रोग से छुटकारा पाने के लिए
किसी रोग से ग्रसित होने पर
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी मेंसेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !एक रुपये का सिक्का रात को सिरहाने में रख कर सोएं और सुबह उठकर उसे श्मशान केआसपास फेंक दें, रोग से मुक्ति मिल जाएगी।
लगातार बुखार आने पर
यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आककी जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान सेबांध दें ! बुखार उतर जायगा !
बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए
एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरेमें थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्तेको शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछही दिनों में आराम हो जायगा !सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिरमाता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आजाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
रोगी को ठीक करने के लिए - कृष्ण पक्ष में अमावस्या की रात को 12 बजे नहा-धोकरनीले रंग के वस्त्र ग्रहण करें। आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर पूर्व की ओर मुख करकेबैठे। इसके पश्चात चौमुखी दीपक (चार मुँह वाला जलाएँ। (निम्न सामग्री पहले सेइकट्ठी करके रख लें) नीला कपड़ा सवा गज दृ 4 मीटर चौमुखी दिए 40 नग, मिट्टी कीगड़वी 1 नग, सफेद कुशासन(कुश का आसन) 1 नग, बत्तियाँ 51 नग, छोटी इलायची 11दाने, छुहारे (खारक) 5 नग, एक नीले कपड़े का रूमाल, दियासलाई, लौंग 11 दाने, तेलसरसों 1 किलो इत्र व शीशी गुलाब के फूल 5 नग, गेरू का टुकड़ा, 1 लडडू और लड्डू केटुकड़े 11 नग।
विधि - नीले कपड़े के चारों कोने में लड्डू, लौंग, इलायची एवं छुहारे बाँध लें, फिर मिट्टीके बर्तन में पानी भरकर, गुलाब के फूल भी वहाँ रख लें। फिर नीचे लिखा मंत्र पढ़ें। मंत्रपढ़ते समय लोहे की चीज (दियासलाई) से अपने चारों ओर लकीर खींच लें।
मंत्र इस प्रकार है।
ऊँ अनुरागिनी मैथन प्रिये स्वाहा।
शुक्लपक्षे, जपे धावन्ताव दृश्यते जपेत्।।
यह मंत्र चालीस दिन लगातार पढ़ें, (सवा लाख बार) सुबह उठकर नदी के पानी में अपनीछाया को देखें। जब मंत्र संपूर्ण हो जाएँ तो सारी सामग्री (नीले कपड़े सहित) पानी में बहादें।
अब जिसको आप अपने वश में करना चाहते हैं अथवा जिस किसी रोगी का इलाज करनाचाहते हैं, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़ें, बस आपका काम हो जाएगा।
यदि घर के छोटे बच्चे पीड़ित हों, तो मोर पंख को पूरा जलाकर उसकी राख बना लें औरउस राख से बच्चे को नियमित रूप से तिलक लगाएं तथा थोड़ी-सी राख चटा दें।
यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तोसात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबलेअनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल करकीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थलपर चढ़ा दें।
बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूरका तिलक करें।
पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं,गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारकहै।
सोते समय अपना सिरहाना पूर्व की ओर रखें ! अपने सोने के कमरे में एक कटोरी मेंसेंधा नमक के कुछ टुकडे रखें ! सेहत ठीक रहेगी !एक रुपये का सिक्का रात को सिरहाने में रख कर सोएं और सुबह उठकर उसे श्मशान केआसपास फेंक दें, रोग से मुक्ति मिल जाएगी।
लगातार बुखार आने पर
यदि किसी को लगातार बुखार आ रहा हो और कोई भी दवा असर न कर रही हो तो आककी जड लेकर उसे किसी कपडे में कस कर बांध लें ! फिर उस कपडे को रोगी के कान सेबांध दें ! बुखार उतर जायगा !
