्चा कर रहे हैं।
मेष और वृश्चिक राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह मंगल हैं। इन राशि के जातकों को हनुमानजी, महाकाली और तारा देवी की आराधना करने के साथ-साथ दुर्गा सप्तशती में दिए गए देवीजी के प्रथम चरित्र का पाठ करना शुभ फलदायी होता है।
वृष और तुला राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह शुक्र हैं, जो रजो गुण प्रधान हैं। इन जातकों को ज्ञान की देवी सरस्वती जी, गणेश जी की आराधना करना शुभ होता है। गणेशजी के व्रत इनके लिए लाभदायक होंगे।
मिथुन और कन्या राशि
इन राशियों के स्वामी ग्रह बुध हैं। बुध भी रजो प्रधान ग्रह हैं। इन जातकों को माता दुर्गा, भुवनेश्वरी देवी और मां काली की आराधना करना शुभ फलदायी माना गया है।
कर्क राशि
इस राशि के स्वामी सतो गुण प्रधान चन्द्र ग्रह हैं। इन जातकों को महालक्ष्मी की आराधना करनी चाहिए। श्री सूक्त के पाठ और श्री यंत्र का पूजन करना भी इन्हें खासा लाभ देता है।
सिंह राशि
इस राशि के स्वामी सतोगुण प्रधान ग्रह सूर्य है। इस राशि के जातकों को सूर्य भगवान, धन की देवी महालक्ष्मी, बंगला मुखी एवं सिद्धिदात्री देवी की आराधना करनी चाहिए।
धनु और मीन राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह गुरू अर्थात बृहस्पति हैं। ये सतो गुण प्रधान हैं। इन राशियों के जातकों के लिए महालक्ष्मी, कमला और सिद्धिदात्री देवी की आराधना फलदायी है।
मकर और कुंभ राशि
इन दोनों राशियों के स्वामी ग्रह शनि हैं जो तमो प्रधान गुण रखते हैं। इन जातकों को शनि देव और महाकाली की उपासना करनी चाहिए।
इष्ट देव के अनुसार मंत्रों का जाप :राशि के अनुसार मंत्र :
राशि के अनुसार ईष्ट देव के मंत्र का प्रतिदिन जाप करना चाहीए।
मंत्रों का जाप किया जाय तो लाभ प्राप्त होता हैं।
मेष राशि
ईष्ट देव : हनुमान जी
मंत्र : हं हनुमतये नम: या ऊँ ह्रीं श्रीं लक्ष्मीनारायण नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 21 या 108
कुल जाप संख्या : 1 लाख
वृषभराशि
ईष्ट देव: चन्द्र देव
मंत्र : ऊँ श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: या ऊँ गौपालायै उत्तर ध्वजाय नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 11 या 108
कुल जाप संख्या : सवा लाख
मिथुनराशि
ईष्ट देव: गणेश जी
मंत्र : गं गणपतये शूर्पकर्णाय नम: या ऊँ क्लीं कृष्णायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 21 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
कर्कराशि
ईष्ट देव : शेषनाग की शैया पर बैठे विष्णु
मंत्र : विष्णवे मंगल मूतर्ये नम: या ऊँ हिरण्यगर्भायै अव्यक्त रूपिणे नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 11 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
सिंहराशि
ईष्ट देव : सूर्यदेव
मंत्र : ह्रीं आदित्याय भास्कराय नम: या ऊँ क्लीं ब्रह्मणे जगदाधारायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
कन्याराशि
ईष्ट देव: गणेश जी
मंत्र : सोमाय श्रीमन महा गणाधिपतये नम: या ऊँ नमो प्रीं पीताम्बरायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : सवा लाख
तुलाराशि
ईष्ट देवी : लक्ष्मी जी
मंत्र : ऐं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम: या ऊँ तत्व निरंजनाय तारक रामायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 21,43 या 108
कुल जाप संख्या : 2 लाख 51 हजार
वृश्चिकराशि
ईष्ट देव: शिव जी
मंत्र : चन्द्रधारिणे शिवाय नम: या ऊँ नारायणाय सुरसिंहायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : 1 लाख 51 हजार
धनुराशि
