लोक कल्याण-कारक शाबर मन्त्र
१॰ अरिष्ट-शान्ति अथवा अरिष्ट-नाशक मन्त्रः-
क॰ “ह्रीं हीं ह्रीं”
ख॰ “ह्रीं हों ह्रीं”
ग॰ “ॐ ह्रीं फ्रीं ख्रीं”
घ॰ “ॐ ह्रीं थ्रीं फ्रीं ह्रीं”
विधिः-उक्त मन्त्रों में से किसी भी एक मन्त्र को सिद्ध करें । ४० दिन तक प्रतिदिन १ माला जप करने से मन्त्र सिद्ध होता है । बाद में संकट के समय मन्त्र का जप करने से सभी संकट समाप्त हो जाते हैं ।
२॰ सर्व-शुभ-दायक मन्त्रः-
मन्त्र - ” ॐ ख्रीं छ्रीं ह्रीं थ्रीं फ्रीं ह्रीं ।”
विधिः- उक्त मन्त्र का सदैव स्मरण करने से सभी प्रकार के अरिष्ट दूर होते हैं । अपने हाथ में रक्त पुष्प (कनेर या गुलाब) लेकर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप कर अपनी इष्ट-देवी पर चढ़ाए अथवा अखण्ड भोज-पत्र पर उक्त मन्त्र को दाड़िम की कलम से चन्दन-केसर से लिखें और शुभ-योग में उसकी पञ्चोपचारों से पूजा करें ।
३॰ अशान्ति-निवारक-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ क्षौं क्षौं ।”
विधिः- उक्त मन्त्र के सतत जप से शान्ति मिलती है । कुटुम्ब का प्रमुख व्यक्ति करे, तो पूरे कुटुम्ब को शान्ति मिलती है ।
४॰ शान्ति, सुख-प्राप्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ ह्रीं सः हीं ठं ठं ठं ।”
विधिः- शुभ योग में उक्त मन्त्र का १२५ माला जप करे । इससे मन्त्र-सिद्धि होगी । बाद में दूध से १०८ अहुतियाँ दें, तो शान्ति, सुख, बल-बुद्धि की प्राप्ति होती है ।
५॰ रोग-शान्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं फट् ।”
विधिः- उक्त मन्त्र का ५०० बार जप करने से रोग-निवारण होता है । प्रतिदिन जप करने से सु-स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है । कुटुम्ब में रोग की समस्या हो, तो कुटुम्ब का प्रधान व्यक्ति उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित जल को रोगी के रहने के स्थान में छिड़के । इससे रोग की शान्ति होगी । जब तक रोग की शान्ति न हो, तब तक प्रयोग करता रहे ।
६॰ सर्व-उपद्रव-शान्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ घण्टा-कारिणी महा-वीरी सर्व-उपद्रव-नाशनं कुरु कुरु स्वाहा ।”
विधिः- पहले इष्ट-देवी को पूर्वाभिमुख होकर धूप-दीप-नैवेद्य अर्पित करें । फिर उक्त मन्त्र का ३५०० बार जप करें । बाद में पश्चिमाभिमुख होकर गुग्गुल से १००० आहुतियाँ दें । ऐसा तीन दिन तक करें । इससे कुटुम्ब में शान्ति होगी ।
७॰ ग्रह-बाधा-शान्ति मन्त्रः-
मन्त्रः- “ऐं ह्रीं क्लीं दह दह ।”
विधिः- सोम-प्रदोष से ७ दिन तक, माल-पुआ व कस्तूरी से उक्त मन्त्र से १०८ आहुतियाँ दें । इससे सभी प्रकार की ग्रह-बाधाएँ नष्ट होती हैं ।
८॰ देव-बाधा-शान्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ सर्वेश्वराय हुम् ।”
विधिः- सोमवार से प्रारम्भ कर नौ दिन तक उक्त मन्त्र का ३ माला जप करें । बाद में घृत और काले-तिल से आहुति दें । इससे दैवी-बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है ।
