Monday, July 13, 2015

टोना - टोटका, स्वरूप एवं रहस्यमयी शक्ति

श्रेष्ठ वर की प्राप्ति हेतु उपाय :

लड़की के माता-पिता आदि कन्या के विवाह के लिये सुयोग्य वर की प्राप्ति के निमित्त प्रयासरत रहते हैं और कभी-कभी अनेक प्रयास करने पर भी वर की तलाश नहीं कर पाते। यदि किसी कन्या के विवाह में किसी भी कारण से अनावश्यक विलंब हो रहा हो, बाधायें आ रही हों तो कन्या को स्वयम् 21 दिनों तक निम्न मंत्र का प्रतिदिन 108 बार पाठ करना चाहिये और पाठ के उपरांत इसी मंत्र के अंत में ''स्वाहा'' शब्द लगाकर 11 आहुतियां (शुद्ध घी, शक्कर मिश्रित धूप से) देना चाहिये। यह दशांश हवन कहलाता है। 108 बार पाठ का दसवां हिस्सा यानि 10.8 = 11 (ग्यारह) आहुतियां भी प्रतिदिन देना है, इक्कीस दिनों तक। सिर्फ स्थान, समय और आसन निश्चित होना चाहिये। इसका अर्थ यह है कि यदि कोई कन्या प्रथम दिन प्रातः काल 9.00 बजे पाठ करती है तो 21 दिनों तक उसे प्रतिदिन 9.00 बजे ही पाठ आरंभ करना चाहिये। यदि प्रथम दिन घर की पूजा-स्थली में बैठकर पाठ शुरू किया है तो प्रतिदिन वहीं बैठकर पाठ करना चाहिये। वैसे ही प्रथम दिन जिस आसन पर बैठकर पाठ आरंभ किया गया हो, उसी आसन पर बैठकर 21 दिनों तक पाठ करना है। सार यह है कि मंत्र पाठ का समय, स्थान और आसन बदलना नहीं है और न ही लकड़ी के पटरे पर बैठकर पाठ करना है न ही पत्थर की शिला पर बैठकर।

विधि : अपने समक्ष दुर्गा जी की मूर्ति या उनकी तस्बीर रखें। कात्यायनी देवी का यंत्र मूर्ति के समक्ष लाल रेशमी कपड़े पर स्थापित करें। यंत्र और मूर्ति का सामान्य पूजन रोली, पुष्प, गंध, नैवेद्य इत्यादि से करें। 5 अगरबत्ती और धूप दीप जलायें और मंत्र का 108 बार पाठ करें। पाठ के पूर्व कुलदेवी का स्मरण करना चाहिये।

मंत्र :

कात्यायनी महामाये महायोगिन्यधीश्वरि।
नंदगोप सुतम् देवि पतिम् मे कुरुते नमः॥

पाठ समाप्त होने पर इसी मंत्र को पढ़ते हुये ''नमः'' के स्थान पर 'नमस्वाहा' का उच्चारण करते हुये ग्यारह आहुतियां दें।

पूर्ण श्रद्धा और विश्वास के साथ इस विधि का पालन करने वाली कन्या को दुर्गा देवी सुयोग्य वर प्रदान करती हैं।

सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति हेतु उपाय

उपाय क्रमांक 1 :

''मन अनुसार चले जो, मन को हरने वाली,
ऐसी पत्नी करो प्रदानम्, लाग रहे चरणम्,
जये दुर्गे नमनम्।''

यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल उपरोक्त पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।

उपाय क्रमांक 2 : दुर्गा सप्तशती की पुस्तक मे से नित्य ''अर्गला- स्तोत्र'' का एक पाठ (पूर्ण रूप में) करने से सुलक्षणा पत्नी की प्राप्ति संभव हो जाती है।

उपाय क्रमांक 3 : यदि अर्गला-स्तोत्र का पूर्ण रूप में पाठ न कर सकें तो विवाहेच्छुक युवक को अर्गला स्तोत्र के 24वें श्लोक का मंत्र रूप में 108 बार पाठ या जप करने से पत्नी रूपी गृहलक्ष्मी की प्राप्ति संभव होती है।

उपाय क्रमांक 1 से 3 तक का कोई भी प्रयोग कृष्ण पक्ष की अष्टमी या चतुर्दशी तिथि से आरंभ कर विवाह संबंध सुनिश्चित हो जाने तक सतत करते रहना चाहिये। पाठ के समय शुद्धता रखनी चाहिए। दुर्गाजी की नित्य सामान्य पूजा जल, पुष्प, फल, मेवा, मिष्ठान्न, रोली व कुंकुम या लाल चंदन, गंध आदि से करते रहना चाहिये। सप्ताह में कम से कम एक ब्राह्मण व दो कन्याओं को भोजन करना चाहिये। प्रतिदिन पाठ के उपरांत कम से कम ग्यारह आहुतियां दुर्गाजी के नाम से देनी चाहिये। पूर्ण श्रद्धा, विश्वास और भक्ति भावना के साथ इस तरह के विधान का पालन करने से मनोकामना पूर्ण होती हैं। नवदुर्गा यंत्र या दुर्गा बीसा यंत्र की स्थापना पाठ के प्रथम दिन करनी चाहिये।

मंत्र उपाय क्रमांक 3

पत्नीं मनोरमां देहि मनोवृत्तानु सारिणीम्।
तारिणींदुर्गसं सारसागरस्य कुलोद्भवाम्॥

उपाय क्रमांक 4 :

