Monday, December 30, 2019

शाबर तंत्र बेसिक ग्यान भभुती बनाने का शाबर मंत्र

मित्रो आज भभूती बनाने का मंत्र विधान कहते है,,
जैसा कि मित्रो आपने हमारे सभी पिछले भागो मे शाबर तंत्र का बेसिक ग्यान ओर शरुआती मंत्र रक्षा दिशा रक्षा विधान पढे, अगर नही पढे तो पिछले भागो का पुणे अध्ययन करे, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,
शाबर तंत्र बेसिक ग्यान भभुती बनाने का शाबर मंत्र,

ॐ गुरु जी । 
भभूत माता भभूत पिता, 
भभूत पीर उस्ताद । 
भभूत में लिपटे शंकर शम्भू ,
काशी के कोतवाल ।
नव नाथों ने भभूत रमाई ।
प्रकटी उसमे काली माई ।
रिद्धि ल्याई सिद्धि ल्याई काल कंटक को मार भगाई ।
अस्तक मस्तक लिंगा कार,
 मस्तक भभूत जय जय कार ।।
भभूति में त्रिदेव विराजे । 
बजरंगी नाचे गोरख गाजे। 
खोले भाग्य के बन्द दरवाजे ।। 
सिद्धो आदेश धुना लगाया ।
 उपजी भभूती मन हर्षाया ।
 भभूती भस्म का जपो जाप । उतरे जन्म जन्म के पाप । 
आदेश गुरुजी नाथ जी को आदेश,
 भटनेर काली को आदेश ।

मित्रो जैसा कि हमने पहले ही कहाँ  है कि हम ब्लाग पर केवल मंत्र विधान ही देगे, इसका विधान जिसको चाहिए पहले अपने गुरूदेव से बात करे, फिर हमारे ब्लाग मे कमेन्टस करे या वाटसअप पर मेसेज करे मिल जायेगा, बाकी फिर कभी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।

Saturday, December 28, 2019

अनायास ही सब कुछ नही मिलता

मित्रो कई बार देखा होगा साधक अपनी साधना मे फेल हो जाते है या, चलते चलते यू ही कोई सांसरिक जीवन से सन्यास ले लेता है, क्या होता है इन सभी कारण हर कोई चीज अनायास नही होती हर चीज कभी एकदम नही होती यही सत्य है मित्रो नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी तो मित्रो कभी सोचा है, इन सभी के पीछे क्या कारण हो सकता है कि एक बालक भी आपको सही कर देता है, या एक गरीब सा आदमी जिसको संस्कृत के श्लोको का ग्यान नही होता अचानक से उसको सिद्धि मिल जाती है। क्या यह सब अनायास या अचानक होता है ,नही मित्रो कुछ भी सीधा या अचानक नही होता कोई किसी  से अचानक नही मिलता यह सब नियति तय करती है, किसी का बच्चा, पत्नी, बहू, बहन, माँ, पिता, दादा, या कोई मित्र, गुरू, शिष्य, रिश्तेदार, कर्जदार, लेनदार, कही ना कही आपसे किसी ना किसी रुप मे आप सभी से किसी ना किसी जन्म से जूडे हुये होते है। किसी की साधना अधुरी होती है या किसी का कुछ तो लेना देना बाकी रहता है अब वो किसको माध्यम बनाता है ये उसकी मर्जी है कि कब किसको मिलवाता है, पिछले जन्म मे आपकी साधना अधुरी रही है किस कारण रही है इसके पीछे कई रहस्य होते है पर गुरूतत्व जन्मो जन्मांतर तक वो ही रहता है, वो आपको सही रास्ता बार बार दिखाता है पर आप समझ पाये तो, रास्ते कई है पर जो आपका दिल कहता है तो दिमाग उसको सहन नही कर पाता या दिमाग कहता है वो दिल सह नही पाता जब तक दोनो का एकमत नही होता तब तक आप अधूरे हो, कभी मनन करके देखो अपने गुरू ओर इष्ट का ध्यान करके देखो की ये दिक्कत कहाँ हो रही है कि हम अपनी साधना मे सफल नही हो पाते या हम अपने सांसरिक जीवन की जिम्मेदारियाँ को नही पाते, क्योंकि जब तक आप माया मोह नही छोड़ सकते तब तक आपके लिये ये सब व्यर्थ है, इसलिए मित्रो कोई, कब, क्यू कैसे, सब अचानक नही होता इसमे आपके पुर्नजन्म के कुछ अधूरे कार्य जूडे रहते है, काम वासना सबसे बड़ा काटा यानि कलंक है जो अपनी साधनाओ को अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये प्रयोग करते है अंततः वही सिद्धियाँ उसके मरने का कारण बनती है, पिछले जन्म मे तूम अगर हाथ मे खप्पर लिये गलियाँ मे घूम रहे थे इस जन्म मे तूम कहाँ ये सोचो की जब तुम्हारे पास खप्पर था तो आज सोने का थाल क्यू है वो खप्परधारी है कहाँ, सोचो जरा, मित्रो पिछले जन्म मे तुम्हारा जो गुरू था आज वो तुम्हारे पास क्यू नही है, क्यू तूम्हे गुरूतत्व की प्राप्ति नही हो रही है, अपने आराध्य देवता को याद करे उनका ध्यान करे ओर जानने की कोशिश करे हो सकता है आपके सामने कई रहस्य से पर्दा उठ जाये ओर आपकी मंजिल मिल जाये,,बाकी फिर कभी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Tuesday, December 24, 2019

शाबर बेसिक ग्यान के बाद बवासीर शाबर मंत्र विधान भाग सोलहवां,

मित्रो आज बवासीर को झाड़ने का मंत्र विधान कहते है,,
जैसा कि मित्रो आपने हमारे सभी पिछले भागो मे शाबर तंत्र का बेसिक ग्यान ओर शरुआती मंत्र रक्षा दिशा रक्षा विधान पढे, अगर नही पढे तो पिछले भागो का पुणे अध्ययन करे, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,

ओम नमो नमो सिद्ध नमो चौरासी, 

उदर जड़ी रक्त सड़ी चूवे मत खड़ी पड़ी, 

तोहे देखे लोना चमारिन धुप गुगल  की दी ,

अग्यारी जो रहे बवासीर तो हजार हराम, 

गुरू गोरखनाथ की शक्ति आन गौरी माई की, ।


मित्रो जैसा कि हमने पहले ही कहाँ  है कि हम ब्लाग पर केवल मंत्र विधान ही देगे, इसका विधान जिसको चाहिए पहले अपने गुरूदेव से बात करे, फिर हमारे ब्लाग मे कमेन्टस करे या वाटसअप पर मेसेज करे मिल जायेगा, बाकी फिर कभी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।

Monday, December 23, 2019

शाबर बेसिक ग्यान के बाद शाबर मंत्र विधान भाग पन्द्रहवां

मित्रो आज पीलिया को झाड़ने का मंत्र विधान कहते है,,
जैसा कि मित्रो आपने हमारे सभी पिछले भागो मे शाबर तंत्र का बेसिक ग्यान ओर शरुआती मंत्र रक्षा दिशा रक्षा विधान पढे, अगर नही पढे तो पिछले भागो का पुणे अध्ययन करे, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,,

ओम नमो वीर वेताल असराल नारसिंह देव, 
तुषादि पीलिया कुं भिदाती कौरे झौरे पीलिया रहे न, 
नेक निशान जो कही रह जाए तो हनुमन्त की आन,
मेरी भक्ति, 
गुरू की शक्ति, 
फुरो मंत्र, ।
ईश्वरो वाचा, ।।

मित्रो जैसा कि हमने पहले ही कहाँ  है कि हम ब्लाग पर केवल मंत्र विधान ही देगे, इसका विधान जिसको चाहिए पहले अपने गुरूदेव से बात करे, फिर हमारे ब्लाग मे कमेन्टस करे या वाटसअप पर मेसेज करे मिल जायेगा, बाकी फिर कभी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ।।

Sunday, December 22, 2019

शाबर तंत्र बेसिक ग्यान ओर दिशा रक्षा मंत्र विधान भाग चौदहवां

मित्रो जैसा की आप सभी ने शाबर मंत्र तंत्र का बेसिक ग्यान ओर नियमावली, सावधानियां मे आपने पढा की कैसे शाबर क्रिया करते है ओर उनके लिए जरूरी चीजे ओर नियम क्या क्या है मित्रो शाबर के लिए सबसे जरूरी है गुरू दिक्षा जैसा हम पहले ही बता चूके है, गुरू मंत्र, फिर शाबर गुरू मंत्र फिर दिशा बंधन ,रक्षा मंत्र, आसन मंत्र, ,गोरखगायत्री, इन सभी का सहस्त्र मंत्रो का जाप करना पडता है, ग्रहण पर्व ,शुभ दिन, शुभ नक्षत्र, आदि मे जप हवन आदि ओर गुरू द्वारा बतायी गयी क्रिया द्वारा उनको सिद्ध किया जाता है याद रहे दोस्तो गुरू केवल दिशा निर्देश दे सकता है या आपके पास समय हो तो गुरू सानीध्ये मे भी यही क्रियाये की जा सकती है मित्रो इसलिए कहाँ जाता है कि गुरू बिना कही ग्यान नही,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी जैसा मित्रो भाग तेरहवे मे हमने गुरू शाबर सिद्धि मंत्र दिया था अब हम आपको दिशा रक्षा मंत्र दे रहे है, जिससे स्वयंम को सुरक्षित रखा जा सकता है,
उतर बांधों , दक्खिन बांधों, बांधो मरी मसानी,
डायन, भूत, के गुण बांधों, बांधों कुल परिवार, 
नाटक बांधों,  चाटक बांधों,  बांधों भुइयां बैताल,  
नजर गुजर देह बांधों, राम दुहाई फेरों,
इसी तरह दुसरा मंत्र है,
जल बांधों, थल बांधों, बांधों  अपनी काया, 
सात सौ योगिनी बांधों, बांधों अपनी काया, 
दुहाई कामरू कामाक्षा नैना योगिनी की, 
दुहाई गौरा पार्वती की, 
दुहाई वीर मसान की,
मित्रो इन दोनो मंत्र के अलावा कई मंत्र है, अब मित्रो आगे जब भी समय मिलेगा आपको शाबर मंत्र ही पोस्ट किये जायेगे पर मित्रो उनकी विधियाँ हम नही दे सकते क्योंकि कई बाबा बने हुये है, ओर हम नही चाहते की किसी का अहित हो, इसलिए कल से केवल मंत्र विधान ही दिये जायेगे क्रिया आप सभी अपने अपने गुरू देव से प्राप्त करे धन्यवाद मित्रो बाकी फिर कभी,,
अच्छा लगे तो लिंक फेसबुक पर शेयर करे वाटसअप पर शेयर करे ताकि दुसरो को राह मिल सके,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Friday, December 20, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान ओर नियम भाग तेरहवाँ


मित्रो की जैसा कि हमने आपको बताया कि ये नियम ओर बेसिक ग्यान का लास्ट भाग है बाद मे शाबर मंत्र विधान कहे जायेगे नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो जैसा कि मंत्र जप काल साधना मे यादि साधक को नित्यकर्म निवर्ति की आवश्यकता हो या प्रतीत हो तो दबाये नही पहले निर्वति हो जाये ,बलपूर्वक रोके नही, फिर साधना आदि कर्म करे इससे ध्यान नही भटकेगा,,
निर्वति होकर साधना आदि से पहले नहाना जरूर है, ।पुनः नहाकर नये वस्त्र धारण करे फिर आचमन कर के मंत्र विधान पुणे करे जप हवन करे,
मंत्र जाप करते समय साधक को आलस्य का त्याग करना चाहिए इस समय थुकना खासना छीकना अंगडाई भय क्रोध, तृष्णा अन्य चिंतन तथा अपनी शरीर पर अथवा जननेनिद्रय पर खुजलाना मना है,
इन्हो दोषो द्वारा जपकाल मे विध्न ने लिये एकाहार अल्पाहार ,मौन तथा स्ताविक रहना चाहिए,,
मंत्र जपकाल मे मंत्र मे जप का क्रम भंग नही करना चाहिए यानि निरंतरता बनी रहनी चाहिए,
मंत्र जप विधान निरंतर क्रम बंद यानि धीमा तेज नही एक ही ध्वनि या स्वर निकलना चाहिए,
मंत्र विधान मे स्वर बिंदू, ॐ कार विर्सग, सस्वर मौन जप करना चाहिए,
मंत्रो को गाकर अथवा खंण्ड रुप मे विभाजित नही करनी चाहिए,
मंत्र जप विधान मे हिलना डुलना मना है अंगो को बार बार सिकोड़ना, कमर उंची नीची करना सख्त मनाही है,
अल्पाहार ही ग्रहण करे ओर आलस्य का त्याग करे नवरात्रि हो या किसी पर्व साधना मे दिन मे सोना मना है,
मंत्र जपकाल के दौरान आसन लगाकर बैठे ,दोनो पैरो को फैलाकार ना बैठै,
इन सभी नियमो का पालन करे क्योंकि मंत्र साधना विधान मे बस नियम ही सही रहते है,
जिस मंत्र की साधना करनी हो पहले उसको कंठस्थ याद कर लिजिये फिर उसको सिद्ध करने की कोशिश किजिये,,
सिद्धि प्राप्त सिद्ध पुरुष जो की मंत्र निष्ठ स्थिति प्राप्त कर चूका हो इन सभी नियमो से बंधन मुक्त है उस पर ये सभी बाते लागू नही होती है यही सत्य है,
मित्रो नव साधको के लिए मंत्र सिद्धि के समय एक ही मंत्र यानि एक बार मे एक मंत्र सिद्ध करने की कोशिश करे ,बाकी हर व्यक्ति कई मंत्रो को सिद्ध कर सकता है पर एक बार मे एक ही मंत्र सिद्ध होना चाहिए,,
साधक को लोभ लालच से दुर रहना चाहिए वरना सिद्धियाँ चली जाती है किसी भी मंत्र को सिद्ध करने से पहले इस मंत्र को याद करके सिद्ध जरूर कर लेना,
ताकि सभी विध्न बाधाये दुर होती है,
मंत्र,
गुरू सठ गुरू सठ गुरू है वीर, 
गुरू साहब सुमरौं बड़ी भात, 
सिंगी टोरौं बन कहौं, 
मन नाऊ करतार, 
सकल गुरून का हर भजै, 
घट्टा् पकर उठ जाग, 
चेत सम्भार श्रीपरमहंस,
मित्रो शाबर मंत्रो ध्वनि ओर स्वरो का बहुत महत्व ओर मुख्य आधार है इनको कांसे का टंकार से कैसे सिद्ध किये जाते है वो या तो आपके गुरू से निर्देश लिजिये या हमारी आगे की पोस्टो को पढते रहये,,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Thursday, December 19, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग बारहवाँ