१॰ अरिष्ट-शान्ति अथवा अरिष्ट-नाशक मन्त्रः-
क॰ “ह्रीं हीं ह्रीं”
ख॰ “ह्रीं हों ह्रीं”
ग॰ “ॐ ह्रीं फ्रीं ख्रीं”
घ॰ “ॐ ह्रीं थ्रीं फ्रीं ह्रीं”
विधिः-उक्त मन्त्रों में से किसी भी एक मन्त्र को सिद्ध करें । ४० दिन तक प्रतिदिन १ माला जप करने से मन्त्र सिद्ध होता है । बाद में संकट के समय मन्त्र का जप करने से सभी संकट समाप्त हो जाते हैं ।
२॰ सर्व-शुभ-दायक मन्त्रः-
मन्त्र - ” ॐ ख्रीं छ्रीं ह्रीं थ्रीं फ्रीं ह्रीं ।”
विधिः- उक्त मन्त्र का सदैव स्मरण करने से सभी प्रकार के अरिष्ट दूर होते हैं । अपने हाथ में रक्त पुष्प (कनेर या गुलाब) लेकर उक्त मन्त्र का १०८ बार जप कर अपनी इष्ट-देवी पर चढ़ाए अथवा अखण्ड भोज-पत्र पर उक्त मन्त्र को दाड़िम की कलम से चन्दन-केसर से लिखें और शुभ-योग में उसकी पञ्चोपचारों से पूजा करें ।
३॰ अशान्ति-निवारक-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ क्षौं क्षौं ।”
विधिः- उक्त मन्त्र के सतत जप से शान्ति मिलती है । कुटुम्ब का प्रमुख व्यक्ति करे, तो पूरे कुटुम्ब को शान्ति मिलती है ।
४॰ शान्ति, सुख-प्राप्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ ह्रीं सः हीं ठं ठं ठं ।”
विधिः- शुभ योग में उक्त मन्त्र का १२५ माला जप करे । इससे मन्त्र-सिद्धि होगी । बाद में दूध से १०८ अहुतियाँ दें, तो शान्ति, सुख, बल-बुद्धि की प्राप्ति होती है ।
५॰ रोग-शान्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं क्षीं फट् ।”
विधिः- उक्त मन्त्र का ५०० बार जप करने से रोग-निवारण होता है । प्रतिदिन जप करने से सु-स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है । कुटुम्ब में रोग की समस्या हो, तो कुटुम्ब का प्रधान व्यक्ति उक्त मन्त्र से अभिमन्त्रित जल को रोगी के रहने के स्थान में छिड़के । इससे रोग की शान्ति होगी । जब तक रोग की शान्ति न हो, तब तक प्रयोग करता रहे ।
६॰ सर्व-उपद्रव-शान्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ घण्टा-कारिणी महा-वीरी सर्व-उपद्रव-नाशनं कुरु कुरु स्वाहा ।”
विधिः- पहले इष्ट-देवी को पूर्वाभिमुख होकर धूप-दीप-नैवेद्य अर्पित करें । फिर उक्त मन्त्र का ३५०० बार जप करें । बाद में पश्चिमाभिमुख होकर गुग्गुल से १००० आहुतियाँ दें । ऐसा तीन दिन तक करें । इससे कुटुम्ब में शान्ति होगी ।
७॰ ग्रह-बाधा-शान्ति मन्त्रः-
मन्त्रः- “ऐं ह्रीं क्लीं दह दह ।”
विधिः- सोम-प्रदोष से ७ दिन तक, माल-पुआ व कस्तूरी से उक्त मन्त्र से १०८ आहुतियाँ दें । इससे सभी प्रकार की ग्रह-बाधाएँ नष्ट होती हैं ।
८॰ देव-बाधा-शान्ति-मन्त्रः-
मन्त्रः- “ॐ सर्वेश्वराय हुम् ।”
विधिः- सोमवार से प्रारम्भ कर नौ दिन तक उक्त मन्त्र का ३ माला जप करें । बाद में घृत और काले-तिल से आहुति दें । इससे दैवी-बाधाएँ दूर होती हैं और सुख-शान्ति की प्राप्ति होती है ।
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