स देवि नित्यं परितप्यमानस्त्वामेव सीतेत्यभिभाषमाणः ।
धृतव्रतो राजसुतो महात्मा तवैव लाभाय कृतप्रयत्नः॥

यह श्री बाल्मीकी रामायण क े सदुं रकाठं के 36वें सर्ग का 46 वां श्लोक है। विवाह की कामना लेकर श्री हनुमान जी का ध्यान, पूजन, विनय आदि के साथ कोई अविवाहित युवक आदि किसी भी माह के शुक्ल पक्ष के प्रथम मंगलवार से नित्य प्रातः 108 बार पाठ करें तो उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है। पाठ के समय हनुमान जी के चित्र के समक्ष या मूर्ति के समक्ष उत्तराभिमुख घृत-दीप जलते रहना चाहिए। श्री हनुमान जी को प्रतिदिन मधुर फलों का भोग लगाना चाहिए। मंगलवार को सिंदूर और चमेली का तेल चोले के रूप में मंदिर में भेंट करना चाहिए।

बाल्मीकी रामायण, रामचरित मानस सुंदर कांड, मूलरामायण का सम्पुटित पाठ उपरोक्त श्लोक का सम्पुट लगाकर करने से भी उद्वाह या स्त्री की प्राप्ति होती है।

उपाय क्रमांक 5 : यदि किसी अविवाहित युवक को विवाह होने में बारंबार बाधाओं का सामना करना पड़ रहा हो तो ऐसे युवक को चाहिये कि वह नित्य प्रातः स्नान कर सात अंजली जलं ''विश्वावसु'' गंधर्व को अर्पित करे और निम्न मंत्र का 108 बार मन ही मन जप करे। इसे गुप्त रखें। अर्थात् किसी को इस बात का आभास न होने पाये कि विवाह के उद्देश्य से जपानुष्ठान किया जा रहा है। सायंकाल में भी एक माला जप मानसिक रूप में किया जाय। ऐसा करने से एक माह में सुंदर, सुशील और सुसम्पन्न कन्या से विवाह निश्चित हो सकता है।

जपनीय मंत्र :

' ' ऊँ विश्वा वसुर्नामगं धर्वो कन्यानामधिपतिः।
सुरूपां सालंकृतां कन्या देहि में नमस्तस्मै॥
विश्वावसवे स्वाहा॥''

इस प्रकार से विश्वावसु नामक गंधर्व को सात अंजली जल अर्पित करके उपरोक्त मंत्र/विद्या का जप करने से एक माह के अंदर अलंकारों से सुसज्जित श्रेष्ठ पत्नी की प्राप्ति होती है। कहा भी गया है।

सालंङ्कारा वरां
पानीयस्यान्जलीन सप्त दत्वा, विद्यामिमां जपेत्।
सालंकारां वरां कन्यां, लभते मास मात्रतः॥

यदि किसी अविवाहित युवक का किसी कारणवश विवाह न हो पा रहा हो तो श्री दुर्गा जी का ध्यान करते हुये वह घी का दीपक जलाकर किसी एकांत स्थान में स्नान शुद्धि के उपरांत नित्य प्रातःकाल पंचपदी का उच्च स्वर में 108 बार पाठ करें। जाप करें तो, जगत्जननी माता दुर्गा जी की कृपा से सुयोग्य पत्नी की प्राप्ति शीघ्र हो जाती है।


प्रश्न:2= किसी व्यक्ति के जीवन को सुखी एवं समृद्ध बनाने के लिए घरेलू उपचार व टोना टोटका किस हद तक कारगर साबित हो सकता है? सुखी वैवाहिक जीवन, धन प्राप्ति, अच्छे स्वास्थ्य, शत्रु पर विजय, मुकदमे में जीत या नौकरी प्राप्ति हेतु इनका किस प्रकार प्रयोग किया जाता है? विस्तृत रूप से वर्णन करें।

वर्तमान युग में मानव भौतिकवाद व यांत्रिक तथा संचार साधनों में वृद्धि से मशीनों का गुलाम बन कर परेशानियां तथा तनाव से ग्रसित होकर जीवन जीने के अथक प्रयास में लगा हुआ है। मानवता तथा संसार के कल्याणार्थ हमारे पूर्वजों तथा महर्षियों, सिद्ध योगी जनों ने तंत्र में ऐसे सहज और स्वयंसिद्ध प्रभावशाली घरेलू उपचार एवं टोटकांे का सृजन किया जिनका प्रयोग करके मनुष्य शारीरिक, मानसिक, दैविक एवं आर्थिक समस्याओं तथा रोगों से निजात पा सकता है। भगवान शंकर ने गुरु गोरखनाथ के माध्यम से ‘‘बहुजन हिताय बहुजन सुखाय’’ के उद्देश्य से तंत्र विद्या का सरलीकरण करके शाबरी तंत्र टोटके बताये जिनका विवेचन निम्नवत है:

धन प्राप्ति के उपाय व टोटके

दीपावली के दिन एक अखंडित पीपल का पत्ता तोड़ लाएं। इसे अपने पूजा के स्थान में रख दें। पुनः शनिवार को एक नया पीपल पत्ता तोड़ लाएं तथा उसे पुराने पत्ते के पास रख दें। इस प्रकार ये क्रम नियमित दोहराते जायें। पुराना पत्ता घर के बाहर किसी पेड़ के नीचे दबा दें। श्री लक्ष्मी की कृपा होने लगेगी।
प्रातः काल उठ कर दोनों हाथों की हथेलियों को कुछ क्षण देखकर 3-4 बार अपने चेहरे पर फेरें।
घर के रसोई में किसी भी दिन काली लूम्बी लाकर टांग दें।
गुरुवार के दिन किसी भी महिला को सुहाग सामग्री दान में देने का क्रम बनाएं।
नए कार्य व्यवसाय, नौकरी, रोजगार आदि शुभ कार्यों पर प्रस्थान करते समय घर की कोई महिला एक मुट्ठी काले उड़द उस व्यक्ति के ऊपर से उतार कर भूमि पर छोड़ दें तो कार्य सिद्ध होगा।
रवि पुष्य योग में प्रातः बहेड़े की जड़ या एक पत्ता तथा शंख पुष्पी की जड़ लाकर घर में रखंे। चांदी की डिब्बी में रखें तो अधिक शुभ।
बरगद (बड़) के ताजे पत्ते साफ करके गुरुपुष्य या रविपुष्य योग में लाकर उन पर हल्दी से स्वास्तिक बनाकर घर में रख दें।
सूर्य देव को नियमित प्रसन्न करने के लिए लाल फूल, लाल चंदन, गोरोचन, केशर, पावित्री जौ अथवा तिलयुक्त जल समर्पित करें।
प्रातः उठते ही अपनी दोनों हथेलियों को ध्यानपूर्वक देखने के बाद तीन बार चूमें। इसके पश्चात मुखमार्जन प्रक्रिया करें। यह प्रक्रिया शनिवार से प्रारंभ करते हुए प्रतिदिन करें। यह धन के साथ सफलता भी देती है।
प्रातः उठते ही चीटियों को चीनी, शक्कर, खोपरा, सूखे मेवों का बूरा मिलाकर प्रतिदिन डालें। इससे धन के साथ सफलता भी मिलेगी।
प्रातः उठते ही पक्षियों को उड़द, बाजरा, ज्वार, मूंग आदि खिलाकर पानी पिलायें। इससे भी धन वृद्धि एवं सफलता प्राप्त होती है।
चांदी की जंजीर (चेन) गले में धारण करें।
शुक्ल पक्ष बुधवार को अलग-अलग दो दुकानों से एक-एक आम खरीदें तथा इन दोनों आमों को एक साथ बहते पानी में प्रवाहित करें।
बृहस्पतिवार को जलकुंभी घर लायें और उसे पीले कपड़े में बांधकर कहीं पर भी लटका दें। परंतु इसे बार-बार छुना नहीं है। प्रत्येक बृहस्पतिवार इसे नयी जलकुंभी से बदल दें। ऐसा 11 बृहस्पतिवार तक करना है।
शनिवार सायंकाल (संध्या समय) रारंभ करते हुये लगातार 7 शनिवार तक पीपल के पेड़ के नीचे जड़ में थोड़ी सी उड़द की दाल के दानों पर थोड़ी सी दही एवं लाल सिंदूर डालकर, पीछे मुड़कर देखे बगैर पुनः घर लौट आयें। धन की प्राप्ति होगी।
पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी की जड़ को प्राप्त करके चांदी की डिब्बी में डालकर उसे घर में स्थित तिजोरी में रखने पर धन की वृद्धि होती है।
खच्चर का दांत अपने पास में रखने पर धन में वृद्धि होती है।
रामायण की निम्न चैपाई से दरिद्रता दूर होकर धन में वृद्धि होती है। अतिथि पूज्नय प्रियतम पुरारि के। कामद धन दारिद द्वारिके।
घर में कमाई है लेकिन बरकत नहीं है यानि रूपया-पैसा टिकता नहीं है तो जब भी गेहूं पिसावें तब उसमें पहले तुलसी के 11 और केसर के 2 पत्ते डालें। फिर थोड़े से गेहूं को मंदिर में रात को रखें। सुबह मंदिर में रखे गेहूं को सारे गेहूं में मिलाकर पिसवा दें। घर में बरकत होगी अर्थात् रुपया पैसा टिकने लगेगा।
शुक्रवार को किसी गरीब को खाना खिलायें तथा रविवार को गाय को गुड़ खिलायें। यह प्रयोग लगातार करें। जल्दी ही अचल संपत्ति बढ़ेगी।
पीपल के पेड़ की छाया में खड़े होकर लोहे के बर्तन में पानी, शक्कर, घी एवं दूध मिलाकर उसकी जड़ में डालने पर घर में लंबे समय तक सुख-समृद्धि रहती है और लक्ष्मी (धन) का वास घर में हमेशा बना रहता है।
शीघ्र विवाह एवं दांपत्य सुख के लिए टोटके एवं उपाय

सीता राम की तस्वीर या मूर्ति के सामने रामचरित मानस की निम्न चैपाई की प्रतिदिन एक तुलसी माला जाप 41 दिनों तक करनी चाहिये। ‘‘सुनिसिय सत्य असीस हमारी। पूजहिं मन कामना तिहारी।।
पुष्य नक्षत्र में प्रारंभ करते हुये प्रतिदिन प्रातः या सायं तुलसी पौधे के पास शुद्ध घी का दीपक प्रज्ज्वलित कर लगातार 41 दिनों तक निम्न मंत्र का एक तुलसी माला जप करें। ‘‘तब जनक पाय वशिष्ठ आयसु ब्याह साजी संवारी के। मांडवी श्रुति की रति उर्मिला कुंआरी लई हंकारि के।।’’
प्रतिदिन या प्रत्येक मंगलवार को प्रातः उठते ही कन्या काले कीडे़-मकोड़ां को चीनी, तिल एवं चावल मिलाकर नियमित खिलायें। क्रम टूटना नहीं चाहिये।
प्रतिदिन गाय को हरा पालक या चारा खिलायें।
कच्चा दूध व जल मिलाकर प्रतिदिन : ऊँ’’ नमः शिवाय’’ का जाप करते हुये शिवलिंग पर चढ़ायें। - मंदिर के प्रांगण में अनार का पेड़ लगाकर प्रतिदिन इसे जल से सींचें। सेवा कर बड़ा करें।
किसी आदमी की शादी में परेशानी हो तो उसे शुक्ल पक्ष के प्रत्येक गुरुवार को पानी में एक चुटकी हल्दी पाउडर मिलाकर नहाना चाहिये तथा साथ ही ‘‘ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय’’ का जाप करते हुये केसर का तिलक लगाना चाहिये। इसके अलावा पीपल एवं केले के पेड़ में तांबे या पीतल के लोटे में शुद्ध जल लेकर इन्हें सींचना चाहिए तथा धूप-दीप, हल्दी गांठ, चने की दाल से पूजा करनी चाहिए। गुरुवार को केले नहीं खायें। र्साईं राम (शिरडी के बाबा) के दर्शन कर आशीर्वाद लें। विवाह जल्दी होगा।
शुक्ल पक्ष मंगलवार को घर के मंदिर या पूजा स्थल पर ‘नवग्रह मंत्र’ की प्राण प्रतिष्ठा करवाकर स्थापित करें। एक नई शादी वाले जोड़े को घर पर बुलाकर उन्हें खाना एवं सौंफ-मिश्री खिलाकर, लाल वस्त्र उपहार में देकर सत्कार करें। यह कार्य करते समय शीघ्र विवाह की कामना जरूर करें।
बाल कांड के 234 दोहे के बाद ‘‘जय जय गिरिराज किशोरी से मंजुल मंगल वाम अंग फरकन लगे’’ 236 पृष्ठ तक प्रतिदिन श्रद्धा विश्वास से पढ़ने तथा पार्वती की पूजा करने से शीघ्र विवाह हो जाता है।
हरसिंगार की जड़ तथा पुष्प को पूर्णिमा की रात्रि में विवाह योग्य पुत्र-पुत्री के ऊपर से 21 दिन 3 बार वार कर तुलसी के पौधे के नीचे दबाने से विवाह विलंब, रूकावट से छुटकारा मिल जाएगा।
दांपत्य जीवन की मधुरता के लिए पत्नी नियमित रूप से प्रातः उठते ही मुख्यद्वार पर 1 लोटा जल डाले। स्नानादि से निवृत्ति के बाद पूजा करके मुख्य द्वार पर हल्दी या कुंकुम से स्वास्तिक या ऊँ का चिह्न बनाये। इससे दांपत्य जीवन में मधुरता रहेगी तथा पति आर्थिक रूप से मजबूत रहेंगे।
मांगलिक दोष हो तो लहसुन को 108 भौम मंत्र ऊं अंगारकाय नम!’’ से अभिमंत्रित करके लाल धागों में ताबीज कर कमर या बांह में बांधें।
शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार को सात केले व 700 ग्राम गुड़ व एक जटा वाला नारियल लेकर कन्या नदी में वस्त्र सहित स्नान कर नारियल को जल में प्रवाहित कर दे। ध्यान रखें कि नारियल कन्या की ओर नहीं आये। सूर्य व चंद्र के नाम एक केला व गुड़ नदी किनारे रख दें। 5 केले गाय को खिला दें। कन्या का विवाह शीघ्र होगा।
पद्मावती देवी के मंदिर में बुधवार को चावल चढ़ाकर 11 बार पद्मावती मंत्र का जाप करें।
व्यवसाय एवं नौकरी में वृद्धि के लिए

