मित्रो की जैसा आपने हमारे पिछले सात भागो मे पढा की शाबर क्या है, आगे अन्य भागो मे आपको बताया जायेगा की इनको जागृत कैसे किया जाये ओर ध्वनि स्वरो को टंकार कैसे दिये जाये ओर प्रयोग मे लिये जाये फिलहाल आगे, मित्रो जीव जगत के प्रत्येक क्षेत्र मे जहाँ भी कोई समस्या लालसा उदेश्ये अथवा प्रयोजन हो शाबर मंत्र का प्रयोग वहाँ अपना अनुकूल निश्चित ओर विचित्र अविशवसनिये चमत्कार का साक्षी बनता है, जैसा हमने पहले भी बताया था की कई उदाहरण है अब ये किस किस क्रिया मे काम आता है या रंग दिखाता है आइये जानते है, ग्यान, भक्ति, वैराग्य, सुरक्षा, रोग, मुक्ति, शुत्र नाश, आपदा निवारण, मारण, मोहन, वशीकरण, कीलन, उच्चाटन, स्तंभन, विद्धेषण, भौतिक ,संकट निवारण, वायव्य, दोष, जन्तु, सन्त्रास,विष ,प्रभाव, भय, भ्रम, शंका, अनिद्रा, दुर्भाग्य ,अभिशाप, प्रतिभा, ओर भी कई क्रियाये शाबर तंत्र मंत्र उत्पन्न करने या नष्ट कर देने मे पुणे समर्थ है यह अमोध है ओर सहज भी ओर साध्य भी बस गुरू कृपा हो जाये या उतम गुरू की शरण मिल जाये चाहे अल्प शिक्षित ओर अशिक्षित व्यक्ति चाहे वो गुरू हो या शिष्य, सभी इनकी सिद्धि का लाभ उठा सकते है, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी मित्रो, ऐसा कोई कार्य या लक्ष्य नही है जो शाबर साधना से साधा ना जाये बस आपका अपने गुरू पर पुणे विश्वास होना चाहिए यही सत्य है,यह शाबर साधना बाबा भोलेनाथ की ही तरह विचित्र, कौतूहलमय चमत्कारी शांत ओर आशुफलदायक है, बाकी सामने अनर्गल शब्दो का समुह प्रतीत होने वाले ये शाबर मंत्र उतनी ही शक्तिवान प्रभाव सम्पन्न होते है जैसे स्वयंम बाबा महाकाल ओर माँ आदि शक्ति जगदंबा, जैसे अन्य मंत्रो ओर साधना प्रयोग के लिये स्थान समय पात्र विशिष्ट प्रयोज्य वस्तुएं, जप संख्या हवन आसन माला आदि विभिन्न उत्पादन आदि का निश्चित प्रतिबंध है, पर शाबर मंत्रो की साधना इन सभी से मुक्त है पर कुछ नियम विशेष उग्र साधनाओ मे जरूरी है ये साधनाये कभी भी कही भी किसी भी स्थिति मे कोई भी किसी भी उदेश्ये के लिए शाबर मंत्रो का प्रयोग कर सकते है इनको सिद्ध करने के लिए,, जैसा की हमने पहले ही बताया था कि शाबर अक्सर मृत होते है इनको जागृत करना होता है इनको प्रभावशाली बनाने के लिए गुरू दीक्षा न्यास मुद्रा ओर साधक का विद्वान या किसी जाति विशेष मे उत्पन्न होना जरूरी नही है या आवश्यक नही है कोई भी व्यक्ति जिनमे गुरू समर्पण आस्था श्रद्धा विश्वास हो वो सभी इन सभी का लाभ उठा सकते है, मित्रो शाबर मंत्रो की सिद्धि के लिए ग्रहण होली दीपावली शिवरात्रि या कोई विशेष मुलनक्षत्र पुवकालादि अमावस्या की रात्रि शुभमुहूर्त शानिचर की रात्रि मंगल की रात्रि या रविवार समय रात्रि बारह से सुबह तीन तीस तक का ही होता है इसलिए किसी भी मंत्र की साधना के लिये आपको तीन चार घंटे ही रोज मिल पाते है एक बार सिद्ध होने के बाद मित्रो बाकी कल बात करते है धन्यवाद मित्रो अगर हमारी लिखनी आपको पसंद आ रही है तो इस ब्लाग का लिंक फेसबुक वाटसअप पर शेयर किजिये ताकि ओरो को भी इसकी जानकारी मिले धन्यवाद आप सभी का,,,
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जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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