मित्रो की जैसा आपने हमारे ग्यारह भागो मे पढा की कैसे शाबर तंत्र की भूमिका क्या है अब नियम ओर सावधानियां जो ग्यारहवे भाग से नियम चालू है तो पिछला भाग जरूर पढे, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, अब आगे,,,, साधक को साधना के बाद भी मंत्र जाप इत्यादि नियमित रखे ताकि उनके तेज ओर शुद्धता बनी रहे,
हमारे ब्लाँग मे आगे मंत्र जप साधना ओर विधान बताये जायेगे तो उनके अनुसरण करते हुये बिना नाग किये यानि बिना क्रम तोडे क्रम बंद होकर ही करे,
साधना पुर्व से साधक को मंत्र का अर्थ समझना चाहिए या जनाना जरूरी है,
क्योंकि मंत्र का अर्थ जाने बैगर साधना करने से फलीभूत नही होती, पर शाबर मंत्रो मे जिनका प्रकटीकरण बोधग्मय मंत्र का अर्थ नही है ,
जिन मंत्रो का स्वरुप स्पष्ट नही है उन पर कोई नियम लागू नही होता,
मंत्र जप हवन काल मे मंत्र के किसी अंग यानि शब्द को भूल जाना, अनावश्यक पुनरावर्ति कर बैठना तथा अर्थ भूल जाना भी जप दोष है, मूल मंत्र को उसके पुणे स्वरुप जपते हुये साधक जप के साथ ही मंत्रार्थ का भी ध्यान करते रहे,
साधना करने से पुर्व मंत्र ओर क्रिया को कंठस्थ याद कर लिजिये,
जो जलपात्र या लोठा साथ लेकर बैठते है उस जल के पात्र को चौबीस घंटे बाद किसी पौधे मे चढा दिजिये या अपनी घर की छत पर या गमलो मे डाल दिजिये, जप के समय क्रोध ,जलन ईष्या मान अपमान से परे रहकर साधना मंत्र जप विधान पुणे करे,
जप काल मे झूठ झाल का पुणे त्याग करे, मंत्रो की संख्या पुरे जप काल मे संतुलित होने चाहिए जो निधार्रण हो या अधिक हो जाये कोई दिक्कत नही पर कम नही होनी चाहिए ओर अनुष्ठान या विधान भी उतने दिनो मे ही पुणे करे ताकि मंत्रो का प्रभाव पुणे रुप से हो,
साधना काल मे धूम्रपान मंधपान मंदिरा, आदि नशे से दुर बनाये रखे मतलब स्वयंम कभी इनका स्वयंम के लिए प्रयोग ना करे,
साधना नीयत स्थान नियत समय ओर एंकात मे ही करनी चाहिए जैसा हम पहले ही बता चूके है,
साधना वाले दिनो मे मौन धारण करके रखे अच्छा है नही तो कटु वचन किसी से नही कहे, यह सब नियम गुरूमंत्र पर भी लागू होते है,
इस प्रकार पहले दिन की भाति ही आने वाले दिनो क्रमवार ही जप करना चाहिए कम या ज्यादा नही करने चाहिए, धीमा या तेज जप कभी चालू नही करे क्योंकि इससे निर्धारण सीमा मे नही करने से दोषयुक्त जप साधना सफल नही पाती,
आजकल इंसान को कई काम होते है तो जब साधना काल मे बोलना आवश्यक हो तो आप बात कर सकते है पर उसके बाद यथावत पुणे रुप से मंत्र जप वापस शुरू करे ताकि उसमे कोई दोष नही रहे,,, यानी पुर्वविधी द्वारा पुजन आरंभ करे,
साधना काल मे जिस मंत्र की आप साधना कर रहे है उस देवता की प्रतिमा या फोटो अवश्य लगाये ताकि मंत्र साधना का पुणे लाभ मिल सके,,
जप शुरू करने से पहले अपने रक्षा मंत्र आसन मंत्र गुरू मंत्र का जाप जरूर करे यह सब आपके गुरूदेव द्वारा ही प्रदान किये जाते है, क्योंकि तंत्र मंत्र यंत्र मे अंग शुद्धि सरलीकरण ओर विधी विधान पूर्वक करना ही उचित है क्योंकि तंत्र साधनाओ मे सरलीकरण होना आवश्यक है, किसी भी तंत्र मंत्र की साधना करते समय पुणे श्रद्धा ओर विश्वास रखना जरूरी है अन्यथा मनोवांछित फल की प्राप्ति नही होती,
किसी भी तंत्र मंत्र साधना के समय शरीर का स्वस्थ ओर पवित्र रहना जरूरी है चित शांत हो ओर मन मे कोई ग्लानि ना हो,
शुद्ध हवादार पवित्र जगह ही हो जहाँ साधना हो ओर जिस तरह का साधना मे विधान हो उसी तरीके से पुणे रुप से हो बाकी मित्रो कल देते है शाबर मंत्र साधना के बेसिक ग्यान के अंतिम भाग,, उसके बाद रोज एक मंत्र साधना पोस्ट की जायेगी, पुणे विधि विधान के साथ पर कुछ उग्र साधनाओ के विधान गुरूद्वारा प्राप्त करे अच्छा है, नही तो साधना कोई भी हो गुरू बिना अहित हो सकता है,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

कैसे करे साधना ग्रहण काल मे

26 दिसम्बर को है ग्रहण ,कैसे करे साधना ग्रहण काल मे,ओर  क्या करे क्या ना करे,,,
मित्रो साल का आखिर महीना ओर आखिर ग्रहण है सुर्य ग्रहण छबीस तारीख यानी 26 दिसम्बर को है भारत के अलावा कुछ देश मे ग्रहण दिखाई देगा, इसका असर पुरे विश्व पर देखने को मिलेगा, इसका असर सभी राशियां पर होगा, अच्छा भी बुरा भी इस सुर्य ग्रहण की सीमा दो घंटे चालीस मिनट होगी (02:40)भारतीये समय अनुसार ग्रहण का समय सुबह 08:17 यानि आठ बजकर सत्रह मिनट से शुरू हो रहा है इसका परमग्रास 09:31 पर है ओर ग्रहण समाप्ति 10:57 पर है यानि दस बजकर सत्तावन मिनट पर समाप्त हो जायेगा,,
अब ग्रहण काल मे ओर सुतक मे क्या करे क्या नही करे,, वो भी जान लिजिये, मित्रो ग्रहण से पुर्व सुतक रहता है तो सुतक मे ओर ग्रहण काल मे भोजन वर्जित है पर बिमार ,बुढ्ढे ,बच्चो ,के लिए सब माफ है, अधिकतर लोगो ग्रहण काल मे पुजा पाठ नही करते पर तंत्र विग्यान मे इसकी मनाही नही है आप तंत्रोक्ति हवन पुनश्चरण, गुरू मंत्र जाप आराध्य जाप नयी साधना जाप या कई मंत्र विधान ऐसे भी होते है जो ग्रहण काल मे ही किये जाते है ओर जनसाधारण अपने आराध्य देव या गुरुमंत्र का मानिसक जाप भी कर सकते है या गुरू आग्या लेकर हवन भी कर सकते है,
मित्रो ग्रहण काल मे भोजन नही करे, ग्रहण काल मे सूतक नौ घंटे पहले लग लग जाता है तो जैसा हमने बताया कि सुतक ओर ग्रहण मे भोजन निषेध है तो सूतक मे बुड्ढे बच्चे ओर बीमार के लिए सब माफ है ग्रहण काल भोजन शोच मूत्राशय करना विर्जित है, सुतक से पहले अगर भोजन पका हुआ है तो उसमे तूलसी दल डाल दिजिये, सूतक से पहले डाले, पानी दुध या पके हुये भोजन मे ताकि उनकी शुद्धता बनी रहे ओर सूतक काल मे उनका प्रयोग किया जा सके,,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,, ओर ग्रहण काल के बाद नहाकर ही नया भोजन पकाये, हो सके तो कपडो सहित नहाये , साधक ग्रहण से पहले नाहाये ओर जप हवन करे ग्रहण के समय दान धर्म करे, गर्भवती स्त्री को सुतक काल मे बाहर नही आना चाहिए, ग्रहण के समय अगर कुछ नही आता है तो बाबा हनुमान चालीसा का पाठ करे रामचरित्र, संकटमोचन या कोई तंत्रोक्ति सिद्धि मंत्र इत्यादि कर सकते है जैसा हमने ऊपर बताया कि गुरूमंत्र ओर आराध्य इष्टदेव का मंत्र का जाप हवन भी कर सकते है,, ग्रहण काल के बाद एक धुप बनाकर आप पुरे घर मे घुमाकर शुद्धता कर सकते है, जैसे गुगल, कपूर, आशापुरी, ईलाइची, पीली सरसो, सफदे तिल के ,कमलगट्टे, थोडा सा हवन सामग्री, लौंग, तेजपाल के पत्ते, जटा माशी, नागकेसर, जावित्री, जायफल, यह सभी पीसकर मिलाकर दौ सौ तीन सौ ग्राम बनाकर अपने घरो मे नकरात्मक ऊर्जा का हनन कर सकते है यू धुप आप स्वयंम भी बना सकते है महीने मे एक बार रविवार को इसकी धुप दे सकते है घरो मे, बाकी ध्यान रखे अच्छा है,
ग्रहण काल का समय
ग्रहण काल शुरू     08:17 सुबह
मध्याह्न,                 09:31 सुबह
ग्रहण काल समाप्त 10:57 सुबह
इस ग्रहण का आशिंक ग्रहण का प्रभाव दोपहर एक बजे तक रहेगा ओर इसका सुतक काल 25 दिसम्बर साडे पाँच बजे सायःकाल से शुरू हो जायेगा ,तो तूलसी दल उससे पुर्व ही भोजन मे डाले
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,,

Wednesday, December 18, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग ग्यारहवाँ