ईष्ट देव: मत्स्य अवतार
मंत्र : शशि वर्णाय श्री विष्णवे नम: या ऊँ श्रीं देवकीकृष्णाय ऊध्वर्षंतायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : सवा दो लाख
मकरराशि
ईष्ट देवी : भद्र काली
मंत्र : दिव्याम आभां क्रीं काल्यै नम: या ऊँ श्रीं वत्सलायै नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 27 या 108
कुल जाप संख्या : सवा तीन लाख
कुम्भराशि
ईष्ट देव : शनि देव
मंत्र : ऊँ प्रां प्रां प्रौं स: शनैश्चराय नम: या श्रीं उपेन्द्रायै अच्युताय नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 27 या 108
कुल जाप संख्या : सवा तीन लाख
मीनराशि
ईष्ट देव : विष्णु भगवान
मंत्र : गोवद्धर्नाय श्रीं विष्णवे नम: या ऊँ क्लीं उद्धृताय उद्धारिणे नम:
प्रतिदिन जाप संख्या : 51 या 108
कुल जाप संख्या : 1 लाख 70 हजार
आराध्य देवता कुल देवता तथा इष्ट देवता को हम कैसे जान सकते है
अपने आराध्य देवता कुल देवता तथा इष्ट देवता को हम कैसे जान सकते है ? कैसे करे हम अपने आराध्य की उपासना ? तथा जानिये किस आराध्य देवता की पूजा कर के हम अपने जीवन को खुशहाल एवं प्रगति के पथ पर ले जा सकते है?...
“आप को अपने भीतर से ही खुद का एवं अपने आराध्य का विकास करना होता है। कोई भी ज्ञान आप को बिना आराध्यदेव की कृपा से आपको कुछ सीखा नहीं सकता, कोई भी शक्ति आपको बिना अपने आराध्य देव के कृपा बिना आध्यात्मिक एवं धनवान नहीं बना सकती। आपको सिखाने वाली और प्रगति की राह पर ले जाने वाली शक्ति और कोई नहीं, सिर्फ आपकी आत्मा एवं उस आत्मा मे बसने वाले हमारे आराध्य(इश्ट) देव ही है।"
नीचे सभी राशियों के आराध्य देवता दिए जा रहे हैं।
अपनी राशि के अनुसार अपने देवता की आराधना कर अपने जीवन को सुखी बनायेl
मेष : हनुमान जी
वृषभ : दुर्गा माँ
मिथुन : गणपति जी
कर्क: शिव जी
सिंह : विष्णु जी (श्रीराम )
कन्या : गणेश जी
तुला : देवी माँ
वृश्चिक : हनुमान जी
धनु : विष्णु जी
मकर : शिव जी
कुम्भ : शिव का रूद्र रूप
मीन : विष्णु जी (सत्यनारायण भगवान)
शास्त्रों की मान्यतानुसार अपने इष्ट देव की आराधना करने से मनोवांछित फल प्राप्त होते हैं। आपके आराघ्य इष्ट देव कौन से होंगे इसे आप अपनी जन्म तारीख, जन्मदिन, बोलते नाम
की राशि या अपनी जन्म कुंडली की लग्न राशि के अनुसार जान सकते हैं।
जन्म माह : जिन्हें केवल जन्म का माह ज्ञात है, उनके लिए इष्ट देव
इस प्रकार होंगे-
-जिनका जन्म जनवरी या नवंबर माह में हुआ हो वे शिव या गणेश की पूजा करें।
-फरवरी में जन्मे शिव की उपासना करें।
-मार्च , अगस्त व दिसंबर में जन्मे व्यक्ति विष्णु की साधना करें।
-अप्रेल, सितंबर, अक्टूबर में जन्मे व्यक्ति गणेशजी की पूजा करें।
-मई व जून माह में जन्मे व्यक्ति मां भगवती की पूजा करें।
-जुलाई माह में जन्मे व्यक्ति विष्णु व गणेश का घ्यान करें।
जन्म वार से : जिनको वार का पता हो, परंतु समय का पता न हो, तो वार के
अनुसार इष्ट देव इस प्रकार होंगे-
रविवार- विष्णु।
सोमवार- शिवजी।
मंगलवार- हनुमानजी
बुधवार- गणेशजी।
गुरूवार- शिवजी
शुक्रवार- देवी।
शनिवार- भैरवजी।
जन्म कुंडली से : जिनको जन्म समय ज्ञात हो उनके लिए जन्म
कुंडली के पंचम स्थान से पूर्व जन्म के संचित कर्म, ज्ञान,
बुद्धि, शिक्षा, धर्म व इष्ट का बोध होता है। अरूण संहिता के अनुसार
व्यक्ति के पूर्व जन्म में किए गए कर्म के आधार पर ग्रह या देवता भाव
विशेष में स्थित होकर अपना शुभाशुभ फल देते हैं।
राशि के आधार पर : पंचम स्थान में स्थित राशि के आधार पर आपके इष्ट देव
इस प्रकार होंगे-
मेष: सूर्य या विष्णुजी की आराधना करें।
वृष: गणेशजी।.
