मित्रो आज जानते है कि कैसे जागृति ओर मंत्रो मे टंकार पुजा, रक्षा मंत्र, आसन मंत्र लगाया जाये तो जैसे हमने अपने आठ भागो मे जो बताया है उन सभी को वापस पढ लिजियेगा ताकि आप मे भ्रम की स्थिति ना रहे क्योंकि आगे चलकर हम आपको इनमे, गुरू जागृति मंत्र, रक्षा मंत्र ,आसन मंत्र, दिशाबंधन मंत्र, वो सभी आपको बताये जायेगे, ओर मंत्र जागृति करने के लिए किस तरह कांसे से ध्वनि, टंकार या घंटे की ध्वनि से कैसे उनको टंकार दिया जाता है वो सब आगे विस्तार से बताये जायेगे ,मित्रो शाबर साधना किसी निर्जन स्थान या माँ महाकाली मंदिर बाबा हनुमान जी बाबा भोलेनाथ या बाबा भैरवनाथ या श्मशान मे ही ठीक रहती है, भय की शंका हो तो गुरू के सानीधेये या साधक गुरूभाई के साथ की जा सकती है मंत्र देवता के अनुसार, कुछ पुजा सामग्री फल फुल सिंदूर धुप दीप, ओर नैवेध साथ मे रखना होता है फुलो मे आक कनेर या लाल गेंदे के फुल, फलो मे बेल बेर या करौंदा जैसे वनफल, नैवेध मे बूदी के लड्डू बेसन के, ओर गुड़ आटे के गुलगुले आदि व सिंदूर धुप दीप आदि वस्तुएं पुजा स्थली पर रखी जाती है आटे का दीपक मिट्टी का, करवा ,अरंडी के पत्ते खैर(कैर) की लकडी दण्डस्वरुप ओर भी कई वस्तूओ होती है मोर पंखी, लोहे की सांकल, चादी पीतल का दण्ड, लौह का चिमटा, आदि ओर भी कई सामग्री होती है जिनमे कांसे की थाली कटोरा ,पीतल का घंटा टंकार के लिये चाँदी का बर्तन भोग के लिए, नादान बालक की कलम से आज बस इतना ही बाकी फिर कभी ,मित्रो बाकी किसी भी शाबर मंत्र को साधते समय बह्मचार्य ओर शाकाहार का पालन किया जाता है जो अति उतम होता है अन्यथा मंत्र जाप के समय पाक साफ पवित्र होकर ही बैठना चाहिए, जहाँ पर पीडन पाप माना गया है वहाँ परोपकार करना पुण्य माना गया है, कोई भी साधक यादि इस दृष्टिकोण को लेकर, मानसिक तथा दैहिक रोगो के निवारण करने वाले मंत्रो को सिद्ध कर ले तो कितना अच्छा रहता है, सिद्ध हो जाने पर मंत्र प्रभावीशाली होते, पर ध्यान रहे मित्रो एक समय पर एक ही मंत्र को साधे या सिद्ध करे, इनमे सिर्फयही शर्त होती है कि बस परोपकार की भावना रहे, बाकी लोभ लालच आने पर सिद्धि चली जाती है, जैसा हमने पहले भी बताया है कि, बाबा भोलेनाथ द्वारा प्रणीत शाबर मंत्र संख्या को पारवर्ती सिद्धपुरषो ने बढाकर उन्है जन जन तक पहुँचाया ओर आम जन तक सुलभ कर दिया था, पर आज तो भारत देश धर्म निरपेक्ष हो गया है जबिक राजनीति ने इन सभी रचनाओ का मुल अर्थ समझा ही नही, यही कारण है की भारत मे, धर्म, संस्कृति, देवोपासना, कर्मकांड, आध्यात्मिक का चिंतन मनन का बडी तेजी से लोप हो रहा है ओर सनातन धर्म की परम्पराओं प्रमाणित शास्त्रो को ओर मंत्रो को एक साजिश के तहत लुप्त किया जाता रहा है ओर जा रहा है, अस्तू एक समय जप तप पूजा पाठ हवन यग्य ओर सत्संग अपदेश की बहुत मान्यता थी ओर इसी का परिणाम था की हर शताब्दी मे चार पांच सिद्ध पुरषो का जन्म या अवतरण होता रहता था, वो सभी भौतिक जगत की मोह माया से दुर रहते थे पर आध्यात्मिक के बडे धनी होते थे वही अपनी योगिक क्रिया से धन सम्पदा को आम जन मे लूटाया करते थे, ओर आज के छल कपटी लूटते ज्यादा है, आजकल मित्रो आपने देखा होगा कि नये नये नवयूवक नवयुवतियाँ कथा वाचक बन बैठी है जिनको ना शास्त्रो का ग्यान है ना ही आध्यात्मिक वचनो का ,बस चंद धन की भूख ने इनके सरक्षको को ओर इनको राक्षस गणी बना दिया है जो कभी भी कुछ भी बेसिर पैर की कथाये बीच मे जोड देते है,, जबकि इन मुर्खो को पता नही ये अपना ही हनन कर रहे है कई तांत्रिक मांत्रिक, पैसे के लोभ मे लगे पडे है इसलिए मंत्रो ये ब्लाँग आपकी सम्पूर्ण जानकारियाँ को पुणे करेगा बस आपको सावधान रहना होगा आगे आपको कल बताया जायेगा कि क्या है मंत्र विधान ओर सावधानियां,,,
जय माँ जय बाबा महाकाल जय श्री राधे कृष्णा अलख आदेश
Gyanwadhak
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