मित्रो अब आते है शाबर मंत्र साधना के नियम ओर बंधन ,जैसा की मित्रो आपने हमारे पिछले दस भागो मे केवल शाबर मंत्रो की भूमिका यानि बेसिक ग्यान ही दिया है अब जप आदि नियम बता रहे है ,मित्रो किसी भी साधक को कोई भी तंत्रिक प्रयोग या तंत्र मंत्र यंत्र की साधना करनी है तो साधना से पुर्व अपने इष्टदेव या इष्टदेवी का स्मरण करना जरूरी है उनसे ये कहे कि जिस मंत्र का मे जाप करना चाहता हुं, उक्त मंत्र का आधिपति देव जो भी है वो उस समय मेरे इष्ट रहे ओर मुझे सफलता प्रदान कराये, ओर साथ मे अपने पूज्य गुरूदेव का आशीर्वाद ले ओर मार्गदर्शन ले कि मुझे किस किस तरह की सावधानियां या नियमो का पालन करना है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो जिस भी मंत्र का आप जाप या तप करते है उस समय आपका अधिपति देव या इष्ट उस मंत्र का देवता होता है यानि जो जाप करो उनको इष्ट ही समझे यही सत्य है,,
दिशा निर्देश, ओर आवश्यक नियम ओर सुझाव,,
गुरूदेव से ग्यान प्राप्त करे,
गुरू से शक्ति दिक्षा अवश्य प्राप्त करे,
बह्मचार्य व्रत का पुणे रुप से पालन करे,
अपने गुरू ओर परमात्मा पर पुणे आस्था ओर श्रद्धा रखे,,
मन ओर शरीर को शुद्ध ओर पवित्र रखे,,
जप शुरू करने से पहले अपनी रक्षा विधी गुरू से प्राप्त करे,,
जप साधना मे असली ओर शुद्ध सामग्री का ही उपयोग करे,
जपकाल मे भोग आदि सामग्री फल, फुल मिठाई आदि शुद्ध ओर ताजा होनी चाहिए,,
साधना काल मे साधक अपने वस्त्र जूठे बर्तन आदि स्वयंम साफ करे,,
साधक साधना काल मे जो सामग्री उपयोग होती है (नैवेध भोग) स्वयंम तैयार करे, ।साधना रात्रि के शांत वातावरण मे करे,,
साधक अनुष्ठान जप के बाद भी नियमित मंत्र जप करता रहे,,
मांस मदिरा सा सेवन ना करे,,
गुरू के सिवा किसी भी अन्य व्यक्ति से साधना सम्बन्धी कोई बात ना करे,,,
साधना के लिये एकांत ओर शुद्ध स्थान का चयन करे,,,
गुरू की छत्रछाया मे ही अनुष्ठान करे,
साफ स्वच्छ, धुले हुये वस्त्रो का ही उपयोग करे या दिगंबर ही रह कर एकांतवास पुणे कर साधना निवृति तक,,
तेल सुगंध, साबुन पाउडर आदि का उपयोग ना करे,
अकेले एकांत मे ही साधना करे,
अपने पास असली धुप का ही का ही प्रयोग करे ओर असली देशी घी का ओर सरसो के तेल का ही अखंड दीपक जलाये,,
साधना के समय जल का लोटा अपने पास रखे,
साधना नियत समय पर ही करे, हमारे ब्लाँग मे जो मंत्र विधान है या आगे जो मंत्र विधान होंगे उसी हिसाब से आपको साधना करनी है पर मित्रो विधी ये रहेगी पर आपके लिये गुरू आग्या ही सर्वश्रेष्ठ होगी, आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,, जप आदि बहुत ज्यादा  है अगले भाग मे या उसके अगले भाग मे सम्पुणे हो जायेगे उसके बाद शाबर मंत्र विथान पोस्ट होंगे,,,
जय माँ बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,,

Tuesday, December 17, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग दसवा

जैसा की मित्रो आप सभी ने पिछले भागो मे पढा की शाबर है क्या इनका प्रयोग कैसे किया जाये ,मित्रो ये सनातन नगरी यानि भारत है यहाँ हमेशा से साधु संतो की परम्परा लम्बे समय ओर चिरकाल से चली आ रही है वो बात अलग है कि आजकल कुछ ढोंगी पाखंडियाँ ने मुर्ख लोगो को अपना चापलूस बनाकर उल्लू सीधा करवाया है जिनमे कई नाम शामिल है जैसे, रामपाल यानि हरामपाल की उपाधि से नवाजा जाये तो गलत नही होगा ये आपको अपने पुर्वजो से ओर देवताओ से दुर करता है संस्कृत इसको समझ मे पढना नही आती है फिर भी ये संत बनकर हिन्दूओ को ही तोड रहा है ओर ये कार्य ओर कोई नही चंद हिन्दू जो पैसौ के लोभी होने के साथ चापलूस है, बस उनकी भूख पैसा है ओर कुछ नही, संत कबीर दास जी ने हमेशा प्रभु श्री राम जी ओर प्रभु श्री हरि कृष्ण जी की भक्ति की है ये तो उनको भी बदनाम कर के रख रहा है ये संत नही सनातन के नाम पर बदनुमा दाग है, राम रहीम, नित्यानन्द, ओर भी कई सुअर है जो संतो की भाषा तो बोलते है पर अपने कर्म नही सुधारते तो मित्रो आप सभी से निवेदन है सीधा भगवान या गुरूओ से जूडे अपने पर्वजो को ना भूले कुलदेवी ओर कुलदेवता को रोज अर्जी लगाये क्योंकि आपकी प्रार्थना भगवान तक पहुचे इनमे इनकी कृपा होनी जरुरी है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, हाँ तो मित्रो हम यहाँ शाबर पर बात कर रहे थे साधु संत, चमत्कार, तंत्र मंत्र यंत्र यह सब हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है पहले के संत आज के संतो की तरह भोग विलास या आडम्बर मे रूचि नही रखते थे वो आडम्बरहीन ओर बहुत ही सादा जीवन जीते थे, उस समय कोई भी संत अपने लिए आश्रम या मठ नही बनवाते थे उस समय सेठ साहुकार या राजा महाराजओ द्वारा की गयी संतो की सेवा आज भी मठो के रुप मे मंदिर के रुप मे है वो आश्रम आज भी निराडम्बर, त्यागपुणे ओर परम बीतराग, अविलासी जीवन बिताते थे ,यही कारण था उनके द्वारा लोकहित मे किये गये कार्य ओर मंत्र साधनाये आज भी प्रचलित है, हमारे अजमेर मे भी अजयपाल बाबा जी थे जो अघोर पंथ से थे ओर अजमेर उन्होने ही बसाया था उनके प्रचलित मंत्र तंत्र आज भी आमजन प्रयोग मे लेते रहते है ओर वो सफल भी है, मित्रो मंत्र कोई खाली नही है सभी मंत्रो की एक क्रिया है जो हर रुप मे कारगर है बस गुरू सानीध्ये सही होना चाहिए,, जैसा हमने पहले भी बताया था कि हमारे सनातन मे नाना प्रकार के पंथ है जिनको कई सिद्ध माहत्माओ के हिसाब से समय के हिसाब से चलाये थे, जैसे, गुरू नानक देव जी ने हिन्दूओ पर मुगलो को अत्याचार देखते हुये सिख सेना की स्थापना या सिख धर्म की स्थापना की जिनका कार्य था सनातन की रक्षा करना इनके अलावा कई मंत्रो के रचयिता थे ओर उनके बाद गुरू गोविन्द सिंह जी ने कमान संभाली ओर नानक देव जी की बनाई सेना को इक्कठा करके मजबूत बनाया ओर सिखधर्म की स्थापना की बाकी यह भी सनातन धर्म का ही हिस्सा है, इसके अलावा नाथ पंथ मे ९ नाथ ८४ सिद्ध थे नही वो तो आज भी समाधिस्थ है जो जिंदा है यानि चिरंजीवी जो प्रसिद्ध है कि इन्होने तंत्र को एक नया आयाम दिया ओर कई मंत्रो की रचना करके आम जन को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ ओर जन भलाई मे अपना जीवन तक लगा दिया उसी तरह जैन धर्म भी सनातन धर्म की ही हिस्सा है भगवान आदिनाथ यानि भोलनाथ पहले तीर्थकर माने गये थे उसके बाद कई जैन मुनियाँ ने भी मंत्रो की रचना की जिसमे घंटाकर्ण महावीर, घटभामण प्राकृत जैन साधना ओर भी कई तंत्र मंत्र के साहित्य है जो आम जन की आँखो से ओझल है यही सत्य है मित्रो ओर मुस्लिम संत जो जानते थे कि हम भी सनातन धर्म का ही एक हिस्सा है उन्होने भी सनातन धर्म का आदर करते हुये कई शाबर मंत्रो की रचना, (आगे कई भागो मे आप मुस्लिम तंत्र पर भी पढेगे,, ) पर उस समय आज जैसा नही क्योंकि शाबर मे बाबा भोलेनाथ को ही पुणे रुप से अघोरी माना गया है या पुणे ओघश्वेर राज माना गया है ओर आज जितने पंथ है ,जी पंथ, क्योंकि धर्म तो एक ही है वो है सनातन इसलिए बाबा भोलेनाथ को आधार मानकर ही सभी ने शाबर मंत्रो की रचना की चाहे वो लोकदेवता हो या देवता या संत यही अटल सत्य है मित्रो, संसार मे प्रत्येक समस्याओं का निराकरण शाबर मंत्रो मे छिपा है कार्य विशेष के लिये विशेष मंत्रो को अलग अलग समय ओर शुभमुर्हुत मे जाप विधान साधना होती है जिसमे दैनिक जीवन के छोटे मोटे शारीरिक कष्टो से लेकर दैहिक, भौतिक, दैविक बाधाओ से अनेको प्रकार से मुक्ति पायी जा सकती है, बर्र बिच्छू सांप जैसे विषले विषधरो से मानव पिडित होता है तो चूटकी मे उन सभी का इलाज शाबर मंत्रो से किया जा सकता है मित्रो कुछ लोगो की धारणा है कि शाबर मंत्र बकवास है, वो इसलिए कि सोशल मीडिया पर बिना गुरू की साधना बताने वाले कई तांत्रिक घुम रहे है जो कहते है कि शाबर मे गुरू की जरूरत नही रहती जैसा हमने पहले भी बताया है कि, गुर की आवश्यकता सभी जगह होती है चाहे मानव जीवन मे जन्म से लेकर मरने तक गुरू चाहिए तो आध्यात्मिक या शाबर मंत्रो मे गुरू की आवश्यकता क्यू नही है,,जैसा हम पहले भी बता चूके है कि गुरू की सहायता लिजिये जगत पिता बाबा भोलेनाथ को गुरू मानकर अपना अहित ना करे,, इसलिए इनको अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए गुरू दिक्षा, क्रिया, विधान जरूर गुरू से ले ताकि इनको अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके, ताकि आप स्वयंम तो इनका लाभ ले ओर दुसरो को भी राह दिखा सके ,,कर उन्नत अपने आपको इतना की,, गुरू इष्ट सबकुछ आपको दे दे,, मित्रो शाबर का गलत इस्तेमाल करने से की गयी सिद्धि तो चली ही जाती है ओर किया गया पुण्य भी नष्ट हो जाता है, मित्रो कभी भी इन शक्तियों ओर सिद्धियो का गलत इस्तेमाल ना करे यही अच्छा है मित्रो शाबर मंत्रो के अटपटे शब्द देखकर हैरान मा होना वो अटपटे हो सकते है पर पुणे रुप से शुद्ध ओर प्रभावशाली है हार हर मंत्र को यही मानकर करना कि जिस देवता का मंत्र है, या किसी देवता का किसी मंत्र मे उल्लेख है तो उस वक्त वो ही आपका इष्ट होगा अगर, आपके मन मे किसी शंका ने घर कर लिया तो वो सफल नही हो पायेगा यही सत्य है, कल आपको शाबर मंत्रो के प्रति सावधानियां ओर नियम पुणे रुप से बताये जायेगे ओर मंत्र साधना विधान भी बहुत जल्द आप सभी की सेवा मे पस्तूत किये जायेगे मिलते है अगले भाग मे आपका नादान बालक,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ,,

इस साल शरद नवरात्रि का शुभारंभ क्या करे क्या ना करे

इस साल शरद नवरात्रि का शुभारंभ चित्रा नक्षत्र में मां जगदम्बे के नाव पर आगमन से शुरू हो रहा है। इस बार प्रतिपदा और द्वितीया तिथि एक साथ होने से मां शैलपुत्री  और मां ब्रह्मचारिणी की पूजा एक  दिन होगी। ज्योतिषीय गणना के अनुसार 10 अक्टूबर को प्रतिपदा और द्वितीया माना जा रहा है।   पहला और दूसरा नवरात्र दस अक्तूबर को है। दूसरी तिथि का क्षय माना गया है। अर्थात शैलपुत्री और ब्रह्मचारिणी देवी की आराधना एक ही दिन होगी। इस बार पंचमी तिथि में वृद्धि है। 13 और 14 अक्तूबर दोनों दिन पंचमी रहेगी। पंचमी तिथि स्कंदमाता का दिन है।

नाव पर आएंगी शेरोवाली
शारदीय नवरात्रि 2018 में मां दुर्गा का आगमन नाव से होगा और हाथी पर मां की विदाई होगी। बंगला पंचांग के अनुसार, देवी अश्व यानी घोड़े पर सवार होकर आएंगी और डोली पर विदा होंगी।

नवरात्र पर्व प्रथम तिथि को कलश स्थापना (घट या छोटा मटका) से आरंभ होता है. साथ ही नौ दिनों तक जलने वाली अखंड ज्योति भी जलाई जाती है. घट स्थापना करते समय यदि कुछ नियमों का पालन भी किया जाए तो और भी शुभ होता है. इन नियमों का पालन करने से माता अति प्रसन्न होती हैं.

नवरात्र में कैसे करें कलश स्थापना

अगर आप घर में कलश स्थापना कर रहे हैं तो सबसे पहले कलश पर स्वास्तिक बनाएं. फिर कलश पर मौली बांधें और उसमें जल भरें. कलश में साबुत सुपारी, फूल, इत्र और पंचरत्न व सिक्का डालें. इसमें अक्षत भी डालें.

कलश स्थापना हमेशा शुभ मुहूर्त में करनी चाहिए.

नित्य कर्म और स्नान के बाद ध्यान करें.

इसके बाद पूजन स्थल से अलग एक पाटे पर लाल व सफेद कपड़ा बिछाएं.

इस पर अक्षत से अष्टदल बनाकर इस पर जल से भरा कलश स्थापित करें.

कलश का मुंह खुला ना रखें, उसे किसी चीज से ढक देना चाहिए.

अगर कलश को किसी ढक्कन से ढका है तो उसे चावलों से भर दें और उसके बीचों-बीच एक नारियल भी रखें.

इस कलश में शतावरी जड़ी, हलकुंड, कमल गट्टे व रजत का सिक्का डालें.

दीप प्रज्ज्वलित कर इष्ट देव का ध्यान करें.

