मित्रो की जैसा कि हमने आपको बताया कि ये नियम ओर बेसिक ग्यान का लास्ट भाग है बाद मे शाबर मंत्र विधान कहे जायेगे नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो जैसा कि मंत्र जप काल साधना मे यादि साधक को नित्यकर्म निवर्ति की आवश्यकता हो या प्रतीत हो तो दबाये नही पहले निर्वति हो जाये ,बलपूर्वक रोके नही, फिर साधना आदि कर्म करे इससे ध्यान नही भटकेगा,,
निर्वति होकर साधना आदि से पहले नहाना जरूर है, ।पुनः नहाकर नये वस्त्र धारण करे फिर आचमन कर के मंत्र विधान पुणे करे जप हवन करे,
मंत्र जाप करते समय साधक को आलस्य का त्याग करना चाहिए इस समय थुकना खासना छीकना अंगडाई भय क्रोध, तृष्णा अन्य चिंतन तथा अपनी शरीर पर अथवा जननेनिद्रय पर खुजलाना मना है,
इन्हो दोषो द्वारा जपकाल मे विध्न ने लिये एकाहार अल्पाहार ,मौन तथा स्ताविक रहना चाहिए,,
मंत्र जपकाल मे मंत्र मे जप का क्रम भंग नही करना चाहिए यानि निरंतरता बनी रहनी चाहिए,
मंत्र जप विधान निरंतर क्रम बंद यानि धीमा तेज नही एक ही ध्वनि या स्वर निकलना चाहिए,
मंत्र विधान मे स्वर बिंदू, ॐ कार विर्सग, सस्वर मौन जप करना चाहिए,
मंत्रो को गाकर अथवा खंण्ड रुप मे विभाजित नही करनी चाहिए,
मंत्र जप विधान मे हिलना डुलना मना है अंगो को बार बार सिकोड़ना, कमर उंची नीची करना सख्त मनाही है,
अल्पाहार ही ग्रहण करे ओर आलस्य का त्याग करे नवरात्रि हो या किसी पर्व साधना मे दिन मे सोना मना है,
मंत्र जपकाल के दौरान आसन लगाकर बैठे ,दोनो पैरो को फैलाकार ना बैठै,
इन सभी नियमो का पालन करे क्योंकि मंत्र साधना विधान मे बस नियम ही सही रहते है,
जिस मंत्र की साधना करनी हो पहले उसको कंठस्थ याद कर लिजिये फिर उसको सिद्ध करने की कोशिश किजिये,,
सिद्धि प्राप्त सिद्ध पुरुष जो की मंत्र निष्ठ स्थिति प्राप्त कर चूका हो इन सभी नियमो से बंधन मुक्त है उस पर ये सभी बाते लागू नही होती है यही सत्य है,
मित्रो नव साधको के लिए मंत्र सिद्धि के समय एक ही मंत्र यानि एक बार मे एक मंत्र सिद्ध करने की कोशिश करे ,बाकी हर व्यक्ति कई मंत्रो को सिद्ध कर सकता है पर एक बार मे एक ही मंत्र सिद्ध होना चाहिए,,
साधक को लोभ लालच से दुर रहना चाहिए वरना सिद्धियाँ चली जाती है किसी भी मंत्र को सिद्ध करने से पहले इस मंत्र को याद करके सिद्ध जरूर कर लेना,
ताकि सभी विध्न बाधाये दुर होती है,
मंत्र,
गुरू सठ गुरू सठ गुरू है वीर,
गुरू साहब सुमरौं बड़ी भात,
सिंगी टोरौं बन कहौं,
मन नाऊ करतार,
सकल गुरून का हर भजै,
घट्टा् पकर उठ जाग,
चेत सम्भार श्रीपरमहंस,
मित्रो शाबर मंत्रो ध्वनि ओर स्वरो का बहुत महत्व ओर मुख्य आधार है इनको कांसे का टंकार से कैसे सिद्ध किये जाते है वो या तो आपके गुरू से निर्देश लिजिये या हमारी आगे की पोस्टो को पढते रहये,,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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