मित्रो तीन भागो मे आपने पढा की शाबर तंत्र सा सनातन धर्म मे वेद पुराण यानि भारतीय ग्रंथो मे तंत्र मंत्र विधा के द्वारा इस लोक परलोक के सुखो को प्राप्ति किया जा सकता है, ओर कई ॠषि मुनियाँ ,तांत्रिक, अघोरियाँ ने यह करके दिखाया है,
समय समय पर आप सभी ने उनके बारे मे पढा होगा या सुना होगा आपके आस पास भी उचित साधक होंगे,
शब्द 'अक्षर' है जिसका अर्थ होता है, अविनाशी या विनाशी ठीक यही संगीत ध्वनी के साथ है मंत्रो के जो ध्वनी एक बार हो जाती है वो कभी नष्ट नही होती है, इसलिए अक्षर मे अक्षरत्व है ओर यह अविनाशित्व उसी बह्म का गुण है, जागतिक चमत्कारो को प्राप्त करने के लिये किसी भी भाषा के मंत्रो का काम मे लिया जाये, परन्तु वे भी मंत्रत्व प्राप्त करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा चाहते है, ओर प्राण प्रतिष्ठा उसको नादबह्म की यथाविधि उपासना से ही मिल सकती है, शाबर मंत्रो का जन्म प्राय या अधिकतर सिद्ध साधको या नाथ संप्रदाय आदिनाथ बाबा सदाशिव से शुरू हुआ था फिर नाथ संप्रदाय के गुरूजनो ने इनका विस्तार किया शाबर मंत्रो का कीलन नही हो सकता यही सत्य है बस इनको जागृत करना पड़ता है बिना जागृति संस्कार के केवल ये शब्द मात्र है, जैसा आजकल सोशल मीडिया पर हो रहा है कि जिसको देखो लगा पता है शाबर से खेलने के लिए पर उनका दुष्परिणाम भी होता है बिना जागृति संस्कार या बिना जागृत गुरू के आभाव मे इसका परिणाम बहुत घातक सिद्ध हो सकता है, गुरूदेव के श्री मुख से निकले हुये मंत्र स्वयंम जागृत होते है, क्योंकि शाबर मंत्र अक्सर मृत रहते है इनका जागृत संस्कार करना पडता है, टंकार के साथ इनका जागृत संस्कार होता है ( यह आप अपने गुरू से प्राप्त कर सकते है या उनसे पूछ सकते है कि ये जागृत केसे होता है, )मंत्रो के समापन के समय देवता की विकट या अप्राकृतिक आन दुहाई दी जाती है, इस सच्चाई से कभी मुंह नही मोडा जा सकता है ओर कभी कभी शास्त्रीय मंत्रो के प्रभाव की कमी को ये शाबर मंत्र बडी सफलता से पुणे करते है, शाबर मंत्रो मे अपने आप मे गोली की तरह शक्ति एव सफलता स्पष्ट प्रभाव होने के कारण ये मंत्र आज भी अच्छे, बुरे तांत्रिको के गले की शोभा बने हुये है, सिद्ध शाबर मंत्र गाम्य (ग्रामणी )शाखाओ के सिद्ध मंत्र है, शाबर मंत्रो का अर्थ अपरिष्कृत अथवा ग्रामीण भाषा मे होते है शाबर मंत्र का अंदाजा आप सहज ही लगा सकते है कि हमारे प्रचीन समय के तांत्रिक,,, ( ध्यान से पढे शाबर के चमत्कार,,) किसी को सांप ने काट लिया ओर कोई उसकी सुचना उच्च साधक तांत्रिक देता तो तांत्रिक द्वारा सुचना लाने वाले के थप्पड मारने से ही सर्पदंश वाला व्यक्ति मीलो दुर भी ठीक हो जाता था, उस रोगी का विष का स्तम्भन हो जाता था, वो कैसे करते थे कुछ कोडियाँ फेंककर विषधर को वापस बुला लेते थे जहर चूसने के लिए, सात समुन्दर पार बैठे व्यक्ति को चूटकियाँ मे अपने पास बुला लेते थे, केसे कर सकते थे