तत्पश्चात देवी मंत्र का जाप करें.

अब कलश के सामने गेहूं व जौ को मिट्टी के पात्र में रोंपें.

इस ज्वारे को माताजी का स्वरूप मानकर पूजन करें.

अंतिम दिन ज्वारे का विसर्जन करें.

कलश स्थापना की सही दिशा-

1. ईशान कोण (उत्तर-पूर्व) देवताओं की दिशा माना गया है. इसी दिशा में माता की प्रतिमा तथा घट स्थापना करना उचित रहता है.

2. माता प्रतिमा के सामने अखंड ज्योति जलाएं तो उसे आग्नेय कोण (पूर्व-दक्षिण) में रखें. पूजा करते समय मुंह पूर्व या उत्तर दिशा में रखें.

3. घट स्थापना चंदन की लकड़ी पर करें तो शुभ होता है. पूजा स्थल के आस-पास गंदगी नहीं होनी चाहिए.

4. कई लोग नवरात्रि में ध्वजा भी बदलते हैं. ध्वजा की स्थापना घर की छत पर वायव्य कोण (उत्तर-पश्चिम) में करें.

5. पूजा स्थल के सामने थोड़ा स्थान खुला होना चाहिए, जहां बैठकर ध्यान व पाठ आदि किया जा सके.

6. घट स्थापना स्थल के आस-पास शौचालय या बाथरूम नहीं होना चाहिए. पूजा स्थल के ऊपर यदि टांड हो तो उसे साफ़-सुथरी रखें.
-एक घड़ा या पात्र
-घड़े में गंगाजल मिश्रित जल ( जल आधा न हो, केवल तीन उंगली नीचे तक जल होना चाहिए)
-घड़े या पात्र पर रोली से ऊं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे लिखें या ऊं ह्रीं श्रीं ऊं लिखें
-घड़े पर कलावा बांधें। यह पांच, सात या नौ बार लपटें
-घड़े पर कलावा में गांठ न बांधें
-कलावा यदि लाल और पीला मिलाजुला हो तो बहुत अच्छा
-जौं
-काले तिल
-पीली सरसो
-एक सुपारी
-तीन लौंग के जोड़े ( यानी 6 लोंग)
-एक सिक्का
-आम के पत्ते (नौ)
-नारियल ( नारियल पर चुन्नी लपेटे)
-एक पान
घट स्थापना की विधि

-अपने आसन के नीचे थोड़ा सा जल और चावल डालकर शुद्ध कर लें
-इसके बाद भगवान गणपति का ध्यान करें। फिर शंकर जी का, विष्णु जी का, वरुण जी का और नवग्रह का
-आह्वान के बाद मां दुर्गा की स्तुति करें। यदि कोई मंत्र याद नहीं है तो दुर्गा चालीसा पढ़ें। यदि वह भी याद नहीं है तो ऊं दुर्गायै नम: का जाप करते रहें
-ध्यान रहे, कलश स्थापना में पूरा परिवार सम्मिलित हो। ऊं दुर्गायै नम: ऊं नवरात्रि नमो नम: का जोर से उच्चारण करते हुए कलश स्थापित करें
-जिस स्थान पर कलश स्थापित करें, वहां थोड़े से साबुत चावल डाल दें। जगह साफ हो
-घड़े या पात्र पर आम के पत्ते सजा दें
-पहले जल में चावल, फिर काले तिल, लोंग, फिर पीली सरसो, फिर जौं, फिर सुपारी, फिर सिक्का डालें
-अब नारियल लें। उस पर चुनरी बांधें, पान लगाएं और कलावा पांच या सात बार लपेट लें।
-नारियल को हाथ में लेकर माथे पर लगाएं और माता की जयकारा लगाते हुए नारियल को कलश पर स्थापित कर दें
कलश स्थापना के लिए मंत्र इस प्रकार है....

नमस्तेsतु महारौद्रे महाघोर पराक्रमे।।
महाबले महोत्साहे महाभय विनाशिनी
या
ऊं श्रीं ऊं

-कलश स्थापना पर ध्यान रखें

-प्रतिदिन कलश की पूजा करें। हर नवरात्रि की एक बिंदी कलश पर लगाते रहें
-यदि किसी दिन दो नवरात्रि हैं तो दो बिंदी (रोली की) लगाते रहें
-कलश की पूजा हर दिन करते रहें और आरती भी
घट स्थापना: सिर्फ एक घंटा दो मिनट
इस बार नवरात्रि घट-स्थापना के लिए बहुतही कम समय प्राप्त हो रहा है। केवल एक घंटा दो मिनट के अंदर ही घट स्थापना की जा सकती है अन्यथा प्रतिपदा के स्थान पर द्वितीया को घट स्थापना होगी। घट स्थापना का शुभ मुहूर्त इस प्रकार रहेगा। पहली बार नवरात्र की घट स्थापना के लिए काफी कम समय मिल रहा है। यदि प्रतिपदा के दिन ही घट स्थापना करनी है तो आपको केवल एक घंटा दो मिनट मिलेंगे। सवेरे जल्दी उठना होगा और तैयारी करनी होगी। पिछले नवरात्र पर घट स्थापना के लिए मुहूर्त काफी थे , लेकिन कम समय के लिए प्रतिपदा होने से इस बार घट स्थापना के लिए कम समय है।


10 अक्तूबर- प्रात: 6.22 से 7.25 मिनट तक रहेगा ( यह समय कन्या और तुला का संधिकाल होगा जो देवी पूजन की घट स्थापना के लिए अतिश्रेष्ठ है।)

मुहूर्त की समयावधि- एक घंटा दो मिनट

ब्रह्म मुहूर्त-  प्रात: 4.39 से 7.25 बजे तक का समय भी श्रेष्ठ है।  7.26 बजे से द्वितीया तिथि का प्रारम्भ हो जाएगा।


एक और मुहूर्त

यदि किन्हीं कारणों से प्रतिपदा के दिन सवेरे 6.22 से 7.25 मिनट तक घट स्थापना नहीं कर पाते हैं तो अभिजीत मुहूर्त में 11.36 से 12.24 बजे तक घट स्थापना कर सकते हैं। लेकिन यह घट स्थापना द्वितीया में ही मानी जाएगी।


प्रतिपदा तिथि का आरंभ :
9 अक्टूबर 2018, मंगलवार 09:16 बजे

प्रतिपदा तिथि समाप्त : 10 अक्टूबर 2018, बुधवार 07:25 बजे

शारदीय नवरात्रि की तिथियां ओर जाने की कोन सा रंग किस दिन है  कोनसे रंग के कपडे पहनना चाहिए जो शुभ रहे,,
10 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का पहला दिन, प्रतिपदा, कलश स्‍थापना, चंद्र दर्शन और शैलपुत्री पूजन ओर रंग पीला,,,
11 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का दूसरा दिन, द्व‍ितीया, बह्मचारकिणी पूजन ओर रंग हरा,,,,,
12 अक्‍टूबर 2018:  नवरात्रि का तीसरा दिन, तृतीया, चंद्रघंटा पूजन ओर रंग ग्रे यानी स्लेटी कलर,,,,,,
13 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का चौथा दिन, चतुर्थी, कुष्‍मांडा पूजन इस दिन पहने नारंगी कलर जो शुभ रहता है,,,,,,
14 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का पांचवां दिन, पंचमी, स्‍कंदमाता पूजन ओर रंग सफेद,,,,,
15 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का छठा दिन, षष्‍ठी, माँ सरस्वती रंग सफेद ओर माँ कात्यायनी ओर रंग लाल
16 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का सातवां दिन, सप्‍तमी, माँ कालरात्रि पूजन ओर रंग नीला चाहिए,,
17 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का आठवां दिन, अष्‍टमी, महागौरी पूजन, कन्‍या पूजन ओर गुलाबी रंग के होने चाहिए,,,
18 अक्‍टूबर 2018: नवरात्रि का नौवां दिन, नवमी, सिद्धिदात्री पूजन, कन्‍या पूजन, नवमी हवन, नवरात्रि पारण ओर रंग बैगनी होना चाहिए,,,

Monday, December 16, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग नौ


मित्रो आज जानते है कि कैसे जागृति ओर मंत्रो मे टंकार पुजा, रक्षा मंत्र, आसन मंत्र लगाया जाये तो जैसे हमने अपने आठ भागो मे जो बताया है उन सभी को वापस पढ लिजियेगा ताकि आप मे भ्रम की स्थिति ना रहे क्योंकि आगे चलकर हम आपको इनमे, गुरू जागृति मंत्र, रक्षा मंत्र ,आसन मंत्र, दिशाबंधन मंत्र, वो सभी आपको बताये जायेगे, ओर मंत्र जागृति करने के लिए किस तरह कांसे से ध्वनि, टंकार या घंटे की ध्वनि से कैसे उनको टंकार दिया जाता है वो सब आगे विस्तार से बताये जायेगे ,मित्रो शाबर साधना किसी निर्जन स्थान या माँ महाकाली मंदिर बाबा हनुमान जी बाबा भोलेनाथ या बाबा भैरवनाथ या श्मशान मे ही ठीक रहती है, भय की शंका हो तो गुरू के सानीधेये या साधक गुरूभाई के साथ की जा सकती है मंत्र देवता के अनुसार, कुछ पुजा सामग्री फल फुल सिंदूर धुप दीप, ओर नैवेध साथ मे रखना होता है फुलो मे आक कनेर या लाल गेंदे के फुल, फलो मे बेल बेर या करौंदा जैसे वनफल, नैवेध मे बूदी के लड्डू बेसन के, ओर गुड़ आटे के गुलगुले आदि व सिंदूर धुप दीप आदि वस्तुएं पुजा स्थली पर रखी जाती है आटे का दीपक मिट्टी का, करवा ,अरंडी के पत्ते खैर(कैर) की लकडी दण्डस्वरुप ओर भी कई वस्तूओ होती है मोर पंखी, लोहे की सांकल, चादी पीतल का दण्ड, लौह का चिमटा, आदि ओर भी कई सामग्री होती है  जिनमे कांसे की थाली कटोरा ,पीतल का घंटा टंकार के लिये चाँदी का बर्तन भोग के लिए, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ,मित्रो बाकी किसी भी शाबर मंत्र को साधते समय बह्मचार्य ओर शाकाहार का पालन किया जाता है जो अति उतम होता है अन्यथा मंत्र जाप के समय पाक साफ पवित्र होकर ही बैठना चाहिए, जहाँ पर पीडन पाप माना गया है वहाँ परोपकार करना पुण्य माना गया है, कोई भी साधक यादि इस दृष्टिकोण को लेकर, मानसिक तथा दैहिक रोगो के निवारण करने वाले मंत्रो को सिद्ध कर ले तो कितना अच्छा रहता है, सिद्ध हो जाने पर मंत्र प्रभावीशाली होते, पर ध्यान रहे मित्रो एक समय पर एक ही मंत्र को साधे या सिद्ध करे, इनमे सिर्फयही शर्त होती है कि बस परोपकार की भावना रहे, बाकी लोभ लालच आने पर सिद्धि चली जाती है, जैसा हमने पहले भी बताया है कि, बाबा भोलेनाथ द्वारा प्रणीत शाबर मंत्र संख्या को पारवर्ती सिद्धपुरषो ने बढाकर उन्है जन जन तक पहुँचाया ओर आम जन तक सुलभ कर दिया था, पर आज तो भारत देश धर्म निरपेक्ष हो गया है जबिक राजनीति ने इन सभी रचनाओ का मुल अर्थ समझा ही नही, यही कारण है की भारत मे, धर्म, संस्कृति, देवोपासना, कर्मकांड, आध्यात्मिक का चिंतन मनन का बडी तेजी से लोप हो रहा है ओर सनातन धर्म की परम्पराओं प्रमाणित शास्त्रो को ओर मंत्रो को एक साजिश के तहत लुप्त किया जाता रहा है ओर जा रहा है, अस्तू एक समय जप तप पूजा पाठ हवन यग्य ओर सत्संग अपदेश की बहुत मान्यता थी ओर इसी का परिणाम था की हर शताब्दी मे चार पांच सिद्ध पुरषो का जन्म या अवतरण होता रहता था, वो सभी भौतिक जगत की मोह माया से दुर रहते थे पर आध्यात्मिक के बडे धनी होते थे वही अपनी योगिक क्रिया से धन सम्पदा को आम जन मे लूटाया करते थे, ओर आज के छल कपटी लूटते ज्यादा है, आजकल मित्रो आपने देखा होगा कि नये नये नवयूवक नवयुवतियाँ कथा वाचक बन बैठी है जिनको ना शास्त्रो का ग्यान है ना ही आध्यात्मिक वचनो का ,बस चंद धन की भूख ने इनके सरक्षको को ओर इनको राक्षस गणी बना दिया है जो कभी भी कुछ भी बेसिर पैर की कथाये बीच मे जोड देते है,, जबकि इन मुर्खो को पता नही ये अपना ही हनन कर रहे है कई तांत्रिक मांत्रिक, पैसे के लोभ मे लगे पडे है इसलिए मंत्रो ये ब्लाँग आपकी सम्पूर्ण जानकारियाँ को पुणे करेगा बस आपको सावधान रहना होगा आगे आपको कल बताया जायेगा कि क्या है मंत्र विधान ओर सावधानियां,,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Sunday, December 15, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग आठवाँ

