21 दिन तक करें गुड़-चने का उपाय
कहते हैं हनुमानजी की कृपा जिस पर भी होती है, उसकी हर मनोकामना पूरी हो जाती है। यानी इसका लाभ कई लोग ले चुके हैं। इस उपाय को करते समय कई बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए। जैसे-
यह उपाय किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के मंगलवार से शुरू कर सकते हैं परंतु इस बात का विशेष ध्यान रखें कि उस दिन चतुर्थी, नवमी व चतुर्दशी तिथि नहीं होना चाहिए।
मृत्यु सूतक या जन्म सूतक के दौरान भी यह उपाय शुरू नहीं करना चाहिए। यदि उपाय के दौरान ऐसा कोई संयोग आ जाए तो किसी विद्वान ब्राह्मण के द्वारा ये उपाय पूर्ण करवाना चाहिए, बीच में नहीं छोड़ना चाहिए।
पुरुषों के अलावा वो महिलाएं भी यह उपाय कर सकती हैं जिनका प्रौढ़ावस्था के बाद प्राकृतिक रूप से मासिक धर्म सदा के लिए बंद हो चुका हो।
उपाय के दौरान क्षौर कर्म (दाढ़ी बनवाना, नाखून काटना आदि) नहीं करना चाहिए। ब्रह्मचर्य का पालन करते हुए सात्विक आहार ही ग्रहण करना चाहिए। एक ही समय भोजन करें तो अति उत्तम रहेगा।
इस प्रकार करें उपाय
उपाय प्रारंभ करने के लिए जिस मंगलवार का चयन करें, उसके पहले दिन सोमवार को सवा पाव अच्छा गुड़, थोड़े से भूने चने और सवा पाव गाय के शुद्ध घी का प्रबंध कर लें। गुड़ के छोटे-छोटे २१ टुकड़े कर लें। साफ रूई लेकर इसकी २२ फूल बत्तियां बनाकर घी में भिगो दें। इन सभी वस्तुओं को अलग-अलग साफ बर्तनों में लेकर किसी स्वच्छ स्थान पर रख दें। साथ ही माचिस और एक छोटा बर्तन जिसमें रोज ये वस्तुएं आसानी से लेजाई जा सकें भी रख दें।
यह उपाय करने के लिए अब हनुमानजी के किसी ऐसे मंदिर का चयन करें जहां अधिक भीड़ न आती हो और जो एकांत में हो।
जिस मंगलवार से उपाय शुरू करना हो, उस दिन ब्रह्म मुहूर्त से पहले उठ जाएं और स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहन लें। माथे पर रोली या चंदन का तिलक लगाएं। इसके बाद एक साफ बर्तन में एक गुड़ की डली, ११ चने, एक घी की बत्ती और माचिस लेकर साफ कपड़े से इस ढंक लें। अब नंगे पैर ही हनुमानजी के मंदिर की ओर जाएं। घर से निकलने से लेकर रास्ते में या मंदिर में किसी से कोई बात न करें और न ही पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें।
मंदिर पहुंचने के बाद हनुमानजी की मूर्ति के सामने मौन धारण किए हुए ही सबसे पहले घी की बत्ती जलाएं। इसके बाद ११ चने और एक गुड़ की डली हनुमानजी के सामने रखकर साष्टांग प्रणाम कर अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिए मन ही मन श्रद्धा व विश्वास से प्रार्थना करें फिर श्री हनुमान चालीसा का पाठ भी मौन रहकर ही करें।
अब मंदिर से जाने से लेकर घर पहुंचने तक न तो पीछे पलटकर या इधर-उधर देखें और न ही किसी से बात करें। घर पहुंचने के बाद यह पूरी सामग्री उचित स्थान रखकर ७ बार राम-राम बोलकर ही अपना मौन भंग करें। रात में सोने से पहले ११ बार श्री हनुमान चालीसा का पाठ करें व अपनी मनोकामना सिद्धि के लिए प्रार्थना करें।
यह प्रक्रिया लगातार २१ दिन तक करें।
२२वे दिन मंगलवार को सुबह स्नान आदि करने के बाद सवा किलो आटे का एक रोट बनाकर गाय के गोबर से बने उपले में इसे पका लें। अब इसमें आवश्यकतानुसार गाय का शुद्ध घी और गुड़ मिलाकर उसका चूरमा बना लें। २१ डलियों के बाद जो गुड़ बचा हो उसे भी चूरमे में मिला दें।
इस चूरमे को थाली में रखकर बचे हुए सारे चने व २२वीं अंतिम बत्ती लेकर प्रतिदिन की तरह ही मौन धारण कर बिना आगे-पीछे देखे मंदिर जाएं। फिर हनुमानजी की मूर्ति के सामने बत्ती जलाकर चने एवं चूरमे का भोग लगाएं। अब एक छोटे से बर्तन में थोड़ा से चूरमा लेकर हनुमानजी के सामने रख दें और शेष अपने साथ ले आएं। घर पहुंचने के बाद ही मौन भंग करें।
जो भी यह प्रयोग करे वह उस दिन दोनों समय सिर्फ उसी चूरमे का भोजन ग्रहण करे। शेष चूरमे को प्रसाद के रूप में बांट दें। यह उपाय विधि पूर्वक करने से श्रीहनुमानजी की कृपा से साधक की हर मनोकामना पूरी होने के योग बनने लगते हैं।
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