वो, केर(खैर) की लकडी का दंण्ड बनाकर फटकार देने से बीमार व्यक्ति तुरंत ठीक हो जाता था कभी सोचा है की एक ग्रामीण इलाके मे बैठा एक अनपढ ओझा कौन सी संस्कृत जानता है जो तुरन्त किसी भी समस्याओं को चूटकियाँ मे इलाज कर देता है, क्योंकि उनकी असली सफलता का चमत्कार सिद्ध शाबर तंत्र है ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो यह मंत्र कभी निष्फल नही जाते इन सिद्ध शाबर मंत्रो को गुरू की दीक्षा प्राप्त करके ही करे तो इन मंत्रो का प्रभाव स्पष्ट रुप से आपको खुद देख सकते है बिना गुरू के करने से वो अपना उल्टा असर भी दिखा सकते है यही सत्य है मित्रो,
कलि बिलोकि जग हित हर गिरजा, ।
शाबर मंत्र जाल जिन्ह सिरजा, ।।
अनमिल आखर अरथ न जापू ।
प्रगट प्रभाउ महेश प्रताप, ।
मित्रो सिद्ध शाबर तंत्र के बारे मे तो प्रभु तूलसीदास ने भी रामचरित्र मानस मे लिखा है यानि अपने विचार प्रकट किये है, कि श्री उमा महेश्वर ने कलियुग के प्राणियों पर दया करके शाबर मंत्रो की रचना की ताकि कलियुग मे प्राणी मांत्र वैदिक मंत्रो के कलित होने की दिशा मे शाबर मंत्रो को मानव मात्र के संकट, कष्टो को शाबर मंत्रो ले शीघ्र नष्ट हो जाते है प्रचीन तंत्र शास्त्रो के अनुसार शाबर मंत्रो को सफल माना है, यहाँ संस्कृत वैदिक मंत्र कलित है पर सिद्ध शाबर मंत्र कीलित नही है इसलिए उचित गुरू के देखरेख ओर मार्गदर्शन मे गुरू दीक्षा से शीघ्र सिद्ध हो जाते है,, ।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻🌹
समय समय पर आप सभी ने उनके बारे मे पढा होगा या सुना होगा आपके आस पास भी उचित साधक होंगे,
शब्द 'अक्षर' है जिसका अर्थ होता है, अविनाशी या विनाशी ठीक यही संगीत ध्वनी के साथ है मंत्रो के जो ध्वनी एक बार हो जाती है वो कभी नष्ट नही होती है, इसलिए अक्षर मे अक्षरत्व है ओर यह अविनाशित्व उसी बह्म का गुण है, जागतिक चमत्कारो को प्राप्त करने के लिये किसी भी भाषा के मंत्रो का काम मे लिया जाये, परन्तु वे भी मंत्रत्व प्राप्त करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा चाहते है, ओर प्राण प्रतिष्ठा उसको नादबह्म की यथाविधि उपासना से ही मिल सकती है, शाबर मंत्रो का जन्म प्राय या अधिकतर सिद्ध साधको या नाथ संप्रदाय आदिनाथ बाबा सदाशिव से शुरू हुआ था फिर नाथ संप्रदाय के गुरूजनो ने इनका विस्तार किया शाबर मंत्रो का कीलन नही हो सकता यही सत्य है बस इनको जागृत करना पड़ता है बिना जागृति संस्कार के केवल ये शब्द मात्र है, जैसा आजकल सोशल मीडिया पर हो रहा है कि जिसको देखो लगा पता है शाबर से खेलने के लिए पर उनका दुष्परिणाम भी होता है बिना जागृति संस्कार या बिना जागृत गुरू के आभाव मे इसका परिणाम बहुत घातक सिद्ध हो सकता है, गुरूदेव के श्री मुख से निकले हुये मंत्र स्वयंम जागृत होते है, क्योंकि शाबर मंत्र अक्सर मृत रहते है इनका जागृत संस्कार करना पडता है, टंकार के साथ इनका जागृत संस्कार होता