मित्रो की जैसा आपने हमारे पिछले सात भागो मे पढा की शाबर क्या है, आगे अन्य भागो मे आपको बताया जायेगा की इनको जागृत कैसे किया जाये ओर ध्वनि  स्वरो को टंकार कैसे दिये जाये ओर प्रयोग मे लिये जाये फिलहाल आगे, मित्रो जीव जगत के प्रत्येक क्षेत्र मे जहाँ भी कोई समस्या लालसा उदेश्ये अथवा प्रयोजन हो शाबर मंत्र का प्रयोग वहाँ अपना अनुकूल निश्चित ओर विचित्र अविशवसनिये चमत्कार का साक्षी बनता है, जैसा हमने पहले भी बताया था की कई उदाहरण है अब ये किस किस क्रिया मे काम आता है या रंग दिखाता है आइये जानते है, ग्यान, भक्ति, वैराग्य, सुरक्षा, रोग, मुक्ति, शुत्र नाश, आपदा निवारण, मारण, मोहन, वशीकरण, कीलन, उच्चाटन, स्तंभन, विद्धेषण, भौतिक ,संकट निवारण, वायव्य, दोष, जन्तु, सन्त्रास,विष ,प्रभाव, भय, भ्रम, शंका, अनिद्रा, दुर्भाग्य ,अभिशाप, प्रतिभा, ओर भी कई क्रियाये शाबर तंत्र मंत्र उत्पन्न करने या नष्ट कर देने मे पुणे समर्थ है यह अमोध है ओर सहज भी ओर साध्य भी बस गुरू कृपा हो जाये या उतम गुरू की शरण मिल जाये चाहे अल्प शिक्षित ओर अशिक्षित व्यक्ति चाहे वो गुरू हो या शिष्य, सभी इनकी सिद्धि का लाभ उठा सकते है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी मित्रो, ऐसा कोई कार्य या लक्ष्य नही है जो शाबर साधना से साधा ना जाये बस आपका अपने गुरू पर पुणे विश्वास होना चाहिए यही सत्य है,यह शाबर साधना बाबा भोलेनाथ की ही तरह विचित्र, कौतूहलमय चमत्कारी शांत ओर आशुफलदायक है, बाकी सामने अनर्गल शब्दो का समुह प्रतीत होने वाले ये शाबर मंत्र उतनी ही शक्तिवान प्रभाव सम्पन्न होते है जैसे स्वयंम  बाबा महाकाल ओर माँ आदि शक्ति जगदंबा, जैसे अन्य मंत्रो ओर साधना प्रयोग के लिये स्थान समय पात्र विशिष्ट प्रयोज्य वस्तुएं, जप संख्या हवन आसन माला आदि विभिन्न उत्पादन आदि का निश्चित प्रतिबंध है, पर शाबर मंत्रो की साधना इन सभी से मुक्त है पर कुछ नियम विशेष उग्र साधनाओ मे जरूरी है ये साधनाये कभी भी कही भी किसी भी स्थिति मे कोई भी किसी भी उदेश्ये के लिए शाबर मंत्रो का प्रयोग कर सकते है इनको सिद्ध करने के लिए,, जैसा की हमने पहले ही बताया था कि शाबर अक्सर मृत होते है इनको जागृत करना होता है इनको प्रभावशाली बनाने के लिए गुरू दीक्षा न्यास मुद्रा ओर साधक का विद्वान या किसी जाति विशेष मे उत्पन्न होना जरूरी नही है या आवश्यक नही है कोई भी व्यक्ति जिनमे गुरू समर्पण आस्था श्रद्धा विश्वास हो वो सभी इन सभी का लाभ उठा सकते है, मित्रो शाबर मंत्रो की सिद्धि के लिए ग्रहण होली दीपावली शिवरात्रि या कोई विशेष मुलनक्षत्र पुवकालादि अमावस्या की रात्रि शुभमुहूर्त शानिचर की रात्रि मंगल की रात्रि या रविवार समय रात्रि बारह से सुबह तीन तीस तक का ही होता है इसलिए किसी भी मंत्र की साधना के लिये आपको तीन चार घंटे ही रोज मिल पाते है एक बार सिद्ध होने के बाद मित्रो बाकी कल बात करते है धन्यवाद मित्रो अगर हमारी लिखनी आपको पसंद आ रही है तो इस ब्लाग का लिंक फेसबुक वाटसअप पर शेयर किजिये ताकि ओरो को भी इसकी जानकारी मिले धन्यवाद आप सभी का,,,
आपको कुछ कहना है तो यहाँ कमेन्टस मे कह सकते है ओर हमारे वाटसअप नम्बर लिखे हुये है मेसेज कर सकते है,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Saturday, December 14, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग सात

मित्रो जैसा कि आपने हमारे छः भागो मे पढा की कैसे सोशल मीडिया पर शाबर की अधुरी जानकारी दी जा रही है, शाबर मंत्रो की रचना हमारी संस्कृति,प्रकृत ओर क्षेत्रीय भाषाओ मे मिलती है कई मंत्रो मे कई भाषाओ का मिश्रित रुप मे वर्णन मिलेगा ऐसे कई मंत्र है जिनमे शुद्ध क्षेत्रिय भाषा, ग्रामीण लहजा, विचित्र शैली ओर अदभुत कल्पना शक्ति का समावेश होता है, शाबर मंत्रो मे मंत्र षडांग बीज ऋषिः कलिक छंदः देवता एव शक्ति की आवश्यकता अलग से नही रहा करती, बल्कि इन सभी का वर्णन मंत्र मे ही रहता है, इसलिए मित्रो प्रत्येक मंत्र अपने आप मे सम्पुणे है सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि शाबर मंत्रो मे श्रद्धा ओर विश्वास प्राण फूंकते है तथा इसी ढृढता तथा विश्वास से शाबर मंत्र अपना चमत्कारी प्रभाव फल देते है इन मंत्रो मे आस्था ओर विश्वास का दुसरा प्रभाव सौगंध के रुप मे आता है, यह सौगंध आन दुहाई के रुप मे दी जाती है इसमे गाली श्राप जैसी स्थिति का विशेष उल्लेख रहा है हमेशा से, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, तो मित्रो शाबर विधा या शाबर मंत्र देखने पढने सुनने मे ऊटपटांग या अंटसंट लग सकते है पर असलियत इनके ठीक विपरीत है साहित्य के क्षेत्र मे ये अनगढ़ ढेले ओर कंकड़ पत्थर भले ही प्रतीत हो किन्तु इनके प्रभावशाली ओर अदम्य शक्ति के आगे बडै बडे वैग्यानिक ओर अध्यात्मवादी भी आश्चर्यचकित रह जाते है, शाबर मंत्रो की रचना सर्वसाधारण की सुविधा के लिये या लोकहित की भावना से देवाधिदेव बाबा भोलेनाथ ने की है जैसा हम पहले भी बता चूके है भाग दो तीन मे, मंत्रो के शब्द ओर भाषा व्याकरण की नियम बद्धता से सर्वथा परे थे ,उनका न कोई अर्थ था ना ही लयात्मक छंद न कोई निश्चित शब्द ना ही कोई योजना ओर ना ही कोई निश्चित शब्द विधान, पर वे मंत्र परम प्रभावी आशुफलदायक ओर सर्वजनसाध्य थे ,जैसा हम पुर्व मे बता चूके है कि शाबर मंत्रो की परम्पराओं को विकसित करने मे नाथपंथी साधुऔ का बहुत योगदान रहा है जिनमे बाबा गुरू योगी गोरखनाथ जी प्रमुख थे बहुत से लोग तो ,बाबा गुरू योगी गोरखनाथ जी को ही शाबर का रचियता मानते है जबिक उनसे भी पहले करोडो मंत्रो की रचना हो चूके थी अब आगे कल बात करेगे,, मित्रो यहाँ के लिंक पोस्टो को आप फेसबुक वाटसअप पर शेयर करे ताकि सभी को उचित मार्गदर्शन मिले धन्यवाद,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश।।

Friday, December 13, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग छठा

मित्रो जैसा हमने हमारे पिछले पाँच भागो मे बताया की शाबर का बेसिक ग्यान यानि भूमिका परिचय क्या है, क्योंकि जब तक आप उनका परिचय नही पा लेते तब तक आप अधूरे हो शाबर अपना महत्व गुरू सानीध्ये या गुरू क्रिया से ही दिखा पाता है बिना गुरू के वो अपना पुणे असर दिखा नही पाता, क्योंकि उसका उल्टा असर भी पड सकता है यही सत्य है मित्रो, हमारे आदि , महाॠषि, संतो ने सन्यासीओ ने ओर नाथ, नाग, गिरि कई प्रकार के संतो ने मंत्रो की रचना करने से पहले उनके ध्वनि, प्रभाव या क्रिया पर वर्षा तक अनुसंधान ओर शोध किया था, उन्होने उनका कई बार परीक्षण करने के बाद आशवस्थ होकर ही भिन्न भिन्न या अपने अनेको प्रकार के उदेश्यो की पूर्ति के लिये अनेको प्रकार कि क्रिया परीक्षण से गुजरने के बाद ही उन मंत्रो को सृजन किया ओर जनहित या लोकहित के लिए उनकी क्रम विधी आम जन या अपनी शिष्य परम्पराओं मे शामिल किया, पर कोई भी मंत्र हो मित्रो प्रायः मृत ही रहते है उनका जागृति संस्कार करना बेहद जरूरी होता है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो वैसे तो मंत्र कई प्रकार के होते है ओर उनमे हर मंत्रो मे किसी ना किसी रुप मे इष्ट देवता की स्तुति ओर कामना निहित रहती है, ओर मित्रो ऐसे मंत्रो की जानकारी साधको होना जरूरी है या तो गुरू ही पथ प्रर्दशन कर सकता है ऐसे मंत्रो कोई मंत्र तंत्र साधना हो साधक का शिक्षित होना जरूरी है अशिक्षित होने से मंत्रो के उच्चारण ओर ध्वनि बदल जाती है इससे क्रिया की उल्टी प्रतिक्रिया हो जाती है क्योंकि  मंत्र कोई भी हो वो अपना असर छोडता ही छोडता है ,मित्रो कुछ छोटे छोटे मंत्र या किसी स्तुति या स्त्रोत सरल ओर सुगम होते कि वो याद हो जाते है किंतु अधिकतम मंत्रो का जाप अशिक्षित व्यक्ति या साधक कर नही पाता तो वो अपनी छोटी सी दुनिया मे सिमट कर रह जाता है, जबकि कोई भी मंत्र साधना हो उनका जप साधना उच्चारण की शुद्धता ओर स्वर संतुलन पर ही निर्भर होता है, अशुद्ध उच्चारण अथवा असंतुलित ध्वनि स्वर मंत्र का मूल प्रभाव नष्ट ओर चेंज कर देते है इससे साधक का परिश्रम जप तप व्यर्थ ही नष्ट हो जाते है, किंतु शाबर मंत्रो मे ऐसी कोई प्रतिबद्धता नही है ना अर्थ का ना स्वरध्वनि का ओर ना व्याकरण सम्पति की, आजकल के लोकदेवता या लोककथाओ की तरह ही शाबर मंत्र या शाबारी तंत्र चिर आदि कालो से चला आ रहा है, पहले अय्यारो ,या अय्यारी भी शाबर तंत्र का एक हिस्सा था शायद अब गिने चूने या या सिद्धि लुप्त हो चूकी है या कगार पर है, परकाया प्रवेश, काया पलट, बाबा आदिनाथ, बाबा दादा गुरू गुरूमत्यस्यन्दे ,या मछेन्द्र नाथ जी या गुरू योगी गोरखनाथ जी आदि ने कई बार शाबर विधा के बार मे प्रमाण दिये है पर, आजकल सोशल मीडिया ने जैसे गुरू
प्रथा या गुरूसत्ता को बिल्कुल भूला दिया है,, पन्द्रह से बीस साल के लडके तो अघोरी तांत्रिक बन के घुम रहे है क्या हिन्दू क्या मुस्लिम, ओर पहले बरसो बीत जाते तब भी कोई सिद्धि नही पर आजकल तो तीन दिन मे एक साथ कईयो को सिद्ध बनाया जाता है इसलिए भी शाबर ,वैदिक ,तंत्र मंत्र ओर हिन्दू सनातन धर्म अपना मौलिक स्वरुप खो रहे है, पर शाबर मंत्र अपनी स्वरुप की विविधता लिये हुये आज भी है उनकी विचित्र रचना ओर वो विविध इसलिए कि एक मंत्र मे अनेक शैलियाँ ओर देवी देवता का सोमवेश मिल जाता है, तथा वो विचित्र इस कारण भी है कि शुद्ध बीज मंत्रो के ठेठ ग्रामीण भाषा की शब्दावली वाक्यगत रुप मे मिल जायेगी, पर मित्रो कुछ शाबर मंत्र रचना बडी अटपटी सी लगती सी लगती है उनकी शब्दावली को बोलते हुये ऐसा अनुभव होता है कि जैसे किसी छोटे बच्चों को प्रसन्न करने के लिए कहाँ जा रहा है, जैसे, एक सिरदर्द का मंत्र है, हजार घर घाले एक घर खाय, आगे चलो तो पीछे जाय, फुरो मंत्र ईश्वरो वाचा, इस मंत्र को पढकर साधक रोगी के सिर पर हाथ रखकर फुक मारता है तो रोगी का सिरदर्द गायब हो जाता है, है ना मित्रो बडे अजीब ध्वनि शब्द ओर शब्दावली मित्रो शब्दो पर ना जाकर उनका मूल को समझने का प्रयास करे क्योंकि शब्द अटपटे हो सकते है कुछ विचलित भी कर सकते है पर आपके मन मे गुरू के प्रति पुणे श्रद्धा ओर मंत्रो के प्रति पुणे आस्था ही आपको पुणे सफलता दिला सकती है ,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश,,

