दुर्भाग्य दूर करने के लिये
आटे का दिया, १ नीबू, ७ लाल मिर्च, ७ लड्डू,२ बत्ती, २ लोंग, २ बड़ी इलायची बङ या केले के पत्ते पर ये सारी चीजें रख दें |रात्रि १२ बजे सुनसान चौराहे पर जाकर पत्ते को रख दें व प्रार्थना करें,
जब घर से निकले तब यह प्रार्थना करें = हे दुर्भाग्य, संकट, विपत्ती आप मेरे साथ चलें और पत्ते को रख दें | फिर प्रार्थना करें = मैं विदा हो रहा हूँ | आप मेरे साथ न आयें, चारों रास्ते खुले हैं आप कहीं भी जायें | एक बार करने के बाद एक दो महीने देखें, उपाय लाभकारी है| श्रद्धा से करें |
गृह कलेश
पवनतनय बल पवन समाना |बुद्धि विवेक विज्ञान विधाना | स्वाहा१०८ बार जाप करना है | यह मानस मंत्र है | मन में जाप करें | आहुती देते हुए यह मंत्र जाप करना है, यह किसी शुभ दिन से शुरु करें| सोम, गुरु या रवि पुष्य या त्यौहार के दिन | लाल आसन ऊनी, दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठें| प्रयोग रात्रि के समय करें| तर्जनी से आसन के चारों तरफ लकीर खींच दें, अपनी रक्षा के लिये |
सुख शांति के लिये वनस्पति तंत्र
अशोक वृक्ष के जड़ के पास अंदर की तरफ की १ किलो मिट्टी ले आइये, कूट पीस कर छान लीजिये व उसमें केसर, केवङा जल, हिना का इत्र, मुठ्ठी नाग के जट, श्वेत चन्दन, काली गाय का दूध मिट्टी में मिलाना है| मिट्टी को गूँथ लीजिये और एक पिण्डी अर्थात शिवलिंग बना लीजिये|पूजा स्थान पर रख दीजिये |
१०८ बार मंत्र जाप करना है ऊँ नमः शिवायव १०८ बेलपत्र चढाने हैं, दूसरे दिन १०८ बेलपत्र एक थैली में रखने हैं, लगातार ७ दिन सोमवार से करना है, इस प्रकार ७ थैलियाँ इकठ्ठी होंगी, ८ वें दिन हर थैली में से एक एक बेल पत्र निकाल कर एक डिब्बी में रखकर लॉकर में रख दीजिये|शिवलिंग व बचे हुए बेलपत्र जल में प्रवाहित करना है|
कलह, अशांति व ज्यादा खर्च शनि तंत्र
एक सफेद कागज एक ओर काले काजल से रंग दीजिये, सफेद तरफ लिखिये
ऊँ नीला जल समाभाषम रवि पुत्रः यमाग्रजम छाया मार्तण्ड जय भूतम्तम नमामि शनिश्चरमपीपल के वृक्ष के नीचे सूर्यास्त के १५ मिनिट बाद पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके दीपक सरसों के तेल की ७ बूँदे डालकर जला दें
कागज को जमीन पर बिछाकर (मंत्र वाली तरफ से ऊपर रखना है)
“धनम देहि” ७ बार ७ दाने उङद के उस कागज पर डालने हैं | कागज के ७ टुकड़े करके सातों पर अलग अलग नंबर लिख लें १,२,३,४,५,६,७, उनमें से ३ कागज की गोली उठा लीजिये, यह अंक शुभ होंगे | यह लगातार ७ शनिवार करना है |
अविवाहित युवती-पाँच सोमवार के व्रत करें, रोज एक रुद्राक्ष और एक बिल्बपत्र शिवलिंग पर चढायें, अगर माहवारी हो तो वह सोमवार छोड़ कर अगला वाला करें, एक समय सात्विक भोजन करें |
चर्म रोग -पाँच रुद्राक्ष के दाने एक गिलास पानी में रखकर सोते समय अपने सिराहने रखें और सुबह नहाते समय उस पानी को नहाने की पानी की बाल्टी में मिलाकर रोज नहायें व रुद्राक्षों को मंदिर में रख दें, चर्म रोगों में फायदा होता है, चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं |
आटे का दिया, १ नीबू, ७ लाल मिर्च, ७ लड्डू,२ बत्ती, २ लोंग, २ बड़ी इलायची बङ या केले के पत्ते पर ये सारी चीजें रख दें |रात्रि १२ बजे सुनसान चौराहे पर जाकर पत्ते को रख दें व प्रार्थना करें,
जब घर से निकले तब यह प्रार्थना करें = हे दुर्भाग्य, संकट, विपत्ती आप मेरे साथ चलें और पत्ते को रख दें | फिर प्रार्थना करें = मैं विदा हो रहा हूँ | आप मेरे साथ न आयें, चारों रास्ते खुले हैं आप कहीं भी जायें | एक बार करने के बाद एक दो महीने देखें, उपाय लाभकारी है| श्रद्धा से करें |
गृह कलेश
पवनतनय बल पवन समाना |बुद्धि विवेक विज्ञान विधाना | स्वाहा१०८ बार जाप करना है | यह मानस मंत्र है | मन में जाप करें | आहुती देते हुए यह मंत्र जाप करना है, यह किसी शुभ दिन से शुरु करें| सोम, गुरु या रवि पुष्य या त्यौहार के दिन | लाल आसन ऊनी, दक्षिण दिशा में मुँह करके बैठें| प्रयोग रात्रि के समय करें| तर्जनी से आसन के चारों तरफ लकीर खींच दें, अपनी रक्षा के लिये |
सुख शांति के लिये वनस्पति तंत्र
अशोक वृक्ष के जड़ के पास अंदर की तरफ की १ किलो मिट्टी ले आइये, कूट पीस कर छान लीजिये व उसमें केसर, केवङा जल, हिना का इत्र, मुठ्ठी नाग के जट, श्वेत चन्दन, काली गाय का दूध मिट्टी में मिलाना है| मिट्टी को गूँथ लीजिये और एक पिण्डी अर्थात शिवलिंग बना लीजिये|पूजा स्थान पर रख दीजिये |
१०८ बार मंत्र जाप करना है ऊँ नमः शिवायव १०८ बेलपत्र चढाने हैं, दूसरे दिन १०८ बेलपत्र एक थैली में रखने हैं, लगातार ७ दिन सोमवार से करना है, इस प्रकार ७ थैलियाँ इकठ्ठी होंगी, ८ वें दिन हर थैली में से एक एक बेल पत्र निकाल कर एक डिब्बी में रखकर लॉकर में रख दीजिये|शिवलिंग व बचे हुए बेलपत्र जल में प्रवाहित करना है|
कलह, अशांति व ज्यादा खर्च शनि तंत्र
एक सफेद कागज एक ओर काले काजल से रंग दीजिये, सफेद तरफ लिखिये
ऊँ नीला जल समाभाषम रवि पुत्रः यमाग्रजम छाया मार्तण्ड जय भूतम्तम नमामि शनिश्चरमपीपल के वृक्ष के नीचे सूर्यास्त के १५ मिनिट बाद पश्चिम दिशा की ओर मुँह करके दीपक सरसों के तेल की ७ बूँदे डालकर जला दें
कागज को जमीन पर बिछाकर (मंत्र वाली तरफ से ऊपर रखना है)
“धनम देहि” ७ बार ७ दाने उङद के उस कागज पर डालने हैं | कागज के ७ टुकड़े करके सातों पर अलग अलग नंबर लिख लें १,२,३,४,५,६,७, उनमें से ३ कागज की गोली उठा लीजिये, यह अंक शुभ होंगे | यह लगातार ७ शनिवार करना है |
अविवाहित युवती-पाँच सोमवार के व्रत करें, रोज एक रुद्राक्ष और एक बिल्बपत्र शिवलिंग पर चढायें, अगर माहवारी हो तो वह सोमवार छोड़ कर अगला वाला करें, एक समय सात्विक भोजन करें |
चर्म रोग -पाँच रुद्राक्ष के दाने एक गिलास पानी में रखकर सोते समय अपने सिराहने रखें और सुबह नहाते समय उस पानी को नहाने की पानी की बाल्टी में मिलाकर रोज नहायें व रुद्राक्षों को मंदिर में रख दें, चर्म रोगों में फायदा होता है, चर्म रोग नष्ट हो जाते हैं |
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