शुक्ल पक्ष के पहले बृहस्पतिवार से प्रारंभ करते हुये सर्वप्रथम व्यापार स्थल के मुख्यद्वार के एक कोने को गंगाजल से धोकर स्वच्छ एवं शुद्ध करें। इसके बाद हल्दी से स्वास्तिक बनायं तथा इस पर थोड़ी सी चने की दाल एवं गुड़ रखें। इसके बाद इसे बार-बार न देखें। इसे कम से कम लगातार 11 गुरुवार करें। दूसरी बार और इसे आगे करने पर पहले चढ़ाये हुए गुड़ एवं दाल को मंदिर में चढ़ा दें।
नौकरी मिलने या व्यवसाय की इच्छा से प्रत्येक गुरुवार को इसकी दिल (हृदय) से प्रार्थना करते हुये एक सूखा एवं बिना छिला नारियल बहते जल या नदी में प्रवाहित करें। साथ में कुत्तों को बिस्किट या अन्य सामान खिलायें। इसके अलावा संतोषी माता जी के 16 शुक्रवार के व्रत कर उद्यापन करें। व्रत के दिन खट्टे पदार्थ नहीं खाने की सावधानी अवश्य रखें। महीने में एक बार एक किलो सात ग्राम शक्कर किसी विधवा को दें।
शुक्रवार की रात्रि में सवा किलो काले चने भिगोयें। शनिवार को पानी निकालकर इन्हंे सरसों तेल में पका लें। इसका पहला एक हिस्सा इसी दिन शनिवार को घोड़े या भैंसे को खिलायें। दूसरा भाग कुष्ठ रोगी को खाने को दें तथा तीसरा भाग स्वयं के ऊपर से वार कर किसी चैराहे पर रख दें। यह प्रयोग लगातार 40 दिनों तक करें। व्यवसाय में वृद्धि, उन्नति एवं लाभ होगा।
व्यापार में उन्नति एवं लाभ की योजना को अपने मन में रखते हुये प्रत्येक शुक्रवार एवं शनिवार को किसी भी मंदिर में क्रमशः अनार एवं मुट्ठी भर साबुत उड़द चढ़ायें।
प्रत्येक मंगल या शनिवार को सीधी डंठल वाली 7 साबुत हरी मिर्ची और एक नीबू लेकर इन्हें काले डोरे में पिरोकर अपने कार्यालय या व्यवसाय स्थल पर बाहर ऊपर टांग दें। यह प्रयोग नियमित करें, लाभ होगा।
व्यापार, व्यवसाय, नौकरी में आने वाली बाधा या समस्या के बचाव के लिये अमावस्या को सायंकाल किसी भी मंदिर में खीर चढावें। सोमवार को चांदी की ठोस गली चांदी की जंजीर (चेन) गले में धारण करें। महीने में एक बार वस्त्र, मिठाई एवं धन निम्न स्तर के व्यक्तियों को दें एवं अच्छा बर्ताव रखें लाभ होगा।
गुरुवार को श्यामा तुलसी के पौधे के चारों ओर लगी खरपतवार को निकालकर किसी पीले वस्त्र में बांधकर व्यवसाय स्थल पर रख दें, व्यापार, व्यवसाय में वृद्धि होगी।
यदि किसी ने आपके व्यवसाय को बांध दिया हो तो इसकी मुक्ति के लिये कार्यालय या व्यवसाय स्थल पर अमृत सिद्धि योग या सिद्ध योग में शुक्ल पक्ष शुक्रवार को ‘‘श्री धनदा’’ एवं ‘‘श्री यंत्र’’ प्राण प्रतिष्ठा कर स्थापित करें तथा प्रतिदिन धूप-दीप करें। व्यवसाय में वृद्धि एवं ग्राहकों का आना बढ़कर लाभ होगा।
शनिवार को पुराने कार्यालय से लोहे की कोई भी चीज नये आॅफिस या संस्थान में लाकर, पहले थोड़े से काले उड़द डालने के बाद रखें तथा इसे बार-बार नहीं हटाने की सावधानी अवश्य रखें। इससे पुराने के साथ-साथ नया उद्योग व्यवसाय भी चलता है।
शुक्ल पक्ष बुधवार को ‘‘संपूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र’’ को प्राण प्रतिष्ठा द्वारा व्यवसाय (व्यापार, नौकरी) स्थल पर उत्तर दिशा में स्थापित करें तथा गले में सोमवार को शिवलिंग पर स्पर्श करवाकर एक या तेरह मुखी रूद्राक्ष धारण करें। व्यवसाय में घाटा दूर होकर लाभ होगा।
11 गोमती चक्र और 3 लघु नारियल की विधि विधान सहित पूजा कर इन्हें पीले कपड़े में बांधकर बुधवार को अपने दरवाजे पर लटकायें तथा प्रत्येक पूनम को धीप दीप भी जलायें। इसे नियमित करें। व्यवसाय का घाटा दूर होकर लाभ होगा तथा ग्राहकी एवं बिक्री बढ़ेगी।
शुक्ल पक्ष बुधवार, मंगलवार या गणेश चतुर्थी या अन्न चतुर्थी (शुक्ल या कृष्ण पक्ष की) के दिन घर में हरिद्रा गणेशजी की मूर्ति प्राण-प्रतिष्ठा द्वारा पूजा स्थल पर स्थापित करें तथा निम्न गणेश गायत्री मंत्र का जाप करें।-‘‘एकदंताय विद्महे वक्रतुण्डाय धीमहि तन्नो दंती प्रचोदयात्।’’ इससे व्यावसायिक कार्य में बाधा दूर होकर लाभ होता है।
शुक्ल पक्ष सोमवार को अमृत सिद्धि या सर्वार्थसिद्धि योग में तीन गोमती चक्र चांदी के तार में एक साथ बांधकर इन्हें हर समय अपने साथ रखें। व्यवसाय में लाभ वृद्धि होगी। नौकरी में पदोन्नति होगी। - हर सोमवार को शिव-मंदिर में शिवलिंग पर दूध+जल चढ़ाते हुये मंत्र - ‘‘ऊँ सोमेश्वराय नमः’’ का जाप करें। शिव उपासना के साथ रुद्राक्ष माला से पुनः इसी मंत्र का जाप करें तथा साथ ही पूर्णिमा को जल में थोड़ा सा दूध मिलाकर चंद्र को इसका अघ्र्य दें। करबद्ध प्रार्थना से व्यवसाय में वृद्धि होगी।
एक नीबू लेकर उस पर चार लौंग गड और इसे हाथ में रखकर मंत्र-‘‘ऊँ श्री हनुमते नमः’’ का 21 बार जप करें। जप के बाद नीबू को अपनी जेब में या पास में रखें। व्यापार में वृद्धि होगी। इसके अलावा जिनसे काम करवाना हो उनसे मिलें तो कार्य भी पूरा होता है।
जब गायत्री मंत्र से घर या मंदिर में हवन करावें तो हवन की राख को किसी सफेद रंग के कपड़े में रखकर बांध लें तथा इसे घर या व्यापार या कार्यालय स्थल पर रख दें। व्यवसाय में लाभ, वृद्धि होती है।
शनिवार को पीपल का एक पत्ता तोड़कर इसे गंगाजल से धोकर हाॅल में रख दें तथा गायत्री मंत्र का 21 बार जप करें। फिर इसे धूप देकर तिजोरी या कैश बाॅक्स या धन रखने की जगह पर रख दें। यह प्रयोग नये पत्ते के साथ प्रत्येक शनिवार को करना है तथा पहले के पत्ते को हर बार पीपल की जड़ में रख दें। व्यवसाय में वृद्धि होगी।
मंत्र’’ ऊँ श्रीं ह्रीं श्रीं मम् व्यापार वृद्धि कुरू-कुरू स्वाहा’’ का 42 दिनों तक लगातार रुद्राक्ष की एक माला से ‘‘संपूर्ण व्यापार वृद्धि यंत्र’’ के सामने जप करने पर व्यवसाय, व्यापार में वृद्धि होती है।
अच्छा स्वास्थ्य - एक रुपये का सिक्का रात को सिरहाने रखकर सो जायें। सुबह उसे श्मशान की सीमा में फेंक दें। शरीर स्वस्थ रहेगा।
यदि परिवार का कोई सदस्य रोग से ग्रसित है, दवाइयों से लाभ नहीं मिल रहा हो तो चांदी के बर्तन में केसर मिला जल भर कर सिरहाने रखें। फिर सुबह वह जल पौधों में डाल दें। यह क्रिया रोज करें। स्वास्थ्य लाभ मिलेगा।
यह टोटका रोज करें- सुबह उठकर सूर्य की ओर देखते हुये अपने दोनों हाथ ऊपर उठाकर ‘‘ऊँ ह्रीं ह्रीं ह्रौं ऊँ मंत्र का 11 बार जाप करें। पूरा दिन तनावमुक्त और स्वस्थ रहेगा।
शुक्ल पक्ष के प्रथम सोमवार को शिव मंदिर में जाकर काली राई का दान करें। साथ में रूद्राक्ष की माला से महामृत्युंजय मंत्र का जाप करें। रोग दूर होंगे और शरीर स्वस्थ रहेगा।



