आज के अधुनकि यूग मे जहाँ तेजी से ज्योतिष ओर तंत्र मंत्रो का प्रचार प्रसार हो रहा है, दूसरी ओर कथित ज्योतिषचार्य ओर कथित तंत्राचार्य ओर भी कई ऐस्ट्रोलोजर निकले है जो इसको व्यापार बनाकर या अपना उल्लू सीधा करने के लिए इनका प्रयोग अपने स्वार्थ या कामना पूर्ति के लिए कर रहे है जिनकी हमेशा धारणा यही रहती है कि सनातन बदनाम हो ओर तंत्र वैदिक या ज्योतिष चार्य का आम जन से विश्वास उठा दिया है अपनी अपनी, ऊंची ऊंची दुकाने लगाकर बैठे है आता जाता कुछ नही यही सत्य है मित्रो यही वो लोग है जो, आध्यात्मिक मार्ग, चाहे वो तंत्र हो वैदिक ज्योतिष या ऐस्ट्रोलोजर, हिलींग उन सभी को पतन की ओर ले जाते ओर बदनाम करके रख दिया है,
साधना के असंंतुलित प्रचार, सिद्धियाँ के दुरुपयोग ओर अतिचार, के कारण ही पराभव हुआ है पर फिर भी तंत्र निष्प्राण नही हुआ है, क्योंकि मित्रो सच्चे साधक इस दुनिया मे अभी है, सच्चे गुरू अभी मौजूद है, कुछ विरल इस दुनिया मे आज भी मौजूद है जो एंकातवास, ग्रहस्थ रहकर भी बह्मचारी धर्म का पालन कर रहे है, वैसे तो शाबर मंत्रो की रचना संस्कृत प्राकृत, जैन, वैदिक ओर क्षेत्रीय भाषाओ मे मिलती है, कई भाषाओ के मिश्रित होना जैसे ग्रामीण शेली विचित्र शैली ये हमारे, आदरणिय या महान जानकारो के अदभुत कल्पना शक्ति का सोमवेश था ,जो शाबर ने कभी अपना स्वरूप नही खोया, शाबर मे क्रिया ओर मंत्र साथ चलते है, जो क्रिया समझता है वो शाबर को समझता है, क्योंकि शाबर मे गुरू के प्रति श्रद्धा विश्वास बहुत महत्वपूर्ण है शाबर मंत्रो मे षडांग बीज, ॠषिः कीलक छंदः देवता एव शक्ति की आवश्यकता अलग से नही होती है ,बल्कि इन सभी का वर्णन शाबर मे होता ही होता है बस आस्था ओर विश्वास की जरूरत है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी, शाबर को लोगो ने डरावना या तंत्र साधना को अपनी भोग की वस्तू समझने वाले या मजाक समझने वाले या नाम बनाने के चक्कर मे कई जने लगे पड़े है पर हर तंत्र या शाबर मे आन, दुहाई, सैया, सौगंध, शय्या कई ऐसे शब्द आते है जो आपको विचलित भी कर सकते है, इसलिए हमारा आप सभी से यही कहना है कि शाबर दीक्षा ले ओर उचित गुरू के मार्गदर्शन मे इनका प्रयोग या दीक्षा ग्रहण करे तो ही उसी मे आपका कल्याण है, बाकी आगे जैसी माँ बाबा की इच्छा ओर कृपा,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
जय हो
ReplyDeleteजय माँ बाबा की
Deleteजय हो प्रभु
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