Tuesday, December 10, 2019

शाबर बेसिक ग्यान भाग तीसरा

मित्रो प्रचीन समय से चली आ रही भारतीय परम्पराओ से या आध्यात्मिक या तंत्र मंत्र विधा शाबर विधा से लोगो का विश्वास कम होने लगा था, पर पिछले कुछ समय से वापस शाबरी विधा पर लोगो का रूझान बढा है, क्योंकि बाजार मे ओर गूगल कितने ही लोगो ने शाबर पर कई पुस्तके ओर गूगल पर शाबर विधा को महत्व दिया है पर मित्रो बाजार मे ओर सोशल साइट पर जो शाबर मंत्र है या टोटके है वो हमेशा आधे अधूरे होते है, कोई कोई साधक सफल नही हो पाते, क्योकि किसी भी तंत्र साहित्य या क्रिया को समझने के लिए उचित या योग्य गुरू की शरण मे जाना ही पडता है, शाबर मंत्र विधा अति गहन ओर गूढ़ रहस्यो से भरपूर विधा है ये अत्यन्त सरल भाषा में पाये जाने वाले सभी मंत्र संग्रह को शाबर कहते है हमने पहले के भाग मे भी बताया था कि ये कई क्षत्रीये भाषा मे लिखे होने की वजह से ये सभी को रुचिकर लगते है पर योग्य गुरू के अभाव मे, साधक सफल नही होने से भटकाव आने लगता है, क्योंकि शाबर मंत्र प्रचीन तंत्र विधा है जो गुरू शिष्य की प्रणाली के अंतर्गत ही प्राप्त होती है पर आजकल सोशल मीडिया पर या बाजारो मे मिलने वाली सस्ती किताबो ने गुरू का महत्व, समाप्त ही कर दिया है कि शाबर मे गुरू की जरूरत नही होती है,, मित्रो इंसान के जन्म के समय भी दो इंसान यानि नर नारी की जरुरत पडती है तो, आपने कैसे समझ लिये की एक मंत्र को जागृत करने या उसके नये सिरे से सुजन करने के लिए गुरू की आवश्यकता नही होती है, क्योंकि जब तक शिष्य योग्य गुरू के शरण मे नही जाता जब तक शाबर तंत्र सफल नही हो पाता या साधक किसी मंत्र को सिद्ध नही कर पाता यही सत्य है, हमारे ब्लाग के माध्यम से तो हम सभी आमजन ओर साधको तो यही बताना चाहते है कि वो योग्य गुरू की शरण ले तो बहुत अच्छा है, साधक सच्चे शुद्ध, स्वच्छ मन से गुरू दीक्षा प्राप्त करे, फिर शाबरी विधा की शिक्षा प्राप्त करे, हमारा मानना है कि शत प्रतिशत सफलता आपके हाथ मे होगी, मित्रो ये शाबर का बेसिक ग्यान कम से कम पन्द्रह भागो मे लिखा जायेगा आप सभी से अनुरोध है कि सभी भागो को ध्यान पूर्वक अध्ययन करे उतना आपके लिए उचित है इससे आपका ग्यानवर्धक तो होगा ही बाकी शाबर के बारे जो भ्रान्ति है वो भी दुर होगी ये हमारे गुरूजनो ओर इष्ट की कृपा है जो हम आपके समक्ष है, बाकी आज भी आपके ओर हमारे बीच कोई फर्क नही है,  हम बस हमारी गुरू परम्पराओ ओर सनातन धर्म की जो बुनियाद है उसी का प्रसार आगे कर रहे है कि हमारे देवताओ ,साधु संतो गुरूजनो ने ओर हमारे पूर्वजो ने काफी कुछ दिया है पर कुछ आम स्वार्थी तत्वो ने इसको बदनाम कर के रख दिया है,, आप सभी को शाबर रचना से पुणे रुप से आवगत कराया जायेगा, ओर मित्रो जो यह शिविर लगाकर जो दीक्षा के नाम पर व्यापार होता है ये बिल्कुल गलत है ओर सनातन के विरूद्ध है, क्योंकि दीक्षा साधना सब गुप्त होती है यही सत्य है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, शाबर मंत्र का यथार्थ स्वरूप है तो चित शक्ति पर साधना शक्ति मंत्र बिना शक्ति से संबंध हुये साधक को कभी अनुभूति नही होती है, पुजा ध्यान ओर अन्य क्रियाओ मे साधक केवल साधना शक्ति ही काम करती है साधना मंत्र शक्ति से एकाकार स्थापित करके ही क्रियाशील होती है, एक सशत्त साधनाशील की व्यक्तिगत शक्ति के सम्पर्क मे ही मंत्र शक्ति कई गुना प्रबलता से कार्य करती है, तब मंत्र मे वह शक्ति उत्पन्न होती है तब साधक असंभव कार्य भी बडी सरलता से कर लेता है, मंत्र की सहायता से दैवी शक्ति भी रूपान्तरित हो जाती है, जिससे मुनष्य के दैनिक कार्य सम्पन्न कर सकता है, पर मित्रो मंत्र शास्त्र का विषय बहुत ही गहन ओर जटिल है इस समझ लेना हर किसी साधारण आमजन की बस की बात नही है, क्योंकि इस विधा का गहन अध्ययन तो हमारे पुर्वजो गुरूजनो ने किया है हम तो केवल यही कोशिश कर सकते है कि अंधविश्वास ओर झूठे तांत्रिक घुम घूम कर के जो सनातन, वैदिक, शाबरी विधा को बदनाम करने की कोशिश कर रहे है ओर उसी पर कुछ हमारे गुरूजनो की कृपा से आप सभी की भ्रान्ति को दुर करने का हम तो केवल माँ बाबा की कृपा से कुछ प्रयास कर ही सकते है क्योंकि सनातन धर्म की हर तंत्र हो या वैदिक विधा का आसन बहुत ऊंचा माना गया है, इनके साधक गुरू से मंत्रोप्रदेश यानी दिक्षा से प्राप्त कर सकता है साधना मे करने वाला साधक तभी सफल हो पाता है जब योग्य गुरू का साथ मिले तब ,बिना गुरू के किसी भी आध्यात्मिक साधना या मंत्र जप मे कभी सफल नही हो पाते ,गुरू द्वारा ही प्रदान ग्यान सर्वशेष्ठ है साधक गुरू चरणो का सहारा लेकर ही मंजिल प्राप्त कर सकता है,,
पर मित्रो जहाँ शंका ओर शुबहा होती है वहाँ कोई कार्य सफल नही पाता यही सत्य है गुरू के कथनो का कई कारण निकल सकते है, उन पर कभी गौर करके देखना जिंदगी सफल हो जायेगी गुरू को वापस जवाब देना या तर्क वितर्क करना सनातन, आध्यात्मिक या तांत्रिक मार्ग मे कोई जगह नही है फिर वो दर दर भटकने का ही कारण बनता है मित्रो यही सत्य है धन्यवाद,,
ॐ गुरूदेवाये नमः
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश

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