4=लक्ष्मी प्राप्ति मंत्रों में लक्ष्मी प्राप्ति के शाबर मंत्र शीघ्र फलदायी माने जाते हैं। सिद्धिदायक शाबर मंत्रों की रचना गुरु गोरखनाथ आदि योगियों ने की थी। इन मन्त्रों में प्रत्येक देवता तथा हर प्रकार के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु मंत्र दिये गये हैं। इनमें लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र भी सम्मिलित हैं। आधुनिक परिवेश में इन मंत्रों को सिद्ध करना सरल है तथा इसमें विपरीत प्रभाव होने की सम्भावनाएं भी कम रहती हैं परन्तु इस प्रकार के लक्ष्मी प्राप्ति मंत्र दुर्लभ हैं। इस लेख में दिये गये लक्ष्मी प्राप्ति शाबर मंत्रों को शुभ मुहूर्त में जपें व मनोवांछित फल की प्राप्ति करें।

उच्चारण की अशुद्धता की संभावना और चरित्र की अपवित्रता के कारण कलियुग में वैदिक मंत्र जल्दी सिद्ध नहीं होते। ऐसे में लोक कल्याण और मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए सरल तथा सिद्धिदायक शाबर मंत्रों की रचना गुरु गोरखनाथ आदि योगियों ने की थी। शाबर मंत्रों की प्रशंसा करते हुए गोस्वामी तुलसीदास जी ने कहा है-

‘अनमलि आखर अरथ न जापू।
शाबर सिद्ध महेश प्रतापू।।’

लक्ष्मी की प्राप्ति के लिए ‘जाल शम्बरम्’ से चुने हुए कुछ शाबर मंत्र एवं उनके प्रयोग की विधि यहां प्रस्तुत हैं।

विष्णुप्रिया लक्ष्मी, शिवप्रिया सती से प्रकट हुई कामेक्षा भगवती आदि शक्ति युगल मूर्ति महिमा अपार, दोनों की प्रीति अमर जाने संसार, दुहाई कामाक्षा की, आय बढ़ा व्यय घटा, दया कर माई। ऊँ नमः विष्णुप्रियाय, ऊँ नमः शिवप्रियाय, ऊँ नमः कामाक्षाय ह्रीं ह्रीं श्रीं श्रीं फट् स्वाहा।

प्रयोग विधि- धूप-दीप से पूजन और नैवेद्य अर्पित करके इस मंत्र का सवा लाख जप करें, लक्ष्मी का आगमन व चमत्कार प्रत्यक्ष दिखाई देगा। प्रत्येक कार्य सफल होगा, लक्ष्मी की कृपा बनी रहेगी।

श्री शुक्ले महाशुक्ले, महाशुक्ले कमलदल निवासे श्री महालक्ष्मी नमो नमः। लक्ष्मी माई सबकी सवाई, आओ चेतो करो भलाई, ना करो तो सात समुद्रों की दुहाई, ऋद्धि नाथ देवों नौ नाथ चैरासी सिद्धों की दुहाई।

इस मंत्र का एक माला जप नियमित रूप से करें, कारोबार में उन्नति होगी। जप के बाद दुकान पर चारों दिशाओं को नमस्कार करके धूप-दीप देकर फिर लेन-देन करें, धन लाभ होगा।

ऊँ क्रीं श्रीं चामुंडा सिंहवाहिनी कोई हस्ती भगवती रत्नमंडित सोनन की माल, उत्तर पथ में आप बैठी हाथ सिद्ध वाचा, सिद्धि धन धान्य कुरु-कुरु स्वाहा।

दुर्गा के उपासक लक्ष्मी प्राप्ति के इस मंत्र का सवा लाख जप करें, सभी कार्य सिद्ध होंगे और राजे गार तथा लक्ष्मी की प्राप्ति होगी।

