मित्रो जैसे हमने हमारे चार भागो मे सिद्ध शाबर मंत्रो के बारे मे उल्लेख किया है कि ये कैसे कार्य करते है या जागृत होते है, यह सब हमारे ब्लाग के हजारों विजिटर या हमारे मिलने वाले अनको साधको की इच्छा के अनुरुप ही लिख रहे है जो हमे पर्सनली जानते है या मेसेज मे सा कोल करके पुछते रहते है उन सभी की मांग पर ही हम ये सिद्ध शाबर मंत्रो की भूमिका ओर क्रिया के बारे मे बता रहे है, केवल जो सिद्ध शाबर की मुख्य बातो को ध्यान रखकर ही इस ब्लाँग का निर्माण किया गया है, हमारा एक ही उदेश्ये है इन सभी के पीछे की जो दुनिया मे आज छल कपट से सनातन को बदनाम किया जा रहा है या सनातन को प्रति जो रुचि लोगो की हट रही है या अविश्वास हो रहा है उनको सही राह पर लाना है हमारा मकसद कोई दुकानदारी नही करना नही है, बस आम जन सिद्ध शाबर तंत्र की जानकारी देना या उच्च गुरू के बारे मे आप सभी जानकारी प्राप्त करे, कोई मारण मोहन वशीकरण करके, कोई सिद्ध शाबर मंत्रो का उस्ताद नही बन सकता, ओर चमत्कार बाजीगर भी दिखा सकते है जैसे कच्चे कलवे के सहारे, अपनी सोच ओर उदेश्ये को सही रखे आम जन के कल्याण हुते, ओर हाँ साधक पुणे रुप से तभी सफल हो पाता है जब वो अपने गुरू की देख रेख मे पुणे ग्यान प्राप्त करे तो अपने मन को शुद्ध, स्वच्छ, ओर सच्चे मन से गुरू के प्रति अपनी पुणे श्रद्धा भावरखकर गुरू से दीक्षा प्राप्त करे इससे साधक को शक्ति रुपी मिणी प्राप्त होती है, जैसे समुन्दर मंथन मे रत्न निकलते है वैसे ही गुरू अपने शिष्यो का मंथन करता है इसलिए यह सब एक सिद्ध गुरू से ही प्राप्त हो सकता है, जैसे आजकल सोशल मीडिया पर कहाँ जाता है कि बिना गुरू ही शाबर सिद्ध हो जाते है उन मुर्खो को एक ही बात कहेगे की बिना माँ बाबा के तो आज तक बाबा भोलेनाथ जो जगत पिता है या देवताओ को भी जमी पर आये तो उनको भी जन्म लेना पडा माता पिता तो भगवान श्री राम जी भगवान श्री कृष्ण जी ओर भी देवता है जिनको यहाँ उनको भी गुरू की जरूरत पडी थी, इसलिए सच्चे गुरू की खोज करये आपको इन सभी की जानकारी से पुणे आवगत हो सको,, हम अपने निजी जीवन के अनुभवो के हिसाब से ही यह सब आज आपके समक्ष उजागर कर रहे है मित्रो, जितना सिद्ध शाबर मंत्र सरल है उतना ही इनकी हर प्रकिया जटिल होती है जगत पिता बाबा भोलेनाथ को गुरू मानकर कदापि इनका श्रवण ना करे उतना ही आपके लिए अच्छा है, क्योंकि मानव जीवन सभी आवश्यकताओं जैसे दैहिक, दैविक, भौतिक पूर्ति मे मंत्रो का समर्थ सहायक स्वीकार किया गया है चाहे वो वैदिक हो या सिद्ध शाबर, मित्रो मंत्र है क्या, नादान बालक की कलम से आज बस इतना बाकी फिर कभी ,,मंत्र एक विशिष्ट ध्वनि कर्म है जैसा हमने सिद्ध शाबर तंत्र के भाग चार मे बताया था कि या ध्वनि समुह जो किसी वर्ण अथवा वर्ण के समुह के उच्चारण की प्रतिक्रिया के रुप मे उत्पन्न होती है, उसी समुह की ध्वीन का प्रभाव सर्व स्वीकृति है विभिन्न ध्वनि की विभिन्न तंरगो यानि स्वर चराचर जगत को प्रभावित करता है, किसी देवता की लम्बी चौडी स्तुति जो प्रभाव नही दिखा सकती या उत्पन्न नही कर पाती उसको एक छोटा सा मंत्र भी तत्काल कर देता है, यही है सिद्ध शाबर मंत्र, मित्रो आगे अगले कुछ भागो मे आपको पुणे जानकारी प्रदान की जायेगी,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
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