है ( यह आप अपने गुरू से प्राप्त कर सकते है या उनसे पूछ सकते है कि ये जागृत केसे होता है, )मंत्रो के समापन के समय देवता की विकट या अप्राकृतिक आन दुहाई दी जाती है, इस सच्चाई से कभी मुंह नही मोडा जा सकता है ओर कभी कभी शास्त्रीय मंत्रो के प्रभाव की कमी को ये शाबर मंत्र बडी सफलता से पुणे करते है, शाबर मंत्रो मे अपने आप मे गोली की तरह शक्ति एव सफलता स्पष्ट प्रभाव होने के कारण ये मंत्र आज भी अच्छे, बुरे तांत्रिको के गले की शोभा बने हुये है, सिद्ध शाबर मंत्र गाम्य (ग्रामणी )शाखाओ के सिद्ध मंत्र है, शाबर मंत्रो का अर्थ अपरिष्कृत अथवा ग्रामीण भाषा मे होते है शाबर मंत्र का अंदाजा आप सहज ही लगा सकते है कि हमारे प्रचीन समय के तांत्रिक,,, ( ध्यान से पढे शाबर के चमत्कार,,) किसी को सांप ने काट लिया ओर कोई उसकी सुचना उच्च साधक तांत्रिक देता तो तांत्रिक द्वारा सुचना लाने वाले के थप्पड मारने से ही सर्पदंश वाला व्यक्ति मीलो दुर भी ठीक हो जाता था, उस रोगी का विष का स्तम्भन हो जाता था, वो कैसे करते थे कुछ कोडियाँ फेंककर विषधर को वापस बुला लेते थे जहर चूसने के लिए, सात समुन्दर पार बैठे व्यक्ति को चूटकियाँ मे अपने पास बुला लेते थे, केसे कर सकते थे वो, केर(खैर) की लकडी का दंण्ड बनाकर फटकार देने से बीमार व्यक्ति तुरंत ठीक हो जाता था कभी सोचा है की एक ग्रामीण इलाके मे बैठा एक अनपढ ओझा कौन सी संस्कृत जानता है जो तुरन्त किसी भी समस्याओं को चूटकियाँ मे इलाज कर देता है, क्योंकि उनकी असली सफलता का चमत्कार सिद्ध शाबर तंत्र है ,नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, मित्रो यह मंत्र कभी निष्फल नही जाते इन सिद्ध शाबर मंत्रो को गुरू की दीक्षा प्राप्त करके ही करे तो इन मंत्रो का प्रभाव स्पष्ट रुप से आपको खुद देख सकते है बिना गुरू के करने से वो अपना उल्टा असर भी दिखा सकते है यही सत्य है मित्रो,
कलि बिलोकि जग हित हर गिरजा, ।
शाबर मंत्र जाल जिन्ह सिरजा, ।।
अनमिल आखर अरथ न जापू ।
प्रगट प्रभाउ महेश प्रताप, ।
मित्रो सिद्ध शाबर तंत्र के बारे मे तो प्रभु तूलसीदास ने भी रामचरित्र मानस मे लिखा है यानि अपने विचार प्रकट किये है, कि श्री उमा महेश्वर ने कलियुग के प्राणियों पर दया करके शाबर मंत्रो की रचना की ताकि कलियुग मे प्राणी मांत्र वैदिक मंत्रो के कलित होने की दिशा मे शाबर मंत्रो को मानव मात्र के संकट, कष्टो को शाबर मंत्रो ले शीघ्र नष्ट हो जाते है प्रचीन तंत्र शास्त्रो के अनुसार शाबर मंत्रो को सफल माना है, यहाँ संस्कृत वैदिक मंत्र कलित है पर सिद्ध शाबर मंत्र कीलित नही है इसलिए उचित गुरू के देखरेख ओर मार्गदर्शन मे गुरू दीक्षा से शीघ्र सिद्ध हो जाते है,, ।
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश 🌹🙏🏻🌹
कृपया आप अपने ज्ञान का विस्तार कीजिये और सही व उत्तम साधना मानव तक पहुचाये!!
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