ऊँ ह्रीं श्रीं ठं ठं ठं नमो भगवते, मम सर्वकार्याणि साधय, मां रक्ष रक्ष शीघ्रं मां धनिनं।

कुरु कुरु फट् श्रीयं देहि, ममापति निवारय निवारय स्वाहा।।

धन प्राप्ति, कार्य सिद्धि या विपत्ति के निवारण के लिए इस मंत्र का जप करते हुए बेल के सात पत्ते शिवलिंग पर चढ़ाएं और घर अथवा शिव मंदिर में इसका 108 बार जप नियमित रूप से करें, मनोकामना पूर्ण होगी।

ऊँ श्रीं श्रीं श्रीं परमाम् सिद्धिं श्रीं श्रीं श्रीं।

इस मंत्र की सिद्धि के लिए प्रदोष के दिन संध्या के समय शिवजी की पूजा के उपरांत इसका 3 माला जप करें। तत्पश्चात् अगर, तगर, केसर, लाल तथा, श्वेत चंदन, देवदारु, कपूर, गुग्गुल और अश्वगंध के फूल घी में मिलाकर उपर्युक्त मंत्र से 108 आहुतियां दें। लगातार सात प्रदोष यह प्रयोग करने से धन और ऐश्वर्य की वृद्धि होती है।

ऊँ भंवर वीर तू चेला मेरा, खोल दुकान बिकरा कर मेरा। उठे जो डण्डी बिके जो माल भंवर वीर सो नहीं जाय।।

शनिवार को प्रातःकाल नहा धोकर हाथ में काले उड़द के इक्कीस साबुत दानें लेकर उक्त मंत्र को 21 बार पढ़कर दुकान के भीतर चारों ओर बिखेर देने से दुकान की बिक्री अभूतपूर्व रूप से बढ़ जाती है।

दुकान खोलने के बाद सफाई करके लक्ष्मी की फोटो के सामने ‘ऊँ लक्ष्म्यै नमः’ मंत्र का एक माला जप करें, दुकान की बिक्री और लाभ में वृद्धि होगी। उक्त मंत्रों के अतिरिक्त निम्न मंत्र का भी 108 बार जप करें-
ऊँ श्री शुक्ला महाशुक्ले निवासे।
श्री महाक्ष्मी नमो नमः।।

4=छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है।

दुर्भाग्य से छुटकारा पाना

शनिवार को सरसों के तेल में बने, गेहूं के आटे के गुड़ के सात पूए व आक के फूल तथा सिंदूर एवं आटे से तैयार किया गया दीपक जलाकर अरन्डी के पत्ते पर रखकर रात्रि में किसी चैराहे पर रख दें तथा यह कहें कि हे ! मेरे दुर्भाग्य मैं तुम्हें यहीं पर छोड़कर जा रहा हूं। अब मेरे पास मत रहना, न मुझे कष्ट पहुंचाना। पीछे को मुड़ कर मत देखें।

जिस स्थान पर कीड़े, मकोड़े अधिक मात्रा में निकलते हों उस स्थान पर अपने बाएं पैर का जूता उल्टा करके रख दें। इस क्रिया से जो कीड़े मकोड़े हैं वह पुनः बिल में घुस जायेंगे।

किसान अश्लेषा नक्षत्र में कहीं से बरगद का पत्ता लाकर अपने अनाज के भंडार में रख दे तो अनाज का भंडार सदा भरा रहेगा व वृद्धि होगी।

सुदर्शन की जड़ और अपामार्ग की जड़ या फिर सफेद घुघनी की जड़ को यदि कोई ताबीज में रख कर अपनी पूजा स्थल में बांधकर रखता है तो उसकी शस्त्राघात से सदैव रक्षा रहेगी।

किसानों के लिए टोटका

सफेद सरसों और बालू एक साथ मिलाकर खेत के चारों ओर डालने भरणी नक्षत्र में देशी पान का पत्ता लाकर उसे सुपारी व कत्थे से बीड़ा बनाकर जहां से वस्तु चोरी हुई है वहां पर रखने से चोरी का रहस्य खुल जाता है। सात दिन तक प्रतीक्षा करें।

1- जिसके शरीर में किसी भूत-प्रेत की आत्मा का वास है, यदि लहसुन के रस में हींग को घोलकर उसकी आंख में काजल की मोती लगा दी जाय अथवा नाक में उसे सूंघा दिया जाय तो ऊपरी बाधा तुरंत शरीर से निकल जाती है।

2- पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बहेड़े का पचा लकर उसे घर में पूजा के स्थान पर रखने से उसके ऊपर घातक त्रांत्रिक क्रियायें नहीं चलती हैं अथवा मूठ आदि अथवा जो भूत पिशाचनी आदि को छेड़ते हैं वह देखते ही भाग जाती है।

3- पुनर्वसु नक्षत्र में मेहंदी की जड़ को लाकर उसको धूप दीप से पूजन कर अपने पास में रखने से आकर्षण होता है एवं शरीर स्वस्थ रहता है।

4- मघा नक्षत्र में पीपल की जड़ को लाकर उसको पवित्र कर धूप दीप देकर यह मंत्र बोलें ‘‘दुर्गे दुर्गे राक्षिणी स्वाहा।। रात्रि में कोई बुरा स्वप्न व भयानक स्वप्न कभी नहीं दिखाई देगा।


5=छोटे-छोटे उपाय हर घर में लोग जानते हैं, पर उनकी विधिवत् जानकारी के अभाव में वे उनके लाभ से वंचित रह जाते हैं। इस लोकप्रिय स्तंभ में उपयोगी टोटकों की विधिवत् जानकारी दी जा रही है