बच्चे के उत्तम स्वास्थ्य व दीर्घायु के लिए
एक काला रेशमी डोरा लें ! “ऊं नमोः भगवते वासुदेवाय नमः” का जाप करते हुए उस डोरेमें थोडी थोडी दूरी पर सात गांठें लगायें ! उस डोरे को बच्चे के गले या कमर में बांध दें !प्रत्येक मंगलवार को बच्चे के सिर पर से कच्चा दूध 11 बार वार कर किसी जंगली कुत्तेको शाम के समय पिला दें ! बच्चा दीर्घायु होगा !यदि किसी को टायफाईड हो गया हो तो उसे प्रतिदिन एक नारियल पानी पिलायें ! कुछही दिनों में आराम हो जायगा !सिन्दूर लगे हनुमान जी की मूर्ति का सिन्दूर लेकर सीता जी के चरणों में लगाएँ। फिरमाता सीता से एक श्वास में अपनी कामना निवेदित कर भक्ति पूर्वक प्रणाम कर वापस आजाएँ। इस प्रकार कुछ दिन करने पर सभी प्रकार की बाधाओं का निवारण होता है।
रोगी को ठीक करने के लिए - कृष्ण पक्ष में अमावस्या की रात को 12 बजे नहा-धोकरनीले रंग के वस्त्र ग्रहण करें। आसन पर नीला कपड़ा बिछाकर पूर्व की ओर मुख करकेबैठे। इसके पश्चात चौमुखी दीपक (चार मुँह वाला जलाएँ। (निम्न सामग्री पहले सेइकट्ठी करके रख लें) नीला कपड़ा सवा गज दृ 4 मीटर चौमुखी दिए 40 नग, मिट्टी कीगड़वी 1 नग, सफेद कुशासन(कुश का आसन) 1 नग, बत्तियाँ 51 नग, छोटी इलायची 11दाने, छुहारे (खारक) 5 नग, एक नीले कपड़े का रूमाल, दियासलाई, लौंग 11 दाने, तेलसरसों 1 किलो इत्र व शीशी गुलाब के फूल 5 नग, गेरू का टुकड़ा, 1 लडडू और लड्डू केटुकड़े 11 नग।
विधि - नीले कपड़े के चारों कोने में लड्डू, लौंग, इलायची एवं छुहारे बाँध लें, फिर मिट्टीके बर्तन में पानी भरकर, गुलाब के फूल भी वहाँ रख लें। फिर नीचे लिखा मंत्र पढ़ें। मंत्रपढ़ते समय लोहे की चीज (दियासलाई) से अपने चारों ओर लकीर खींच लें।
मंत्र इस प्रकार है।
ऊँ अनुरागिनी मैथन प्रिये स्वाहा।
शुक्लपक्षे, जपे धावन्ताव दृश्यते जपेत्।।
यह मंत्र चालीस दिन लगातार पढ़ें, (सवा लाख बार) सुबह उठकर नदी के पानी में अपनीछाया को देखें। जब मंत्र संपूर्ण हो जाएँ तो सारी सामग्री (नीले कपड़े सहित) पानी में बहादें।
अब जिसको आप अपने वश में करना चाहते हैं अथवा जिस किसी रोगी का इलाज करनाचाहते हैं, उसका नाम लेकर इस मंत्र को 1100 बार पढ़ें, बस आपका काम हो जाएगा।
यदि घर के छोटे बच्चे पीड़ित हों, तो मोर पंख को पूरा जलाकर उसकी राख बना लें औरउस राख से बच्चे को नियमित रूप से तिलक लगाएं तथा थोड़ी-सी राख चटा दें।
यदि बीमारी का पता नहीं चल पा रहा हो और व्यक्ति स्वस्थ भी नहीं हो पा रहा हो, तोसात प्रकार के अनाज एक-एक मुट्ठी लेकर पानी में उबाल कर छान लें। छने व उबलेअनाज (बाकले) में एक तोला सिंदूर की पुड़िया और ५० ग्राम तिल का तेल डाल करकीकर (देसी बबूल) की जड़ में डालें या किसी भी रविवार को दोपहर १२ बजे भैरव स्थलपर चढ़ा दें।
बदन दर्द हो, तो मंगलवार को हनुमान जी के चरणों में सिक्का चढ़ाकर उसमें लगी सिंदूरका तिलक करें।
पानी पीते समय यदि गिलास में पानी बच जाए, तो उसे अनादर के साथ फेंकें नहीं,गिलास में ही रहने दें। फेंकने से मानसिक अशांति होगी क्योंकि पानी चंद्रमा का कारकहै।
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