Thursday, December 12, 2019

सिद्ध शाबर तंत्र बेसिक ग्यान भाग पांचवां


मित्रो जैसे हमने हमारे चार भागो मे सिद्ध शाबर मंत्रो के बारे मे उल्लेख किया है कि ये कैसे कार्य करते है या जागृत होते है, यह सब हमारे ब्लाग के हजारों विजिटर या हमारे मिलने वाले अनको साधको की इच्छा के अनुरुप ही लिख रहे है जो हमे पर्सनली जानते है या मेसेज मे सा कोल करके पुछते रहते है उन सभी की मांग पर ही हम ये सिद्ध शाबर मंत्रो की भूमिका ओर क्रिया के बारे मे बता रहे है, केवल जो सिद्ध शाबर की मुख्य बातो को ध्यान रखकर ही इस ब्लाँग का निर्माण किया गया है, हमारा एक ही उदेश्ये है इन सभी के पीछे की जो दुनिया मे आज छल कपट से सनातन को बदनाम किया जा रहा है या सनातन को प्रति जो रुचि लोगो की हट रही है या अविश्वास हो रहा है उनको सही राह पर लाना है हमारा मकसद कोई दुकानदारी नही करना नही है, बस आम जन सिद्ध शाबर तंत्र की जानकारी देना या उच्च गुरू के बारे मे आप सभी जानकारी प्राप्त करे, कोई मारण मोहन वशीकरण करके, कोई सिद्ध शाबर मंत्रो का उस्ताद नही बन सकता, ओर चमत्कार बाजीगर भी दिखा सकते है जैसे कच्चे कलवे के सहारे, अपनी सोच ओर उदेश्ये को सही रखे आम जन के कल्याण हुते, ओर हाँ साधक पुणे रुप से तभी सफल हो पाता है जब वो अपने गुरू की देख रेख मे पुणे ग्यान प्राप्त करे तो अपने मन को शुद्ध, स्वच्छ, ओर सच्चे मन से गुरू के प्रति अपनी पुणे श्रद्धा भावरखकर गुरू से दीक्षा प्राप्त करे इससे साधक को शक्ति रुपी मिणी प्राप्त होती है, जैसे समुन्दर मंथन मे रत्न निकलते है वैसे ही गुरू अपने शिष्यो का मंथन करता है इसलिए यह सब एक सिद्ध गुरू से ही प्राप्त हो सकता है, जैसे आजकल सोशल मीडिया पर कहाँ जाता है कि बिना गुरू ही शाबर सिद्ध हो जाते है उन मुर्खो को एक ही बात कहेगे की बिना माँ बाबा के तो आज तक बाबा भोलेनाथ जो जगत पिता है या देवताओ को भी जमी पर आये तो उनको भी जन्म लेना पडा माता पिता तो भगवान श्री राम जी भगवान श्री कृष्ण जी ओर भी देवता है जिनको यहाँ उनको भी गुरू की जरूरत पडी थी, इसलिए सच्चे गुरू की खोज करये आपको इन सभी की जानकारी से पुणे आवगत हो सको,, हम अपने निजी जीवन के अनुभवो के हिसाब से ही यह सब आज आपके समक्ष उजागर कर रहे है मित्रो, जितना सिद्ध शाबर मंत्र सरल है उतना ही इनकी हर प्रकिया जटिल होती है जगत पिता बाबा भोलेनाथ को गुरू मानकर कदापि इनका श्रवण ना करे उतना ही आपके लिए अच्छा है, क्योंकि मानव जीवन सभी आवश्यकताओं जैसे दैहिक, दैविक, भौतिक पूर्ति मे मंत्रो का समर्थ सहायक स्वीकार किया गया है चाहे वो वैदिक हो या सिद्ध शाबर, मित्रो मंत्र है क्या, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी ,,मंत्र एक विशिष्ट ध्वनि कर्म है जैसा हमने सिद्ध शाबर तंत्र के भाग चार मे बताया था कि या ध्वनि समुह जो किसी वर्ण अथवा वर्ण के समुह के उच्चारण की प्रतिक्रिया के रुप मे उत्पन्न होती है, उसी समुह की ध्वीन का प्रभाव सर्व स्वीकृति है विभिन्न ध्वनि की विभिन्न तंरगो यानि स्वर चराचर जगत को प्रभावित करता है, किसी देवता की लम्बी चौडी स्तुति जो प्रभाव नही दिखा सकती या उत्पन्न नही कर पाती उसको एक छोटा सा मंत्र भी तत्काल कर देता है, यही है सिद्ध शाबर मंत्र, मित्रो आगे अगले कुछ भागो मे आपको पुणे जानकारी प्रदान की जायेगी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Wednesday, December 11, 2019

शाबर तंत्र का बेसिक ग्यान भाग चौथा

मित्रो तीन भागो मे आपने पढा की शाबर तंत्र सा सनातन धर्म मे वेद पुराण यानि भारतीय ग्रंथो मे तंत्र मंत्र विधा के द्वारा इस लोक परलोक के सुखो को प्राप्ति किया जा सकता है, ओर कई ॠषि मुनियाँ ,तांत्रिक, अघोरियाँ ने यह करके दिखाया है,
समय समय पर आप सभी ने उनके बारे मे पढा होगा या सुना होगा आपके आस पास भी उचित साधक होंगे,
शब्द 'अक्षर' है जिसका अर्थ होता है, अविनाशी या विनाशी ठीक यही संगीत ध्वनी के साथ है मंत्रो के जो ध्वनी एक बार हो जाती है वो कभी नष्ट नही होती है, इसलिए अक्षर मे अक्षरत्व है ओर यह अविनाशित्व उसी बह्म का गुण है, जागतिक चमत्कारो को प्राप्त करने के लिये किसी भी भाषा के मंत्रो का काम मे लिया जाये, परन्तु वे भी मंत्रत्व प्राप्त करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा चाहते है, ओर प्राण प्रतिष्ठा उसको नादबह्म की यथाविधि उपासना से ही मिल सकती है, शाबर मंत्रो का जन्म प्राय या अधिकतर सिद्ध साधको या नाथ संप्रदाय आदिनाथ बाबा सदाशिव से शुरू हुआ था फिर नाथ संप्रदाय के गुरूजनो ने इनका विस्तार किया शाबर मंत्रो का कीलन नही हो सकता यही सत्य है बस इनको जागृत करना पड़ता है बिना जागृति संस्कार के केवल ये शब्द मात्र है, जैसा आजकल सोशल मीडिया पर हो रहा है कि जिसको देखो लगा पता है शाबर से खेलने के लिए पर उनका दुष्परिणाम भी होता है बिना जागृति संस्कार या बिना जागृत गुरू के आभाव मे इसका परिणाम बहुत घातक सिद्ध हो सकता है, गुरूदेव के श्री मुख से निकले हुये मंत्र स्वयंम जागृत होते है, क्योंकि शाबर मंत्र अक्सर मृत रहते है इनका जागृत संस्कार करना पडता है, टंकार के साथ इनका जागृत संस्कार होता है ( यह आप अपने गुरू से प्राप्त कर सकते है या उनसे पूछ सकते है कि ये जागृत केसे होता है, )मंत्रो के समापन के समय देवता की विकट या अप्राकृतिक आन दुहाई दी जाती है, इस सच्चाई से कभी मुंह नही मोडा जा सकता है ओर कभी कभी शास्त्रीय मंत्रो के प्रभाव की कमी को ये शाबर मंत्र बडी सफलता से पुणे करते है, शाबर मंत्रो मे अपने आप मे गोली की तरह शक्ति एव सफलता स्पष्ट प्रभाव होने के कारण ये मंत्र आज भी अच्छे, बुरे तांत्रिको के गले की शोभा बने हुये है, सिद्ध शाबर मंत्र गाम्य (ग्रामणी )शाखाओ के सिद्ध मंत्र है, शाबर मंत्रो का अर्थ अपरिष्कृत अथवा ग्रामीण भाषा मे होते है शाबर मंत्र का अंदाजा आप सहज ही लगा सकते है कि हमारे प्रचीन समय के तांत्रिक,,, ( ध्यान से पढे शाबर के चमत्कार,,) किसी को सांप ने काट लिया ओर कोई उसकी सुचना उच्च साधक तांत्रिक देता तो तांत्रिक द्वारा सुचना लाने वाले के थप्पड मारने से ही सर्पदंश वाला व्यक्ति मीलो दुर भी ठीक हो जाता था, उस रोगी का विष का स्तम्भन हो जाता था, वो कैसे करते थे कुछ कोडियाँ फेंककर विषधर को वापस बुला लेते थे जहर चूसने के लिए, सात समुन्दर पार बैठे व्यक्ति को चूटकियाँ मे अपने पास बुला लेते थे, केसे कर सकते थे वो, केर(खैर) की लकडी का दंण्ड बनाकर फटकार देने से बीमार व्यक्ति तुरंत ठीक हो जाता था कभी सोचा है की एक ग्रामीण इलाके मे बैठा एक अनपढ ओझा कौन सी संस्कृत जानता है जो तुरन्त किसी भी समस्याओं को चूटकियाँ मे इलाज कर देता है, क्योंकि उनकी असली सफलता का चमत्कार सिद्ध शाबर तंत्र है ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो यह मंत्र कभी निष्फल नही जाते इन सिद्ध शाबर मंत्रो को गुरू की दीक्षा प्राप्त करके ही करे तो इन मंत्रो का प्रभाव स्पष्ट रुप से आपको खुद देख सकते है बिना गुरू के करने से वो अपना उल्टा असर भी दिखा सकते है यही सत्य है मित्रो,
कलि बिलोकि जग हित हर गिरजा, ।
शाबर मंत्र जाल जिन्ह सिरजा, ।।
अनमिल आखर अरथ न जापू ।
प्रगट प्रभाउ महेश प्रताप, ।
मित्रो सिद्ध शाबर तंत्र के बारे मे तो प्रभु तूलसीदास ने भी रामचरित्र मानस मे लिखा है यानि अपने विचार प्रकट किये है, कि श्री उमा महेश्वर ने कलियुग के प्राणियों पर दया करके शाबर मंत्रो की रचना की ताकि कलियुग मे प्राणी मांत्र वैदिक मंत्रो के कलित होने की दिशा मे शाबर मंत्रो को मानव मात्र के संकट, कष्टो को शाबर मंत्रो ले शीघ्र नष्ट हो जाते है प्रचीन तंत्र शास्त्रो के अनुसार शाबर मंत्रो को सफल माना है, यहाँ संस्कृत वैदिक मंत्र कलित है पर सिद्ध शाबर मंत्र कीलित नही है इसलिए उचित गुरू के देखरेख ओर मार्गदर्शन मे गुरू दीक्षा से शीघ्र सिद्ध हो जाते है,, ।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻🌹

Tuesday, December 10, 2019

शाबर बेसिक ग्यान भाग तीसरा

मित्रो प्रचीन समय से चली आ रही भारतीय परम्पराओ से या आध्यात्मिक या तंत्र मंत्र विधा शाबर विधा से लोगो का विश्वास कम होने लगा था, पर पिछले कुछ समय से वापस शाबरी विधा पर लोगो का रूझान बढा है, क्योंकि बाजार मे ओर गूगल कितने ही लोगो ने शाबर पर कई पुस्तके ओर गूगल पर शाबर विधा को महत्व दिया है पर मित्रो बाजार मे ओर सोशल साइट पर जो शाबर मंत्र है या टोटके है वो हमेशा आधे अधूरे होते है, कोई कोई साधक सफल नही हो पाते, क्योकि किसी भी तंत्र साहित्य या क्रिया को समझने के लिए उचित या योग्य गुरू की शरण मे जाना ही पडता है, शाबर मंत्र विधा अति गहन ओर गूढ़ रहस्यो से भरपूर विधा है ये अत्यन्त सरल भाषा में पाये जाने वाले सभी मंत्र संग्रह को शाबर कहते है हमने पहले के भाग मे भी बताया था कि ये कई क्षत्रीये भाषा मे लिखे होने की वजह से ये सभी को रुचिकर लगते है पर योग्य गुरू के अभाव मे, साधक सफल नही होने से भटकाव आने लगता है, क्योंकि शाबर मंत्र प्रचीन तंत्र विधा है जो गुरू शिष्य की प्रणाली के अंतर्गत ही प्राप्त होती है पर आजकल सोशल मीडिया पर या बाजारो मे मिलने वाली सस्ती किताबो ने गुरू का महत्व, समाप्त ही कर दिया है कि शाबर मे गुरू की जरूरत नही होती है,, मित्रो इंसान के जन्म के समय भी दो इंसान यानि नर नारी की जरुरत पडती है तो, आपने कैसे समझ लिये की एक मंत्र को जागृत करने या उसके नये सिरे से सुजन करने के लिए गुरू की आवश्यकता नही होती है, क्योंकि जब तक शिष्य योग्य गुरू के शरण मे नही जाता जब तक शाबर तंत्र सफल नही हो पाता या साधक किसी मंत्र को सिद्ध नही कर पाता यही सत्य है, हमारे ब्लाग के माध्यम से तो हम सभी आमजन ओर साधको तो यही बताना चाहते है कि वो योग्य गुरू की शरण ले तो बहुत अच्छा है, साधक सच्चे शुद्ध, स्वच्छ मन से गुरू दीक्षा प्राप्त करे, फिर शाबरी विधा की शिक्षा प्राप्त करे, हमारा मानना है कि शत प्रतिशत सफलता आपके हाथ मे होगी, मित्रो ये शाबर का बेसिक ग्यान कम से कम पन्द्रह भागो मे लिखा जायेगा आप सभी से अनुरोध है कि सभी भागो को ध्यान पूर्वक अध्ययन करे उतना आपके लिए उचित है इससे आपका ग्यानवर्धक तो होगा ही बाकी शाबर के बारे जो भ्रान्ति है वो भी दुर होगी ये हमारे गुरूजनो ओर इष्ट की कृपा है जो हम आपके समक्ष है, बाकी आज भी आपके ओर हमारे बीच कोई फर्क नही है,  हम बस हमारी गुरू परम्पराओ ओर सनातन धर्म की जो बुनियाद है उसी का प्रसार आगे कर रहे है कि हमारे देवताओ ,साधु संतो गुरूजनो ने ओर हमारे पूर्वजो ने काफी कुछ दिया है पर कुछ आम स्वार्थी तत्वो ने इसको बदनाम कर के रख दिया है,, आप सभी को शाबर रचना से पुणे रुप से आवगत कराया जायेगा, ओर मित्रो जो यह शिविर लगाकर जो दीक्षा के नाम पर व्यापार होता है ये बिल्कुल गलत है ओर सनातन के विरूद्ध है, क्योंकि दीक्षा साधना सब गुप्त होती है यही सत्य है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, शाबर मंत्र का यथार्थ स्वरूप है तो चित शक्ति पर साधना शक्ति मंत्र बिना शक्ति से संबंध हुये साधक को कभी अनुभूति नही होती है, पुजा ध्यान ओर अन्य क्रियाओ मे साधक केवल साधना शक्ति ही काम करती है साधना मंत्र शक्ति से एकाकार स्थापित करके ही क्रियाशील होती है, एक सशत्त साधनाशील की व्यक्तिगत शक्ति के सम्पर्क मे ही मंत्र शक्ति कई गुना प्रबलता से कार्य करती है, तब मंत्र मे वह शक्ति उत्पन्न होती है तब साधक असंभव कार्य भी बडी सरलता से कर लेता है, मंत्र की सहायता से दैवी शक्ति भी रूपान्तरित हो जाती है, जिससे मुनष्य के दैनिक कार्य सम्पन्न कर सकता है, पर मित्रो मंत्र शास्त्र का विषय बहुत ही गहन ओर जटिल है इस समझ लेना हर किसी साधारण आमजन की बस की बात नही है, क्योंकि इस विधा का गहन अध्ययन तो हमारे पुर्वजो गुरूजनो ने किया है हम तो केवल यही कोशिश कर सकते है कि अंधविश्वास ओर झूठे तांत्रिक घुम घूम कर के जो सनातन, वैदिक, शाबरी विधा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है ओर उसी पर कुछ हमारे गुरूजनो की कृपा से आप सभी की भ्रान्ति को दुर करने का हम तो केवल माँ बाबा की कृपा से कुछ प्रयास कर ही सकते है क्योंकि सनातन धर्म की हर तंत्र हो या वैदिक विधा का आसन बहुत ऊंचा माना गया है, इनके साधक गुरू से मंत्रोप्रदेश यानी दिक्षा से प्राप्त कर सकता है साधना मे करने वाला साधक तभी सफल हो पाता है जब योग्य गुरू का साथ मिले तब ,बिना गुरू के किसी भी आध्यात्मिक साधना या मंत्र जप मे कभी सफल नही हो पाते ,गुरू द्वारा ही प्रदान ग्यान सर्वशेष्ठ है साधक गुरू चरणो का सहारा लेकर ही मंजिल प्राप्त कर सकता है,,
पर मित्रो जहाँ शंका ओर शुबहा होती है वहाँ कोई कार्य सफल नही पाता यही सत्य है गुरू के कथनो का कई कारण निकल सकते है, उन पर कभी गौर करके देखना जिंदगी सफल हो जायेगी गुरू को वापस जवाब देना या तर्क वितर्क करना सनातन, आध्यात्मिक या तांत्रिक मार्ग मे कोई जगह नही है फिर वो दर दर भटकने का ही कारण बनता है मित्रो यही सत्य है धन्यवाद,,
ॐ गुरूदेवाये नमः
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Monday, December 9, 2019

शाबर बेसिक ग्यान भाग दुसरा



आज के अधुनकि यूग मे जहाँ तेजी से ज्योतिष ओर तंत्र मंत्रो का प्रचार प्रसार हो रहा है, दूसरी ओर कथित ज्योतिषचार्य ओर कथित तंत्राचार्य ओर भी कई ऐस्ट्रोलोजर निकले है जो इसको व्यापार बनाकर या अपना उल्लू सीधा करने के लिए इनका प्रयोग अपने स्वार्थ या कामना पूर्ति के लिए कर रहे है जिनकी हमेशा धारणा यही रहती है कि सनातन बदनाम हो ओर तंत्र वैदिक या ज्योतिष चार्य का आम जन से विश्वास उठा दिया है अपनी अपनी, ऊंची ऊंची दुकाने लगाकर बैठे है आता जाता कुछ नही यही सत्य है मित्रो यही वो लोग है जो, आध्यात्मिक मार्ग, चाहे वो तंत्र हो वैदिक ज्योतिष या ऐस्ट्रोलोजर, हिलींग उन सभी को पतन की ओर ले जाते ओर बदनाम करके रख दिया है,
साधना के असंंतुलित प्रचार, सिद्धियाँ के दुरुपयोग ओर अतिचार, के कारण ही पराभव हुआ है पर फिर भी तंत्र निष्प्राण नही हुआ है, क्योंकि मित्रो सच्चे साधक इस दुनिया मे अभी है, सच्चे गुरू अभी मौजूद है, कुछ विरल इस दुनिया मे आज भी मौजूद है जो एंकातवास, ग्रहस्थ रहकर भी बह्मचारी धर्म का पालन कर रहे है, वैसे तो शाबर मंत्रो की रचना संस्कृत प्राकृत, जैन, वैदिक ओर क्षेत्रीय भाषाओ मे मिलती है, कई भाषाओ के मिश्रित होना जैसे ग्रामीण शेली विचित्र शैली ये हमारे, आदरणिय या महान जानकारो के अदभुत कल्पना शक्ति का सोमवेश था ,जो शाबर ने कभी अपना स्वरूप नही खोया, शाबर मे क्रिया ओर मंत्र साथ चलते है, जो क्रिया समझता है वो शाबर को समझता है, क्योंकि शाबर मे गुरू के प्रति श्रद्धा विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है शाबर मंत्रो मे षडांग बीज, ॠषिः कीलक छंदः देवता एव शक्ति की आवश्यकता अलग से नही होती है ,बल्कि इन सभी का वर्णन शाबर मे होता ही होता है बस आस्था ओर विश्वास की जरूरत है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, शाबर को लोगो ने डरावना या तंत्र साधना को अपनी भोग की वस्तू समझने वाले या मजाक समझने वाले या नाम बनाने के चक्कर मे कई जने लगे पड़े है पर हर तंत्र या शाबर मे आन, दुहाई, सैया, सौगंध, शय्या कई ऐसे शब्द आते है जो आपको विचलित भी कर सकते है, इसलिए हमारा आप सभी से यही कहना है कि शाबर दीक्षा ले ओर उचित गुरू के मार्गदर्शन मे इनका प्रयोग या दीक्षा ग्रहण करे तो ही उसी मे आपका कल्याण है, बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,,

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Sunday, December 8, 2019

शाबर का बेसिक ग्यान भाग पहला





शाबर मंत्र के बारे मे तो सभी जानते ही है, शाबर मंत्र कैसे कार्य करते है वो भी सभी को पता है, पर आजकल शाबर के बारे मे कई लोगो की कई तरह की भ्रान्तियाँ है क्योंकि आजकल सोशल मीडिया पर कई बाबा लोगो का अवतरण हुआ है जो, सीधा कही से मंत्र उठाया ओर दे दिया, जबकि उनको ये चाहिए की शाबर के बारे मे जो पुणे जानकारी हो पहले वो दे, जैसे क्रिया कब कार्य करती है लेकिन आजकल तो परमपिता को ही गुरू मानकर ओर बिना गुरू के ही शाबर को रट्टे जा रहे है, फिर कहते है कि मंत्र कार्य नही करता, जिस तरह सुर्यदेव का तेज है ओर माँ गंगा की पानी अमृत है जो सारे संसार के प्रकाशमान करते है ओर जगत को पापो का नाश करते है वैसे ही शाबर मंत्रो की क्रिया होती है उनमे वो तेज होता है जो है जो दिखायी नही देता पर वो क्रिया करते है चाहे वो बीज मंत्र हो, या वैदिक मंत्र या शाबर सभी की अपनी अपनी क्रिया होती है सिद्ध करने की, सोचते है शाबर का बेसिक ग्यान आप सभी को दे पर पात्र भी होना चाहिए ताकि शाबर को जनमानृष की भलाई मे लगाये ना कि, उनके मारण मे लगाये शाबर उग्र है शाबर सौम्य है शाबर स्वरूप ही परम शिव बह्म है यही सत्य है शाबर का तेज सहन कर सके पहले उसकी शुरुआत करये अच्छा है कल से शाबर पर लिखेगे मल मास आ रहा है तो जो तंत्र कर्म करते है तो उनसे निवेदन है कि पुनश्चरण शुरू कर दिजिये पन्द्रह तारीख से मजा आ जायेगा ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ,सोचये जरूर कि शाबर मारण है शाबर जीवन है ओर शाबर प्रकृति से छेड़छाड़ भी है इसलिए आगे बढे तो सोच समझकर बढे,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Saturday, December 7, 2019

ग्यान कैसे मिलता है

ग्यान सभी से मिलता है ग्रहण करना चाहिए ग्यान वो जो सुख दे शांति दे धीरज दे ओर धर्म की राह दिखाये, इंसान अपने आपका मनन करने से शेष्ठ गुण प्राप्त कर सकता है वो अपने अंदर अपनी समाधि या अपने अंदर की उर्जा का संचय या संचालित कर सकता है ये पोस्ट आज फेसबुक पर प्रभु रमाकांत जी पोस्ट से प्रेरित होकर लिख रहे है कि साधक का लक्ष्य आधारहीन ओर साधक का मोह भंग को रोका कैसे जा सकता है या अपना लक्ष्य कैसे प्राप्त किया जाये बाकी साधना विधान या अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के कई रास्ते है पर सबसे पहला है मनन की अपने आपको उन्नत कैसे किया जाये, क्योंकि मनन ही सर्वश्रेष्ठ है योगक्रिया है,, आगे होती है गुरू ओर इष्ट गुरू अनुसरण ये यौगिक गुरू क्रिया होती है जिसमे आपकी राह गुरू देखता है क्योंकि आपने आपको मनन करके उन्नत किया है तो धैर्य ओर आस्था आपके अंदर से प्रकट होती है यही सत्य है तो गुरूओ का अनुसरण करना गुरू तत्व केवल देहधारी गुरू ही नही होता बल्कि गुरू तत्व तो जन्मो जन्मांतर से चला आ रहा है शिष्य गुरू एक दुसरे के पुरक होते है वो यू ही राह चलते नही मिलते जब इष्ट कृपा होती है तो ही सही गुरू का जीवन मे आगमन होता है तो गुरू का अनुसरण करे, तर्क वितर्क से हमेशा दुर रहे अच्छा लगे ग्रहण करे ओर बुरा लगे तो नजरअंदाज करे ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, बाकी मित्रो गुरू वो जो जीवन के खट्टे मीठे अनुभवो से गुजरा ही होगा तो लिहाज कुछ तो गुरू का अनुभव कडवा ही रहा होगा इसलिए अनुभव सयंम अनुसरण ये सब हमे गुरू निधी से प्राप्त होते है, जैसा आजकल चल रहा है यूटूयब गूगल, या सोशल मीडिया पर वो कहाँ तक सही है या गलत ये सब आपको देखना है कि उचित गुरू का मार्गदर्शन कैसे मिलेगा तो मित्रो आज यही विरोम देते है बाती का कभी ओर लिखेगे क्योंकि हमारी जो पोस्ट होती है वो निबंध बन जा़ये तो उबासी आने लगती है इसलिए आगे जैसी आपकी इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा ,,ध्यान रहे अनुभव हमेशा कडवा होता है बस जानने ओर समझने की जरूरत है 🌹🙏🏻🌹

जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🙏🏻🌹🙏🏻

निशाने पर सनातन ओर हिन्दू

आजकल सोशल मीडिया या हो पेड मीडिया हर तरफ इन सभी ने हिन्दूओ को निशाने पर ले रखा है

चाहे वो मंदिर हो या उनकी बेटियाँ या उनके घर या उनकी परम्पराओं का मजाक उडाया जाता है, मंदिरो के दान पेटी के बारे मे बोला जाता है, अरे तूमने कितना दान दे दिया है अब तक जो दान के बारे मे यहाँ कह रहे है कितने मंदिरो मे भण्डारे चलते है कितने ही मंदिर गौशाला संचालित कर रहे है, कितने ही मंदिरो ने स्कूलो को गोद ले रखा है कितने ही मंदिरो ने कई अच्छे कार्य कर रखे है देखा है क्या कभी वहाँ पर, ओर जो मंदिरो के दान के बारे मे बात करते है उनसे हम ये पुछना चाहते है कि तूम हमारे मंदिरो के बारे मे बोलने वाले होते कौन हो, तूमने कितना दान दिया जो हिसाब मांग रहे??, स्वयंम का पता नही ओर चले आते है यहाँ ,बात तूम ब्राह्मणो की करते तो भाई कोई ब्राह्मण तूमसे यह तो नही कहता की मुझसे पुजा करवा लो, या मे आपकी पुजा करता हुं दुखी आप होते तो कर्म भी ब्राह्मण करता है, तुम्हारे घर मे बच्चा जन्म ले तो कुण्डली बनवाने तूम जाते हो, तुम्हारे पितर पुर्वजो का तर्पण पिण्डदान ब्राह्मण करता है, तो तूम क्या उसका ॠण उतार सकते हो, ओर मंदिरो मे दान नही देना या देना सबकी अपनी आस्था ओर विश्वास है, भोग दीपक, दुध चढाना हमारी संस्कृति या परम्पराओं का हिस्सा है, हम किसी की आस्था का मजाक नही उडाते तो, तूम कौन होते हो जो हमारी आस्था ओर विश्वास से खिलवाड़ करने वाले, हमारे सनातन संस्कृति का उपहास उडाने वाले, ग्यान देना ओर लेना अच्छी बात है, पर जो रायचंद सनातन धर्म का हिस्सा होकर, सनातनी परम्पराओं पर उंगली या सवाल उठाते है उनसे निवेदन है कि जयचंद तो तूम हो ही सनातन धर्म के पर,,, अपनी राय अपने पास रखा करो, सनातन धर्म मे आज भी रिवाज है की भूखो का मुंह नही देखा जाता चाहे वो जानवर हो या इंसान क्योंकि ये हमारी परम्पराओं का हिस्सा है चाहे साधु हो या शैतान सबको भोजन प्रेम पूर्वक खिलाया जाता है,, जो रायचंद, जयचंद मंदिरो पर ओर सनातनी परम्पराओं पर उंगली उठाते है पहले अपने गिरहबान मे झाक ले कि, उन्होने कितना दान दिया या कितने भूखो को खाना खिलाया है,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी, मित्रो जब जब भी सनातन बटा है हिन्दू घटा है मरा है बात यहाँ सिर्फ हमने ब्राह्मणो ओर मंदिर की है कि नही, मित्रो यहाँ पुरा सनातन निशाने पर है जब आप मंदिर नही जा सकते या अपने पुर्वजो को भूलते है तो आप कमजोर होते हो यही सत्य है इसलिए हमारा आप सभी से यही कहना है कि, कौन क्षत्रिय, कोन ब्राह्मण, कौन वैश्य, कौन शुद्र,, सब सनातन का हिस्सा है, किसी शुद्र या ब्राह्मण पर उंगली उठाने से पहले सोचना जरूर की कही आप अपने ही धर्म के जयचंद तो नही बन रहे है, मित्रो नेताओ ने आपको जाति पाति मे बाट दिया चंद संता ओर माया के लोभियाँ ने अपना अपना पंथ चला के संत बन बैठे है, जो सनातन को ही कमजोर कर रहे, वो मुर्ख यह नही जानते की आज हिन्दू ही हिन्दू की वजह से कमजोर हो रहा है, इसलिए मित्रो जो कहाँ जो करो, सोच समझकर करे,,, बाकी आप सभी सनातनीयो से निवेदन है कि अपने शास्त्रो का अध्ययन करे, अपने धर्म के महान वीरो को नमन करे जो मुगलो से लडते हुये शहीद हुये है उनकी जीवन गाथा पढये, इसलिए उनके मार्ग पर चले, जिन्होंने नारी ओर सनातन के लिए अपनी जान ओर कुल तक को न्योछावर कर दिया,, बाकी जैसी आपकी इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा 🌹🙏🏻
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻

साधना शिविर की असलियत सनातन धर्म को बदनाम करने की साजिश



मित्रो,
आजकल एक दिवसीय, दो या तीन दिवसीय साधना शिविर ,या दीक्षा शिविर लगाने की परम्परा जैसे यू चल पडी है जैसे सभी को रातो रात सिद्ध बनने या, हसीने सपने जैसा नही लगता, मित्रो यह बात हमने काफी बार कि है कि कोई आपके ये कहे कि मे तूमको जिन्न या यक्षिणी, प्रेत या कोई अन्य साधना देता हुं तो मित्रो हमारा आप सभी से निवेदन है कि,,
परम पुज्य गुरूदेव योगी बाबा भूतनाथ जी आई पंथी सोनीपत हरियाणा 
बडे प्रेम से पहले उनसे यह तो पूछ लिजिये की बाबा जी शिविर लगा रहे हो तो ठीक है, पर आपने कौनसी साधना कर रखी है पहले वो तो प्रत्यक्ष कराये,, कुछ स्वार्थ के ख़ातिर आपको लोगो मारण मोहन, उच्चाटन देते है, अच्छी खासी रकम भी लेते है,,, मित्रो वशीकरण किसी कारण, क्रिया ओर विशेष परस्तथित मे होता है या किया जाता है, बाकी आकर्षण शक्ति से कभी कभी कुछ कर्म किये या करवाये जाते है, इसलिए चमत्कार के चक्करो मे, समय ,पैसा बर्बाद ना करे अच्छा है,, बेसिक ग्यान दिया नही पर आजकल, सीधा सिद्धि ,गजब है ना एक साथ कईयो को,, आध्यात्मिक, मे चाहे तंत्र हो या वैदिक सभी मे बेसिक ग्यान ओर मंत्र ओर क्रिया की शक्ति का बोध होना जरूरी है ओर आजकल तो ऐसे भी भी ज्योतिष चार्यो के शिविर लगते है जिनमे चंद पैसो के खातिर उनको सर्टीफिकेट दिया जाता है, उनमे से कई नाम है जिनको हम जानते है जो फर्जी वाडे के प्रमाण पत्रो के साथ विराजमान है,, इन सभी के जिम्मेदार कौन हम सभी ही है,, वो गलत कर रहे है इसलिए वो गलत है ,हम गलत देखकर भी शांत है इसलिए हम दोषी है,, यही स़त्य है मित्रो,, कभी कोई पितर तर्पण का शिविर उज्जैन मे लगा रहा है तो कही ओर अरे उनकी सही जगह लगाओ कैम्प, क्यू मुर्ख बनाते हो, पितरतर्पण के केम्प उज्जैन मे लगाकर, मित्रो हमारी किसी से जाति दुश्मनी नही है बस आप किसी को सही राह दिखा सको तो दिखाईये, गलत होता है चाहे वो सांसरिक हो या आध्यात्मिक गलत का विरोध किजिये,, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी,, जिसको पता ही नही कि तर्पण के लिए कुछ जगह ही महत्व रखती है,, पर अफसोस चंद पैसो के लिए लोगो को बेवकूफ बनाना शायद उनका शौक बन गया है,,, हमने भी कभी सोचा था कि बेसिक ग्यान सभी को दिया जाये पर , ओर क्रिया का बेसिक शिविर लगाने की आम जन को आध्यात्मिक वैदिक ओर तंत्र पर बेसिक ग्यान सभी को एक जगह जमा करके दिया जाये पर,, क्या करे कोई आयोजक नही मिला ओर हम किसी से कुछ लेना नही चाहते अगर कोई बंदा तैयार है हिन्दुस्तान कही तो बेसिक जानकारी का शिविर लगाना था पर अफसोस सफल नही हो पाये तब हम समझ गये थे कि सब अपना अपना उल्लू सीधा करना जानते है,, क्योंकि हर शाख पर एक उल्लू है जो यही कहता है कि अंधेरा ही शेष्ट है,, जय हो संतो की,, आगे जैसी आपकी इच्छा ओर माँ बाबा की कृपा ,,,,
,।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻🌹

Sunday, November 24, 2019

राजस्थान के एक मंदिर मे आज भी होता है चमत्कार

मित्रो जहाँ कलियुग मे लोग चमत्कार की आशा मे ठगे जाते है वही एक मंदिर है जो, राजस्थान के चित्तौड़गढ़ ज़िला मुख्यालय से 9 किमी दूर माताजी की  पांडोली स्थित देवी श्री झांतला माता जी की एक प्रमुख शक्तिपीठ है ।

यहाँ  आने वाले हर श्रद्धालु की मनोकामनायें पूरी होती है। यहाँ विशेषकर लकवाग्रस्त लोगो को लाया जाता है।  मान्यता है की माँ के आशीर्वाद से लकवाग्रस्त रोगी भले चंगे होकर घर लौटते है । जो रोगी के रूप में सोते या बैठे हुए आते है वे हँसते हुए जाते है । इस मूर्ति को चमत्कारिक माना  जाता है जिसके  दर्शन मात्र से ही सारी पीड़ाये दूर ही जाती है और मन को सुकून मिलता है ।
ओर कही हजारों किलोमीटर दुर रहने वाला आदमी अगर लकवाग्रस्त हो जाये तो इनके नाम का धांगा (जिसको तांती भी बोली जाती है ) बांध ले तो उसको उसी दिन से फर्क पडना शुरू हो जाता है,,
पर मित्रो चमत्कार भी वहाँ होता है जहाँ विश्वास ओर आस्था हो,,
देवी श्री झांतला माता ,माताजी की पांडोली चित्तौड़गढ़
श्री झांतला माता ,माताजी की पांडोली चित्तौड़गढ़

बताते है की देवी श्री झांतला माता जी की मूर्ति यहाँ महाभारत काल से ही है । इस शक्तिपीठ पर हर साल  लाखो श्रद्धालु अपनी- अपनी मन्नत ले के आते है । यहाँ हर साल दोनों नवरात्रा में नौ ही दिन मेले का आयोजन किया जाता है । वास्तव में माँ की महिमा का जितना गुणगान  किया जाये उतना ही कम है ,क्या लिखे उस माँ के बारे मे जो अंधो को भी आंखें, ओर बीमार को शरीर, ओर पाँव देती है,, एक बार दर्शन जरूर करे ओर कलियुग मे माँ का चमत्कार जरूर देखे
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

Tuesday, November 19, 2019

बाबा काल भैरव अष्टमी







*इस संसार मे एक समस्या यह है कि हम किसी की बात को समझने के लिये नही सुनते है, ,*
 *बल्कि*
*उस बात का जवाब देने के लिये सुनते है यही आज का सत्य है,*
*वैसे भी आजकल लोग ग्यान कम लेते है ओर ग्यानी ग्यानी ज्यादा खेलते है सनातन धर्म मे आजकल यही चल रहा है, ,*
*कोई धर्म के नाम पर बदनाम हो रहा है ओर कोई धर्म को ही बदनाम कर रहा है पर समझना कोई चाहते नही,, ,*
*बाकी विश्वास रखे माँ बाबा कभी आपको हताश ना होने देगे क्योंकि सत्य हमेशा अकेला ही रहता है पर अंततः जीत सत्य की होती है ,,*
*इसलिए दुसरो के लिए अपनी जीवन शैली ना बदले आप अपने गुरू ओर इष्ट को उसी शैली मे अच्छे लगते हो बाकी दुनिया की सोच तो पल पल मे बदलती है,,,*

*आज सायः काल मे भैरव बाबा के नाम से चौमुखी दीपक जलाये सरसो के तेल मे लाल पुष्प अर्पित करे, भैरव चालीसा का पाठ करे मीठा चढाये ओर हो सके तो बुदी के लड्डू या अमृती बाबा को चढा के काले कुत्ते को खिलाये ,,इनके अलावा कुछ नही आता हो तो इस मंत्र का जाप करे जितना हो सके उतना,,,*
*ॐ आशुतोष रूपाय श्री प्रदाताय भैरवाय, मम रक्षाय करू-करू देवाय,,,*
*🌞 !! आप सभी को बाबा कालभैरव अष्टमी की बहुत बहुत शुभकामनाएं,, !! 🌞*

*🌞 !!जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश !! 🌞*
🙏🏻🌹🌹🌹🌹🌹🙏🏻

आइये जानते हैं कब है धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि विधान साधना???

* धनतेरस ओर दिपावली पूजा विधि*  *29 और 31 तारीख 2024*  *धनतेरस ओर दिपावली पूजा और अनुष्ठान की विधि* *धनतेरस महोत्सव* *(अध्यात्म शास्त्र एवं ...

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