हमारे आसपास पाए जाने वाले विभिन्न पेड़-पौधों के पत्तों, फलों आदि का टोटकों के रूप में उपयोग भी हमारी सुख-समृद्धि की वृद्धि में सहायक हो सकता है। यहां कुछ ऐसे ही सहज और सरल उपायों का उल्लेख प्रस्तुत है, जिन्हें अपना कर पाठकगण लाभ उठा सकते हैं।

विल्व पत्र : अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल के पत्ते डालकर वह दूघ निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसे संतान की प्राप्ति होती है।

अपामार्ग की जड़ : अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड़ लाकर इसे तावीज में रखकर किसी सभा में जाएं, सभा के लोग वशीभूत होंगे।

नागर बेल का पत्ता : यदि घर में किसी वस्तु की चोरी हो गई हो, तो भरणी नक्षत्र में नागर बेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर व सुपारी डालकर चोरी वाले स्थान पर रखें, चोरी की गई वस्तु का पला चला जाएगा।

संखाहुली की जड़ : भरणी नक्षत्र में संखाहुली की जड़ लाकर तावीज में पहनें तो विपरीत लिंग वाले प्राणी आपसे प्रभावित होंगे।

आक की जड़ : कोर्ट कचहरी के मामलों में विजय हेतु आर्द्रा नक्षत्र में आक की जड़ लाकर तावीज की तरह गले में बांधें।

दूधी की जड़ : सुख की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ लाकर शरीर में लगाएं।

शंख पुष्पी : पुष्य नक्षत्र में शंखपुष्पी लाकर चांदी की डिविया में रखकर तिजोरी में रखें, धन की वृद्धि होगी।

बरगद का पत्ता : अश्लेषा नक्षत्र में बरगद का पत्ता लाकर अन्न भंडार में रखें, भंडार भरा रहेगा।

धतूरे की जड़ : अश्लेषा नक्षत्र में धतूरे की जड़ लाकर घर में रखें, घर में सर्प नहीं आएगा और आएगा भी तो कोई नुकसान नहीं पहुंचाएगा।

बेहड़े का पत्ता : पूर्वा फाल्गुनी नक्षत्र में बेहड़े का पत्ता लाकर घर में रखें, घर ऊपरी हवाओं के प्रभाव से मुक्त रहेगा।

नीबू की जड़ : उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र में नीबू की जड़ लाकर उसे गाय के दूध में मिलाकर निःसंतान स्त्री को पिलाएं, उसे पुत्र की प्राप्ति होगी।

चंपा की जड़ : हस्त नक्षत्र में चंपा की जड़ लाकर बच्चे के गले में बांधें, बच्चे की प्रेत बाधा तथा नजर दोष से रक्षा होगी।

चमेली की जड़ : अनुराधा नक्षत्र में चमेली की जड़ गले में बांधें, शत्रु भी मित्र हो जाएंगे।

काले एरंड की जड़ : श्रवण नक्षत्र में एरंड की जड़ लाकर निःसंतान स्त्री के गले में बांधें, उसे संतान की प्राप्ति होगी।

तुलसी की जड़ : पूर्वा भाद्रपद नक्षत्र में तुलसी की जड़ लाकर मस्तिष्क पर रखें, अग्निभय से मुक्ति मिलेगी।


स्वर सुधारक अदरक के साथ पंचकोल के अर्क का सेवन करने से स्वर विकार ठीक होता है।
मधुर सुरीली आवाज के लिए शहद के साथ गाय के दूध का सेवन करने से आवाज सुरीली होती है।
कुलंजन का अर्क, नीबू का अर्क, शहद, काली मिर्च का सेवन करने से स्वर सुरीला होता है।
भूतोन्माद नाशक चीड़े की जड़ या पत्तों के अर्क में कालीमिर्च के अर्क को मिलाकर पिलाने से तथा सुंघाने से अथवा आंखों में लगाने से तुरंत ऊपरी बाधा समाप्त हो जाती है।
संतान प्राप्ति के लिए संतान गोपाल स्तोत्र का प्रतिदिन पाठ करें व साथ ही गणेश के उक्त मंत्र का ‘‘ऊँ गं गणपतये नमः का हर समय जाप करें।
गाय को प्रतिदिन रोटी पर गुड़ रखकर खिलाएं।
बिल्व पत्र अश्विनी नक्षत्र वाले दिन एक रंग वाली गाय के दूध में बेल पत्र डालकर उस दूध को निःसंतान स्त्री को पिलाने से उसको अवश्य संतान प्राप्त हो जाती है।
अपामार्ग की जड़ अश्विनी नक्षत्र में अपामार्ग की जड को लाकर इसे ताबीज में भरकर किसी सभा में जायेंगे तो आपको देखने वाले लोग आपकी ओर आकर्षित होंगें व वशीभूत होकर सम्मान की निगाह से देखेंगे।
नागर वेल का पत्ता यदि घर में कभी चोरी हो जाय तथा आप यह पता लगाना चाहें कि वस्तु कहां गई है तो उसके लिए भरणी नक्षत्र में नागर वेल का पत्ता लाकर उस पर कत्था लगाकर तथा सुपारी डालकर जहां पर चोरी हुई है उस जगह पर रख दें। चोरी का पता चल जायेगा।
दूधी की जड़ धन व ऐश्वर्य की प्राप्ति के लिए पुनर्वसु नक्षत्र में दूधी की जड़ को लाकर पूरे शरीर में लगायें हालात बदल जायेंगे।
आक की जड़ अदालती मामलों में विजय पाने हेतु

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