Tuesday, December 17, 2019

शाबर तंत्र साधना का बेसिक ग्यान भाग दसवा

जैसा की मित्रो आप सभी ने पिछले भागो मे पढा की शाबर है क्या इनका प्रयोग कैसे किया जाये ,मित्रो ये सनातन नगरी यानि भारत है यहाँ हमेशा से साधु संतो की परम्परा लम्बे समय ओर चिरकाल से चली आ रही है वो बात अलग है कि आजकल कुछ ढोंगी पाखंडियाँ ने मुर्ख लोगो को अपना चापलूस बनाकर उल्लू सीधा करवाया है जिनमे कई नाम शामिल है जैसे, रामपाल यानि हरामपाल की उपाधि से नवाजा जाये तो गलत नही होगा ये आपको अपने पुर्वजो से ओर देवताओ से दुर करता है संस्कृत इसको समझ मे पढना नही आती है फिर भी ये संत बनकर हिन्दूओ को ही तोड रहा है ओर ये कार्य ओर कोई नही चंद हिन्दू जो पैसौ के लोभी होने के साथ चापलूस है, बस उनकी भूख पैसा है ओर कुछ नही, संत कबीर दास जी ने हमेशा प्रभु श्री राम जी ओर प्रभु श्री हरि कृष्ण जी की भक्ति की है ये तो उनको भी बदनाम कर के रख रहा है ये संत नही सनातन के नाम पर बदनुमा दाग है, राम रहीम, नित्यानन्द, ओर भी कई सुअर है जो संतो की भाषा तो बोलते है पर अपने कर्म नही सुधारते तो मित्रो आप सभी से निवेदन है सीधा भगवान या गुरूओ से जूडे अपने पर्वजो को ना भूले कुलदेवी ओर कुलदेवता को रोज अर्जी लगाये क्योंकि आपकी प्रार्थना भगवान तक पहुचे इनमे इनकी कृपा होनी जरुरी है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, हाँ तो मित्रो हम यहाँ शाबर पर बात कर रहे थे साधु संत, चमत्कार, तंत्र मंत्र यंत्र यह सब हमारी संस्कृति का एक अहम हिस्सा रहा है पहले के संत आज के संतो की तरह भोग विलास या आडम्बर मे रूचि नही रखते थे वो आडम्बरहीन ओर बहुत ही सादा जीवन जीते थे, उस समय कोई भी संत अपने लिए आश्रम या मठ नही बनवाते थे उस समय सेठ साहुकार या राजा महाराजओ द्वारा की गयी संतो की सेवा आज भी मठो के रुप मे मंदिर के रुप मे है वो आश्रम आज भी निराडम्बर, त्यागपुणे ओर परम बीतराग, अविलासी जीवन बिताते थे ,यही कारण था उनके द्वारा लोकहित मे किये गये कार्य ओर मंत्र साधनाये आज भी प्रचलित है, हमारे अजमेर मे भी अजयपाल बाबा जी थे जो अघोर पंथ से थे ओर अजमेर उन्होने ही बसाया था उनके प्रचलित मंत्र तंत्र आज भी आमजन प्रयोग मे लेते रहते है ओर वो सफल भी है, मित्रो मंत्र कोई खाली नही है सभी मंत्रो की एक क्रिया है जो हर रुप मे कारगर है बस गुरू सानीध्ये सही होना चाहिए,, जैसा हमने पहले भी बताया था कि हमारे सनातन मे नाना प्रकार के पंथ है जिनको कई सिद्ध माहत्माओ के हिसाब से समय के हिसाब से चलाये थे, जैसे, गुरू नानक देव जी ने हिन्दूओ पर मुगलो को अत्याचार देखते हुये सिख सेना की स्थापना या सिख धर्म की स्थापना की जिनका कार्य था सनातन की रक्षा करना इनके अलावा कई मंत्रो के रचयिता थे ओर उनके बाद गुरू गोविन्द सिंह जी ने कमान संभाली ओर नानक देव जी की बनाई सेना को इक्कठा करके मजबूत बनाया ओर सिखधर्म की स्थापना की बाकी यह भी सनातन धर्म का ही हिस्सा है, इसके अलावा नाथ पंथ मे ९ नाथ ८४ सिद्ध थे नही वो तो आज भी समाधिस्थ है जो जिंदा है यानि चिरंजीवी जो प्रसिद्ध है कि इन्होने तंत्र को एक नया आयाम दिया ओर कई मंत्रो की रचना करके आम जन को कई महत्वपूर्ण जानकारियाँ ओर जन भलाई मे अपना जीवन तक लगा दिया उसी तरह जैन धर्म भी सनातन धर्म की ही हिस्सा है भगवान आदिनाथ यानि भोलनाथ पहले तीर्थकर माने गये थे उसके बाद कई जैन मुनियाँ ने भी मंत्रो की रचना की जिसमे घंटाकर्ण महावीर, घटभामण प्राकृत जैन साधना ओर भी कई तंत्र मंत्र के साहित्य है जो आम जन की आँखो से ओझल है यही सत्य है मित्रो ओर मुस्लिम संत जो जानते थे कि हम भी सनातन धर्म का ही एक हिस्सा है उन्होने भी सनातन धर्म का आदर करते हुये कई शाबर मंत्रो की रचना, (आगे कई भागो मे आप मुस्लिम तंत्र पर भी पढेगे,, ) पर उस समय आज जैसा नही क्योंकि शाबर मे बाबा भोलेनाथ को ही पुणे रुप से अघोरी माना गया है या पुणे ओघश्वेर राज माना गया है ओर आज जितने पंथ है ,जी पंथ, क्योंकि धर्म तो एक ही है वो है सनातन इसलिए बाबा भोलेनाथ को आधार मानकर ही सभी ने शाबर मंत्रो की रचना की चाहे वो लोकदेवता हो या देवता या संत यही अटल सत्य है मित्रो, संसार मे प्रत्येक समस्याओं का निराकरण शाबर मंत्रो मे छिपा है कार्य विशेष के लिये विशेष मंत्रो को अलग अलग समय ओर शुभमुर्हुत मे जाप विधान साधना होती है जिसमे दैनिक जीवन के छोटे मोटे शारीरिक कष्टो से लेकर दैहिक, भौतिक, दैविक बाधाओ से अनेको प्रकार से मुक्ति पायी जा सकती है, बर्र बिच्छू सांप जैसे विषले विषधरो से मानव पिडित होता है तो चूटकी मे उन सभी का इलाज शाबर मंत्रो से किया जा सकता है मित्रो कुछ लोगो की धारणा है कि शाबर मंत्र बकवास है, वो इसलिए कि सोशल मीडिया पर बिना गुरू की साधना बताने वाले कई तांत्रिक घुम रहे है जो कहते है कि शाबर मे गुरू की जरूरत नही रहती जैसा हमने पहले भी बताया है कि, गुर की आवश्यकता सभी जगह होती है चाहे मानव जीवन मे जन्म से लेकर मरने तक गुरू चाहिए तो आध्यात्मिक या शाबर मंत्रो मे गुरू की आवश्यकता क्यू नही है,,जैसा हम पहले भी बता चूके है कि गुरू की सहायता लिजिये जगत पिता बाबा भोलेनाथ को गुरू मानकर अपना अहित ना करे,, इसलिए इनको अधिक प्रभावशाली बनाने के लिए गुरू दिक्षा, क्रिया, विधान जरूर गुरू से ले ताकि इनको अधिक प्रभावशाली बनाया जा सके, ताकि आप स्वयंम तो इनका लाभ ले ओर दुसरो को भी राह दिखा सके ,,कर उन्नत अपने आपको इतना की,, गुरू इष्ट सबकुछ आपको दे दे,, मित्रो शाबर का गलत इस्तेमाल करने से की गयी सिद्धि तो चली ही जाती है ओर किया गया पुण्य भी नष्ट हो जाता है, मित्रो कभी भी इन शक्तियों ओर सिद्धियो का गलत इस्तेमाल ना करे यही अच्छा है मित्रो शाबर मंत्रो के अटपटे शब्द देखकर हैरान मा होना वो अटपटे हो सकते है पर पुणे रुप से शुद्ध ओर प्रभावशाली है हार हर मंत्र को यही मानकर करना कि जिस देवता का मंत्र है, या किसी देवता का किसी मंत्र मे उल्लेख है तो उस वक्त वो ही आपका इष्ट होगा अगर, आपके मन मे किसी शंका ने घर कर लिया तो वो सफल नही हो पायेगा यही सत्य है, कल आपको शाबर मंत्रो के प्रति सावधानियां ओर नियम पुणे रुप से बताये जायेगे ओर मंत्र साधना विधान भी बहुत जल्द आप सभी की सेवा मे पस्तूत किये जायेगे मिलते है अगले भाग मे आपका नादान बालक,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश ,,

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