मिथुन: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कर्क: हनुमानजी।
सिंह: शिवजी।
कन्या: भैरव, हनुमानजी, काली।
तुला: भैरव, हनुमानजी, काली।
वृश्चिक: शिवजी।
धनु: हनुमानजी।
मकर: सरस्वती, तारा, लक्ष्मी।
कुंभ: गणेशजी।
मीन: दुर्गा, राधा, सीता या कोई देवी।
ग्रह के आधार पर इष्ट: पंचम स्थान में स्थित ग्रहों या ग्रह
की दृष्टि के आधार पर आपके इष्ट देव।
सूर्य: विष्णु।
चंद्रमा- राधा, पार्वती, शिव, दुर्गा।
मंगल- हनुमानजी, कार्तिकेय।
बुध- गणेश, विष्णु।
गुरू- शिव।
शुक्र- लक्ष्मी, तारा, सरस्वती।
शनि- भैरव, काली।
राशि और लग्न के हिसाब से सभी राशियों के अलग-अलग इष्ट देव और उपास्य देव होते हैं। जातक को किस देवी-देवता की अराधना करनी चाहिए जिससे की उसे मनोवांछित फल प्राप्त हो सकें। ज्योतिषशास्त्र के अनुसार राशि और लग्न के आधार पर अपने-अपने देवी-देवता की पूजा और भक्ति करने से आशातीत लाभ होता है। इधर-उधर भटकने की बजाय उनकी इबादत को अपनाकर हर कोई अपना कल्याण कर सकता है। अपने इष्ट का सिमरण पाप नाशक और मोक्षदायक माना गया है।
मेष: इस राशी के स्वामी मंगल और उपास्य देव श्री गणपती एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
वृषभ: इस राशी के स्वामी शुक्र और उपास्य देवी कुलस्वामिनी एवं लक्ष्मी माता हैं।
मिथुन: इस राशी के स्वामी बुध और उपास्य देव कुबेर एवं दुर्गा माता हैं।
कर्क: इस राशी के स्वामी चंद्र और उपास्य देव गौरी शंकर हैं।
सिंह: इस राशी के स्वामी रवि और उपास्य देव सूर्य नारायण एवं जगत पिता ब्रह्मा हैं।
कन्या: इस राशी के स्वामी बुध और उपास्य देव कुबेर एवं दुर्गा मां हैं।
तुला: इस राशी के स्वामी शुक्र और उपास्य देवी कुलस्वामिनी हैं।
वृश्चिक: इस राशी के स्वामी मंगल और उपास्य देव श्री गणपती एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
धनु: इस राशी के स्वामी गुरु और उपास्य देव दत्तात्रोय जी हैं।
मकर: इस राशी के स्वामी शनि और उपास्य देव श्री शनिदेव एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
कुंभ: इस राशी के स्वामी शनि और उपास्य देव श्री शनिदेव एवं श्रीराम भक्त हनुमान जी हैं।
मीन: इस राशी के स्वामी गुरु और उपास्य देव गुरू बृहस्पती हैं।
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