मित्रो कई बार देखा होगा साधक अपनी साधना मे फेल हो जाते है या, चलते चलते यू ही कोई सांसरिक जीवन से सन्यास ले लेता है, क्या होता है इन सभी कारण हर कोई चीज अनायास नही होती हर चीज कभी एकदम नही होती यही सत्य है मित्रो नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी तो मित्रो कभी सोचा है, इन सभी के पीछे क्या कारण हो सकता है कि एक बालक भी आपको सही कर देता है, या एक गरीब सा आदमी जिसको संस्कृत के श्लोको का ग्यान नही होता अचानक से उसको सिद्धि मिल जाती है। क्या यह सब अनायास या अचानक होता है ,नही मित्रो कुछ भी सीधा या अचानक नही होता कोई किसी से अचानक नही मिलता यह सब नियति तय करती है, किसी का बच्चा, पत्नी, बहू, बहन, माँ, पिता, दादा, या कोई मित्र, गुरू, शिष्य, रिश्तेदार, कर्जदार, लेनदार, कही ना कही आपसे किसी ना किसी रुप मे आप सभी से किसी ना किसी जन्म से जूडे हुये होते है। किसी की साधना अधुरी होती है या किसी का कुछ तो लेना देना बाकी रहता है अब वो किसको माध्यम बनाता है ये उसकी मर्जी है कि कब किसको मिलवाता है, पिछले जन्म मे आपकी साधना अधुरी रही है किस कारण रही है इसके पीछे कई रहस्य होते है पर गुरूतत्व जन्मो जन्मांतर तक वो ही रहता है, वो आपको सही रास्ता बार बार दिखाता है पर आप समझ पाये तो, रास्ते कई है पर जो आपका दिल कहता है तो दिमाग उसको सहन नही कर पाता या दिमाग कहता है वो दिल सह नही पाता जब तक दोनो का एकमत नही होता तब तक आप अधूरे हो, कभी मनन करके देखो अपने गुरू ओर इष्ट का ध्यान करके देखो की ये दिक्कत कहाँ हो रही है कि हम अपनी साधना मे सफल नही हो पाते या हम अपने सांसरिक जीवन की जिम्मेदारियाँ को नही पाते, क्योंकि जब तक आप माया मोह नही छोड़ सकते तब तक आपके लिये ये सब व्यर्थ है, इसलिए मित्रो कोई, कब, क्यू कैसे, सब अचानक नही होता इसमे आपके पुर्नजन्म के कुछ अधूरे कार्य जूडे रहते है, काम वासना सबसे बड़ा काटा यानि कलंक है जो अपनी साधनाओ को अपनी स्वार्थ सिद्धि के लिये प्रयोग करते है अंततः वही सिद्धियाँ उसके मरने का कारण बनती है, पिछले जन्म मे तूम अगर हाथ मे खप्पर लिये गलियाँ मे घूम रहे थे इस जन्म मे तूम कहाँ ये सोचो की जब तुम्हारे पास खप्पर था तो आज सोने का थाल क्यू है वो खप्परधारी है कहाँ, सोचो जरा, मित्रो पिछले जन्म मे तुम्हारा जो गुरू था आज वो तुम्हारे पास क्यू नही है, क्यू तूम्हे गुरूतत्व की प्राप्ति नही हो रही है, अपने आराध्य देवता को याद करे उनका ध्यान करे ओर जानने की कोशिश करे हो सकता है आपके सामने कई रहस्य से पर्दा उठ जाये ओर आपकी मंजिल मिल जाये,,बाकी फिर कभी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
यदि जीवनकाल में किसीने गुरु बनाये हो, परन्तु किसी साधना प्राप्ति के लिए किसी और गुरु की शरण मे जाना पड़ रहा हो तो क्या करना उचित है?
ReplyDeleteक्या दो गुरु हो सकते है ?